< लूका 17 >
1 १ फिर उसने अपने चेलों से कहा, “यह निश्चित है कि वे बातें जो पाप का कारण है, आएँगे परन्तु हाय, उस मनुष्य पर जिसके कारण वे आती है!
ⲁ̅ⲡⲉϫⲁϥ ⲇⲉ ⲛ̅ⲛⲉϥⲙⲁⲑⲏⲧⲏⲥ ϫⲉ. ⲥⲙⲟⲕϩ̅ ⲉⲧⲣⲉⲛⲉⲥⲕⲁⲛⲇⲁⲗⲟⲛ ⲧⲙⲉ͡ⲓ. ⲡⲗⲏⲛ ⲟⲩⲟⲓ̈ ⲙ̅ⲡⲉⲧϥ̅ⲛⲏⲟⲩ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲓⲧⲟⲟⲧϥ̅.
2 २ जो इन छोटों में से किसी एक को ठोकर खिलाता है, उसके लिये यह भला होता कि चक्की का पाट उसके गले में लटकाया जाता, और वह समुद्र में डाल दिया जाता।
ⲃ̅ⲛⲁⲛⲟⲩⲥ ⲛⲁϥ ⲉⲛⲉⲟⲩⲛⲟⲩⲱⲛⲉ ⲛ̅ⲥⲓⲕⲉ ⲙⲏⲣ ⲉⲡⲉϥⲙⲁⲕϩ̅ ⲛ̅ⲥⲉⲛⲟϫϥ̅ ⲉⲑⲁⲗⲁⲥⲥⲁ. ⲉϩⲟⲩⲉⲧⲣⲉϥⲥⲕⲁⲛⲇⲁⲗⲓⲍⲉⲟⲩⲁ ⲛ̅ⲛⲉⲓ̈ⲕⲟⲩⲓ̈
3 ३ सचेत रहो; यदि तेरा भाई अपराध करे तो उसे डाँट, और यदि पछताए तो उसे क्षमा कर।
ⲅ̅ϯϩⲧⲏⲧⲛ̅ ⲉⲣⲱⲧⲛ̅. ⲉⲣϣⲁⲛⲡⲉⲕⲥⲟⲛ ⲣ̅ⲛⲟⲃⲉ ⲉⲡⲓⲧⲓⲙⲁ ⲛⲁϥ. ⲁⲩⲱ ⲉϥϣⲁⲛⲙⲉⲧⲁⲛⲟⲓ̈ ⲕⲱ ⲛⲁϥ ⲉⲃⲟⲗ.
4 ४ यदि दिन भर में वह सात बार तेरा अपराध करे और सातों बार तेरे पास फिर आकर कहे, कि मैं पछताता हूँ, तो उसे क्षमा कर।”
ⲇ̅ⲕⲁⲛ ⲉϥϣⲁⲛⲣ̅ⲛⲟⲃⲉ ⲉⲣⲟⲕ ⲛ̅ⲥⲁϣϥ̅ ⲛ̅ⲥⲟⲡ ⲙ̅ⲡⲉϩⲟⲟⲩ ⲛϥ̅ⲕⲟⲧϥ̅ ⲉⲣⲟⲕ ⲛ̅ⲥⲁϣϥ̅ ⲛ̅ⲥⲟⲡ ⲙ̅ⲡⲉϩⲟⲟⲩ ⲉϥϫⲱ ⲙ̅ⲙⲟⲥ ϫⲉ ϯⲙⲉⲧⲁⲛⲟⲓ̈. ⲉⲕⲉⲕⲱ ⲛⲁϥ ⲉⲃⲟⲗ·
5 ५ तब प्रेरितों ने प्रभु से कहा, “हमारा विश्वास बढ़ा।”
ⲉ̅ⲡⲉϫⲉⲛⲁⲡⲟⲥⲧⲟⲗⲟⲥ ⲙ̅ⲡϫⲟⲉⲓⲥ ϫⲉ ⲟⲩⲉϩⲡⲓⲥⲧⲓⲥ ⲉⲣⲟⲛ.
