< मत्ती 13 >

1 उसी दिन यीशु घर से निकलकर झील के किनारे जा बैठा।
اَپَرَنْچَ تَسْمِنْ دِنے یِیشُح سَدْمَنو گَتْوا سَرِتْپَتے رودھَسِ سَمُپَوِویشَ۔
2 और उसके पास ऐसी बड़ी भीड़ इकट्ठी हुई कि वह नाव पर चढ़ गया, और सारी भीड़ किनारे पर खड़ी रही।
تَتْرَ تَتْسَنِّدھَو بَہُجَناناں نِوَہوپَسْتھِتیح سَ تَرَنِمارُہْیَ سَمُپاوِشَتْ، تینَ مانَوا رودھَسِ سْتھِتَوَنْتَح۔
3 और उसने उनसे दृष्टान्तों में बहुत सी बातें कहीं “एक बोनेवाला बीज बोने निकला।
تَدانِیں سَ درِشْٹانْتَیسْتانْ اِتّھَں بَہُشَ اُپَدِشْٹَوانْ۔ پَشْیَتَ، کَشْچِتْ کرِشِیوَلو بِیجانِ وَپْتُں بَہِرْجَگامَ،
4 बोते समय कुछ बीज मार्ग के किनारे गिरे और पक्षियों ने आकर उन्हें चुग लिया।
تَسْیَ وَپَنَکالے کَتِپَیَبِیجیشُ مارْگَپارْشْوے پَتِتیشُ وِہَگاسْتانِ بھَکْشِتَوَنْتَح۔
5 कुछ बीज पत्थरीली भूमि पर गिरे, जहाँ उन्हें बहुत मिट्टी न मिली और नरम मिट्टी न मिलने के कारण वे जल्द उग आए।
اَپَرَں کَتِپَیَبِیجیشُ سْتوکَمرِدْیُکْتَپاشانے پَتِتیشُ مرِدَلْپَتْواتْ تَتْکْشَناتْ تانْیَنْکُرِتانِ،
6 पर सूरज निकलने पर वे जल गए, और जड़ न पकड़ने से सूख गए।
کِنْتُ رَواوُدِتے دَگْدھانِ تیشاں مُولاپْرَوِشْٹَتْواتْ شُشْکَتاں گَتانِ چَ۔
7 कुछ बीज झाड़ियों में गिरे, और झाड़ियों ने बढ़कर उन्हें दबा डाला।
اَپَرَں کَتِپَیَبِیجیشُ کَنْٹَکاناں مَدھْیے پَتِتیشُ کَنْٹَکانْییدھِتْوا تانِ جَگْرَسُح۔
8 पर कुछ अच्छी भूमि पर गिरे, और फल लाए, कोई सौ गुना, कोई साठ गुना, कोई तीस गुना।
اَپَرَنْچَ کَتِپَیَبِیجانِ اُرْوَّرایاں پَتِتانِ؛ تیشاں مَدھْیے کانِچِتْ شَتَگُنانِ کانِچِتْ شَشْٹِگُنانِ کانِچِتْ تْرِںشَگُںنانِ پھَلانِ پھَلِتَوَنْتِ۔
9 जिसके कान हों वह सुन ले।”
شْروتُں یَسْیَ شْرُتِی آساتے سَ شرِنُیاتْ۔
10 १० और चेलों ने पास आकर उससे कहा, “तू उनसे दृष्टान्तों में क्यों बातें करता है?”
