< मरकुस 3 >
1 १ और वह फिर आराधनालय में गया; और वहाँ एक मनुष्य था, जिसका हाथ सूख गया था।
ⲁ̅ⲁⲩⲱ ⲁϥⲃⲱⲕ ⲟⲛ ⲉϩⲟⲩⲛ ⲉⲧⲥⲩⲛⲁⲅⲱⲅⲏ ⲛⲉⲩⲛ̅ⲟⲩⲣⲱⲙⲉ ⲇⲉ ⲙ̅ⲙⲁⲩ ⲉⲣⲉⲧⲉϥϭⲓϫ ⲙⲟⲟⲩⲧ
2 २ और वे उस पर दोष लगाने के लिये उसकी घात में लगे हुए थे, कि देखें, वह सब्त के दिन में उसे चंगा करता है कि नहीं।
ⲃ̅ⲁⲩⲱ ⲛⲉⲩⲡⲁⲣⲁⲧⲏⲣⲓ ⲉⲣⲟϥ ϫⲉ ⲉⲛⲉϥⲛⲁⲑⲉⲣⲁⲡⲟⲩ ⲙ̅ⲙⲟϥ ϩⲛ̅ⲛ̅ⲥⲁⲃⲃⲁⲧⲟⲛ ϫⲉ ⲉⲩⲉⲕⲁⲧⲏⲅⲟⲣⲓ ⲙ̅ⲙⲟϥ
3 ३ उसने सूखे हाथवाले मनुष्य से कहा, “बीच में खड़ा हो।”
ⲅ̅ⲁⲩⲱ ⲡⲉϫⲁϥ ⲙ̅ⲡⲣⲱⲙⲉ ⲉⲣⲉⲧⲉϥϭⲓϫ ⲙⲟⲟⲩⲧ ϫⲉ ⲧⲱⲟⲩⲛⲅ̅ ⲁⲙⲟⲩ ⲉⲧⲙⲏⲧⲉ.
4 ४ और उनसे कहा, “क्या सब्त के दिन भला करना उचित है या बुरा करना, प्राण को बचाना या मारना?” पर वे चुप रहे।
ⲇ̅ⲁⲩⲱ ⲡⲉϫⲁϥ ⲛⲁⲩ ϫⲉ ⲉⲝⲉⲥⲧⲓ ϩⲛ̅ⲛ̅ⲥⲁⲃⲃⲁⲧⲟⲛ ⲉⲣⲡⲉⲧⲛⲁⲛⲟⲩϥ ϫⲛ̅ⲣ̅ⲡⲉⲑⲟⲟⲩ ⲉⲧⲁⲛϩⲉⲟⲩⲯⲩⲭⲏ ϫⲛ̅ⲉⲙⲟⲟⲩⲧⲥ̅. ⲛ̅ⲧⲟⲟⲩ ⲇⲉ ⲁⲩⲕⲁⲣⲱⲟⲩ
5 ५ और उसने उनके मन की कठोरता से उदास होकर, उनको क्रोध से चारों ओर देखा, और उस मनुष्य से कहा, “अपना हाथ बढ़ा।” उसने बढ़ाया, और उसका हाथ अच्छा हो गया।
ⲉ̅ⲁⲩⲱ ⲛ̅ⲧⲉⲣⲉϥϭⲱϣⲧ̅ ⲉϩⲟⲩⲛ ⲉϩⲣⲁⲩ ϩⲛ̅ⲟⲩⲟⲣⲅⲏ ⲉϥⲙⲟⲕϩ̅ ⲛ̅ϩⲏⲧ ⲉϫⲙ̅ⲡⲧⲱⲙ ⲛ̅ϩⲏⲧ ⲙ̅ⲡⲉⲩϩⲏⲧ ⲡⲉϫⲁϥ ⲙ̅ⲡⲣⲱⲙⲉ ϫⲉ ⲥⲟⲩⲧⲛ̅ⲧⲉⲕϭⲓϫ ⲉⲃⲟⲗ ⲁϥⲥⲟⲩⲧⲱⲛⲥ̅ ⲁⲩⲱ ⲁⲥⲗⲟ ⲛ̅ϭⲓⲧⲉϥϭⲓϫ.
