< लूका 11 >
1 १ फिर वह किसी जगह प्रार्थना कर रहा था। और जब वह प्रार्थना कर चुका, तो उसके चेलों में से एक ने उससे कहा, “हे प्रभु, जैसे यूहन्ना ने अपने चेलों को प्रार्थना करना सिखाया वैसे ही हमें भी तू सीखा दे।”
Καὶ ἐγένετο ἐν τῷ εἶναι αὐτὸν ἐν τόπῳ τινὶ προσευχόμενον, ὡς ἐπαύσατο, εἶπέν τις τῶν μαθητῶν αὐτοῦ πρὸς αὐτόν, “˚Κύριε, δίδαξον ἡμᾶς προσεύχεσθαι, καθὼς καὶ Ἰωάννης ἐδίδαξεν τοὺς μαθητὰς αὐτοῦ.”
2 २ उसने उनसे कहा, “जब तुम प्रार्थना करो, तो कहो: ‘हे पिता, तेरा नाम पवित्र माना जाए, तेरा राज्य आए।
Εἶπεν δὲ αὐτοῖς, “Ὅταν προσεύχησθε, λέγετε, ‘Πάτερ, ἁγιασθήτω τὸ ὄνομά σου. Ἐλθάτω ἡ βασιλεία σου.
3 ३ ‘हमारी दिन भर की रोटी हर दिन हमें दिया कर।
Τὸν ἄρτον ἡμῶν τὸν ἐπιούσιον, δίδου ἡμῖν τὸ καθʼ ἡμέραν.
4 ४ ‘और हमारे पापों को क्षमा कर, क्योंकिहम भी अपने हर एक अपराधी को क्षमा करते हैं, और हमें परीक्षा में न ला।’”
Καὶ ἄφες ἡμῖν τὰς ἁμαρτίας ἡμῶν, καὶ γὰρ αὐτοὶ ἀφίομεν παντὶ ὀφείλοντι ἡμῖν. Καὶ μὴ εἰσενέγκῃς ἡμᾶς εἰς πειρασμόν.’”
5 ५ और उसने उनसे कहा, “तुम में से कौन है कि उसका एक मित्र हो, और वह आधी रात को उसके पास जाकर उससे कहे, ‘हे मित्र; मुझे तीन रोटियाँ दे।
Καὶ εἶπεν πρὸς αὐτούς, “Τίς ἐξ ὑμῶν ἕξει φίλον, καὶ πορεύσεται πρὸς αὐτὸν μεσονυκτίου, καὶ εἴπῃ αὐτῷ, ‘Φίλε, χρῆσόν μοι τρεῖς ἄρτους,
6 ६ क्योंकि एक यात्री मित्र मेरे पास आया है, और उसके आगे रखने के लिये मेरे पास कुछ नहीं है।’
ἐπειδὴ φίλος μου παρεγένετο ἐξ ὁδοῦ πρός με, καὶ οὐκ ἔχω ὃ παραθήσω αὐτῷ.’
7 ७ और वह भीतर से उत्तर देता, कि मुझे दुःख न दे; अब तो द्वार बन्द है, और मेरे बालक मेरे पास बिछौने पर हैं, इसलिए मैं उठकर तुझे दे नहीं सकता।
Κἀκεῖνος ἔσωθεν ἀποκριθεὶς εἴπῃ, ‘Μή μοι κόπους πάρεχε· ἤδη ἡ θύρα κέκλεισται, καὶ τὰ παιδία μου μετʼ ἐμοῦ εἰς τὴν κοίτην εἰσίν· οὐ δύναμαι ἀναστὰς δοῦναί σοι.’
8 ८ मैं तुम से कहता हूँ, यदि उसका मित्र होने पर भी उसे उठकर न दे, फिर भी उसके लज्जा छोड़कर माँगने के कारण उसे जितनी आवश्यकता हो उतनी उठकर देगा।
Λέγω ὑμῖν, εἰ καὶ οὐ δώσει αὐτῷ ἀναστὰς, διὰ τὸ εἶναι φίλον αὐτοῦ, διά γε τὴν ἀναίδειαν αὐτοῦ ἐγερθεὶς, δώσει αὐτῷ ὅσων χρῄζει.
