< मत्ती 23 >
1 १ तब यीशु ने भीड़ से और अपने चेलों से कहा,
ⲁ̅ⲧⲟⲧⲉ ⲓ̅ⲥ̅ ⲁϥϣⲁϫⲉ ⲙⲛⲙⲙⲏⲏϣⲉ ⲁⲩⲱ ⲛⲉϥⲙⲁⲑⲏⲧⲏⲥ.
2 २ “शास्त्री और फरीसी मूसा की गद्दी पर बैठे हैं;
ⲃ̅ⲉϥϫⲱ ⲙⲙⲟⲥ. ϫⲉ ⲁⲩϩⲙⲟⲟⲥ ϩⲓⲧⲕⲁⲑⲉⲇⲣⲁ ⲙⲙⲱⲩⲥⲏⲥ ⲛϭⲓⲛⲉⲅⲣⲁⲙⲙⲁⲧⲉⲩⲥ ⲙⲛⲛⲉⲫⲁⲣⲓⲥⲥⲁⲓⲟⲥ.
3 ३ इसलिए वे तुम से जो कुछ कहें वह करना, और मानना, परन्तु उनके जैसा काम मत करना; क्योंकि वे कहते तो हैं पर करते नहीं।
ⲅ̅ϩⲱⲃ ⲛⲓⲙ ⲉⲧⲟⲩⲛⲁϫⲟⲟⲩ ⲛⲏⲧⲛ ⲁⲣⲓⲥⲟⲩ. ⲁⲩⲱ ⲛⲧⲉⲧⲛϩⲁⲣⲉϩ ⲉⲣⲟⲟⲩ. ⲙⲡⲣⲉⲓⲣⲉ ⲇⲉ ⲛⲧⲟϥ ⲕⲁⲧⲁⲛⲉⲩϩⲃⲏⲩⲉ. ⲥⲉϫⲱ ⲅⲁⲣ ⲁⲩⲱ ⲛⲥⲉⲉⲓⲣⲉ ⲁⲛ.
4 ४ वे एक ऐसेभारी बोझ को जिनको उठाना कठिन है, बाँधकर उन्हें मनुष्यों के कंधों पर रखते हैं; परन्तु आप उन्हें अपनी उँगली से भी सरकाना नहीं चाहते।
ⲇ̅ⲥⲉⲙⲟⲩⲣ ⲇⲉ ⲛϩⲉⲛⲉⲧⲡⲱ ⲉⲩϩⲟⲣϣ ⲁⲩⲱ ⲉⲩⲙⲟⲕϩ ⲛϥⲓⲧⲟⲩ. ⲥⲉⲧⲁⲗⲟ ⲙⲙⲟⲟⲩ ⲉϩⲣⲁⲓ ⲉϫⲛⲛⲛⲁϩⲃⲉ ⲛⲛⲉⲣⲱⲙⲉ. ⲛⲧⲟⲟⲩ ⲇⲉ ⲛⲥⲉⲟⲩⲱϣ ⲁⲛ ⲉⲕⲓⲙ ⲉⲣⲟⲟⲩ ⲛⲟⲩⲁ ⲛⲛⲉⲩⲧⲏⲏⲃⲉ.
5 ५ वे अपने सब काम लोगों को दिखाने के लिये करते हैं वे अपनेतावीजोंको चौड़े करते, और अपने वस्त्रों की झालरों को बढ़ाते हैं।
ⲉ̅ϩⲱⲃ ⲇⲉ ⲛⲓⲙ ⲉⲧⲟⲩⲉⲓⲣⲉ ⲙⲙⲟⲟⲩ ϫⲉⲕⲁⲥ ⲉⲣⲉⲛⲣⲱⲙⲉ ⲛⲁⲩ ⲉⲣⲟⲟⲩ. ⲥⲉⲟⲩⲱϣⲥ ⲅⲁⲣ ⲉⲃⲟⲗ ⲛⲛⲉⲩⲫⲩⲗⲁⲕⲧⲏⲣⲓⲟⲛ. ⲁⲩⲱ ⲥⲉⲕⲱ ⲛⲛⲉⲩⲧⲱⲧⲉ ⲉⲛⲁⲁⲁⲩ.
