< लूका 24 >

1 परन्तु सप्ताह के पहले दिन बड़े भोर को वे उन सुगन्धित वस्तुओं को जो उन्होंने तैयार की थी, लेकर कब्र पर आईं।
ᎢᎬᏱᏱᏃ ᎢᎦ ᏑᎾᏙᏓᏆᏍᏗ ᎨᏒ ᎩᎳ ᎢᎦ ᏥᏂᎦᎵᏍᏗᏍᎪᎢ, ᎤᏂᎷᏤ ᎠᏤᎵᏍᏛᎢ, ᏚᏂᏲᎴ ᏗᎦᏩᏒᎩ ᎾᏍᎩ ᏧᎾᏓᏁᎳᏅᎯ, ᎠᎴ ᎩᎶ ᎢᏳᎾᏍᏗ ᎠᏁᎮᎢ.
2 और उन्होंने पत्थर को कब्र पर से लुढ़का हुआ पाया,
ᎤᏂᏩᏛᎮᏃ ᏅᏯ ᎢᏴᏛ ᏫᎦᏌᏆᎴᎸᏍᏔᏅᎯ ᎨᏎ ᎠᏤᎵᏍᏛᎢ.
3 और भीतर जाकर प्रभु यीशु का शव न पाया।
ᎤᏂᏴᎸᏃ ᎥᏝ ᏳᏂᎾᏩᏛᎮ ᎠᏰᎸ ᎤᎬᏫᏳᎯ ᏥᏌ.
4 जब वे इस बात से भौचक्की हो रही थीं तब, दो पुरुष झलकते वस्त्र पहने हुए उनके पास आ खड़े हुए।
ᎯᎠᏃ ᏄᎵᏍᏔᏁᎢ ᎾᏍᎩ ᎤᏣᏘ ᎤᎾᏕᏯᏔᏁᎮ ᎾᏍᎩ ᏅᏗᎦᎵᏍᏙᏗᏍᎨᎢ, ᎡᏂᏳᏉ ᎠᏂᏔᎵ ᎠᏂᏍᎦᏯ ᎾᎥ ᏚᎾᎴᏂᎴ ᏗᎬᏩᏔᎷᎩᏍᎩ ᏧᎾᏄᏩᎢ;
5 जब वे डर गईं, और धरती की ओर मुँह झुकाए रहीं; तो उन्होंने उनसे कहा, “तुम जीविते को मरे हुओं में क्यों ढूँढ़ती हो?
ᎠᏂᏍᎦᎢᎮᏃ ᎠᎴ ᎡᎳᏗ ᏂᏚᏅᏁ ᏚᎾᎧᏛᎢ, ᎾᏍᎩ ᎯᎠ ᏂᎬᏩᏂᏪᏎᎴᎢ, ᎦᏙᏃ ᎬᏃᏛ ᎢᎡᏥᏲᎭ ᏧᏂᏲᎱᏒᎯ ᏄᎾᏛᏅᎢ?
6 वह यहाँ नहीं, परन्तु जी उठा है। स्मरण करो कि उसने गलील में रहते हुए तुम से कहा था,
ᎥᏝ ᎠᏂ ᏱᎦᎾ, ᏚᎴᏅᏰᏃ; ᎢᏣᏅᏓᏓ ᏂᏥᏪᏎᎸᎢ ᎠᏏᏉ ᎨᎵᎵ ᏤᏙᎲᎩ,
7 ‘अवश्य है, कि मनुष्य का पुत्र पापियों के हाथ में पकड़वाया जाए, और क्रूस पर चढ़ाया जाए, और तीसरे दिन जी उठे।’”
ᎯᎠ ᏥᏂᎦᏪᏍᎬᎩ, ᏴᏫ ᎤᏪᏥ ᎠᏎ ᏴᏫ ᎠᏂᏍᎦᎾ ᏗᎨᏥᏲᎯᏎᏗ ᎨᏎᏍᏗ, ᎠᎴ ᎠᎦᏛᏗ ᏓᏓᎾᏩᏍᏛᎢ, ᎠᎴ ᏦᎢᏁ ᎢᎦ ᏧᎴᎯᏐᏗ.
