< मरकुस 12 >

1 फिर वह दृष्टान्तों में उनसे बातें करने लगा: “किसी मनुष्य ने दाख की बारी लगाई, और उसके चारों ओर बाड़ा बाँधा, और रस का कुण्ड खोदा, और गुम्मट बनाया; और किसानों को उसका ठेका देकर परदेश चला गया।
اَنَنْتَرَں یِیشُ رْدرِشْٹانْتینَ تیبھْیَح کَتھَیِتُماریبھے، کَشْچِدیکو دْراکْشاکْشیتْرَں وِدھایَ تَچَّتُرْدِکْشُ وارَنِیں کرِتْوا تَنْمَدھْیے دْراکْشاپیشَنَکُنْڈَمْ اَکھَنَتْ، تَتھا تَسْیَ گَڈَمَپِ نِرْمِّتَوانْ تَتَسْتَتْکْشیتْرَں کرِشِیوَلیشُ سَمَرْپْیَ دُورَدیشَں جَگامَ۔
2 फिर फल के मौसम में उसने किसानों के पास एक दास को भेजा कि किसानों से दाख की बारी के फलों का भाग ले।
تَدَنَنْتَرَں پھَلَکالے کرِشِیوَلیبھْیو دْراکْشاکْشیتْرَپھَلانِ پْراپْتُں تیشاں سَوِدھے بھرِتْیَمْ ایکَں پْراہِنوتْ۔
3 पर उन्होंने उसे पकड़कर पीटा और खाली हाथ लौटा दिया।
کِنْتُ کرِشِیوَلاسْتَں دھرِتْوا پْرَہرِتْیَ رِکْتَہَسْتَں وِسَسرِجُح۔
4 फिर उसने एक और दास को उनके पास भेजा और उन्होंने उसका सिर फोड़ डाला और उसका अपमान किया।
تَتَح سَ پُنَرَنْیَمیکَں بھرِتْیَں پْرَشَیاماسَ، کِنْتُ تے کرِشِیوَلاح پاشاناگھاتَیسْتَسْیَ شِرو بھَنْکْتْوا ساپَمانَں تَں وْیَسَرْجَنْ۔
5 फिर उसने एक और को भेजा, और उन्होंने उसे मार डाला; तब उसने और बहुतों को भेजा, उनमें से उन्होंने कितनों को पीटा, और कितनों को मार डाला।
تَتَح پَرَں سوپَرَں داسَں پْراہِنوتْ تَدا تے تَں جَگھْنُح، ایوَمْ اَنیکیشاں کَسْیَچِتْ پْرَہارَح کَسْیَچِدْ وَدھَشْچَ تَیح کرِتَح۔
6 अब एक ही रह गया था, जो उसका प्रिय पुत्र था; अन्त में उसने उसे भी उनके पास यह सोचकर भेजा कि वे मेरे पुत्र का आदर करेंगे।
تَتَح پَرَں مَیا سْوَپُتْرے پْرَہِتے تے تَمَوَشْیَں سَمَّںسْیَنْتے، اِتْیُکْتْواوَشیشے تیشاں سَنِّدھَو نِجَپْرِیَمْ اَدْوِتِییَں پُتْرَں پْریشَیاماسَ۔
7 पर उन किसानों ने आपस में कहा; ‘यही तो वारिस है; आओ, हम उसे मार डालें, तब विरासत हमारी हो जाएगी।’
