< लूका 12 >

1 इतने में जब हजारों की भीड़ लग गई, यहाँ तक कि एक दूसरे पर गिरे पड़ते थे, तो वह सबसे पहले अपने चेलों से कहने लगा, “फरीसियों के कपटरूपी ख़मीर से सावधान रहना।
ⲁ̅ϩⲙⲡⲧⲣⲉⲛⲉⲧⲃⲁ ⲇⲉ ⲙ̅ⲙⲏⲏϣⲉ ⲥⲱⲟⲩϩ ⲉϩⲟⲩⲛ ϩⲱⲥⲧⲉ ⲉⲧⲣⲉⲩϩⲱⲙ ⲛ̅ⲛⲉⲩⲉⲣⲏⲟⲩ ⲁϥⲁⲣⲭⲓ ⲛ̅ϣⲁϫⲉ ⲛⲙ̅ⲛⲉϥⲙⲁⲑⲏⲧⲏⲥ ⲛ̅ϣⲟⲣⲡ̅ ϫⲉ ϩⲁⲣⲉϩ ⲉⲣⲱⲧⲛ̅ ⲉⲧⲃⲉⲡⲉⲑⲁⲃ ⲉⲧⲉⲧⲁⲓ̈ ⲧⲉ ⲑⲩⲡⲟⲕⲣⲓⲥⲓⲥ ⲛⲛⲉⲫⲁⲣⲓⲥⲥⲁⲓⲟⲥ.
2 कुछ ढँपा नहीं, जो खोला न जाएगा; और न कुछ छिपा है, जो जाना न जाएगा।
ⲃ̅ⲙ̅ⲙⲛⲗⲁⲁⲩ ⲇⲉ ⲉϥϩⲟⲃⲥ̅ ⲉⲛϥ̅ⲛⲁϭⲱⲗⲡ̅ ⲉⲃⲟⲗ ⲁⲛ ⲁⲩⲱ ⲉϥϩⲏⲡ ⲉⲛⲥⲉⲛⲁⲓ̈ⲙⲉ ⲉⲣⲟϥ ⲁⲛ.
3 इसलिए जो कुछ तुम ने अंधेरे में कहा है, वह उजाले में सुना जाएगा; और जो तुम ने भीतर के कमरों में कानों कान कहा है, वह छतों पर प्रचार किया जाएगा।
ⲅ̅ⲉⲧⲃⲉⲡⲁⲓ̈ ⲛⲉⲛⲧⲁⲧⲉⲧⲛ̅ϫⲟⲟⲩ ϩⲙ̅ⲡⲕⲁⲕⲉ ⲥⲉⲛⲁⲥⲟⲧⲙⲟⲩ ϩⲙ̅ⲡⲟⲩⲟⲓ̈ⲛ. ⲁⲩⲱ ⲡⲉⲛⲧⲁⲧⲉⲧⲛ̅ϫⲟⲟⲥ ⲉⲡⲉⲩⲙⲁⲁϫⲉ ϩⲛ̅ⲛ̅ⲧⲁⲙⲓⲟⲛ. ⲥⲉⲛⲁⲧⲁϣⲉⲟⲓ̈ϣ ⲙ̅ⲙⲟϥ ϩⲓϫⲛ̅ⲛ̅ϫⲉⲛⲉⲡⲱⲣ.
4 “परन्तु मैं तुम से जो मेरे मित्र हो कहता हूँ, कि जो शरीर को मार सकते हैं और उससे ज्यादा और कुछ नहीं कर सकते, उनसे मत डरो।
ⲇ̅ϯϫⲱ ⲙ̅ⲙⲟⲥ ⲛⲏⲧⲛ̅ ⲛⲁϣⲃⲉⲉⲣ ϫⲉ ⲙ̅ⲡⲣ̅ⲣ̅ϩⲟⲧⲉ ϩⲏⲧⲟⲩ ⲛ̅ⲛⲉⲧⲛⲁⲙⲟⲩⲟⲩⲧʾ ⲙ̅ⲡⲉⲧⲛⲥⲱⲙⲁ. ⲙⲛ̅ⲛ̅ⲥⲁⲛⲁⲓ̈ ⲉⲙⲙⲛ̅ⲧⲟⲩϩⲟⲩⲉⲡⲁⲓ̈ ⲉⲁⲁϥ ⲛⲏⲧⲛ̅.
5 मैं तुम्हें चेतावनी देता हूँ कि तुम्हें किस से डरना चाहिए, मारने के बाद जिसको नरक में डालने का अधिकार है, उसी से डरो; वरन् मैं तुम से कहता हूँ उसी से डरो। (Geenna g1067)
ⲉ̅ϯⲛⲁⲧⲁⲙⲉⲧⲏⲟⲩⲧⲛ ⲇⲉ ϫⲉ ⲛⲓⲙ ⲡⲉⲧⲉⲧⲛⲁⲣ̅ϩⲟⲧⲉ ϩⲏⲧϥ̅. ⲁⲣⲓϩⲟⲧⲉ ϩⲏⲧϥ̅ ⲙ̅ⲡⲉⲧⲉⲟⲩⲛⲧϥ̅ⲉⲝⲟⲩⲥⲓⲁ ⲙ̅ⲙⲁⲩ ⲙⲛ̅ⲛ̅ⲥⲁⲙⲟⲩⲟⲩⲧʾⲧⲏⲩⲧⲛ̅ ⲉⲛⲉϫⲧⲏⲟⲩⲧⲛ̅ ⲉⲧⲅⲉϩⲉⲛⲛⲁ. ϩⲁⲓ̈ⲟ ϯϫⲱ ⲙ̅ⲙⲟⲥ ⲛⲏⲧⲛ ϫⲉ ⲁⲣⲓϩⲟⲧⲉ ϩⲏⲧϥ̅ ⲙ̅ⲡⲁⲓ̈. (Geenna g1067)
6 क्या दो पैसे की पाँच गौरैयाँ नहीं बिकती? फिर भी परमेश्वर उनमें से एक को भी नहीं भूलता।
ⲋ̅ⲙⲏ ⲛ̅ⲥⲉϯ ⲉⲃⲟⲗ ⲁⲛ ⲛ̅ϯⲟⲩ ⲛ̅ϫⲁϫ ϩⲁϩⲟⲃⲟⲗⲟⲥ ⲥⲛⲁⲩ ⲁⲩⲱ ⲛ̅ⲥⲉⲟⲃϣ̅ ⲁⲛ ⲉⲩⲁ ⲙ̅ⲙⲟⲟⲩ ⲙ̅ⲡⲉⲙⲧⲟ ⲉⲃⲟⲗ ⲙ̅ⲡⲛⲟⲩⲧⲉ
7 वरन् तुम्हारे सिर के सब बाल भी गिने हुए हैं, अतः डरो नहीं, तुम बहुत गौरैयों से बढ़कर हो।
ⲍ̅ⲁⲗⲗⲁ ⲛ̅ⲕⲉϥⲱ ⲧⲏⲣⲟⲩ ⲛ̅ⲧⲉⲧⲛ̅ⲁⲡⲉ ⲏⲡ. ⲙ̅ⲡⲣ̅ⲣ̅ϩⲟⲧⲉ ⲧⲉⲧⲛ̅ϣⲟⲃⲉ ⲉϩⲁϩ ⲛ̅ϫⲁϫ
8 “मैं तुम से कहता हूँ जो कोई मनुष्यों के सामने मुझे मान लेगा उसे मनुष्य का पुत्र भी परमेश्वर के स्वर्गदूतों के सामने मान लेगा।
ⲏ̅ϯϫⲱ ⲙ̅ⲙⲟⲥ ⲛⲏⲧⲛ̅ ϫⲉ ⲟⲩⲟⲛ ⲛⲓⲙ ⲉⲧⲛⲁϩⲟⲙⲟⲗⲟⲅⲓ ⲙ̅ⲙⲟⲓ̈ ⲙ̅ⲡⲉⲙⲧⲟ ⲉⲃⲟⲗ ⲛⲣ̅ⲣⲱⲙⲉ. ⲡϣⲏⲣⲉ ⲙ̅ⲡⲣⲱⲙⲉ ⲛⲁϩⲟⲙⲟⲗⲟⲅⲓ ⲛ̅ϩⲏⲧϥ̅ ⲙ̅ⲡⲉⲙⲧⲟ ⲉⲃⲟⲗ ⲛⲛ̅ⲁⲅⲅⲉⲗⲟⲥ ⲙⲡⲛⲟⲩⲧⲉ.
