< लूका 23 >

1 तब सारी सभा उठकर यीशु को पिलातुस के पास ले गई।
فَقَامَتْ جَمَاعَتُهُمْ كُلُّهَا، وَسَاقُوا يَسُوعَ إِلَى بِيلاطُسَ.١
2 और वे यह कहकर उस पर दोष लगाने लगे, “हमने इसे लोगों को बहकाते और कैसर को कर देने से मना करते, और अपने आपको मसीह, राजा कहते हुए सुना है।”
وَبَدَأُوا يَتَّهِمُونَهُ قَائِلِينَ: «تَبَيَّنَ لَنَا أَنَّ هَذَا يُضَلِّلُ أُمَّتَنَا، وَيَمْنَعُ أَنْ تُدْفَعَ الْجِزْيَةُ لِلْقَيْصَرِ وَيَدَّعِي أَنَّهُ الْمَسِيحُ الْمَلِكُ!»٢
3 पिलातुस ने उससे पूछा, “क्या तू यहूदियों का राजा है?” उसने उसे उत्तर दिया, “तू आप ही कह रहा है।”
فَسَأَلَهُ بِيلاطُسُ: «أَأَنْتَ مَلِكُ الْيَهُودِ؟» فَأَجَابَهُ: «أَنْتَ قُلْتَ!»٣
4 तब पिलातुस ने प्रधान याजकों और लोगों से कहा, “मैं इस मनुष्य में कुछ दोष नहीं पाता।”
فَقَالَ بِيلاطُسُ لِرُؤَسَاءِ الْكَهَنَةِ وَالْجُمُوعِ: «لا أَجِدُ ذَنْباً فِي هَذَا الإِنْسَانِ!»٤
5 पर वे और भी दृढ़ता से कहने लगे, “यह गलील से लेकर यहाँ तक सारे यहूदिया में उपदेश दे देकर लोगों को भड़काता है।”
وَلَكِنَّهُمْ أَلَحُّوا قَائِلِينَ: «إِنَّهُ يُثِيرُ الشَّعْبَ، مُعَلِّماً فِي الْيَهُودِيَّةِ كُلِّهَا، ابْتِدَاءً مِنَ الْجَلِيلِ حَتَّى هُنَا!»٥
6 यह सुनकर पिलातुस ने पूछा, “क्या यह मनुष्य गलीली है?”
فَلَمَّا سَمِعَ بِيلاطُسُ ذِكْرَ الْجَلِيلِ، اسْتَفْسَرَ: «هَلِ الرَّجُلُ مِنَ الْجَلِيلِ؟».٦
7 और यह जानकर कि वह हेरोदेस की रियासत का है, उसे हेरोदेस के पास भेज दिया, क्योंकि उन दिनों में वह भी यरूशलेम में था।
وَإِذْ عَلِمَ أَنَّهُ تَابِعٌ لِسُلْطَةِ هِيرُودُسَ، أَحَالَهُ عَلَى هِيرُودُسَ، إِذْ كَانَ هُوَ أَيْضاً فِي أُورُشَلِيمَ فِي تِلْكَ الأَيَّامِ.٧
8 हेरोदेस यीशु को देखकर बहुत ही प्रसन्न हुआ, क्योंकि वह बहुत दिनों से उसको देखना चाहता था: इसलिए कि उसके विषय में सुना था, और उसका कुछ चिन्ह देखने की आशा रखता था।
وَلَمَّا رَأَى هِيرُودُسُ يَسُوعَ، فَرِحَ جِدّاً، لأَنَّهُ كَانَ يَتَمَنَّى مِنْ زَمَانٍ طَوِيلٍ أَنْ يَرَاهُ بِسَبَبِ سَمَاعِهِ الْكَثِيرَ عَنْهُ، وَيَرْجُو أَنْ يَرَى آيَةً تُجْرَى عَلَى يَدِهِ.٨
9 वह उससे बहुत सारी बातें पूछता रहा, पर उसने उसको कुछ भी उत्तर न दिया।
فَسَأَلَهُ فِي قَضَايَا كَثِيرَةٍ، أَمَّا هُوَ فَلَمْ يُجِبْهُ عَنْ شَيْءٍ.٩
10 १० और प्रधान याजक और शास्त्री खड़े हुए तन मन से उस पर दोष लगाते रहे।