6 ६ प्रभु ने कहा, “यदि तुम को राई के दाने के बराबर भी विश्वास होता, तो तुम इस शहतूत के पेड़ से कहते कि जड़ से उखड़कर समुद्र में लग जा, तो वह तुम्हारी मान लेता।
ⲋ̅ⲡⲉϫⲉⲡϫⲟⲉⲓⲥ ⲇⲉ ⲛⲁⲩ ϫⲉ ⲉⲛⲉⲟⲩⲛⲧⲏⲧⲛⲡⲓⲥⲧⲓⲥ ⲙⲙⲁⲩ ⲛⲁⲡϣⲁⲩ ⲛⲟⲩⲃⲗ̅ⲃⲓⲗⲉ ⲛϣⲗ̅ⲧⲙ̅ ⲛⲉⲧⲉⲧⲛⲁϫⲟⲟⲥ ⲛ̅ⲧⲉⲓ̈ⲛⲟⲩϩⲉ ϫⲉ ⲡⲱⲣϫ̅ ⲛⲧⲉⲧⲱϭⲉ ϩⲛ̅ⲑⲁⲗⲁⲥⲥⲁ ⲛⲥ̅ⲥⲱⲧⲙ̅ ⲛⲏⲧⲛ̅.
7 ७ “पर तुम में से ऐसा कौन है, जिसका दास हल जोतता, या भेड़ें चराता हो, और जब वह खेत से आए, तो उससे कहे, ‘तुरन्त आकर भोजन करने बैठ’?
ⲍ̅ⲛⲓⲙ ⲇⲉ ⲛ̅ϩⲏⲧʾⲧⲏⲩⲧⲛ̅ ⲉⲩⲛⲧⲁϥ ⲙ̅ⲙⲁⲩ ⲛ̅ⲟⲩϩⲙ̅ϩⲁⲗ ⲉϥⲥⲕⲁⲓ̈ ⲏ ⲉϥⲙⲟⲟⲛⲉ ⲉϥⲛⲏⲟⲩ ⲉϩⲣⲁⲓ̈ ϩⲛ̅ⲧⲥⲱϣⲉ ⲛϥ̅ϫⲟⲟⲥ ⲛⲁϥ ⲛ̅ⲧⲉⲩⲛⲟⲩ ϫⲉ ⲙⲟⲟϣⲉ ⲛⲅ̅ⲛⲟϫⲕ̅.
8 ८ क्या वह उनसे न कहेगा, कि मेरा खाना तैयार कर: और जब तक मैं खाऊँ-पीऊँ तब तक कमर बाँधकर मेरी सेवा कर; इसके बाद तू भी खा पी लेना?
ⲏ̅ⲙⲏ ⲉϣⲁϥϫⲟⲟⲥ ⲁⲛ ⲛⲁϥ ϫⲉ ⲥⲟⲃⲧⲉ ⲙ̅ⲡⲉϯⲛⲁⲟⲩⲟⲙϥ̅. ⲛⲅ̅ⲙⲟⲣⲕ̅ ⲛⲅ̅ⲇⲓⲁⲕⲟⲛⲓ ⲛⲁⲉⲓ ϣⲁⲛϯⲟⲩⲱⲙ ⲛⲧⲁⲥⲱ. ⲙⲛ̅ⲛ̅ⲥⲁⲛⲁⲓ̈ ⲇⲉ ⲛⲅ̅ⲟⲩⲱⲙ ⲛⲅ̅ⲥⲱ.
9 ९ क्या वह उस दास का एहसान मानेगा, कि उसने वे ही काम किए जिसकी आज्ञा दी गई थी?
ⲑ̅ⲙⲏ ⲟⲩⲛⲧⲉⲡϩⲙ̅ϩⲁⲗϩⲙⲟⲧʾ ϫⲉ ⲁϥⲣ̅ⲛⲉⲛⲧⲁⲩⲟⲩⲉϩⲥⲁϩⲛⲉ ⲙ̅ⲙⲟⲟⲩ ⲛⲁϥ.