6 ६ भोज में मुख्य-मुख्य जगहें, और आराधनालयों में मुख्य-मुख्य आसन,
ⲋ̅ⲥⲉⲙⲉ ⲇⲉ ⲛⲙⲙⲁ ⲛⲛⲟϫⲟⲩ ⲛϣⲟⲣⲡ ϩⲣⲁⲓ ϩⲛⲛⲇⲓⲡⲛⲟⲛ ⲁⲩⲱ ⲙⲙⲁ ⲛⲉϩⲙⲟⲟⲥ ⲛϣⲟⲣⲡ ϩⲛⲛⲥⲩⲛⲁⲅⲱⲅⲏ.
7 ७ और बाजारों में नमस्कार और मनुष्य में रब्बी कहलाना उन्हें भाता है।
ⲍ̅ⲙⲛⲛⲁⲥⲡⲁⲥⲙⲟⲥ ϩⲣⲁⲓ ϩⲛⲛⲁⲅⲟⲣⲁ. ⲁⲩⲱ ⲉⲧⲣⲉⲩⲙⲟⲩⲧⲉ ⲉⲣⲟⲟⲩ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲓⲧⲟⲟⲧⲟⲩ ⲛⲛⲣⲱⲙⲉ ϫⲉ ϩⲣⲁⲃⲃⲉⲓ.
8 ८ परन्तु तुम रब्बी न कहलाना, क्योंकि तुम्हारा एक ही गुरु है: और तुम सब भाई हो।
ⲏ̅ⲛⲧⲱⲧⲛ ⲇⲉ ⲙⲡⲣⲧⲣⲉⲩⲙⲟⲩⲧⲉ ⲉⲣⲱⲧⲛ ϫⲉ ϩⲣⲁⲃⲃⲉⲓ. ⲟⲩⲁ ⲅⲁⲣ ⲡⲉ ⲡⲉⲧⲛⲥⲁϩ. ⲛⲧⲱⲧⲛ ⲅⲁⲣ ⲧⲏⲣⲧⲛ ⲛⲧⲉⲧⲛϩⲛⲥⲛⲏⲩ.
9 ९ और पृथ्वी पर किसी को अपना पिता न कहना, क्योंकि तुम्हारा एक ही पिता है, जो स्वर्ग में है।
ⲑ̅ⲁⲩⲱ ⲙⲡⲣⲙⲟⲩⲧⲉ ⲛⲏⲧⲛ ⲉⲉⲓⲱⲧ ϩⲣⲁⲓ ϩⲓϫⲙⲡⲕⲁϩ. ⲟⲩⲁ ⲅⲁⲣ ⲡⲉ ⲡⲉⲧⲛⲉⲓⲱⲧ ⲉⲧϩⲛⲙⲡⲏⲩⲉ.
10 १० और स्वामी भी न कहलाना, क्योंकि तुम्हारा एक ही स्वामी है, अर्थात् मसीह।
ⲓ̅ⲟⲩⲇⲉ ⲙⲡⲣⲧⲣⲉⲩⲙⲟⲩⲧⲉ ⲉⲣⲱⲧⲛ ϫⲉ ⲛⲣⲉϥϯⲥⲃⲱ. ⲟⲩⲁ ⲅⲁⲣ ⲡⲉ ⲡⲉⲧⲛⲣⲉϥϯⲥⲃⲱ ⲡⲉⲭ̅ⲥ̅.
11 ११ जो तुम में बड़ा हो, वह तुम्हारा सेवक बने।
ⲓ̅ⲁ̅ⲡⲛⲟϭ ⲇⲉ ⲛϩⲏⲧⲧⲏⲩⲧⲛ ⲉϥⲛⲁϣⲱⲡⲉ ⲛⲏⲧⲛ ⲛⲇⲓⲁⲕⲟⲛⲟⲥ.
12 १२ जो कोई अपने आपको बड़ा बनाएगा, वह छोटा किया जाएगा: और जो कोई अपने आपको छोटा बनाएगा, वह बड़ा किया जाएगा।
ⲓ̅ⲃ̅ⲡⲉⲧⲛⲁϫⲓⲥⲉ ⲇⲉ ⲙⲙⲟϥ ⲥⲉⲛⲁⲑⲃⲃⲓⲟϥ. ⲁⲩⲱ ⲡⲉⲧⲛⲁⲑⲃⲃⲓⲟϥ ⲥⲉⲛⲁϫⲁⲥⲧϥ.
