< लूका 12 >

1 इतने में जब हजारों की भीड़ लग गई, यहाँ तक कि एक दूसरे पर गिरे पड़ते थे, तो वह सबसे पहले अपने चेलों से कहने लगा, “फरीसियों के कपटरूपी ख़मीर से सावधान रहना।
Ἐν οἷς ἐπισυναχθεισῶν τῶν μυριάδων τοῦ ὄχλου ὡς καταπατεῖν ἀλλήλους, ἤρξατο λέγειν πρὸς τοὺς μαθητὰς αὐτοῦ πρῶτον· προσέχετε ἑαυτοῖς ἀπὸ τῆς ζύμης τῶν Φαρισαίων, ἥτις ἐστὶν ὑπόκρισις.
2 कुछ ढँपा नहीं, जो खोला न जाएगा; और न कुछ छिपा है, जो जाना न जाएगा।
οὐδὲν δὲ συγκεκαλυμμένον ἐστὶν ὃ οὐκ ἀποκαλυφθήσεται, καὶ κρυπτὸν ὃ οὐ γνωσθήσεται·
3 इसलिए जो कुछ तुम ने अंधेरे में कहा है, वह उजाले में सुना जाएगा; और जो तुम ने भीतर के कमरों में कानों कान कहा है, वह छतों पर प्रचार किया जाएगा।
ἀνθ᾽ ὧν ὅσα ἐν τῇ σκοτίᾳ εἴπατε, ἐν τῷ φωτὶ ἀκουσθήσεται, καὶ ὃ πρὸς τὸ οὖς ἐλαλήσατε ἐν τοῖς ταμείοις, κηρυχθήσεται ἐπὶ τῶν δωμάτων.
4 “परन्तु मैं तुम से जो मेरे मित्र हो कहता हूँ, कि जो शरीर को मार सकते हैं और उससे ज्यादा और कुछ नहीं कर सकते, उनसे मत डरो।
Λέγω δὲ ὑμῖν τοῖς φίλοις μου· μὴ φοβηθῆτε ἀπὸ τῶν ἀποκτεννόντων τὸ σῶμα, καὶ μετὰ ταῦτα μὴ ἐχόντων περισσότερόν τι ποιῆσαι.
5 मैं तुम्हें चेतावनी देता हूँ कि तुम्हें किस से डरना चाहिए, मारने के बाद जिसको नरक में डालने का अधिकार है, उसी से डरो; वरन् मैं तुम से कहता हूँ उसी से डरो। (Geenna g1067)
ὑποδείξω δὲ ὑμῖν τίνα φοβηθῆτε· φοβήθητε τὸν μετὰ τὸ ἀποκτεῖναι ἔχοντα ἐξουσίαν ἐμβαλεῖν εἰς τὴν γέενναν· ναί, λέγω ὑμῖν, τοῦτον φοβήθητε. (Geenna g1067)
6 क्या दो पैसे की पाँच गौरैयाँ नहीं बिकती? फिर भी परमेश्वर उनमें से एक को भी नहीं भूलता।
οὐχὶ πέντε στρουθία πωλεῖται ἀσσαρίων δύο; καὶ ἓν ἐξ αὐτῶν οὐκ ἔστιν ἐπιλελησμένον ἐνώπιον τοῦ Θεοῦ·
7 वरन् तुम्हारे सिर के सब बाल भी गिने हुए हैं, अतः डरो नहीं, तुम बहुत गौरैयों से बढ़कर हो।
ἀλλὰ καὶ αἱ τρίχες τῆς κεφαλῆς ὑμῶν πᾶσαι ἠρίθμηνται. μὴ οὖν φοβεῖσθε· πολλῶν στρουθίων διαφέρετε.
