< लूका 11 >

1 फिर वह किसी जगह प्रार्थना कर रहा था। और जब वह प्रार्थना कर चुका, तो उसके चेलों में से एक ने उससे कहा, “हे प्रभु, जैसे यूहन्ना ने अपने चेलों को प्रार्थना करना सिखाया वैसे ही हमें भी तू सीखा दे।”
ⲁ̅ⲁⲥϣⲱⲡⲉ ⲇⲉ ⲉϥϩⲛ̅ⲟⲩⲙⲁ ⲉϥϣⲗⲏⲗ ⲛ̅ⲧⲉⲣⲉϥⲟⲩⲱ ⲡⲉϫⲉⲟⲩⲁ ⲛⲁϥ ⲛ̅ⲛⲉϥⲙⲁⲑⲏⲧⲏⲥ ϫⲉ ⲡϫⲟⲉⲓⲥ ⲙⲁⲧⲥⲁⲃⲟⲛ ⲉϣⲗⲏⲗ ⲕⲁⲧⲁⲑⲉ ⲉⲛⲧⲁⲓ̈ⲱϩⲁⲛⲛⲏⲥ ⲧⲥⲁⲃⲉⲛⲉϥⲙⲁⲑⲏⲧⲏⲥ.
2 उसने उनसे कहा, “जब तुम प्रार्थना करो, तो कहो: ‘हे पिता, तेरा नाम पवित्र माना जाए, तेरा राज्य आए।
ⲃ̅ⲡⲉϫⲁϥ ⲛⲁⲩ ϫⲉ ⲉⲧⲉⲧⲛⲁϣⲗⲏⲗ ⲁϫⲓⲥ ϫⲉ ⲡⲉⲛⲓ̈ⲱⲧʾ ⲉⲧϩⲛ̅ ⲙ̅ⲡⲏⲩⲉ ⲙⲁⲣⲉⲡⲉⲕⲣⲁⲛ ⲟⲩⲟⲡ ⲙⲁⲣⲉⲧⲉⲕⲙⲛ̅ⲧⲉⲣ͡ⲟ ⲉ͡ⲓ. ⲙⲁⲣⲉⲡⲉⲕⲟⲩⲱϣ ϣⲱⲡⲉ.
3 ‘हमारी दिन भर की रोटी हर दिन हमें दिया कर।
ⲅ̅ⲡⲉⲛⲟⲓ̈ⲕ ⲉⲧⲛⲏⲟⲩ ⲧⲁⲁϥ ⲛⲁⲛ ⲙ̅ⲙⲏⲛⲉ.
4 ‘और हमारे पापों को क्षमा कर, क्योंकिहम भी अपने हर एक अपराधी को क्षमा करते हैं, और हमें परीक्षा में न ला।’”
ⲇ̅ⲕⲁⲛⲉⲛⲛⲟⲃⲉ ⲛⲁⲛ ⲕⲁⲓⲅⲁⲣ ⲁⲛⲟⲛ ⲧⲛ̅ⲕⲱ ⲉⲃⲟⲗ ⲟⲩⲟⲛ ⲛⲓⲙ ⲉⲧⲉⲟⲩⲛⲧⲁⲛ ⲉⲣⲟϥ. ⲁⲩⲱ ⲙ̅ⲡⲣϫⲓⲧⲛ̅ ⲉϩⲟⲩⲛ ⲉⲡⲓⲣⲁⲥⲙⲟⲥ.