کِنْتُ کرِشِیوَلاح پَرَسْپَرَں جَگَدُح، ایشَ اُتَّرادھِکارِی، آگَچّھَتَ وَیَمینَں ہَنْمَسْتَتھا کرِتے دھِکارویَمْ اَسْماکَں بھَوِشْیَتِ۔
8 और उन्होंने उसे पकड़कर मार डाला, और दाख की बारी के बाहर फेंक दिया।
تَتَسْتَں دھرِتْوا ہَتْوا دْراکْشاکْشیتْرادْ بَہِح پْراکْشِپَنْ۔
9 “इसलिए दाख की बारी का स्वामी क्या करेगा? वह आकर उन किसानों का नाश करेगा, और दाख की बारी औरों को दे देगा।
اَنیناسَو دْراکْشاکْشیتْرَپَتِح کِں کَرِشْیَتِ؟ سَ ایتْیَ تانْ کرِشِیوَلانْ سَںہَتْیَ تَتْکْشیتْرَمْ اَنْییشُ کرِشِیوَلیشُ سَمَرْپَیِشْیَتِ۔
10 १० क्या तुम ने पवित्रशास्त्र में यह वचन नहीं पढ़ा: ‘जिस पत्थर को राजमिस्त्रियों ने निकम्मा ठहराया था, वहीकोने का सिराहो गया;
اَپَرَنْچَ، "سْتھَپَتَیَح کَرِشْیَنْتِ گْراوانَں یَنْتُ تُچّھَکَں۔ پْرادھانَپْرَسْتَرَح کونے سَ ایوَ سَںبھَوِشْیَتِ۔
11 ११ यह प्रभु की ओर से हुआ, और हमारी दृष्टि में अद्भुत है’!”
ایتَتْ کَرْمَّ پَریشَسْیاںدْبھُتَں نو درِشْٹِتو بھَویتْ۔۔ " اِماں شاسْتْرِییاں لِپِں یُویَں کِں ناپاٹھِشْٹَ؟
12 १२ तब उन्होंने उसे पकड़ना चाहा; क्योंकि समझ गए थे, कि उसने हमारे विरोध में यह दृष्टान्त कहा है: पर वे लोगों से डरे; और उसे छोड़कर चले गए।
تَدانِیں سَ تانُدِّشْیَ تاں درِشْٹانْتَکَتھاں کَتھِتَوانْ، تَ اِتّھَں بُدْوّا تَں دھَرْتّامُدْیَتاح، کِنْتُ لوکیبھْیو بِبھْیُح، تَدَنَنْتَرَں تے تَں وِہایَ وَوْرَجُح۔
13 १३ तब उन्होंने उसे बातों में फँसाने के लिये कुछ फरीसियों और हेरोदियों को उसके पास भेजा।
اَپَرَنْچَ تے تَسْیَ واکْیَدوشَں دھَرْتّاں کَتِپَیانْ پھِرُوشِنو ہیرودِییاںشْچَ لوکانْ تَدَنْتِکَں پْریشَیاماسُح۔
14 १४ और उन्होंने आकर उससे कहा, “हे गुरु, हम जानते हैं, कि तू सच्चा है, और किसी की परवाह नहीं करता; क्योंकि तू मनुष्यों का मुँह देखकर बातें नहीं करता, परन्तु परमेश्वर का मार्ग सच्चाई से बताता है। तो क्या कैसर को कर देना उचित है, कि नहीं?
