< लूका 8 >

1 इसके बाद वह नगर-नगर और गाँव-गाँव प्रचार करता हुआ, और परमेश्वर के राज्य का सुसमाचार सुनाता हुआ, फिरने लगा, और वे बारह उसके साथ थे,
ܘܗܘܐ ܡܢ ܒܬܪ ܗܠܝܢ ܡܬܟܪܟ ܗܘܐ ܝܫܘܥ ܒܡܕܝܢܬܐ ܘܒܩܘܪܝܐ ܘܡܟܪܙ ܗܘܐ ܘܡܤܒܪ ܡܠܟܘܬܐ ܕܐܠܗܐ ܘܬܪܥܤܪܬܗ ܥܡܗ
2 और कुछ स्त्रियाँ भी जो दुष्टात्माओं से और बीमारियों से छुड़ाई गई थीं, और वे यह हैं मरियम जो मगदलीनी कहलाती थी, जिसमें से सात दुष्टात्माएँ निकली थीं,
ܘܢܫܐ ܗܠܝܢ ܕܐܬܐܤܝ ܡܢ ܟܘܪܗܢܐ ܘܡܢ ܪܘܚܐ ܒܝܫܬܐ ܡܪܝܡ ܕܡܬܩܪܝܐ ܡܓܕܠܝܬܐ ܗܝ ܕܫܒܥܐ ܫܐܕܝܢ ܢܦܩܘ ܡܢܗ
3 और हेरोदेस के भण्डारी खुज़ा की पत्नी योअन्ना और सूसन्नाह और बहुत सी और स्त्रियाँ, ये तो अपनी सम्पत्ति से उसकी सेवा करती थीं।
ܘܝܘܚܢ ܐܢܬܬ ܟܘܙܐ ܪܒܝܬܗ ܕܗܪܘܕܤ ܘܫܘܫܢ ܘܐܚܪܢܝܬܐ ܤܓܝܐܬܐ ܐܝܠܝܢ ܕܡܫܡܫܢ ܗܘܝ ܠܗܘܢ ܡܢ ܩܢܝܢܝܗܝܢ
4 जब बड़ी भीड़ इकट्ठी हुई, और नगर-नगर के लोग उसके पास चले आते थे, तो उसने दृष्टान्त में कहा:
ܘܟܕ ܟܢܫܐ ܤܓܝܐܐ ܟܢܫ ܗܘܐ ܘܡܢ ܟܠ ܡܕܝܢܢ ܐܬܝܢ ܗܘܘ ܠܘܬܗ ܐܡܪ ܒܡܬܠܐ
5 “एक बोनेवाला बीज बोने निकला: बोते हुए कुछ मार्ग के किनारे गिरा, और रौंदा गया, और आकाश के पक्षियों ने उसे चुग लिया।
ܢܦܩ ܙܪܘܥܐ ܠܡܙܪܥ ܙܪܥܗ ܘܟܕ ܙܪܥ ܐܝܬ ܕܢܦܠ ܥܠ ܝܕ ܐܘܪܚܐ ܘܐܬܕܝܫ ܘܐܟܠܬܗ ܦܪܚܬܐ
6 और कुछ चट्टान पर गिरा, और उपजा, परन्तु नमी न मिलने से सूख गया।
ܘܐܚܪܢܐ ܢܦܠ ܥܠ ܫܘܥܐ ܘܒܪ ܫܥܬܗ ܝܥܐ ܘܕܠܝܬ ܗܘܐ ܠܗ ܬܠܝܠܘܬܐ ܝܒܫ
7 कुछ झाड़ियों के बीच में गिरा, और झाड़ियों ने साथ-साथ बढ़कर उसे दबा लिया।
ܘܐܚܪܢܐ ܢܦܠ ܒܝܬ ܟܘܒܐ ܘܝܥܘ ܥܡܗ ܟܘܒܐ ܘܚܢܩܘܗܝ
8 और कुछ अच्छी भूमि पर गिरा, और उगकर सौ गुणा फल लाया।” यह कहकर उसने ऊँचे शब्द से कहा, “जिसके सुनने के कान हों वह सुन लें।”
ܘܐܚܪܢܐ ܢܦܠ ܒܐܪܥܐ ܛܒܬܐ ܘܫܦܝܪܬܐ ܘܝܥܐ ܘܥܒܕ ܦܐܪܐ ܚܕ ܒܡܐܐ ܗܠܝܢ ܟܕ ܐܡܪ ܩܥܐ ܗܘܐ ܕܡܢ ܕܐܝܬ ܠܗ ܐܕܢܐ ܕܢܫܡܥ ܢܫܡܥ
9 उसके चेलों ने उससे पूछा, “इस दृष्टान्त का अर्थ क्या है?”