6 ६ तब फरीसी बाहर जाकर तुरन्त हेरोदियों के साथ उसके विरोध में सम्मति करने लगे, कि उसे किस प्रकार नाश करें।
ⲋ̅ⲛ̅ⲧⲉⲣⲟⲩⲉ͡ⲓ ⲇⲉ ⲉⲃⲟⲗ ⲛ̅ⲧⲉⲩⲛⲟⲩ ⲛ̅ϭⲓⲛⲉⲫⲁⲣⲓⲥⲁⲓⲟⲥ ⲛⲙ̅ⲛ̅ϩⲏⲣⲱⲇⲓⲁⲛⲟⲥ ⲁⲩϫⲓϣⲟϫⲛⲉ ⲉⲣⲟϥ ϫⲉⲕⲁⲥ ⲉⲩⲉⲧⲁⲕⲟϥ
7 ७ और यीशु अपने चेलों के साथ झील की ओर चला गया: और गलील से एक बड़ी भीड़ उसके पीछे हो ली।
ⲍ̅ⲁⲩⲱ ⲓ̅ⲥ̅ ⲁϥⲁⲛⲁⲭⲱⲣⲓ ⲛⲙ̅ⲛⲉϥⲙⲁⲑⲏⲧⲏⲥ ⲉⲃⲟⲗ ⲉⲧⲉⲑⲁⲗⲁⲥⲥⲁ. ⲁⲩⲱ ⲟⲩⲛⲟϭ ⲙ̅ⲙⲏⲏϣⲉ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲛ̅ⲧⲅⲁⲗⲓⲗⲁⲓⲁ ⲁⲩⲟⲩⲁϩⲟⲩ ⲛ̅ⲥⲱϥ ⲛⲙ̅ϯⲟⲩⲇⲁⲓⲁ
8 ८ और यहूदिया, और यरूशलेम और इदूमिया से, और यरदन के पार, और सोर और सीदोन के आस-पास से एक बड़ी भीड़ यह सुनकर, कि वह कैसे अचम्भे के काम करता है, उसके पास आई।
ⲏ̅ⲛⲙ̅ⲑⲓⲉⲣⲟⲥⲟⲗⲩⲙⲁ ⲁⲩⲱ ⲕⲉⲛⲟϭ ⲙ̅ⲙⲏⲏϣⲉ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲛ̅ϯⲇⲟⲩⲙⲁⲓⲁ ⲛⲙ̅ⲡⲉⲕⲣⲟ ⲙ̅ⲡⲓⲟⲣⲇⲁⲛⲏⲥ ⲛⲙⲡ̅ⲕⲱⲧⲉ ⲛ̅ⲧⲩⲣⲟⲥ ⲛⲙ̅ⲥⲓⲇⲱⲛ ⲉⲩⲥⲱⲧⲙ̅ ⲉⲛⲉⲧϥ̅ⲉ͡ⲓⲣⲉ ⲙ̅ⲙⲟⲟⲩ ⲁⲩⲉ͡ⲓ ϣⲁⲣⲟϥ
9 ९ और उसने अपने चेलों से कहा, “भीड़ के कारण एक छोटी नाव मेरे लिये तैयार रहे ताकि वे मुझे दबा न सकें।”
ⲑ̅ⲁⲩⲱ ⲁϥϫⲟⲟⲥ ⲛ̅ⲛⲉϥⲙⲁⲑⲏⲧⲏⲥ ϫⲉ ⲉⲣⲉϩⲉⲛⲉϫⲏⲩ ⲡⲣⲟⲥⲕⲁⲣⲧⲉⲣⲓ ⲉⲣⲟϥ ⲉⲧⲃⲉⲡⲙⲏⲏϣⲉ ϫⲉ ⲛⲉⲩⲑⲗⲓⲃⲉ ⲙ̅ⲙⲟϥ