13 १३ “हे कपटी शास्त्रियों और फरीसियों तुम पर हाय! तुम मनुष्यों के विरोध में स्वर्ग के राज्य का द्वार बन्द करते हो, न तो आप ही उसमें प्रवेश करते हो और न उसमें प्रवेश करनेवालों को प्रवेश करने देते हो।
ⲓ̅ⲅ̅ⲟⲩⲟⲓ ⲇⲉ ⲛⲏⲧⲛ ⲛⲉⲅⲣⲁⲙⲙⲁⲧⲉⲩⲥ ⲙⲛⲛⲉⲫⲁⲣⲓⲥⲥⲁⲓⲟⲥ ⲛϩⲩⲡⲟⲕⲣⲓⲧⲏⲥ. ϫⲉ ⲧⲉⲧⲛϣⲧⲁⲙ ⲛⲧⲙⲛⲧⲣⲣⲟ ⲛⲙⲡⲏⲩⲉ ⲙⲡⲉⲙⲧⲟ ⲉⲃⲟⲗ ⲛⲛⲉⲣⲱⲙⲉ. ⲛⲧⲱⲧⲛ ⲅⲁⲣ ⲛⲧⲉⲧⲛⲃⲏⲕ ⲁⲛ ⲉϩⲟⲩⲛ. ⲟⲩⲇⲉ ⲛⲉⲧⲃⲏⲕ ⲉϩⲟⲩⲛ ⲛⲧⲉⲧⲛⲕⲱ ⲙⲙⲟⲟⲩ ⲁⲛ ⲉⲃⲱⲕ ⲉϩⲟⲩⲛ.
14 १४ [हे कपटी शास्त्रियों और फरीसियों, तुम पर हाय! तुम विधवाओं के घरों को खा जाते हो, और दिखाने के लिए बड़ी देर तक प्रार्थना करते रहते हो: इसलिए तुम्हें अधिक दण्ड मिलेगा।]
ⲓ̅ⲇ̅
15 १५ “हे कपटी शास्त्रियों और फरीसियों तुम पर हाय! तुम एक जन को अपने मत में लाने के लिये सारे जल और थल में फिरते हो, और जब वह मत में आ जाता है, तो उसे अपने से दुगना नारकीय बना देते हो। (Geenna )
ⲓ̅ⲉ̅ⲟⲩⲟⲓ ⲛⲏⲧⲛ ⲛⲉⲅⲣⲁⲙⲙⲁⲧⲉⲩⲥ ⲙⲛⲛⲉⲫⲁⲣⲓⲥⲥⲁⲓⲟⲥ ⲛϩⲩⲡⲟⲕⲣⲓⲧⲏⲥ. ϫⲉ ⲧⲉⲧⲛⲙⲟⲩϣⲧ ⲛⲧⲉⲑⲁⲗⲁⲥⲥⲁ ⲙⲛⲡⲉⲧϣⲟⲩⲱⲟⲩ ⲉⲣⲟⲩⲁ ⲙⲡⲣⲟⲥⲩⲗⲏⲧⲟⲥ. ⲁⲩⲱ ⲉϥϣⲁⲛⲉⲓⲣⲉ ϣⲁⲧⲉⲧⲛⲁⲁϥ ⲛϣⲏⲣⲉ ⲛⲧⲅⲉϩⲉⲛⲛⲁ ⲉϥⲕⲏⲃ ⲉⲣⲱⲧⲛ. (Geenna )
16 १६ “हे अंधे अगुओं, तुम पर हाय, जो कहते हो कि यदि कोई मन्दिर की शपथ खाए तो कुछ नहीं, परन्तु यदि कोई मन्दिर के सोने की सौगन्ध खाए तो उससे बन्ध जाएगा।
ⲓ̅ⲋ̅ⲟⲩⲟⲓ ⲛⲏⲧⲛ ⲛⲃⲗⲗⲉ ⲛϫⲁⲩⲙⲟⲉⲓⲧ. ⲛⲉⲧϫⲱ ⲙⲙⲟⲥ ϫⲉ ⲡⲉⲧⲛⲁⲱⲣⲕ ⲙⲡⲣⲡⲉ ⲟⲩⲗⲁⲁⲩ ⲡⲉ. ⲡⲉⲧⲛⲁⲱⲣⲕ ⲇⲉ ⲛⲧⲟϥ ⲙⲡⲛⲟⲩⲃ ⲙⲡⲣⲡⲉ ⲟⲩⲛⲟⲩⲟⲛ ⲉⲣⲟϥ.