ܘܫܐܠܘܗܝ ܬܠܡܝܕܘܗܝ ܕܡܢܘ ܡܬܠܐ ܗܢܐ
10 १० उसने कहा, “तुम को परमेश्वर के राज्य के भेदों की समझ दी गई है, पर औरों को दृष्टान्तों में सुनाया जाता है, इसलिए कि ‘वे देखते हुए भी न देखें, और सुनते हुए भी न समझें।’
ܗܘ ܕܝܢ ܐܡܪ ܠܗܘܢ ܠܟܘܢ ܗܘ ܝܗܝܒ ܠܡܕܥ ܐܪܙܐ ܕܡܠܟܘܬܗ ܕܐܠܗܐ ܠܗܢܘܢ ܕܝܢ ܫܪܟܐ ܒܦܠܐܬܐ ܡܬܐܡܪ ܕܟܕ ܚܙܝܢ ܠܐ ܢܚܙܘܢ ܘܟܕ ܫܡܥܝܢ ܠܐ ܢܤܬܟܠܘܢ
11 ११ “दृष्टान्त का अर्थ यह है: बीज तो परमेश्वर का वचन है।
ܗܢܘ ܕܝܢ ܡܬܠܐ ܙܪܥܐ ܐܝܬܘܗܝ ܡܠܬܐ ܕܐܠܗܐ
12 १२ मार्ग के किनारे के वे हैं, जिन्होंने सुना; तब शैतान आकर उनके मन में से वचन उठा ले जाता है, कि कहीं ऐसा न हो कि वे विश्वास करके उद्धार पाएँ।
ܗܢܘܢ ܕܝܢ ܕܥܠ ܝܕ ܐܘܪܚܐ ܐܝܬܝܗܘܢ ܗܢܘܢ ܕܫܡܥܝܢ ܡܠܬܐ ܘܐܬܐ ܒܥܠܕܒܒܐ ܫܩܠ ܡܠܬܐ ܡܢ ܠܒܗܘܢ ܕܠܐ ܢܗܝܡܢܘܢ ܘܢܚܘܢ
13 १३ चट्टान पर के वे हैं, कि जब सुनते हैं, तो आनन्द से वचन को ग्रहण तो करते हैं, परन्तु जड़ न पकड़ने से वे थोड़ी देर तक विश्वास रखते हैं, और परीक्षा के समय बहक जाते हैं।
ܗܠܝܢ ܕܝܢ ܕܥܠ ܫܘܥܐ ܗܠܝܢ ܐܢܘܢ ܕܡܐ ܕܫܡܥܘ ܒܚܕܘܬܐ ܡܩܒܠܝܢ ܠܗ ܠܡܠܬܐ ܘܥܩܪܐ ܠܝܬ ܠܗܘܢ ܐܠܐ ܕܙܒܢܐ ܗܝ ܗܝܡܢܘܬܗܘܢ ܘܒܙܒܢ ܢܤܝܘܢܐ ܡܬܟܫܠܝܢ
14 १४ जो झाड़ियों में गिरा, यह वे हैं, जो सुनते हैं, पर आगे चलकर चिन्ता और धन और जीवन के सुख-विलास में फँस जाते हैं, और उनका फल नहीं पकता।
ܗܘ ܕܝܢ ܕܢܦܠ ܒܝܬ ܟܘܒܐ ܗܠܝܢ ܐܢܘܢ ܐܝܠܝܢ ܕܫܡܥܝܢ ܡܠܬܐ ܘܒܨܦܬܐ ܘܒܥܘܬܪܐ ܘܒܪܓܝܓܬܗ ܕܥܠܡܐ ܡܬܚܢܩܝܢ ܘܦܐܪܐ ܠܐ ܝܗܒܝܢ
15 १५ पर अच्छी भूमि में के वे हैं, जो वचन सुनकर भले और उत्तम मन में सम्भाले रहते हैं, और धीरज से फल लाते हैं।
ܗܘ ܕܝܢ ܕܒܐܪܥܐ ܛܒܬܐ ܗܠܝܢ ܐܢܘܢ ܐܝܠܝܢ ܕܒܠܒܐ ܫܦܝܐ ܘܛܒܐ ܫܡܥܝܢ ܡܠܬܐ ܘܐܚܕܝܢ ܘܝܗܒܝܢ ܦܐܪܐ ܒܡܤܝܒܪܢܘܬܐ