10 १० क्योंकि उसने बहुतों को चंगा किया था; इसलिए जितने लोग रोग से ग्रसित थे, उसे छूने के लिये उस पर गिरे पड़ते थे।
ⲓ̅ⲛⲁϣⲉⲛⲉⲛⲧⲁϥⲧⲁⲗϭⲟⲟⲩ ⲅⲁⲣ ϩⲱⲥⲧⲉ ⲉⲧⲣⲉⲩϯⲡⲉⲩⲟⲓ̈ ⲉⲣⲟϥ ϫⲉ ⲉⲩⲉϫⲱϩ ⲉⲣⲟϥ. ⲁⲩⲱ ⲛⲉⲧⲉⲙ̅ⲙⲁⲥⲧⲓⲅⲝ ϩⲓⲱⲟⲩ
11 ११ और अशुद्ध आत्माएँ भी, जब उसे देखती थीं, तो उसके आगे गिर पड़ती थीं, और चिल्लाकर कहती थीं कि तू परमेश्वर का पुत्र है।
ⲓ̅ⲁ̅ⲙⲛ̅ⲛⲉⲡ̅ⲛ̅ⲁ̅ ⲛ̅ⲁⲕⲁⲑⲁⲣⲧⲟⲛ ⲉⲩϣⲁⲛⲛⲁⲩ ⲉⲣⲟϥ ϣⲁⲩⲡⲁϩⲧⲟⲩ ϩⲁⲣⲁⲧϥ̅ ⲛ̅ⲥⲉϫⲓϣⲕⲁⲕ ⲉⲃⲟⲗ ⲉⲩϫⲱ ⲙ̅ⲙⲟⲥ ϫⲉ ⲛ̅ⲧⲟⲕ ⲡⲉ ⲡϣⲏⲣⲉ ⲙ̅ⲡⲛⲟⲩⲧⲉ
12 १२ और उसने उन्हें कड़ी चेतावनी दी कि, मुझे प्रगट न करना।
ⲓ̅ⲃ̅ⲁⲩⲱ ⲛⲉϥⲉⲡⲓⲧⲓⲙⲁ ⲛⲁⲩ ⲉⲙⲁⲧⲉ ϫⲉ ⲛ̅ⲛⲉⲩⲟⲩⲟⲛϩϥ̅ ⲉⲃⲟⲗ.
13 १३ फिर वह पहाड़ पर चढ़ गया, और जिन्हें वह चाहता था उन्हें अपने पास बुलाया; और वे उसके पास चले आए।
ⲓ̅ⲅ̅ⲁϥⲃⲱⲕ ⲇⲉ ⲉϩⲣⲁⲓ̈ ⲉⲡⲧⲟⲟⲩ ⲁⲩⲱ ⲁϥⲙⲟⲩⲧⲉ ⲉⲛⲉⲧϥ̅ⲟⲩⲁϣⲟⲩ
14 १४ तब उसने बारह को नियुक्त किया, कि वे उसके साथ-साथ रहें, और वह उन्हें भेजे, कि प्रचार करें।
ⲓ̅ⲇ̅ⲁϥⲛⲉϩⲙⲛⲧⲥ̅ⲛⲟⲟⲩⲥ ⲉⲃⲟⲗ ϫⲉ ⲉⲩⲉϣⲱⲡⲉ ⲛⲙ̅ⲙⲁϥ ⲁⲩⲱ ⲛϥ̅ϫⲟⲟⲩⲥⲉ ⲉⲃⲟⲗ ⲉⲧⲁϣⲉⲟⲓ̈ϣ
15 १५ और दुष्टात्माओं को निकालने का अधिकार रखें।
ⲓ̅ⲉ̅ⲛϥ̅ϯ ⲛⲁⲩ ⲛ̅ⲧⲉⲝⲟⲩⲥⲓⲁ ⲉⲛⲉϫⲇⲁⲓⲙⲟⲛⲓⲟⲛ ⲉⲃⲟⲗ
16 १६ और वे ये हैं शमौन जिसका नाम उसने पतरस रखा।
ⲓ̅ⲋ̅ⲁⲩⲱ ⲁϥⲧⲁϩⲟ ⲉⲣⲁⲧⲟⲩ ⲙ̅ⲡⲙⲛ̅ⲧⲥ̅ⲛⲟⲟⲩⲥ ⲁⲩⲱ ⲥⲓⲙⲱⲛ ⲁϥϯⲟⲩⲣⲁⲛ ⲉⲣⲟϥ ϫⲉ ⲡⲉⲧⲣⲟⲥ.
