< मत्ती 13 >
1 १ उसी दिन यीशु घर से निकलकर झील के किनारे जा बैठा।
Ἐν τῇ ἡμέρᾳ ἐκείνῃ, ἐξελθὼν ὁ ˚Ἰησοῦς τῆς οἰκίας, ἐκάθητο παρὰ τὴν θάλασσαν.
2 २ और उसके पास ऐसी बड़ी भीड़ इकट्ठी हुई कि वह नाव पर चढ़ गया, और सारी भीड़ किनारे पर खड़ी रही।
Καὶ συνήχθησαν πρὸς αὐτὸν ὄχλοι πολλοί, ὥστε αὐτὸν εἰς πλοῖον ἐμβάντα καθῆσθαι, καὶ πᾶς ὁ ὄχλος ἐπὶ τὸν αἰγιαλὸν εἱστήκει.
3 ३ और उसने उनसे दृष्टान्तों में बहुत सी बातें कहीं “एक बोनेवाला बीज बोने निकला।
Καὶ ἐλάλησεν αὐτοῖς πολλὰ ἐν παραβολαῖς λέγων, “Ἰδοὺ, ἐξῆλθεν ὁ σπείρων τοῦ σπείρειν.
4 ४ बोते समय कुछ बीज मार्ग के किनारे गिरे और पक्षियों ने आकर उन्हें चुग लिया।
Καὶ ἐν τῷ σπείρειν αὐτὸν, ἃ μὲν ἔπεσεν παρὰ τὴν ὁδόν, καὶ ἦλθεν τὰ πετεινὰ καὶ κατέφαγεν αὐτά.
5 ५ कुछ बीज पत्थरीली भूमि पर गिरे, जहाँ उन्हें बहुत मिट्टी न मिली और नरम मिट्टी न मिलने के कारण वे जल्द उग आए।
Ἄλλα δὲ ἔπεσεν ἐπὶ τὰ πετρώδη, ὅπου οὐκ εἶχεν γῆν πολλήν, καὶ εὐθέως ἐξανέτειλεν διὰ τὸ μὴ ἔχειν βάθος γῆς,
6 ६ पर सूरज निकलने पर वे जल गए, और जड़ न पकड़ने से सूख गए।
ἡλίου δὲ ἀνατείλαντος, ἐκαυματίσθη καὶ διὰ τὸ μὴ ἔχειν ῥίζαν ἐξηράνθη.
7 ७ कुछ बीज झाड़ियों में गिरे, और झाड़ियों ने बढ़कर उन्हें दबा डाला।
Ἄλλα δὲ ἔπεσεν ἐπὶ τὰς ἀκάνθας, καὶ ἀνέβησαν αἱ ἄκανθαι καὶ ἀπέπνιξαν αὐτά.
8 ८ पर कुछ अच्छी भूमि पर गिरे, और फल लाए, कोई सौ गुना, कोई साठ गुना, कोई तीस गुना।
Ἄλλα δὲ ἔπεσεν ἐπὶ τὴν γῆν τὴν καλὴν, καὶ ἐδίδου καρπόν– ὃ μὲν ἑκατὸν, ὃ δὲ ἑξήκοντα, ὃ δὲ τριάκοντα.
9 ९ जिसके कान हों वह सुन ले।”
Ὁ ἔχων ὦτα, ἀκουέτω.”
10 १० और चेलों ने पास आकर उससे कहा, “तू उनसे दृष्टान्तों में क्यों बातें करता है?”
Καὶ προσελθόντες οἱ μαθηταὶ εἶπαν αὐτῷ, “Διὰ τί ἐν παραβολαῖς λαλεῖς αὐτοῖς;”
11 ११ उसने उत्तर दिया, “तुम को स्वर्ग के राज्य के भेदों की समझ दी गई है, पर उनको नहीं।
Ὁ δὲ ἀποκριθεὶς εἶπεν αὐτοῖς, “Ὅτι ὑμῖν δέδοται γνῶναι τὰ μυστήρια τῆς Βασιλείας τῶν Οὐρανῶν, ἐκείνοις δὲ οὐ δέδοται.