17 १७ हे मूर्खों, और अंधों, कौन बड़ा है, सोना या वह मन्दिर जिससे सोना पवित्र होता है?
ⲓ̅ⲍ̅ⲛⲥⲟϭ ⲁⲩⲱ ⲛⲃⲗⲗⲉ. ⲛⲓⲙ ⲅⲁⲣ ⲡⲉ ⲡⲛⲟϭ. ⲡⲛⲟⲩⲃ ⲡⲉ ϫⲛⲡⲣⲡⲉ ⲡⲉⲧⲧⲃⲃⲟ ⲙⲡⲛⲟⲩⲃ.
18 १८ फिर कहते हो कि यदि कोई वेदी की शपथ खाए तो कुछ नहीं, परन्तु जो भेंट उस पर है, यदि कोई उसकी शपथ खाए तो बन्ध जाएगा।
ⲓ̅ⲏ̅ⲁⲩⲱ ⲡⲉⲧⲛⲁⲱⲣⲕ ⲙⲡⲉⲑⲩⲥⲓⲁⲥⲧⲏⲣⲓⲟⲛ ⲟⲩⲗⲁⲁⲩ ⲡⲉ. ⲡⲉⲧⲛⲁⲱⲣⲕ ⲇⲉ ⲛⲧⲟϥ ⲙⲡⲇⲱⲣⲟⲛ ⲉⲧϩⲓϫⲱϥ ⲟⲩⲛⲟⲩⲟⲛ ⲉⲣⲟϥ.
19 १९ हे अंधों, कौन बड़ा है, भेंट या वेदी जिससे भेंट पवित्र होती है?
ⲓ̅ⲑ̅ⲛⲥⲟϭ ⲁⲩⲱ ⲛⲃⲗⲗⲉ. ⲁϣ ⲅⲁⲣ ⲡⲉ ⲡⲛⲟϭ ⲡⲇⲱⲣⲟⲛ ⲡⲉ ϫⲛⲡⲉⲑⲩⲥⲓⲁⲥⲧⲏⲣⲓⲟⲛ ⲡⲉⲧⲧⲃⲃⲟ ⲙⲡⲇⲱⲣⲟⲛ.
20 २० इसलिए जो वेदी की शपथ खाता है, वह उसकी, और जो कुछ उस पर है, उसकी भी शपथ खाता है।
ⲕ̅ⲡⲉⲧⲛⲁⲱⲣⲕ ϭⲉ ⲙⲡⲉⲑⲩⲥⲓⲁⲥⲧⲏⲣⲓⲟⲛ ϥⲱⲣⲕ ⲙⲙⲟϥ ⲁⲩⲱ ⲡⲉⲧⲟⲩⲏϩ ⲉϩⲣⲁⲓ ⲉϫⲱϥ
21 २१ और जो मन्दिर की शपथ खाता है, वह उसकी और उसमें रहनेवालों की भी शपथ खाता है।
ⲕ̅ⲁ̅ⲁⲩⲱ ⲡⲉⲧⲛⲁⲱⲣⲕ ⲙⲡⲣⲡⲉ ϥⲱⲣⲕ ⲙⲙⲟϥ ⲁⲩⲱ ⲡⲉⲧⲟⲩⲏϩ ϩⲣⲁⲓ ⲛϩⲏⲧϥ.
22 २२ और जो स्वर्ग की शपथ खाता है, वह परमेश्वर के सिंहासन की और उस पर बैठनेवाले की भी शपथ खाता है।
ⲕ̅ⲃ̅ⲁⲩⲱ ⲡⲉⲧⲛⲁⲱⲣⲕ ⲛⲧⲡⲉ ϥⲱⲣⲕ ⲙⲡⲉⲑⲣⲟⲛⲟⲥ ⲙⲡⲛⲟⲩⲧⲉ ⲁⲩⲱ ⲡⲉⲧϩⲙⲟⲟⲥ ⲉϩⲣⲁⲓ ⲉϫⲱϥ.