16 १६ “कोईदिया जलाकरबर्तन से नहीं ढाँकता, और न खाट के नीचे रखता है, परन्तु दीवट पर रखता है, कि भीतर आनेवाले प्रकाश पाएँ।
ܠܐ ܐܢܫ ܡܢܗܪ ܫܪܓܐ ܘܡܚܦܐ ܠܗ ܒܡܐܢܐ ܐܘ ܤܐܡ ܠܗ ܬܚܝܬ ܥܪܤܐ ܐܠܐ ܤܐܡ ܠܗ ܠܥܠ ܡܢ ܡܢܪܬܐ ܕܟܠ ܕܥܐܠ ܢܚܙܐ ܢܘܗܪܗ
17 १७ कुछ छिपा नहीं, जो प्रगट न हो; और न कुछ गुप्त है, जो जाना न जाए, और प्रगट न हो।
ܠܝܬ ܓܝܪ ܡܕܡ ܕܟܤܐ ܕܠܐ ܢܬܓܠܐ ܘܠܐ ܕܡܛܫܝ ܕܠܐ ܢܬܝܕܥ ܘܢܐܬܐ ܠܓܠܝܐ
18 १८ इसलिए सावधान रहो, कि तुम किस रीति से सुनते हो? क्योंकि जिसके पास है, उसे दिया जाएगा; और जिसके पास नहीं है, उससे वह भी ले लिया जाएगा, जिसे वह अपना समझता है।”
ܚܙܘ ܐܝܟܢܐ ܫܡܥܬܘܢ ܡܢ ܕܐܝܬ ܠܗ ܓܝܪ ܢܬܝܗܒ ܠܗ ܘܡܢ ܕܠܝܬ ܠܗ ܐܦ ܗܘ ܕܤܒܪ ܕܐܝܬ ܠܗ ܢܫܬܩܠ ܡܢܗ
19 १९ उसकी माता और उसके भाई पास आए, पर भीड़ के कारण उससे भेंट न कर सके।
ܐܬܘ ܕܝܢ ܠܘܬܗ ܐܡܗ ܘܐܚܘܗܝ ܘܠܐ ܡܫܟܚܝܢ ܗܘܘ ܕܢܡܠܠܘܢ ܥܡܗ ܡܛܠ ܟܢܫܐ
20 २० और उससे कहा गया, “तेरी माता और तेरे भाई बाहर खड़े हुए तुझ से मिलना चाहते हैं।”
ܘܐܡܪܘ ܠܗ ܐܡܟ ܘܐܚܝܟ ܩܝܡܝܢ ܠܒܪ ܘܨܒܝܢ ܠܡܚܙܝܟ
21 २१ उसने उसके उत्तर में उनसे कहा, “मेरी माता और मेरे भाई ये ही है, जो परमेश्वर का वचन सुनते और मानते हैं।”
ܗܘ ܕܝܢ ܥܢܐ ܘܐܡܪ ܠܗܘܢ ܗܠܝܢ ܐܢܘܢ ܐܡܝ ܘܐܚܝ ܐܝܠܝܢ ܕܫܡܥܝܢ ܡܠܬܐ ܕܐܠܗܐ ܘܥܒܕܝܢ ܠܗ
22 २२ फिर एक दिन वह और उसके चेले नाव पर चढ़े, और उसने उनसे कहा, “आओ, झील के पार चलें।” अतः उन्होंने नाव खोल दी।
ܗܘܐ ܕܝܢ ܒܚܕ ܡܢ ܝܘܡܬܐ ܤܠܩ ܝܫܘܥ ܝܬܒ ܒܤܦܝܢܬܐ ܗܘ ܘܬܠܡܝܕܘܗܝ ܘܐܡܪ ܠܗܘܢ ܢܥܒܪ ܠܗܘ ܥܒܪܐ ܕܝܡܬܐ
23 २३ पर जब नाव चल रही थी, तो वह सो गया: और झील पर आँधी आई, और नाव पानी से भरने लगी और वे जोखिम में थे।