10 १० इसी रीति से तुम भी, जब उन सब कामों को कर चुके हो जिसकी आज्ञा तुम्हें दी गई थी, तो कहो, ‘हम निकम्मे दास हैं; कि जो हमें करना चाहिए था वही किया है।’”
ⲓ̅ⲧⲁⲓ̈ ⲧⲉ ⲧⲉⲧⲛ̅ϩⲉ ϩⲱⲧⲧⲏⲟⲩⲧⲛ̅. ⲉⲧⲉⲧⲛϣⲁⲛⲣ̅ϩⲱⲃ ⲛⲓⲙ ⲉⲛⲧⲁⲩⲟⲩⲉϩⲥⲁϩⲛⲉ ⲙ̅ⲙⲟⲟⲩ ⲛⲏⲧⲛ̅ ⲁϫⲓⲥ ϫⲉ ⲁⲛⲛ̅ϩⲉⲛϩⲙ̅ϩⲁⲗ ⲛ̅ⲁⲧϣⲁⲩ ⲡⲉⲧⲉⲣⲟⲛ ⲉⲁⲁϥ ⲡⲉⲛⲧⲁⲛⲁⲁϥʾ·
11 ११ और ऐसा हुआ कि वह यरूशलेम को जाते हुए सामरिया और गलील प्रदेश की सीमा से होकर जा रहा था।
ⲓ̅ⲁ̅ⲁⲥϣⲱⲡⲉ ⲇⲉ ⲉϥⲙⲟⲟϣⲉ ⲉⲑⲓⲉⲣⲟⲩⲥⲁⲗⲏⲙ. ⲛⲉϥⲛⲏⲟⲩ ⲇⲉ ⲉⲃⲟⲗ ⲡⲉ ϩⲓⲧⲛ̅ⲧⲥⲁⲙⲁⲣⲓⲁ ⲛⲙ̅ⲧⲅⲁⲗⲓⲗⲁⲓⲁ
12 १२ और किसी गाँव में प्रवेश करते समय उसे दस कोढ़ी मिले।
ⲓ̅ⲃ̅ⲉϥⲃⲏⲕ ⲇⲉ ⲉϩⲟⲩⲛ ⲉⲩϯⲙⲉ ⲁⲙⲏⲧ ⲣ̅ⲣⲱⲙⲉ ⲉⲩⲥⲟⲃⲁϩ ⲧⲱⲙⲛ̅ⲧʾ ⲉⲣⲟϥ ⲛⲁⲓ̈ ⲇⲉ ⲉⲩⲁϩⲉⲣⲁⲧⲟⲩ ⲙ̅ⲡⲟⲩⲉ
13 १३ और उन्होंने दूर खड़े होकर, ऊँचे शब्द से कहा, “हे यीशु, हे स्वामी, हम पर दया कर!”
ⲓ̅ⲅ̅ⲉⲩϫⲓϣⲕⲁⲕ ⲉⲃⲟⲗ ⲉⲩϫⲱ ⲙ̅ⲙⲟⲥ ϫⲉ ⲓ̅ⲥ̅ ⲡⲥⲁϩ ⲛⲁ ⲛⲁⲛ.
14 १४ उसने उन्हें देखकर कहा, “जाओ; और अपने आपको याजकों को दिखाओ।” और जाते ही जाते वे शुद्ध हो गए।
ⲓ̅ⲇ̅ⲁϥⲛⲁⲩ ⲇⲉ ⲉⲣⲟⲟⲩ ⲡⲉϫⲁϥ ⲛⲁⲩ ϫⲉ. ⲃⲱⲕ ⲙⲁⲧⲟⲩⲱ̑ⲧⲛ̅ ⲉⲛⲟⲩⲏⲏⲃ. ⲁⲥϣⲱⲡⲉ ⲇⲉ ⲉⲩⲃⲏⲕ ⲁⲩⲧⲃ̅ⲃⲟ
15 १५ तब उनमें से एक यह देखकर कि मैं चंगा हो गया हूँ, ऊँचे शब्द से परमेश्वर की बड़ाई करता हुआ लौटा;
ⲓ̅ⲉ̅ⲛ̅ⲧⲉⲣⲉⲟⲩⲁ ⲇⲉ ⲛϩⲏⲧⲟⲩ ⲛⲁⲩ ϫⲉ ⲁϥⲧⲃ̅ⲃⲟ ⲁϥⲕⲟⲧϥ ϩⲛ̅ⲟⲩⲛⲟϭ ⲛ̅ⲥⲙⲏ ⲉϥϯⲉⲟⲟⲩ ⲙ̅ⲡʾⲛⲟⲩⲧⲉ
16 १६ और यीशु के पाँवों पर मुँह के बल गिरकर उसका धन्यवाद करने लगा; और वह सामरी था।
ⲓ̅ⲋ̅ⲁϥⲡⲁϩⲧϥ̅ ϩⲁⲣⲁⲧϥ̅ ⲉϫⲛ̅ⲡⲉϥϩⲟ ⲉϥϣⲡ̅ϩⲙⲟⲧ ⲛ̅ⲧⲟⲟⲧϥ̅ ⲛ̅ⲧⲟϥ ⲇⲉ ⲛⲉⲟⲩⲥⲁⲙⲁⲣⲓⲧⲏⲥ ⲡⲉ.
