< लूका 5 >

1 जब भीड़ उस पर गिरी पड़ती थी, और परमेश्वर का वचन सुनती थी, और वह गन्नेसरत की झील के किनारे पर खड़ा था, तो ऐसा हुआ।
ᎯᎠᏃ ᏄᎵᏍᏔᏁᎢ, ᎾᏍᎩ, ᎤᏂᏣᏘ ᎬᏩᏜᏓᏫᏍᏗᏕᎨ ᎤᎾᏛᎪᏗᏱ ᎧᏃᎮᏛ ᎤᎾᎳᏅᎯ ᎤᏤᎵᎦ, ᎨᏂᏏᎳᏗ ᎥᏓᎷᎶᏗ ᎦᏙᎨᎢ.
2 कि उसने झील के किनारे दो नावें लगी हुई देखीं, और मछुए उन पर से उतरकर जाल धो रहे थे।
ᏥᏳᏃ ᏔᎵ ᏚᎪᎮ ᎥᏓᎷᎶᏗ ᏓᏔᎴᎢ; ᎠᏂᎦᏯᎷᎥᏍᎩᏍᎩᏂ ᎤᎾᏣᎢᏛ ᎨᏎᎢ, ᎠᎴ ᏓᏅᎩᎶᏍᎨ ᎫᏂᎦᏯᎷᏗ.
3 उन नावों में से एक पर, जो शमौन की थी, चढ़कर, उसने उससे विनती की, कि किनारे से थोड़ा हटा ले चले, तब वह बैठकर लोगों को नाव पर से उपदेश देने लगा।
ᏌᏉᏃ ᎠᏔᎸ ᏥᏳ ᎤᏣᏁᎢ ᎾᏍᎩ ᏌᏩᏂ ᎤᏤᎵᎦ ᎨᏎᎢ, ᎠᎴ ᎤᏔᏲᏎᎴ ᎤᏍᏗᎩᏛ ᎢᏴᏛ ᏭᎧᏙᏯᏍᏗᏱ. ᎤᏪᏁᏃ ᎠᎴ ᏚᏪᏲᏁ ᎤᏂᏣᏘ ᏥᏳᎢ ᎬᏩᏣᎢ.
4 जब वह बातें कर चुका, तो शमौन से कहा, “गहरे में ले चल, और मछलियाँ पकड़ने के लिये अपने जाल डालो।”
ᎿᎭᏉᏃ ᎤᏲᎯᏍᏔᏅ ᎦᏬᏂᏍᎬ ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎴ ᏌᏩᏂ, ᏗᏍᏛᎬ ᏫᏅᏍᏛ ᎠᎴ ᎡᎳᏗ ᏂᏗᏨᎦ ᏗᏥᎦᏯᎷᏗ ᏗᏥᏂᏴᏗᏱ.
5 शमौन ने उसको उत्तर दिया, “हे स्वामी, हमने सारी रात मेहनत की और कुछ न पकड़ा; तो भी तेरे कहने से जाल डालूँगा।”
ᏌᏩᏂᏃ ᎤᏁᏤ ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎴᎢ; ᏔᏕᏲᎲᏍᎩ ᎤᎵᏨᏓᏆᏛ ᏙᎩᎸᏫᏍᏓᏏ ᎥᏝᏃ ᎪᎱᏍᏗ ᏲᏥᏂᏴ; ᎠᏎᏃ ᏂᎯ ᏣᏁᏨ ᎢᏳᏍᏗ ᏓᎬᏂ ᎠᎦᏯᎷᏗ.
