< मरकुस 14 >

1 दो दिन के बाद फसह और अख़मीरी रोटी का पर्व होनेवाला था। और प्रधान याजक और शास्त्री इस बात की खोज में थे कि उसे कैसे छल से पकड़कर मार डालें।
تَدا نِسْتاروتْسَوَکِنْوَہِینَپُوپوتْسَوَیورارَمْبھَسْیَ دِنَدْوَیے وَشِشْٹے پْرَدھانَیاجَکا اَدھْیاپَکاشْچَ کیناپِ چھَلینَ یِیشُں دھَرْتّاں ہَنْتُنْچَ مرِگَیانْچَکْرِرے؛
2 परन्तु कहते थे, “पर्व के दिन नहीं, कहीं ऐसा न हो कि लोगों में दंगा मचे।”
کِنْتُ لوکاناں کَلَہَبھَیادُوچِرے، نَچوتْسَوَکالَ اُچِتَمیتَدِتِ۔
3 जब वह बैतनिय्याह में शमौन कोढ़ी के घर भोजन करने बैठा हुआ था तब एक स्त्री संगमरमर के पात्र में जटामासी का बहुमूल्य शुद्ध इत्र लेकर आई; और पात्र तोड़कर इत्र को उसके सिर पर उण्डेला।
اَنَنْتَرَں بَیتھَنِیاپُرے شِمونَکُشْٹھِنو گرِہے یوشَو بھوتْکُمُپَوِشْٹے سَتِ کاچِدْ یوشِتْ پانْڈَرَپاشانَسْیَ سَمْپُٹَکینَ مَہارْگھْیوتَّمَتَیلَمْ آنِییَ سَمْپُٹَکَں بھَںکْتْوا تَسْیوتَّمانْگے تَیلَدھاراں پاتَیانْچَکْرے۔
4 परन्तु कुछ लोग अपने मन में झुँझलाकर कहने लगे, “इस इत्र का क्यों सत्यानाश किया गया?
تَسْماتْ کیچِتْ سْوانْتے کُپْیَنْتَح کَتھِتَوَںنْتَح کُتویَں تَیلاپَوْیَیَح؟
5 क्योंकि यह इत्र तो तीन सौ दीनार से अधिक मूल्य में बेचकर गरीबों को बाँटा जा सकता था।” और वे उसको झिड़कने लगे।
یَدْییتَتْ تَیلَ وْیَکْریشْیَتَ تَرْہِ مُدْراپادَشَتَتْرَیادَپْیَدھِکَں تَسْیَ پْراپْتَمُولْیَں دَرِدْرَلوکیبھْیو داتُمَشَکْشْیَتَ، کَتھامیتاں کَتھَیِتْوا تَیا یوشِتا ساکَں واچایُہْیَنْ۔
6 यीशु ने कहा, “उसे छोड़ दो; उसे क्यों सताते हो? उसने तो मेरे साथ भलाई की है।
کِنْتُ یِیشُرُواچَ، کُتَ ایتَسْیَے کرِچّھرَں دَداسِ؟ مَہْیَمِیَں کَرْمّوتَّمَں کرِتَوَتِی۔
7 गरीब तुम्हारे साथ सदा रहते हैं और तुम जब चाहो तब उनसे भलाई कर सकते हो; पर मैं तुम्हारे साथ सदा न रहूँगा।
دَرِدْراح سَرْوَّدا یُشْمابھِح سَہَ تِشْٹھَنْتِ، تَسْمادْ یُویَں یَدیچّھَتھَ تَدَیوَ تانُپَکَرْتّاں شَکْنُتھَ، کِنْتْوَہَں یُبھابھِح سَہَ نِرَنْتَرَں نَ تِشْٹھامِ۔
8 जो कुछ वह कर सकी, उसने किया; उसने मेरे गाड़े जाने की तैयारी में पहले से मेरी देह पर इत्र मला है।
اَسْیا یَتھاسادھْیَں تَتھَیواکَرودِیَں، شْمَشانَیاپَناتْ پُورْوَّں سَمیتْیَ مَدْوَپُشِ تَیلَمْ اَمَرْدَّیَتْ۔
9 मैं तुम से सच कहता हूँ, कि सारे जगत में जहाँ कहीं सुसमाचार प्रचार किया जाएगा, वहाँ उसके इस काम की चर्चा भी उसके स्मरण में की जाएगी।”
اَہَں یُشْمَبھْیَں یَتھارْتھَں کَتھَیامِ، جَگَتاں مَدھْیے یَتْرَ یَتْرَ سُسَںوادویَں پْرَچارَیِشْیَتے تَتْرَ تَتْرَ یوشِتَ ایتَسْیاح سْمَرَنارْتھَں تَتْکرِتَکَرْمَّیتَتْ پْرَچارَیِشْیَتے۔