8 “मैं तुम से कहता हूँ जो कोई मनुष्यों के सामने मुझे मान लेगा उसे मनुष्य का पुत्र भी परमेश्वर के स्वर्गदूतों के सामने मान लेगा।
Λέγω δὲ ὑμῖν· πᾶς ὃς ἂν ὁμολογήσῃ ἐν ἐμοὶ ἔμπροσθεν τῶν ἀνθρώπων, καὶ ὁ υἱὸς τοῦ ἀνθρώπου ὁμολογήσει ἐν αὐτῷ ἔμπροσθεν τῶν ἀγγέλων τοῦ Θεοῦ·
9 परन्तु जो मनुष्यों के सामने मुझे इन्कार करे उसका परमेश्वर के स्वर्गदूतों के सामने इन्कार किया जाएगा।
ὁ δὲ ἀρνησάμενός με ἐνώπιον τῶν ἀνθρώπων ἀπαρνηθήσεται ἐνώπιον τῶν ἀγγέλων τοῦ Θεοῦ.
10 १० “जो कोई मनुष्य के पुत्र के विरोध में कोई बात कहे, उसका वह अपराध क्षमा किया जाएगा। परन्तु जो पवित्र आत्मा की निन्दा करें, उसका अपराध क्षमा नहीं किया जाएगा।
καὶ πᾶς ὃς ἐρεῖ λόγον εἰς τὸν υἱὸν τοῦ ἀνθρώπου, ἀφεθήσεται αὐτῷ· τῷ δὲ εἰς τὸ Ἅγιον Πνεῦμα βλασφημήσαντι οὐκ ἀφεθήσεται.
11 ११ “जब लोग तुम्हें आराधनालयों और अधिपतियों और अधिकारियों के सामने ले जाएँ, तो चिन्ता न करना कि हम किस रीति से या क्या उत्तर दें, या क्या कहें।
ὅταν δὲ προσφέρωσιν ὑμᾶς ἐπὶ τὰς συναγωγὰς καὶ τὰς ἀρχὰς καὶ τὰς ἐξουσίας, μὴ μεριμνᾶτε πῶς ἢ τί ἀπολογήσησθε ἢ τί εἴπητε·
12 १२ क्योंकि पवित्र आत्मा उसी घड़ी तुम्हें सीखा देगा, कि क्या कहना चाहिए।”
τὸ γὰρ Ἅγιον Πνεῦμα διδάξει ὑμᾶς ἐν αὐτῇ τῇ ὥρᾳ ἃ δεῖ εἰπεῖν.
13 १३ फिर भीड़ में से एक ने उससे कहा, “हे गुरु, मेरे भाई से कह, कि पिता की सम्पत्ति मुझे बाँट दे।”
Εἶπε δέ τις αὐτῷ ἐκ τοῦ ὄχλου· διδάσκαλε, εἰπὲ τῷ ἀδελφῷ μου μερίσασθαι τὴν κληρονομίαν μετ᾽ ἐμοῦ.
14 १४ उसने उससे कहा, “हे मनुष्य, किसने मुझे तुम्हारा न्यायी या बाँटनेवाला नियुक्त किया है?”
ὁ δὲ εἶπεν αὐτῷ· ἄνθρωπε, τίς με κατέστησε δικαστὴν ἢ μεριστὴν ἐφ᾽ ὑμᾶς;
15 १५ और उसने उनसे कहा, “सावधान रहो, और हर प्रकार के लोभ से अपने आपको बचाए रखो; क्योंकि किसी का जीवन उसकी सम्पत्ति की बहुतायत से नहीं होता।”
εἶπε δὲ πρὸς αὐτούς· ὁρᾶτε καὶ φυλάσσεσθε ἀπὸ πάσης πλεονεξίας· ὅτι οὐκ ἐν τῷ περισσεύειν τινὶ ἡ ζωὴ αὐτοῦ ἐστιν ἐκ τῶν ὑπαρχόντων αὐτοῦ.