9 ९ और मैं तुम से कहता हूँ; कि माँगो, तो तुम्हें दिया जाएगा; ढूँढ़ो तो तुम पाओगे; खटखटाओ, तो तुम्हारे लिये खोला जाएगा।
Κἀγὼ ὑμῖν λέγω, ‘Αἰτεῖτε, καὶ δοθήσεται ὑμῖν· ζητεῖτε, καὶ εὑρήσετε· κρούετε, καὶ ἀνοιγήσεται ὑμῖν.
10 १० क्योंकि जो कोई माँगता है, उसे मिलता है; और जो ढूँढ़ता है, वह पाता है; और जो खटखटाता है, उसके लिये खोला जाएगा।
Πᾶς γὰρ ὁ αἰτῶν λαμβάνει, καὶ ὁ ζητῶν εὑρίσκει, καὶ τῷ κρούοντι ἀνοιγήσεται.’
11 ११ तुम में से ऐसा कौन पिता होगा, कि जब उसका पुत्र रोटी माँगे, तो उसे पत्थर दे: या मछली माँगे, तो मछली के बदले उसे साँप दे?
Τίνα δὲ ἐξ ὑμῶν τὸν πατέρα αἰτήσει ὁ υἱὸς ἰχθύν, καὶ ἀντὶ ἰχθύος, ὄφιν αὐτῷ ἐπιδώσει;
12 १२ या अण्डा माँगे तो उसे बिच्छू दे?
ἢ καὶ αἰτήσει ᾠόν, ἐπιδώσει αὐτῷ σκορπίον;
13 १३ अतः जब तुम बुरे होकर अपने बच्चों को अच्छी वस्तुएँ देना जानते हो, तो तुम्हारा स्वर्गीय पिता अपने माँगनेवालों को पवित्र आत्मा क्यों न देगा।”
Εἰ οὖν ὑμεῖς πονηροὶ ὑπάρχοντες, οἴδατε δόματα ἀγαθὰ διδόναι τοῖς τέκνοις ὑμῶν, πόσῳ μᾶλλον ὁ Πατὴρ ὁ ἐξ οὐρανοῦ δώσει ˚Πνεῦμα Ἅγιον τοῖς αἰτοῦσιν αὐτόν;”
14 १४ फिर उसने एक गूँगी दुष्टात्मा को निकाला; जब दुष्टात्मा निकल गई, तो गूँगा बोलने लगा; और लोगों ने अचम्भा किया।
Καὶ ἦν ἐκβάλλων δαιμόνιον κωφόν. Ἐγένετο δὲ τοῦ δαιμονίου ἐξελθόντος, ἐλάλησεν ὁ κωφός. Καὶ ἐθαύμασαν οἱ ὄχλοι.
15 १५ परन्तु उनमें से कितनों ने कहा, “यह तो दुष्टात्माओं के प्रधान शैतान की सहायता से दुष्टात्माओं को निकालता है।”
Τινὲς δὲ ἐξ αὐτῶν εἶπον, “Ἐν Βεελζεβοὺλ τῷ ἄρχοντι τῶν δαιμονίων, ἐκβάλλει τὰ δαιμόνια.”
16 १६ औरों ने उसकी परीक्षा करने के लिये उससे आकाश का एक चिन्ह माँगा।
Ἕτεροι δὲ πειράζοντες, σημεῖον ἐξ οὐρανοῦ ἐζήτουν παρʼ αὐτοῦ.