17 १७ इस पर यीशु ने कहा, “क्या दसों शुद्ध न हुए, तो फिर वे नौ कहाँ हैं?
ⲓ̅ⲍ̅ⲁⲓⲥ ⲇⲉ ⲟⲩ(ⲱ)ϣⲃ ⲡⲉϫⲁϥ ϫⲉ. ⲙⲏ ⲙⲡⲉⲡⲓⲙⲏⲧʾ ⲧⲃ̅ⲃⲟ. ⲉϥⲧⲱⲛ ⲡⲕⲉⲯⲓⲥ
18 १८ क्या इस परदेशी को छोड़ कोई और न निकला, जो परमेश्वर की बड़ाई करता?”
ⲓ̅ⲏ̅ⲙⲡⲟⲩϩⲉ ⲉⲣⲟⲟⲩ ⲉⲧⲣⲉⲩⲕⲟⲧⲟⲩ ⲉϯⲉⲟⲟⲩ ⲙ̅ⲡⲛⲟⲩⲧⲉ ⲓ̈ⲙⲏⲧⲓ ⲡⲓϣⲙ̅ⲙⲟ.
19 १९ तब उसने उससे कहा, “उठकर चला जा; तेरे विश्वास ने तुझे चंगा किया है।”
ⲓ̅ⲑ̅ⲡⲉϫⲁϥ ⲛⲁϥ ϫⲉ ⲧⲱⲟⲩⲛ ⲛⲅ̅ⲃⲱⲕ·
20 २० जब फरीसियों ने उससे पूछा, कि परमेश्वर का राज्य कब आएगा? तो उसने उनको उत्तर दिया, “परमेश्वर का राज्य प्रगट रूप में नहीं आता।
ⲕ̅ⲛ̅ⲧⲉⲣⲟⲩϫⲛⲟⲩϥ ⲇⲉ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲓⲧⲛ̅ⲛⲉⲫⲁⲣⲓⲥⲁⲓⲟⲥ ϫⲉ ⲉⲣⲉⲧⲙⲛⲧⲉⲣⲟ ⲙⲡⲛⲟⲩⲧⲉ. ⲛⲏⲩ ⲧⲛⲁⲩ ⲁϥⲟⲩⲱϣⲃ̅ ⲡⲉϫⲁϥ ⲛⲁⲩ ϫⲉ. ⲉⲣⲉⲧⲙⲛ̅ⲧⲉⲣⲟ ⲙⲡⲛⲟⲩⲧⲉ ⲛⲏⲟⲩ ⲁⲛ ϩⲛⲟⲩϯϩⲧⲏϥ.
21 २१ और लोग यह न कहेंगे, कि देखो, यहाँ है, या वहाँ है। क्योंकि, परमेश्वर का राज्य तुम्हारे बीच में है।”
ⲕ̅ⲁ̅ⲟⲩⲧⲉ ⲛⲛⲉⲩⲛⲁϫⲟⲟⲥ ⲁⲛ ϫⲉ ⲉⲓⲥϩⲏⲏⲧⲉ ⲙ̅ⲡⲉⲓ̈ⲙⲁ. ⲏ ⲡⲏ. ⲉⲓⲥⲧⲙⲛⲧⲉⲣⲟ ⲅⲁⲣ ⲙⲡⲛⲟⲩⲧⲉ ⲙ̅ⲡⲉⲧⲛⲥⲁ ⲛϩⲟⲩⲛ.