23 २३ “हे कपटी शास्त्रियों, और फरीसियों, तुम पर हाय! तुम पोदीने और सौंफ और जीरे का दसवाँ अंश देते हो, परन्तु तुम ने व्यवस्था की गम्भीर बातों अर्थात् न्याय, और दया, और विश्वास को छोड़ दिया है; चाहिये था कि इन्हें भी करते रहते, और उन्हें भी न छोड़ते।
ⲕ̅ⲅ̅ⲟⲩⲟⲓ ⲛⲏⲧⲛ ⲛⲉⲅⲣⲁⲙⲙⲁⲧⲉⲩⲥ ⲙⲛⲛⲉⲫⲁⲣⲓⲥⲥⲁⲓⲟⲥ ⲛϩⲩⲡⲟⲕⲣⲓⲧⲏⲥ. ϫⲉ ⲧⲉⲧⲛϯ ⲙⲡⲣⲉⲙⲏⲧ ⲙⲡϩⲁϭⲓⲛ ⲛⲥⲧⲟⲓ. ⲙⲛⲡⲉⲙⲓⲥⲉ ⲙⲛⲡⲧⲁⲡⲛ. ⲛⲉⲧϩⲟⲣϣ ⲇⲉ ϩⲙⲡⲛⲟⲙⲟⲥ ⲁⲧⲉⲧⲛⲕⲁⲁⲩ ⲛⲥⲁⲧⲏⲩⲧⲛ ⲡϩⲁⲡ ⲙⲛⲡⲛⲁ ⲙⲛⲧⲡⲓⲥⲧⲓⲥ. ⲛⲁⲓ ⲇⲉ ⲛⲉϣϣⲉ ⲉⲣⲱⲧⲛ ⲡⲉ ⲉⲁⲁⲩ. ⲁⲩⲱ ⲛⲕⲟⲟⲩⲉ ⲉⲧⲙⲕⲁⲁⲩ ⲛⲥⲁⲧⲏⲩⲧⲛ.
24 २४ हे अंधे अगुओं, तुम मच्छर को तो छान डालते हो, परन्तु ऊँट को निगल जाते हो।
ⲕ̅ⲇ̅ⲛⲃⲗⲗⲉ ⲛϫⲁⲩⲙⲟⲉⲓⲧ ⲛⲉⲧⲑⲗⲟ ⲉⲃⲟⲗ ⲛⲧϣⲟⲗⲙⲉⲥ ⲉⲧⲱⲙⲕ ⲙⲡϭⲁⲙⲟⲩⲗ.
25 २५ “हे कपटी शास्त्रियों, और फरीसियों, तुम पर हाय! तुम कटोरे और थाली को ऊपर-ऊपर से तो माँजते हो परन्तु वे भीतर अंधेर असंयम से भरे हुए हैं।
ⲕ̅ⲉ̅ⲟⲩⲟⲓ ⲛⲏⲧⲛ ⲛⲉⲅⲣⲁⲙⲙⲁⲧⲉⲩⲥ ⲙⲛⲛⲉⲫⲁⲣⲓⲥⲥⲁⲓⲟⲥ ⲛϩⲩⲡⲟⲕⲣⲓⲧⲏⲥ. ϫⲉ ⲧⲉⲧⲛⲧⲃⲃⲟ ⲙⲡⲥⲁ ⲙⲃⲟⲗ ⲙⲡⲁⲡⲟⲧ ⲙⲛⲡⲡⲓⲛⲁⲝ. ⲡⲉⲩϩⲟⲩⲛ ⲇⲉ ⲙⲉϩ ⲛⲧⲱⲣⲡ ϩⲓⲁⲕⲁⲑⲁⲣⲥⲓⲁ.
26 २६ हे अंधे फरीसी, पहले कटोरे और थाली कोभीतर से माँज कि वे बाहर से भी स्वच्छ हों।
ⲕ̅ⲋ̅ⲡⲉⲫⲁⲣⲓⲥⲥⲁⲓⲟⲥ ⲡⲃⲗⲗⲉ ⲧⲃⲃⲟ ⲛϣⲟⲣⲡ ⲙⲡⲥⲁ ⲛϩⲟⲩⲛ ⲙⲡⲁⲡⲟⲧ ⲙⲛⲡⲡⲓⲛⲁⲝ. ϫⲉⲕⲁⲥ ⲉⲣⲉⲡⲉⲩⲕⲉⲥⲁ ⲙⲃⲟⲗ ϣⲱⲡⲉ ⲉϥⲧⲃⲃⲏⲩ.