16 १६ उसने उनसे एक दृष्टान्त कहा, “किसी धनवान की भूमि में बड़ी उपज हुई।
Εἶπε δὲ παραβολὴν πρὸς αὐτοὺς λέγων· ἀνθρώπου τινὸς πλουσίου εὐφόρησεν ἡ χώρα·
17 १७ तब वह अपने मन में विचार करने लगा, कि मैं क्या करूँ, क्योंकि मेरे यहाँ जगह नहीं, जहाँ अपनी उपज इत्यादि रखूँ।
καὶ διελογίζετο ἐν ἑαυτῷ λέγων· τί ποιήσω, ὅτι οὐκ ἔχω ποῦ συνάξω τοὺς καρπούς μου;
18 १८ और उसने कहा, ‘मैं यह करूँगा: मैं अपनी बखारियाँ तोड़कर उनसे बड़ी बनाऊँगा; और वहाँ अपना सब अन्न और सम्पत्ति रखूँगा;
καὶ εἶπε· τοῦτο ποιήσω· καθελῶ μου τὰς ἀποθήκας καὶ μείζονας οἰκοδομήσω, καὶ συνάξω ἐκεῖ πάντα τὰ γενήματά μου καὶ τὰ ἀγαθά μου,
19 १९ और अपने प्राण से कहूँगा, कि प्राण, तेरे पास बहुत वर्षों के लिये बहुत सम्पत्ति रखी है; चैन कर, खा, पी, सुख से रह।’
καὶ ἐρῶ τῇ ψυχῇ μου· ψυχή, ἔχεις πολλὰ ἀγαθὰ κείμενα εἰς ἔτη πολλά· ἀναπαύου, φάγε, πίε, εὐφραίνου.
20 २० परन्तु परमेश्वर ने उससे कहा, ‘हे मूर्ख! इसी रात तेरा प्राण तुझ से ले लिया जाएगा; तब जो कुछ तूने इकट्ठा किया है, वह किसका होगा?’
εἶπε δὲ αὐτῷ ὁ Θεός· ἄφρον, ταύτῃ τῇ νυκτὶ τὴν ψυχήν σου ἀπαιτοῦσιν ἀπὸ σοῦ· ἃ δὲ ἡτοίμασας τίνι ἔσται;
21 २१ ऐसा ही वह मनुष्य भी है जो अपने लिये धन बटोरता है, परन्तु परमेश्वर की दृष्टि में धनी नहीं।”
οὕτως ὁ θησαυρίζων ἑαυτῷ, καὶ μὴ εἰς Θεὸν πλουτῶν.
22 २२ फिर उसने अपने चेलों से कहा, “इसलिए मैं तुम से कहता हूँ, अपने जीवन की चिन्ता न करो, कि हम क्या खाएँगे; न अपने शरीर की, कि क्या पहनेंगे।
Εἶπε δὲ πρὸς τοὺς μαθητὰς αὐτοῦ· διὰ τοῦτο λέγω ὑμῖν, μὴ μεριμνᾶτε τῇ ψυχῇ ὑμῶν τί φάγητε, μηδὲ τῷ σώματι ὑμῶν τί ἐνδύσησθε.
23 २३ क्योंकि भोजन से प्राण, और वस्त्र से शरीर बढ़कर है।
οὐχὶ ἡ ψυχὴ πλεῖόν ἐστι τῆς τροφῆς καὶ τὸ σῶμα τοῦ ἐνδύματος;
24 २४ कौवों पर ध्यान दो; वे न बोते हैं, न काटते; न उनके भण्डार और न खत्ता होता है; फिर भी परमेश्वर उन्हें खिलाता है। तुम्हारा मूल्य पक्षियों से कहीं अधिक है
κατανοήσατε τοὺς κόρακας, ὅτι οὐ σπείρουσιν οὐδὲ θερίζουσιν, οἷς οὐκ ἔστι ταμεῖον οὐδὲ ἀποθήκη, καὶ ὁ Θεὸς τρέφει αὐτούς· πόσῳ μᾶλλον ὑμεῖς διαφέρετε τῶν πετεινῶν;
25 २५ तुम में से ऐसा कौन है, जो चिन्ता करने से अपने जीवनकाल में एक घड़ी भी बढ़ा सकता है?