6 जब उन्होंने ऐसा किया, तो बहुत मछलियाँ घेर लाए, और उनके जाल फटने लगे।
ᎾᏍᎩᏃ ᏄᎾᏛᏁᎸ ᎤᏂᏣᏘ ᏚᏂᏂᏴᎮ ᎠᏣᏗ; ᎠᎴ ᎤᏂᎦᏯᎷᏗ ᏚᎾᎵᎦᎵᏎᎴᎢ
7 इस पर उन्होंने अपने साथियों को जो दूसरी नाव पर थे, संकेत किया, कि आकर हमारी सहायता करो: और उन्होंने आकर, दोनों नाव यहाँ तक भर लीं कि वे डूबने लगीं।
ᏚᎾᏁᎶᏥᏁᎴᏃ ᎤᎾᎵᎪᎯ ᏐᎢᏱ ᏥᏳᎯ ᎤᎾᏣᎢ ᏅᏓᎬᏩᏂᏍᏕᎸᎲᏍᏗᏱ. ᎤᏂᎷᏤᏃ, ᎠᎴ ᎢᏧᎳ ᏥᏳ ᏚᏂᎧᎵᎴᎢ, ᎾᏍᎩᏃ ᎿᎭᏉ ᏕᎦᏃᏴᎨᎢ.
8 यह देखकर शमौन पतरस यीशु के पाँवों पर गिरा, और कहा, “हे प्रभु, मेरे पास से जा, क्योंकि मैं पापी मनुष्य हूँ!”
ᏌᏃᏂᏃ ᏈᏓ ᎤᎪᎲ ᎤᏓᏅᏁ ᏥᏌ ᏗᎧᏂᎨᏂ ᎾᎥᎢ, ᎯᎠ ᏂᎦᏪᏍᎨᎢ; ᏣᎬᏫᏳᎯ ᏍᏆᏓᏅᏏ, ᏥᏍᎦᎾᎯᏳᏰᏃ ᎠᏴ.
9 क्योंकि इतनी मछलियों के पकड़े जाने से उसे और उसके साथियों को बहुत अचम्भा हुआ;
ᎤᏍᏆᏂᎪᏎᏰᏃ ᎠᎴ ᏂᎦᏛ ᎠᏁᎯ ᎤᏂᏍᏆᏂᎪᏎ ᏅᏗᎦᎵᏍᏙᏗᏍᎨ ᎾᏂᎥ ᎠᏣᏗ ᏚᏂᏂᏴᎲᎢ;
10 १० और वैसे ही जब्दी के पुत्र याकूब और यूहन्ना को भी, जो शमौन के सहभागी थे, अचम्भा हुआ तब यीशु ने शमौन से कहा, “मत डर, अब से तू मनुष्यों को जीविता पकड़ा करेगा।”
ᎠᎴ ᎾᏍᏉ ᏥᎻ ᎠᎴ ᏣᏂ ᏤᏈᏗ ᏧᏪᏥ ᎾᏍᎩ ᎤᎾᎵᎪᎯ ᏥᎨᏎ ᏌᏩᏂ. ᏥᏌᏃ ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎴ ᏌᏩᏂ; ᏞᏍᏗ ᏣᏍᎦᎸᎩ; ᎪᎯ ᎢᏳᏓᎴᏅᏛ ᏴᏫ ᏘᏂᏱᏍᎩ ᎨᏎᏍᏗ.
11 ११ और वे नावों को किनारे पर ले आए और सब कुछ छोड़कर उसके पीछे हो लिए।
ᎤᏩᏝᎥᏃ ᏚᏂᏔᎳᏗᎸ ᏥᏳ, ᏂᎦᏛ ᏚᏂᏲᏐᏁ ᎠᎴ ᎬᏩᏍᏓᏩᏛᏎᎢ.
12 १२ जब वह किसी नगर में था, तो वहाँ कोढ़ से भरा हुआ एक मनुष्य आया, और वह यीशु को देखकर मुँह के बल गिरा, और विनती की, “हे प्रभु यदि तू चाहे तो मुझे शुद्ध कर सकता है।”
ᎯᎠᏃ ᏄᎵᏍᏔᏁ ᎢᎸᎯᏢ ᎦᏚᎲ ᎡᏙᎲᎢ, ᎬᏂᏳᏉ ᎠᏍᎦᏯ ᏂᎬ ᎠᏓᏰᏍᎩ ᎤᏢᎩ ᎾᎿᎭᎡᏙᎮᎢ; ᎾᏍᎩ ᏥᏌᎤᎪᎲ ᎤᏯᏍᏚᏎᎢ, ᎠᎴ ᎤᏔᏲᏎᎴ ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎢ, ᏣᎬᏫᏳᎯ, ᎢᏳᏃ ᎣᏏᏳ ᏱᏣᏰᎸᏅ ᏰᎵᏉ ᏱᏍᎩᏅᎦᎸ.