ܘܟܕ ܪܕܝܢ ܕܡܟ ܠܗ ܗܘ ܝܫܘܥ ܘܗܘܬ ܥܠܥܠܐ ܕܪܘܚܐ ܒܝܡܬܐ ܘܩܪܝܒܐ ܗܘܬ ܤܦܝܢܬܐ ܠܡܛܒܥ
24 २४ तब उन्होंने पास आकर उसे जगाया, और कहा, “स्वामी! स्वामी! हम नाश हुए जाते हैं।” तब उसने उठकर आँधी को और पानी की लहरों को डाँटा और वे थम गए, और शान्त हो गया।
ܘܩܪܒܘ ܐܥܝܪܘܗܝ ܘܐܡܪܝܢ ܠܗ ܪܒܢ ܪܒܢ ܐܒܕܝܢܢ ܗܘ ܕܝܢ ܩܡ ܘܟܐܐ ܒܪܘܚܐ ܘܒܡܚܫܘܠܐ ܕܝܡܐ ܘܢܚܘ ܘܗܘܐ ܫܠܝܐ
25 २५ और उसने उनसे कहा, “तुम्हारा विश्वास कहाँ था?” पर वे डर गए, और अचम्भित होकर आपस में कहने लगे, “यह कौन है, जो आँधी और पानी को भी आज्ञा देता है, और वे उसकी मानते हैं?”
ܘܐܡܪ ܠܗܘܢ ܐܝܟܐ ܗܝ ܗܝܡܢܘܬܟܘܢ ܗܢܘܢ ܕܝܢ ܟܕ ܕܚܝܠܝܢ ܡܬܕܡܪܝܢ ܗܘܘ ܘܐܡܪܝܢ ܚܕ ܠܚܕ ܡܢܘ ܟܝ ܗܢܐ ܕܐܦ ܠܪܘܚܐ ܦܩܕ ܘܠܡܚܫܘܠܐ ܘܠܝܡܐ ܘܡܫܬܡܥܝܢ ܠܗ
26 २६ फिर वे गिरासेनियों के देश में पहुँचे, जो उस पार गलील के सामने है।
ܘܪܕܘ ܘܐܬܘ ܠܐܬܪܐ ܕܓܕܪܝܐ ܕܐܝܬܘܗܝ ܒܥܒܪܐ ܠܘܩܒܠ ܓܠܝܠܐ
27 २७ जब वह किनारे पर उतरा, तो उस नगर का एक मनुष्य उसे मिला, जिसमें दुष्टात्माएँ थीं। और बहुत दिनों से न कपड़े पहनता था और न घर में रहता था वरन् कब्रों में रहा करता था।
ܘܟܕ ܢܦܩ ܠܐܪܥܐ ܦܓܥ ܒܗ ܓܒܪܐ ܚܕ ܡܢ ܡܕܝܢܬܐ ܕܐܝܬ ܒܗ ܕܝܘܐ ܡܢ ܙܒܢܐ ܤܓܝܐܐ ܘܡܐܢܐ ܠܐ ܠܒܫ ܗܘܐ ܘܒܒܝܬܐ ܠܐ ܥܡܪ ܗܘܐ ܐܠܐ ܒܒܝܬ ܩܒܘܪܐ
28 २८ वह यीशु को देखकर चिल्लाया, और उसके सामने गिरकर ऊँचे शब्द से कहा, “हे परमप्रधान परमेश्वर के पुत्र यीशु! मुझे तुझ से क्या काम? मैं तुझ से विनती करता हूँ, मुझे पीड़ा न दे।”
ܟܕ ܚܙܐ ܕܝܢ ܠܝܫܘܥ ܩܥܐ ܘܢܦܠ ܩܕܡܘܗܝ ܘܒܩܠܐ ܪܡܐ ܐܡܪ ܡܐ ܠܢ ܘܠܟ ܝܫܘܥ ܒܪܗ ܕܐܠܗܐ ܡܪܝܡܐ ܒܥܐ ܐܢܐ ܡܢܟ ܠܐ ܬܫܢܩܢܝ
