< मरकुस 14 >
1 १ दो दिन के बाद फसह और अख़मीरी रोटी का पर्व होनेवाला था। और प्रधान याजक और शास्त्री इस बात की खोज में थे कि उसे कैसे छल से पकड़कर मार डालें।
Ἦν δὲ τὸ Πάσχα καὶ τὰ ἄζυμα μετὰ δύο ἡμέρας· καὶ ἐζήτουν οἱ ἀρχιερεῖς καὶ οἱ γραμματεῖς πῶς αὐτὸν ἐν δόλῳ κρατήσαντες ἀποκτείνωσιν.
2 २ परन्तु कहते थे, “पर्व के दिन नहीं, कहीं ऐसा न हो कि लोगों में दंगा मचे।”
Ἔλεγον δέ, Μὴ ἐν τῇ ἑορτῇ, μήποτε θόρυβος ἔσται τοῦ λαοῦ.
3 ३ जब वह बैतनिय्याह में शमौन कोढ़ी के घर भोजन करने बैठा हुआ था तब एक स्त्री संगमरमर के पात्र में जटामासी का बहुमूल्य शुद्ध इत्र लेकर आई; और पात्र तोड़कर इत्र को उसके सिर पर उण्डेला।
Καὶ ὄντος αὐτοῦ ἐν Βηθανίᾳ, ἐν τῇ οἰκίᾳ Σίμωνος τοῦ λεπροῦ, κατακειμένου αὐτοῦ, ἦλθε γυνὴ ἔχουσα ἀλάβαστρον μύρου νάρδου πιστικῆς πολυτελοῦς· καὶ συντρίψασα τὸ ἀλάβαστρον, κατέχεεν αὐτοῦ κατὰ τῆς κεφαλῆς.
4 ४ परन्तु कुछ लोग अपने मन में झुँझलाकर कहने लगे, “इस इत्र का क्यों सत्यानाश किया गया?
Ἦσαν δέ τινες ἀγανακτοῦντες πρὸς ἑαυτούς, καὶ λέγοντες, Εἰς τί ἡ ἀπώλεια αὕτη τοῦ μύρου γέγονεν;
5 ५ क्योंकि यह इत्र तो तीन सौ दीनार से अधिक मूल्य में बेचकर गरीबों को बाँटा जा सकता था।” और वे उसको झिड़कने लगे।
Ἠδύνατο γὰρ τοῦτο πραθῆναι ἐπάνω τριακοσίων δηναρίων, καὶ δοθῆναι τοῖς πτωχοῖς. Καὶ ἐνεβριμῶντο αὐτῇ.
6 ६ यीशु ने कहा, “उसे छोड़ दो; उसे क्यों सताते हो? उसने तो मेरे साथ भलाई की है।
Ὁ δὲ Ἰησοῦς εἶπεν, Ἄφετε αὐτήν· τί αὐτῇ κόπους παρέχετε; Καλὸν ἔργον εἰργάσατο εἰς ἐμέ.
7 ७ गरीब तुम्हारे साथ सदा रहते हैं और तुम जब चाहो तब उनसे भलाई कर सकते हो; पर मैं तुम्हारे साथ सदा न रहूँगा।
Πάντοτε γὰρ τοὺς πτωχοὺς ἔχετε μεθ᾿ ἑαυτῶν, καὶ ὅταν θέλητε δύνασθε αὐτοὺς εὖ ποιῆσαι· ἐμὲ δὲ οὐ πάντοτε ἔχετε.
8 ८ जो कुछ वह कर सकी, उसने किया; उसने मेरे गाड़े जाने की तैयारी में पहले से मेरी देह पर इत्र मला है।
Ὃ εἶχεν αὕτη ἐποίησε· προέλαβε μυρίσαι μου τὸ σῶμα εἰς τὸν ἐνταφιασμόν.
9 ९ मैं तुम से सच कहता हूँ, कि सारे जगत में जहाँ कहीं सुसमाचार प्रचार किया जाएगा, वहाँ उसके इस काम की चर्चा भी उसके स्मरण में की जाएगी।”
Ἀμὴν λέγω ὑμῖν, ὅπου ἂν κηρυχθῇ τὸ εὐαγγέλιον τοῦτο εἰς ὅλον τὸν κόσμον, καὶ ὃ ἐποίησεν αὕτη λαληθήσεται εἰς μνημόσυνον αὐτῆς.