13 १३ उसने हाथ बढ़ाकर उसे छुआ और कहा, “मैं चाहता हूँ, तू शुद्ध हो जा।” और उसका कोढ़ तुरन्त जाता रहा।
ᎤᏙᏯᏅᎯᏛᏃ ᎤᏒᏂᎴᎢ, ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎢ; ᎣᏏᏳ ᏥᏰᎸᎾ; ᏣᏓᏅᎦᎸᏛ ᎨᏎᏍᏗ. ᎩᎳᏉᏃ ᎢᏴᏛ ᎠᏓᏰᏍᎩ ᎤᏢᎬ ᎤᏓᏅᎡᎴᎢ.
14 १४ तब उसने उसे चिताया, “किसी से न कह, परन्तु जा के अपने आपको याजक को दिखा, और अपने शुद्ध होने के विषय में जो कुछ मूसा ने चढ़ावा ठहराया है उसे चढ़ा कि उन पर गवाही हो।”
ᎤᏁᏤᎴᏃ ᎩᎶ ᎤᏃᏁᏗᏱ ᏂᎨᏒᎾ; ᎮᎾᏉᏍᎩᏂ, [ ᎤᏬᏎᎴᎢ, ] ᏫᏯᏓᎾᏄᎪᏫᏏ ᎠᏥᎸ-ᎨᎶᎯ, ᎠᎴ ᎼᏏ ᎤᏁᏨ ᏣᏓᏅᎦᎸᎲ ᎠᎵᏍᎪᎸᏙᏗ ᏫᎲᎦ, ᎾᏍᎩ ᎤᎾᏙᎴᎰᎯᏍᏙᏗ.
15 १५ परन्तु उसकी चर्चा और भी फैलती गई, और बड़ी भीड़ उसकी सुनने के लिये और अपनी बीमारियों से चंगे होने के लिये इकट्ठी हुई।
ᎠᏎᏃ ᎤᏟᏉ ᎢᎦᎢ ᏚᏰᎵᏎ ᎾᏍᎩ ᏕᎦᏃᏣᎸᎢ. ᎤᏂᏣᏘᏃ ᏚᏂᎳᏫᏦᎴ ᎤᎾᏚᎵᏍᎨ ᎤᎾᏛᎪᏗᏱ ᎠᎴ ᏧᏅᏬᏗᏱ ᏚᏂᏢᎬᎢ.
16 १६ परन्तु वह निर्जन स्थानों में अलग जाकर प्रार्थना किया करता था।
ᎤᏓᏅᏎᏃ ᎢᎾᎨ ᏬᎶᏎ ᎠᎴ ᎠᏓᏙᎵᏍᏗᏍᎨᎢ.
17 १७ और एक दिन ऐसा हुआ कि वह उपदेश दे रहा था, और फरीसी और व्यवस्थापक वहाँ बैठे हुए थे, जो गलील और यहूदिया के हर एक गाँव से, और यरूशलेम से आए थे; और चंगा करने के लिये प्रभु की सामर्थ्य उसके साथ थी।
ᎢᎸᎯᏳᏃ ᎯᎠ ᏄᎵᏍᏔᏁᎢ, ᎾᎯᏳ ᏓᏕᏲᎲᏍᎨᎢ, ᎾᎿᎭᎠᏂᏁ ᎠᏂᏆᎵᏏ ᎠᎴ ᏗᎧᎿᎭᏩᏛᏍᏗ ᏗᏃᏏᏏᏍᎩ ᏕᎦᏚᏩᏗᏒ ᎨᎵᎵ ᏅᏓᏩᏂᎶᏒᎯ, ᎠᎴ ᏧᏗᏱ, ᎠᎴ ᏥᎷᏏᎵᎻ; ᎤᎬᏫᏳᎯᏃ ᎤᎵᏂᎬᎬ ᏚᎾᏗᏫᏍᏗᏍᎨᎢ.