10 १० तब यहूदा इस्करियोती जो बारह में से एक था, प्रधान याजकों के पास गया, कि उसे उनके हाथ पकड़वा दे।
تَتَح پَرَں دْوادَشاناں شِشْیانامیکَ اِیشْکَرِیوتِییَیِہُوداکھْیو یِیشُں پَرَکَریشُ سَمَرْپَیِتُں پْرَدھانَیاجَکاناں سَمِیپَمِیایَ۔
11 ११ वे यह सुनकर आनन्दित हुए, और उसको रुपये देना स्वीकार किया, और यह अवसर ढूँढ़ने लगा कि उसे किसी प्रकार पकड़वा दे।
تے تَسْیَ واکْیَں سَماکَرْنْیَ سَنْتُشْٹاح سَنْتَسْتَسْمَے مُدْرا داتُں پْرَتْیَجانَتَ؛ تَسْماتْ سَ تَں تیشاں کَریشُ سَمَرْپَنایوپایَں مرِگَیاماسَ۔
12 १२ अख़मीरी रोटी के पर्व के पहले दिन, जिसमें वे फसह का बलिदान करते थे, उसके चेलों ने उससे पूछा, “तू कहाँ चाहता है, कि हम जाकर तेरे लिये फसह खाने की तैयारी करें?”
اَنَنْتَرَں کِنْوَشُونْیَپُوپوتْسَوَسْیَ پْرَتھَمےہَنِ نِسْتاروتْمَوارْتھَں میشَمارَناسَمَیے شِشْیاسْتَں پَپْرَچّھَح کُتْرَ گَتْوا وَیَں نِسْتاروتْسَوَسْیَ بھوجْیَماسادَیِشْیامَح؟ کِمِچّھَتِ بھَوانْ؟
13 १३ उसने अपने चेलों में से दो को यह कहकर भेजा, “नगर में जाओ, और एक मनुष्य जल का घड़ा उठाए हुए तुम्हें मिलेगा, उसके पीछे हो लेना।
تَدانِیں سَ تیشاں دْوَیَں پْریرَیَنْ بَبھاشے یُوَیوح پُرَمَدھْیَں گَتَیوح سَتو رْیو جَنَح سَجَلَکُمْبھَں وَہَنْ یُواں ساکْشاتْ کَرِشْیَتِ تَسْیَیوَ پَشْچادْ یاتَں؛
14 १४ और वह जिस घर में जाए उस घर के स्वामी से कहना: ‘गुरु कहता है, कि मेरी पाहुनशाला जिसमें मैं अपने चेलों के साथ फसह खाऊँ कहाँ है?’
سَ یَتْ سَدَنَں پْرَویکْشْیَتِ تَدْبھَوَنَپَتِں وَدَتَں، گُرُراہَ یَتْرَ سَشِشْیوہَں نِسْتاروتْسَوِییَں بھوجَنَں کَرِشْیامِ، سا بھوجَنَشالا کُتْراسْتِ؟
15 १५ वह तुम्हें एक सजी-सजाई, और तैयार की हुई बड़ी अटारी दिखा देगा, वहाँ हमारे लिये तैयारी करो।”
تَتَح سَ پَرِشْکرِتاں سُسَجِّتاں برِہَتِیچَنْچَ یاں شالاں دَرْشَیِشْیَتِ تَسْیامَسْمَدَرْتھَں بھوجْیَدْرَوْیانْیاسادَیَتَں۔
16 १६ तब चेले निकलकर नगर में आए और जैसा उसने उनसे कहा था, वैसा ही पाया, और फसह तैयार किया।
تَتَح شِشْیَو پْرَسْتھایَ پُرَں پْرَوِشْیَ سَ یَتھوکْتَوانْ تَتھَیوَ پْراپْیَ نِسْتاروتْسَوَسْیَ بھوجْیَدْرَوْیانِ سَماسادَییتامْ۔
17 १७ जब साँझ हुई, तो वह बारहों के साथ आया।
اَنَنْتَرَں یِیشُح سایَںکالے دْوادَشَبھِح شِشْیَیح سارْدّھَں جَگامَ؛
18 १८ और जब वे बैठे भोजन कर रहे थे, तो यीशु ने कहा, “मैं तुम से सच कहता हूँ, कि तुम में से एक, जो मेरे साथ भोजन कर रहा है, मुझे पकड़वाएगा।”
سَرْوّیشُ بھوجَنایَ پْروپَوِشْٹیشُ سَ تانُدِتَوانْ یُشْمانَہَں یَتھارْتھَں وْیاہَرامِ، اَتْرَ یُشْماکَمیکو جَنو یو مَیا سَہَ بھُںکْتے ماں پَرَکیریشُ سَمَرْپَیِشْیَتے۔
19 १९ उन पर उदासी छा गई और वे एक-एक करके उससे कहने लगे, “क्या वह मैं हूँ?”