وَوَقَفَ رُؤَسَاءُ الْكَهَنَةِ وَالْكَتَبَةُ يَتَّهِمُونَهُ بِعُنْفٍ.١٠
11 ११ तब हेरोदेस ने अपने सिपाहियों के साथ उसका अपमान करके उपहास किया, और भड़कीला वस्त्र पहनाकर उसे पिलातुस के पास लौटा दिया।
فَاحْتَقَرَهُ هِيرُودُسُ وَجُنُودُهُ، وَسَخِرَ مِنْهُ، إِذْ أَلْبَسَهُ ثَوْباً بَرَّاقاً وَرَدَّهُ إِلَى بِيلاطُسَ.١١
12 १२ उसी दिन पिलातुस और हेरोदेस मित्र हो गए। इसके पहले वे एक दूसरे के बैरी थे।
وَصَارَ بِيلاطُسُ وَهِيرُودُسُ صَدِيقَيْنِ فِي ذَلِكَ الْيَوْمِ، وَقَدْ كَانَتْ بَيْنَهُمَا عَدَاوَةٌ سَابِقَةٌ.١٢
13 १३ पिलातुस ने प्रधान याजकों और सरदारों और लोगों को बुलाकर उनसे कहा,
فَدَعَا بِيلاطُسُ رُؤَسَاءَ الْكَهَنَةِ وَالْقُوَّادَ وَالشَّعْبَ.١٣
14 १४ “तुम इस मनुष्य को लोगों का बहकानेवाला ठहराकर मेरे पास लाए हो, और देखो, मैंने तुम्हारे सामने उसकी जाँच की, पर जिन बातों का तुम उस पर दोष लगाते हो, उन बातों के विषय में मैंने उसमें कुछ भी दोष नहीं पाया है;
وَقَالَ لَهُمْ: «أَحْضَرْتُمْ إِلَيَّ هَذَا الإِنْسَانَ عَلَى أَنَّهُ يُضَلِّلُ الشَّعْبَ. وَهَا أَنَا، بَعْدَمَا فَحَصْتُ الأَمْرَ أَمَامَكُمْ، لَمْ أَجِدْ فِي هَذَا الإِنْسَانِ أَيَّ ذَنْبٍ مِمَّا تَتَّهِمُونَهُ بِهِ،١٤
15 १५ न हेरोदेस ने, क्योंकि उसने उसे हमारे पास लौटा दिया है: और देखो, उससे ऐसा कुछ नहीं हुआ कि वह मृत्यु के दण्ड के योग्य ठहराया जाए।
وَلا وَجَدَ هِيرُودُسُ أَيْضاً، إِذْ رَدَّهُ إِلَيْنَا. وَهَا إِنَّهُ لَمْ يَفْعَلْ شَيْئاً يَسْتَوْجِبُ الْمَوْتَ.١٥
16 १६ इसलिए मैं उसे पिटवाकर छोड़ देता हूँ।”
فَسَأَجْلِدُهُ إِذَنْ وَأُطْلِقُهُ».١٦
17 १७ पिलातुस पर्व के समय उनके लिए एक बन्दी को छोड़ने पर विवश था।
وَكَانَ عَلَيْهِ أَنْ يُطْلِقَ لَهُمْ فِي كُلِّ عِيدٍ سَجِيناً وَاحِداً.١٧
18 १८ तब सब मिलकर चिल्ला उठे, “इसका काम तमाम कर, और हमारे लिये बरअब्बा को छोड़ दे।”
وَلَكِنَّهُمْ صَرَخُوا بِجُمْلَتِهِمْ: «اقْتُلْ هَذَا، وَأَطْلِقْ لَنَا بَارَابَاسَ!»١٨
19 १९ वह किसी बलवे के कारण जो नगर में हुआ था, और हत्या के कारण बन्दीगृह में डाला गया था।
وَكَانَ ذَاكَ قَدْ أُلْقِيَ فِي السِّجْنِ بِسَبَبِ فِتْنَةٍ حَدَثَتْ فِي الْمَدِينَةِ وَبِسَبَبِ قَتْلٍ.١٩
20 २० पर पिलातुस ने यीशु को छोड़ने की इच्छा से लोगों को फिर समझाया।
فَخَاطَبَهُمْ بِيلاطُسُ ثَانِيَةً وَهُوَ رَاغِبٌ فِي إِطْلاقِ يَسُوعَ.٢٠
21 २१ परन्तु उन्होंने चिल्लाकर कहा, “उसे क्रूस पर चढ़ा, क्रूस पर!”