27 २७ “हे कपटी शास्त्रियों, और फरीसियों, तुम पर हाय! तुमचूना फिरी हुई कब्रोंके समान हो जो ऊपर से तो सुन्दर दिखाई देती हैं, परन्तु भीतर मुर्दों की हड्डियों और सब प्रकार की मलिनता से भरी हैं।
ⲕ̅ⲍ̅ⲟⲩⲟⲓ ⲛⲏⲧⲛ ⲛⲉⲅⲣⲁⲙⲙⲁⲧⲉⲩⲥ ⲙⲛⲛⲉⲫⲁⲣⲓⲥⲥⲁⲓⲟⲥ ⲛϩⲩⲡⲟⲕⲣⲓⲧⲏⲥ. ϫⲉ ⲧⲉⲧⲛⲟ ⲛⲑⲉ ⲛⲛⲉⲓⲧⲁⲫⲟⲥ ⲉⲧϫⲏϩ. ⲛⲁⲓ ⲉⲛⲉⲥⲱⲟⲩ ⲙⲉⲛ ϩⲙⲡⲉⲩⲥⲁ ⲙⲃⲟⲗ ⲉⲣⲉⲡⲉⲩⲥⲁ ⲛϩⲟⲩⲛ ⲙⲉϩ ⲛⲕⲁⲥ ⲛⲕⲱⲱⲥ ϩⲓⲁⲕⲁⲑⲁⲣⲥⲓⲁ ⲛⲓⲙ.
28 २८ इसी रीति से तुम भी ऊपर से मनुष्यों को धर्मी दिखाई देते हो, परन्तु भीतर कपट और अधर्म से भरे हुए हो।
ⲕ̅ⲏ̅ⲧⲁⲓ ϩⲱⲧⲧⲏⲩⲧⲛ ⲧⲉ ⲧⲉⲧⲛϩⲉ. ϩⲓⲃⲟⲗ ⲙⲉⲛ ⲧⲉⲧⲛⲟⲩⲟⲛϩ ⲉⲃⲟⲗ ⲛⲛⲣⲱⲙⲉ ϩⲱⲥ ⲇⲓⲕⲁⲓⲟⲥ ⲡⲉⲧⲛⲥⲁ ⲛϩⲟⲩⲛ ⲇⲉ ⲙⲉϩ ⲛϩⲩⲡⲟⲕⲣⲓⲥⲓⲥ ϩⲓⲁⲛⲟⲙⲓⲁ.
29 २९ “हे कपटी शास्त्रियों, और फरीसियों, तुम पर हाय! तुम भविष्यद्वक्ताओं की कब्रें संवारते और धर्मियों की कब्रें बनाते हो।
ⲕ̅ⲑ̅ⲟⲩⲟⲓ ⲛⲏⲧⲛ ⲛⲉⲅⲣⲁⲙⲙⲁⲧⲉⲩⲥ ⲙⲛⲛⲉⲫⲁⲣⲓⲥⲥⲁⲓⲟⲥ ⲛϩⲩⲡⲟⲕⲣⲓⲧⲏⲥ. ϫⲉ ⲧⲉⲧⲛⲕⲱⲧ ⲛⲛⲧⲁⲫⲟⲥ ⲛⲛⲉⲡⲣⲟⲫⲏⲧⲏⲥ ⲁⲩⲱ ⲧⲉⲧⲛⲧⲥⲁⲛⲟ ⲛⲙϩⲁⲁⲩ ⲛⲛⲇⲓⲕⲁⲓⲟⲥ.
30 ३० और कहते हो, ‘यदि हम अपने पूर्वजों के दिनों में होते तो भविष्यद्वक्ताओं की हत्या में उनके सहभागी न होते।’
ⲗ̅ⲉⲧⲉⲧⲛϫⲱ ⲙⲙⲟⲥ ϫⲉ ⲉⲛⲉⲛϣⲟⲟⲡ ⲛⲛⲉϩⲟⲟⲩ ⲛⲛⲉⲓⲟⲧⲉ ⲛⲉⲛⲛⲁϣⲱⲡⲉ ⲁⲛ ⲛⲙⲙⲁⲩ ⲡⲉ ⲛⲕⲟⲓⲛⲱⲛⲟⲥ ⲉⲡⲉⲥⲛⲟϥ ⲛⲛⲉⲡⲣⲟⲫⲏⲧⲏⲥ.