تَ آگَتْیَ تَمَوَدَنْ، ہے گُرو بھَوانْ تَتھْیَبھاشِی کَسْیاپْیَنُرودھَں نَ مَنْیَتے، پَکْشَپاتَنْچَ نَ کَروتِ، یَتھارْتھَتَ اِیشْوَرِییَں مارْگَں دَرْشَیَتِ وَیَمیتَتْ پْرَجانِیمَح، کَیسَرایَ کَرو دییو نَ واں؟ وَیَں داسْیامو نَ وا؟
15 १५ हम दें, या न दें?” उसने उनका कपट जानकर उनसे कहा, “मुझे क्यों परखते हो? एक दीनार मेरे पास लाओ, कि मैं देखूँ।”
کِنْتُ سَ تیشاں کَپَٹَں جْناتْوا جَگادَ، کُتو ماں پَرِیکْشَدھْوے؟ ایکَں مُدْراپادَں سَمانِییَ ماں دَرْشَیَتَ۔
16 १६ वे ले आए, और उसने उनसे कहा, “यह मूर्ति और नाम किसका है?” उन्होंने कहा, “कैसर का।”
تَدا تَیریکَسْمِنْ مُدْراپادے سَمانِیتے سَ تانْ پَپْرَچّھَ، اَتْرَ لِکھِتَں نامَ مُورْتِّ رْوا کَسْیَ؟ تے پْرَتْیُوچُح، کَیسَرَسْیَ۔
17 १७ यीशु ने उनसे कहा, “जो कैसर का है वह कैसर को, और जो परमेश्वर का है परमेश्वर को दो।” तब वे उस पर बहुत अचम्भा करने लगे।
تَدا یِیشُرَوَدَتْ تَرْہِ کَیسَرَسْیَ دْرَوْیانِ کَیسَرایَ دَتَّ، اِیشْوَرَسْیَ دْرَوْیانِ تُ اِیشْوَرایَ دَتَّ؛ تَتَسْتے وِسْمَیَں مینِرے۔
18 १८ फिर सदूकियों ने भी, जो कहते हैं कि मरे हुओं का जी उठना है ही नहीं, उसके पास आकर उससे पूछा,
اَتھَ مرِتانامُتّھانَں یے نَ مَنْیَنْتے تے سِدُوکِنو یِیشوح سَمِیپَماگَتْیَ تَں پَپْرَچّھُح؛
19 १९ “हे गुरु, मूसा ने हमारे लिये लिखा है, कि यदि किसी का भाई बिना सन्तान मर जाए, और उसकी पत्नी रह जाए, तो उसका भाई उसकी पत्नी से विवाह कर ले और अपने भाई के लिये वंश उत्पन्न करे।
ہے گُرو کَشْچِجَّنو یَدِ نِحسَنْتَتِح سَنْ بھارْیّایاں سَتْیاں مْرِیَتے تَرْہِ تَسْیَ بھْراتا تَسْیَ بھارْیّاں گرِہِیتْوا بھْراتُ رْوَںشوتْپَتِّں کَرِشْیَتِ، وْیَوَسْتھامِماں مُوسا اَسْمانْ پْرَتِ وْیَلِکھَتْ۔
20 २० सात भाई थे। पहला भाई विवाह करके बिना सन्तान मर गया।
کِنْتُ کیچِتْ سَپْتَ بھْراتَرَ آسَنْ، تَتَسْتیشاں جْییشْٹھَبھْراتا وِوَہْیَ نِحسَنْتَتِح سَنْ اَمْرِیَتَ۔
21 २१ तब दूसरे भाई ने उस स्त्री से विवाह कर लिया और बिना सन्तान मर गया; और वैसे ही तीसरे ने भी।
تَتو دْوِتِییو بھْراتا تاں سْتْرِیَمَگرِہَنَتْ کِنْتُ سوپِ نِحسَنْتَتِح سَنْ اَمْرِیَتَ؛ اَتھَ ترِتِییوپِ بھْراتا تادرِشوبھَوَتْ۔
22 २२ और सातों से सन्तान न हुई। सब के पीछे वह स्त्री भी मर गई।
اِتّھَں سَپْتَیوَ بھْراتَرَسْتاں سْتْرِیَں گرِہِیتْوا نِحسَنْتاناح سَنْتومْرِیَنْتَ، سَرْوَّشیشے ساپِ سْتْرِی مْرِیَتے سْمَ۔
23 २३ अतः जी उठने पर वह उनमें से किसकी पत्नी होगी? क्योंकि वह सातों की पत्नी हो चुकी थी।”
اَتھَ مرِتانامُتّھانَکالے یَدا تَ اُتّھاسْیَنْتِ تَدا تیشاں کَسْیَ بھارْیّا سا بھَوِشْیَتِ؟ یَتَسْتے سَپْتَیوَ تاں وْیَوَہَنْ۔
24 २४ यीशु ने उनसे कहा, “क्या तुम इस कारण से भूल में नहीं पड़े हो कि तुम न तो पवित्रशास्त्र ही को जानते हो, और न परमेश्वर की सामर्थ्य को?