17 १७ और जब्दी का पुत्र याकूब, और याकूब का भाई यूहन्ना, जिनका नाम उसने बुअनरगिस, अर्थात् गर्जन के पुत्र रखा।
ⲓ̅ⲍ̅ⲁⲩⲱ ⲓ̈ⲁⲕⲱⲃⲟⲥ ⲡϣⲏⲣⲉ ⲛ̅ⲍⲉⲃⲉⲇⲁⲓⲟⲥ ⲛⲙ̅ⲓ̈ⲱϩⲁⲛⲏⲥ ⲡⲥⲟⲛ ⲛ̅ⲓ̈ⲁⲕⲱⲃⲟⲥ. ⲁϥϯϩⲉⲛⲣⲁⲛ ⲉⲣⲟⲟⲩ ϫⲉ ⲃⲟⲁⲛⲏⲣⲅⲉⲥ ⲉⲧⲉⲡⲁⲓ̈ ⲡⲉ ⲛ̅ϣⲏⲣⲉ ⲙ̅ⲡⲉϩⲣⲟⲩⲃⲃⲁⲉⲓ.
18 १८ और अन्द्रियास, और फिलिप्पुस, और बरतुल्मै, और मत्ती, और थोमा, और हलफईस का पुत्र याकूब; और तद्दै, और शमौन कनानी।
ⲓ̅ⲏ̅ⲁⲩⲱ ⲁⲛⲇⲣⲉⲁⲥ ⲛⲙ̅ⲫⲓⲗⲓⲡⲡⲟⲥ ⲛⲙ̅ⲃⲁⲣⲑⲟⲗⲟⲙⲁⲓⲟⲥ. ⲙⲛ̅ⲙⲁⲑⲁⲓⲟⲥ. ⲛⲙ̅ⲑⲱⲙⲁⲥ ⲁⲩⲱ ⲓ̈ⲁⲕⲱⲃⲟⲥ ⲡϣⲏⲣⲉ ⲛ̅ⲁⲗⲫⲁⲓⲟⲥ ⲙⲛ̅ⲑⲁⲇⲇⲁⲓⲟⲥ ⲁⲩⲱ ⲥⲓⲙⲱⲛ ⲡⲕⲁⲛⲁⲛⲁⲓⲟⲥ
19 १९ और यहूदा इस्करियोती, जिसने उसे पकड़वा भी दिया।
ⲓ̅ⲑ̅ⲛⲙ̅ⲓ̈ⲟⲩⲇⲁⲥ ⲡⲓⲥⲕⲁⲣⲓⲱⲧⲏⲥ ⲡⲉⲛⲧⲁϥⲡⲁⲣⲁⲇⲓⲇⲟⲩ ⲙ̅ⲙⲟϥ
20 २० और वह घर में आया और ऐसी भीड़ इकट्ठी हो गई, कि वे रोटी भी न खा सके।
ⲕ̅ⲁⲩⲱ ⲁϥⲉ͡ⲓ ⲉϩⲟⲩⲛ ⲉⲡⲏⲉ͡ⲓ ⲁⲡⲙⲏⲏϣⲉ ⲟⲛ ⲥⲱⲟⲩϩ ⲉⲣⲟϥ ϩⲱⲥⲧⲉ ⲛ̅ⲥⲉⲧⲙ̅ⲥⲣ̅ϥⲉ ⲉⲟⲩⲉⲙⲡⲉⲩⲟⲉⲓⲕ
21 २१ जब उसके कुटुम्बियों ने यह सुना, तो उसे पकड़ने के लिये निकले; क्योंकि कहते थे, कि उसकी सुध-बुध ठिकाने पर नहीं है।
ⲕ̅ⲁ̅ⲛ̅ⲧⲉⲣⲟⲩⲥⲱⲧⲙ̅ ⲇⲉ ⲛ̅ϭⲓⲛⲉϥⲣⲱⲙⲉ ⲁⲩⲉ͡ⲓ ⲉⲃⲟⲗ ⲉⲁⲙⲁϩⲧⲉ ⲙ̅ⲙⲟϥ ⲛⲉⲩϫⲱ ⲅⲁⲣ ⲙ̅ⲙⲟⲥ ϫⲉ ⲁⲡⲉϥϩⲏⲧ ⲡⲱϣⲥ.