22 २२ और उसने चेलों से कहा, “वे दिन आएँगे, जिनमें तुम मनुष्य के पुत्र के दिनों में से एक दिन को देखना चाहोगे, और नहीं देखने पाओगे।
ⲕ̅ⲃ̅ⲡⲉϫⲁϥ ⲇⲉ ⲛ̅ⲛⲉϥⲙⲁⲑⲏⲧⲏⲥ ϫⲉ ⲟⲩⲛϩⲉⲛϩⲟⲟⲩ ⲛⲏⲟⲩ ⲉⲧⲉⲧⲛⲁⲉⲡⲓⲑⲩⲙⲓ ⲉⲛⲁⲩ ⲉⲩϩⲟⲟⲩ ϩⲛ̅ⲛⲁⲡϣⲏⲣⲉ ⲙ̅ⲡⲣⲱⲙⲉ ⲛ̅ⲧⲉⲧⲛ̅ⲧⲙ̅ⲛⲁⲩ.
23 २३ लोग तुम से कहेंगे, ‘देखो, वहाँ है!’ या ‘देखो यहाँ है!’ परन्तु तुम चले न जाना और न उनके पीछे हो लेना।
ⲕ̅ⲅ̅ⲛ̅ⲥⲉϫⲟⲟⲥ ⲛⲏⲧⲛ̅ ϫⲉ ⲓ̈ⲥϩⲏⲏⲧⲉ ϥⲙ̅ⲡⲉⲓ̈ⲙⲁ ⲏ ϩⲙ̅ⲡⲁⲓ̈ ⲙ̅ⲡⲣ̅ⲡⲱⲧʾ ⲉⲃⲟⲗ
24 २४ क्योंकि जैसे बिजली आकाश की एक छोर से कौंधकर आकाश की दूसरी छोर तक चमकती है, वैसे ही मनुष्य का पुत्र भी अपने दिन में प्रगट होगा।
ⲕ̅ⲇ̅ⲛ̅ⲑⲉ ⲅⲁⲣ ⲛ̅ⲧⲉⲃⲣⲏϭⲉ ⲉϣⲁⲥⲣ̅ⲟⲩⲟⲓ̈ⲛ ϩⲁⲧⲡⲉ ⲛⲥⲣ̅ⲟⲩⲟⲓ̈ⲛ ⲉϫⲙ̅ⲡⲕⲁϩ ⲧⲁⲓ̈ ⲧⲉ ⲑⲉ ⲉⲧⲛⲁϣⲱⲡⲉ ⲙ̅ⲡϣⲏⲣⲉ ⲙ̅ⲡⲣⲱⲙⲉ.
25 २५ परन्तु पहले अवश्य है, कि वह बहुत दुःख उठाए, और इस युग के लोग उसे तुच्छ ठहराएँ।
ⲕ̅ⲉ̅ϩⲁⲡⲥ̅ ⲇⲉ ⲛ̅ϣⲟⲣⲡ̅ ⲉⲧⲣⲉϥϣⲉⲡϩⲁϩ ⲛϩⲓⲥⲉ ⲛ̅ⲥⲉⲧⲥ̅ⲧⲟϥ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲓⲧⲛⲧⲉⲓ̈ⲅⲉⲛⲉⲁ.
26 २६ जैसा नूह के दिनों में हुआ था, वैसा ही मनुष्य के पुत्र के दिनों में भी होगा।
ⲕ̅ⲋ̅ⲁⲩⲱ ⲕⲁⲧⲁⲑⲉ ⲉⲛⲧⲁⲥϣⲱⲡⲉ ϩⲛ̅ⲛⲉϩⲟⲟⲩ ⲛ̅ⲛⲱϩⲉ. ⲧⲁⲓ̈ ⲧⲉ ⲑⲉ ⲉⲧⲛⲁϣⲱⲡⲉ ϩⲛ̅ⲛⲉϩⲟⲟⲩ ⲙ̅ⲡϣⲏⲣⲉ ⲙ̅ⲡⲣⲱⲙⲉ.