تَتو یِیشُح پْرَتْیُواچَ شاسْتْرَمْ اِیشْوَرَشَکْتِنْچَ یُویَمَجْناتْوا کِمَبھْرامْیَتَ نَ؟
25 २५ क्योंकि जब वे मरे हुओं में से जी उठेंगे, तो उनमें विवाह-शादी न होगी; पर स्वर्ग में दूतों के समान होंगे।
مرِتَلوکانامُتّھانَں سَتِ تے نَ وِوَہَنْتِ واگْدَتّا اَپِ نَ بھَوَنْتِ، کِنْتُ سْوَرْگِییَدُوتاناں سَدرِشا بھَوَنْتِ۔
26 २६ मरे हुओं के जी उठने के विषय में क्या तुम नेमूसा की पुस्तकमें झाड़ी की कथा में नहीं पढ़ा कि परमेश्वर ने उससे कहा: ‘मैं अब्राहम का परमेश्वर, और इसहाक का परमेश्वर, और याकूब का परमेश्वर हूँ?’
پُنَشْچَ "اَہَمْ اِبْراہِیمَ اِیشْوَرَ اِسْہاکَ اِیشْوَرو یاکُوبَشْچیشْوَرَح" یامِماں کَتھاں سْتَمْبَمَدھْیے تِشْٹھَنْ اِیشْوَرو مُوسامَوادِیتْ مرِتانامُتّھانارْتھے سا کَتھا مُوسالِکھِتے پُسْتَکے کِں یُشْمابھِ رْناپاٹھِ؟
27 २७ परमेश्वर मरे हुओं का नहीं, वरन् जीवितों का परमेश्वर है, तुम बड़ी भूल में पड़े हो।”
اِیشْوَرو جِیوَتاں پْرَبھُح کِنْتُ مرِتاناں پْرَبھُ رْنَ بھَوَتِ، تَسْمادّھیتو رْیُویَں مَہابھْرَمینَ تِشْٹھَتھَ۔
28 २८ और शास्त्रियों में से एक ने आकर उन्हें विवाद करते सुना, और यह जानकर कि उसने उन्हें अच्छी रीति से उत्तर दिया, उससे पूछा, “सबसे मुख्य आज्ञा कौन सी है?”
ایتَرْہِ ایکودھْیاپَکَ ایتْیَ تیشامِتّھَں وِچارَں شُشْراوَ؛ یِیشُسْتیشاں واکْیَسْیَ سَدُتَّرَں دَتَّوانْ اِتِ بُدْوّا تَں پرِشْٹَوانْ سَرْوّاسامْ آجْناناں کا شْریشْٹھا؟ تَتو یِیشُح پْرَتْیُواچَ،
29 २९ यीशु ने उसे उत्तर दिया, “सब आज्ञाओं में से यह मुख्य है: ‘हे इस्राएल सुन, प्रभु हमारा परमेश्वर एक ही प्रभु है।
"ہے اِسْراییلّوکا اَوَدھَتَّ، اَسْماکَں پْرَبھُح پَرَمیشْوَرَ ایکَ ایوَ،
30 ३० और तू प्रभु अपने परमेश्वर से अपने सारे मन से, और अपने सारे प्राण से, और अपनी सारी बुद्धि से, और अपनी सारी शक्ति से प्रेम रखना।’
یُویَں سَرْوَّنْتَحکَرَنَیح سَرْوَّپْرانَیح سَرْوَّچِتَّیح سَرْوَّشَکْتِبھِشْچَ تَسْمِنْ پْرَبھَو پَرَمیشْوَرے پْرِییَدھْوَں،" اِتْیاجْنا شْریشْٹھا۔
31 ३१ और दूसरी यह है, ‘तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रखना।’ इससे बड़ी और कोई आज्ञा नहीं।”