فَرَدُّوا صَارِخِينَ: «اصْلِبْهُ! اصْلِبْهُ!»٢١
22 २२ उसने तीसरी बार उनसे कहा, “क्यों उसने कौन सी बुराई की है? मैंने उसमें मृत्युदण्ड के योग्य कोई बात नहीं पाई! इसलिए मैं उसे पिटवाकर छोड़ देता हूँ।”
فَسَأَلَهُمْ ثَالِثَةً: «فَأَيَّ شَرٍّ فَعَلَ هَذَا؟ لَمْ أَجِدْ فِيهِ ذَنْباً عُقُوبَتُهُ الْمَوْتُ. فَسَأَجْلِدُهُ إِذَنْ وَأُطْلِقُهُ!»٢٢
23 २३ परन्तु वे चिल्ला चिल्लाकर पीछे पड़ गए, कि वह क्रूस पर चढ़ाया जाए, और उनका चिल्लाना प्रबल हुआ।
فَأَخَذُوا يُلِحُّونَ صَارِخِينَ بِأَصْوَاتٍ عَالِيَةٍ، طَالِبِينَ أَنْ يُصْلَبَ! فَتَغَلَّبَتْ أَصْوَاتُهُمْ،٢٣
24 २४ अतः पिलातुस ने आज्ञा दी, कि उनकी विनती के अनुसार किया जाए।
وَحَكَمَ بِيلاطُسُ أَنْ يُنَفَّذَ طَلَبُهُمْ.٢٤
25 २५ और उसने उस मनुष्य को जो बलवे और हत्या के कारण बन्दीगृह में डाला गया था, और जिसे वे माँगते थे, छोड़ दिया; और यीशु को उनकी इच्छा के अनुसार सौंप दिया।
فَأَطْلَقَ الَّذِي كَانَ قَدْ أُلْقِيَ فِي السِّجْنِ بِسَبَبِ الْفِتْنَةِ وَالْقَتْلِ، ذَاكَ الَّذِي طَلَبُوا إِطْلاقَهُ. وَأَمَّا يَسُوعُ فَسَلَّمَهُ بِيلاطُسُ إِلَى إِرَادَتِهِمْ.٢٥
26 २६ जब वे उसे लिए जा रहे थे, तो उन्होंने शमौन नाम एक कुरेनी को जो गाँव से आ रहा था, पकड़कर उस पर क्रूस को लाद दिया कि उसे यीशु के पीछे-पीछे ले चले।
وَفِيمَا هُمْ يَسُوقُونَهُ (إِلَى الصَّلْبِ)، أَمْسَكُوا رَجُلاً مِنَ الْقَيْرَوَانِ اسْمُهُ سِمْعَانُ، كَانَ رَاجِعاً مِنَ الْحَقْلِ، وَوَضَعُوا عَلَيْهِ الصَّلِيبَ لِيَحْمِلَهُ خَلْفَ يَسُوعَ.٢٦
27 २७ और लोगों की बड़ी भीड़ उसके पीछे हो ली: और बहुत सारी स्त्रियाँ भी, जो उसके लिये छाती-पीटती और विलाप करती थीं।
وَقَدْ تَبِعَهُ جَمْعٌ كَبِيرٌ مِنَ الشَّعْبِ وَمِنْ نِسَاءٍ كُنَّ يُوَلْوِلْنَ وَيَنْدُبْنَهُ.٢٧
28 २८ यीशु ने उनकी ओर फिरकर कहा, “हे यरूशलेम की पुत्रियों, मेरे लिये मत रोओ; परन्तु अपने और अपने बालकों के लिये रोओ।
فَالْتَفَتَ إِلَيْهِنَّ يَسُوعُ، وَقَالَ: «يَا بَنَاتِ أُورُشَلِيمَ، لَا تَبْكِينَ عَلَيِّ، بَلِ ابْكِينَ عَلَى أَنْفُسِكُنَّ وَعَلَى أَوْلادِكُنَّ!٢٨
29 २९ क्योंकि वे दिन आते हैं, जिनमें लोग कहेंगे, ‘धन्य हैं वे जो बाँझ हैं, और वे गर्भ जो न जने और वे स्तन जिन्होंने दूध न पिलाया।’
فَهَا إِنَّ أَيَّاماً سَتَأْتِي فِيهَا يَقُولُ النَّاسُ: طُوبَى لِلْعَوَاقِرِ اللَّوَاتِي مَا حَمَلَتْ بُطُونُهُنَّ وَلا أَرْضَعَتْ أَثْدَاؤُهُنَّ!٢٩
30 ३० उस समय ‘वे पहाड़ों से कहने लगेंगे, कि हम पर गिरो, और टीलों से कि हमें ढाँप लो।’
عِنْدَئِذٍ يَقُولُونَ لِلْجِبَالِ: اسْقُطِي عَلَيْنَا، وَلِلتِّلالِ: غَطِّينَا!٣٠
31 ३१ “क्योंकि जब वे हरे पेड़ के साथ ऐसा करते हैं, तो सूखे के साथ क्या कुछ न किया जाएगा?”