10 १० तब यहूदा इस्करियोती जो बारह में से एक था, प्रधान याजकों के पास गया, कि उसे उनके हाथ पकड़वा दे।
Καὶ ὁ Ἰούδας ὁ Ἰσκαριώτης, εἷς τῶν δώδεκα, ἀπῆλθε πρὸς τοὺς ἀρχιερεῖς, ἵνα παραδῷ αὐτὸν αὐτοῖς.
11 ११ वे यह सुनकर आनन्दित हुए, और उसको रुपये देना स्वीकार किया, और यह अवसर ढूँढ़ने लगा कि उसे किसी प्रकार पकड़वा दे।
Οἱ δὲ ἀκούσαντες ἐχάρησαν, καὶ ἐπηγγείλαντο αὐτῷ ἀργύριον δοῦναι, καὶ ἐζήτει πῶς εὐκαίρως αὐτὸν παραδῷ.
12 १२ अख़मीरी रोटी के पर्व के पहले दिन, जिसमें वे फसह का बलिदान करते थे, उसके चेलों ने उससे पूछा, “तू कहाँ चाहता है, कि हम जाकर तेरे लिये फसह खाने की तैयारी करें?”
Καὶ τῇ πρώτῃ ἡμέρᾳ τῶν ἀζύμων, ὅτε τὸ Πάσχα ἔθυον, λέγουσιν αὐτῷ οἱ μαθηταὶ αὐτοῦ, Ποῦ θέλεις ἀπελθόντες ἑτοιμάσωμεν ἵνα φάγῃς τὸ Πάσχα;
13 १३ उसने अपने चेलों में से दो को यह कहकर भेजा, “नगर में जाओ, और एक मनुष्य जल का घड़ा उठाए हुए तुम्हें मिलेगा, उसके पीछे हो लेना।
Καὶ ἀποστέλλει δύο τῶν μαθητῶν αὐτοῦ, καὶ λέγει αὐτοῖς, Ὑπάγετε εἰς τὴν πόλιν, καὶ ἀπαντήσει ὑμῖν ἄνθρωπος κεράμιον ὕδατος βαστάζων· ἀκολουθήσατε αὐτῷ,
14 १४ और वह जिस घर में जाए उस घर के स्वामी से कहना: ‘गुरु कहता है, कि मेरी पाहुनशाला जिसमें मैं अपने चेलों के साथ फसह खाऊँ कहाँ है?’
καὶ ὅπου ἐὰν εἰσέλθῃ, εἴπατε τῷ οἰκοδεσπότῃ ὅτι Ὁ διδάσκαλος λέγει, Ποῦ ἐστι τὸ κατάλυμα, ὅπου τὸ Πάσχα μετὰ τῶν μαθητῶν μου φάγω;
15 १५ वह तुम्हें एक सजी-सजाई, और तैयार की हुई बड़ी अटारी दिखा देगा, वहाँ हमारे लिये तैयारी करो।”
Καὶ αὐτὸς ὑμῖν δείξει ἀνώγεον μέγα ἐστρωμένον ἕτοιμον· ἐκεῖ ἑτοιμάσατε ἡμῖν.
16 १६ तब चेले निकलकर नगर में आए और जैसा उसने उनसे कहा था, वैसा ही पाया, और फसह तैयार किया।
Καὶ ἐξῆλθον οἱ μαθηταὶ αὐτοῦ, καὶ ἦλθον εἰς τὴν πόλιν, καὶ εὗρον καθὼς εἶπεν αὐτοῖς, καὶ ἡτοίμασαν τὸ Πάσχα.
17 १७ जब साँझ हुई, तो वह बारहों के साथ आया।
Καὶ ὀψίας γενομένης ἔρχεται μετὰ τῶν δώδεκα.
