< मरकुस 2 >
1 १ कई दिन के बाद यीशु फिर कफरनहूम में आया और सुना गया, कि वह घर में है।
ⲁ̅ⲛ̅ⲧⲉⲣⲉϥⲃⲱⲕ ⲇⲉ ⲉϩⲟⲩⲛ ⲉⲕⲁⲫⲁⲣⲛⲁⲟⲩⲙ ϩⲓϫⲛ̅ϩⲉⲛϩⲟⲟⲩ ⲁⲩⲥⲱⲧⲙ̅ ϫⲉ ϥϩⲛ̅ⲟⲩⲏⲉ͡ⲓ
2 २ फिर इतने लोग इकट्ठे हुए, कि द्वार के पास भी जगह नहीं मिली; और वह उन्हें वचन सुना रहा था।
ⲃ̅ⲁⲩⲱ ⲁⲩⲙⲏⲏϣⲉ ⲥⲱⲟⲩϩ ⲉⲙⲁⲩ ϩⲱⲥⲧⲉ ⲛ̅ⲧⲉⲧⲛ̅ⲙⲉϣϩⲓⲣⲙ̅ⲡⲣⲟ ϣⲟⲡⲟⲩ. ⲁⲩⲱ ⲁϥϣⲁϫⲉ ⲛⲙ̅ⲙⲁⲩ ϩⲙ̅ⲡϣⲁϫⲉ.
3 ३ और लोग एक लकवे के मारे हुए को चार मनुष्यों से उठवाकर उसके पास ले आए।
ⲅ̅ⲁⲩⲉ͡ⲓⲛⲉ ⲇⲉ ⲉⲣⲁⲧϥ̅ ⲛ̅ⲟⲩⲣⲱⲙⲉ ⲉϥⲥⲏϭ ⲉⲣⲉϥⲧⲟⲟⲩ ⲛ̅ⲣⲱⲙⲉ ϥⲓ ϩⲁⲣⲟϥ
4 ४ परन्तु जब वे भीड़ के कारण उसके निकट न पहुँच सके, तो उन्होंने उस छत को जिसके नीचे वह था, खोल दिया और जब उसे उधेड़ चुके, तो उस खाट को जिस पर लकवे का मारा हुआ पड़ा था, लटका दिया।
ⲇ̅ⲁⲩⲱ ⲙ̅ⲡⲟⲩϣⲃⲱⲕʾ ⲛⲁϥ ⲉϩⲟⲩⲛ ⲉⲧⲃⲉⲡⲙⲏⲏϣⲉ ⲁⲩϭⲉⲗⲡⲧⲟⲩⲉϩⲥⲟⲓ̈ ⲉⲃⲟⲗ ⲙ̅ⲡⲙⲁ ⲉⲧϥ̅ⲛ̅ϩⲏⲧϥ̅ ⲁⲩⲱ ⲛ̅ⲧⲉⲣⲟⲩϣⲟϫⲧ ⲁⲩⲭⲁⲗⲁ ⲙ̅ⲡⲉϭⲗⲟϭ ⲉⲡⲉⲥⲏⲧ ⲡⲉⲧⲉⲣⲉⲡⲉⲧⲥⲏϭ ⲛⲏϫ ϩⲓϫⲱϥ.
5 ५ यीशु ने, उनका विश्वास देखकर, उस लकवे के मारे हुए से कहा, “हे पुत्र, तेरे पाप क्षमा हुए।”
ⲉ̅ⲁⲩⲱ ⲓ̅ⲥ̅ ⲛ̅ⲧⲉⲣⲉϥⲛⲁⲩ ⲉⲧⲉⲩⲡⲓⲥⲧⲓⲥ ⲡⲉϫⲁϥ ⲙ̅ⲡⲉⲧⲥⲏϭ ϫⲉ ⲡⲁϣⲏⲣⲉ ⲥⲉⲛⲁⲕⲁⲛⲉⲕⲛⲟⲃⲉ ⲛⲁⲕ ⲉⲃⲟⲗ.
6 ६ तब कई एक शास्त्री जो वहाँ बैठे थे, अपने-अपने मन में विचार करने लगे,
ⲋ̅ⲛⲉⲩⲛ̅ϩⲟⲓ̈ⲛⲉ ⲇⲉ ⲛ̅ⲛⲉⲅⲣⲁⲙⲙⲁⲧⲉⲩⲥ ϩⲙⲟⲟⲥ ⲙ̅ⲡⲙⲁ ⲉⲧⲙ̅ⲙⲁⲩ ⲉⲩⲙⲟⲕⲙⲉⲕ ϩⲛ̅ⲛⲉⲩϩⲏⲧ
7 ७ “यह मनुष्य क्यों ऐसा कहता है? यह तो परमेश्वर की निन्दा करता है! परमेश्वर को छोड़ और कौन पाप क्षमा कर सकता है?”