31 ३१ इससे तो तुम अपने पर आप ही गवाही देते हो, कि तुम भविष्यद्वक्ताओं के हत्यारों की सन्तान हो।
ⲗ̅ⲁ̅ϩⲱⲥⲧⲉ ⲧⲉⲧⲛⲣⲙⲛⲧⲣⲉ ⲉⲣⲱⲧⲛ ϫⲉ ⲛⲧⲉⲧⲛⲛϣⲏⲣⲉ ⲛⲛⲉⲛⲧⲁⲩϩⲱⲧⲃ ⲛⲛⲉⲡⲣⲟⲫⲏⲧⲏⲥ.
32 ३२ अतः तुम अपने पूर्वजों के पाप का घड़ा भर दो।
ⲗ̅ⲃ̅ⲛⲧⲱⲧⲛ ϩⲱⲧⲧⲏⲩⲧⲛ ⲁⲧⲉⲧⲛϫⲱⲕ ⲉⲃⲟⲗ ⲙⲡϣⲓ ⲛⲛⲉⲧⲛⲉⲓⲟⲧⲉ.
33 ३३ हे साँपों, हे करैतों के बच्चों, तुम नरक के दण्ड से कैसे बचोगे? (Geenna )
ⲗ̅ⲅ̅ⲛϩⲟϥ ⲛϣⲏⲣⲉ ⲛⲛⲉϩⲃⲱ. ⲛⲁϣ ⲛϩⲉ ⲧⲉⲧⲛⲁⲣⲃⲟⲗ ⲉⲧⲉⲕⲣⲓⲥⲓⲥ ⲛⲧⲅⲉϩⲉⲛⲛⲁ. (Geenna )
34 ३४ इसलिए देखो, मैं तुम्हारे पास भविष्यद्वक्ताओं और बुद्धिमानों और शास्त्रियों को भेजता हूँ; और तुम उनमें से कुछ को मार डालोगे, और क्रूस पर चढ़ाओगे; और कुछ को अपने आराधनालयों में कोड़े मारोगे, और एक नगर से दूसरे नगर में खदेड़ते फिरोगे।
ⲗ̅ⲇ̅ⲉⲧⲃⲉⲡⲁⲓ ⲉⲓⲥϩⲏⲏⲧⲉ ⲁⲛⲟⲕ ϯⲛⲁⲧⲛⲟⲟⲩ ϣⲁⲣⲱⲧⲛ ⲛϩⲉⲛⲡⲣⲟⲫⲏⲧⲏⲥ ⲙⲛϩⲉⲛⲥⲟⲫⲟⲥ ⲙⲛϩⲉⲛⲅⲣⲁⲙⲙⲁⲧⲉⲩⲥ. ⲛⲧⲉⲧⲛⲙⲟⲩⲟⲩⲧ ⲉⲃⲟⲗ ⲛϩⲏⲧⲟⲩ ⲁⲩⲱ ⲛⲧⲉⲧⲛⲥxⲟ̅ⲩ̅ ⲁⲩⲱ ⲛⲧⲉⲧⲛⲙⲁⲥⲧⲓⲅⲟⲩ ⲉⲃⲟⲗ ⲛϩⲏⲧⲟⲩ ϩⲣⲁⲓ ϩⲛⲛⲉⲧⲛⲥⲩⲛⲁⲅⲱⲅⲏ ⲛⲧⲉⲧⲛⲡⲱⲧ ⲛⲥⲱⲟⲩ ϫⲓⲛⲉⲡⲟⲗⲓⲥ ⲉⲡⲟⲗⲓⲥ.