تَتھا "سْوَپْرَتِواسِنِ سْوَوَتْ پْریمَ کُرُدھْوَں،" ایشا یا دْوِتِییاجْنا سا تادرِشِی؛ ایتابھْیاں دْوابھْیامْ آجْنابھْیامْ اَنْیا کاپْیاجْنا شْریشْٹھا ناسْتِ۔
32 ३२ शास्त्री ने उससे कहा, “हे गुरु, बहुत ठीक! तूने सच कहा कि वह एक ही है, और उसे छोड़ और कोई नहीं।
تَدا سودھْیاپَکَسْتَمَوَدَتْ، ہے گُرو سَتْیَں بھَوانْ یَتھارْتھَں پْروکْتَوانْ یَتَ ایکَسْمادْ اِیشْوَرادْ اَنْیو دْوِتِییَ اِیشْوَرو ناسْتِ؛
33 ३३ “और उससे सारे मन, और सारी बुद्धि, और सारे प्राण, और सारी शक्ति के साथ प्रेम रखना; और पड़ोसी से अपने समान प्रेम रखना, सारे होमबलियों और बलिदानों से बढ़कर है।”
اَپَرَں سَرْوّانْتَحکَرَنَیح سَرْوَّپْرانَیح سَرْوَّچِتَّیح سَرْوَّشَکْتِبھِشْچَ اِیشْوَرے پْریمَکَرَنَں تَتھا سْوَمِیپَواسِنِ سْوَوَتْ پْریمَکَرَنَنْچَ سَرْوّیبھْیو ہومَبَلِدانادِبھْیَح شْرَشْٹھَں بھَوَتِ۔
34 ३४ जब यीशु ने देखा कि उसने समझ से उत्तर दिया, तो उससे कहा, “तू परमेश्वर के राज्य से दूर नहीं।” और किसी को फिर उससे कुछ पूछने का साहस न हुआ।
تَتو یِیشُح سُبُدّھیرِوَ تَسْییدَمْ اُتَّرَں شْرُتْوا تَں بھاشِتَوانْ تْوَمِیشْوَرَسْیَ راجْیانَّ دُوروسِ۔ اِتَح پَرَں تینَ سَہَ کَسْیاپِ واکْیَسْیَ وِچارَں کَرْتّاں کَسْیاپِ پْرَگَلْبھَتا نَ جاتا۔
35 ३५ फिर यीशु ने मन्दिर में उपदेश करते हुए यह कहा, “शास्त्री क्यों कहते हैं, कि मसीह दाऊद का पुत्र है?
اَنَنْتَرَں مَدھْییمَنْدِرَمْ اُپَدِشَنْ یِیشُرِمَں پْرَشْنَں چَکارَ، اَدھْیاپَکا اَبھِشِکْتَں (تارَکَں) کُتو دایُودَح سَنْتانَں وَدَنْتِ؟
36 ३६ दाऊद ने आप ही पवित्र आत्मा में होकर कहा है: ‘प्रभु ने मेरे प्रभु से कहा, “मेरे दाहिने बैठ, जब तक कि मैं तेरे बैरियों को तेरे पाँवों की चौकी न कर दूँ।”’
سْوَیَں دایُودْ پَوِتْرَسْیاتْمَنَ آویشینیدَں کَتھَیاماسَ۔ یَتھا۔ "مَمَ پْرَبھُمِدَں واکْیَوَدَتْ پَرَمیشْوَرَح۔ تَوَ شَتْرُونَہَں یاوَتْ پادَپِیٹھَں کَرومِ نَ۔ تاوَتْ کالَں مَدِییے تْوَں دَکْشَپارْشْوْ اُپاوِشَ۔ "
37 ३७ “दाऊद तो आप ही उसे प्रभु कहता है, फिर वह उसका पुत्र कहाँ से ठहरा?” और भीड़ के लोग उसकी आनन्द से सुनते थे।