9 परन्तु जो मनुष्यों के सामने मुझे इन्कार करे उसका परमेश्वर के स्वर्गदूतों के सामने इन्कार किया जाएगा।
ⲑ̅ⲡⲉⲧⲛⲁⲁⲣⲛⲁ ⲇⲉ ⲙ̅ⲙⲟⲓ̈ ⲙ̅ⲡⲉⲙⲧⲟ ⲉⲃⲟⲗ ⲛⲣ̅ⲣⲱⲙⲉ ⲥⲉⲛⲁⲁⲣⲛⲁ ⲙ̅ⲙⲟϥ ⲙ̅ⲡⲉⲙⲧⲟ ⲛⲛ̅ⲁⲅⲅⲉⲗⲟⲥ ⲙⲡⲛⲟⲩⲧⲉ.
10 १० “जो कोई मनुष्य के पुत्र के विरोध में कोई बात कहे, उसका वह अपराध क्षमा किया जाएगा। परन्तु जो पवित्र आत्मा की निन्दा करें, उसका अपराध क्षमा नहीं किया जाएगा।
ⲓ̅ⲁⲩⲱ ⲟⲩⲟⲛ ⲛⲓⲙ ⲉⲧⲛⲁϫⲱ ⲛ̅ⲟⲩϣⲁϫⲉ ⲉⲡϣⲏⲣⲉ ⲙ̅ⲡⲣⲱⲙⲉ. ⲥⲉⲛⲁⲕⲁⲁϥ ⲛⲁϥ ⲉⲃⲟⲗ. ⲡⲉⲧⲛⲁϫⲓⲟⲩⲁ ⲇⲉ ⲉⲡⲉⲡⲛ̅ⲁ ⲉⲧⲟⲩⲁⲁⲃʾ. ⲛ̅ⲥⲉⲛⲁⲕⲱ ⲁⲛ ⲛⲁϥ ⲉⲃⲟⲗ.
11 ११ “जब लोग तुम्हें आराधनालयों और अधिपतियों और अधिकारियों के सामने ले जाएँ, तो चिन्ता न करना कि हम किस रीति से या क्या उत्तर दें, या क्या कहें।
ⲓ̅ⲁ̅ϩⲟⲧⲁⲛ ⲇⲉ ⲉⲩϣⲁⲛϫⲓⲧⲏⲟⲩⲧⲛ̅ ⲉϩⲟⲩⲛ ⲛ̅ⲛⲁϩⲣⲛ̅ⲛ̅ⲥⲩⲛⲁⲅⲱⲅⲏ ⲛⲙ̅ⲛ̅ⲛⲁⲣⲭⲏ ⲛⲙ̅ⲛ̅ⲛⲉⲝⲟⲩⲥⲓⲁ. ⲙ̅ⲡⲣ̅ϥⲓⲣⲟⲟⲩϣ ϫⲉ ⲉⲧⲉⲧⲛⲁϫⲟⲟⲥ ϫⲉ ⲟⲩ ⲏ ⲉⲧⲉⲧⲛⲁⲣ̅ⲁϣ ⲛ̅ϩⲉ. ⲏ ϫⲉ ⲉⲧⲉⲧⲛⲁⲟⲩⲟϣⲃⲟⲩ ⲛ̅ⲁϣ ⲛ̅ϩⲉ.
12 १२ क्योंकि पवित्र आत्मा उसी घड़ी तुम्हें सीखा देगा, कि क्या कहना चाहिए।”
ⲓ̅ⲃ̅ⲡⲉⲡⲛ̅ⲁ ⲅⲁⲣ ⲉⲧⲟⲩⲁⲁⲃ ⲛⲁⲧⲥⲁⲃⲉⲧⲏⲩⲧⲛ̅ ϩⲛⲧⲉⲩⲛⲟⲩ ⲉⲧⲙ̅ⲙⲁⲩ ⲉⲛⲉⲧⲉⲧⲛⲁϫⲟⲟⲩ·
13 १३ फिर भीड़ में से एक ने उससे कहा, “हे गुरु, मेरे भाई से कह, कि पिता की सम्पत्ति मुझे बाँट दे।”
ⲓ̅ⲅ̅ⲡⲉϫⲉⲟⲩⲁ ⲇⲉ ⲛⲁϥ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲙⲡʾⲙⲏⲏϣⲉ ϫⲉ. ⲡⲥⲁϩ. ⲁϫⲓⲥ ⲙ̅ⲡⲁⲥⲟⲛ ⲛϥ̅ⲡⲉϣⲧⲉⲕⲗⲏⲣⲟⲛⲟⲙⲓⲁ ⲉϫⲱⲛ.
14 १४ उसने उससे कहा, “हे मनुष्य, किसने मुझे तुम्हारा न्यायी या बाँटनेवाला नियुक्त किया है?”
ⲓ̅ⲇ̅ⲛ̅ⲧⲟϥ ⲇⲉ ⲡⲉϫⲁϥ ϫⲉ. ⲡⲣⲱⲙⲉ ⲛⲓⲙ ⲡⲉⲛⲧⲁϥⲕⲁⲑⲓⲥⲧⲁ ⲙ̅ⲙⲟⲓ̈ ⲛ̅ⲕⲣⲓⲧⲏⲥ ⲁⲩⲱ ⲣ̅ⲣⲉϥⲡⲱϣ ⲉϫⲱⲧⲛ̅.