12 १२ क्योंकि जिसके पास है, उसे दिया जाएगा; और उसके पास बहुत हो जाएगा; पर जिसके पास कुछ नहीं है, उससे जो कुछ उसके पास है, वह भी ले लिया जाएगा।
Ὅστις γὰρ ἔχει, δοθήσεται αὐτῷ καὶ περισσευθήσεται· ὅστις δὲ οὐκ ἔχει, καὶ ὃ ἔχει ἀρθήσεται ἀπʼ αὐτοῦ.
13 १३ मैं उनसे दृष्टान्तों में इसलिए बातें करता हूँ, कि वे देखते हुए नहीं देखते; और सुनते हुए नहीं सुनते; और नहीं समझते।
Διὰ τοῦτο ἐν παραβολαῖς αὐτοῖς λαλῶ, ὅτι βλέποντες οὐ βλέπουσιν, καὶ ἀκούοντες οὐκ ἀκούουσιν, οὐδὲ συνίουσιν.
14 १४ और उनके विषय में यशायाह की यह भविष्यद्वाणी पूरी होती है: ‘तुम कानों से तो सुनोगे, पर समझोगे नहीं; और आँखों से तो देखोगे, पर तुम्हें न सूझेगा।
Καὶ ἀναπληροῦται αὐτοῖς ἡ προφητεία Ἠσαΐου ἡ λέγουσα, ‘Ἀκοῇ ἀκούσετε καὶ οὐ μὴ συνῆτε, καὶ βλέποντες βλέψετε καὶ οὐ μὴ ἴδητε.
15 १५ क्योंकि इन लोगों के मन सुस्त हो गए है, और वे कानों से ऊँचा सुनते हैं और उन्होंने अपनी आँखें मूँद लीं हैं; कहीं ऐसा न हो कि वे आँखों से देखें, और कानों से सुनें और मन से समझें, और फिर जाएँ, और मैं उन्हें चंगा करूँ।’
Ἐπαχύνθη γὰρ ἡ καρδία τοῦ λαοῦ τούτου, καὶ τοῖς ὠσὶν βαρέως ἤκουσαν, καὶ τοὺς ὀφθαλμοὺς αὐτῶν ἐκάμμυσαν· μήποτε ἴδωσιν τοῖς ὀφθαλμοῖς, καὶ τοῖς ὠσὶν ἀκούσωσιν, καὶ τῇ καρδίᾳ συνῶσιν, καὶ ἐπιστρέψωσιν καὶ ἰάσομαι αὐτούς.’
16 १६ “पर धन्य है तुम्हारी आँखें, कि वे देखती हैं; और तुम्हारे कान, कि वे सुनते हैं।
Ὑμῶν δὲ μακάριοι οἱ ὀφθαλμοὶ ὅτι βλέπουσιν, καὶ τὰ ὦτα ὑμῶν ὅτι ἀκούουσιν.
17 १७ क्योंकि मैं तुम से सच कहता हूँ, कि बहुत से भविष्यद्वक्ताओं और धर्मियों ने चाहा कि जो बातें तुम देखते हो, देखें पर न देखीं; और जो बातें तुम सुनते हो, सुनें, पर न सुनीं।
Ἀμὴν, γὰρ λέγω ὑμῖν ὅτι πολλοὶ προφῆται καὶ δίκαιοι ἐπεθύμησαν ἰδεῖν ἃ βλέπετε, καὶ οὐκ εἶδαν, καὶ ἀκοῦσαι ἃ ἀκούετε, καὶ οὐκ ἤκουσαν.
18 १८ “अब तुम बोनेवाले का दृष्टान्त सुनो
Ὑμεῖς οὖν ἀκούσατε τὴν παραβολὴν τοῦ σπείραντος.