8 तब उसकी बातें उनको स्मरण आईं,
ᎤᎾᏅᏓᏕᏃ ᎤᏁᏨᎢ,
9 और कब्र से लौटकर उन्होंने उन ग्यारहों को, और अन्य सब को, ये सब बातें कह सुनाई।
ᎠᎴ ᎠᏤᎵᏍᏛ ᏗᎤᎾᏨᏎᎢ ᎾᏍᎩ ᎯᎠ ᏂᎦᏛ ᏄᎵᏍᏔᏂᏙᎸ ᏚᏂᏃᏁᎴ ᏌᏚ ᎢᏯᏂᏛ, ᎠᎴ ᏂᎦᏛ ᎠᏂᏐᎢ.
10 १० जिन्होंने प्रेरितों से ये बातें कहीं, वे मरियम मगदलीनी और योअन्ना और याकूब की माता मरियम और उनके साथ की अन्य स्त्रियाँ भी थीं।
ᎾᏍᎩ ᎯᎠ ᎺᎵ ᎹᎩᏕᎵ ᎡᎯ, ᎠᎴ ᏦᎠᎾ, ᎠᎴ ᎺᎵ ᏥᎻ ᎤᏥ, ᎠᎴ ᏅᏩᎾᏓᎴ ᎠᏂᎨᏴ ᎠᏁᎯ, ᎾᏍᎩ ᏥᏫᎬᏩᏂᏃᏁᎴ ᎨᏥᏅᏏᏛ.
11 ११ परन्तु उनकी बातें उन्हें कहानी के समान लगी और उन्होंने उन पर विश्वास नहीं किया।
ᎤᏂᏃᎮᎸᎯᏃ ᎠᏎᏉᏉ ᏅᏩᏍᏕᎢ, ᎠᎴ ᎥᏝ ᏱᎨᎪᎢᏳᏁᎢ.
12 १२ तब पतरस उठकर कब्र पर दौड़ा गया, और झुककर केवल कपड़े पड़े देखे, और जो हुआ था, उससे अचम्भा करता हुआ, अपने घर चला गया।
ᏈᏓᏃ ᏚᎴᏅ, ᏚᏍᏆᎸᏔᏁ ᎠᏤᎵᏍᏛ ᏭᎶᏎᎢ; ᎤᏗᏍᏚᏅᏃ ᏚᎪᎮ ᏙᎴᏛ ᏗᏄᏬ ᎤᏁᎳᎩ ᎢᏴᏛ ᏙᎦᏁᎢ, ᎤᏓᏅᏎᏃ ᎠᏍᏆᏂᎪᏍᎨ ᎾᏍᎩ ᏄᎵᏍᏔᏂᏙᎸᎢ.
13 १३ उसी दिन उनमें से दो जन इम्माऊस नामक एक गाँव को जा रहे थे, जो यरूशलेम से कोई सात मील की दूरी पर था।
ᎠᎴ ᎬᏂᏳᏉ, ᎾᎯᏳᏉ ᎢᎦ ᎠᏂᏔᎵ ᎤᎾᏓᏍᏓᏩᏗᏙᎸᎯ ᏗᎦᏚᎲ ᎡᎺᏯᏏ ᏧᏙᎢᏛ ᏩᏂᎦᏖᎢ, ᎾᏍᎩ ᏧᏁᎳ ᎢᏴᏛ ᎢᏳᏟᎶᏛ ᏂᏚᏓᎴ ᏥᎷᏏᎵᎻ.
14 १४ और वे इन सब बातों पर जो हुईं थीं, आपस में बातचीत करते जा रहे थे।
ᎠᎾᎵᏃᎮᏍᎬᏃ ᎠᏂᏃᎮᏍᎨ ᏂᎦᏛ ᎾᏍᎩ ᏄᎵᏍᏔᏂᏙᎸᎢ.