تَدانِیں تے دُحکھِتاح سَنْتَ ایکَیکَشَسْتَں پْرَشْٹُمارَبْدھَوَنْتَح سَ کِمَہَں؟ پَشْچادْ اَنْیَ ایکوبھِدَدھے سَ کِمَہَں؟
20 २० उसने उनसे कहा, “वह बारहों में से एक है, जो मेरे साथ थाली में हाथ डालता है।
تَتَح سَ پْرَتْیَوَدَدْ ایتیشاں دْوادَشاناں یو جَنو مَیا سَمَں بھوجَناپاتْرے پانِں مَجَّیِشْیَتِ سَ ایوَ۔
21 २१ क्योंकि मनुष्य का पुत्र तो, जैसा उसके विषय में लिखा है, जाता ही है; परन्तु उस मनुष्य पर हाय जिसके द्वारा मनुष्य का पुत्र पकड़वाया जाता है! यदि उस मनुष्य का जन्म ही न होता तो उसके लिये भला होता।”
مَنُجَتَنَیَمَدھِ یادرِشَں لِکھِتَماسْتے تَدَنُرُوپا گَتِسْتَسْیَ بھَوِشْیَتِ، کِنْتُ یو جَنو مانَوَسُتَں سَمَرْپَیِشْیَتے ہَنْتَ تَسْیَ جَنْمابھاوے سَتِ بھَدْرَمَبھَوِشْیَتْ۔
22 २२ और जब वे खा ही रहे थे तो उसने रोटी ली, और आशीष माँगकर तोड़ी, और उन्हें दी, और कहा, “लो, यह मेरी देह है।”
اَپَرَنْچَ تیشاں بھوجَنَسَمَیے یِیشُح پُوپَں گرِہِیتْویشْوَرَگُنانْ اَنُکِیرْتْیَ بھَنْکْتْوا تیبھْیو دَتّوا بَبھاشے، ایتَدْ گرِہِیتْوا بھُنْجِیدھْوَمْ ایتَنْمَمَ وِگْرَہَرُوپَں۔
23 २३ फिर उसने कटोरा लेकर धन्यवाद किया, और उन्हें दिया; और उन सब ने उसमें से पीया।
اَنَنْتَرَں سَ کَںسَں گرِہِیتْویشْوَرَسْیَ گُنانْ کِیرْتَّیِتْوا تیبھْیو دَدَو، تَتَسْتے سَرْوّے پَپُح۔
24 २४ और उसने उनसे कहा, “यह वाचा का मेरा वह लहू है, जो बहुतों के लिये बहाया जाता है।
اَپَرَں سَ تانَوادِیدْ بَہُوناں نِمِتَّں پاتِتَں مَمَ نَوِینَنِیَمَرُوپَں شونِتَمیتَتْ۔
25 २५ मैं तुम से सच कहता हूँ, कि दाख का रस उस दिन तक फिर कभी न पीऊँगा, जब तक परमेश्वर के राज्य में नया न पीऊँ।”
یُشْمانَہَں یَتھارْتھَں وَدامِ، اِیشْوَرَسْیَ راجْیے یاوَتْ سَدْیوجاتَں دْراکْشارَسَں نَ پاسْیامِ،تاوَدَہَں دْراکْشاپھَلَرَسَں پُنَ رْنَ پاسْیامِ۔
26 २६ फिर वे भजन गाकर बाहर जैतून के पहाड़ पर गए।
تَدَنَنْتَرَں تے گِیتَمیکَں سَںگِییَ بَہِ رْجَیتُنَں شِکھَرِنَں یَیُح
27 २७ तब यीशु ने उनसे कहा, “तुम सब ठोकर खाओगे, क्योंकि लिखा है: ‘मैं चरवाहे को मारूँगा, और भेड़ें तितर-बितर हो जाएँगी।’
اَتھَ یِیشُسْتانُواچَ نِشایامَسْیاں مَیِ یُشْماکَں سَرْوّیشاں پْرَتْیُوہو بھَوِشْیَتِ یَتو لِکھِتَماسْتے یَتھا، میشاناں رَکْشَکَنْچاہَں پْرَہَرِشْیامِ وَے تَتَح۔ میشاناں نِوَہو نُونَں پْرَوِکِیرْنو بھَوِشْیَتِ۔
28 २८ “परन्तु मैं अपने जी उठने के बाद तुम से पहले गलील को जाऊँगा।”