ⲍ̅ϫⲉ ⲉⲧⲃⲉⲟⲩ ⲡⲁⲓ̈ ϥϣⲁϫⲉ ϩⲓⲛⲁⲓ̈ ⲉϥϫⲓⲟⲩⲁ ⲛⲓⲙ ⲡⲉⲧⲛⲁϣⲕⲁⲛⲟⲃⲉ ⲉⲃⲟⲗ ⲛ̅ⲥⲁⲡⲛⲟⲩⲧⲉ ⲙⲁⲟⲩⲁⲁϥ.
8 ८ यीशु ने तुरन्त अपनी आत्मा में जान लिया, कि वे अपने-अपने मन में ऐसा विचार कर रहे हैं, और उनसे कहा, “तुम अपने-अपने मन में यह विचार क्यों कर रहे हो?
ⲏ̅ⲁⲩⲱ ⲛ̅ⲧⲉⲩⲛⲟⲩ ⲛ̅ⲧⲉⲣⲉϥⲉ͡ⲓⲙⲉ ϩⲙ̅ⲡⲉϥⲡ̅ⲛ̅ⲁ̅ ϫⲉ ⲥⲉⲙⲟⲕⲙⲉⲕ ϩⲣⲁⲓ̈ ⲛ̅ϩⲏⲧⲟⲩ ⲡⲉϫⲁϥ ⲛⲁⲩ ϫⲉ ⲉⲧⲃⲉⲟⲩ ⲧⲉⲧⲛ̅ⲙⲉⲩⲉ ⲉⲛⲁⲓ̈ ϩⲛ̅ⲛⲉⲧⲛ̅ϩⲏⲧ
9 ९ सहज क्या है? क्या लकवे के मारे से यह कहना कि तेरे पाप क्षमा हुए, या यह कहना, कि उठ अपनी खाट उठाकर चल फिर?
ⲑ̅ⲁϣ ⲅⲁⲣ ⲡⲉⲧⲙⲟⲧⲛ̅ ⲉϫⲟⲟⲥ ⲙ̅ⲡⲉⲧⲥⲏϭ ϫⲉ ⲧⲱⲟⲩⲛ ⲛⲅ̅ϥⲓⲡⲉⲕϭⲗⲟϭ ⲛⲅ̅ⲙⲟⲟϣⲉ ϫⲛ̅ⲉϫⲟⲟⲥ ϫⲉ ⲥⲉⲛⲁⲕⲁⲛⲉⲕⲛⲟⲃⲉ ⲛⲁⲕ ⲉⲃⲟⲗ
10 १० परन्तु जिससे तुम जान लो कि मनुष्य के पुत्र को पृथ्वी पर पाप क्षमा करने का भी अधिकार है।” उसने उस लकवे के मारे हुए से कहा,
ⲓ̅ϫⲉⲕⲁⲥ ⲇⲉ ⲉⲧⲉⲧⲛⲉⲛⲁⲩ ϫⲉ ⲟⲩⲛⲧϥ̅ⲉⲝⲟⲩⲥⲓⲁ ⲙ̅ⲙⲁⲩ ⲛ̅ϭⲓⲡϣⲏⲣⲉ ⲙ̅ⲡⲣⲱⲙⲉ ⲉⲕⲁⲛⲟⲃⲉ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲓϫⲙ̅ⲡⲕⲁϩ ⲡⲉϫⲁϥ ⲙ̅ⲡⲉⲧⲥⲏϭ
11 ११ “मैं तुझ से कहता हूँ, उठ, अपनी खाट उठाकर अपने घर चला जा।”
ⲓ̅ⲁ̅ϫⲉ ⲧⲱⲟⲩⲛ ⲉⲓ̈ϫⲉⲣⲟⲕ ϥⲓ ⲙ̅ⲡⲉⲕϭⲗⲟϭ ⲃⲱⲕ ⲉⲡⲉⲕⲏⲉ͡ⲓ
12 १२ वह उठा, और तुरन्त खाट उठाकर सब के सामने से निकलकर चला गया; इस पर सब चकित हुए, और परमेश्वर की बड़ाई करके कहने लगे, “हमने ऐसा कभी नहीं देखा।”
ⲓ̅ⲃ̅ⲁⲩⲱ ⲁϥⲧⲱⲟⲩⲛ ⲛ̅ⲧⲉⲩⲛⲟⲩ ⲁϥⲧⲁⲗⲉⲡⲉϥϭⲗⲟϭ ⲉϫⲱϥ ⲁϥⲉⲓ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲓⲑⲏ ⲙ̅ⲙⲟⲟⲩ ⲧⲏⲣⲟⲩ ϩⲱⲥⲧⲉ ⲛ̅ⲥⲉⲣ̅ϣⲡⲏⲣⲉ ⲧⲏⲣⲟⲩ ⲛ̅ⲥⲉϯⲉⲟⲟⲩ ⲙ̅ⲡⲛⲟⲩⲧⲉ ⲉⲩϫⲱ ⲙ̅ⲙⲟⲥ ϫⲉ ⲙ̅ⲡⲛ̅ⲛⲁⲩ ⲉⲟⲩⲟⲛ ⲉⲛⲉϩ ϩⲓⲛⲁⲓ̈.