18 १८ और जब वे बैठे भोजन कर रहे थे, तो यीशु ने कहा, “मैं तुम से सच कहता हूँ, कि तुम में से एक, जो मेरे साथ भोजन कर रहा है, मुझे पकड़वाएगा।”
Καὶ ἀνακειμένων αὐτῶν καὶ ἐσθιόντων, εἶπεν ὁ Ἰησοῦς, Ἀμὴν λέγω ὑμῖν ὅτι εἷς ἐξ ὑμῶν παραδώσει με, ὁ ἐσθίων μετ᾿ ἐμοῦ.
19 १९ उन पर उदासी छा गई और वे एक-एक करके उससे कहने लगे, “क्या वह मैं हूँ?”
Οἱ δὲ ἤρξαντο λυπεῖσθαι, καὶ λέγειν αὐτῷ εἷς καθ᾿ εἷς, Μήτι ἐγώ; Καὶ ἄλλος, Μήτι ἐγώ;
20 २० उसने उनसे कहा, “वह बारहों में से एक है, जो मेरे साथ थाली में हाथ डालता है।
Ὁ δὲ ἀποκριθεὶς εἶπεν αὐτοῖς, Εἷς ἐκ τῶν δώδεκα, ὁ ἐμβαπτόμενος μετ᾿ ἐμοῦ εἰς τὸ τρυβλίον.
21 २१ क्योंकि मनुष्य का पुत्र तो, जैसा उसके विषय में लिखा है, जाता ही है; परन्तु उस मनुष्य पर हाय जिसके द्वारा मनुष्य का पुत्र पकड़वाया जाता है! यदि उस मनुष्य का जन्म ही न होता तो उसके लिये भला होता।”
Ὁ μὲν υἱὸς τοῦ ἀνθρώπου ὑπάγει, καθὼς γέγραπται περὶ αὐτοῦ· οὐαὶ δὲ τῷ ἀνθρώπῳ ἐκείνῳ δι᾿ οὗ ὁ υἱὸς τοῦ ἀνθρώπου παραδίδοται· καλὸν ἦν αὐτῷ εἰ οὐκ ἐγεννήθη ὁ ἄνθρωπος ἐκεῖνος.
22 २२ और जब वे खा ही रहे थे तो उसने रोटी ली, और आशीष माँगकर तोड़ी, और उन्हें दी, और कहा, “लो, यह मेरी देह है।”
Καὶ ἐσθιόντων αὐτῶν, λαβὼν ὁ Ἰησοῦς ἄρτον, εὐλογήσας ἔκλασε καὶ ἔδωκεν αὐτοῖς, καὶ εἶπε, Λάβετε, φάγετε· τοῦτό ἐστι τὸ σῶμά μου.
23 २३ फिर उसने कटोरा लेकर धन्यवाद किया, और उन्हें दिया; और उन सब ने उसमें से पीया।
Καὶ λαβὼν τὸ ποτήριον, εὐχαριστήσας ἔδωκεν αὐτοῖς, καὶ ἔπιον ἐξ αὐτοῦ πάντες.
24 २४ और उसने उनसे कहा, “यह वाचा का मेरा वह लहू है, जो बहुतों के लिये बहाया जाता है।
Καὶ εἶπεν αὐτοῖς, Τοῦτό ἐστι τὸ αἷμά μου, τὸ τῆς καινῆς διαθήκης, τὸ περὶ πολλῶν ἐκχυνόμενον.
25 २५ मैं तुम से सच कहता हूँ, कि दाख का रस उस दिन तक फिर कभी न पीऊँगा, जब तक परमेश्वर के राज्य में नया न पीऊँ।”
Ἀμὴν λέγω ὑμῖν ὅτι οὐκέτι οὐ μὴ πίω ἐκ τοῦ γεννήματος τῆς ἀμπέλου, ἕως τῆς ἡμέρας ἐκείνης ὅταν αὐτὸ πίνω καινὸν ἐν τῇ βασιλείᾳ τοῦ Θεοῦ.
26 २६ फिर वे भजन गाकर बाहर जैतून के पहाड़ पर गए।
Καὶ ὑμνήσαντες ἐξῆλθον εἰς τὸ ὄρος τῶν Ἐλαιῶν.