15 १५ और उसने उनसे कहा, “सावधान रहो, और हर प्रकार के लोभ से अपने आपको बचाए रखो; क्योंकि किसी का जीवन उसकी सम्पत्ति की बहुतायत से नहीं होता।”
ⲓ̅ⲉ̅ⲡⲉϫⲁϥ ⲇⲉ ⲛⲁⲩ ϫⲉ. ϯϩⲧⲏⲧⲛ̅ ⲁⲩⲱ ϩⲁⲣⲉϩ ⲉⲣⲱⲧⲛ̅ ⲉϥⲱϭⲉ ⲛⲓⲙ ϫⲉ ⲉⲣϣⲁⲛⲛⲉⲛⲕⲁʾ ⲁϣⲁⲓ̈ ⲛ̅ⲟⲩⲁ ⲉϥⲛⲁϩⲉ ⲉⲡⲉϥⲱⲛϩ̅ ⲉⲃⲟⲗ ⲛ̅ϩⲏⲧⲟⲩ·
16 १६ उसने उनसे एक दृष्टान्त कहा, “किसी धनवान की भूमि में बड़ी उपज हुई।
ⲓ̅ⲋ̅ⲁϥϫⲱ ⲇⲉ ⲛⲁⲩ ⲛ̅ⲟⲩⲡⲁⲣⲁⲃⲟⲗⲏ ⲉϥϫⲱ ⲙ̅ⲙⲟⲥ ϫⲉ. ⲟⲩⲣⲱⲙⲉ ⲣ̅ⲣⲙ̅ⲙⲁⲟ̅ ⲡⲉ ⲛ̅ⲧⲁⲧⲉϥⲭⲱⲣⲁ ⲟⲩⲱⲱⲗⲉ
17 १७ तब वह अपने मन में विचार करने लगा, कि मैं क्या करूँ, क्योंकि मेरे यहाँ जगह नहीं, जहाँ अपनी उपज इत्यादि रखूँ।
ⲓ̅ⲍ̅ⲉⲁϥⲙⲉⲕⲙⲟⲩⲕϥ̅ ⲇⲉ ϩⲣⲁⲓ̈ ⲛ̅ϩⲏⲧϥ̅ ⲉϥϫⲱ ⲙ̅ⲙⲟⲥ ϫⲉ. ⲉⲓ̈ⲛⲁⲣⲟⲩ ϫⲉ ⲙⲛ̅ϯⲙⲁ ⲛ̅ⲥⲉⲩϩ ⲛⲁⲕⲁⲣⲡⲟⲥ ⲉⲣⲟϥ.
18 १८ और उसने कहा, ‘मैं यह करूँगा: मैं अपनी बखारियाँ तोड़कर उनसे बड़ी बनाऊँगा; और वहाँ अपना सब अन्न और सम्पत्ति रखूँगा;
ⲓ̅ⲏ̅ⲡⲉϫⲁϥ ⲇⲉ ϫⲉ ϯⲛⲁⲣ̅ⲡⲁⲓ̈. ϯⲛⲁϣⲟⲣϣⲣ̅ⲛⲁⲁⲡⲟⲑⲏⲕⲏ ⲛⲧⲁⲕⲟⲧⲟⲩ ⲛ̅ϩⲉⲛⲛⲟϭ ⲧⲁⲥⲱⲟⲩϩ ⲉⲣⲟⲟⲩ ⲙ̅ⲡⲥⲟⲩⲟ ⲧⲏⲣϥ̅ ⲛⲙ̅ⲛⲁⲁⲅⲁⲑⲟⲛ
19 १९ और अपने प्राण से कहूँगा, कि प्राण, तेरे पास बहुत वर्षों के लिये बहुत सम्पत्ति रखी है; चैन कर, खा, पी, सुख से रह।’
ⲓ̅ⲑ̅ⲧⲁϫⲟⲟⲥ ⲛ̅ⲧⲁⲯⲩⲭⲏ ϫⲉ. ⲧⲁⲯⲩⲭⲏ ⲟⲩⲛ̅ⲧⲉϩⲁϩ ⲙ̅ⲙⲁⲩ ⲛ̅ⲁⲅⲁⲑⲟⲛ ⲉⲩⲕⲏ ⲛⲉ ⲉϩⲣⲁⲓ̈ ⲛ̅ϩⲁϩ ⲣ̅ⲣⲟⲙⲡⲉ. ⲙ̅ⲧⲟⲛ ⲙ̅ⲙⲟ. ⲟⲩⲱⲙ. ⲥⲱ. ⲉⲩⲫⲣⲁⲛⲉ.
20 २० परन्तु परमेश्वर ने उससे कहा, ‘हे मूर्ख! इसी रात तेरा प्राण तुझ से ले लिया जाएगा; तब जो कुछ तूने इकट्ठा किया है, वह किसका होगा?’
ⲕ̅ⲡⲉϫⲉⲡⲛⲟⲩⲧⲉ ⲇⲉ ⲛⲁϥ ϫⲉ. ⲡⲁⲑⲏⲧʾ. ⲥⲉⲛⲁϥⲓ ⲛ̅ⲧⲉⲕⲯⲩⲭⲏ ⲛ̅ⲧⲉⲓ̈ⲟⲩϣⲏ ⲛ̅ⲧⲟⲟⲧⲕ̅. ⲛⲉⲛⲧⲁⲕⲥⲃ̅ⲧⲱⲧⲟⲩ ⲇⲉ ⲉⲩⲛⲁϣⲱⲡⲉ ⲛⲛⲓⲙ.
21 २१ ऐसा ही वह मनुष्य भी है जो अपने लिये धन बटोरता है, परन्तु परमेश्वर की दृष्टि में धनी नहीं।”
ⲕ̅ⲁ̅ⲧⲁⲓ ⲧⲉ ⲑⲉ ⲙ̅ⲡⲉⲧʾⲥⲱⲟⲩϩ ⲛⲁϥ ⲉϩⲟⲩⲛ ⲉⲛϥⲟ ⲁⲛ ⲣ̅ⲣⲙ̅ⲙⲁⲟ̅ ϩⲙⲡⲛⲟⲩⲧⲉ·
22 २२ फिर उसने अपने चेलों से कहा, “इसलिए मैं तुम से कहता हूँ, अपने जीवन की चिन्ता न करो, कि हम क्या खाएँगे; न अपने शरीर की, कि क्या पहनेंगे।
ⲕ̅ⲃ̅ⲡⲉϫⲁϥ ⲇⲉ ⲛⲛⲉϥⲙⲁⲑⲏⲧⲏⲥ ϫⲉ ⲉⲧⲃⲉⲡⲁⲓ̈ ϯϫⲱ ⲙ̅ⲙⲟⲥ ⲛⲏⲧⲛ̅ ϫⲉ ⲙ̅ⲡⲣ̅ϥⲓⲣⲟⲟⲩϣ ⲉⲧⲉⲧⲛ̅ⲯⲩⲭⲏ ϫⲉ ⲟⲩ ⲡⲉⲧⲉⲧⲛⲁⲟⲩⲟⲙϥ̅. ⲟⲩⲇⲉ ⲡⲉⲧⲛ̅ⲥⲱⲙⲁ ϫⲉ ⲟⲩ ⲡⲉⲧⲉⲧⲛⲁⲧⲁⲁϥ ϩⲓⲱⲧʾⲧⲏⲩⲧⲛ̅.