19 १९ जो कोई राज्य कावचनसुनकर नहीं समझता, उसके मन में जो कुछ बोया गया था, उसे वह दुष्ट आकर छीन ले जाता है; यह वही है, जो मार्ग के किनारे बोया गया था।
Παντὸς ἀκούοντος τὸν λόγον τῆς βασιλείας καὶ μὴ συνιέντος, ἔρχεται ὁ πονηρὸς καὶ ἁρπάζει τὸ ἐσπαρμένον ἐν τῇ καρδίᾳ αὐτοῦ. Οὗτός ἐστιν ὁ παρὰ τὴν ὁδὸν σπαρείς.
20 २० और जो पत्थरीली भूमि पर बोया गया, यह वह है, जो वचन सुनकर तुरन्त आनन्द के साथ मान लेता है।
Ὁ δὲ ἐπὶ τὰ πετρώδη σπαρείς, οὗτός ἐστιν ὁ τὸν λόγον ἀκούων καὶ εὐθὺς μετὰ χαρᾶς λαμβάνων αὐτόν,
21 २१ पर अपने में जड़ न रखने के कारण वह थोड़े ही दिन रह पाता है, और जब वचन के कारण क्लेश या उत्पीड़न होता है, तो तुरन्त ठोकर खाता है।
οὐκ ἔχει δὲ ῥίζαν ἐν ἑαυτῷ, ἀλλὰ πρόσκαιρός ἐστιν, γενομένης δὲ θλίψεως ἢ διωγμοῦ διὰ τὸν λόγον, εὐθὺς σκανδαλίζεται.
22 २२ जो झाड़ियों में बोया गया, यह वह है, जो वचन को सुनता है, पर इस संसार की चिन्ता और धन का धोखा वचन को दबाता है, और वह फल नहीं लाता। (aiōn )
Ὁ δὲ εἰς τὰς ἀκάνθας σπαρείς, οὗτός ἐστιν ὁ τὸν λόγον ἀκούων, καὶ ἡ μέριμνα τοῦ αἰῶνος καὶ ἡ ἀπάτη τοῦ πλούτου συμπνίγει τὸν λόγον, καὶ ἄκαρπος γίνεται. (aiōn )
23 २३ जो अच्छी भूमि में बोया गया, यह वह है, जो वचन को सुनकर समझता है, और फल लाता है कोई सौ गुना, कोई साठ गुना, कोई तीस गुना।”
Ὁ δὲ ἐπὶ τὴν καλὴν γῆν σπαρείς, οὗτός ἐστιν ὁ τὸν λόγον ἀκούων καὶ συνιείς, ὃς δὴ καρποφορεῖ καὶ ποιεῖ, ὃ μὲν ἑκατὸν, ὃ δὲ ἑξήκοντα, ὃ δὲ τριάκοντα.”
24 २४ यीशु ने उन्हें एक और दृष्टान्त दिया, “स्वर्ग का राज्य उस मनुष्य के समान है जिसने अपने खेत में अच्छा बीज बोया।
Ἄλλην παραβολὴν παρέθηκεν αὐτοῖς λέγων, “Ὡμοιώθη ἡ Βασιλεία τῶν Οὐρανῶν, ἀνθρώπῳ σπείραντι καλὸν σπέρμα ἐν τῷ ἀγρῷ αὐτοῦ.
25 २५ पर जब लोग सो रहे थे तो उसका बैरी आकर गेहूँ के बीच जंगली बीज बोकर चला गया।
Ἐν δὲ τῷ καθεύδειν τοὺς ἀνθρώπους, ἦλθεν αὐτοῦ ὁ ἐχθρὸς καὶ ἐπέσπειρεν ζιζάνια ἀνὰ μέσον τοῦ σίτου καὶ ἀπῆλθεν.
26 २६ जब अंकुर निकले और बालें लगी, तो जंगली दाने के पौधे भी दिखाई दिए।
Ὅτε δὲ ἐβλάστησεν ὁ χόρτος καὶ καρπὸν ἐποίησεν, τότε ἐφάνη καὶ τὰ ζιζάνια.
27 २७ इस पर गृहस्थ के दासों ने आकर उससे कहा, ‘हे स्वामी, क्या तूने अपने खेत में अच्छा बीज न बोया था? फिर जंगली दाने के पौधे उसमें कहाँ से आए?’