27 २७ तब यीशु ने उनसे कहा, “तुम सब ठोकर खाओगे, क्योंकि लिखा है: ‘मैं चरवाहे को मारूँगा, और भेड़ें तितर-बितर हो जाएँगी।’
Καὶ λέγει αὐτοῖς ὁ Ἰησοῦς ὅτι Πάντες σκανδαλισθήσεσθε ἐν ἐμοὶ ἐν τῇ νυκτὶ ταύτῃ· ὅτι γέγραπται, Πατάξω τὸν ποιμένα, καὶ διασκορπισθήσεται τὰ πρόβατα.
28 २८ “परन्तु मैं अपने जी उठने के बाद तुम से पहले गलील को जाऊँगा।”
Ἀλλὰ μετὰ τὸ ἐγερθῆναί με, προάξω ὑμᾶς εἰς τὴν Γαλιλαίαν.
29 २९ पतरस ने उससे कहा, “यदि सब ठोकर खाएँ तो खाएँ, पर मैं ठोकर नहीं खाऊँगा।”
Ὁ δὲ Πέτρος ἔφη αὐτῷ, Καὶ εἰ πάντες σκανδαλισθήσονται, ἀλλ᾿ οὐκ ἐγώ.
30 ३० यीशु ने उससे कहा, “मैं तुझ से सच कहता हूँ, कि आज ही इसी रात को मुर्गे के दो बार बाँग देने से पहले, तू तीन बार मुझसे मुकर जाएगा।”
Καὶ λέγει αὐτῷ ὁ Ἰησοῦς, Ἀμὴν λέγω σοι ὅτι σήμερον ἐν τῇ νυκτὶ ταύτῃ, πρὶν ἢ δὶς ἀλέκτορα φωνῆσαι, τρὶς ἀπαρνήσῃ με.
31 ३१ पर उसने और भी जोर देकर कहा, “यदि मुझे तेरे साथ मरना भी पड़े फिर भी तेरा इन्कार कभी न करूँगा।” इसी प्रकार और सब ने भी कहा।
Ὁ δὲ ἐκπερισσοῦ ἔλεγε μᾶλλον, Ἐάν με δέῃ συναποθανεῖν σοι, οὐ μή σε ἀπαρνήσομαι. Ὡσαύτως δὲ καὶ πάντες ἔλεγον.
32 ३२ फिर वे गतसमनी नामक एक जगह में आए; और उसने अपने चेलों से कहा, “यहाँ बैठे रहो, जब तक मैं प्रार्थना करूँ।”
Καὶ ἔρχονται εἰς χωρίον οὗ τὸ ὄνομα Γεθσημανῆ, καὶ λέγει τοῖς μαθηταῖς αὐτοῦ, Καθίσατε ὧδε, ἕως προσεύξωμαι.
33 ३३ और वह पतरस और याकूब और यूहन्ना को अपने साथ ले गया; और बहुत ही अधीर और व्याकुल होने लगा,
Καὶ παραλαμβάνει τὸν Πέτρον καὶ τὸν Ἰάκωβον καὶ Ἰωάννην μεθ᾿ ἑαυτοῦ, καὶ ἤρξατο ἐκθαμβεῖσθαι καὶ ἀδημονεῖν.
34 ३४ और उनसे कहा, “मेरा मन बहुत उदास है, यहाँ तक कि मैं मरने पर हूँ: तुम यहाँ ठहरो और जागते रहो।”
Καὶ λέγει αὐτοῖς, Περίλυπός ἐστιν ἡ ψυχή μου ἕως θανάτου· μείνατε ὧδε καὶ γρηγορεῖτε.
35 ३५ और वह थोड़ा आगे बढ़ा, और भूमि पर गिरकर प्रार्थना करने लगा, कि यदि हो सके तो यह समय मुझ पर से टल जाए।
Καὶ προελθὼν μικρόν, ἔπεσεν ἐπὶ τῆς γῆς, καὶ προσηύχετο ἵνα, εἰ δυνατόν ἐστι, παρέλθῃ ἀπ᾿ αὐτοῦ ἡ ὥρα.