اَنَنْتَرَں شِشْیَیراگَتْیَ سوپرِچّھیَتَ، بھَوَتا تیبھْیَح کُتو درِشْٹانْتَکَتھا کَتھْیَتے؟
11 ११ उसने उत्तर दिया, “तुम को स्वर्ग के राज्य के भेदों की समझ दी गई है, पर उनको नहीं।
تَتَح سَ پْرَتْیَوَدَتْ، سْوَرْگَراجْیَسْیَ نِگُوڈھاں کَتھاں ویدِتُں یُشْمَبھْیَں سامَرْتھْیَمَدایِ، کِنْتُ تیبھْیو نادایِ۔
12 १२ क्योंकि जिसके पास है, उसे दिया जाएगा; और उसके पास बहुत हो जाएगा; पर जिसके पास कुछ नहीं है, उससे जो कुछ उसके पास है, वह भी ले लिया जाएगा।
یَسْمادْ یَسْیانْتِکے وَرْدّھَتے، تَسْماییوَ دایِشْیَتے، تَسْماتْ تَسْیَ باہُلْیَں بھَوِشْیَتِ، کِنْتُ یَسْیانْتِکے نَ وَرْدّھَتے، تَسْیَ یَتْ کِنْچَناسْتے، تَدَپِ تَسْمادْ آدایِشْیَتے۔
13 १३ मैं उनसे दृष्टान्तों में इसलिए बातें करता हूँ, कि वे देखते हुए नहीं देखते; और सुनते हुए नहीं सुनते; और नहीं समझते।
تے پَشْیَنْتوپِ نَ پَشْیَنْتِ، شرِنْوَنْتوپِ نَ شرِنْوَنْتِ، بُدھْیَمانا اَپِ نَ بُدھْیَنْتے چَ، تَسْماتْ تیبھْیو درِشْٹانْتَکَتھا کَتھْیَتے۔
14 १४ और उनके विषय में यशायाह की यह भविष्यद्वाणी पूरी होती है: ‘तुम कानों से तो सुनोगे, पर समझोगे नहीं; और आँखों से तो देखोगे, पर तुम्हें न सूझेगा।
یَتھا کَرْنَیح شْروشْیَتھَ یُویَں وَے کِنْتُ یُویَں نَ بھوتْسْیَتھَ۔ نیتْرَیرْدْرَکْشْیَتھَ یُویَنْچَ پَرِجْناتُں نَ شَکْشْیَتھَ۔ تے مانُشا یَتھا نَیوَ پَرِپَشْیَنْتِ لوچَنَیح۔ کَرْنَے رْیَتھا نَ شرِنْوَنْتِ نَ بُدھْیَنْتے چَ مانَسَیح۔ وْیاوَرْتِّتیشُ چِتّیشُ کالے کُتْراپِ تَیرْجَنَیح۔ مَتَّسْتے مَنُجاح سْوَسْتھا یَتھا نَیوَ بھَوَنْتِ چَ۔ تَتھا تیشاں مَنُشْیاناں کْرِیَنْتے سْتھُولَبُدّھَیَح۔ بَدھِرِیبھُوتَکَرْناشْچَ جاتاشْچَ مُدْرِتا درِشَح۔
15 १५ क्योंकि इन लोगों के मन सुस्त हो गए है, और वे कानों से ऊँचा सुनते हैं और उन्होंने अपनी आँखें मूँद लीं हैं; कहीं ऐसा न हो कि वे आँखों से देखें, और कानों से सुनें और मन से समझें, और फिर जाएँ, और मैं उन्हें चंगा करूँ।’
یَدیتانِ وَچَنانِ یِشَیِیَبھَوِشْیَدْوادِنا پْروکْتانِ تیشُ تانِ پھَلَنْتِ۔
16 १६ “पर धन्य है तुम्हारी आँखें, कि वे देखती हैं; और तुम्हारे कान, कि वे सुनते हैं।
کِنْتُ یُشْماکَں نَیَنانِ دھَنْیانِ، یَسْماتْ تانِ وِیکْشَنْتے؛ دھَنْیاشْچَ یُشْماکَں شَبْدَگْرَہاح، یَسْماتْ تَیراکَرْنْیَتے۔
17 १७ क्योंकि मैं तुम से सच कहता हूँ, कि बहुत से भविष्यद्वक्ताओं और धर्मियों ने चाहा कि जो बातें तुम देखते हो, देखें पर न देखीं; और जो बातें तुम सुनते हो, सुनें, पर न सुनीं।
مَیا یُویَں تَتھْیَں وَچامِ یُشْمابھِ رْیَدْیَدْ وِیکْشْیَتے، تَدْ بَہَوو بھَوِشْیَدْوادِنو دھارْمِّکاشْچَ مانَوا دِدرِکْشَنْتوپِ دْرَشْٹُں نالَبھَنْتَ، پُنَشْچَ یُویَں یَدْیَتْ شرِنُتھَ، تَتْ تے شُشْرُوشَمانا اَپِ شْروتُں نالَبھَنْتَ۔