23 २३ क्योंकि भोजन से प्राण, और वस्त्र से शरीर बढ़कर है।
ⲕ̅ⲅ̅ϫⲉ ⲧⲉⲧⲛ̅ⲯⲩⲭⲏ ⲟⲩⲟⲟⲧʾ ⲉⲧⲉϩⲣⲉ ⲁⲩⲱ ⲡⲥⲱⲙⲁ ⲉⲧϩⲃ̅ⲥⲱ.
24 २४ कौवों पर ध्यान दो; वे न बोते हैं, न काटते; न उनके भण्डार और न खत्ता होता है; फिर भी परमेश्वर उन्हें खिलाता है। तुम्हारा मूल्य पक्षियों से कहीं अधिक है
ⲕ̅ⲇ̅ϭⲱϣⲧ̅ ⲉⲛⲁⲃⲟⲕⲉ ϫⲉ ⲛⲥⲉϫⲟ ⲁⲛ ⲛ̅ⲥⲉⲱϩⲥ̅ ⲁⲛ ⲉⲙⲙⲛ̅ⲧⲟⲩⲧⲁⲙⲓⲟⲛ ⲙ̅ⲙⲁⲩ ⲟⲩⲇⲉ ⲁⲡⲟⲑⲏⲕⲏ ⲁⲩⲱ ⲡⲛⲟⲩⲧⲉ ⲥⲁⲁⲛϣ ⲙ̅ⲙⲟⲟⲩ. ⲛ̅ⲧⲱⲧⲛ̅ ϭⲉ ⲧⲉⲧⲛϣⲟⲃⲉ ⲉⲛϩⲁⲗⲁⲧⲉ ⲉⲙⲁⲧⲉ.
25 २५ तुम में से ऐसा कौन है, जो चिन्ता करने से अपने जीवनकाल में एक घड़ी भी बढ़ा सकता है?
ⲕ̅ⲉ̅ⲛⲓⲙ ⲇⲉ ⲛϩⲏⲧʾⲧⲏⲩⲧⲛ̅ ⲉϥϥⲓⲣⲟⲟⲩϣ ⲡⲉⲧⲉⲟⲩⲛϭⲟⲙ ⲙ̅ⲙⲟϥ ⲉⲩⲉϩⲟⲩⲙⲁϩⲉ ⲉⲧⲉϥϣⲓⲏ.
26 २६ इसलिए यदि तुम सबसे छोटा काम भी नहीं कर सकते, तो और बातों के लिये क्यों चिन्ता करते हो?
ⲕ̅ⲋ̅ⲉϣϫⲉⲙ̅ⲙⲛ̅ϭⲟⲙ ϭⲉ ⲙ̅ⲙⲱⲧⲛ̅ ⲉⲩⲕⲟⲩⲉⲓ. ⲉⲧⲃⲉⲟⲩ ⲧⲉⲧⲛϥⲓⲣⲟⲟⲩϣ ⲉⲡⲕⲉⲥⲉⲉⲡⲉ.
27 २७ सोसनों पर ध्यान करो, कि वे कैसे बढ़ते हैं; वे न परिश्रम करते, न काटते हैं; फिर भी मैं तुम से कहता हूँ, कि सुलैमान भी अपने सारे वैभव में, उनमें से किसी एक के समान वस्त्र पहने हुए न था।
ⲕ̅ⲍ̅ϯϩⲧⲏⲧⲛ̅ ⲉⲛⲉⲕⲣⲓⲛⲟⲛ ⲛ̅ⲑⲉ ⲉⲧⲟⲩⲁⲓ̈ⲁⲉⲓ ⲙ̅ⲙⲟⲥ ⲉⲛⲥⲉϩⲓⲥⲉ ⲁⲛ ⲉⲛⲥⲉⲱ̑ⲧϩ̅ ⲁⲛ. ϯϫⲱ ⲇⲉ ⲙⲙⲟⲥ ⲛⲏⲧⲛ̅ ϫⲉ ⲙ̅ⲡⲉⲥⲟⲗⲟⲙⲱⲛ ϩⲙ̅ⲡⲉϥⲉⲟⲟⲩ ⲧⲏⲣϥ̅ ϯ ϩⲓⲱⲱϥ ⲛ̅ⲑⲉ ⲛ̅ⲟⲩⲁ ⲛ̅ⲛⲁⲓ̈.
28 २८ इसलिए यदि परमेश्वर मैदान की घास को जो आज है, और कल भट्ठी में झोंकी जाएगी, ऐसा पहनाता है; तो हे अल्पविश्वासियों, वह तुम्हें अधिक क्यों न पहनाएगा?