کَنْتُ مَدُتّھانے جاتے یُشْماکَمَگْرےہَں گالِیلَں وْرَجِشْیامِ۔
29 २९ पतरस ने उससे कहा, “यदि सब ठोकर खाएँ तो खाएँ, पर मैं ठोकर नहीं खाऊँगा।”
تَدا پِتَرَح پْرَتِبَبھاشے، یَدْیَپِ سَرْوّیشاں پْرَتْیُوہو بھَوَتِ تَتھاپِ مَمَ نَیوَ بھَوِشْیَتِ۔
30 ३० यीशु ने उससे कहा, “मैं तुझ से सच कहता हूँ, कि आज ही इसी रात को मुर्गे के दो बार बाँग देने से पहले, तू तीन बार मुझसे मुकर जाएगा।”
تَتو یِیشُرُکْتاوانْ اَہَں تُبھْیَں تَتھْیَں کَتھَیامِ، کْشَنادایامَدْیَ کُکُّٹَسْیَ دْوِتِییَوارَرَوَناتْ پُورْوَّں تْوَں وارَتْرَیَں مامَپَہْنوشْیَسے۔
31 ३१ पर उसने और भी जोर देकर कहा, “यदि मुझे तेरे साथ मरना भी पड़े फिर भी तेरा इन्कार कभी न करूँगा।” इसी प्रकार और सब ने भी कहा।
کِنْتُ سَ گاڈھَں وْیاہَرَدْ یَدْیَپِ تْوَیا سارْدّھَں مَمَ پْرانو یاتِ تَتھاپِ کَتھَمَپِ تْواں ناپَہْنوشْیے؛ سَرْوّےپِیتَرے تَتھَیوَ بَبھاشِرے۔
32 ३२ फिर वे गतसमनी नामक एक जगह में आए; और उसने अपने चेलों से कहा, “यहाँ बैठे रहो, जब तक मैं प्रार्थना करूँ।”
اَپَرَنْچَ تیشُ گیتْشِمانِینامَکَں سْتھانَ گَتیشُ سَ شِشْیانْ جَگادَ، یاوَدَہَں پْرارْتھَیے تاوَدَتْرَ سْتھانے یُویَں سَمُپَوِشَتَ۔
33 ३३ और वह पतरस और याकूब और यूहन्ना को अपने साथ ले गया; और बहुत ही अधीर और व्याकुल होने लगा,
اَتھَ سَ پِتَرَں یاکُوبَں یوہَنَنْچَ گرِہِیتْوا وَوْراجَ؛ اَتْیَنْتَں تْراسِتو وْیاکُلِتَشْچَ تیبھْیَح کَتھَیاماسَ،
34 ३४ और उनसे कहा, “मेरा मन बहुत उदास है, यहाँ तक कि मैं मरने पर हूँ: तुम यहाँ ठहरो और जागते रहो।”
نِدھَنَکالَوَتْ پْرانو مےتِیوَ دَحکھَمیتِ، یُویَں جاگْرَتوتْرَ سْتھانے تِشْٹھَتَ۔
35 ३५ और वह थोड़ा आगे बढ़ा, और भूमि पर गिरकर प्रार्थना करने लगा, कि यदि हो सके तो यह समय मुझ पर से टल जाए।
تَتَح سَ کِنْچِدُّورَں گَتْوا بھُوماوَدھومُکھَح پَتِتْوا پْرارْتھِتَوانیتَتْ، یَدِ بھَوِتُں شَکْیَں تَرْہِ دُحکھَسَمَیویَں مَتّو دُورِیبھَوَتُ۔
36 ३६ और कहा, “हे अब्बा, हे पिता, तुझ से सब कुछ हो सकता है; इस कटोरे को मेरे पास से हटा ले: फिर भी जैसा मैं चाहता हूँ वैसा नहीं, पर जो तू चाहता है वही हो।”
اَپَرَمُدِتَوانْ ہے پِتَ رْہے پِتَح سَرْوّیں تْوَیا سادھْیَں، تَتو ہیتورِمَں کَںسَں مَتّو دُورِیکُرُ، کِنْتُ تَنْ مَمیچّھاتو نَ تَویچّھاتو بھَوَتُ۔
37 ३७ फिर वह आया और उन्हें सोते पाकर पतरस से कहा, “हे शमौन, तू सो रहा है? क्या तू एक घंटे भी न जाग सका?