18 १८ “अब तुम बोनेवाले का दृष्टान्त सुनो
کرِشِیوَلِییَدرِشْٹانْتَسْیارْتھَں شرِنُتَ۔
19 १९ जो कोई राज्य कावचनसुनकर नहीं समझता, उसके मन में जो कुछ बोया गया था, उसे वह दुष्ट आकर छीन ले जाता है; यह वही है, जो मार्ग के किनारे बोया गया था।
مارْگَپارْشْوے بِیجانْیُپْتانِ تَسْیارْتھَ ایشَح، یَدا کَشْچِتْ راجْیَسْیَ کَتھاں نِشَمْیَ نَ بُدھْیَتے، تَدا پاپاتْماگَتْیَ تَدِییَمَنَسَ اُپْتاں کَتھاں ہَرَنْ نَیَتِ۔
20 २० और जो पत्थरीली भूमि पर बोया गया, यह वह है, जो वचन सुनकर तुरन्त आनन्द के साथ मान लेता है।
اَپَرَں پاشانَسْتھَلے بِیجانْیُپْتانِ تَسْیارْتھَ ایشَح؛ کَشْچِتْ کَتھاں شْرُتْوَیوَ ہَرْشَچِتّینَ گرِہْلاتِ،
21 २१ पर अपने में जड़ न रखने के कारण वह थोड़े ही दिन रह पाता है, और जब वचन के कारण क्लेश या उत्पीड़न होता है, तो तुरन्त ठोकर खाता है।
کِنْتُ تَسْیَ مَنَسِ مُولاپْرَوِشْٹَتْواتْ سَ کِنْچِتْکالَماتْرَں سْتھِرَسْتِشْٹھَتِ؛ پَشْچاتَ تَتْکَتھاکارَناتْ کوپِ کْلیسْتاڈَنا وا چیتْ جایَتے، تَرْہِ سَ تَتْکْشَنادْ وِگھْنَمیتِ۔
22 २२ जो झाड़ियों में बोया गया, यह वह है, जो वचन को सुनता है, पर इस संसार की चिन्ता और धन का धोखा वचन को दबाता है, और वह फल नहीं लाता। (aiōn g165)
اَپَرَں کَنْٹَکاناں مَدھْیے بِیجانْیُپْتانِ تَدَرْتھَ ایشَح؛ کینَچِتْ کَتھایاں شْرُتایاں ساںسارِکَچِنْتابھِ رْبھْرانْتِبھِشْچَ سا گْرَسْیَتے، تینَ سا ما وِپھَلا بھَوَتِ۔ (aiōn g165)
23 २३ जो अच्छी भूमि में बोया गया, यह वह है, जो वचन को सुनकर समझता है, और फल लाता है कोई सौ गुना, कोई साठ गुना, कोई तीस गुना।”
اَپَرَمْ اُرْوَّرایاں بِیجانْیُپْتانِ تَدَرْتھَ ایشَح؛ یے تاں کَتھاں شْرُتْوا وُدھْیَنْتے، تے پھَلِتاح سَنْتَح کیچِتْ شَتَگُنانِ کیچِتَ شَشْٹِگُنانِ کیچِچَّ تْرِںشَدْگُنانِ پھَلانِ جَنَیَنْتِ۔
24 २४ यीशु ने उन्हें एक और दृष्टान्त दिया, “स्वर्ग का राज्य उस मनुष्य के समान है जिसने अपने खेत में अच्छा बीज बोया।
اَنَنْتَرَں سوپَرامیکاں درِشْٹانْتَکَتھامُپَسْتھاپْیَ تیبھْیَح کَتھَیاماسَ؛ سْوَرْگِییَراجْیَں تادرِشینَ کینَچِدْ گرِہَسْتھینوپَمِییَتے، یینَ سْوِییَکْشیتْرے پْرَشَسْتَبِیجانْیَوپْیَنْتَ۔
25 २५ पर जब लोग सो रहे थे तो उसका बैरी आकर गेहूँ के बीच जंगली बीज बोकर चला गया।
کِنْتُ کْشَنَدایاں سَکَلَلوکیشُ سُپْتیشُ تَسْیَ رِپُراگَتْیَ تیشاں گودھُومَبِیجاناں مَدھْیے وَنْیَیَوَمَبِیجانْیُپْتْوا وَوْراجَ۔
26 २६ जब अंकुर निकले और बालें लगी, तो जंगली दाने के पौधे भी दिखाई दिए।
تَتو یَدا بِیجیبھْیونْکَرا جایَماناح کَنِشانِ گھرِتَوَنْتَح؛ تَدا وَنْیَیَوَسانْیَپِ درِشْیَمانانْیَبھَوَنْ۔
27 २७ इस पर गृहस्थ के दासों ने आकर उससे कहा, ‘हे स्वामी, क्या तूने अपने खेत में अच्छा बीज न बोया था? फिर जंगली दाने के पौधे उसमें कहाँ से आए?’