36 ३६ और कहा, “हे अब्बा, हे पिता, तुझ से सब कुछ हो सकता है; इस कटोरे को मेरे पास से हटा ले: फिर भी जैसा मैं चाहता हूँ वैसा नहीं, पर जो तू चाहता है वही हो।”
Καὶ ἔλεγεν, Ἀββᾶ, ὁ πατήρ, πάντα δυνατά σοι. Παρένεγκε τὸ ποτήριον ἀπ᾿ ἐμοῦ τοῦτο· ἀλλ᾿ οὐ τί ἐγὼ θέλω, ἀλλὰ τί σύ.
37 ३७ फिर वह आया और उन्हें सोते पाकर पतरस से कहा, “हे शमौन, तू सो रहा है? क्या तू एक घंटे भी न जाग सका?
Καὶ ἔρχεται καὶ εὑρίσκει αὐτοὺς καθεύδοντας, καὶ λέγει τῷ Πέτρῳ, Σίμων, καθεύδεις; Οὐκ ἴσχυσας μίαν ὥραν γρηγορῆσαι;
38 ३८ जागते और प्रार्थना करते रहो कि तुम परीक्षा में न पड़ो। आत्मा तो तैयार है, पर शरीर दुर्बल है।”
Γρηγορεῖτε καὶ προσεύχεσθε, ἵνα μὴ εἰσέλθητε εἰς πειρασμόν. Τὸ μὲν πνεῦμα πρόθυμον, ἡ δὲ σὰρξ ἀσθενής.
39 ३९ और वह फिर चला गया, और वही बात कहकर प्रार्थना की।
Καὶ πάλιν ἀπελθὼν προσηύξατο, τὸν αὐτὸν λόγον εἰπών.
40 ४० और फिर आकर उन्हें सोते पाया, क्योंकि उनकी आँखें नींद से भरी थीं; और नहीं जानते थे कि उसे क्या उत्तर दें।
Καὶ ὑποστρέψας εὗρεν αὐτοὺς πάλιν καθεύδοντας· ἦσαν γὰρ οἱ ὀφθαλμοὶ αὐτῶν βεβαρημένοι, καὶ οὐκ ᾔδεισαν τί αὐτῷ ἀποκριθῶσι.
41 ४१ फिर तीसरी बार आकर उनसे कहा, “अब सोते रहो और विश्राम करो, बस, घड़ी आ पहुँची; देखो मनुष्य का पुत्र पापियों के हाथ पकड़वाया जाता है।
Καὶ ἔρχεται τὸ τρίτον, καὶ λέγει αὐτοῖς, Καθεύδετε τὸ λοιπὸν καὶ ἀναπαύεσθε. Ἀπέχει· ἦλθεν ἡ ὥρα. Ἰδού, παραδίδοται ὁ υἱὸς τοῦ ἀνθρώπου εἰς τὰς χεῖρας τῶν ἁμαρτωλῶν.
42 ४२ उठो, चलें! देखो, मेरा पकड़वानेवाला निकट आ पहुँचा है!”
Ἐγείρεσθε, ἄγωμεν. Ἰδού, ὁ παραδιδούς με ἤγγικε.
43 ४३ वह यह कह ही रहा था, कि यहूदा जो बारहों में से था, अपने साथ प्रधान याजकों और शास्त्रियों और प्राचीनों की ओर से एक बड़ी भीड़ तलवारें और लाठियाँ लिए हुए तुरन्त आ पहुँची।
Καὶ εὐθέως, ἔτι αὐτοῦ λαλοῦντος, παραγίνεται Ἰούδας, εἷς ὢν τῶν δώδεκα, καὶ μετ᾿ αὐτοῦ ὄχλος πολὺς μετὰ μαχαιρῶν καὶ ξύλων, παρὰ τῶν ἀρχιερέων καὶ τῶν γραμματέων καὶ τῶν πρεσβυτέρων.
44 ४४ और उसके पकड़वानेवाले ने उन्हें यह पता दिया था, कि जिसको मैं चूमूं वही है, उसे पकड़कर सावधानी से ले जाना।
Δεδώκει δὲ ὁ παραδιδοὺς αὐτὸν σύσσημον αὐτοῖς, λέγων, Ὃν ἂν φιλήσω, αὐτός ἐστι· κρατήσατε αὐτόν, καὶ ἀπαγάγετε ἀσφαλῶς.