τίς δὲ ἐξ ὑμῶν μεριμνῶν δύναται προσθεῖναι ἐπὶ τὴν ἡλικίαν αὐτοῦ πῆχυν ἕνα;
26 २६ इसलिए यदि तुम सबसे छोटा काम भी नहीं कर सकते, तो और बातों के लिये क्यों चिन्ता करते हो?
εἰ οὖν οὔτε ἐλάχιστον δύνασθε, τί περὶ τῶν λοιπῶν μεριμνᾶτε;
27 २७ सोसनों पर ध्यान करो, कि वे कैसे बढ़ते हैं; वे न परिश्रम करते, न काटते हैं; फिर भी मैं तुम से कहता हूँ, कि सुलैमान भी अपने सारे वैभव में, उनमें से किसी एक के समान वस्त्र पहने हुए न था।
κατανοήσατε τὰ κρίνα πῶς αὐξάνει· οὐ κοπιᾷ οὐδὲ νήθει· λέγω δὲ ὑμῖν, οὐδὲ Σολομὼν ἐν πάσῃ τῇ δόξῃ αὐτοῦ περιεβάλετο ὡς ἓν τούτων.
28 २८ इसलिए यदि परमेश्वर मैदान की घास को जो आज है, और कल भट्ठी में झोंकी जाएगी, ऐसा पहनाता है; तो हे अल्पविश्वासियों, वह तुम्हें अधिक क्यों न पहनाएगा?
εἰ δὲ τὸν χόρτον τοῦ ἀγροῦ, σήμερον ὄντα καὶ αὔριον εἰς κλίβανον βαλλόμενον, ὁ Θεὸς οὕτως ἀμφιέννυσι, πόσῳ μᾶλλον ὑμᾶς, ὀλιγόπιστοι;
29 २९ और तुम इस बात की खोज में न रहो, कि क्या खाएँगे और क्या पीएँगे, और न सन्देह करो।
καὶ ὑμεῖς μὴ ζητεῖτε τί φάγητε καὶ τί πίητε, καὶ μὴ μετεωρίζεσθε·
30 ३० क्योंकि संसार की जातियाँ इन सब वस्तुओं की खोज में रहती हैं और तुम्हारा पिता जानता है, कि तुम्हें इन वस्तुओं की आवश्यकता है।
ταῦτα γὰρ πάντα τὰ ἔθνη τοῦ κόσμου ἐπιζητεῖ· ὑμῶν δὲ ὁ πατὴρ οἶδεν ὅτι χρῄζετε τούτων·
31 ३१ परन्तु उसके राज्य की खोज में रहो, तो ये वस्तुएँ भी तुम्हें मिल जाएँगी।
πλὴν ζητεῖτε τὴν βασιλείαν τοῦ Θεοῦ, καὶ ταῦτα [πάντα] προστεθήσεται ὑμῖν.
32 ३२ “हे छोटे झुण्ड, मत डर; क्योंकि तुम्हारे पिता को यह भाया है, कि तुम्हें राज्य दे।
Μὴ φοβοῦ τὸ μικρὸν ποίμνιον· ὅτι εὐδόκησεν ὁ πατὴρ ὑμῶν δοῦναι ὑμῖν τὴν βασιλείαν.
33 ३३ अपनी सम्पत्ति बेचकरदान कर दो; और अपने लिये ऐसे बटुए बनाओ, जो पुराने नहीं होते, अर्थात् स्वर्ग पर ऐसा धन इकट्ठा करो जो घटता नहीं, जिसके निकट चोर नहीं जाता, और कीड़ा नाश नहीं करता।
πωλήσατε τὰ ὑπάρχοντα ὑμῶν καὶ δότε ἐλεημοσύνην. ποιήσατε ἑαυτοῖς βαλλάντια μὴ παλαιούμενα, θησαυρὸν ἀνέκλειπτον ἐν τοῖς οὐρανοῖς, ὅπου κλέπτης οὐκ ἐγγίζει οὐδὲ σὴς διαφθείρει·
34 ३४ क्योंकि जहाँ तुम्हारा धन है, वहाँ तुम्हारा मन भी लगा रहेगा।
ὅπου γάρ ἐστιν ὁ θησαυρὸς ὑμῶν, ἐκεῖ καὶ ἡ καρδία ὑμῶν ἔσται.