یَدِ دایُودْ تَں پْرَبھُوں وَدَتِ تَرْہِ کَتھَں سَ تَسْیَ سَنْتانو بھَوِتُمَرْہَتِ؟ اِتَرے لوکاسْتَتْکَتھاں شْرُتْوانَنَنْدُح۔
38 ३८ उसने अपने उपदेश में उनसे कहा, “शास्त्रियों से सावधान रहो, जो लम्बे वस्त्र पहने हुए फिरना और बाजारों में नमस्कार,
تَدانِیں سَ تانُپَدِشْیَ کَتھِتَوانْ یے نَرا دِیرْگھَپَرِدھییانِ ہَٹّے وِپَنَو چَ
39 ३९ और आराधनालयों में मुख्य-मुख्य आसन और भोज में मुख्य-मुख्य स्थान भी चाहते हैं।
لوکَکرِتَنَمَسْکارانْ بھَجَنَگرِہے پْرَدھاناسَنانِ بھوجَنَکالے پْرَدھانَسْتھانانِ چَ کانْکْشَنْتے؛
40 ४० वे विधवाओं के घरों को खा जाते हैं, और दिखाने के लिये बड़ी देर तक प्रार्थना करते रहते हैं, ये अधिक दण्ड पाएँगे।”
وِدھَواناں سَرْوَّسْوَں گْرَسِتْوا چھَلادْ دِیرْگھَکالَں پْرارْتھَیَنْتے تیبھْیَ اُپادھْیاییبھْیَح ساوَدھانا بھَوَتَ؛ تےدھِکَتَرانْ دَنْڈانْ پْراپْسْیَنْتِ۔
41 ४१ और वह मन्दिर के भण्डार के सामने बैठकर देख रहा था कि लोग मन्दिर के भण्डार में किस प्रकार पैसे डालते हैं, और बहुत धनवानों ने बहुत कुछ डाला।
تَدَنَنْتَرَں لوکا بھانْڈاگارے مُدْرا یَتھا نِکْشِپَنْتِ بھانْڈاگارَسْیَ سَمُّکھے سَمُپَوِشْیَ یِیشُسْتَدَوَلُلوکَ؛ تَدانِیں بَہَوو دھَنِنَسْتَسْیَ مَدھْیے بَہُونِ دھَنانِ نِرَکْشِپَنْ۔
42 ४२ इतने में एक गरीब विधवा ने आकर दो दमड़ियाँ, जो एक अधेले के बराबर होती है, डाली।
پَشْچادْ ایکا دَرِدْرا وِدھَوا سَماگَتْیَ دْوِپَنَمُولْیاں مُدْرَیکاں تَتْرَ نِرَکْشِپَتْ۔
43 ४३ तब उसने अपने चेलों को पास बुलाकर उनसे कहा, “मैं तुम से सच कहता हूँ कि मन्दिर के भण्डार में डालने वालों में से इस गरीब विधवा ने सबसे बढ़कर डाला है;
تَدا یِیشُح شِشْیانْ آہُویَ کَتھِتَوانْ یُشْمانَہَں یَتھارْتھَں وَدامِ یے یے بھانْڈاگارےسْمِنَ دھَنانِ نِحکْشِپَنْتِ سْمَ تیبھْیَح سَرْوّیبھْیَ اِیَں وِدھَوا دَرِدْرادھِکَمْ نِحکْشِپَتِ سْمَ۔
44 ४४ क्योंकि सब ने अपने धन की बढ़ती में से डाला है, परन्तु इसने अपनी घटी में से जो कुछ उसका था, अर्थात् अपनी सारी जीविका डाल दी है।”
یَتَسْتے پْرَبھُوتَدھَنَسْیَ کِنْچِتْ نِرَکْشِپَنْ کِنْتُ دِینییَں سْوَدِنَیاپَنَیوگْیَں کِنْچِدَپِ نَ سْتھاپَیِتْوا سَرْوَّسْوَں نِرَکْشِپَتْ۔

< मरकुस 12 >