تَتو گرِہَسْتھَسْیَ داسییا آگَمْیَ تَسْمَے کَتھَیانْچَکْرُح، ہے مَہیچّھَ، بھَوَتا کِں کْشیتْرے بھَدْرَبِیجانِ نَوپْیَنْتَ؟ تَتھاتْوے وَنْیَیَوَسانِ کرِتَ آیَنْ؟
28 २८ उसने उनसे कहा, ‘यह किसी शत्रु का काम है।’ दासों ने उससे कहा, ‘क्या तेरी इच्छा है, कि हम जाकर उनको बटोर लें?’
تَدانِیں تینَ تے پْرَتِگَدِتاح، کینَچِتْ رِپُنا کَرْمَّدَمَکارِ۔ داسییاح کَتھَیاماسُح، وَیَں گَتْوا تانْیُتْپایَّ کْشِپامو بھَوَتَح کِیدرِشِیچّھا جایَتے؟
29 २९ उसने कहा, ‘नहीं, ऐसा न हो कि जंगली दाने के पौधे बटोरते हुए तुम उनके साथ गेहूँ भी उखाड़ लो।
تیناوادِ، نَہِ، شَنْکےہَں وَنْیَیَوَسوتْپاٹَنَکالے یُشْمابھِسْتَیح ساکَں گودھُوما اَپْیُتْپاٹِشْیَنْتے۔
30 ३० कटनी तक दोनों को एक साथ बढ़ने दो, और कटनी के समय मैं काटनेवालों से कहूँगा; पहले जंगली दाने के पौधे बटोरकर जलाने के लिये उनके गट्ठे बाँध लो, और गेहूँ को मेरे खत्ते में इकट्ठा करो।’”
اَتَح شْسْیَکَرْتَّنَکالَں یاوَدْ اُبھَیانْیَپِ سَہَ وَرْدّھَنْتاں، پَشْچاتْ کَرْتَّنَکالے کَرْتَّکانْ وَکْشْیامِ، یُویَمادَو وَنْیَیَوَسانِ سَںگرِہْیَ داہَیِتُں وِیٹِکا بَدْوّا سْتھاپَیَتَ؛ کِنْتُ سَرْوّے گودھُوما یُشْمابھِ رْبھانْڈاگارَں نِیتْوا سْتھاپْیَنْتامْ۔
31 ३१ उसने उन्हें एक और दृष्टान्त दिया, “स्वर्ग का राज्य राई के एक दाने के समान है, जिसे किसी मनुष्य ने लेकर अपने खेत में बो दिया।
اَنَنْتَرَں سوپَرامیکاں درِشْٹانْتَکَتھامُتّھاپْیَ تیبھْیَح کَتھِتَوانْ کَشْچِنْمَنُجَح سَرْشَپَبِیجَمیکَں نِیتْوا سْوَکْشیتْرَ اُواپَ۔
32 ३२ वह सब बीजों से छोटा तो है पर जब बढ़ जाता है तब सब साग-पात से बड़ा होता है; और ऐसा पेड़ हो जाता है, कि आकाश के पक्षी आकर उसकी डालियों पर बसेरा करते हैं।”
سَرْشَپَبِیجَں سَرْوَّسْمادْ بِیجاتْ کْشُدْرَمَپِ سَدَنْکُرِتَں سَرْوَّسْماتْ شاکاتْ برِہَدْ بھَوَتِ؛ سَ تادرِشَسْتَرُ رْبھَوَتِ، یَسْیَ شاکھاسُ نَبھَسَح کھَگا آگَتْیَ نِوَسَنْتِ؛ سْوَرْگِییَراجْیَں تادرِشَسْیَ سَرْشَپَیکَسْیَ سَمَمْ۔
33 ३३ उसने एक और दृष्टान्त उन्हें सुनाया, “स्वर्ग का राज्य ख़मीर के समान है जिसको किसी स्त्री ने लेकर तीन पसेरी आटे में मिला दिया और होते-होते वह सब ख़मीर हो गया।”