ⲕ̅ⲏ̅ⲉϣϫⲉⲡⲉⲭⲟⲣⲧⲟⲥ ⲉⲧϩⲛⲧⲥⲱϣⲉ ⲙ̅ⲡⲟⲟⲩ ⲣⲁⲥⲧⲉ ⲉⲩⲛⲁⲛⲟϫϥ̅ ⲉⲧⲉⲧⲣⲓⲣ ⲡⲛⲟⲩⲧⲉ ϯ ϩⲓⲱⲱϥ ⲛ̅ⲧⲉⲓ̈ϩⲉ. ⲡⲟⲥⲱ ⲙⲁⲗⲗⲟⲛ ϩⲓⲱⲧʾⲧⲏⲩⲧⲛ̅ ⲛⲁⲧⲕⲟⲩⲓ̈ ⲙⲡⲓⲥⲧⲓⲥ
29 २९ और तुम इस बात की खोज में न रहो, कि क्या खाएँगे और क्या पीएँगे, और न सन्देह करो।
ⲕ̅ⲑ̅ⲛ̅ⲧⲱⲧⲛ̅ ϩⲱⲧʾⲧⲏⲩⲧⲛ̅ ⲙ̅ⲡⲣ̅ϣⲓⲛⲉ ϫⲉ ⲟⲩ ⲡⲉⲧⲉⲧⲛⲁⲟⲩⲟⲙϥ̅. ⲏ ⲟⲩ ⲡⲉⲧⲉⲧⲛⲁⲥⲟⲟϥ. ⲙ̅ⲡⲣ̅ϥⲓⲣⲟⲟⲩϣ
30 ३० क्योंकि संसार की जातियाँ इन सब वस्तुओं की खोज में रहती हैं और तुम्हारा पिता जानता है, कि तुम्हें इन वस्तुओं की आवश्यकता है।
ⲗ̅ϫⲉ ⲛⲁⲓ̈ ⲅⲁⲣ ⲧⲏⲣⲟⲩ ⲛ̅ϩⲉⲑⲛⲟⲥ ⲙ̅ⲡⲕⲟⲥⲙⲟⲥ ⲛⲉⲧϣⲓⲛⲉ ⲛ̅ⲥⲱⲟⲩ. ⲡⲉⲧⲛ̅ⲓ̈ⲱⲧʾ ⲇⲉ ⲥⲟⲟⲩⲛ ϫⲉ ⲧⲉⲧⲛ̅ⲣ̅ⲭⲣⲓⲁ ⲛ̅ⲛⲁⲓ̈
31 ३१ परन्तु उसके राज्य की खोज में रहो, तो ये वस्तुएँ भी तुम्हें मिल जाएँगी।
ⲗ̅ⲁ̅ⲡⲗⲏⲛ ϣⲓⲛⲉ ⲛⲧⲟϥ ⲛ̅ⲥⲁⲧⲉϥⲙⲛ̅ⲧⲉⲣⲟ ⲁⲩⲱ ⲛⲁⲓ̈ ⲥⲉⲛⲁⲟⲩⲁϩⲟⲩ ⲉⲣⲱⲧⲛ̅.
32 ३२ “हे छोटे झुण्ड, मत डर; क्योंकि तुम्हारे पिता को यह भाया है, कि तुम्हें राज्य दे।
ⲗ̅ⲃ̅ⲙ̅ⲡⲣ̅ⲣ̅ϩⲟⲧⲉ ⲡⲕⲟⲩⲓ̈ ⲛ̅ⲟϩⲉ ϫⲉ ⲡⲉⲧⲛ̅ⲓ̈ⲱⲧʾ ⲟⲩⲉϣϯ ⲛⲏⲧⲛ̅ ⲛ̅ⲧⲙⲛ̅ⲧⲉⲣⲟ.
33 ३३ अपनी सम्पत्ति बेचकरदान कर दो; और अपने लिये ऐसे बटुए बनाओ, जो पुराने नहीं होते, अर्थात् स्वर्ग पर ऐसा धन इकट्ठा करो जो घटता नहीं, जिसके निकट चोर नहीं जाता, और कीड़ा नाश नहीं करता।
ⲗ̅ⲅ̅ϯⲛⲉⲧⲛ̅ⲛ̅ⲕⲁ ⲉⲃⲟⲗ ⲧⲁⲁⲩ ⲙ̅ⲙⲛ̅ⲧⲛ͡ⲁ. ⲙⲁⲧⲁⲙⲓⲟ̅ ⲛⲏⲧⲛ ⲛϩⲉⲛⲧⲱⲱⲙⲉ ⲉⲛⲥⲉⲛⲁⲣⲁⲥ ⲁⲛ ⲛⲙ̅ⲟⲩⲁϩⲟ ⲛ̅ⲁⲧⲱϫⲛ̅ ϩⲛ̅ⲙⲡⲏⲩⲉ. ⲡⲙⲁ ⲉⲧⲉⲙⲉⲣⲉⲡⲉϥϫⲓⲟⲩⲉ ϩⲱⲛ ⲉⲣⲟϥ. ⲁⲩⲱ ⲙⲉⲣⲉϫⲟⲟⲗⲉⲥ ⲧⲁⲕⲟϥ.
34 ३४ क्योंकि जहाँ तुम्हारा धन है, वहाँ तुम्हारा मन भी लगा रहेगा।
ⲗ̅ⲇ̅ⲡⲙⲁ ⲅⲁⲣ ⲉⲧⲉⲣⲉⲡⲉⲧⲛⲁϩⲟ ⲛⲁϣⲱⲡⲉ ⲙⲙⲟϥ ⲉⲣⲉⲡⲉⲧⲛ̅ϩⲏⲧʾ ⲛⲁϣⲱⲡⲉ ϩⲓⲱⲱϥ.
35 ३५ “तुम्हारी कमर बंधी रहें, और तुम्हारे दीये जलते रहें।
ⲗ̅ⲉ̅ⲙⲁⲣⲉⲛⲉⲧⲛϯⲡⲉ ϣⲱⲡⲉ ⲉⲩⲙⲏⲣ ⲉⲣⲉⲛⲉⲧⲛ̅ϩⲏⲃⲥ̅ ⲙⲟⲩϩ.
36 ३६ और तुम उन मनुष्यों के समान बनो, जो अपने स्वामी की प्रतीक्षा कर रहे हों, कि वह विवाह से कब लौटेगा; कि जब वह आकर द्वार खटखटाएँ तो तुरन्त उसके लिए खोल दें।
ⲗ̅ⲋ̅ⲛ̅ⲧⲉⲧⲛ̅ⲣ̅ⲑⲉ ⲛ̅ⲛⲓⲣⲱⲙⲉ ⲉⲧϭⲱϣⲧ̅ʾ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲏⲧϥ̅ ⲙ̅ⲡⲉⲩϫⲟⲓ̈ⲥ ϫⲉ ⲉϥⲛⲁϭⲱⲗⲡ̅ ⲧⲛⲁⲩ ϩⲙ̅ⲡⲙⲁ ⲛ̅ϣⲉⲗⲉⲉⲧʾ. ϫⲉⲕⲁⲥ ⲉϥϣⲁⲛⲉ͡ⲓ ⲛϥ̅ⲧⲱϩⲙ̅ ⲉⲩⲉⲟⲩⲱⲛ ⲛⲁϥ ⲛ̅ⲧⲉⲩⲛⲟⲩ.