45 ४५ और वह आया, और तुरन्त उसके पास जाकर कहा, “हे रब्बी!” और उसको बहुत चूमा।
Καὶ ἐλθών, εὐθέως προσελθὼν αὐτῷ λέγει, Ῥαββί, ῥαββί· καὶ κατεφίλησεν αὐτόν.
46 ४६ तब उन्होंने उस पर हाथ डालकर उसे पकड़ लिया।
Οἱ δὲ ἐπέβαλον ἐπ᾿ αὐτὸν τὰς χεῖρας αὐτῶν, καὶ ἐκράτησαν αὐτόν.
47 ४७ उनमें से जो पास खड़े थे, एक ने तलवार खींचकर महायाजक के दास पर चलाई, और उसका कान उड़ा दिया।
Εἷς δέ τις τῶν παρεστηκότων σπασάμενος τὴν μάχαιραν ἔπαισε τὸν δοῦλον τοῦ ἀρχιερέως, καὶ ἀφεῖλεν αὐτοῦ τὸ ὠτίον.
48 ४८ यीशु ने उनसे कहा, “क्या तुम डाकू जानकर मुझे पकड़ने के लिये तलवारें और लाठियाँ लेकर निकले हो?
Καὶ ἀποκριθεὶς ὁ Ἰησοῦς εἶπεν αὐτοῖς, Ὡς ἐπὶ λῃστὴν ἐξήλθετε μετὰ μαχαιρῶν καὶ ξύλων συλλαβεῖν με;
49 ४९ मैं तो हर दिन मन्दिर में तुम्हारे साथ रहकर उपदेश दिया करता था, और तब तुम ने मुझे न पकड़ा: परन्तु यह इसलिए हुआ है कि पवित्रशास्त्र की बातें पूरी हों।”
Καθ᾿ ἡμέραν ἤμην πρὸς ὑμᾶς ἐν τῷ ἱερῷ διδάσκων, καὶ οὐκ ἐκρατήσατέ με· ἀλλ᾿ ἵνα πληρωθῶσιν αἱ γραφαί.
50 ५० इस पर सब चेले उसे छोड़कर भाग गए।
Καὶ ἀφέντες αὐτὸν πάντες ἔφυγον.
51 ५१ और एक जवान अपनी नंगी देह पर चादर ओढ़े हुए उसके पीछे हो लिया; और लोगों ने उसे पकड़ा।
Καὶ εἷς τις νεανίσκος ἠκολούθει αὐτῷ, περιβεβλημένος σινδόνα ἐπὶ γυμνοῦ. Καὶ κρατοῦσιν αὐτὸν οἱ νεανίσκοι·
52 ५२ पर वह चादर छोड़कर नंगा भाग गया।
ὁ δὲ καταλιπὼν τὴν σινδόνα γυμνὸς ἔφυγεν ἀπ᾿ αὐτῶν.
53 ५३ फिर वे यीशु को महायाजक के पास ले गए; और सब प्रधान याजक और पुरनिए और शास्त्री उसके यहाँ इकट्ठे हो गए।
Καὶ ἀπήγαγον τὸν Ἰησοῦν πρὸς τὸν ἀρχιερέα· καὶ συνέρχονται αὐτῷ πάντες οἱ ἀρχιερεῖς καὶ οἱ πρεσβύτεροι καὶ οἱ γραμματεῖς.
54 ५४ पतरस दूर ही दूर से उसके पीछे-पीछे महायाजक के आँगन के भीतर तक गया, और प्यादों के साथ बैठकर आग तापने लगा।
Καὶ ὁ Πέτρος ἀπὸ μακρόθεν ἠκολούθησεν αὐτῷ ἕως ἔσω εἰς τὴν αὐλὴν τοῦ ἀρχιερέως· καὶ ἦν συγκαθήμενος μετὰ τῶν ὑπηρετῶν, καὶ θερμαινόμενος πρὸς τὸ φῶς.