15 १५ और जब वे आपस में बातचीत और पूछताछ कर रहे थे, तो यीशु आप पास आकर उनके साथ हो लिया।
ᎯᎠᏃ ᏄᎵᏍᏔᏁ ᎾᏍᎩ ᎠᏏᏉ ᎠᎾᎵᏃᎮᏍᎨ ᎠᎴ ᏓᎾᏓᏛᏛᎲᏍᎨᎢ, ᏥᏌ ᎤᏩᏒ ᎾᎥ ᎤᎷᏨ ᎾᏍᎩ ᎤᏁᏅᏍᏔᏁᎢ.
16 १६ परन्तु उनकी आँखें ऐसी बन्द कर दी गईं थी, कि उसे पहचान न सके।
ᎠᏎᏃ ᏗᏂᎦᏙᎵ ᏕᎨᏥᏂᏴᎡᎴ ᎾᏍᎩ ᎬᏬᎵᏍᏗᏱ ᏂᎨᏒᎾ.
17 १७ उसने उनसे पूछा, “ये क्या बातें हैं, जो तुम चलते-चलते आपस में करते हो?” वे उदास से खड़े रह गए।
ᎯᎠᏃ ᏂᏑᏪᏎᎴᎢ, ᎦᏙ ᎢᏍᏗᏃᎮᎭ ᎯᎠ ᎾᏍᎩ ᏥᏍᏓᎵᏃᎮᎭ ᎢᏍᏓᎢᏒᎢ ᎠᎴ ᎤᏲᏉ ᏥᏅᏩᏍᏗ ᏥᏍᏓᏓᏅᏔ?
18 १८ यह सुनकर, उनमें से क्लियुपास नामक एक व्यक्ति ने कहा, “क्या तू यरूशलेम में अकेला परदेशी है; जो नहीं जानता, कि इन दिनों में उसमें क्या-क्या हुआ है?”
ᎠᏏᏴᏫᏃ ᎾᏍᎩ ᏟᎣᏆ ᏧᏙᎢᏛ ᎤᏁᏨ ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎴᎢ, ᏥᎪ ᎮᏙᎯᏉ ᏂᎯ ᏥᎷᏏᎵᎻ, ᎠᎴ ᏂᎦᏔᎲᎾᏉ ᎾᏍᎩ ᎾᎿᎭᏄᎵᏍᏔᏂᏙᎸ ᎪᎯ ᏥᎩ?
19 १९ उसने उनसे पूछा, “कौन सी बातें?” उन्होंने उससे कहा, “यीशु नासरी के विषय में जो परमेश्वर और सब लोगों के निकट काम और वचन में सामर्थी भविष्यद्वक्ता था।
ᎯᎠᏃ ᏂᏚᏪᏎᎴᎢ, ᎦᏙ ᎤᏍᏗ? ᎯᎠᏃ ᏂᎬᏩᏪᏎᎴᎢ, ᏥᏌ ᎾᏎᎵᏗ ᏤᎲᎩ ᏄᎵᏍᏓᏁᎸᎢ, ᎾᏍᎩ ᎠᏙᎴᎰᏍᎩ ᏥᎨᏒᎩ, ᎤᎵᏂᎩᏛ ᏚᎸᏫᏍᏓᏁᎸ ᎠᎴ ᏓᏕᏲᎲᏍᎬ ᏥᎨᏎ ᎤᏁᎳᏅᎯ ᎠᎦᏔᎲ ᎠᎴ ᏂᎦᏛ ᏴᏫ ᎠᏂᎦᏔᎲᎢ.
20 २० और प्रधान याजकों और हमारे सरदारों ने उसे पकड़वा दिया, कि उस पर मृत्यु की आज्ञा दी जाए; और उसे क्रूस पर चढ़वाया।
ᎠᎴ ᎾᏍᎩ ᏄᏂᎬᏫᏳᏒ ᎠᏥᎸᎠᏁᎶᎯ ᎠᎴ ᏦᎦᏤᎵ ᏄᏂᎬᏫᏳᏌᏕᎩ ᏥᏕᎬᏩᏲᏎ ᏣᎫᎪᏓᏁᏗᏱ ᎤᏲᎱᎯᏍᏗᏱ, ᎠᎴ ᏥᎬᏩᏛᏅᎩ.