پُنَرَپِ سَ اُپَماکَتھامیکاں تیبھْیَح کَتھَیانْچَکارَ؛ کاچَنَ یوشِتْ یَتْ کِنْوَمادایَ دْرونَتْرَیَمِتَگودھُومَچُورْناناں مَدھْیے سَرْوّیشاں مِشْرِیبھَوَنَپَرْیَّنْتَں سَماچّھادْیَ نِدھَتَّوَتِی، تَتْکِنْوَمِوَ سْوَرْگَراجْیَں۔
34 ३४ ये सब बातें यीशु ने दृष्टान्तों में लोगों से कहीं, और बिना दृष्टान्त वह उनसे कुछ न कहता था।
اِتّھَں یِیشُ رْمَنُجَنِوَہاناں سَنِّدھاوُپَماکَتھابھِریتانْیاکھْیانانِ کَتھِتَوانْ اُپَماں وِنا تیبھْیَح کِمَپِ کَتھاں ناکَتھَیَتْ۔
35 ३५ कि जो वचन भविष्यद्वक्ता के द्वारा कहा गया था, वह पूरा हो: “मैं दृष्टान्त कहने को अपना मुँह खोलूँगा मैं उन बातों को जो जगत की उत्पत्ति से गुप्त रही हैं प्रगट करूँगा।”
ایتینَ درِشْٹانْتِییینَ واکْیینَ وْیادایَ وَدَنَں نِجَں۔ اَہَں پْرَکاشَیِشْیامِ گُپْتَواکْیَں پُرابھَوَں۔ یَدیتَدْوَچَنَں بھَوِشْیَدْوادِنا پْروکْتَماسِیتْ، تَتْ سِدّھَمَبھَوَتْ۔
36 ३६ तब वह भीड़ को छोड़कर घर में आया, और उसके चेलों ने उसके पास आकर कहा, “खेत के जंगली दाने का दृष्टान्त हमें समझा दे।”
سَرْوّانْ مَنُجانْ وِسرِجْیَ یِیشَو گرِہَں پْرَوِشْٹے تَچّھِشْیا آگَتْیَ یِیشَوے کَتھِتَوَنْتَح، کْشیتْرَسْیَ وَنْیَیَوَسِییَدرِشْٹانْتَکَتھامْ بھَوانَ اَسْمانْ سْپَشْٹِیکرِتْیَ وَدَتُ۔
37 ३७ उसने उनको उत्तर दिया, “अच्छे बीज का बोनेवाला मनुष्य का पुत्र है।
تَتَح سَ پْرَتْیُواچَ، یینَ بھَدْرَبِیجانْیُپْیَنْتے سَ مَنُجَپُتْرَح،
38 ३८ खेत संसार है, अच्छा बीज राज्य के सन्तान, और जंगली बीज दुष्ट के सन्तान हैं।
کْشیتْرَں جَگَتْ، بھَدْرَبِیجانِی راجْیَسْیَ سَنْتاناح،
39 ३९ जिस शत्रु ने उनको बोया वह शैतान है; कटनी जगत का अन्त है: और काटनेवाले स्वर्गदूत हैं। (aiōn g165)
وَنْیَیَوَسانِ پاپاتْمَنَح سَنْتاناح۔ یینَ رِپُنا تانْیُپْتانِ سَ شَیَتانَح، کَرْتَّنَسَمَیَشْچَ جَگَتَح شیشَح، کَرْتَّکاح سْوَرْگِییَدُوتاح۔ (aiōn g165)
40 ४० अतः जैसे जंगली दाने बटोरे जाते और जलाए जाते हैं वैसा ही जगत के अन्त में होगा। (aiōn g165)
یَتھا وَنْیَیَوَسانِ سَںگرِہْیَ داہْیَنْتے، تَتھا جَگَتَح شیشے بھَوِشْیَتِ؛ (aiōn g165)
41 ४१ मनुष्य का पुत्र अपने स्वर्गदूतों को भेजेगा, और वे उसके राज्य में से सब ठोकर के कारणों को और कुकर्म करनेवालों को इकट्ठा करेंगे।