تَتَح پَرَں سَ ایتْیَ تانْ نِدْرِتانْ نِرِیکْشْیَ پِتَرَں پْروواچَ، شِمونْ تْوَں کِں نِدْراسِ؟ گھَٹِکامیکامْ اَپِ جاگَرِتُں نَ شَکْنوشِ؟
38 ३८ जागते और प्रार्थना करते रहो कि तुम परीक्षा में न पड़ो। आत्मा तो तैयार है, पर शरीर दुर्बल है।”
پَرِیکْشایاں یَتھا نَ پَتَتھَ تَدَرْتھَں سَچیتَناح سَنْتَح پْرارْتھَیَدھْوَں؛ مَنَ اُدْیُکْتَمِتِ سَتْیَں کِنْتُ وَپُرَشَکْتِکَں۔
39 ३९ और वह फिर चला गया, और वही बात कहकर प्रार्थना की।
اَتھَ سَ پُنَرْوْرَجِتْوا پُورْوَّوَتْ پْرارْتھَیانْچَکْرے۔
40 ४० और फिर आकर उन्हें सोते पाया, क्योंकि उनकी आँखें नींद से भरी थीं; और नहीं जानते थे कि उसे क्या उत्तर दें।
پَراورِتْیاگَتْیَ پُنَرَپِ تانْ نِدْرِتانْ دَدَرْشَ تَدا تیشاں لوچَنانِ نِدْرَیا پُورْنانِ، تَسْماتَّسْمَے کا کَتھا کَتھَیِتَوْیا تَ ایتَدْ بودّھُں نَ شیکُح۔
41 ४१ फिर तीसरी बार आकर उनसे कहा, “अब सोते रहो और विश्राम करो, बस, घड़ी आ पहुँची; देखो मनुष्य का पुत्र पापियों के हाथ पकड़वाया जाता है।
تَتَحپَرَں ترِتِییَوارَں آگَتْیَ تیبھْیو کَتھَیَدْ اِدانِیمَپِ شَیِتْوا وِشْرامْیَتھَ؟ یَتھیشْٹَں جاتَں، سَمَیَشْچوپَسْتھِتَح پَشْیَتَ مانَوَتَنَیَح پاپِلوکاناں پانِشُ سَمَرْپْیَتے۔
42 ४२ उठो, चलें! देखो, मेरा पकड़वानेवाला निकट आ पहुँचा है!”