21 २१ परन्तु हमें आशा थी, कि यही इस्राएल को छुटकारा देगा, और इन सब बातों के सिवाय इस घटना को हुए तीसरा दिन है।
ᎠᏎᏃ ᎤᏚᎩ ᎣᎬᏒᎩ ᎾᏍᎩ ᎢᏏᎵ ᏗᏓᏱᏍᎩ ᎨᏒᎢ. ᎠᎴ ᎾᏍᏉ ᎪᎯ ᎢᎦ ᏥᎩ ᏦᎢᏁ ᎤᎩᏥᎭ ᎾᏍᎩ ᎯᎠ ᎢᎬᏩᎵᏍᏔᏅᎯ;
22 २२ और हम में से कई स्त्रियों ने भी हमें आश्चर्य में डाल दिया है, जो भोर को कब्र पर गई थीं।
ᎥᎥ, ᎠᎴ ᎾᏍᏉ ᎩᎶ ᎢᏳᎾᏍᏗ ᎠᏂᎨᏴ ᎣᎦᏓᏡᎬ ᎠᏁᎳ ᎤᏍᏆᏂᎪᏗ ᎪᎦᏓᏅᏓᏗᏍᏔᏅᎩ, ᎾᏍᎩ ᎩᎳ ᏧᎩᏥᏍᎪ ᎠᏤᎵᏍᏛ ᏭᏁᏙᎸᎯ;
23 २३ और जब उसका शव न पाया, तो यह कहती हुई आईं, कि हमने स्वर्गदूतों का दर्शन पाया, जिन्होंने कहा कि वह जीवित है।
ᏭᎾᏠᏨᏃ ᎠᏰᎸᎢ, ᎤᏂᎷᏤᎢ, ᎯᎠ ᏄᏂᏪᏎᎢ, ᏗᏂᎧᎿᎭᏩᏗᏙᎯ ᎾᏍᏉ ᏙᏥᎪᏩᏛ ᎾᏍᎩ ᎬᏅ ᎪᎪᏏ, ᎤᎾᏛᏁᎢ.
24 २४ तब हमारे साथियों में से कई एक कब्र पर गए, और जैसा स्त्रियों ने कहा था, वैसा ही पाया; परन्तु उसको न देखा।”
ᎠᎴ ᎩᎶ ᎢᏳᏍᏗ ᎾᏍᎩ ᎣᏤᎯ ᎤᏁᏅᏒᎩ ᎠᏤᎵᏍᏛᎢ, ᎠᎴ ᏭᏂᏩᏛᎮ ᎾᏍᎩᏯ ᏄᏍᏕ ᎠᏂᎨᏴ ᏄᏂᏪᏒᎢ; ᎾᏍᎩᏍᎩᏂ Ꮎ ᎥᏝ ᏳᏂᎪᎮᎢ.
25 २५ तब उसने उनसे कहा, “हे निर्बुद्धियों, और भविष्यद्वक्ताओं की सब बातों पर विश्वास करने में मन्दमतियों!
ᎿᎭᏉᏃ ᎯᎠ ᏂᏚᏪᏎᎴᎢ, ᎢᏥᏁᎫᏥ, ᎠᎴ ᎢᏣᏓᏅᏛ ᎢᏥᏍᎦᏃᎵᏳ ᎢᏦᎯᏳᏗᏱ ᏂᎦᎥ ᏄᏂᏪᏒ ᎠᎾᏙᎴᎰᏍᎩ!
26 २६ क्या अवश्य न था, कि मसीह ये दुःख उठाकर अपनी महिमा में प्रवेश करे?”
ᏝᏍᎪ ᎯᎠ ᎾᏍᎩ ᎢᏳᏍᏗ ᎠᏎ ᎤᎩᎵᏲᎢᏍᏗ ᏱᎨᏎ ᎦᎶᏁᏛ, ᎠᎴ ᏭᏴᏍᏗ ᏱᎨᏎ ᎦᎸᏉᏗᏳ ᎤᏤᎵ ᏗᎨᏒᎢ.