5 और उसने उनसे कहा, “तुम में से कौन है कि उसका एक मित्र हो, और वह आधी रात को उसके पास जाकर उससे कहे, ‘हे मित्र; मुझे तीन रोटियाँ दे।
ⲉ̅ⲡⲉϫⲁϥ ⲇⲉ ⲛⲁⲩ ϫⲉ. ⲛⲓⲙ ⲛ̅ϩⲏⲧʾⲧⲏⲩⲧⲛ̅ ⲡⲉⲧⲛⲁⲕⲁⲟⲩϣⲃⲏⲣ ⲛⲁϥ ⲛϥ̅ⲃⲱⲕ ϣⲁⲣⲟϥ ⲛ̅ⲧⲡⲁϣⲉ ⲛ̅ⲧⲉⲩϣⲏ ⲛϥ̅ϫⲟⲟⲥ ⲛⲁϥ ϫⲉ. ⲡⲉϣⲃⲏⲣ. ⲙⲁ ⲛⲁⲓ̈ ⲛϣⲟⲙⲛ̅ⲧ ⲛⲛⲟⲓ̈ⲕ ⲉⲡⲉⲩϣⲁⲡ
6 क्योंकि एक यात्री मित्र मेरे पास आया है, और उसके आगे रखने के लिये मेरे पास कुछ नहीं है।’
ⲋ̅ⲉⲡⲓⲇⲏ ⲁⲩϣⲃⲏⲣ ⲉ͡ⲓ ϣⲁⲣⲟⲓ̈ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲛ̅ⲧⲉϩⲓⲏ ⲁⲩⲱ ⲙ̅ⲙⲛ̅ϯⲡⲉϯⲛⲁⲕⲁⲁϥ ϩⲁⲣⲱϥ.
7 और वह भीतर से उत्तर देता, कि मुझे दुःख न दे; अब तो द्वार बन्द है, और मेरे बालक मेरे पास बिछौने पर हैं, इसलिए मैं उठकर तुझे दे नहीं सकता।
ⲍ̅ⲡⲉⲧⲙ̅ⲙⲁⲩ ⲇⲉ ⲛϥ̅ⲟⲩⲱϣⲃ̅ ⲙ̅ⲡⲥⲁ ⲛϩⲟⲩⲛ ⲛϥ̅ϫⲟⲟⲥ ϫⲉ ⲙ̅ⲡⲣ̅ⲟⲩⲉϩϩⲓⲥⲉ ⲉⲣⲟⲓ̈ ⲁⲓ̈ⲟⲩⲱ ⲅⲁⲣ ⲉⲓ̈ϣⲧⲁⲙ ⲙ̅ⲡⲁⲣⲟ ⲁⲩⲱ ⲛⲁϣⲏⲣⲉ ϩⲓⲡⲉϭⲗⲟϭ ⲛⲙ̅ⲙⲁⲓ̈ ⲙ̅ⲙⲛ̅ϭⲟⲙ ⲙ̅ⲙⲟⲓ̈ ⲉⲧⲱⲟⲩⲛ ⲉϯ ⲛⲁⲕ
8 मैं तुम से कहता हूँ, यदि उसका मित्र होने पर भी उसे उठकर न दे, फिर भी उसके लज्जा छोड़कर माँगने के कारण उसे जितनी आवश्यकता हो उतनी उठकर देगा।
ⲏ̅ϯϫⲱ ⲙ̅ⲙⲟⲥ ⲛⲏⲧⲛ̅ ϫⲉ ⲉϣϫⲉⲛϥ̅ⲛⲁⲧⲱⲟⲩⲛ ⲁⲛ ⲉϯ ⲛⲁϥ ϫⲉ ⲡⲉ(ϥ)ϣⲃⲏⲣ ⲡⲉ. ⲁⲗⲗⲁ ⲉⲧⲃⲉⲧⲉϥⲙⲛ̅ⲧʾⲗⲁϭ ϥⲛⲁⲧⲱⲟⲩⲛ ⲛϥ̅ϯ ⲛⲁϥ ⲙⲡⲉⲧϥ̅ⲁϩⲉ ⲛⲁϥ.
9 और मैं तुम से कहता हूँ; कि माँगो, तो तुम्हें दिया जाएगा; ढूँढ़ो तो तुम पाओगे; खटखटाओ, तो तुम्हारे लिये खोला जाएगा।
ⲑ̅ⲁⲛⲟⲕ ϩⲱ ϯϫⲱ ⲙ̅ⲙⲟⲥ ⲛⲏⲧⲛ̅ ϫⲉ ⲁⲓⲧⲓ ⲧⲁⲣⲟⲩϯ ⲛⲏⲧⲛ̅. ϣⲓⲛⲉ ⲧⲁⲣⲉⲧⲉⲧⲛ̅ϭⲓⲛⲉ. ⲧⲱϩⲙ̅ ⲧⲁⲣⲟⲩⲱⲛ ⲛⲏⲧⲛ̅.