55 ५५ प्रधान याजक और सारी महासभा यीशु को मार डालने के लिये उसके विरोध में गवाही की खोज में थे, पर न मिली।
Οἱ δὲ ἀρχιερεῖς καὶ ὅλον τὸ συνέδριον ἐζήτουν κατὰ τοῦ Ἰησοῦ μαρτυρίαν, εἰς τὸ θανατῶσαι αὐτόν, καὶ οὐχ εὕρισκον.
56 ५६ क्योंकि बहुत से उसके विरोध में झूठी गवाही दे रहे थे, पर उनकी गवाही एक सी न थी।
Πολλοὶ γὰρ ἐψευδομαρτύρουν κατ᾿ αὐτοῦ, καὶ ἴσαι αἱ μαρτυρίαι οὐκ ἦσαν.
57 ५७ तब कितनों ने उठकर उस पर यह झूठी गवाही दी,
Καί τινες ἀναστάντες ἐψευδομαρτύρουν κατ᾿ αὐτοῦ, λέγοντες
58 ५८ “हमने इसे यह कहते सुना है ‘मैं इस हाथ के बनाए हुए मन्दिर को ढा दूँगा, और तीन दिन में दूसरा बनाऊँगा, जो हाथ से न बना हो।’”
ὅτι Ἡμεῖς ἠκούσαμεν αὐτοῦ λέγοντος ὅτι Ἐγὼ καταλύσω τὸν ναὸν τοῦτον τὸν χειροποίητον, καὶ διὰ τριῶν ἡμερῶν ἄλλον ἀχειροποίητον οἰκοδομήσω.
59 ५९ इस पर भी उनकी गवाही एक सी न निकली।
Καὶ οὐδὲ οὕτως ἴση ἦν ἡ μαρτυρία αὐτῶν.
60 ६० तब महायाजक ने बीच में खड़े होकर यीशु से पूछा; “तू कोई उत्तर नहीं देता? ये लोग तेरे विरोध में क्या गवाही देते हैं?”
Καὶ ἀναστὰς ὁ ἀρχιερεὺς εἰς τὸ μέσον ἐπηρώτησε τὸν Ἰησοῦν, λέγων, Οὐκ ἀποκρίνῃ οὐδέν; Τί οὗτοί σου καταμαρτυροῦσιν;
61 ६१ परन्तु वह मौन साधे रहा, और कुछ उत्तर न दिया। महायाजक ने उससे फिर पूछा, “क्या तू उस परमधन्य का पुत्र मसीह है?”
Ὁ δὲ ἐσιώπα, καὶ οὐδὲν ἀπεκρίνατο. Πάλιν ὁ ἀρχιερεὺς ἐπηρώτα αὐτόν, καὶ λέγει αὐτῷ, Σὺ εἶ ὁ Χριστός, ὁ υἱὸς τοῦ εὐλογητοῦ;
62 ६२ यीशु ने कहा, “हाँ मैं हूँ: और तुम मनुष्य के पुत्र को सर्वशक्तिमान की दाहिनी ओर बैठे, और आकाश के बादलों के साथ आते देखोगे।”
Ὁ δὲ Ἰησοῦς εἶπεν, Ἐγώ εἰμι. Καὶ ὄψεσθε τὸν υἱὸν τοῦ ἀνθρώπου καθήμενον ἐκ δεξιῶν τῆς δυνάμεως, καὶ ἐρχόμενον μετὰ τῶν νεφελῶν τοῦ οὐρανοῦ.
63 ६३ तब महायाजक ने अपने वस्त्र फाड़कर कहा, “अब हमें गवाहों का क्या प्रयोजन है?
Ὁ δὲ ἀρχιερεὺς διαρρήξας τοὺς χιτῶνας αὐτοῦ λέγει, Τί ἔτι χρείαν ἔχομεν μαρτύρων;
64 ६४ तुम ने यह निन्दा सुनी। तुम्हारी क्या राय है?” उन सब ने कहा यह मृत्युदण्ड के योग्य है।
Ἠκούσατε τῆς βλασφημίας. Τί ὑμῖν φαίνεται; Οἱ δὲ πάντες κατέκριναν αὐτὸν εἶναι ἔνοχον θανάτου.