35 ३५ “तुम्हारी कमर बंधी रहें, और तुम्हारे दीये जलते रहें।
Ἔστωσαν ὑμῶν αἱ ὀσφύες περιεζωσμέναι καὶ οἱ λύχνοι καιόμενοι·
36 ३६ और तुम उन मनुष्यों के समान बनो, जो अपने स्वामी की प्रतीक्षा कर रहे हों, कि वह विवाह से कब लौटेगा; कि जब वह आकर द्वार खटखटाएँ तो तुरन्त उसके लिए खोल दें।
καὶ ὑμεῖς ὅμοιοι ἀνθρώποις προσδεχομένοις τὸν κύριον ἑαυτῶν, πότε ἀναλύσει ἐκ τῶν γάμων, ἵνα ἐλθόντος καὶ κρούσαντος εὐθέως ἀνοίξωσιν αὐτῷ.
37 ३७ धन्य हैं वे दास, जिन्हें स्वामी आकर जागते पाए; मैं तुम से सच कहता हूँ, कि वह कमर बाँधकर उन्हें भोजन करने को बैठाएगा, और पास आकर उनकी सेवा करेगा।
μακάριοι οἱ δοῦλοι ἐκεῖνοι, οὓς ἐλθὼν ὁ κύριος εὑρήσει γρηγοροῦντας. ἀμὴν λέγω ὑμῖν ὅτι περιζώσεται καὶ ἀνακλινεῖ αὐτούς, καὶ παρελθὼν διακονήσει αὐτοῖς.
38 ३८ यदि वह रात के दूसरे पहर या तीसरे पहर में आकर उन्हें जागते पाए, तो वे दास धन्य हैं।
καὶ ἐὰν ἔλθῃ ἐν τῇ δευτέρᾳ φυλακῇ καὶ ἐν τῇ τρίτῃ φυλακῇ ἔλθῃ καὶ εὕρῃ οὕτω, μακάριοί εἰσιν οἱ δοῦλοι ἐκεῖνοι.
39 ३९ परन्तु तुम यह जान रखो, कि यदि घर का स्वामी जानता, कि चोर किस घड़ी आएगा, तो जागता रहता, और अपने घर में सेंध लगने न देता।
τοῦτο δὲ γινώσκετε ὅτι εἰ ᾔδει ὁ οἰκοδεσπότης ποίᾳ ὥρᾳ ὁ κλέπτης ἔρχεται, ἐγρηγόρησεν ἂν καὶ οὐκ ἂν ἀφῆκε διορυγῆναι τὸν οἶκον αὐτοῦ.
40 ४० तुम भी तैयार रहो; क्योंकि जिस घड़ी तुम सोचते भी नहीं, उस घड़ी मनुष्य का पुत्र आ जाएगा।”
καὶ ὑμεῖς οὖν γίνεσθε ἕτοιμοι· ὅτι ᾗ ὥρᾳ οὐ δοκεῖτε ὁ υἱὸς τοῦ ἀνθρώπου ἔρχεται.
41 ४१ तब पतरस ने कहा, “हे प्रभु, क्या यह दृष्टान्त तू हम ही से या सबसे कहता है।”
εἶπε δὲ αὐτῷ ὁ Πέτρος· Κύριε, πρὸς ἡμᾶς τὴν παραβολὴν ταύτην λέγεις ἢ καὶ πρὸς πάντας;
42 ४२ प्रभु ने कहा, “वह विश्वासयोग्य और बुद्धिमान भण्डारी कौन है, जिसका स्वामी उसे नौकर-चाकरों पर सरदार ठहराए कि उन्हें समय पर भोजन सामग्री दे।
εἶπε δὲ ὁ Κύριος· τίς ἄρα ἐστὶν ὁ πιστὸς οἰκονόμος καὶ φρόνιμος, ὃν καταστήσει ὁ κύριος ἐπὶ τῆς θεραπείας αὐτοῦ τοῦ διδόναι ἐν καιρῷ τὸ σιτομέτριον;
43 ४३ धन्य है वह दास, जिसे उसका स्वामी आकर ऐसा ही करते पाए।
μακάριος ὁ δοῦλος ἐκεῖνος, ὃν ἐλθὼν ὁ κύριος αὐτοῦ εὑρήσει οὕτω ποιοῦντα.