29 २९ क्योंकि वह उस अशुद्ध आत्मा को उस मनुष्य में से निकलने की आज्ञा दे रहा था, इसलिए कि वह उस पर बार बार प्रबल होती थी। और यद्यपि लोग उसे जंजीरों और बेड़ियों से बाँधते थे, तो भी वह बन्धनों को तोड़ डालता था, और दुष्टात्मा उसे जंगल में भगाए फिरती थी।
ܦܩܕ ܗܘܐ ܠܗ ܓܝܪ ܝܫܘܥ ܠܪܘܚܐ ܛܢܦܐ ܠܡܦܩ ܡܢ ܒܪܢܫܐ ܤܓܝ ܗܘܐ ܓܝܪ ܙܒܢܐ ܡܢ ܕܫܒܐ ܗܘܐ ܠܗ ܘܡܬܐܤܪ ܗܘܐ ܒܫܫܠܬܐ ܘܒܟܒܠܐ ܡܬܢܛܪ ܗܘܐ ܘܡܦܤܩ ܗܘܐ ܐܤܘܪܘܗܝ ܘܡܬܕܒܪ ܗܘܐ ܡܢ ܫܐܕܐ ܠܚܘܪܒܐ
30 ३० यीशु ने उससे पूछा, “तेरा क्या नाम है?” उसने कहा, “सेना,” क्योंकि बहुत दुष्टात्माएँ उसमें समा गई थीं।
ܫܐܠܗ ܕܝܢ ܝܫܘܥ ܡܢ ܫܡܟ ܐܡܪ ܠܗ ܠܓܝܘܢ ܡܛܠ ܕܕܝܘܐ ܤܓܝܐܐ ܥܠܝܠܝܢ ܗܘܘ ܒܗ
31 ३१ और उन्होंने उससे विनती की, “हमें अथाह गड्ढे में जाने की आज्ञा न दे।” (Abyssos g12)
ܘܒܥܝܢ ܗܘܘ ܡܢܗ ܕܠܐ ܢܦܩܘܕ ܠܗܘܢ ܠܡܐܙܠ ܠܬܗܘܡܐ (Abyssos g12)
32 ३२ वहाँ पहाड़ पर सूअरों का एक बड़ा झुण्ड चर रहा था, अतः उन्होंने उससे विनती की, “हमें उनमें समाने दे।” अतः उसने उन्हें जाने दिया।
ܐܝܬ ܗܘܐ ܕܝܢ ܬܡܢ ܒܩܪܐ ܕܚܙܝܪܐ ܤܓܝܐܐ ܕܪܥܝܐ ܒܛܘܪܐ ܘܒܥܝܢ ܗܘܘ ܡܢܗ ܕܢܦܤ ܠܗܘܢ ܕܒܚܙܝܪܐ ܢܥܠܘܢ ܘܐܦܤ ܠܗܘܢ
33 ३३ तब दुष्टात्माएँ उस मनुष्य से निकलकर सूअरों में समा गई और वह झुण्ड कड़ाड़े पर से झपटकर झील में जा गिरा और डूब मरा।
ܘܢܦܩܘ ܫܐܕܐ ܡܢ ܓܒܪܐ ܘܥܠܘ ܒܚܙܝܪܐ ܘܬܪܨܬ ܒܩܪܐ ܗܝ ܟܠܗ ܠܫܩܝܦܐ ܘܢܦܠܘ ܒܝܡܬܐ ܘܐܬܚܢܩܘ
34 ३४ चरवाहे यह जो हुआ था देखकर भागे, और नगर में, और गाँवों में जाकर उसका समाचार कहा।
ܟܕ ܚܙܘ ܕܝܢ ܪܥܘܬܐ ܡܕܡ ܕܗܘܐ ܥܪܩܘ ܘܐܫܬܥܝܘ ܒܡܕܝܢܬܐ ܘܒܩܘܪܝܐ
35 ३५ और लोग यह जो हुआ था उसको देखने को निकले, और यीशु के पास आकर जिस मनुष्य से दुष्टात्माएँ निकली थीं, उसे यीशु के पाँवों के पास कपड़े पहने और सचेत बैठे हुए पाकर डर गए।