27 २७ जिस दिन तक नूह जहाज पर न चढ़ा, उस दिन तक लोग खाते-पीते थे, और उनमें विवाह-शादी होती थी; तब जल-प्रलय ने आकर उन सब को नाश किया।
ⲕ̅ⲍ̅ⲛ̅ⲑⲉ ⲅⲁⲣ ⲉⲛⲧⲁⲥϣⲱⲡⲉ ϩⲛ̅ⲛⲉϩⲟⲟⲩ ⲛ̅ⲛⲱϩⲉ ⲉⲑⲁⲏ ⲙ̅ⲡⲕⲁⲧⲁⲕⲗⲩⲥⲙⲟⲥ ⲉⲩⲟⲩⲱⲙ. ⲉⲩⲥⲱ. ⲉⲩϫⲓϩⲓⲙⲉ. ⲉⲩϩⲙⲟⲟⲥ ⲛⲙ̅ϩⲁⲓ̈. ϣⲁⲡⲉϩⲟⲟⲩ ⲉⲛⲧⲁⲛⲱϩⲉ ⲃⲱⲕ ⲉϩⲟⲩⲛ ⲉⲧϭⲓⲃⲱⲧⲟⲥ ⲁⲡⲕⲁⲧⲁⲕⲗⲩⲥⲙⲟⲥ ⲉ͡ⲓ ⲁϥⲧⲁⲕⲟⲟⲩ ⲧⲏⲣⲟⲩ.
28 २८ और जैसा लूत के दिनों में हुआ था, कि लोग खाते-पीते लेन-देन करते, पेड़ लगाते और घर बनाते थे;
ⲕ̅ⲏ̅ⲁⲩⲱ ⲟⲛ ⲕⲁⲧⲁⲑⲉ ⲉⲛⲧⲁⲥϣⲱⲡⲉ ϩⲛ̅ⲛⲉϩⲟⲟⲩ ⲗ̅ⲗⲱⲧʾ. ⲉⲩⲟⲩⲱⲙ. ⲉⲩⲥⲱ. ⲉⲩϣⲱⲡ ⲉⲩϯ ⲉⲃⲟⲗ. ⲉⲩⲧⲱϭⲉ. ⲉⲩⲕⲱⲧʾ.
29 २९ परन्तु जिस दिन लूत सदोम से निकला, उस दिन आग और गन्धक आकाश से बरसी और सब को नाश कर दिया।
ⲕ̅ⲑ̅ⲙ̅ⲡⲉϩⲟⲟⲩ ⲇⲉ ⲉⲛⲧⲁⲗⲱⲧʾ ⲉ͡ⲓ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲛ̅ⲥⲟⲇⲟⲙⲁ ⲁⲩⲕⲱϩⲧ̅ ϩⲱⲟⲩ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲛ̅ⲧⲡⲉ ⲛⲙ̅ⲟⲩⲑⲏⲛ ⲁϥⲧⲁⲕⲉⲟⲩⲟⲛ ⲛⲓⲙ.
30 ३० मनुष्य के पुत्र के प्रगट होने के दिन भी ऐसा ही होगा।
ⲗ̅ⲧⲁⲓ̈ ⲧⲉ ⲑⲉ ⲉⲧⲛⲁϣⲱⲡⲉ ϩⲙ̅ⲡⲉϩⲟⲟⲩ ⲉⲧⲉⲣⲉⲡϣⲏⲣⲉ ⲙ̅ⲡⲣⲱⲙⲉ ⲛⲁⲩⲱⲛϩ̅ ⲉⲃⲟⲗ.