Προσελθόντες δὲ οἱ δοῦλοι τοῦ οἰκοδεσπότου εἶπον αὐτῷ, ‘Κύριε, οὐχὶ καλὸν σπέρμα ἔσπειρας ἐν τῷ σῷ ἀγρῷ; Πόθεν οὖν ἔχει ζιζάνια;’
28 २८ उसने उनसे कहा, ‘यह किसी शत्रु का काम है।’ दासों ने उससे कहा, ‘क्या तेरी इच्छा है, कि हम जाकर उनको बटोर लें?’
Ὁ δὲ ἔφη αὐτοῖς, ‘Ἐχθρὸς ἄνθρωπος τοῦτο ἐποίησεν.’ Οἱ δὲ δοῦλοι λέγουσιν αὐτῷ, ‘Θέλεις οὖν ἀπελθόντες, συλλέξωμεν αὐτά;’
29 २९ उसने कहा, ‘नहीं, ऐसा न हो कि जंगली दाने के पौधे बटोरते हुए तुम उनके साथ गेहूँ भी उखाड़ लो।
Ὁ δέ φησιν, ‘Οὔ, μήποτε συλλέγοντες τὰ ζιζάνια, ἐκριζώσητε ἅμα αὐτοῖς τὸν σῖτον.
30 ३० कटनी तक दोनों को एक साथ बढ़ने दो, और कटनी के समय मैं काटनेवालों से कहूँगा; पहले जंगली दाने के पौधे बटोरकर जलाने के लिये उनके गट्ठे बाँध लो, और गेहूँ को मेरे खत्ते में इकट्ठा करो।’”
Ἄφετε συναυξάνεσθαι ἀμφότερα μέχρι τοῦ θερισμοῦ· καὶ ἐν καιρῷ τοῦ θερισμοῦ ἐρῶ τοῖς θερισταῖς, “Συλλέξατε πρῶτον τὰ ζιζάνια καὶ δήσατε αὐτὰ εἰς δέσμας πρὸς τὸ κατακαῦσαι αὐτά, τὸν δὲ σῖτον συναγάγετε εἰς τὴν ἀποθήκην μου.”’”
31 ३१ उसने उन्हें एक और दृष्टान्त दिया, “स्वर्ग का राज्य राई के एक दाने के समान है, जिसे किसी मनुष्य ने लेकर अपने खेत में बो दिया।
Ἄλλην παραβολὴν παρέθηκεν αὐτοῖς λέγων, “Ὁμοία ἐστὶν ἡ Βασιλεία τῶν Οὐρανῶν κόκκῳ σινάπεως, ὃν λαβὼν ἄνθρωπος ἔσπειρεν ἐν τῷ ἀγρῷ αὐτοῦ·
32 ३२ वह सब बीजों से छोटा तो है पर जब बढ़ जाता है तब सब साग-पात से बड़ा होता है; और ऐसा पेड़ हो जाता है, कि आकाश के पक्षी आकर उसकी डालियों पर बसेरा करते हैं।”
ὃ μικρότερον μέν ἐστιν πάντων τῶν σπερμάτων, ὅταν δὲ αὐξηθῇ μεῖζον τῶν λαχάνων ἐστὶν καὶ γίνεται δένδρον, ὥστε ἐλθεῖν ‘τὰ πετεινὰ τοῦ οὐρανοῦ καὶ κατασκηνοῦν ἐν τοῖς κλάδοις αὐτοῦ’.”
33 ३३ उसने एक और दृष्टान्त उन्हें सुनाया, “स्वर्ग का राज्य ख़मीर के समान है जिसको किसी स्त्री ने लेकर तीन पसेरी आटे में मिला दिया और होते-होते वह सब ख़मीर हो गया।”
Ἄλλην παραβολὴν ἐλάλησεν αὐτοῖς: “Ὁμοία ἐστὶν ἡ Βασιλεία τῶν Οὐρανῶν ζύμῃ, ἣν λαβοῦσα, γυνὴ ἐνέκρυψεν εἰς ἀλεύρου σάτα τρία, ἕως οὗ ἐζυμώθη ὅλον.”