18 १८ और देखो कई लोग एक मनुष्य को जो लकवे का रोगी था, खाट पर लाए, और वे उसे भीतर ले जाने और यीशु के सामने रखने का उपाय ढूँढ़ रहे थे।
ᎠᎴ ᎬᏂᏳᏉ ᎩᎶ ᎢᏳᎾᏍᏗ ᎠᏂᏍᎦᏯ ᎤᏂᏃᎴ ᎠᏤᏍᏙᎩᎯ ᎦᏅᎨ ᎠᏍᎦᏯ ᎤᎸᏓᎸᎥᏍᎩ; ᎤᎾᏁᎶᏔᏁᏃ ᎤᏂᏴᏔᏂᎯᏍᏗᏱ, ᎠᎴ [ ᏥᏌ ] ᎢᎬᏱᏢ ᎤᏂᏅᏁᏗᏱ.
19 १९ और जब भीड़ के कारण उसे भीतर न ले जा सके तो उन्होंने छत पर चढ़कर और खपरैल हटाकर, उसे खाट समेत बीच में यीशु के सामने उतार दिया।
ᎤᎾᏠᏨᏃ ᎢᏳᎾᏛᏁᏗᏱ ᎤᏂᏴᏔᏂᎯᏍᏗᏱ ᎤᏂᏣᏘ ᎨᏒ ᎢᏳᏍᏗ, ᎦᏌᎾᎵ ᎤᎾᎩᎳᏫᏎᎢ, ᎾᎿᎭᏃ ᏧᏂᎦᏛᎴᎯᏍᏔᏁ ᎤᎾᏠᎥᏔᏂᎴ ᎤᏤᏍᏙ ᎬᏩᏠᏯᏍᏗ ᎤᎾᏓᏡᎬ ᎠᏰᎵ, ᏥᏌ ᎢᎬᏱᏢ ᎤᏂᏅᏁᎴᎢ.
20 २० उसने उनका विश्वास देखकर उससे कहा, “हे मनुष्य, तेरे पाप क्षमा हुए।”
ᎤᏃᎯᏳᏒᏃ ᎤᏙᎴᎰᏒ, ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎴᎢ; ᎯᏍᎦᏯ, ᏣᏍᎦᏅᏨ ᎡᏣᏙᎵᎩ.
21 २१ तब शास्त्री और फरीसी विवाद करने लगे, “यह कौन है, जो परमेश्वर की निन्दा करता है? परमेश्वर को छोड़ कौन पापों की क्षमा कर सकता है?”
ᏗᏃᏪᎵᏍᎩᏃ ᎠᎴ ᎠᏂᏆᎵᏏ ᎤᎾᏓᏅᏖᎴ ᎯᎠ ᏄᏂᏪᏎᎢ; ᎦᎪ ᎯᎠ ᎾᏍᎩ ᏣᏐᏢᎢᏍᏗᎭ? ᎦᎪ ᎬᏩᏓᏙᎵᏍᏗ ᎠᏍᎦᏅᏨᎢ? ᏝᏍᎪ ᎤᏁᎳᏅᎯ ᎤᏩᏒ?
22 २२ यीशु ने उनके मन की बातें जानकर, उनसे कहा, “तुम अपने मनों में क्या विवाद कर रहे हो?
ᎠᏎᏃ ᏥᏌ ᎤᏙᎴᎰᏒ ᏄᏍᏛ ᏓᎾᏓᏅᏖᏍᎬᎢ, ᎤᏁᏤ ᎯᎠ ᏂᏚᏪᏎᎴᎢ; ᎦᏙ ᎢᏣᏓᏅᏖᎭ ᏙᏗᎶᏓᏅᏛᎢ?
23 २३ सहज क्या है? क्या यह कहना, कि ‘तेरे पाप क्षमा हुए,’ या यह कहना कि ‘उठ और चल फिर?’