13 १३ वह फिर निकलकर झील के किनारे गया, और सारी भीड़ उसके पास आई, और वह उन्हें उपदेश देने लगा।
ⲓ̅ⲅ̅ⲁϥⲉ͡ⲓ ⲟⲛ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲁⲧⲛ̅ⲑⲁⲗⲁⲥⲥⲁ ⲁⲩⲱ ⲡⲙⲏⲏϣⲉ ⲧⲏⲣϥ̅ ⲁⲩⲥⲱⲟⲩϩ ⲉⲣⲟϥ ⲁϥϯⲥⲃⲱ ⲛⲁⲩ
14 १४ जाते हुए यीशु ने हलफईस के पुत्र लेवी को चुंगी की चौकी पर बैठे देखा, और उससे कहा, “मेरे पीछे हो ले।” और वह उठकर, उसके पीछे हो लिया।
ⲓ̅ⲇ̅ⲁⲩⲱ ⲉϥⲡⲁⲣⲁⲅⲉ ⲁϥⲛⲁⲩ ⲉⲗⲉⲟⲩⲉⲓ ⲡϣⲏⲣⲉ ⲛ̅ⲁⲗⲫⲁⲓⲟⲥ ⲉϥϩⲙⲟⲟⲥ ϩⲓⲡⲉϥⲧⲉⲗⲱⲛⲓⲟⲛ ⲡⲉϫⲁϥ ⲛⲁϥ ϫⲉ ⲟⲩⲁϩⲕ̅ ⲛ̅ⲥⲱⲉ͡ⲓ ⲁⲩⲱ ⲁϥⲧⲱⲟⲩⲛ ⲁϥⲟⲩⲁϩϥ̅ ⲛ̅ⲥⲱϥ.
15 १५ और वह उसके घर में भोजन करने बैठा; और बहुत से चुंगी लेनेवाले और पापी भी उसके और चेलों के साथ भोजन करने बैठे, क्योंकि वे बहुत से थे, और उसके पीछे हो लिये थे।
ⲓ̅ⲉ̅ⲁⲥϣⲱⲡⲉ ⲇⲉ ⲉϥⲛⲏϫ ϩⲙ̅ⲡⲉϥⲏⲉⲓ ⲁϩⲁϩ ⲛ̅ⲧⲉⲗⲱⲛⲏⲥ ϩⲓⲣⲉϥⲣ̅ⲛⲟⲃⲉ ⲛⲟϫⲟⲩ ⲛⲙ̅ⲓ̅ⲥ̅ ⲛⲙ̅ⲛⲉϥⲙⲁⲑⲏⲧⲏⲥ ⲛⲉⲩⲟϣ ⲅⲁⲣ. ⲁⲩⲱ ⲁⲩⲁϩⲟⲩ ⲛ̅ⲥⲱϥ
16 १६ और शास्त्रियों और फरीसियों ने यह देखकर, कि वह तो पापियों और चुंगी लेनेवालों के साथ भोजन कर रहा है, उसके चेलों से कहा, “वह तो चुंगी लेनेवालों और पापियों के साथ खाता पीता है!”