17 १७ परन्तु उसने, उनके मन की बातें जानकर, उनसे कहा, “जिस-जिस राज्य में फूट होती है, वह राज्य उजड़ जाता है; और जिस घर में फूट होती है, वह नाश हो जाता है।
Αὐτὸς δὲ εἰδὼς αὐτῶν τὰ διανοήματα εἶπεν αὐτοῖς, “Πᾶσα βασιλεία ἐφʼ ἑαυτὴν διαμερισθεῖσα ἐρημοῦται, καὶ οἶκος ἐπὶ οἶκον πίπτει.
18 १८ और यदि शैतान अपना ही विरोधी हो जाए, तो उसका राज्य कैसे बना रहेगा? क्योंकि तुम मेरे विषय में तो कहते हो, कि यह शैतान की सहायता से दुष्टात्मा निकालता है।
Εἰ δὲ καὶ ὁ Σατανᾶς ἐφʼ ἑαυτὸν διεμερίσθη, πῶς σταθήσεται ἡ βασιλεία αὐτοῦ; Ὅτι λέγετε, ἐν Βεελζεβοὺλ ἐκβάλλειν με τὰ δαιμόνια.
19 १९ भला यदि मैं शैतान की सहायता से दुष्टात्माओं को निकालता हूँ, तो तुम्हारी सन्तान किसकी सहायता से निकालते हैं? इसलिए वे ही तुम्हारा न्याय चुकाएँगे।
Εἰ δὲ ἐγὼ ἐν Βεελζεβοὺλ ἐκβάλλω τὰ δαιμόνια, οἱ υἱοὶ ὑμῶν ἐν τίνι ἐκβάλλουσιν; Διὰ τοῦτο, αὐτοὶ ὑμῶν κριταὶ ἔσονται.
20 २० परन्तु यदि मैं परमेश्वर की सामर्थ्य से दुष्टात्माओं को निकालता हूँ, तो परमेश्वर का राज्य तुम्हारे पास आ पहुँचा।
Εἰ δὲ ἐν δακτύλῳ ˚Θεοῦ, ἐγὼ ἐκβάλλω τὰ δαιμόνια, ἄρα ἔφθασεν ἐφʼ ὑμᾶς ἡ Βασιλεία τοῦ ˚Θεοῦ.
21 २१ जब बलवन्त मनुष्य हथियार बाँधे हुए अपने घर की रखवाली करता है, तो उसकी सम्पत्ति बची रहती है।
Ὅταν ὁ ἰσχυρὸς καθωπλισμένος, φυλάσσῃ τὴν ἑαυτοῦ αὐλήν, ἐν εἰρήνῃ ἐστὶν τὰ ὑπάρχοντα αὐτοῦ·
22 २२ पर जब उससे बढ़कर कोई और बलवन्त चढ़ाई करके उसे जीत लेता है, तो उसके वे हथियार जिन पर उसका भरोसा था, छीन लेता है और उसकी सम्पत्ति लूटकर बाँट देता है।
ἐπὰν δὲ ἰσχυρότερος αὐτοῦ ἐπελθὼν, νικήσῃ αὐτόν, τὴν πανοπλίαν αὐτοῦ αἴρει ἐφʼ ᾗ ἐπεποίθει, καὶ τὰ σκῦλα αὐτοῦ διαδίδωσιν.
23 २३ जो मेरे साथ नहीं वह मेरे विरोध में है, और जो मेरे साथ नहीं बटोरता वह बिखेरता है।
Ὁ μὴ ὢν μετʼ ἐμοῦ, κατʼ ἐμοῦ ἐστιν, καὶ ὁ μὴ συνάγων μετʼ ἐμοῦ, σκορπίζει.
24 २४ “जब अशुद्ध आत्मा मनुष्य में से निकल जाती है तो सूखी जगहों में विश्राम ढूँढ़ती फिरती है, और जब नहीं पाती तो कहती है, कि मैं अपने उसी घर में जहाँ से निकली थी लौट जाऊँगी।
Ὅταν τὸ ἀκάθαρτον πνεῦμα ἐξέλθῃ ἀπὸ τοῦ ἀνθρώπου, διέρχεται διʼ ἀνύδρων τόπων ζητοῦν ἀνάπαυσιν, καὶ μὴ εὑρίσκον, λέγει, ‘Ὑποστρέψω εἰς τὸν οἶκόν μου, ὅθεν ἐξῆλθον.’