34 ३४ ये सब बातें यीशु ने दृष्टान्तों में लोगों से कहीं, और बिना दृष्टान्त वह उनसे कुछ न कहता था।
Ταῦτα πάντα ἐλάλησεν ὁ ˚Ἰησοῦς ἐν παραβολαῖς τοῖς ὄχλοις, καὶ χωρὶς παραβολῆς οὐδὲν ἐλάλει αὐτοῖς·
35 ३५ कि जो वचन भविष्यद्वक्ता के द्वारा कहा गया था, वह पूरा हो: “मैं दृष्टान्त कहने को अपना मुँह खोलूँगा मैं उन बातों को जो जगत की उत्पत्ति से गुप्त रही हैं प्रगट करूँगा।”
ὅπως πληρωθῇ τὸ ῥηθὲν διὰ τοῦ προφήτου λέγοντος, “Ἀνοίξω ἐν παραβολαῖς τὸ στόμα μου, ἐρεύξομαι κεκρυμμένα ἀπὸ καταβολῆς κόσμου.”
36 ३६ तब वह भीड़ को छोड़कर घर में आया, और उसके चेलों ने उसके पास आकर कहा, “खेत के जंगली दाने का दृष्टान्त हमें समझा दे।”
Τότε ἀφεὶς τοὺς ὄχλους, ἦλθεν εἰς τὴν οἰκίαν. Καὶ προσῆλθον αὐτῷ οἱ μαθηταὶ αὐτοῦ λέγοντες, “Διασάφησον ἡμῖν τὴν παραβολὴν τῶν ζιζανίων τοῦ ἀγροῦ.”
37 ३७ उसने उनको उत्तर दिया, “अच्छे बीज का बोनेवाला मनुष्य का पुत्र है।
Ὁ δὲ ἀποκριθεὶς εἶπεν, “Ὁ σπείρων τὸ καλὸν σπέρμα ἐστὶν ὁ Υἱὸς τοῦ Ἀνθρώπου·
38 ३८ खेत संसार है, अच्छा बीज राज्य के सन्तान, और जंगली बीज दुष्ट के सन्तान हैं।
ὁ δὲ ἀγρός ἐστιν ὁ κόσμος· τὸ δὲ καλὸν σπέρμα, οὗτοί εἰσιν οἱ υἱοὶ τῆς βασιλείας· τὰ δὲ ζιζάνιά εἰσιν οἱ υἱοὶ τοῦ πονηροῦ,
39 ३९ जिस शत्रु ने उनको बोया वह शैतान है; कटनी जगत का अन्त है: और काटनेवाले स्वर्गदूत हैं। (aiōn )
ὁ δὲ ἐχθρὸς, ὁ σπείρας αὐτά, ἐστιν ὁ διάβολος· ὁ δὲ θερισμὸς συντέλεια αἰῶνός ἐστιν, οἱ δὲ θερισταὶ ἄγγελοί εἰσιν. (aiōn )
40 ४० अतः जैसे जंगली दाने बटोरे जाते और जलाए जाते हैं वैसा ही जगत के अन्त में होगा। (aiōn )
Ὥσπερ οὖν συλλέγεται τὰ ζιζάνια καὶ πυρὶ κατακαίεται, οὕτως ἔσται ἐν τῇ συντελείᾳ τοῦ αἰῶνος. (aiōn )
41 ४१ मनुष्य का पुत्र अपने स्वर्गदूतों को भेजेगा, और वे उसके राज्य में से सब ठोकर के कारणों को और कुकर्म करनेवालों को इकट्ठा करेंगे।
Ἀποστελεῖ ὁ Υἱὸς τοῦ Ἀνθρώπου τοὺς ἀγγέλους αὐτοῦ, καὶ συλλέξουσιν ἐκ τῆς βασιλείας αὐτοῦ πάντα τὰ σκάνδαλα καὶ τοὺς ποιοῦντας τὴν ἀνομίαν,
42 ४२ और उन्हेंआग के कुण्डमें डालेंगे, वहाँ रोना और दाँत पीसना होगा।
καὶ βαλοῦσιν αὐτοὺς εἰς τὴν κάμινον τοῦ πυρός· ἐκεῖ ἔσται ὁ κλαυθμὸς καὶ ὁ βρυγμὸς τῶν ὀδόντων.