فَإِنْ كَانُوا قَدْ فَعَلُوا هَذَا بِالْغُصْنِ الأَخْضَرِ، فَمَاذَا يَجْرِي لِلْيَابِسِ؟»٣١
32 ३२ वे और दो मनुष्यों को भी जो कुकर्मी थे उसके साथ मार डालने को ले चले।
وَسِيقَ إِلَى الْقَتْلِ مَعَ يَسُوعَ أَيْضاً اثْنَانِ مِنَ الْمُجْرِمِينَ.٣٢
33 ३३ जब वे उस जगह जिसे खोपड़ी कहते हैं पहुँचे, तो उन्होंने वहाँ उसे और उन कुकर्मियों को भी एक को दाहिनी और दूसरे को बाईं और क्रूसों पर चढ़ाया।
وَلَمَّا وَصَلُوا إِلَى الْمَكَانِ الَّذِي يُدْعَى الْجُمْجُمَةَ، صَلَبُوهُ هُنَاكَ مَعَ الْمُجْرِمَيْنِ، وَاحِدٌ عَنِ الْيَمِينِ وَالآخَرُ عَنِ اليَسَارِ.٣٣
34 ३४ तब यीशु ने कहा, “हे पिता, इन्हें क्षमा कर, क्योंकि ये जानते नहीं कि क्या कर रहें हैं?” और उन्होंने चिट्ठियाँ डालकर उसके कपड़े बाँट लिए।
وَقَالَ يَسُوعُ: «يَا أَبِي، اغْفِرْ لَهُمْ، لأَنَّهُمْ لَا يَدْرُونَ مَا يَفْعَلُونَ!» وَاقْتَسَمُوا ثِيَابَهُ مُقْتَرِعِينَ عَلَيْهَا.٣٤
35 ३५ लोग खड़े-खड़े देख रहे थे, और सरदार भी उपहास कर करके कहते थे, “इसने औरों को बचाया, यदि यह परमेश्वर का मसीह है, और उसका चुना हुआ है, तो अपने आपको बचा ले।”
وَوَقَفَ الشَّعْبُ هُنَاكَ يُرَاقِبُونَهُ، وَكَذلِكَ الرُّؤَسَاءُ يَتَهَكَّمُونَ قَائِلِينَ: «خَلَّصَ آخَرِينَ! فَلْيُخَلِّصْ نَفْسَهُ إِنْ كَانَ هُوَ الْمَسِيحَ الْمُخْتَارَ عِنْدَ اللهِ!»٣٥
36 ३६ सिपाही भी पास आकर और सिरका देकर उसका उपहास करके कहते थे।
وَسَخِرَ مِنْهُ الْجُنُودُ أَيْضاً، فَكَانُوا يَتَقَدَّمُونَ إِلَيْهِ وَيُقَدِّمُونَ لَهُ خَلًّا،٣٦
37 ३७ “यदि तू यहूदियों का राजा है, तो अपने आपको बचा!”
قَائِلِينَ: «إِنْ كُنْتَ أَنْتَ مَلِكَ الْيَهُودِ، فَخَلِّصْ نَفْسَكَ»٣٧
38 ३८ और उसके ऊपर एक दोषपत्र भी लगा था: “यह यहूदियों का राजा है।”
وَكَانَتْ فَوْقَهُ لافِتَةٌ كُتِبَ فِيهَا: «هَذَا هُوَ مَلِكُ الْيَهُودِ».٣٨
39 ३९ जो कुकर्मी लटकाए गए थे, उनमें से एक ने उसकी निन्दा करके कहा, “क्या तू मसीह नहीं? तो फिर अपने आपको और हमें बचा!”