اُتِّشْٹھَتَ، وَیَں وْرَجامو یو جَنو ماں پَرَپانِشُ سَمَرْپَیِشْیَتے پَشْیَتَ سَ سَمِیپَمایاتَح۔
43 ४३ वह यह कह ही रहा था, कि यहूदा जो बारहों में से था, अपने साथ प्रधान याजकों और शास्त्रियों और प्राचीनों की ओर से एक बड़ी भीड़ तलवारें और लाठियाँ लिए हुए तुरन्त आ पहुँची।
اِماں کَتھاں کَتھَیَتِ سَ، ایتَرْہِدْوادَشانامیکو یِہُودا ناما شِشْیَح پْرَدھانَیاجَکانامْ اُپادھْیایاناں پْراچِینَلوکانانْچَ سَنِّدھیح کھَنْگَلَگُڈَدھارِنو بَہُلوکانْ گرِہِیتْوا تَسْیَ سَمِیپَ اُپَسْتھِتَوانْ۔
44 ४४ और उसके पकड़वानेवाले ने उन्हें यह पता दिया था, कि जिसको मैं चूमूं वही है, उसे पकड़कर सावधानी से ले जाना।
اَپَرَنْچاسَو پَرَپانِشُ سَمَرْپَیِتا پُورْوَّمِتِ سَنْکیتَں کرِتَوانْ یَمَہَں چُمْبِشْیامِ سَ ایواسَو تَمیوَ دھرِتْوا ساوَدھانَں نَیَتَ۔
45 ४५ और वह आया, और तुरन्त उसके पास जाकर कहा, “हे रब्बी!” और उसको बहुत चूमा।
اَتو ہیتوح سَ آگَتْیَیوَ یوشوح سَوِدھَں گَتْوا ہے گُرو ہے گُرو، اِتْیُکْتْوا تَں چُچُمْبَ۔
46 ४६ तब उन्होंने उस पर हाथ डालकर उसे पकड़ लिया।
تَدا تے تَدُپَرِ پانِینَرْپَیِتْوا تَں دَدھْنُح۔
47 ४७ उनमें से जो पास खड़े थे, एक ने तलवार खींचकर महायाजक के दास पर चलाई, और उसका कान उड़ा दिया।
تَتَسْتَسْیَ پارْشْوَسْتھاناں لوکانامیکَح کھَنْگَں نِشْکوشَیَنْ مَہایاجَکَسْیَ داسَمیکَں پْرَہرِتْیَ تَسْیَ کَرْنَں چِچّھیدَ۔
48 ४८ यीशु ने उनसे कहा, “क्या तुम डाकू जानकर मुझे पकड़ने के लिये तलवारें और लाठियाँ लेकर निकले हो?
پَشْچادْ یِیشُسْتانْ وْیاجَہارَ کھَنْگانْ لَگُڈاںشْچَ گرِہِیتْوا ماں کِں چَورَں دھَرْتّاں سَمایاتاح؟
49 ४९ मैं तो हर दिन मन्दिर में तुम्हारे साथ रहकर उपदेश दिया करता था, और तब तुम ने मुझे न पकड़ा: परन्तु यह इसलिए हुआ है कि पवित्रशास्त्र की बातें पूरी हों।”
مَدھْییمَنْدِرَں سَمُپَدِشَنْ پْرَتْیَہَں یُشْمابھِح سَہَ سْتھِتَوانَتَہَں، تَسْمِنْ کالے یُویَں ماں نادِیدھَرَتَ، کِنْتْوَنینَ شاسْتْرِییَں وَچَنَں سیدھَنِییَں۔
50 ५० इस पर सब चेले उसे छोड़कर भाग गए।
تَدا سَرْوّے شِشْیاسْتَں پَرِتْیَجْیَ پَلایانْچَکْرِرے۔
51 ५१ और एक जवान अपनी नंगी देह पर चादर ओढ़े हुए उसके पीछे हो लिया; और लोगों ने उसे पकड़ा।
اَتھَیکو یُوا مانَوو نَگْنَکایے وَسْتْرَمیکَں نِدھایَ تَسْیَ پَشْچادْ وْرَجَنْ یُوَلوکَے رْدھرِتو
52 ५२ पर वह चादर छोड़कर नंगा भाग गया।
وَسْتْرَں وِہایَ نَگْنَح پَلایانْچَکْرے۔
53 ५३ फिर वे यीशु को महायाजक के पास ले गए; और सब प्रधान याजक और पुरनिए और शास्त्री उसके यहाँ इकट्ठे हो गए।