ᎦᏙ ᎤᏍᏗ ᎤᏟ ᎠᎯᏗᏳ ᎧᏁᎢᏍᏗᏱ, ᏣᏍᎦᏅᏨ ᎡᏣᏙᎵᎩ ᎠᏛᏗᏱ; ᎠᎴ ᎯᎠ ᎢᎦᏪᏍᏗᏱ, ᏔᎴᎲᎦ ᎠᎴ ᎮᏓ?
24 २४ परन्तु इसलिए कि तुम जानो कि मनुष्य के पुत्र को पृथ्वी पर पाप क्षमा करने का भी अधिकार है।” उसने उस लकवे के रोगी से कहा, “मैं तुझ से कहता हूँ, उठ और अपनी खाट उठाकर अपने घर चला जा।”
ᎠᏎᏃ ᎢᏣᏙᎴᎰᎯᏍᏗᏱ ᏴᏫ ᎤᏪᏥ ᏰᎵᏉ ᎠᏂ ᎡᎶᎯ ᎬᏩᏓᏙᎵᏍᏗ ᎨᏒ ᎣᏍᎦᏅᏨᎢ, ( ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎴ ᎤᎸᏓᎸᎥᏍᎩ; ) ᎯᎠ ᏂᎬᏪᏎᎭ; ᏔᎴᎲᎦ, ᏣᏤᏍᏙ ᎯᎾᎩ, ᎠᎴ ᏗᏤᏅᏒ ᎮᎾ.
25 २५ वह तुरन्त उनके सामने उठा, और जिस पर वह पड़ा था उसे उठाकर, परमेश्वर की बड़ाई करता हुआ अपने घर चला गया।
ᎩᎳᏉᏃ ᎢᏴᏛ ᎤᏗᏛᎮ ᏓᏂᎧᏅᎢ, ᎠᎴ ᎤᏁᏎ ᎤᏤᏍᏙᎩ, ᎠᎴ ᏧᏪᏅᏒ ᏭᎶᏎᎢ, ᎦᎸᏉᏗᏍᎨ ᎤᏁᎳᏅᎯ.
26 २६ तब सब चकित हुए और परमेश्वर की बड़ाई करने लगे, और बहुत डरकर कहने लगे, “आज हमने अनोखी बातें देखी हैं।”
ᏂᎦᏗᏳᏃ ᎤᏣᏔᏅᎯ ᎤᏂᏍᏆᏂᎪᏎᎢ, ᎠᎴ ᎤᏂᎸᏉᏔᏁ ᎤᏁᎳᏅᎯ, ᎠᎴ ᎤᎧᎵᏨᎯ ᎤᎾᏰᎯᏍᏗ ᎤᎾᏓᏅᏓᏕᎢ, ᎯᎠ ᎾᏂᏪᏍᎨᎢ; ᎤᏍᏆᏂᎪᏗᏳ ᎢᏗᎪᏩᏛ ᎪᎯ ᎢᎦ.
27 २७ और इसके बाद वह बाहर गया, और लेवी नाम एक चुंगी लेनेवाले को चुंगी की चौकी पर बैठे देखा, और उससे कहा, “मेरे पीछे हो ले।”
ᎾᏍᎩᏃ ᎯᎠ ᏄᎵᏍᏔᏂᏙᎸ ᎤᏄᎪᏤᎢ, ᎠᎴ ᎤᎪᎮ ᎠᏕᎸ ᎠᎩᏏᏙᎯ ᎵᏫ ᏧᏙᎢᏛ, ᎤᏬᎴ ᎠᏰᎵ ᎡᎯ ᎠᏕᎸ ᎠᎫᏴᏗᏱ; ᎠᎴ ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎴᎢ, ᏍᎩᏍᏓᏩᏚᎦ.
28 २८ तब वह सब कुछ छोड़कर उठा, और उसके पीछे हो लिया।
ᏂᎦᏛᏃ ᎤᏮᏕᏦᏁ ᎠᎴ ᏚᎴᏁ ᎤᏍᏓᏩᏛᏎᎢ.