25 २५ और आकर उसे झाड़ा-बुहारा और सजा-सजाया पाती है।
Καὶ ἐλθὸν, εὑρίσκει σεσαρωμένον καὶ κεκοσμημένον.
26 २६ तब वह आकर अपने से और बुरी सात आत्माओं को अपने साथ ले आती है, और वे उसमें समाकर वास करती हैं, और उस मनुष्य की पिछली दशा पहले से भी बुरी हो जाती है।”
Τότε πορεύεται καὶ παραλαμβάνει ἕτερα πνεύματα πονηρότερα ἑαυτοῦ ἑπτά, καὶ εἰσελθόντα, κατοικεῖ ἐκεῖ, καὶ γίνεται τὰ ἔσχατα τοῦ ἀνθρώπου ἐκείνου, χείρονα τῶν πρώτων.”
27 २७ जब वह ये बातें कह ही रहा था तो भीड़ में से किसी स्त्री ने ऊँचे शब्द से कहा, “धन्य है वह गर्भ जिसमें तू रहा और वे स्तन, जो तूने चूसे।”
Ἐγένετο δὲ ἐν τῷ λέγειν αὐτὸν ταῦτα, ἐπάρασά τις φωνὴν γυνὴ ἐκ τοῦ ὄχλου, εἶπεν αὐτῷ, “Μακαρία ἡ κοιλία ἡ βαστάσασά σε, καὶ μαστοὶ οὓς ἐθήλασας.”
28 २८ उसने कहा, “हाँ; परन्तु धन्य वे हैं, जो परमेश्वर का वचन सुनते और मानते हैं।”
Αὐτὸς δὲ εἶπεν, “Μενοῦν, μακάριοι οἱ ἀκούοντες τὸν λόγον τοῦ ˚Θεοῦ καὶ φυλάσσοντες.”
29 २९ जब बड़ी भीड़ इकट्ठी होती जाती थी तो वह कहने लगा, “इस युग के लोग बुरे हैं; वे चिन्ह ढूँढ़ते हैं; पर योना के चिन्ह को छोड़ कोई और चिन्ह उन्हें न दिया जाएगा।
Τῶν δὲ ὄχλων ἐπαθροιζομένων, ἤρξατο λέγειν, “Ἡ γενεὰ αὕτη γενεὰ πονηρά ἐστιν· σημεῖον ζητεῖ καὶ σημεῖον οὐ δοθήσεται αὐτῇ, εἰ μὴ τὸ σημεῖον Ἰωνᾶ.
30 ३० जैसा योना नीनवे के लोगों के लिये चिन्ह ठहरा, वैसा ही मनुष्य का पुत्र भी इस युग के लोगों के लिये ठहरेगा।
Καθὼς γὰρ ἐγένετο Ἰωνᾶς τοῖς Νινευίταις σημεῖον, οὕτως ἔσται καὶ ὁ Υἱὸς τοῦ Ἀνθρώπου τῇ γενεᾷ ταύτῃ.
31 ३१ दक्षिण की रानी न्याय के दिन इस समय के मनुष्यों के साथ उठकर, उन्हें दोषी ठहराएगी, क्योंकि वह सुलैमान का ज्ञान सुनने को पृथ्वी की छोर से आई, और देखो यहाँ वह है जो सुलैमान से भी बड़ा है।
Βασίλισσα νότου ἐγερθήσεται ἐν τῇ κρίσει μετὰ τῶν ἀνδρῶν τῆς γενεᾶς ταύτης, καὶ κατακρινεῖ αὐτούς, ὅτι ἦλθεν ἐκ τῶν περάτων τῆς γῆς ἀκοῦσαι τὴν σοφίαν Σολομῶνος, καὶ ἰδοὺ, πλεῖον Σολομῶνος ὧδε.