27 २७ तब उसने मूसा से और सब भविष्यद्वक्ताओं से आरम्भ करके सारे पवित्रशास्त्रों में से, अपने विषय में की बातों का अर्थ, उन्हें समझा दिया।
ᎤᎴᏅᏔᏅᏃ ᎼᏏ, ᎠᎴ ᏂᎦᏛ ᎠᎾᏙᎴᎰᏍᎩ, ᏚᏬᏏᏌᏁᎴ ᎾᎦᎥ ᎪᏪᎸ ᎾᏍᎩ ᎤᏩᏒ ᎤᏃᎮᏍᎬᎢ.
28 २८ इतने में वे उस गाँव के पास पहुँचे, जहाँ वे जा रहे थे, और उसके ढंग से ऐसा जान पड़ा, कि वह आगे बढ़ना चाहता है।
ᎾᎥᏃ ᎤᏂᎷᏤ ᎦᏚᎲ ᎾᎿᎭᏩᏂᎦᏛᎢ; ᎤᏟᏃ ᎢᏴᏛ ᏥᏮᏗᎦᎶᏏᏐ ᎢᏳᏍᏗ ᏄᏛᏁᎴᎢ.
29 २९ परन्तु उन्होंने यह कहकर उसे रोका, “हमारे साथ रह; क्योंकि संध्या हो चली है और दिन अब बहुत ढल गया है।” तब वह उनके साथ रहने के लिये भीतर गया।
ᎠᏎᏃ ᎢᎬᏩᏍᏗᏰᏔᏁᎢ, ᎯᎠ ᏄᏂᏪᏎᎢ, ᎠᏴ ᏍᎩᏂᏒᏏ, ᎿᎭᏉᏰᏃ ᎤᏒᎯᏰᎯᏳ, ᎠᎴ ᎡᎳᏗᏳ ᏫᎧᎳ. ᎤᏴᎴᏃ ᏙᏗᏒᏎᎵᏎᎢ.
30 ३० जब वह उनके साथ भोजन करने बैठा, तो उसने रोटी लेकर धन्यवाद किया, और उसे तोड़कर उनको देने लगा।
ᎯᎠᏃ ᏄᎵᏍᏔᏁ ᎾᏍᎩ ᎦᏅᎨᎢ ᏗᎾᎵᏍᏓᏴᏂᏎᎢ, ᎦᏚ ᎤᎩᏒ ᎤᎵᎮᎵᏤᎢ, ᎠᎴ ᎤᎬᎭᎷᏴ ᏚᏁᎴᎢ.
31 ३१ तब उनकी आँखें खुल गईं; और उन्होंने उसे पहचान लिया, और वह उनकी आँखों से छिप गया।
ᏗᏂᎦᏙᎵᏃ ᏚᎵᏍᏚᎢᏎᎢ, ᎠᎴ ᎢᎬᏬᎵᏤᎢ, ᎠᎴ ᎤᎵᏛᏔᏁ ᏓᏂᎧᏅᎢ.
32 ३२ उन्होंने आपस में कहा, “जब वह मार्ग में हम से बातें करता था, और पवित्रशास्त्र का अर्थ हमें समझाता था, तो क्या हमारे मन में उत्तेजना न उत्पन्न हुई?”
ᎯᎠᏃ ᏂᏚᎾᏓᏪᏎᎴᎢ, ᏝᏍᎪ ᏗᎩᏂᎾᏫ ᏧᏗᎴᎩᏳ ᏱᎨᏎ ᎭᏫᏂ ᏥᎩᎾᎵᏃᎮᏗᏍᎬ ᏗᏓᎢᏒᎢ, ᎠᎴ ᏥᏕᎩᏃᏏᏌᏁᎲ ᎪᏪᎵ?