اَپَرَنْچَ یَسْمِنْ سْتھانے پْرَدھانَیاجَکا اُپادھْیایاح پْراچِینَلوکاشْچَ مَہایاجَکینَ سَہَ سَدَسِ سْتھِتاسْتَسْمِنْ سْتھانے مَہایاجَکَسْیَ سَمِیپَں یِیشُں نِنْیُح۔
54 ५४ पतरस दूर ही दूर से उसके पीछे-पीछे महायाजक के आँगन के भीतर तक गया, और प्यादों के साथ बैठकर आग तापने लगा।
پِتَرو دُورے تَتْپَشْچادْ اِتْوا مَہایاجَکَسْیاٹّالِکاں پْرَوِشْیَ کِنْکَرَیح سَہوپَوِشْیَ وَہْنِتاپَں جَگْراہَ۔
55 ५५ प्रधान याजक और सारी महासभा यीशु को मार डालने के लिये उसके विरोध में गवाही की खोज में थे, पर न मिली।
تَدانِیں پْرَدھانَیاجَکا مَنْتْرِنَشْچَ یِیشُں گھاتَیِتُں تَتْپْراتِکُولْیینَ ساکْشِنو مرِگَیانْچَکْرِرے، کِنْتُ نَ پْراپْتاح۔
56 ५६ क्योंकि बहुत से उसके विरोध में झूठी गवाही दे रहे थे, पर उनकी गवाही एक सी न थी।
اَنیکَیسْتَدْوِرُدّھَں مرِشاساکْشْیے دَتّیپِ تیشاں واکْیانِ نَ سَمَگَچّھَنْتَ۔
57 ५७ तब कितनों ने उठकर उस पर यह झूठी गवाही दी,
سَرْوَّشیشے کِیَنْتَ اُتّھایَ تَسْیَ پْراتِکُولْیینَ مرِشاساکْشْیَں دَتّوا کَتھَیاماسُح،
58 ५८ “हमने इसे यह कहते सुना है ‘मैं इस हाथ के बनाए हुए मन्दिर को ढा दूँगा, और तीन दिन में दूसरा बनाऊँगा, जो हाथ से न बना हो।’”
اِدَں کَرَکرِتَمَنْدِرَں وِناشْیَ دِنَتْرَیَمَدھْیے پُنَرَپَرَمْ اَکَرَکرِتَں مَنْدِرَں نِرْمّاسْیامِ، اِتِ واکْیَمْ اَسْیَ مُکھاتْ شْرُتَمَسْمابھِرِتِ۔
59 ५९ इस पर भी उनकी गवाही एक सी न निकली।
کِنْتُ تَتْراپِ تیشاں ساکْشْیَکَتھا نَ سَنْگاتاح۔
60 ६० तब महायाजक ने बीच में खड़े होकर यीशु से पूछा; “तू कोई उत्तर नहीं देता? ये लोग तेरे विरोध में क्या गवाही देते हैं?”
اَتھَ مَہایاجَکو مَدھْییسَبھَمْ اُتّھایَ یِیشُں وْیاجَہارَ، ایتے جَناسْتْوَیِ یَتْ ساکْشْیَمَدُح تْوَمیتَسْیَ کِمَپْیُتَّرَں کِں نَ داسْیَسِ؟
61 ६१ परन्तु वह मौन साधे रहा, और कुछ उत्तर न दिया। महायाजक ने उससे फिर पूछा, “क्या तू उस परमधन्य का पुत्र मसीह है?”
کِنْتُ سَ کِمَپْیُتَّرَں نَ دَتْوا مَونِیبھُویَ تَسْیَو؛ تَتو مَہایاجَکَح پُنَرَپِ تَں پرِشْٹاوانْ تْوَں سَچِّدانَنْدَسْیَ تَنَیو بھِشِکْتَسْتْرَتا؟
62 ६२ यीशु ने कहा, “हाँ मैं हूँ: और तुम मनुष्य के पुत्र को सर्वशक्तिमान की दाहिनी ओर बैठे, और आकाश के बादलों के साथ आते देखोगे।”
تَدا یِیشُسْتَں پْروواچَ بھَوامْیَہَمْ یُویَنْچَ سَرْوَّشَکْتِمَتو دَکْشِینَپارْشْوے سَمُپَوِشَنْتَں میگھَ مارُہْیَ سَمایانْتَنْچَ مَنُشْیَپُتْرَں سَنْدْرَکْشْیَتھَ۔
63 ६३ तब महायाजक ने अपने वस्त्र फाड़कर कहा, “अब हमें गवाहों का क्या प्रयोजन है?
