< मरकुस 3 >
1 १ और वह फिर आराधनालय में गया; और वहाँ एक मनुष्य था, जिसका हाथ सूख गया था।
Jésus entra de nouveau dans la synagogue. Il s’y trouvait un homme qui avait la main sèche.
2 २ और वे उस पर दोष लगाने के लिये उसकी घात में लगे हुए थे, कि देखें, वह सब्त के दिन में उसे चंगा करता है कि नहीं।
Ils observaient Jésus, pour voir s’il le guérirait le jour du sabbat: c’était afin de pouvoir l’accuser.
3 ३ उसने सूखे हाथवाले मनुष्य से कहा, “बीच में खड़ा हो।”
Et Jésus dit à l’homme qui avait la main sèche: Lève-toi, là au milieu.
4 ४ और उनसे कहा, “क्या सब्त के दिन भला करना उचित है या बुरा करना, प्राण को बचाना या मारना?” पर वे चुप रहे।
Puis il leur dit: Est-il permis, le jour du sabbat, de faire du bien ou de faire du mal, de sauver une personne ou de la tuer? Mais ils gardèrent le silence.
5 ५ और उसने उनके मन की कठोरता से उदास होकर, उनको क्रोध से चारों ओर देखा, और उस मनुष्य से कहा, “अपना हाथ बढ़ा।” उसने बढ़ाया, और उसका हाथ अच्छा हो गया।
Alors, promenant ses regards sur eux avec indignation, et en même temps affligé de l’endurcissement de leur cœur, il dit à l’homme: Étends ta main. Il l’étendit, et sa main fut guérie.
6 ६ तब फरीसी बाहर जाकर तुरन्त हेरोदियों के साथ उसके विरोध में सम्मति करने लगे, कि उसे किस प्रकार नाश करें।
Les pharisiens sortirent, et aussitôt ils se consultèrent avec les hérodiens sur les moyens de le faire périr.
7 ७ और यीशु अपने चेलों के साथ झील की ओर चला गया: और गलील से एक बड़ी भीड़ उसके पीछे हो ली।
Jésus se retira vers la mer avec ses disciples. Une grande multitude le suivit de la Galilée;
8 ८ और यहूदिया, और यरूशलेम और इदूमिया से, और यरदन के पार, और सोर और सीदोन के आस-पास से एक बड़ी भीड़ यह सुनकर, कि वह कैसे अचम्भे के काम करता है, उसके पास आई।
et de la Judée, et de Jérusalem, et de l’Idumée, et d’au-delà du Jourdain, et des environs de Tyr et de Sidon, une grande multitude, apprenant tout ce qu’il faisait, vint à lui.
9 ९ और उसने अपने चेलों से कहा, “भीड़ के कारण एक छोटी नाव मेरे लिये तैयार रहे ताकि वे मुझे दबा न सकें।”
Il chargea ses disciples de tenir toujours à sa disposition une petite barque, afin de ne pas être pressé par la foule.
10 १० क्योंकि उसने बहुतों को चंगा किया था; इसलिए जितने लोग रोग से ग्रसित थे, उसे छूने के लिये उस पर गिरे पड़ते थे।
Car, comme il guérissait beaucoup de gens, tous ceux qui avaient des maladies se jetaient sur lui pour le toucher.
11 ११ और अशुद्ध आत्माएँ भी, जब उसे देखती थीं, तो उसके आगे गिर पड़ती थीं, और चिल्लाकर कहती थीं कि तू परमेश्वर का पुत्र है।
Les esprits impurs, quand ils le voyaient, se prosternaient devant lui, et s’écriaient: Tu es le Fils de Dieu.
12 १२ और उसने उन्हें कड़ी चेतावनी दी कि, मुझे प्रगट न करना।
Mais il leur recommandait très sévèrement de ne pas le faire connaître.
13 १३ फिर वह पहाड़ पर चढ़ गया, और जिन्हें वह चाहता था उन्हें अपने पास बुलाया; और वे उसके पास चले आए।
Il monta ensuite sur la montagne; il appela ceux qu’il voulut, et ils vinrent auprès de lui.
14 १४ तब उसने बारह को नियुक्त किया, कि वे उसके साथ-साथ रहें, और वह उन्हें भेजे, कि प्रचार करें।
Il en établit douze, pour les avoir avec lui,
15 १५ और दुष्टात्माओं को निकालने का अधिकार रखें।
et pour les envoyer prêcher avec le pouvoir de chasser les démons.
16 १६ और वे ये हैं शमौन जिसका नाम उसने पतरस रखा।
Voici les douze qu’il établit: Simon, qu’il nomma Pierre;
17 १७ और जब्दी का पुत्र याकूब, और याकूब का भाई यूहन्ना, जिनका नाम उसने बुअनरगिस, अर्थात् गर्जन के पुत्र रखा।
Jacques, fils de Zébédée, et Jean, frère de Jacques, auxquels il donna le nom de Boanergès, qui signifie fils du tonnerre;
18 १८ और अन्द्रियास, और फिलिप्पुस, और बरतुल्मै, और मत्ती, और थोमा, और हलफईस का पुत्र याकूब; और तद्दै, और शमौन कनानी।
André; Philippe; Barthélemy; Matthieu; Thomas; Jacques, fils d’Alphée; Thaddée; Simon le Cananite;
19 १९ और यहूदा इस्करियोती, जिसने उसे पकड़वा भी दिया।
et Judas Iscariot, celui qui livra Jésus.