10 १० क्योंकि जो कोई माँगता है, उसे मिलता है; और जो ढूँढ़ता है, वह पाता है; और जो खटखटाता है, उसके लिये खोला जाएगा।
ⲓ̅ⲟⲩⲟⲛ ⲅⲁⲣ ⲛⲓⲙ ⲉⲧⲁⲓⲧⲓ ϥⲛⲁϫⲓ. ⲁⲩⲱ ⲡⲉⲧϣⲓⲛⲉ ϥⲛⲁϭⲓⲛⲉ. ⲁⲩⲱ ⲡⲉⲧʾⲧⲱϩⲙ̅ ⲥⲉⲛⲁⲟⲩⲱⲛ ⲛⲁϥ.
11 ११ तुम में से ऐसा कौन पिता होगा, कि जब उसका पुत्र रोटी माँगे, तो उसे पत्थर दे: या मछली माँगे, तो मछली के बदले उसे साँप दे?
ⲓ̅ⲁ̅ⲛⲓⲙ ⲇⲉ ⲛ̅ϩⲏⲧʾⲧⲏⲟⲩⲧⲛ̅ ⲡⲉⲧⲉⲣⲉⲡⲉϥϣⲏⲣⲉ ⲛⲁⲁⲓⲧⲓ ⲙ̅ⲙⲟϥ ⲛ̅ⲟⲩⲧⲃ̅ⲧ. ⲙⲏ ⲉⲡⲙⲁ ⲛ̅ⲟⲩⲧⲃ̅ⲧ ⲉϥⲛⲁϯ ⲛⲁϥ ⲛ̅ⲟⲩϩⲟϥ.
12 १२ या अण्डा माँगे तो उसे बिच्छू दे?
ⲓ̅ⲃ̅ⲏ ⲛϥ̅ⲁⲓⲧⲓ ⲙ̅ⲙⲟϥ ⲛ̅ⲟⲩⲥⲟⲟⲩϩⲉ ⲙⲏ ⲉϥⲛⲁϯ ⲛⲁϥ ⲛ̅ⲟⲩⲟⲟϩⲉ.
13 १३ अतः जब तुम बुरे होकर अपने बच्चों को अच्छी वस्तुएँ देना जानते हो, तो तुम्हारा स्वर्गीय पिता अपने माँगनेवालों को पवित्र आत्मा क्यों न देगा।”
ⲓ̅ⲅ̅ⲉϣϫⲉⲛ̅ⲧⲱⲧⲛ̅ ϭⲉ ⲉⲛⲧⲉⲧⲛ̅ϩⲉⲛⲡⲟⲛⲏⲣⲟⲥ ⲧⲉⲧⲛ̅ⲥⲟⲟⲩⲛ ⲛ̅ϯⲡⲉⲧⲛⲁⲛⲟⲩϥ ⲛ̅ⲛⲉⲧⲛ̅ϣⲏⲣⲉ. ⲡⲟⲥⲱ ⲙⲁⲗⲗⲟⲛ ⲡⲉⲧⲛ̅ⲓ̈ⲱⲧʾ ϥⲛⲁϯ ⲛ̅ⲟⲩⲡⲛ̅ⲁ ⲉϥⲟⲩⲁⲁⲃ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲛ̅ⲧⲡⲉ ⲛ̅ⲉⲧⲁⲓⲧⲓ ⲙ̅ⲙⲟϥ·
14 १४ फिर उसने एक गूँगी दुष्टात्मा को निकाला; जब दुष्टात्मा निकल गई, तो गूँगा बोलने लगा; और लोगों ने अचम्भा किया।
ⲓ̅ⲇ̅ⲛⲉϥⲛⲟⲩϫⲉ ⲇⲉ ⲉⲃⲟⲗ ⲛ̅ⲟⲩⲇⲁⲓⲙⲟⲛⲓⲟⲛ ⲉⲙⲉϥϣⲁϫⲉ. ⲁⲥϣⲱⲡⲉ ⲇⲉ ⲛ̅ⲧⲉⲣⲉⲡⲇⲁⲓⲙⲟⲛⲓⲟⲛ ⲉ͡ⲓ ⲉⲃⲟⲗ. ⲁϥϣⲁϫⲉ ⲛ̅ϭⲓⲡⲉⲙⲡⲟ ⲁⲩⲱ ⲁⲩⲣ̅ϣⲡⲏⲣⲉ ⲛ̅ϭⲓⲙ̅ⲙⲏⲏϣⲉ.