37 ३७ धन्य हैं वे दास, जिन्हें स्वामी आकर जागते पाए; मैं तुम से सच कहता हूँ, कि वह कमर बाँधकर उन्हें भोजन करने को बैठाएगा, और पास आकर उनकी सेवा करेगा।
ⲗ̅ⲍ̅ⲛⲁⲓ̈ⲁⲧⲟⲩ ⲛⲛ̅ϩⲙϩⲁⲗ ⲉⲧⲙ̅ⲙⲁⲩ ⲛⲁⲓ̈ ⲉⲧⲉⲣⲉⲡⲉⲩϫⲟⲉⲓⲥ ⲛⲏⲟⲩ ⲛϥ̅ϩⲉ ⲉⲣⲟⲟⲩ ⲉⲩⲣⲟⲓ̈ⲥ. ϩⲁⲙⲏⲛ ϯϫⲱ ⲙ̅ⲙⲟⲥ ⲛⲏⲧⲛ̅ ϫⲉ ϥⲛⲁⲙⲟⲣϥ̅ ⲛϥ̅ⲧⲣⲉⲩⲛⲟϫⲟⲩ ⲛϥ̅ⲉ͡ⲓ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲓⲱⲟⲩ ⲉϥⲇⲓⲁⲕⲟⲛⲓ ⲛⲁⲩ
38 ३८ यदि वह रात के दूसरे पहर या तीसरे पहर में आकर उन्हें जागते पाए, तो वे दास धन्य हैं।
ⲗ̅ⲏ̅ⲕⲁⲛ ⲉϥϣⲁⲛⲉ͡ⲓ ϩⲛ̅ⲧⲙⲉϩⲥⲛ̅ⲧⲉ ⲛ̅ⲟⲩⲣ̅ϣⲉ ⲏ ⲧⲙⲉϩϣⲟⲙⲧⲉ ⲛϥ̅ϩⲉ ⲉⲣⲟⲟⲩ ⲉⲩⲓ̈ⲣⲉ ϩⲓⲛⲁⲓ̈ ⲛⲁⲓ̈ⲁⲧⲟⲩ ⲛⲛ̅ϩⲙ̅ϩⲁⲗ ⲉⲧⲙ̅ⲙⲁⲩ.
39 ३९ परन्तु तुम यह जान रखो, कि यदि घर का स्वामी जानता, कि चोर किस घड़ी आएगा, तो जागता रहता, और अपने घर में सेंध लगने न देता।
ⲗ̅ⲑ̅ⲧⲉⲧⲛ̅ⲓ̈ⲙⲉ ⲇⲉ ⲉⲡⲁⲓ̈ ϫⲉ ⲉⲛⲉϥⲥⲟⲟⲩⲛ ⲛ̅ϭⲓⲡϫⲟⲉⲓⲥ ⲙ̅ⲡⲏⲓ̈ ϫⲉ ⲉⲣⲉⲡⲣⲉϥϫⲓⲟⲩⲉ ⲛⲏⲟⲩ ⲛ̅ⲁϣ ⲛ̅ⲟⲩⲛⲟⲩ ⲛⲉϥⲛⲁⲕⲁⲁⲩ ⲁⲛ ⲉϭⲱⲧϩ̅ ⲉⲡⲉϥⲏⲓ̈.
40 ४० तुम भी तैयार रहो; क्योंकि जिस घड़ी तुम सोचते भी नहीं, उस घड़ी मनुष्य का पुत्र आ जाएगा।”
ⲙ̅ⲛ̅ⲧⲱⲧⲛ̅ ϩⲱⲧʾⲧⲏⲩⲧⲛ̅ ϣⲱⲡⲉ ⲉⲧⲉⲧⲛ̅ⲥⲃ̅ⲧⲱⲧ ϫⲉ ⲉⲣⲉⲡϣⲏⲣⲉ ⲙ̅ⲡⲣⲱⲙⲉ ⲛⲏⲟⲩ ϩⲛ̅ⲧⲉⲩⲛⲟⲩ ⲉⲧⲉⲛ̅ⲧⲉⲧⲛ̅ⲥⲟⲟⲩⲛ ⲙ̅ⲙⲟⲥ ⲁⲛ.
41 ४१ तब पतरस ने कहा, “हे प्रभु, क्या यह दृष्टान्त तू हम ही से या सबसे कहता है।”
ⲙ̅ⲁ̅ⲡⲉϫⲉⲡⲉⲧⲣⲟⲥ ⲇⲉ ⲛⲁϥ ϫⲉ. ⲡϫⲟⲉⲓⲥ. ⲉⲕϫⲱ ⲛⲁⲛ ⲛ̅ⲧⲉⲓ̈ⲡⲁⲣⲁⲃⲟⲗⲏ. ϫⲉⲛⲉⲕϫⲱ ⲙⲙⲟⲥ ⲟⲩⲟⲛ ⲛⲓⲙ.
42 ४२ प्रभु ने कहा, “वह विश्वासयोग्य और बुद्धिमान भण्डारी कौन है, जिसका स्वामी उसे नौकर-चाकरों पर सरदार ठहराए कि उन्हें समय पर भोजन सामग्री दे।
ⲙ̅ⲃ̅ⲡⲉϫⲁϥ ⲇⲉ ⲛ̅ϭⲓⲡϫⲟⲉⲓⲥ ϫⲉ ⲛⲓⲙ ⲁⲣⲁ ⲡⲉ ⲡ̅ⲡⲓⲥⲧⲟⲥ ⲛ̅ⲟⲓⲕⲟⲛⲟⲙⲟⲥ ⲛ̅ⲥⲁⲃⲉ ⲉⲧⲉⲣⲉⲡⲉϥϫⲟⲓ̈ⲥ ⲛⲁⲕⲁⲑⲓⲥⲧⲁ ⲙ̅ⲙⲟϥ ⲉϫⲛ̅ⲛⲉϥϩⲙ̅ϩⲁⲗ ⲉϯ ⲛⲁⲩ ⲛ̅ⲧⲉϩⲣⲉ ⲙ̅ⲡⲉⲥⲟⲩⲟⲓ̈ϣ
43 ४३ धन्य है वह दास, जिसे उसका स्वामी आकर ऐसा ही करते पाए।
ⲙ̅ⲅ̅ⲛⲁⲓ̈ⲁⲧϥ̅ ⲙ̅ⲡϩⲙ̅ϩⲁⲗ ⲉⲧⲙ̅ⲙⲁⲩ ⲡⲉⲧⲉⲣⲉⲡⲉϥϫⲟⲉⲓⲥ ⲛⲏⲟⲩ ⲛϥ̅ϩⲉ ⲉⲣⲟϥ ⲉϥⲓ̈ⲣⲉ ϩⲓⲛⲁⲓ̈.
44 ४४ मैं तुम से सच कहता हूँ; वह उसे अपनी सब सम्पत्ति पर अधिकारी ठहराएगा।
ⲙ̅ⲇ̅ⲛⲁⲙⲉ ϯϫⲱ ⲙⲙⲟⲥ ⲛⲏⲧⲛ̅ ϫⲉ ϥⲛⲁⲕⲁⲑⲓⲥⲧⲁ ⲙⲙⲟϥ ⲉϫⲛⲛⲉϥϩⲩⲡⲁⲣⲭⲟⲛⲧⲁ ⲧⲏⲣⲟⲩ.