33 ३३ वे उसी घड़ी उठकर यरूशलेम को लौट गए, और उन ग्यारहों और उनके साथियों को इकट्ठे पाया।
ᎾᎯᏳᏉᏃ ᎠᎵᏰᎢᎵᏒ ᏚᎾᎴᏁᎢ, ᎠᎴ ᏥᎷᏏᎵᎻ ᏔᎵᏁ ᏫᎤᏂᎶᏎᎢ, ᎠᎴ ᏚᏂᏩᏛᎮ ᏓᏂᎳᏫᎡ ᏌᏚ ᎢᏯᏂᏛ, ᎠᎴ ᎾᏍᎩ ᎬᏩᎾᏓᏡᏩᏍᏗᏕᎩ,
34 ३४ वे कहते थे, “प्रभु सचमुच जी उठा है, और शमौन को दिखाई दिया है।”
ᎯᎠ ᎾᏂᏪᏍᎨᎢ, ᎤᎬᏫᏳᎯ ᏚᎴᏅ ᎤᏙᎯᏳᎯ, ᎠᎴ ᏌᏩᏂ ᎬᏂᎨᏒ ᏄᏛᏁᎸ.
35 ३५ तब उन्होंने मार्ग की बातें उन्हें बता दीं और यह भी कि उन्होंने उसे रोटी तोड़ते समय कैसे पहचाना।
ᎠᎴ ᎤᏂᏃᎮᎴ ᏄᎵᏍᏔᏂᏙᎸ ᎠᎾᎢᏒᎢ, ᎠᎴ ᎾᏍᎩ ᎤᏃᎵᏍᏔᏅ ᎦᏚ ᎠᎬᎭᎷᏯᏍᎬᎢ.
36 ३६ वे ये बातें कह ही रहे थे, कि वह आप ही उनके बीच में आ खड़ा हुआ; और उनसे कहा, “तुम्हें शान्ति मिले।”
ᎠᏏᏉᏃ ᎾᏍᎩ ᎾᏂᏪᏍᎨᎢ, ᏥᏌ ᎤᏩᏒ ᎤᎴᏂᎴ ᎠᏰᎵ ᎠᏂᏅᎢ, ᎠᎴ ᎯᎠ ᏂᏚᏪᏎᎴᎢ, ᏅᏩᏙᎯᏯᏛ ᎢᏣᏤᎵᎦ ᎨᏎᏍᏗ.
37 ३७ परन्तु वे घबरा गए, और डर गए, और समझे, कि हम किसी भूत को देख रहे हैं।
ᎠᏎᏃ ᎤᏂᎾᏰᏎᎢ, ᎠᎴ ᎤᏂᏍᎦᎴᎢ, ᎠᏓᏅᏙ ᎣᏥᎪᏩᏛ ᎠᏁᎵᏍᎨᎢ.
38 ३८ उसने उनसे कहा, “क्यों घबराते हो? और तुम्हारे मन में क्यों सन्देह उठते हैं?
ᎯᎠᏃ ᏂᏚᏪᏎᎴᎢ, ᎦᏙᏃ ᎢᏣᏕᏯᏔᏁᎭ? ᎠᎴ ᎦᏙᏃ ᏧᏢᏫᏛ ᏂᏣᎵᏍᏓᏁ ᏙᏗᏣᏓᏅᏛᎢ?
39 ३९ मेरे हाथ और मेरे पाँव को देखो, कि मैं वहीं हूँ; मुझे छूकर देखो; क्योंकि आत्मा के हड्डी माँस नहीं होता जैसा मुझ में देखते हो।”
ᏗᏣᎧᏅᎦ ᏗᏉᏰᏂ ᎠᎴ ᏗᏆᎳᏏᏕᏂ, ᎠᏋᏒᏉ ᎯᎠ ᏥᎾᏆᏛᏅ; ᏍᎩᏯᏒᏂᎦ ᎠᎴ ᎢᏣᏙᎴᎰᎯ; ᎠᏓᏅᏙᏰᏃ ᎥᏝ ᏳᏇᏓᎳ, ᎠᎴ ᎥᏝ ᏧᎪᎳ ᏱᏚᎸ ᎾᏍᎩᏯ ᏥᏥᎪᏩᏘᎭ ᎠᏴ ᏂᏓᏋᏅᎢ.