ܘܢܦܩܘ ܐܢܫܐ ܕܢܚܙܘܢ ܡܕܡ ܕܗܘܐ ܘܐܬܘ ܠܘܬ ܝܫܘܥ ܘܐܫܟܚܘܗܝ ܠܓܒܪܐ ܗܘ ܕܢܦܩܘ ܫܐܕܘܗܝ ܟܕ ܠܒܝܫ ܘܡܢܟܦ ܘܝܬܒ ܠܘܬ ܪܓܠܘܗܝ ܕܝܫܘܥ ܘܕܚܠܘ
36 ३६ और देखनेवालों ने उनको बताया, कि वह दुष्टात्मा का सताया हुआ मनुष्य किस प्रकार अच्छा हुआ।
ܘܐܫܬܥܝܘ ܠܗܘܢ ܐܝܠܝܢ ܕܚܙܘ ܐܝܟܢܐ ܐܬܐܤܝ ܓܒܪܐ ܗܘ ܕܝܘܢܐ
37 ३७ तब गिरासेनियों के आस-पास के सब लोगों ने यीशु से विनती की, कि हमारे यहाँ से चला जा; क्योंकि उन पर बड़ा भय छा गया था। अतः वह नाव पर चढ़कर लौट गया।
ܘܒܥܝܢ ܗܘܘ ܡܢܗ ܟܠܗ ܟܢܫܐ ܕܓܕܪܝܐ ܕܢܐܙܠ ܠܗ ܡܢ ܠܘܬܗܘܢ ܡܛܠ ܕܕܚܠܬܐ ܪܒܬܐ ܐܚܕܬ ܐܢܘܢ ܗܘ ܕܝܢ ܝܫܘܥ ܤܠܩ ܠܤܦܝܢܬܐ ܘܗܦܟ ܡܢ ܠܘܬܗܘܢ
38 ३८ जिस मनुष्य से दुष्टात्माएँ निकली थीं वह उससे विनती करने लगा, कि मुझे अपने साथ रहने दे, परन्तु यीशु ने उसे विदा करके कहा।
ܗܘ ܕܝܢ ܓܒܪܐ ܕܢܦܩܘ ܡܢܗ ܫܐܕܐ ܒܥܐ ܗܘܐ ܡܢܗ ܕܠܘܬܗ ܢܗܘܐ ܘܫܪܝܗܝ ܝܫܘܥ ܘܐܡܪ ܠܗ
39 ३९ “अपने घर में लौट जा और लोगों से कह दे, कि परमेश्वर ने तेरे लिये कैसे बड़े-बड़े काम किए हैं।” वह जाकर सारे नगर में प्रचार करने लगा, कि यीशु ने मेरे लिये कैसे बड़े-बड़े काम किए।
ܗܦܘܟ ܠܒܝܬܟ ܘܐܫܬܥܐ ܡܕܡ ܕܥܒܕ ܠܟ ܐܠܗܐ ܘܐܙܠ ܘܡܟܪܙ ܗܘܐ ܒܟܠܗ ܡܕܝܢܬܐ ܡܕܡ ܕܥܒܕ ܠܗ ܝܫܘܥ
40 ४० जब यीशु लौट रहा था, तो लोग उससे आनन्द के साथ मिले; क्योंकि वे सब उसकी प्रतीक्षा कर रहे थे।
ܟܕ ܗܦܟ ܕܝܢ ܝܫܘܥ ܩܒܠܗ ܟܢܫܐ ܤܓܝܐܐ ܟܠܗܘܢ ܓܝܪ ܠܗ ܚܝܪܝܢ ܗܘܘ
41 ४१ और देखो, याईर नाम एक मनुष्य जो आराधनालय का सरदार था, आया, और यीशु के पाँवों पर गिरकर उससे विनती करने लगा, “मेरे घर चल।”
ܘܓܒܪܐ ܚܕ ܕܫܡܗ ܝܘܐܪܫ ܪܝܫ ܟܢܘܫܬܐ ܢܦܠ ܩܕܡ ܪܓܠܘܗܝ ܕܝܫܘܥ ܘܒܥܐ ܗܘܐ ܡܢܗ ܕܢܥܘܠ ܠܒܝܬܗ