32 ३२ नीनवे के लोग न्याय के दिन इस समय के लोगों के साथ खड़े होकर, उन्हें दोषी ठहराएँगे; क्योंकि उन्होंने योना का प्रचार सुनकर मन फिराया और देखो, यहाँ वह है, जो योना से भी बड़ा है।
Ἄνδρες Νινευῖται ἀναστήσονται ἐν τῇ κρίσει μετὰ τῆς γενεᾶς ταύτης, καὶ κατακρινοῦσιν αὐτήν, ὅτι μετενόησαν εἰς τὸ κήρυγμα Ἰωνᾶ, καὶ ἰδοὺ, πλεῖον Ἰωνᾶ ὧδε.
33 ३३ “कोई मनुष्य दीया जला के तलघर में, या पैमाने के नीचे नहीं रखता, परन्तु दीवट पर रखता है कि भीतर आनेवाले उजियाला पाएँ।
Οὐδεὶς λύχνον ἅψας εἰς κρύπτην τίθησιν, οὐδὲ ὑπὸ τὸν μόδιον, ἀλλʼ ἐπὶ τὴν λυχνίαν, ἵνα οἱ εἰσπορευόμενοι τὸ φῶς βλέπωσιν.
34 ३४ तेरे शरीर का दीया तेरी आँख है, इसलिए जब तेरी आँख निर्मल है, तो तेरा सारा शरीर भी उजियाला है; परन्तु जब वह बुरी है, तो तेरा शरीर भी अंधेरा है।
Ὁ λύχνος τοῦ σώματός ἐστιν ὁ ὀφθαλμός σου. Ὅταν ὁ ὀφθαλμός σου ἁπλοῦς ᾖ, καὶ ὅλον τὸ σῶμά σου φωτεινόν ἐστιν· ἐπὰν δὲ πονηρὸς ᾖ, καὶ τὸ σῶμά σου σκοτεινόν.
35 ३५ इसलिए सावधान रहना, कि जो उजियाला तुझ में है वह अंधेरा न हो जाए।
Σκόπει οὖν, μὴ τὸ φῶς τὸ ἐν σοὶ σκότος ἐστίν.
36 ३६ इसलिए यदि तेरा सारा शरीर उजियाला हो, और उसका कोई भाग अंधेरा न रहे, तो सब का सब ऐसा उजियाला होगा, जैसा उस समय होता है, जब दीया अपनी चमक से तुझे उजाला देता है।”
Εἰ οὖν τὸ σῶμά σου ὅλον φωτεινόν, μὴ ἔχον μέρος τι σκοτεινόν, ἔσται φωτεινὸν ὅλον, ὡς ὅταν ὁ λύχνος τῇ ἀστραπῇ φωτίζῃ σε.”
37 ३७ जब वह बातें कर रहा था, तो किसी फरीसी ने उससे विनती की, कि मेरे यहाँ भोजन कर; और वह भीतर जाकर भोजन करने बैठा।
Ἐν δὲ τῷ λαλῆσαι, ἐρωτᾷ αὐτὸν Φαρισαῖος ὅπως ἀριστήσῃ παρʼ αὐτῷ, εἰσελθὼν δὲ, ἀνέπεσεν.
38 ३८ फरीसी ने यह देखकर अचम्भा किया कि उसने भोजन करने से पहले हाथ-पैर नहीं धोये।
Ὁ δὲ Φαρισαῖος ἰδὼν, ἐθαύμασεν ὅτι οὐ πρῶτον ἐβαπτίσθη πρὸ τοῦ ἀρίστου.