اَرْتھاتْ مَنُجَسُتَح سْواںیَدُوتانْ پْریشَیِشْیَتِ، تینَ تے چَ تَسْیَ راجْیاتْ سَرْوّانْ وِگھْنَکارِنودھارْمِّکَلوکاںشْچَ سَںگرِہْیَ
42 ४२ और उन्हेंआग के कुण्डमें डालेंगे, वहाँ रोना और दाँत पीसना होगा।
یَتْرَ رودَنَں دَنْتَگھَرْشَنَنْچَ بھَوَتِ، تَتْراگْنِکُنْڈے نِکْشیپْسْیَنْتِ۔
43 ४३ उस समय धर्मी अपने पिता के राज्य में सूर्य के समान चमकेंगे। जिसके कान हों वह सुन ले।
تَدانِیں دھارْمِّکَلوکاح سْویشاں پِتُو راجْیے بھاسْکَرَاِوَ تیجَسْوِنو بھَوِشْیَنْتِ۔ شْروتُں یَسْیَ شْرُتِی آساتے، مَ شرِنُیاتْ۔
44 ४४ “स्वर्ग का राज्य खेत में छिपे हुए धन के समान है, जिसे किसी मनुष्य ने पाकर छिपा दिया, और आनन्द के मारे जाकर अपना सब कुछ बेचकर उस खेत को मोल लिया।
اَپَرَنْچَ کْشیتْرَمَدھْیے نِدھِں پَشْیَنْ یو گوپَیَتِ، تَتَح پَرَں سانَنْدو گَتْوا سْوِییَسَرْوَّسْوَں وِکْرِییَ تَّکْشیتْرَں کْرِیناتِ، سَ اِوَ سْوَرْگَراجْیَں۔
45 ४५ “फिर स्वर्ग का राज्य एक व्यापारी के समान है जो अच्छे मोतियों की खोज में था।
اَنْیَنْچَ یو وَنِکْ اُتَّماں مُکْتاں گَویشَیَنْ
46 ४६ जब उसे एक बहुमूल्य मोती मिला तो उसने जाकर अपना सब कुछ बेच डाला और उसे मोल ले लिया।
مَہارْگھاں مُکْتاں وِلوکْیَ نِجَسَرْوَّسْوَں وِکْرِییَ تاں کْرِیناتِ، سَ اِوَ سْوَرْگَراجْیَں۔
47 ४७ “फिर स्वर्ग का राज्य उस बड़े जाल के समान है, जो समुद्र में डाला गया, और हर प्रकार की मछलियों को समेट लाया।
پُنَشْچَ سَمُدْرو نِکْشِپْتَح سَرْوَّپْرَکارَمِینَسَںگْراہْیانایَاِوَ سْوَرْگَراجْیَں۔
48 ४८ और जब जाल भर गया, तो मछुए किनारे पर खींच लाए, और बैठकर अच्छी-अच्छी तो बरतनों में इकट्ठा कीं और बेकार-बेकार फेंक दीं।
تَسْمِنْ آنایے پُورْنے جَنا یَتھا رودھَسْیُتّولْیَ سَمُپَوِشْیَ پْرَشَسْتَمِینانْ سَںگْرَہْیَ بھاجَنیشُ نِدَدھَتے، کُتْسِتانْ نِکْشِپَنْتِ؛
49 ४९ जगत के अन्त में ऐसा ही होगा; स्वर्गदूत आकर दुष्टों को धर्मियों से अलग करेंगे, (aiōn g165)
تَتھَیوَ جَگَتَح شیشے بھَوِشْیَتِ، پھَلَتَح سْوَرْگِییَدُوتا آگَتْیَ پُنْیَوَجَّناناں مَدھْیاتْ پاپِنَح پرِتھَکْ کرِتْوا وَہْنِکُنْڈے نِکْشیپْسْیَنْتِ، (aiōn g165)
50 ५० और उन्हें आग के कुण्ड में डालेंगे। वहाँ रोना और दाँत पीसना होगा।