15 १५ परन्तु उनमें से कितनों ने कहा, “यह तो दुष्टात्माओं के प्रधान शैतान की सहायता से दुष्टात्माओं को निकालता है।”
ⲓ̅ⲉ̅ⲡⲉϫⲉϩⲟⲓ̈ⲛⲉ ⲇⲉ ⲛ̅ϩⲏⲧⲟⲩ ϫⲉ ⲉϥⲛⲉϫⲇⲁⲓⲙⲟⲛⲓⲟⲛ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲛ̅ⲃⲉⲉⲗⲍⲉⲃⲟⲩⲗ ⲡⲁⲣⲭⲱⲛ ⲛⲛ̅ⲇⲁⲓⲙⲟⲛⲓⲟⲛ.
16 १६ औरों ने उसकी परीक्षा करने के लिये उससे आकाश का एक चिन्ह माँगा।
ⲓ̅ⲋ̅ϩⲉⲛⲕⲟⲟⲩⲉ ⲇⲉ ⲉⲩⲡⲓⲣⲁⲍⲉ ⲙ̅ⲙⲟϥ ⲛⲉⲩϣⲓⲛⲉ ⲛ̅ⲥⲁⲟⲩⲙⲁⲉⲓⲛ ⲛ̅ⲧⲟⲟⲧϥ̅ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲛ̅ⲧⲡⲉ.
17 १७ परन्तु उसने, उनके मन की बातें जानकर, उनसे कहा, “जिस-जिस राज्य में फूट होती है, वह राज्य उजड़ जाता है; और जिस घर में फूट होती है, वह नाश हो जाता है।
ⲓ̅ⲍ̅ⲛ̅ⲧⲟϥ ⲇⲉ ⲉϥⲥⲟⲟⲩⲛ ⲛ̅ⲛⲉⲩⲙⲉⲩⲉ ⲛ̅ϩⲏⲧʾ ⲡⲉϫⲁϥ ⲛⲁⲩ ϫⲉ. ⲙⲛ̅ⲧⲉⲣⲟ ⲛⲓⲙ ⲉⲥϣⲁⲛⲡⲱϣ ⲉϩⲣⲁⲓ̈ ⲉϫⲱⲥ ϣⲁⲥⲣ̅ϫⲁⲓ̈ⲉ. ⲁⲩⲱ ⲟⲩⲏⲓ̈ ⲉϫⲛ̅ⲟⲩⲏⲓ̈ ϣⲁϥϩⲉ.
18 १८ और यदि शैतान अपना ही विरोधी हो जाए, तो उसका राज्य कैसे बना रहेगा? क्योंकि तुम मेरे विषय में तो कहते हो, कि यह शैतान की सहायता से दुष्टात्मा निकालता है।
ⲓ̅ⲏ̅ⲉϣϫⲉⲁⲡⲥⲁⲧⲁⲛⲁⲥ ϩⲱⲱϥ ⲡⲱϣ ⲉϩⲣⲁⲓ̈ ⲉϫⲱϥ. ⲛ̅ⲁϣ ⲛ̅ϩⲉ ⲧⲉϥⲙⲛ̅ⲧⲉⲣⲟ ⲛⲁⲁϩⲉⲣⲁⲧⲥ̅. ϫⲉ ⲧⲉⲧⲛ̅ϫⲱ ⲙ̅ⲙⲟⲥ ϫⲉ ⲉⲓ̈ⲛⲉϫⲇⲁⲓⲙⲟⲛⲓⲟⲛ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲛ̅ⲃⲉⲉⲗⲍⲉⲃⲟⲩⲗ.