20 २० और वह घर में आया और ऐसी भीड़ इकट्ठी हो गई, कि वे रोटी भी न खा सके।
Ils se rendirent à la maison, et la foule s’assembla de nouveau, en sorte qu’ils ne pouvaient pas même prendre leur repas.
21 २१ जब उसके कुटुम्बियों ने यह सुना, तो उसे पकड़ने के लिये निकले; क्योंकि कहते थे, कि उसकी सुध-बुध ठिकाने पर नहीं है।
Les parents de Jésus, ayant appris ce qui se passait, vinrent pour se saisir de lui; car ils disaient: Il est hors de sens.
22 २२ और शास्त्री जो यरूशलेम से आए थे, यह कहते थे, “उसमें शैतान है,” और यह भी, “वह दुष्टात्माओं के सरदार की सहायता से दुष्टात्माओं को निकालता है।”
Et les scribes, qui étaient descendus de Jérusalem, dirent: Il est possédé de Béelzébul; c’est par le prince des démons qu’il chasse les démons.
23 २३ और वह उन्हें पास बुलाकर, उनसे दृष्टान्तों में कहने लगा, “शैतान कैसे शैतान को निकाल सकता है?
Jésus les appela, et leur dit sous forme de paraboles: Comment Satan peut-il chasser Satan?
24 २४ और यदि किसी राज्य में फूट पड़े, तो वह राज्य कैसे स्थिर रह सकता है?
Si un royaume est divisé contre lui-même, ce royaume ne peut subsister;
25 २५ और यदि किसी घर में फूट पड़े, तो वह घर क्या स्थिर रह सकेगा?
et si une maison est divisée contre elle-même, cette maison ne peut subsister.
26 २६ और यदि शैतान अपना ही विरोधी होकर अपने में फूट डाले, तो वह क्या बना रह सकता है? उसका तो अन्त ही हो जाता है।
Si donc Satan se révolte contre lui-même, il est divisé, et il ne peut subsister, mais c’en est fait de lui.
27 २७ “किन्तु कोई मनुष्य किसी बलवन्त के घर में घुसकर उसका माल लूट नहीं सकता, जब तक कि वह पहले उस बलवन्त को न बाँध ले; और तब उसके घर को लूट लेगा।
Personne ne peut entrer dans la maison d’un homme fort et piller ses biens, sans avoir auparavant lié cet homme fort; alors il pillera sa maison.
28 २८ “मैं तुम से सच कहता हूँ, कि मनुष्यों के सब पाप और निन्दा जो वे करते हैं, क्षमा की जाएगी।
Je vous le dis en vérité, tous les péchés seront pardonnés aux fils des hommes, et les blasphèmes qu’ils auront proférés;
29 २९ परन्तु जो कोई पवित्र आत्मा के विरुद्ध निन्दा करे, वह कभी भी क्षमा न किया जाएगा: वरन् वह अनन्त पाप का अपराधी ठहरता है।” (aiōn , aiōnios )
mais quiconque blasphémera contre le Saint-Esprit n’obtiendra jamais de pardon: il est coupable d’un péché éternel. (aiōn , aiōnios )
30 ३० क्योंकि वे यह कहते थे, कि उसमें अशुद्ध आत्मा है।
Jésus parla ainsi parce qu’ils disaient: Il est possédé d’un esprit impur.
31 ३१ और उसकी माता और उसके भाई आए, और बाहर खड़े होकर उसे बुलवा भेजा।
Survinrent sa mère et ses frères, qui, se tenant dehors, l’envoyèrent appeler.
32 ३२ और भीड़ उसके आस-पास बैठी थी, और उन्होंने उससे कहा, “देख, तेरी माता और तेरे भाई बाहर तुझे ढूँढ़ते हैं।”
La foule était assise autour de lui, et on lui dit: Voici, ta mère et tes frères sont dehors et te demandent.
33 ३३ यीशु ने उन्हें उत्तर दिया, “मेरी माता और मेरे भाई कौन हैं?”
Et il répondit: Qui est ma mère, et qui sont mes frères?
34 ३४ और उन पर जो उसके आस-पास बैठे थे, दृष्टि करके कहा, “देखो, मेरी माता और मेरे भाई यह हैं।
Puis, jetant les regards sur ceux qui étaient assis tout autour de lui: Voici, dit-il, ma mère et mes frères.
35 ३५ क्योंकि जोकोई परमेश्वर की इच्छा पर चले, वही मेरा भाई, और बहन और माता है।”
Car, quiconque fait la volonté de Dieu, celui-là est mon frère, ma sœur, et ma mère.