22 २२ और शास्त्री जो यरूशलेम से आए थे, यह कहते थे, “उसमें शैतान है,” और यह भी, “वह दुष्टात्माओं के सरदार की सहायता से दुष्टात्माओं को निकालता है।”
ⲕ̅ⲃ̅ⲁⲩⲱ ⲛⲉⲅⲣⲁⲙⲙⲁⲧⲉⲩⲥ ⲛ̅ⲧⲁⲩⲉ͡ⲓ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲛ̅ⲑⲓⲉⲣⲟⲥⲟⲗⲩⲙⲁ ⲛⲉⲩϫⲱ ⲙ̅ⲙⲟⲥ ϫⲉ ⲉⲣⲉⲃⲉⲉⲗⲍⲉⲃⲟⲩⲗ ⲛⲙ̅ⲙⲁϥ ⲁⲩⲱ ϩⲙ̅ⲡⲁⲣⲭⲱⲛ ⲛ̅ⲛ̅ⲇⲁⲓⲙⲟⲛⲓⲟⲛ ⲉϥⲛⲉϫⲇⲁⲓⲙⲟⲛⲓⲟⲛ ⲉⲃⲟⲗ
23 २३ और वह उन्हें पास बुलाकर, उनसे दृष्टान्तों में कहने लगा, “शैतान कैसे शैतान को निकाल सकता है?
ⲕ̅ⲅ̅ⲁϥⲙⲟⲩⲧⲉ ⲇⲉ ⲉⲣⲟⲟⲩ ⲁϥϣⲁϫⲉ ⲛⲙ̅ⲙⲁⲩ ϩⲛ̅ϩⲉⲛⲡⲁⲣⲁⲃⲟⲗⲏ ⲉϥϫⲱ ⲙ̅ⲙⲟⲥ ϫⲉ ⲛ̅ⲁϣ ⲛ̅ϩⲉ ⲡⲥⲁⲧⲁⲛⲁⲥ ϥⲛⲁⲛⲉϫⲡⲥⲁⲧⲁⲛⲁⲥ ⲉⲃⲟⲗ
24 २४ और यदि किसी राज्य में फूट पड़े, तो वह राज्य कैसे स्थिर रह सकता है?
ⲕ̅ⲇ̅ⲁⲩⲱ ⲉⲣϣⲁⲛⲟⲩⲙⲛ̅ⲧⲉⲣⲟ ⲡⲱⲣϫ ⲉⲛⲉⲥⲉⲣⲏⲩ ⲛⲥ̅ⲛⲁϣⲁϩⲉ ⲁⲛ ⲉⲣⲁⲧⲥ̅ ⲛ̅ϭⲓⲧⲙⲛ̅ⲧⲉⲣⲟ ⲉⲧⲙ̅ⲙⲁⲩ.
25 २५ और यदि किसी घर में फूट पड़े, तो वह घर क्या स्थिर रह सकेगा?