42 ४२ क्योंकि उसके बारह वर्ष की एकलौती बेटी थी, और वह मरने पर थी। जब वह जा रहा था, तब लोग उस पर गिरे पड़ते थे।
ܒܪܬܐ ܓܝܪ ܝܚܝܕܝܬܐ ܐܝܬ ܗܘܬ ܠܗ ܐܝܟ ܒܪܬ ܫܢܝܢ ܬܪܬܥܤܪܐ ܘܩܪܝܒܐ ܗܘܬ ܠܡܡܬ ܘܟܕ ܐܙܠ ܥܡܗ ܗܘ ܝܫܘܥ ܟܢܫܐ ܤܓܝܐܐ ܚܒܨ ܗܘܐ ܠܗ
43 ४३ और एक स्त्री ने जिसको बारह वर्ष से लहू बहने का रोग था, और जो अपनी सारी जीविका वैद्यों के पीछे व्यय कर चुकी थी और फिर भी किसी के हाथ से चंगी न हो सकी थी,
ܐܢܬܬܐ ܕܝܢ ܚܕܐ ܕܬܪܝܥ ܗܘܐ ܕܡܗ ܫܢܝܢ ܬܪܬܥܤܪܐ ܗܝ ܕܒܝܬ ܐܤܘܬܐ ܟܠܗ ܩܢܝܢܗ ܐܦܩܬ ܘܠܐ ܐܫܟܚܬ ܕܡܢ ܐܢܫ ܬܬܐܤܐ
44 ४४ पीछे से आकर उसके वस्त्र के आँचल को छुआ, और तुरन्त उसका लहू बहना थम गया।
ܐܬܩܪܒܬ ܡܢ ܒܤܬܪܗ ܘܩܪܒܬ ܠܟܢܦܐ ܕܡܐܢܗ ܘܡܚܕܐ ܩܡܬ ܡܪܕܝܬܐ ܕܕܡܗ
45 ४५ इस पर यीशु ने कहा, “मुझे किसने छुआ?” जब सब मुकरने लगे, तो पतरस और उसके साथियों ने कहा, “हे स्वामी, तुझे तो भीड़ दबा रही है और तुझ पर गिरी पड़ती है।”
ܘܐܡܪ ܝܫܘܥ ܡܢܘ ܩܪܒ ܠܝ ܘܟܕ ܟܠܗܘܢ ܟܦܪܝܢ ܐܡܪ ܠܗ ܫܡܥܘܢ ܟܐܦܐ ܘܕܥܡܗ ܪܒܢ ܟܢܫܐ ܐܠܨܝܢ ܠܟ ܘܚܒܨܝܢ ܘܐܡܪ ܐܢܬ ܡܢܘ ܩܪܒ ܠܝ
46 ४६ परन्तु यीशु ने कहा, “किसी ने मुझे छुआ है क्योंकि मैंने जान लिया है कि मुझ में से सामर्थ्य निकली है।”
ܗܘ ܕܝܢ ܐܡܪ ܐܢܫ ܩܪܒ ܠܝ ܐܢܐ ܓܝܪ ܝܕܥܬ ܕܚܝܠܐ ܢܦܩ ܡܢܝ
47 ४७ जब स्त्री ने देखा, कि मैं छिप नहीं सकती, तब काँपती हुई आई, और उसके पाँवों पर गिरकर सब लोगों के सामने बताया, कि मैंने किस कारण से तुझे छुआ, और कैसे तुरन्त चंगी हो गई।
ܗܝ ܕܝܢ ܐܢܬܬܐ ܟܕ ܚܙܬ ܕܠܐ ܛܥܬܗ ܐܬܬ ܟܕ ܪܬܝܬܐ ܘܢܦܠܬ ܤܓܕܬ ܠܗ ܘܐܡܪܬ ܠܥܝܢ ܥܡܐ ܟܠܗ ܡܛܠ ܐܝܕܐ ܥܠܬܐ ܩܪܒܬ ܘܐܝܟܢܐ ܡܚܕܐ ܐܬܐܤܝܬ