40 ४० यह कहकर उसने उन्हें अपने हाथ पाँव दिखाए।
ᎾᏍᎩᏃ ᏄᏪᏒ ᏚᎾᏄᎪᏫᏎᎴ ᏧᏬᏰᏂ ᎠᎴ ᏧᎳᏏᏕᏂ.
41 ४१ जब आनन्द के मारे उनको विश्वास नहीं हो रहा था, और आश्चर्य करते थे, तो उसने उनसे पूछा, “क्या यहाँ तुम्हारे पास कुछ भोजन है?”
ᎠᏏᏉᏃ ᎾᏃᎯᏳᎲᏍᎬᎾ ᎨᏎ ᏅᏗᎦᎵᏍᏙᏗᏍᎨ ᎠᎾᎵᎮᎵᎬᎢ, ᎠᎴ ᎤᏂᏍᏆᏂᎪᏍᎨᎢ, ᎯᎠ ᏂᏚᏪᏎᎴᎢ, ᎠᎵᏍᏓᏴᏗᏍᎪ ᎠᏂ ᎢᏥᎭ?
42 ४२ उन्होंने उसे भुनी मछली का टुकड़ा दिया।
ᎬᏩᏅᏁᎴᏃ ᎠᎬᎭᎸᏛ ᎠᏣᏗ ᎠᏒᎾᏘᎶᏛ, ᎠᎴ ᎠᎬᎭᎸᏛ ᏩᏚᎵᏏ.
43 ४३ उसने लेकर उनके सामने खाया।
ᏑᏁᏎᏃ, ᎠᎴ ᎤᎵᏍᏓᏴᏁ ᎠᏂᎦᏔᎲᎢ.
44 ४४ फिर उसने उनसे कहा, “ये मेरी वे बातें हैं, जो मैंने तुम्हारे साथ रहते हुए, तुम से कही थीं, कि अवश्य है, कि जितनी बातें मूसा की व्यवस्था और भविष्यद्वक्ताओं और भजनों की पुस्तकों में, मेरे विषय में लिखी हैं, सब पूरी हों।”
ᎯᎠᏃ ᏂᏚᏪᏎᎴᎢ, ᎯᎠ ᎾᏍᎩ ᏥᏂᏨᏪᏎᎸᎩ, ᎠᏏᏉ ᏥᏨᏰᎳᏗᏙᎲᎩ, ᎾᏍᎩ ᏂᎦᎥ ᎾᏍᎩ ᎠᏎ ᎢᏳᎵᏍᏙᏗ ᎨᏒᎢ ᎪᏪᎳᏅᎯ ᎨᏒ ᏗᎧᎿᎭᏩᏛᏍᏗᏱ ᎼᏏ ᎤᏤᎵᎦ, ᎠᎴ ᎠᎾᏙᎴᎰᏍᎩ ᏚᏃᏪᎸᎢ, ᎠᎴ ᏗᎧᏃᎩᏍᏗᏱ, ᎠᏴ ᎬᎩᏃᎮᏍᎬᎢ.