ⲓ̅ⲋ̅ⲛⲉⲅⲣⲁⲙⲙⲁⲧⲉⲩⲥ ⲛⲙ̅ⲛⲉⲫⲁⲣⲓⲥⲁⲓⲟⲥ ⲛ̅ⲧⲉⲣⲟⲩⲛⲁⲩ ϫⲉ ϥⲟⲩⲱⲙ ⲛⲙ̅ⲛ̅ⲣⲉϥⲣ̅ⲛⲟⲃⲉ ⲁⲩⲱ ⲛ̅ⲧⲉⲗⲱⲛⲏⲥ ⲡⲉϫⲁⲩ ⲛ̅ⲛⲉϥⲙⲁⲑⲏⲧⲏⲥ ϫⲉ ⲉⲧⲃⲉⲟⲩ ϥⲟⲩⲱⲙ ⲁⲩⲱ ϥⲥⲱ ⲛⲙ̅ⲛ̅ⲣⲉϥⲣ̅ⲛⲟⲃⲉ ⲁⲩⲱ ⲛ̅ⲧⲉⲗⲱⲛⲏⲥ
17 १७ यीशु ने यह सुनकर, उनसे कहा, “भले चंगों को वैद्य की आवश्यकता नहीं, परन्तु बीमारों को है: मैं धर्मियों को नहीं, परन्तु पापियों को बुलाने आया हूँ।”
ⲓ̅ⲍ̅ⲁⲩⲱ ⲓ̅ⲥ̅ ⲛ̅ⲧⲉⲣⲉϥⲥⲱⲧⲙ̅ ⲡⲉϫⲁϥ ⲛⲁⲩ ϫⲉ ⲛ̅ⲥⲉⲣ̅ⲭⲣⲓⲁ ⲁⲛ ⲛ̅ϭⲓⲛⲉⲧⲧⲏⲕ ⲙ̅ⲡⲥⲁⲓ̈ⲛ ⲁⲗⲗⲁ ⲛⲉⲧϣⲟⲟⲡ ⲕⲁⲕⲱⲥ ⲛ̅ⲧⲁⲉ͡ⲓ ⲁⲛ ⲉⲧⲉϩⲙ̅ⲛⲇⲓⲕⲁⲓⲟⲥ ⲁⲗⲗⲁ ⲣ̅ⲣⲉϥⲣ̅ⲛⲟⲃⲉ.
18 १८ यूहन्ना के चेले, और फरीसी उपवास करते थे; अतः उन्होंने आकर उससे यह कहा; “यूहन्ना के चेले और फरीसियों के चेले क्यों उपवास रखते हैं, परन्तु तेरे चेले उपवास नहीं रखते?”
ⲓ̅ⲏ̅ⲁⲩⲱ ⲙ̅ⲙⲁⲑⲏⲧⲏⲥ ⲛ̅ⲓ̈ⲱϩⲁⲛⲛⲏⲥ ⲛⲙ̅ⲛⲁⲛⲉⲫⲁⲣⲓⲥⲁⲓⲟⲥ ⲛⲉⲩⲛⲏⲥⲧⲉⲩⲉ. ⲁⲩⲉⲓ ⲇⲉ ⲛⲁϥ ⲉⲩϫⲱ ⲙ̅ⲙⲟⲥ ϫⲉ ⲉⲧⲃⲉⲟⲩ ⲙ̅ⲙⲁⲑⲏⲧⲏⲥ ⲛ̅ⲓ̈ⲱϩⲁⲛⲛⲏⲥ ⲁⲩⲱ ⲙ̅ⲙⲁⲑⲏⲧⲏⲥ ⲛ̅ⲛⲉⲫⲁⲣⲓⲥⲁⲓⲟⲥ ⲥⲉⲛⲏⲥⲧⲉⲩⲉ ⲛⲉⲕⲙⲁⲑⲏⲧⲏⲥ ⲇⲉ ⲛ̅ⲥⲉⲛⲏⲥⲧⲉⲩⲉ ⲁⲛ
19 १९ यीशु ने उनसे कहा, “जब तक दूल्हा बारातियों के साथ रहता है क्या वे उपवास कर सकते हैं? अतः जब तक दूल्हा उनके साथ है, तब तक वे उपवास नहीं कर सकते।
ⲓ̅ⲑ̅ⲡⲉϫⲉⲓ̅ⲥ̅ ⲛⲁⲩ ϫⲉ ⲙⲏ ⲟⲩⲛϭⲟⲙ ⲉⲧⲣⲉⲩⲛⲏⲥⲧⲉⲩⲉ ⲛ̅ϭⲓⲛ̅ϣⲏⲣⲉ ⲙ̅ⲡⲙⲁ ⲛ̅ϣⲉⲗⲉⲉⲧ ϩⲟⲥⲟⲛ ⲉⲣⲉⲡⲁⲧϣⲉⲗⲉⲉⲧ ⲛⲙ̅ⲙⲁⲩ. ϩⲟⲥⲟⲛ ⲡⲁⲧϣⲉⲗⲉⲉⲧ ⲛⲙ̅ⲙⲁⲩ ⲛ̅ⲥⲉⲛⲁϣⲛⲏⲥⲧⲉⲩⲉ ⲁⲛ.