وَأَخَذَ وَاحِدٌ مِنَ الْمُجْرِمَيْنِ الْمَصْلُوبَيْنِ يُجَدِّفُ عَلَيْهِ فَيَقُولُ: «أَلَسْتَ أَنْتَ الْمَسِيحَ؟ إِذَنْ خَلِّصْ نَفْسَكَ وَخَلِّصْنَا!»٣٩
40 ४० इस पर दूसरे ने उसे डाँटकर कहा, “क्या तू परमेश्वर से भी नहीं डरता? तू भी तो वही दण्ड पा रहा है,
وَلكِنَّ الآخَرَ كَلَّمَهُ زَاجِراً فَقَالَ: «أَحَتَّى أَنْتَ لَا تَخَافُ اللهَ، وَأَنْتَ تُعَانِي الْعُقُوبَةَ نَفْسَهَا؟٤٠
41 ४१ और हम तो न्यायानुसार दण्ड पा रहे हैं, क्योंकि हम अपने कामों का ठीक फल पा रहे हैं; पर इसने कोई अनुचित काम नहीं किया।”
أَمَّا نَحْنُ فَعُقُوبَتُنَا عَادِلَةٌ لأَنَّنَا نَنَالُ الْجَزَاءَ الْعَادِلَ لِقَاءَ مَا فَعَلْنَا. وَأَمَّا هَذَا الإِنْسَانُ، فَلَمْ يَفْعَلُ شَيْئاً فِي غَيْرِ مَحَلِّهِ!»٤١
42 ४२ तब उसने कहा, “हे यीशु, जब तू अपने राज्य में आए, तो मेरी सुधि लेना।”
ثُمَّ قَالَ: «يَا يَسُوعُ، اذْكُرْنِي عِنْدَمَا تَجِيءُ فِي مَلَكُوتِكَ!»٤٢
43 ४३ उसने उससे कहा, “मैं तुझ से सच कहता हूँ कि आज ही तू मेरे साथ स्वर्गलोकमें होगा।”
فَقَالَ لَهُ يَسُوعُ: «الْحَقَّ أَقُولُ لَكَ: الْيَوْمَ سَتَكُونُ مَعِي فِي الْفِرْدَوْسِ!»٤٣
44 ४४ और लगभग दोपहर से तीसरे पहर तक सारे देश में अंधियारा छाया रहा,
وَنَحْوَ السَّاعَةِ السَّادِسَةِ (الثَّانِيَةَ عَشْرَةَ ظُهْراً)، حَلَّ الظَّلامُ عَلَى الأَرْضِ كُلِّهَا حَتَّى السَّاعَةِ التَّاسِعَةِ (الثَّالِثَةِ بَعْدَ الظُّهْرِ).٤٤
45 ४५ और सूर्य का उजियाला जाता रहा, और मन्दिर का परदा बीच से फट गया,
وَأَظْلَمَتِ الشَّمْسُ، وَانْشَطَرَ سِتَارُ الْهَيْكَلِ مِنَ الوَسَطِ.٤٥
46 ४६ और यीशु ने बड़े शब्द से पुकारकर कहा, “हे पिता, मैं अपनी आत्मा तेरे हाथों में सौंपता हूँ।” और यह कहकर प्राण छोड़ दिए।
وَقَالَ يَسُوعُ صَارِخاً بِصَوْتٍ عَظِيمٍ: «يَا أَبِي، فِي يَدَيْكَ أَسْتَوْدِعُ رُوحِي!» وَإِذْ قَالَ هَذَا، أَسْلَمَ الرُّوحَ.٤٦
47 ४७ सूबेदार ने, जो कुछ हुआ था देखकर परमेश्वर की बड़ाई की, और कहा, “निश्चय यह मनुष्य धर्मी था।”
فَلَمَّا رَأَى قَائِدُ الْمِئَةِ مَا حَدَثَ، مَجَّدَ اللهَ قَائِلاً: «بِالْحَقِيقَةِ كَانَ هَذَا الإِنْسَانُ بَارّاً».٤٧
48 ४८ और भीड़ जो यह देखने को इकट्ठी हुई थी, इस घटना को देखकर छाती पीटती हुई लौट गई।