35 ३५ जिससे धर्मी हाबिल से लेकर बिरिक्याह के पुत्र जकर्याह तक, जिसे तुम ने मन्दिर और वेदी के बीच में मार डाला था, जितने धर्मियों का लहू पृथ्वी पर बहाया गया है, वह सब तुम्हारे सिर पर पड़ेगा।
ⲗ̅ⲉ̅ϫⲉⲕⲁⲥ ⲉϥⲉⲉⲓ ⲉϩⲣⲁⲓ ⲉϫⲛⲧⲏⲩⲧⲛ ⲛϭⲓⲥⲛⲟϥ ⲛⲓⲙ ⲛⲇⲓⲕⲁⲓⲟⲥ ⲉⲁⲩⲡⲁϩⲧϥ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲓϫⲙⲡⲕⲁϩ. ϫⲓⲛⲡⲉⲥⲛⲟϥ ⲛⲁⲃⲉⲗ ⲡⲇⲓⲕⲁⲓⲟⲥ ϣⲁⲉϩⲣⲁⲓ ⲉⲡⲉⲥⲛⲟϥ ⲛⲍⲁⲭⲁⲣⲓⲁⲥ ⲡϣⲏⲣⲉ ⲛⲃⲁⲣⲁⲭⲓⲁⲥ ⲡⲉⲛⲧⲁⲧⲉⲧⲛϩⲟⲧⲃⲉϥ ⲟⲩⲇⲉ ⲡⲣⲡⲉ ⲙⲛⲡⲉⲑⲩⲥⲓⲁⲥⲧⲏⲣⲓⲟⲛ.
36 ३६ मैं तुम से सच कहता हूँ, ये सब बातें इस पीढ़ी के लोगों पर आ पड़ेंगी।
ⲗ̅ⲋ̅ϩⲁⲙⲏⲛ ϯϫⲱ ⲙⲙⲟⲥ ⲛⲏⲧⲛ ϫⲉ ⲛⲁⲓ ⲧⲏⲣⲟⲩ ⲛⲏⲩ ⲉϩⲣⲁⲓ ⲉϫⲛⲧⲉⲓⲅⲉⲛⲉⲁ.
37 ३७ “हे यरूशलेम, हे यरूशलेम! तू जो भविष्यद्वक्ताओं को मार डालता है, और जो तेरे पास भेजे गए, उन्हें पथराव करता है, कितनी ही बार मैंने चाहा कि जैसे मुर्गी अपने बच्चों को अपने पंखों के नीचे इकट्ठा करती है, वैसे ही मैं भी तेरे बालकों को इकट्ठा कर लूँ, परन्तु तुम ने न चाहा।
ⲗ̅ⲍ̅ⲑⲓⲗⲏⲙ. ⲑⲓⲗⲏⲙ ⲧⲉⲧϩⲱⲧⲃ ⲛⲛⲉⲡⲣⲟⲫⲏⲧⲏⲥ ⲉⲧϩⲓⲱⲛⲉ ⲉⲛⲉⲛⲧⲁⲩⲧⲛⲟⲟⲩⲥⲟⲩ ϣⲁⲣⲟⲥ. ϩⲁϩ ⲛⲥⲟⲡ ⲁⲓⲟⲩⲱϣ ⲉⲥⲱⲟⲩϩ ⲉϩⲟⲩⲛ ⲛⲟⲩϣⲏⲣⲉ ⲛⲑⲉ ⲛⲟⲩϩⲁⲗⲏⲧ ⲛϣⲁϥⲥⲱⲟⲩϩ ⲉϩⲟⲩⲛ ⲛⲛⲉϥⲙⲁⲥ ϩⲁⲛⲉϥⲧⲏⲛϩ. ⲁⲩⲱ ⲙⲡⲉⲧⲛⲟⲩⲱϣ.
38 ३८ देखो, तुम्हारा घर तुम्हारे लिये उजाड़ छोड़ा जाता है।
ⲗ̅ⲏ̅ⲉⲓⲥϩⲏⲏⲧⲉ ⲡⲉⲧⲛⲏⲓ ⲕⲏ ⲛⲏⲧⲛ.
39 ३९ क्योंकि मैं तुम से कहता हूँ, कि अब से जब तक तुम न कहोगे, ‘धन्य है वह, जो प्रभु के नाम से आता है’ तब तक तुम मुझे फिर कभी न देखोगे।”
ⲗ̅ⲑ̅ϯϫⲱ ⲙⲙⲟⲥ ⲛⲏⲧⲛ ϫⲉ ⲛⲛⲉⲧⲛⲛⲁⲩ ⲉⲣⲟⲓ ϫⲓⲛⲧⲉⲛⲟⲩ ϣⲁⲛⲧⲉⲧⲛϫⲟⲟⲥ ϫⲉ ϥⲥⲙⲁⲙⲁⲁⲧ ⲛϭⲓⲡⲉⲧⲛⲏⲩ ϩⲙⲡⲣⲁⲛ ⲙⲡϫⲟⲉⲓⲥ.