39 ३९ प्रभु ने उससे कहा, “हे फरीसियों, तुम कटोरे और थाली को ऊपर-ऊपर तो माँजते हो, परन्तु तुम्हारे भीतर अंधेर और दुष्टता भरी है।
Εἶπεν δὲ ὁ ˚Κύριος πρὸς αὐτόν, “Νῦν ὑμεῖς οἱ Φαρισαῖοι τὸ ἔξωθεν τοῦ ποτηρίου καὶ τοῦ πίνακος καθαρίζετε, τὸ δὲ ἔσωθεν ὑμῶν γέμει ἁρπαγῆς καὶ πονηρίας.
40 ४० हे निर्बुद्धियों, जिसने बाहर का भाग बनाया, क्या उसने भीतर का भाग नहीं बनाया?
Ἄφρονες! Οὐχ ὁ ποιήσας τὸ ἔξωθεν, καὶ τὸ ἔσωθεν ἐποίησεν;
41 ४१ परन्तु हाँ, भीतरवाली वस्तुओं को दान कर दो, तब सब कुछ तुम्हारे लिये शुद्ध हो जाएगा।
Πλὴν τὰ ἐνόντα δότε ἐλεημοσύνην, καὶ ἰδοὺ, πάντα καθαρὰ ὑμῖν ἐστιν.
42 ४२ “पर हे फरीसियों, तुम पर हाय! तुम पोदीने और सुदाब का, और सब भाँति के साग-पात का दसवाँ अंश देते हो, परन्तु न्याय को और परमेश्वर के प्रेम को टाल देते हो; चाहिए तो था कि इन्हें भी करते रहते और उन्हें भी न छोड़ते।
Ἀλλὰ οὐαὶ ὑμῖν τοῖς Φαρισαίοις, ὅτι ἀποδεκατοῦτε τὸ ἡδύοσμον, καὶ τὸ πήγανον, καὶ πᾶν λάχανον, καὶ παρέρχεσθε τὴν κρίσιν καὶ τὴν ἀγάπην τοῦ ˚Θεοῦ. Ταῦτα δὲ ἔδει ποιῆσαι, κἀκεῖνα μὴ παρεῖναι.
43 ४३ हे फरीसियों, तुम पर हाय! तुम आराधनालयों में मुख्य-मुख्य आसन और बाजारों में नमस्कार चाहते हो।
Οὐαὶ ὑμῖν τοῖς Φαρισαίοις, ὅτι ἀγαπᾶτε τὴν πρωτοκαθεδρίαν ἐν ταῖς συναγωγαῖς, καὶ τοὺς ἀσπασμοὺς ἐν ταῖς ἀγοραῖς.
44 ४४ हाय तुम पर! क्योंकि तुम उन छिपी कब्रों के समान हो, जिन पर लोग चलते हैं, परन्तु नहीं जानते।”
Οὐαὶ ὑμῖν, ὅτι ἐστὲ ὡς τὰ μνημεῖα τὰ ἄδηλα, καὶ οἱ ἄνθρωποι περιπατοῦντες ἐπάνω οὐκ οἴδασιν.”
45 ४५ तब एक व्यवस्थापक ने उसको उत्तर दिया, “हे गुरु, इन बातों के कहने से तू हमारी निन्दा करता है।”
Ἀποκριθεὶς δέ τις τῶν νομικῶν λέγει αὐτῷ, “Διδάσκαλε, ταῦτα λέγων, καὶ ἡμᾶς ὑβρίζεις.”
46 ४६ उसने कहा, “हे व्यवस्थापकों, तुम पर भी हाय! तुम ऐसे बोझ जिनको उठाना कठिन है, मनुष्यों पर लादते हो परन्तु तुम आप उन बोझों को अपनी एक उँगली से भी नहीं छूते।
Ὁ δὲ εἶπεν, “Καὶ ὑμῖν τοῖς νομικοῖς οὐαί! Ὅτι φορτίζετε τοὺς ἀνθρώπους φορτία δυσβάστακτα, καὶ αὐτοὶ ἑνὶ τῶν δακτύλων ὑμῶν οὐ προσψαύετε τοῖς φορτίοις.