43 ४३ उस समय धर्मी अपने पिता के राज्य में सूर्य के समान चमकेंगे। जिसके कान हों वह सुन ले।
Τότε ‘οἱ δίκαιοι ἐκλάμψουσιν ὡς ὁ ἥλιος’ ἐν τῇ βασιλείᾳ τοῦ Πατρὸς αὐτῶν. Ὁ ἔχων ὦτα, ἀκουέτω.
44 ४४ “स्वर्ग का राज्य खेत में छिपे हुए धन के समान है, जिसे किसी मनुष्य ने पाकर छिपा दिया, और आनन्द के मारे जाकर अपना सब कुछ बेचकर उस खेत को मोल लिया।
Ὁμοία ἐστὶν ἡ Βασιλεία τῶν Οὐρανῶν θησαυρῷ κεκρυμμένῳ ἐν τῷ ἀγρῷ, ὃν εὑρὼν ἄνθρωπος ἔκρυψεν, καὶ ἀπὸ τῆς χαρᾶς αὐτοῦ ὑπάγει καὶ πωλεῖ πάντα ὅσα ἔχει, καὶ ἀγοράζει τὸν ἀγρὸν ἐκεῖνον.
45 ४५ “फिर स्वर्ग का राज्य एक व्यापारी के समान है जो अच्छे मोतियों की खोज में था।
Πάλιν ὁμοία ἐστὶν ἡ Βασιλεία τῶν Οὐρανῶν ἀνθρώπῳ ἐμπόρῳ ζητοῦντι καλοὺς μαργαρίτας·
46 ४६ जब उसे एक बहुमूल्य मोती मिला तो उसने जाकर अपना सब कुछ बेच डाला और उसे मोल ले लिया।
εὑρὼν δὲ ἕνα πολύτιμον μαργαρίτην ἀπελθὼν, πέπρακεν πάντα ὅσα εἶχεν, καὶ ἠγόρασεν αὐτόν.
47 ४७ “फिर स्वर्ग का राज्य उस बड़े जाल के समान है, जो समुद्र में डाला गया, और हर प्रकार की मछलियों को समेट लाया।
Πάλιν ὁμοία ἐστὶν ἡ Βασιλεία τῶν Οὐρανῶν σαγήνῃ βληθείσῃ εἰς τὴν θάλασσαν καὶ ἐκ παντὸς γένους συναγαγούσῃ·
48 ४८ और जब जाल भर गया, तो मछुए किनारे पर खींच लाए, और बैठकर अच्छी-अच्छी तो बरतनों में इकट्ठा कीं और बेकार-बेकार फेंक दीं।
ἣν ὅτε ἐπληρώθη, ἀναβιβάσαντες ἐπὶ τὸν αἰγιαλὸν καὶ καθίσαντες, συνέλεξαν τὰ καλὰ εἰς ἄγγη, τὰ δὲ σαπρὰ ἔξω ἔβαλον.
49 ४९ जगत के अन्त में ऐसा ही होगा; स्वर्गदूत आकर दुष्टों को धर्मियों से अलग करेंगे, (aiōn )
Οὕτως ἔσται ἐν τῇ συντελείᾳ τοῦ αἰῶνος· ἐξελεύσονται οἱ ἄγγελοι, καὶ ἀφοριοῦσιν τοὺς πονηροὺς ἐκ μέσου τῶν δικαίων, (aiōn )
50 ५० और उन्हें आग के कुण्ड में डालेंगे। वहाँ रोना और दाँत पीसना होगा।
καὶ βαλοῦσιν αὐτοὺς εἰς τὴν κάμινον τοῦ πυρός. Ἐκεῖ ἔσται ὁ κλαυθμὸς καὶ ὁ βρυγμὸς τῶν ὀδόντων.