65 ६५ तब कोई तो उस पर थूकने, और कोई उसका मुँह ढाँपने और उसे घूँसे मारने, और उससे कहने लगे, “भविष्यद्वाणी कर!” और पहरेदारों ने उसे पकड़कर थप्पड़ मारे।
Καὶ ἤρξαντό τινες ἐμπτύειν αὐτῷ, καὶ περικαλύπτειν τὸ πρόσωπον αὐτοῦ, καὶ κολαφίζειν αὐτόν, καὶ λέγειν αὐτῷ, Προφήτευσον. Καὶ οἱ ὑπηρέται ῥαπίσμασιν αὐτὸν ἔβαλλον.
66 ६६ जब पतरस नीचे आँगन में था, तो महायाजक की दासियों में से एक वहाँ आई।
Καὶ ὄντος τοῦ Πέτρου ἐν τῇ αὐλῇ κάτω, ἔρχεται μία τῶν παιδισκῶν τοῦ ἀρχιερέως,
67 ६७ और पतरस को आग तापते देखकर उस पर टकटकी लगाकर देखा और कहने लगी, “तू भी तो उस नासरी यीशु के साथ था।”
καὶ ἰδοῦσα τὸν Πέτρον θερμαινόμενον, ἐμβλέψασα αὐτῷ λέγει, Καὶ σὺ μετὰ τοῦ Ναζαρηνοῦ Ἰησοῦ ἦσθα.
68 ६८ वह मुकर गया, और कहा, “मैं तो नहीं जानता और नहीं समझता कि तू क्या कह रही है।” फिर वह बाहर डेवढ़ी में गया; और मुर्गे ने बाँग दी।
Ὁ δὲ ἠρνήσατο, λέγων, Οὐκ οἶδα, οὐδὲ ἐπίσταμαι τί σὺ λέγεις. Καὶ ἐξῆλθεν ἔξω εἰς τὸ προαύλιον· καὶ ἀλέκτωρ ἐφώνησε.
69 ६९ वह दासी उसे देखकर उनसे जो पास खड़े थे, फिर कहने लगी, कि “यह उनमें से एक है।”
Καὶ ἡ παιδίσκη ἰδοῦσα αὐτὸν πάλιν ἤρξατο λέγειν τοῖς παρεστηκόσιν ὅτι Οὗτος ἐξ αὐτῶν ἐστίν.
70 ७० परन्तु वह फिर मुकर गया। और थोड़ी देर बाद उन्होंने जो पास खड़े थे फिर पतरस से कहा, “निश्चय तू उनमें से एक है; क्योंकि तू गलीली भी है।”
Ὁ δὲ πάλιν ἠρνεῖτο. Καὶ μετὰ μικρὸν πάλιν οἱ παρεστῶτες ἔλεγον τῷ Πέτρῳ, Ἀληθῶς ἐξ αὐτῶν εἶ· καὶ γὰρ Γαλιλαῖος εἶ, καὶ ἡ λαλιά σου ὁμοιάζει.
71 ७१ तब वह स्वयं को कोसने और शपथ खाने लगा, “मैं उस मनुष्य को, जिसकी तुम चर्चा करते हो, नहीं जानता।”
Ὁ δὲ ἤρξατο ἀναθεματίζειν καὶ ὀμνύειν ὅτι Οὐκ οἶδα τὸν ἄνθρωπον τοῦτον ὃν λέγετε.
72 ७२ तब तुरन्त दूसरी बार मुर्गे ने बाँग दी पतरस को यह बात जो यीशु ने उससे कही थी याद आई, “मुर्गे के दो बार बाँग देने से पहले तू तीन बार मेरा इन्कार करेगा।” वह इस बात को सोचकर फूट फूटकर रोने लगा।
Καὶ ἐκ δευτέρου ἀλέκτωρ ἐφώνησε. Καὶ ἀνεμνήσθη ὁ Πέτρος τοῦ ῥήματος οὗ εἶπεν αὐτῷ ὁ Ἰησοῦς ὅτι Πρὶν ἀλέκτορα φωνῆσαι δίς, ἀπαρνήσῃ με τρίς. Καὶ ἐπιβαλὼν ἔκλαιε.