20 २० परन्तु वे दिन आएँगे, कि दूल्हा उनसे अलग किया जाएगा; उस समय वे उपवास करेंगे।
ⲕ̅ⲟⲩⲛϩⲉⲛϩⲟⲟⲩ ⲇⲉ ⲛⲏⲩ ϩⲟⲧⲁⲛ ⲉⲩϣⲁⲛϥⲓ ⲛ̅ⲧⲟⲟⲧⲟⲩ ⲙ̅ⲡⲁⲧϣⲉⲗⲉⲉⲧ ⲧⲟⲧⲉ ⲥⲉⲛⲁⲛⲏⲥⲧⲉⲩⲉ ϩⲛ̅ⲛⲉϩⲟⲟⲩ ⲉⲧⲙ̅ⲙⲁⲩ
21 २१ “नये कपड़े का पैबन्द पुराने वस्त्र पर कोई नहीं लगाता; नहीं तो वह पैबन्द उसमें से कुछ खींच लेगा, अर्थात् नया, पुराने से, और अधिक फट जाएगा।
ⲕ̅ⲁ̅ⲙⲉⲣⲉⲗⲁⲁⲩ ⲛⲉϫⲧⲟⲉⲓⲥ ⲛ̅ϣⲁⲉ͡ⲓ ⲉⲣⲛ̅ϣⲧⲏⲛ ⲙ̅ⲡⲗϭⲉ ⲉϣⲱⲡⲉ ⲙ̅ⲙⲟⲛ ⲧⲧⲟⲉⲓⲥ ⲛ̅ϣⲁⲓ̈ ⲛⲁϥⲓⲡⲕⲱⲧⲉ ⲙ̅ⲙⲁⲩ ⲛ̅ⲧⲉϣⲧⲏⲛ ⲙ̅ⲡⲗ̅ϭⲉ ⲛⲥⲡⲱϩ ⲛ̅ϩⲟⲩⲟ.
22 २२ नये दाखरस को पुरानी मशकों में कोई नहीं रखता, नहीं तो दाखरस मशकों को फाड़ देगा, और दाखरस और मशकें दोनों नष्ट हो जाएँगी; परन्तु दाख का नया रस नई मशकों में भरा जाता है।”
ⲕ̅ⲃ̅ⲁⲩⲱ ⲙⲉⲣⲉⲗⲁⲁⲩ ⲛⲉϫⲏⲣⲡ̅ ⲃ̅ⲃⲣ̅ⲣⲉ ⲉϩⲱⲧ ⲛ̅ⲁⲥ ⲉϣⲱⲡⲉ ⲙ̅ⲙⲟⲛ ⲡⲏⲣⲡ ⲛⲁⲡⲉϩⲛ̅ϩⲱⲧ ⲛ̅ⲧⲉⲡⲏⲣⲡ̅ ⲡⲱⲛ ⲉⲃⲟⲗ ⲛ̅ⲧⲉⲛ̅ϩⲱⲧ ⲧⲁⲕⲟ. ⲁⲗⲗⲁ ⲉϣⲁⲩⲛⲉϫⲏⲣⲡ̅ ⲃ̅ⲃⲣ̅ⲣⲉ ⲉϩⲱⲧ ⲃ̅ⲃⲣ̅ⲣⲉ.
23 २३ और ऐसा हुआ कि वह सब्त के दिन खेतों में से होकर जा रहा था; और उसके चेले चलते हुए बालें तोड़ने लगे।
ⲕ̅ⲅ̅ⲁⲩⲱ ⲁⲥϣⲱⲡⲉ ϩⲛ̅ⲛ̅ⲥⲁⲃⲃⲁⲧⲟⲛ ⲉⲧⲣⲉϥⲙⲟⲟϣⲉ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲛ̅ⲛ̅ⲓ̈ⲱϩⲉ ⲉⲧⲣⲏⲧ ⲁⲩⲱ ⲛⲉϥⲙⲁⲑⲏⲧⲏⲥ ⲉⲩⲙⲟⲟϣⲉ ⲁⲩⲁⲣⲭⲓⲧⲗ̅ⲕϩⲙ̅ⲥ.