45 ४५ परन्तु यदि वह दास सोचने लगे, कि मेरा स्वामी आने में देर कर रहा है, और दासों और दासियों को मारने-पीटने और खाने-पीने और पियक्कड़ होने लगे।
ⲙ̅ⲉ̅ⲉϥϣⲁⲛϫⲟⲟⲥ ⲇⲉ ⲛ̅ϭⲓⲡϩⲙϩⲁⲗ ⲉⲧⲙⲙⲁⲩ ϩⲙⲡⲉϥϩⲏⲧʾ ϫⲉ ⲡⲁϫⲟⲉⲓⲥ ⲛⲁⲱⲥⲕ̅ ⲉⲉ͡ⲓ. ⲛϥ̅ⲁⲣⲭⲓ ⲛ̅ϩⲓⲟⲩⲉ ⲉⲛϩⲙ̅ϩⲙ̅ϩⲁⲗ ⲛⲙⲛ̅ϩⲙϩⲁⲗ ⲛ̅ⲥϩⲓⲙⲉ. ⲛϥ̅ⲟⲩⲱⲙ. ⲛϥ̅ⲥⲱ. ⲛϥ̅ϯϩⲉ.
46 ४६ तो उस दास का स्वामी ऐसे दिन, जब वह उसकी प्रतीक्षा न कर रहा हो, और ऐसी घड़ी जिसे वह जानता न हो, आएगा और उसे भारी ताड़ना देकर उसका भाग विश्वासघाती के साथ ठहराएगा।
ⲙ̅ⲋ̅ϥⲛⲏⲟⲩ ⲛϭⲓⲡϫⲟⲉⲓⲥ ⲙⲡϩ̅ⲙϩⲁⲗ ⲉⲧⲙⲙⲁⲩ ϩⲛⲟⲩϩⲟⲟⲩ ⲉⲛϥ̅ⲥⲟⲟⲩⲛ̅ ⲙⲙⲟϥ ⲁⲛ ⲁⲩⲱ ϩⲛ̅ⲟⲩⲟⲩⲛⲟⲩ ⲉⲛϥ̅ⲓ̈ⲙⲉ ⲉⲣⲟⲥ ⲁⲛ ⲛϥ̅ⲡⲟϣϥ ⲛϥ̅ⲕⲁⲧⲉϥⲧⲟ ⲛⲙⲛⲛⲁⲡⲓⲥⲧⲟⲥ.
47 ४७ औरवह दास जो अपने स्वामी की इच्छा जानता था, और तैयार न रहा और न उसकी इच्छा के अनुसार चला, बहुत मार खाएगा।
ⲙ̅ⲍ̅ⲡϩⲙ̅ϩⲁⲗ ⲇⲉ ⲉⲛ̅ⲧⲁϥⲓ̈ⲙⲉ ⲉⲡⲟⲩⲱϣ ⲙ̅ⲡⲉϥϫⲟⲉⲓⲥ ⲉⲙⲡϥ̅ⲥⲟⲃⲧⲉ ⲏ ⲉⲙⲡϥ̅ⲓ̈ⲣⲉ ⲕⲁⲧⲁⲡⲉϥⲟⲩⲱϣ ϥⲛⲁϫⲓ ⲛ̅ϩⲉⲛⲛⲟϭ ⲛ̅ⲥⲏϣⲉ.
48 ४८ परन्तु जो नहीं जानकर मार खाने के योग्य काम करे वह थोड़ी मार खाएगा, इसलिए जिसे बहुत दिया गया है, उससे बहुत माँगा जाएगा; और जिसे बहुत सौंपा गया है, उससे बहुत लिया जाएगा।
ⲙ̅ⲏ̅ⲡⲉⲧⲉⲙ̅ⲡϥ̅ⲓ̈ⲙⲉ ⲇⲉ ⲉⲁϥⲣ̅ⲡⲉⲙⲡϣⲁ ⲛ̅ϩⲉⲛⲥⲏϣⲉ ⲉⲩⲛⲁϫⲛⲁϥ ϩⲉⲛⲕⲟⲩⲓ̈. ⲟⲩⲟⲛ ⲇⲉ ⲛⲓⲙ ⲉⲛⲧⲁⲩϯ ⲛⲁϥ ⲛϩⲟⲩⲟ ⲥⲉⲛⲁϣⲓⲛⲉ ⲛⲥⲁϩⲟⲩⲟ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲓⲧⲟⲟⲧϥ̅. ⲁⲩⲱ ⲡⲉⲛⲧⲁⲩϭⲁⲗⲉϩⲁϩ ⲉⲣⲟϥ ⲥⲉⲛⲁϣⲁⲧϥ̅ ⲛϩⲁϩ.
49 ४९ “मैं पृथ्वी परआगलगाने आया हूँ; और क्या चाहता हूँ केवल यह कि अभी सुलग जाती!
ⲙ̅ⲑ̅ⲛ̅ⲧⲁⲓ̈ⲉ͡ⲓ ⲉⲛⲟⲩϫⲉ ⲛ̅ⲟⲩⲕⲱϩⲧ̅ʾ ⲉϩⲣⲁⲓ̈ ⲉϫⲙ̅ⲡⲕⲁϩ ⲁⲩⲱ ⲟⲩ ⲡⲉϯⲟⲩⲁϣϥ̅ ⲉⲧⲣⲉϥϫⲉⲣⲟ ⲡⲉ.
50 ५० मुझे तो एक बपतिस्मा लेना है; और जब तक वह न हो ले तब तक मैं कैसी व्यथा में रहूँगा!