19 १९ भला यदि मैं शैतान की सहायता से दुष्टात्माओं को निकालता हूँ, तो तुम्हारी सन्तान किसकी सहायता से निकालते हैं? इसलिए वे ही तुम्हारा न्याय चुकाएँगे।
ⲓ̅ⲑ̅ⲉϣϫⲉⲁⲛⲟⲕ ⲉⲓ̈ⲛⲟⲩϫⲉ ⲉⲃⲟⲗ ⲛⲛ̅ⲇⲁⲓⲙⲟⲛⲓⲟⲛ ϩⲛ̅ⲃⲉⲉⲗⲍⲉⲃⲟⲩⲗ. ⲉⲓ̈ⲉ ⲉⲣⲉⲛⲉⲧⲛϣⲏⲣⲉ ⲛⲟⲩϫⲉ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲛ̅ⲛⲓⲙ. ⲉⲧⲃⲉⲡⲁⲓ̈ ⲥⲉⲛⲁϣⲱⲡⲉ ⲛⲏⲧⲛ̅ ⲣ̅ⲣⲉϥϯϩⲁⲡ.
20 २० परन्तु यदि मैं परमेश्वर की सामर्थ्य से दुष्टात्माओं को निकालता हूँ, तो परमेश्वर का राज्य तुम्हारे पास आ पहुँचा।
ⲕ̅ⲉϣϫⲉⲁⲛⲟⲕ ⲇⲉ ⲉⲓ̈ⲛⲉϫⲇⲁⲓⲙⲟⲛⲓⲟⲛ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲛ̅ⲟⲩⲧⲏⲏⲃⲉ ⲛ̅ⲧⲉⲡⲛⲟⲩⲧⲉ ⲉⲓ̈ⲉ ⲁⲧⲙⲛ̅ⲧⲉⲣⲟ ⲙ̅ⲡⲛⲟⲩⲧⲉ ⲡⲱϩ ⲉϫⲱⲧⲛ̅.
21 २१ जब बलवन्त मनुष्य हथियार बाँधे हुए अपने घर की रखवाली करता है, तो उसकी सम्पत्ति बची रहती है।
ⲕ̅ⲁ̅ⲉⲣϣⲁⲛⲡⲉⲧϫⲟⲟⲣ ⲇⲉ ϩⲁⲣⲉϩ ⲉⲧⲉϥⲁⲩⲗⲏ ⲉϥϩⲏⲕ. ⲛⲉϥϩⲩⲡⲁⲣⲭⲟⲛⲧⲁ ⲧⲏⲣⲟⲩ ⲛⲁϣⲱⲡⲉ ϩⲛ̅ⲟⲩⲓ̈ⲣⲏⲛⲏ.
22 २२ पर जब उससे बढ़कर कोई और बलवन्त चढ़ाई करके उसे जीत लेता है, तो उसके वे हथियार जिन पर उसका भरोसा था, छीन लेता है और उसकी सम्पत्ति लूटकर बाँट देता है।
ⲕ̅ⲃ̅ⲉⲣϣⲁⲛⲡⲉⲧϫⲟⲟⲣ ⲇⲉ ⲉⲣⲟϥ ⲉ͡ⲓ ⲛϥ̅ϫⲣⲟ ⲉⲣⲟϥ. ϥⲛⲁϥⲓ ⲛⲧⲉϥⲡⲁⲛϩⲟⲡⲗⲓⲁ ⲉⲧϥ̅ⲕⲱ ⲛ̅ϩⲧⲏϥ ⲉⲣⲟⲥ ⲁⲩⲱ ϥⲛⲁⲥⲱⲣ ⲛⲛⲉϥϣⲱⲗ.
23 २३ जो मेरे साथ नहीं वह मेरे विरोध में है, और जो मेरे साथ नहीं बटोरता वह बिखेरता है।
ⲕ̅ⲅ̅ⲡⲉⲧⲉⲛϥ̅ⲛⲙ̅ⲙⲁⲓ̈ ⲁⲛ ⲉϥϯ ⲟⲩⲃⲏⲓ̈. ⲁⲩⲱ ⲡⲉⲧⲉⲛϥ̅ⲥⲩⲛⲁⲅⲉ ⲛⲙ̅ⲙⲁⲓ̈ ⲁⲛ ⲉϥϫⲱⲱⲣⲉ ⲉⲃⲟⲗ.