24 २४ तब फरीसियों ने उससे कहा, “देख, ये सब्त के दिन वह काम क्यों करते हैं जो उचित नहीं?”
ⲕ̅ⲇ̅ⲛⲉⲑⲁⲣⲓⲥⲁⲓⲟⲥ ⲇⲉ ⲡⲉϫⲁⲩ ⲛⲁϥ ϫⲉ ⲁⲛⲁⲩ ϫⲉ ⲉⲩⲣⲟⲩ ϩⲛ̅ⲛ̅ⲥⲁⲃⲃⲁⲧⲟⲛ ⲉⲟⲩⲕ ⲉⲝⲉⲥⲧⲓ ⲉⲁⲁϥ.
25 २५ उसने उनसे कहा, “क्या तुम ने कभी नहीं पढ़ा, कि जब दाऊद को आवश्यकता हुई और जब वह और उसके साथी भूखे हुए, तब उसने क्या किया था?
ⲕ̅ⲉ̅ⲡⲉϫⲁϥ ⲛⲁⲩ ϫⲉ ⲙ̅ⲡⲉⲧⲛ̅ⲟϣϥ̅ ⲗⲁⲁⲩ ϫⲉ ⲛ̅ⲧⲁⲇⲁⲩⲉⲓⲇ ⲣⲟⲩ ⲛ̅ⲧⲉⲣⲉϥϩⲕⲟ ⲛ̅ⲧⲟϥ ⲛⲙ̅ⲛⲉⲧⲛⲙ̅ⲙⲁϥ
26 २६ उसने क्यों अबियातार महायाजक के समय, परमेश्वर के भवन में जाकर, भेंट की रोटियाँ खाईं, जिसका खाना याजकों को छोड़ और किसी को भी उचित नहीं, और अपने साथियों को भी दीं?”
ⲕ̅ⲋ̅ϫⲉ ⲛ̅ⲁϣ ⲛ̅ϩⲉ ⲁϥⲃⲱⲕ ⲉϩⲟⲩⲛ ⲉⲡⲏⲓ̈ ⲙ̅ⲡⲛⲟⲩⲧⲉ ϩⲓⲁⲃⲓⲁⲑⲁⲣ ⲡⲁⲣⲭⲓⲉⲣⲉⲩⲥ ⲁⲩⲱ ⲛ̅ⲟⲓ̈ⲕ ⲛ̅ⲧⲉⲡⲣⲟⲑⲉⲥⲓⲥ ⲁϥⲟⲩⲟⲙⲟⲩ ⲉⲟⲩⲕ ⲉⲝⲉⲥⲧⲓ ⲛⲁϥ ⲉⲟⲩⲟⲙⲟⲩ ⲛ̅ⲥⲁⲛ̅ⲟⲩⲏⲏⲃ ⲁⲩⲱ ⲁϥϯ ⲛ̅ⲛ̅ⲕⲟⲟⲩⲉ ⲉⲧⲛⲙ̅ⲙⲁϥ.
27 २७ और उसने उनसे कहा, “सब्त का दिन मनुष्य के लिये बनाया गया है, न कि मनुष्यसब्त के दिन के लिये।
ⲕ̅ⲍ̅ⲡⲉϫⲁϥ ⲟⲛ ⲛⲁⲩ ϫⲉ ⲡⲥⲁⲃⲃⲁⲧⲟⲛ ⲛ̅ⲧⲁϥϣⲱⲡⲉ ⲉⲧⲃⲉⲡⲣⲱⲙⲉ. ⲁⲩⲱ ⲛ̅ⲧⲁⲡⲣⲱⲙⲉ ϣⲱⲡⲉ ⲁⲛ ⲉⲧⲃⲉⲡⲥⲁⲃⲃⲁⲧⲟⲛ.
28 २८ इसलिए मनुष्य का पुत्र सब्त के दिन का भी स्वामी है।”
ⲕ̅ⲏ̅ϩⲱⲥⲧⲉ ⲡϣⲏⲣⲉ ⲙ̅ⲡⲣⲱⲙⲉ ⲡϫⲟⲉⲓⲥ ⲡⲉ ⲙ̅ⲡⲕⲉⲥⲁⲃⲃⲁⲧⲟⲛ.