كَذلِكَ الْجُمُوعُ الَّذِينَ احْتَشَدُوا لِيُرَاقِبُوا مَشْهَدَ الصَّلْبِ، لَمَّا رَأَوْا مَا حَدَثَ، رَجَعُوا قَارِعِينَ الصُّدُورَ.٤٨
49 ४९ और उसके सब जान-पहचान, और जो स्त्रियाँ गलील से उसके साथ आई थीं, दूर खड़ी हुई यह सब देख रही थीं।
أَمَّا جَمِيعُ مَعَارِفِهِ، بِمَنْ فِيهِمِ النِّسَاءُ اللَّوَاتِي تَبِعْنَهُ مِنَ الْجَلِيلِ، فَقَدْ كَانُوا وَاقِفِينَ مِنْ بَعِيدٍ يُرَاقِبُونَ هذِهِ الأُمُورَ.٤٩
50 ५० और वहाँ, यूसुफ नामक महासभा का एक सदस्य था, जो सज्जन और धर्मी पुरुष था।
وَكَانَ فِي الْمَجْلِسِ الأَعْلَى إِنْسَانٌ اسْمُهُ يُوسُفُ، وَهُوَ إِنْسَانٌ صَالِحٌ وَتَقِيٌّ٥٠
51 ५१ और उनके विचार और उनके इस काम से प्रसन्न न था; और वह यहूदियों के नगर अरिमतियाह का रहनेवाला और परमेश्वर के राज्य की प्रतीक्षा करनेवाला था।
لَمْ يَكُنْ مُوَافِقاً عَلَى قَرَارِ أَعْضَاءِ الْمَجْلِسِ وَفِعْلَتِهِمْ، وَهُوَ مِنَ الرَّامَةِ إِحْدَى مُدُنِ الْيَهُودِ، وَكَانَ مِنْ مُنْتَظِرِي مَلَكُوتِ اللهِ.٥١
52 ५२ उसने पिलातुस के पास जाकर यीशु का शव माँगा,
فَإِذَا بِهِ قَدْ تَقَدَّمَ إِلَى بِيلاطُسَ وَطَلَبَ جُثْمَانَ يَسُوعَ.٥٢
53 ५३ और उसे उतारकर मलमल की चादर में लपेटा, और एक कब्र में रखा, जो चट्टान में खोदी हुई थी; और उसमें कोई कभी न रखा गया था।
ثُمَّ أَنْزَلَهُ (مِنْ عَلَى الصَّلِيبِ) وَكَفَّنَهُ بِكَتَّانِ، وَوَضَعَهُ فِي قَبْرٍ مَنْحُوتٍ (فِي الصَّخْرِ) لَمْ يُدْفَنْ فِيهِ أَحَدٌ مِنْ قَبْلُ.٥٣
54 ५४ वह तैयारी का दिन था, और सब्त का दिन आरम्भ होने पर था।
وَكَانَ ذَلِكَ النَّهَارُ يَوْمَ الإِعْدَادِ لِلسَّبْتِ الَّذِي كَانَ قَدْ بَدَأَ يَقْتَرِبُ.٥٤
55 ५५ और उन स्त्रियों ने जो उसके साथ गलील से आई थीं, पीछे-पीछे, जाकर उस कब्र को देखा और यह भी कि उसका शव किस रीति से रखा गया हैं।
وَتَبِعَتْ يُوسُفَ النِّسَاءُ اللَّوَاتِي خَرَجْنَ مِنَ الْجَلِيلِ مَعَ يَسُوعَ، فَرَأَيْنَ الْقَبْرَ وَكَيْفَ وُضِعَ جُثْمَانُهُ.٥٥
56 ५६ और लौटकर सुगन्धित वस्तुएँ और इत्र तैयार किया; और सब्त के दिन तो उन्होंने आज्ञा के अनुसार विश्राम किया।
ثُمَّ رَجَعْنَ وَهَيَّأْنَ حَنُوطاً وَطِيباً، وَاسْتَرَحْنَ يَوْمَ السَّبْتِ حَسَبَ الْوَصِيَّةِ.٥٦

< लूका 23 >