تَتْرَ رودَنَں دَنْتَے رْدَنْتَگھَرْشَنَنْچَ بھَوِشْیَتَح۔
51 ५१ “क्या तुम ये सब बातें समझ गए?” चेलों ने उत्तर दिया, “हाँ।”
یِیشُنا تے پرِشْٹا یُشْمابھِح کِمیتانْیاکھْیانانْیَبُدھْیَنْتَ؟ تَدا تے پْرَتْیَوَدَنْ، سَتْیَں پْرَبھو۔
52 ५२ फिर यीशु ने उनसे कहा, “इसलिए हर एक शास्त्री जो स्वर्ग के राज्य का चेला बना है, उस गृहस्थ के समान है जो अपने भण्डार से नई और पुरानी वस्तुएँ निकालता है।”
تَدانِیں سَ کَتھِتَوانْ، نِجَبھانْڈاگاراتْ نَوِینَپُراتَنانِ وَسْتُونِ نِرْگَمَیَتِ یو گرِہَسْتھَح سَ اِوَ سْوَرْگَراجْیَمَدھِ شِکْشِتاح سْوَرْوَ اُپَدیشْٹارَح۔
53 ५३ जब यीशु ये सब दृष्टान्त कह चुका, तो वहाँ से चला गया।
اَنَنْتَرَں یِیشُریتاح سَرْوّا درِشْٹانْتَکَتھاح سَماپْیَ تَسْماتْ سْتھاناتْ پْرَتَسْتھے۔ اَپَرَں سْوَدیشَماگَتْیَ جَنانْ بھَجَنَبھَوَنَ اُپَدِشْٹَوانْ؛
54 ५४ और अपने नगर में आकर उनके आराधनालय में उन्हें ऐसा उपदेश देने लगा; कि वे चकित होकर कहने लगे, “इसको यह ज्ञान और सामर्थ्य के काम कहाँ से मिले?
تے وِسْمَیَں گَتْوا کَتھِتَوَنْتَ ایتَسْیَیتادرِشَں جْنانَمْ آشْچَرْیَّں کَرْمَّ چَ کَسْمادْ اَجایَتَ؟
55 ५५ क्या यह बढ़ई का बेटा नहीं? और क्या इसकी माता का नाम मरियम और इसके भाइयों के नाम याकूब, यूसुफ, शमौन और यहूदा नहीं?
کِمَیَں سُوتْرَدھارَسْیَ پُتْرو نَہِ؟ ایتَسْیَ ماتُ رْنامَ چَ کِں مَرِیَمْ نَہِ؟ یاکُبْ-یُوشَپھْ-شِمونْ-یِہُوداشْچَ کِمیتَسْیَ بھْراتَرو نَہِ؟
56 ५६ और क्या इसकी सब बहनें हमारे बीच में नहीं रहती? फिर इसको यह सब कहाँ से मिला?”
ایتَسْیَ بھَگِنْیَشْچَ کِمَسْماکَں مَدھْیے نَ سَنْتِ؟ تَرْہِ کَسْمادَیَمیتانِ لَبْدھَوانْ؟ اِتّھَں سَ تیشاں وِگھْنَرُوپو بَبھُووَ؛
57 ५७ इस प्रकार उन्होंने उसके कारण ठोकर खाई, पर यीशु ने उनसे कहा, “भविष्यद्वक्ता का अपने नगर और अपने घर को छोड़ और कहीं निरादर नहीं होता।”
تَتو یِیشُنا نِگَدِتَں سْوَدیشِییَجَناناں مَدھْیَں وِنا بھَوِشْیَدْوادِی کُتْراپْیَنْیَتْرَ ناسَمّانْیو بھَوَتِی۔
58 ५८ और उसने वहाँ उनके अविश्वास के कारण बहुत सामर्थ्य के काम नहीं किए।
تیشامَوِشْواسَہیتوح سَ تَتْرَ سْتھانے بَہْواشْچَرْیَّکَرْمّانِ نَ کرِتَوانْ۔

< मत्ती 13 >