44 ४४ मैं तुम से सच कहता हूँ; वह उसे अपनी सब सम्पत्ति पर अधिकारी ठहराएगा।
ἀληθῶς λέγω ὑμῖν ὅτι ἐπὶ πᾶσι τοῖς ὑπάρχουσιν αὐτοῦ καταστήσει αὐτόν.
45 ४५ परन्तु यदि वह दास सोचने लगे, कि मेरा स्वामी आने में देर कर रहा है, और दासों और दासियों को मारने-पीटने और खाने-पीने और पियक्कड़ होने लगे।
ἐὰν δὲ εἴπῃ ὁ δοῦλος ἐκεῖνος ἐν τῇ καρδίᾳ αὐτοῦ, χρονίζει ὁ κύριός μου ἔρχεσθαι, καὶ ἄρξηται τύπτειν τοὺς παῖδας καὶ τὰς παιδίσκας, ἐσθίειν τε καὶ πίνειν καὶ μεθύσκεσθαι,
46 ४६ तो उस दास का स्वामी ऐसे दिन, जब वह उसकी प्रतीक्षा न कर रहा हो, और ऐसी घड़ी जिसे वह जानता न हो, आएगा और उसे भारी ताड़ना देकर उसका भाग विश्वासघाती के साथ ठहराएगा।
ἥξει ὁ κύριος τοῦ δούλου ἐκείνου ἐν ἡμέρᾳ ᾗ οὐ προσδοκᾷ καὶ ἐν ὥρᾳ ᾗ οὐ γινώσκει, καὶ διχοτομήσει αὐτόν, καὶ τὸ μέρος αὐτοῦ μετὰ τῶν ἀπίστων θήσει.
47 ४७ औरवह दास जो अपने स्वामी की इच्छा जानता था, और तैयार न रहा और न उसकी इच्छा के अनुसार चला, बहुत मार खाएगा।
ἐκεῖνος δὲ ὁ δοῦλος, ὁ γνοὺς τὸ θέλημα τοῦ κυρίου ἑαυτοῦ καὶ μὴ ἑτοιμάσας μηδὲ ποιήσας πρὸς τὸ θέλημα αὐτοῦ, δαρήσεται πολλάς·
48 ४८ परन्तु जो नहीं जानकर मार खाने के योग्य काम करे वह थोड़ी मार खाएगा, इसलिए जिसे बहुत दिया गया है, उससे बहुत माँगा जाएगा; और जिसे बहुत सौंपा गया है, उससे बहुत लिया जाएगा।
ὁ δὲ μὴ γνούς, ποιήσας δὲ ἄξια πληγῶν, δαρήσεται ὀλίγας. παντὶ δὲ ᾧ ἐδόθη πολύ, πολὺ ζητηθήσεται παρ᾽ αὐτοῦ, καὶ ᾧ παρέθεντο πολύ, περισσότερον αἰτήσουσιν αὐτόν.
49 ४९ “मैं पृथ्वी परआगलगाने आया हूँ; और क्या चाहता हूँ केवल यह कि अभी सुलग जाती!
Πῦρ ἦλθον βαλεῖν ἐπὶ τὴν γῆν, καὶ τί θέλω εἰ ἤδη ἀνήφθη!
50 ५० मुझे तो एक बपतिस्मा लेना है; और जब तक वह न हो ले तब तक मैं कैसी व्यथा में रहूँगा!
βάπτισμα δὲ ἔχω βαπτισθῆναι, καὶ πῶς συνέχομαι ἕως οὗ τελεσθῇ!