29 २९ और लेवी ने अपने घर में उसके लिये एक बड़ा भोज दिया; और चुंगी लेनेवालों की और अन्य लोगों की जो उसके साथ भोजन करने बैठे थे एक बड़ी भीड़ थी।
ᎵᏫᏃ ᎤᏣᏘ ᏣᎦᎵᏍᏓᏴᎾᏁᏗᏱ ᎤᏛᏅᎢᏍᏓᏁᎴ ᎤᏩᏒ ᎦᏁᎸᎢ; ᎠᎴ ᎤᏂᏣᏖ ᎠᏕᎸ ᎠᏂᎩᏏᏙᎯ ᎠᎴ ᏅᏩᎾᏓᎴ ᎢᏧᎳᎭ ᎠᏂᏅᏜᏓᎡᎢ.
30 ३० और फरीसी और उनके शास्त्री उसके चेलों से यह कहकर कुड़कुड़ाने लगे, “तुम चुंगी लेनेवालों और पापियों के साथ क्यों खाते-पीते हो?”
ᏗᏃᏪᎵᏍᎩᏍᎩᏂ ᏧᎾᏤᎵ ᎠᎴ ᎠᏂᏆᎵᏏ ᏚᏂᏔᎳᏬᎯᏎᎴ ᎬᏩᏍᏓᏩᏗᏙᎯ, ᎯᎠ ᏄᏂᏪᏎᎢ; ᎦᏙᏃ ᎢᏧᎳᎭ ᎢᏣᎵᏍᏓᏴᎲᏍᎦ ᎠᎴ ᎢᏣᏗᏔᏍᎦ ᎠᏕᎸ ᎠᏂᎩᏏᏙᎯ ᎠᎴ ᎠᏂᏍᎦᎾᎢ?
31 ३१ यीशु ने उनको उत्तर दिया, “वैद्य भले चंगों के लिये नहीं, परन्तु बीमारों के लिये अवश्य है।
ᏥᏌᏃ ᎤᏁᏨ ᎯᏴ ᏂᏑᏪᏎᎴᎢ; ᏂᏚᏂᏢᎬᎾ ᎥᏝ ᎤᏚᎸᏗ ᏱᏄᎾᎵᏍᏓᏁᎰ ᏗᏓᏅᏫᏍᎩ, ᏧᏂᏢᎩᏍᎩᏂ.
32 ३२ मैं धर्मियों को नहीं, परन्तु पापियों को मन फिराने के लिये बुलाने आया हूँ।”
ᎥᏝ ᎤᎾᏓᏅᏘ ᏱᏗᏥᏯᏅᎯᎸ, ᎠᏂᏍᎦᎾᏍᎩᏂ ᏧᏂᏁᏟᏴᏍᏗᏱ ᏚᎾᏓᏅᏛᎢ.
33 ३३ और उन्होंने उससे कहा, “यूहन्ना के चेले तो बराबर उपवास रखते और प्रार्थना किया करते हैं, और वैसे ही फरीसियों के भी, परन्तु तेरे चेले तो खाते-पीते हैं।”
ᎯᎠᏃ ᏂᎬᏩᏪᏎᎴᎢ; ᎦᏙᏃ ᏣᏂ ᎬᏩᏍᏓᏩᏗᏙᎯ ᏯᏃᎩᏳ ᎠᎹᏟ ᎠᏅᏍᎪᎢ ᎠᎴ ᎠᎾᏓᏙᎵᏍᏗᏍᎪᎢ, ᎠᎴ ᎾᏍᏉ ᎠᏂᏆᎵᏏ ᎬᏩᏂᏍᏓᏩᏗᏙᎯ; ᏂᎯᏍᎩᏂ ᎨᏣᏍᏓᏩᏗᏙᎯ ᎠᎾᎵᏍᏓᏴᎲᏍᎪ ᎠᎴ ᎠᎾᏗᏔᏍᎪᎢ.
34 ३४ यीशु ने उनसे कहा, “क्या तुम बारातियों से जब तक दूल्हा उनके साथ रहे, उपवास करवा सकते हो?