51 ५१ “क्या तुम ये सब बातें समझ गए?” चेलों ने उत्तर दिया, “हाँ।”
Συνήκατε ταῦτα πάντα;” Λέγουσιν αὐτῷ, “Ναί.”
52 ५२ फिर यीशु ने उनसे कहा, “इसलिए हर एक शास्त्री जो स्वर्ग के राज्य का चेला बना है, उस गृहस्थ के समान है जो अपने भण्डार से नई और पुरानी वस्तुएँ निकालता है।”
Ὁ δὲ εἶπεν αὐτοῖς, “Διὰ τοῦτο, πᾶς γραμματεὺς μαθητευθεὶς τῇ Βασιλείᾳ τῶν Οὐρανῶν ὅμοιός ἐστιν ἀνθρώπῳ, οἰκοδεσπότῃ, ὅστις ἐκβάλλει ἐκ τοῦ θησαυροῦ αὐτοῦ καινὰ καὶ παλαιά.”
53 ५३ जब यीशु ये सब दृष्टान्त कह चुका, तो वहाँ से चला गया।
Καὶ ἐγένετο ὅτε ἐτέλεσεν ὁ ˚Ἰησοῦς τὰς παραβολὰς ταύτας, μετῆρεν ἐκεῖθεν.
54 ५४ और अपने नगर में आकर उनके आराधनालय में उन्हें ऐसा उपदेश देने लगा; कि वे चकित होकर कहने लगे, “इसको यह ज्ञान और सामर्थ्य के काम कहाँ से मिले?
Καὶ ἐλθὼν εἰς τὴν πατρίδα αὐτοῦ, ἐδίδασκεν αὐτοὺς ἐν τῇ συναγωγῇ αὐτῶν, ὥστε ἐκπλήσσεσθαι αὐτοὺς καὶ λέγειν, “Πόθεν τούτῳ ἡ σοφία αὕτη καὶ αἱ δυνάμεις;
55 ५५ क्या यह बढ़ई का बेटा नहीं? और क्या इसकी माता का नाम मरियम और इसके भाइयों के नाम याकूब, यूसुफ, शमौन और यहूदा नहीं?
Οὐχ οὗτός ἐστιν ὁ τοῦ τέκτονος υἱός; Οὐχ ἡ μήτηρ αὐτοῦ λέγεται Μαριὰμ, καὶ οἱ ἀδελφοὶ αὐτοῦ, Ἰάκωβος, καὶ Ἰωσὴφ, καὶ Σίμων, καὶ Ἰούδας;
56 ५६ और क्या इसकी सब बहनें हमारे बीच में नहीं रहती? फिर इसको यह सब कहाँ से मिला?”
Καὶ αἱ ἀδελφαὶ αὐτοῦ οὐχὶ πᾶσαι πρὸς ἡμᾶς εἰσιν; Πόθεν οὖν τούτῳ ταῦτα πάντα;”
57 ५७ इस प्रकार उन्होंने उसके कारण ठोकर खाई, पर यीशु ने उनसे कहा, “भविष्यद्वक्ता का अपने नगर और अपने घर को छोड़ और कहीं निरादर नहीं होता।”
Καὶ ἐσκανδαλίζοντο ἐν αὐτῷ. Ὁ δὲ ˚Ἰησοῦς εἶπεν αὐτοῖς, “Οὐκ ἔστιν προφήτης ἄτιμος, εἰ μὴ ἐν τῇ πατρίδι καὶ ἐν τῇ οἰκίᾳ αὐτοῦ.”
58 ५८ और उसने वहाँ उनके अविश्वास के कारण बहुत सामर्थ्य के काम नहीं किए।
Καὶ οὐκ ἐποίησεν ἐκεῖ δυνάμεις πολλὰς, διὰ τὴν ἀπιστίαν αὐτῶν.