45 ४५ तब उसने पवित्रशास्त्र समझने के लिये उनकी समझ खोल दी।
ᎿᎭᏉᏃ ᏚᏍᏚᎢᎡᎴ ᏚᎾᏓᏅᏛᎢ, ᎾᏍᎩ ᏧᏃᎵᏍᏗᏱ ᎪᏪᎵ;
46 ४६ और उनसे कहा, “यह लिखा है कि मसीह दुःख उठाएगा, और तीसरे दिन मरे हुओं में से जी उठेगा,
ᎯᎠᏃ ᏂᏚᏪᏎᎴᎢ, ᎾᏍᎩ ᎯᎠ ᏂᎬᏅ ᎪᏪᎳ, ᎠᎴ ᎾᏍᎩ ᎠᏎ ᎤᎩᎵᏲᎢᏍᏗ ᎨᏒᎩ ᎦᎶᏁᏛ, ᎠᎴ ᏧᎴᎯᏐᏗ ᎨᏒ ᎤᏲᎱᏒ ᏦᎢᏁ ᎢᎦ;
47 ४७ और यरूशलेम से लेकर सब जातियों में मन फिराव का और पापों की क्षमा का प्रचार, उसी के नाम से किया जाएगा।
ᎾᏍᎩᏃ ᏚᏙᎥ ᎤᏅᏙᏗᏱ ᎦᏁᏟᏴᏍᏗ ᎨᏒ ᎣᏓᏅᏛ ᎠᎴ ᎠᏍᎦᏅᏨ ᎥᏓᏗᏙᎵᏍᏗ ᎨᏒ ᎨᎦᎵᏥᏙᏁᏗᏱ ᏂᎦᏛ ᏧᎾᏓᎴᏅᏛ ᏓᏁᏩᏗᏒᎢ, ᏥᎷᏏᎵᎻ ᎤᎾᎴᏅᏗᏱ.
48 ४८ तुम इन सब बातें के गवाह हो।
ᎯᎯᏃ ᎢᏥᏃᎮᏍᎩ ᎯᎠ ᎾᏍᎩ ᏧᏓᎴᏅᏛ.
49 ४९ और जिसकी प्रतिज्ञा मेरे पिता ने की है, मैं उसको तुम पर उतारूँगा और जब तक स्वर्ग से सामर्थ्य न पाओ, तब तक तुम इसी नगर में ठहरे रहो।”
ᎠᎴ ᎬᏂᏳᏉ, ᎦᏓᏅᎵ ᎢᏥᎷᏤᏗᏱ ᎡᏙᏓ ᎤᏚᎢᏍᏔᏅᎯ ᎨᏒᎢ; ᎠᏎᏃ ᏥᎷᏏᎵᎻ ᎦᏚᎲ ᎢᏥᏁᏍᏗ ᎬᏂ ᎢᏣᏄᏬᏍᏕᏍᏗ ᎤᎵᏂᎩᏛ ᎨᏒ ᎦᎸᎳᏗ ᏅᏓᏳᏓᎴᏅᎯ.
50 ५० तब वह उन्हें बैतनिय्याह तक बाहर ले गया, और अपने हाथ उठाकर उन्हें आशीष दी;
ᏚᏘᏅᏎᏃ ᏇᏗᏂᏱ ᎢᏴᏛ; ᏧᏬᏰᏂᏃ ᏚᏌᎳᏓᏅ ᎣᏍᏛ ᏚᏁᏤᎴᎢ.
51 ५१ और उन्हें आशीष देते हुए वह उनसे अलग हो गया और स्वर्ग पर उठा लिया गया।
ᎯᎠᏃ ᏄᎵᏍᏔᏁᎢ ᎠᏏᏉ ᎣᏍᏛ ᏕᎧᏁᏤᎮᎢ ᎠᎦᏓᏓᎴᏔᏁ ᎠᏂᏙᎾᎥᎢ, ᎦᎸᎳᏗᏃ ᏩᎦᏘᏅᏍᏔᏁᎢ.
52 ५२ और वे उसको दण्डवत् करके बड़े आनन्द से यरूशलेम को लौट गए।
ᎤᎾᏓᏙᎵᏍᏓᏁᎸᏃ ᏥᎷᏏᎵᎻ ᏔᎵᏁ ᏫᎤᏂᎶᏎ ᎤᏣᏘ ᎠᎾᎵᎮᎵᎨᎢ;
53 ५३ और वे लगातार मन्दिर में उपस्थित होकर परमेश्वर की स्तुति किया करते थे।
ᎠᎴ ᏂᎪᎯᎸᏉ ᎤᏛᎾ-ᏗᎦᎳᏫᎢᏍᏗᏱ ᎠᏂᏯᎡᎢ, ᎠᎾᎵᎮᎵᏤᎮ ᎠᎴ ᎠᏂᎸᏉᏗᏍᎨ ᎤᏁᎳᏅᎯ. ᎡᎺᏅ.

< लूका 24 >