تَدا مَہایاجَکَح سْوَں وَمَنَں چھِتْوا وْیاوَہَرَتْ
64 ६४ तुम ने यह निन्दा सुनी। तुम्हारी क्या राय है?” उन सब ने कहा यह मृत्युदण्ड के योग्य है।
کِمَسْماکَں ساکْشِبھِح پْرَیوجَنَمْ؟ اِیشْوَرَنِنْداواکْیَں یُشْمابھِرَشْراوِ کِں وِچارَیَتھَ؟ تَدانِیں سَرْوّے جَگَدُرَیَں نِدھَنَدَنْڈَمَرْہَتِ۔
65 ६५ तब कोई तो उस पर थूकने, और कोई उसका मुँह ढाँपने और उसे घूँसे मारने, और उससे कहने लगे, “भविष्यद्वाणी कर!” और पहरेदारों ने उसे पकड़कर थप्पड़ मारे।
تَتَح کَشْچِتْ کَشْچِتْ تَدْوَپُشِ نِشْٹھِیوَں نِچِکْشیپَ تَتھا تَنْمُکھَماچّھادْیَ چَپیٹینَ ہَتْوا گَدِتَوانْ گَنَیِتْوا وَدَ، اَنُچَراشْچَ چَپیٹَیسْتَماجَگھْنُح
66 ६६ जब पतरस नीचे आँगन में था, तो महायाजक की दासियों में से एक वहाँ आई।
تَتَح پَرَں پِتَرےٹّالِکادھَحکوشْٹھے تِشْٹھَتِ مَہایاجَکَسْیَیکا داسِی سَمیتْیَ
67 ६७ और पतरस को आग तापते देखकर उस पर टकटकी लगाकर देखा और कहने लगी, “तू भी तो उस नासरी यीशु के साथ था।”
تَں وِہْنِتاپَں گرِہْلَنْتَں وِلوکْیَ تَں سُنِرِیکْشْیَ بَبھاشے تْوَمَپِ ناسَرَتِییَیِیشوح سَنْگِنامْ ایکو جَنَ آسِیح۔
68 ६८ वह मुकर गया, और कहा, “मैं तो नहीं जानता और नहीं समझता कि तू क्या कह रही है।” फिर वह बाहर डेवढ़ी में गया; और मुर्गे ने बाँग दी।
کِنْتُ سوپَہْنُتْیَ جَگادَ تَمَہَں نَ وَدْمِ تْوَں یَتْ کَتھَیَمِ تَدَپْیَہَں نَ بُدّھیے۔ تَدانِیں پِتَرے چَتْوَرَں گَتَوَتِ کُکُّٹو رُراوَ۔
69 ६९ वह दासी उसे देखकर उनसे जो पास खड़े थे, फिर कहने लगी, कि “यह उनमें से एक है।”
اَتھانْیا داسِی پِتَرَں درِشْٹْوا سَمِیپَسْتھانْ جَنانْ جَگادَ اَیَں تیشامیکو جَنَح۔
70 ७० परन्तु वह फिर मुकर गया। और थोड़ी देर बाद उन्होंने जो पास खड़े थे फिर पतरस से कहा, “निश्चय तू उनमें से एक है; क्योंकि तू गलीली भी है।”
تَتَح سَ دْوِتِییَوارَمْ اَپَہْنُتَوانْ پَشْچاتْ تَتْرَسْتھا لوکاح پِتَرَں پْروچُسْتْوَمَوَشْیَں تیشامیکو جَنَح یَتَسْتْوَں گالِیلِییو نَرَ اِتِ تَووچّارَنَں پْرَکاشَیَتِ۔
71 ७१ तब वह स्वयं को कोसने और शपथ खाने लगा, “मैं उस मनुष्य को, जिसकी तुम चर्चा करते हो, नहीं जानता।”
تَدا سَ شَپَتھابھِشاپَو کرِتْوا پْروواچَ یُویَں کَتھاں کَتھَیَتھَ تَں نَرَں نَ جانےہَں۔
72 ७२ तब तुरन्त दूसरी बार मुर्गे ने बाँग दी पतरस को यह बात जो यीशु ने उससे कही थी याद आई, “मुर्गे के दो बार बाँग देने से पहले तू तीन बार मेरा इन्कार करेगा।” वह इस बात को सोचकर फूट फूटकर रोने लगा।
تَدانِیں دْوِتِییَوارَں کُکُّٹو راوِیتْ۔ کُکُّٹَسْیَ دْوِتِییَرَواتْ پُورْوَّں تْوَں ماں وارَتْرَیَمْ اَپَہْنوشْیَسِ، اِتِ یَدْواکْیَں یِیشُنا سَمُدِتَں تَتْ تَدا سَںسْمرِتْیَ پِتَرو رودِتُمْ آرَبھَتَ۔

< मरकुस 14 >