ⲕ̅ⲉ̅ⲁⲩⲱ ⲉⲣϣⲁⲛⲟⲩⲏⲉ͡ⲓ ⲡⲱⲣϫ ⲉⲛⲉϥⲉⲣⲏⲩ ⲛ̅ⲛⲉϣⲡⲏⲉ͡ⲓ ⲉⲧⲙ̅ⲙⲁⲩ ⲁϩⲉⲣⲁⲧϥ̅.
26 २६ और यदि शैतान अपना ही विरोधी होकर अपने में फूट डाले, तो वह क्या बना रह सकता है? उसका तो अन्त ही हो जाता है।
ⲕ̅ⲋ̅ⲁⲩⲱ ⲉϣϫⲉⲡⲥⲁⲧⲁⲛⲁⲥ ⲁϥⲧⲱⲟⲩⲛ ⲛ̅ⲧⲟϥ ⲉϫⲱϥ ⲁⲩⲱ ⲁϥⲡⲱⲣϫ ⲛ̅ⲛⲉϥⲉϣⲁϩⲉⲣⲁⲧϥ̅. ⲁⲗⲗⲁ ⲁⲧⲉϥϩⲁⲏ ϣⲱⲡⲉ.
27 २७ “किन्तु कोई मनुष्य किसी बलवन्त के घर में घुसकर उसका माल लूट नहीं सकता, जब तक कि वह पहले उस बलवन्त को न बाँध ले; और तब उसके घर को लूट लेगा।
ⲕ̅ⲍ̅ⲁⲗⲗⲁ ⲙⲛ̅ⲗⲁⲁⲩ ⲛⲁϣⲃⲱⲕ ⲉϩⲟⲩⲛ ⲉⲡⲏⲉ͡ⲓ ⲙ̅ⲡϫⲱⲱⲣⲉ ⲛϥ̅ⲧⲱⲣⲡ̅ ⲛ̅ⲛⲉϥϩⲛⲁⲟⲩ ⲉϥⲧⲙ̅ⲙⲟⲩⲣ ⲛ̅ϣⲟⲣⲡ̅ ⲙ̅ⲡϫⲱⲱⲣ. ⲁⲩⲱ ⲧⲟⲧⲉ ⲛϥ̅ⲧⲱⲣⲡ̅ ⲙ̅ⲡⲉϥⲏⲉ͡ⲓ.
28 २८ “मैं तुम से सच कहता हूँ, कि मनुष्यों के सब पाप और निन्दा जो वे करते हैं, क्षमा की जाएगी।
ⲕ̅ⲏ̅ϩⲁⲙⲏⲛ ϯϫⲱ ⲙ̅ⲙⲟⲥ ⲛⲏⲧⲛ̅ ϫⲉ ⲛⲟⲃⲉ ⲛⲓⲙ ϩⲓⲟⲩⲁ ⲛⲓⲙ ⲉⲧⲟⲩⲛⲁϫⲟⲟⲩ ⲛ̅ϭⲓⲛ̅ϣⲏⲣⲉ ⲛ̅ⲣ̅ⲣⲱⲙⲉ ⲥⲉⲛⲁⲕⲁⲁⲩ ⲛⲁⲩ ⲉⲃⲟⲗ
29 २९ परन्तु जो कोई पवित्र आत्मा के विरुद्ध निन्दा करे, वह कभी भी क्षमा न किया जाएगा: वरन् वह अनन्त पाप का अपराधी ठहरता है।” (aiōn , aiōnios )
ⲕ̅ⲑ̅ⲡⲉⲧⲛⲁϫⲓⲟⲩⲁ ⲇⲉ ⲉⲡⲉⲡⲛ̅ⲁ̅ ⲉⲧⲟⲩⲁⲁⲃ ⲙ̅ⲙⲛ̅ⲧϥ̅ⲕⲱ ⲉⲃⲟⲗ ϣⲁⲉⲛⲉϩ ⲁⲗⲗⲁ ϥϭⲏⲡ ⲉⲩⲛⲟⲃⲉ ϣⲁⲉⲛⲉϩ. (aiōn , aiōnios )
30 ३० क्योंकि वे यह कहते थे, कि उसमें अशुद्ध आत्मा है।
ⲗ̅ⲉⲃⲟⲗ ϫⲉ ⲥⲉϫⲱ ⲙ̅ⲙⲟⲥ ϫⲉⲟⲩⲡⲛ̅ⲁ̅ ⲛ̅ⲁⲕⲁⲑⲁⲣⲧⲟⲛ ⲛⲙ̅ⲙⲁϥ.