47 ४७ हाय तुम पर! तुम उन भविष्यद्वक्ताओं की कब्रें बनाते हो, जिन्हें तुम्हारे पूर्वजों ने मार डाला था।
Οὐαὶ ὑμῖν, ὅτι οἰκοδομεῖτε τὰ μνημεῖα τῶν προφητῶν, οἱ δὲ πατέρες ὑμῶν ἀπέκτειναν αὐτούς.
48 ४८ अतः तुम गवाह हो, और अपने पूर्वजों के कामों से सहमत हो; क्योंकि उन्होंने तो उन्हें मार डाला और तुम उनकी कब्रें बनाते हो।
Ἄρα μαρτυρεῖτε καὶ συνευδοκεῖτε τοῖς ἔργοις τῶν πατέρων ὑμῶν, ὅτι αὐτοὶ μὲν ἀπέκτειναν αὐτοὺς, ὑμεῖς δὲ οἰκοδομεῖτε.
49 ४९ इसलिए परमेश्वर की बुद्धि ने भी कहा है, कि मैं उनके पास भविष्यद्वक्ताओं और प्रेरितों को भेजूँगी, और वे उनमें से कितनों को मार डालेंगे, और कितनों को सताएँगे।
Διὰ τοῦτο καὶ ἡ σοφία τοῦ ˚Θεοῦ εἶπεν, ‘Ἀποστελῶ εἰς αὐτοὺς προφήτας καὶ ἀποστόλους, καὶ ἐξ αὐτῶν ἀποκτενοῦσιν καὶ διώξουσιν,
50 ५० ताकि जितने भविष्यद्वक्ताओं का लहू जगत की उत्पत्ति से बहाया गया है, सब का लेखा, इस युग के लोगों से लिया जाए,
ἵνα ἐκζητηθῇ τὸ αἷμα πάντων τῶν προφητῶν, τὸ ἐκχυννόμενον ἀπὸ καταβολῆς κόσμου, ἀπὸ τῆς γενεᾶς ταύτης,
51 ५१ हाबिल की हत्या से लेकर जकर्याह की हत्या तक जो वेदी और मन्दिर के बीच में मारा गया: मैं तुम से सच कहता हूँ; उसका लेखा इसी समय के लोगों से लिया जाएगा।
ἀπὸ αἵματος Ἅβελ ἕως αἵματος Ζαχαρίου, τοῦ ἀπολομένου μεταξὺ τοῦ θυσιαστηρίου καὶ τοῦ οἴκου. Ναί, λέγω ὑμῖν, ἐκζητηθήσεται ἀπὸ τῆς γενεᾶς ταύτης.’
52 ५२ हाय तुम व्यवस्थापकों पर! कि तुम नेज्ञान की कुँजीले तो ली, परन्तु तुम ने आप ही प्रवेश नहीं किया, और प्रवेश करनेवालों को भी रोक दिया।”
Οὐαὶ ὑμῖν τοῖς νομικοῖς, ὅτι ἤρατε τὴν κλεῖδα τῆς γνώσεως· αὐτοὶ οὐκ εἰσήλθατε, καὶ τοὺς εἰσερχομένους ἐκωλύσατε.”
53 ५३ जब वह वहाँ से निकला, तो शास्त्री और फरीसी बहुत पीछे पड़ गए और छेड़ने लगे, कि वह बहुत सी बातों की चर्चा करे,
Κἀκεῖθεν ἐξελθόντος αὐτοῦ, ἤρξαντο οἱ γραμματεῖς καὶ οἱ Φαρισαῖοι δεινῶς ἐνέχειν, καὶ ἀποστοματίζειν αὐτὸν περὶ πλειόνων,
54 ५४ और उसकी घात में लगे रहे, कि उसके मुँह की कोई बात पकड़ें।
ἐνεδρεύοντες αὐτὸν θηρεῦσαί τι ἐκ τοῦ στόματος αὐτοῦ.