51 ५१ क्या तुम समझते हो कि मैं पृथ्वी पर मिलाप कराने आया हूँ? मैं तुम से कहता हूँ; नहीं, वरन् अलग कराने आया हूँ।
δοκεῖτε ὅτι εἰρήνην παρεγενόμην δοῦναι ἐν τῇ γῇ; οὐχί, λέγω ὑμῖν, ἀλλ᾽ ἢ διαμερισμόν.
52 ५२ क्योंकि अब से एक घर में पाँच जन आपस में विरोध रखेंगे, तीन दो से दो तीन से।
ἔσονται γὰρ ἀπὸ τοῦ νῦν πέντε ἐν οἴκῳ ἑνὶ διαμεμερισμένοι, τρεῖς ἐπὶ δυσὶ καὶ δύο ἐπὶ τρισί·
53 ५३ पिता पुत्र से, और पुत्र पिता से विरोध रखेगा; माँ बेटी से, और बेटी माँ से, सास बहू से, और बहू सास से विरोध रखेगी।”
διαμερισθήσονται πατὴρ ἐπὶ υἱῷ καὶ υἱὸς ἐπὶ πατρί, μήτηρ ἐπὶ θυγατρὶ καὶ θυγάτηρ ἐπὶ μητρί, πενθερὰ ἐπὶ τὴν νύμφην αὐτῆς καὶ νύμφη ἐπὶ τὴν πενθερὰν αὐτῆς.
54 ५४ और उसने भीड़ से भी कहा, “जब बादल को पश्चिम से उठते देखते हो, तो तुरन्त कहते हो, कि वर्षा होगी; और ऐसा ही होता है।
Ἔλεγε δὲ καὶ τοῖς ὄχλοις· ὅταν ἴδητε τὴν νεφέλην ἀνατέλλουσαν ἀπὸ δυσμῶν, εὐθέως λέγετε, ὄμβρος ἔρχεται, καὶ γίνεται οὕτω·
55 ५५ और जब दक्षिणी हवा चलती देखते हो तो कहते हो, कि लूह चलेगी, और ऐसा ही होता है।
καὶ ὅταν νότον πνέοντα, λέγετε ὅτι καύσων ἔσται, καὶ γίνεται.
56 ५६ हे कपटियों, तुम धरती और आकाश के रूप में भेद कर सकते हो, परन्तु इस युग के विषय में क्यों भेद करना नहीं जानते?
ὑποκριταί, τὸ πρόσωπον τοῦ οὐρανοῦ καὶ τῆς γῆς οἴδατε δοκιμάζειν, τὸν δὲ καιρὸν τοῦτον πῶς οὐ δοκιμάζετε;
57 ५७ “तुम आप ही निर्णय क्यों नहीं कर लेते, कि उचित क्या है?
τί δὲ καὶ ἀφ᾽ ἑαυτῶν οὐ κρίνετε τὸ δίκαιον;
58 ५८ जब तू अपने मुद्दई के साथ न्यायाधीश के पास जा रहा है, तो मार्ग ही में उससे छूटने का यत्न कर ले ऐसा न हो, कि वह तुझे न्यायी के पास खींच ले जाए, और न्यायी तुझे सिपाही को सौंपे और सिपाही तुझे बन्दीगृह में डाल दे।
ὡς γὰρ ὑπάγεις μετὰ τοῦ ἀντιδίκου σου ἐπ᾽ ἄρχοντα, ἐν τῇ ὁδῷ δὸς ἐργασίαν ἀπηλλάχθαι ἀπ᾽ αὐτοῦ, μήποτε κατασύρῃ σε πρὸς τὸν κριτήν, καὶ ὁ κριτής σε παραδῷ τῷ πράκτορι, καὶ ὁ πράκτωρ σε βαλεῖ εἰς φυλακήν.
59 ५९ मैं तुम से कहता हूँ, कि जब तक तू पाई-पाई न चुका देगा तब तक वहाँ से छूटने न पाएगा।”
λέγω σοι, οὐ μὴ ἐξέλθῃς ἐκεῖθεν ἕως οὗ καὶ τὸ ἔσχατον λεπτὸν ἀποδῷς.

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