31 ३१ और उसकी माता और उसके भाई आए, और बाहर खड़े होकर उसे बुलवा भेजा।
ⲗ̅ⲁ̅ⲁⲩⲱ ⲁⲩⲉⲓ ⲛ̅ϭⲓⲧⲉϥⲙⲁⲁⲩ ⲛⲙ̅ⲛⲉϥⲥⲛⲏⲩ ⲁⲩⲁϩⲉⲣⲁⲧⲟⲩ ϩⲓⲃⲟⲗ ⲁⲩⲱ ⲁⲩϫⲟⲟⲩ ⲛⲁϥ ⲉϩⲟⲩⲛ ⲉⲩⲙⲟⲩⲧⲉ ⲉⲣⲟϥ
32 ३२ और भीड़ उसके आस-पास बैठी थी, और उन्होंने उससे कहा, “देख, तेरी माता और तेरे भाई बाहर तुझे ढूँढ़ते हैं।”
ⲗ̅ⲃ̅ⲁⲩⲱ ⲛⲉϥϩⲙⲟⲟⲥ ϩⲙ̅ⲡⲉϥⲕⲱⲧⲉ ⲛ̅ϭⲓⲟⲩⲙⲏⲏϣⲉ ⲡⲉϫⲁⲩ ⲇⲉ ⲛⲁⲩ ϫⲉ ⲉⲓⲥⲧⲉⲕⲙⲁⲁⲩ ⲛⲙ̅ⲛⲉⲕⲥⲛⲏⲩ ⲥⲉⲕⲱⲧⲉ ⲛ̅ⲥⲱⲕ ϩⲓⲃⲟⲗ
33 ३३ यीशु ने उन्हें उत्तर दिया, “मेरी माता और मेरे भाई कौन हैं?”
ⲗ̅ⲅ̅ⲁϥⲟⲩⲱϣⲃ̅ ⲇⲉ ⲉϥϫⲱ ⲙ̅ⲙⲟⲥ ⲛⲁⲩ ϫⲉ ⲛⲓⲙ ⲧⲉ ⲧⲁⲙⲁⲁⲩ ⲁⲩⲱ ⲛⲓⲙ ⲛⲉ ⲛⲁⲥⲛⲏⲩ
34 ३४ और उन पर जो उसके आस-पास बैठे थे, दृष्टि करके कहा, “देखो, मेरी माता और मेरे भाई यह हैं।
ⲗ̅ⲇ̅ⲁϥϭⲱϣⲧ ⲉⲛⲉⲧⲙ̅ⲡⲉϥⲕⲱⲧⲉ ⲉⲧϩⲙⲟⲟⲥ ϩⲁϩⲧⲏϥ. ⲡⲉϫⲁϥ ϫⲉ ⲉⲓⲥⲧⲁⲙⲁⲁⲩ ⲁⲩⲱ ⲛⲁⲥⲛⲏⲩ.
35 ३५ क्योंकि जोकोई परमेश्वर की इच्छा पर चले, वही मेरा भाई, और बहन और माता है।”
ⲗ̅ⲉ̅ⲡⲉⲧⲛⲁⲉⲓⲣⲉ ⲅⲁⲣ ⲙ̅ⲡⲟⲩⲱϣ ⲙ̅ⲡⲛⲟⲩⲧⲉ. ⲡⲁⲓ̈ ⲡⲉ ⲡⲁⲥⲟⲛ ⲁⲩⲱ ⲧⲁⲥⲱⲛⲉ ⲁⲩⲱ ⲧⲁⲙⲁⲁⲩ.