31 ३१ “उस दिन जो छत पर हो; और उसका सामान घर में हो, वह उसे लेने को न उतरे, और वैसे ही जो खेत में हो वह पीछे न लौटे।
ⲗ̅ⲁ̅ϩⲛ̅ⲛⲉϩⲟⲟⲩ ⲉⲧⲙ̅ⲙⲁⲩ ⲡⲉⲧϩⲓϫⲉⲛⲉⲡⲱⲣ ⲉⲣⲉⲛⲉϥϩⲛⲁⲁⲩ ϩⲙⲡⲉϥⲏⲓ̈. ⲙ̅ⲡⲣ̅ⲧⲣⲉϥⲉ͡ⲓ ⲉⲡⲉⲥⲏⲧʾ ⲉϥⲓⲧⲟⲩ. ⲁⲩⲱ ⲡⲉⲧϩⲛⲧⲥⲱϣⲉ ⲙ̅ⲡⲣ̅ⲧⲣⲉϥⲕⲟⲧϥ̅ ⲉⲡⲁϩⲟⲩ.
32 ३२ लूत की पत्नी को स्मरण रखो!
ⲗ̅ⲃ̅ⲁⲣⲓⲡⲙⲉⲉⲩⲉ ⲛ̅ⲑⲓⲙⲉ ⲗ̅ⲗⲱⲧʾ
33 ३३ जो कोई अपना प्राण बचाना चाहे वह उसे खोएगा, और जो कोई उसे खोए वह उसे बचाएगा।
ⲗ̅ⲅ̅ⲡⲉⲧⲛⲁϣⲓⲛⲉ ⲛ̅ⲥⲁⲧⲁⲛϩⲉⲧⲉϥⲯⲩⲭⲏ. ϥⲛⲁⲥⲟⲣⲙⲉⲥ. ⲡⲉⲧⲛⲁⲥⲟⲣⲙⲉⲥ ϥⲛⲁⲧⲁⲛϩⲟⲥ.
34 ३४ मैं तुम से कहता हूँ, उस रात दो मनुष्य एक खाट पर होंगे, एक ले लिया जाएगा, और दूसरा छोड़ दिया जाएगा।
ⲗ̅ⲇ̅ϯϫⲱ ⲙ̅ⲙⲟⲥ ⲛⲏⲧⲛ̅ ϫⲉ ϩⲛ̅ⲧⲉⲓ̈ⲟⲩϣⲏ ⲟⲩⲛⲥⲛⲁⲩ ⲛⲁϣⲱⲡⲉ ϩⲛ̅ⲟⲩϭⲗⲟϭ ⲛ̅ⲟⲩⲱⲧʾ ⲥⲉⲛⲁϫⲓⲟⲩⲁ ⲛ̅ⲥⲉⲕⲁⲟⲩⲁ
35 ३५ दो स्त्रियाँ एक साथ चक्की पीसती होंगी, एक ले ली जाएगी, और दूसरी छोड़ दी जाएगी।
ⲗ̅ⲉ̅ⲟⲩⲛⲥⲛⲧⲉ ⲛⲁϣⲱⲡⲉ ⲉⲩⲛⲟⲩⲧʾ ϩⲓⲟⲩⲥⲟⲡ ⲥⲉⲛⲁϫⲓⲟⲩⲉ͡ⲓ ⲛ̅ⲥⲉⲕⲁⲟⲩⲉ͡ⲓ.
36 ३६ [दो जन खेत में होंगे एक ले लिया जाएगा और दूसरा छोड़ा जाएगा।]”
ⲗ̅ⲋ̅
37 ३७ यह सुन उन्होंने उससे पूछा, “हे प्रभु यह कहाँ होगा?” उसने उनसे कहा, “जहाँ लाश हैं, वहाँ गिद्ध इकट्ठे होंगे।”
ⲗ̅ⲍ̅ⲁⲩⲟⲩⲱϣⲃ̅ ⲇⲉ ⲛⲁϥ ϫⲉ ⲉⲧⲱⲛ ⲡϫⲟⲉⲓⲥ. ⲛ̅ⲧⲟϥ ⲇⲉ ⲡⲉϫⲁϥ ⲛⲁⲩ ϫⲉ. ⲡⲙⲁ ⲉⲧⲉⲣⲉ ⲡⲥⲱⲙⲁ ⲛⲁϣⲱⲡⲉ ⲙ̅ⲙⲟϥ. ⲉⲣⲉⲛⲁⲉⲧⲟⲥ ⲛⲁⲥⲱⲟⲩϩ ⲉⲣⲟϥ·