ⲛ̅ⲟⲩⲛⲧⲁⲓ̈ⲟⲩⲃⲁⲡⲧⲓⲥⲙⲁ ⲙⲙⲁⲩ ⲉⲃⲁⲡⲧⲓⲍⲉ ⲙ̅ⲙⲟϥ ϯϭⲏⲡ ϣⲁⲛⲧϥ̅ϫⲱⲕ ⲉⲃⲟⲗ
51 ५१ क्या तुम समझते हो कि मैं पृथ्वी पर मिलाप कराने आया हूँ? मैं तुम से कहता हूँ; नहीं, वरन् अलग कराने आया हूँ।
ⲛ̅ⲁ̅ⲉⲧⲉⲧⲛⲙⲉⲩⲉ ϫⲉ ⲛⲧⲁⲓ̈ⲉ͡ⲓ ⲉϯ ⲛⲟⲩⲓ̈ⲣⲏⲛⲏ ⲙ̅ⲡⲕⲁϩ. ϯϫⲱ ⲙ̅ⲙⲟⲥ ⲛⲏⲧⲛ̅ ϫⲉ ⲙ̅ⲙⲟⲛ. ⲁⲗⲗⲁ ⲟⲩⲡⲱⲣϫ ⲡⲉ
52 ५२ क्योंकि अब से एक घर में पाँच जन आपस में विरोध रखेंगे, तीन दो से दो तीन से।
ⲛ̅ⲃ̅ϫⲓⲛⲧⲉⲛⲟⲩ ⲅⲁⲣ ⲟⲩⲛϯⲟⲩ ⲛⲁϣⲱⲡⲉ ϩⲛⲟⲩⲏⲓ̈ ⲛⲟⲩⲱⲧ ⲉⲩⲡⲏϣ ϣⲟⲙⲛⲧ ⲉϫⲛ̅ⲥⲛⲁⲩ ⲥⲛⲁⲩ ⲉϫⲛ̅ϣⲟⲙⲛ̅ⲧ
53 ५३ पिता पुत्र से, और पुत्र पिता से विरोध रखेगा; माँ बेटी से, और बेटी माँ से, सास बहू से, और बहू सास से विरोध रखेगी।”
ⲛ̅ⲅ̅ⲟⲩⲛⲟⲩⲓ̈ⲱⲧ ⲛⲁⲡⲱϣ ⲛⲙ̅ⲡⲉϥϣⲏⲣⲉ ⲁⲩⲱ ⲟⲩϣⲏⲣⲉ ⲛⲙⲡⲉϥⲓ̈ⲱⲧʾ. ⲟⲩⲙⲁⲁⲩ ⲙⲙ̅ⲧⲉⲥϣⲉⲉⲣⲉ. ⲟⲩϣⲉⲉⲣⲉ ⲛⲙⲧⲉⲥⲙⲁⲁⲩ. ⲟⲩϣⲱⲙⲉ ⲛⲙ̅ⲧⲉⲥϣⲉⲗⲉⲉⲧʾ. ⲟⲩϣⲉⲗⲉⲉⲧʾ ⲛⲙ̅ⲧⲉⲥϣⲱⲙⲉ·
54 ५४ और उसने भीड़ से भी कहा, “जब बादल को पश्चिम से उठते देखते हो, तो तुरन्त कहते हो, कि वर्षा होगी; और ऐसा ही होता है।
ⲛ̅ⲇ̅ⲡⲉϫⲁϥ ⲇⲉ ⲛⲙ̅ⲙⲏⲏϣⲉ ϫⲉ ⲉⲧⲉⲧⲛ̅ϣⲁⲛⲛⲁⲩ ⲉⲩⲕⲗⲟⲟⲗⲉ ⲁⲥⲉ͡ⲓ ⲉϩⲣⲁⲓ̈ ϩⲓⲡⲉⲙⲛ̅ⲧ. ϣⲁⲧⲉⲧⲛ̅ϫⲟⲟⲥ ⲛ̅ⲧⲉⲩⲛⲟⲩ ϫⲉ ⲡϩⲱⲟⲩ ⲛⲁϣⲱⲡⲉ ⲁⲩⲱ ϣⲁⲥϣⲱⲡⲉ ϩⲓⲛⲁⲓ̈.
55 ५५ और जब दक्षिणी हवा चलती देखते हो तो कहते हो, कि लूह चलेगी, और ऐसा ही होता है।
ⲛ̅ⲉ̅ⲁⲩⲱ ⲉⲣϣⲁⲛⲡⲧⲟⲩⲣⲏⲥ ⲉ͡ⲓ ⲉⲃⲟⲗ ϫⲉ ⲟⲩⲛⲟⲩⲕⲁⲩⲥⲱⲛ ⲛⲁϣⲱⲡⲉ. ⲁⲩⲱ ϣⲁϥϣⲱⲡⲉ.
56 ५६ हे कपटियों, तुम धरती और आकाश के रूप में भेद कर सकते हो, परन्तु इस युग के विषय में क्यों भेद करना नहीं जानते?
ⲛ̅ⲋ̅ⲛ̅ϩⲩⲡⲟⲕⲣⲓⲧⲏⲥ. ⲧⲉⲧⲛ̅ⲥⲟⲟⲩⲛ ⲛ̅ⲇⲟϭⲓⲙⲁⲍⲉ ⲙ̅ⲡϩⲟ ⲛ̅ⲧⲡⲉ ⲛⲙ̅ⲡⲕⲁϩ. ⲉⲧⲃⲉⲟⲩ ⲇⲉ ⲛ̅ⲧⲟϥ ⲛ̅ⲧⲉⲧⲛ̅ⲥⲟⲟⲩⲛ ⲁⲛ ⲛ̅ⲇⲟϭⲓⲙⲁⲍⲉ ⲙ̅ⲡⲉⲓ̈ⲟⲩⲟⲓ̈ϣ.
57 ५७ “तुम आप ही निर्णय क्यों नहीं कर लेते, कि उचित क्या है?
ⲛ̅ⲍ̅ⲁϩⲣⲱⲧⲛ̅ ⲇⲉ ⲛ̅ⲧⲉⲧⲛ̅ⲕⲣⲓⲛⲉ ⲁⲛ ⲙ̅ⲡⲉⲧⲉϣϣⲉ ⲙ̅ⲙⲓⲛ ⲙ̅ⲙⲱⲧⲛ̅.
58 ५८ जब तू अपने मुद्दई के साथ न्यायाधीश के पास जा रहा है, तो मार्ग ही में उससे छूटने का यत्न कर ले ऐसा न हो, कि वह तुझे न्यायी के पास खींच ले जाए, और न्यायी तुझे सिपाही को सौंपे और सिपाही तुझे बन्दीगृह में डाल दे।
ⲛ̅ⲏ̅ⲛ̅ⲑⲉ ⲅⲁⲣ ⲉⲕⲙⲟⲟϣⲉ ⲛⲙ̅ⲡⲉⲧϫⲓϩⲁⲡ ⲟⲩⲃⲏⲕ ⲉϥϩⲓⲧⲉϩⲓⲏ ⲙⲁⲧϥ̅ⲑⲉ ⲙ̅ⲡⲱⲗϭ̅ ⲛⲙ̅ⲙⲁⲕ ⲙⲏⲡⲱⲥ ⲛϥ̅ⲥⲱⲕ ⲙ̅ⲙⲟⲕ ⲉⲩⲣⲉϥϯϩⲁⲡ ⲛ̅ⲧⲉⲡⲣⲉϥϯϩⲁⲡ ⲧⲁⲁⲕ ⲉⲧⲟⲟⲧϥ̅ ⲙ̅ⲡⲉⲡⲣⲁⲕⲧⲱⲣ ⲛ̅ⲧⲉⲡⲉⲡⲣⲁⲕⲧⲱⲣ ⲛⲟϫⲕ̅ ⲉⲡⲉϣⲧⲉⲕⲟ.
59 ५९ मैं तुम से कहता हूँ, कि जब तक तू पाई-पाई न चुका देगा तब तक वहाँ से छूटने न पाएगा।”
ⲛ̅ⲑ̅ϯϫⲱ ⲙ̅ⲙⲟⲥ ⲛⲁⲕ ϫⲉ ⲛⲛⲉⲕⲓ̈ ⲉⲃⲟⲗ ⲙ̅ⲙⲁⲩ ⲉⲙⲡⲕϯ ⲙ̅ⲡⲉⲕϩⲁⲉ ⲗ̅ⲗⲉⲡⲧⲟⲛ.

< लूका 12 >