ᎯᎠᏃ ᏂᏚᏪᏎᎴᎢ; ᏥᎪ ᏕᎨᎦᏨᏍᏗᏍᎬ ᎠᏂᎦᏔᎯ ᎠᎹᏟ ᎤᏅᏗᏱ ᏱᏂᏕᏨᏂᏏ ᎠᏏᏉ ᎤᏁᎳᏗᏙᎲ ᎤᏕᏒᏂᎸᎯ?
35 ३५ परन्तु वे दिन आएँगे, जिनमें दूल्हा उनसे अलग किया जाएगा, तब वे उन दिनों में उपवास करेंगे।”
ᎠᏎᏃ ᏗᎵᏰᎢᎶᎵ ᎢᎦ ᏓᎨᏥᏯᏅᎡᎵ ᎤᏕᏒᏂᎸᎯ, ᎾᎯᏳᏃ ᎿᎭᏉ ᎠᎹᏟ ᎠᏅᏍᎨᏍᏗ.
36 ३६ उसने एक और दृष्टान्त भी उनसे कहा: “कोई मनुष्य नये वस्त्र में से फाड़कर पुराने वस्त्र में पैबन्द नहीं लगाता, नहीं तो नया फट जाएगा और वह पैबन्द पुराने में मेल भी नहीं खाएगा।
ᏚᏟᎶᏍᏓᏁᎴᏃ ᎾᏍᏉ [ ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎢ; ] ᎥᏝ ᎩᎶ ᎢᏤ ᎠᏄᏬ ᎤᏪᏘᎯ ᏱᎦᎳᏍᏢᎥᏍᎪᎢ; ᎢᏳᏰᏃ ᎾᏍᎩ ᏱᏄᏛᏁᎸ, ᎢᏤ ᎠᏄᏬ ᎦᏣᎦᎵᏍᎪ ᎤᏪᏘ, ᎠᎴ ᎾᏍᏉ ᎢᏤ ᎠᎬᎭᎸᏛ ᎥᏝ ᏱᏓᎾᏙᎵᎪ ᎤᏪᏘ.
37 ३७ और कोई नया दाखरस पुरानी मशकों में नहीं भरता, नहीं तो नया दाखरस मशकों को फाड़कर बह जाएगा, और मशकें भी नाश हो जाएँगी।
ᎥᏝ ᎠᎴ ᎩᎶ ᎩᎦᎨ-ᎠᏗᏔᏍᏗ ᏧᏪᏘ ᏗᏑᏢᏛ ᏱᏓᏟᏍᏗᏍᎪᎢ; ᎢᏤᏰᏃ ᎩᎦᎨ-ᎠᏗᏔᏍᏗ ᏱᏙᎦᏣᎦᎸ ᏗᏑᏢᏛ ᎠᎴ ᏯᏤᏬᎩ, ᏗᏑᏢᏛᏃ ᏱᏓᏲᎩ.
38 ३८ परन्तु नया दाखरस नई मशकों में भरना चाहिये।
ᎢᏤᏍᎩᏃ ᎩᎦᎨ-ᎠᏗᏔᏍᏗ ᎠᏎ ᏗᏤ ᏗᏑᏢᏛ ᏗᏟᏍᏙᏗ; ᎩᎳ ᎿᎭᏉ ᎢᏧᎳ ᏂᏗᎬᏩᏍᏙᎢ
39 ३९ कोई मनुष्य पुराना दाखरस पीकर नया नहीं चाहता क्योंकि वह कहता है, कि पुराना ही अच्छा है।”
ᎥᏝ ᎠᎴ ᎩᎶ ᎤᏪᏘ ᎩᎦᎨ-ᎠᏗᏔᏍᏗ ᎤᏚᎩᏛ ᏥᎨᏐ ᎢᎬᏪᏅᏛ ᎢᏤ ᏳᏚᎵᏍᎪᎢ; ᎯᎠᏰᏃ ᏂᎦᏪᏍᎪᎢ, ᎤᏪᏘ ᎤᏟ ᏃᎯ.

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