48 ४८ उसने उससे कहा, “पुत्री तेरे विश्वास ने तुझे चंगा किया है, कुशल से चली जा।”
ܗܘ ܕܝܢ ܝܫܘܥ ܐܡܪ ܠܗ ܐܬܠܒܒܝ ܒܪܬܝ ܗܝܡܢܘܬܟܝ ܐܚܝܬܟܝ ܙܠܝ ܒܫܠܡܐ
49 ४९ वह यह कह ही रहा था, कि किसी ने आराधनालय के सरदार के यहाँ से आकर कहा, “तेरी बेटी मर गई: गुरु को दुःख न दे।”
ܘܥܕ ܗܘ ܡܡܠܠ ܐܬܐ ܐܢܫ ܡܢ ܕܒܝܬ ܪܒ ܟܢܘܫܬܐ ܘܐܡܪ ܠܗ ܡܝܬܬ ܠܗ ܒܪܬܟ ܠܐ ܬܥܡܠ ܠܡܠܦܢܐ
50 ५० यीशु ने सुनकर उसे उत्तर दिया, “मत डर; केवल विश्वास रख; तो वहबच जाएगी।”
ܝܫܘܥ ܕܝܢ ܫܡܥ ܘܐܡܪ ܠܐܒܘܗ ܕܛܠܝܬܐ ܠܐ ܬܕܚܠ ܒܠܚܘܕ ܗܝܡܢ ܘܚܝܐ
51 ५१ घर में आकर उसने पतरस, और यूहन्ना, और याकूब, और लड़की के माता-पिता को छोड़ और किसी को अपने साथ भीतर आने न दिया।
ܐܬܐ ܕܝܢ ܝܫܘܥ ܠܒܝܬܐ ܘܠܐ ܫܒܩ ܠܐܢܫ ܕܢܥܘܠ ܥܡܗ ܐܠܐ ܠܫܡܥܘܢ ܘܠܝܥܩܘܒ ܘܠܝܘܚܢܢ ܘܠܐܒܘܗ ܕܛܠܝܬܐ ܘܠܐܡܗ
52 ५२ और सब उसके लिये रो पीट रहे थे, परन्तु उसने कहा, “रोओ मत; वह मरी नहीं परन्तु सो रही है।”
ܟܠܗܘܢ ܕܝܢ ܒܟܝܢ ܗܘܘ ܘܡܪܩܕܝܢ ܥܠܝܗ ܝܫܘܥ ܕܝܢ ܐܡܪ ܠܐ ܬܒܟܘܢ ܠܐ ܓܝܪ ܡܝܬܬ ܐܠܐ ܕܡܟܐ ܗܝ
53 ५३ वे यह जानकर, कि मर गई है, उसकी हँसी करने लगे।
ܘܓܚܟܝܢ ܗܘܘ ܥܠܘܗܝ ܕܝܕܥܝܢ ܕܡܝܬܬ ܠܗ
54 ५४ परन्तु उसने उसका हाथ पकड़ा, और पुकारकर कहा, “हे लड़की उठ!”
ܗܘ ܕܝܢ ܐܦܩ ܠܟܠܢܫ ܠܒܪ ܘܐܚܕܗ ܒܐܝܕܗ ܘܩܪܗ ܘܐܡܪ ܛܠܝܬܐ ܩܘܡܝ
55 ५५ तब उसके प्राण लौट आए और वह तुरन्त उठी; फिर उसने आज्ञा दी, कि उसे कुछ खाने को दिया जाए।
ܘܗܦܟܬ ܪܘܚܗ ܘܡܚܕܐ ܩܡܬ ܘܦܩܕ ܕܢܬܠܘܢ ܠܗ ܠܡܐܟܠ
56 ५६ उसके माता-पिता चकित हुए, परन्तु उसने उन्हें चेतावनी दी, कि यह जो हुआ है, किसी से न कहना।
ܘܬܡܗܘ ܐܒܗܝܗ ܗܘ ܕܝܢ ܙܗܪ ܐܢܘܢ ܕܠܐܢܫ ܠܐ ܢܐܡܪܘܢ ܡܐ ܕܗܘܐ

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