24 २४ “जब अशुद्ध आत्मा मनुष्य में से निकल जाती है तो सूखी जगहों में विश्राम ढूँढ़ती फिरती है, और जब नहीं पाती तो कहती है, कि मैं अपने उसी घर में जहाँ से निकली थी लौट जाऊँगी।
ⲕ̅ⲇ̅ϩⲟⲧⲁⲛ ⲇⲉ ⲡⲁⲕⲁⲑⲁⲣⲧⲟⲛ ⲙ̅ⲡⲛ̅ⲁ ⲉϥϣⲁⲛⲉ͡ⲓ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲙ̅ ⲡⲣⲱⲙⲉ. ϣⲁϥⲉ͡ⲓ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲓⲧⲛ̅ϩⲉⲛⲙⲁ ⲉⲙⲙⲛ̅ⲙⲟⲟⲩ ⲛ̅ϩⲏⲧⲟⲩ ⲉϥϣⲓⲛⲉ ⲛ̅ⲥⲁⲟⲩⲙⲁ ⲛⲙ̅ⲧⲟⲛ ⲁⲩⲱ ⲉϥⲧⲙ̅ϭⲓⲛⲉ ⲧⲟⲧⲉ ϣⲁϥϫⲟⲟⲥ ϫⲉ ϯⲛⲁⲕⲧⲟⲓ̈ ⲉⲡⲁⲏⲓ̈ ⲉⲡⲙⲁ ⲉⲛⲧⲁⲓ̈ⲉ͡ⲓ ⲉⲃⲟⲗ ⲛϩⲏⲧϥ̅.
25 २५ और आकर उसे झाड़ा-बुहारा और सजा-सजाया पाती है।
ⲕ̅ⲉ̅ⲉϥϣⲁⲛⲉ͡ⲓ ⲇⲉ ϣⲁϥϩⲉ ⲉⲣⲟϥ ⲉϥⲥⲁϩⲣ̅ ⲉϥⲧⲥⲁⲙⲓⲏⲟⲩ
26 २६ तब वह आकर अपने से और बुरी सात आत्माओं को अपने साथ ले आती है, और वे उसमें समाकर वास करती हैं, और उस मनुष्य की पिछली दशा पहले से भी बुरी हो जाती है।”
ⲕ̅ⲋ̅ⲧⲟⲧⲉ ϣⲁϥⲃⲱⲕ ⲛϥ̅ϫⲓ ⲛ̅ⲕⲉⲥⲁϣϥ̅ ⲙ̅ⲡⲛ̅ⲁ ⲉⲩϩⲟⲟⲩ ⲉⲣⲟϥ ⲛ̅ⲥⲉⲃⲱⲕ ⲉϩⲟⲩⲛ ⲛⲥⲉⲟⲩⲱϩ ⲛ̅ϩⲏⲧϥ̅ ⲛ̅ⲧⲉⲛ̅ϩⲁⲉⲟⲩ ⲙ̅ⲡⲣⲱⲙⲉ ⲉⲧⲙ̅ⲙⲁⲩ ⲑⲟ ⲉⲛⲉϥϣⲟⲣⲡ̅·
27 २७ जब वह ये बातें कह ही रहा था तो भीड़ में से किसी स्त्री ने ऊँचे शब्द से कहा, “धन्य है वह गर्भ जिसमें तू रहा और वे स्तन, जो तूने चूसे।”
ⲕ̅ⲍ̅ⲁⲥϣⲱⲡⲉ ⲇⲉ ϩⲙ̅ⲡⲧⲣⲉϥϫⲉⲛⲁⲓ̈ ⲁⲩⲥϩⲓⲙⲉ ϥⲓϩⲣⲁⲥ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲙ̅ⲡⲙⲏⲏϣⲉ ⲡⲉϫⲁⲥ ⲛⲁϥ ϫⲉ. ⲛⲁⲓ̈ⲁⲧⲥ̅ ⲛ̅ⲑⲏ ⲉⲛⲧⲁⲥϥⲓ ϩⲁⲣⲟⲕ ⲛⲙ̅ⲛⲉⲕⲓⲃⲉ ⲛⲁⲉⲓ ⲉⲛⲧⲁⲕϫⲓ ⲙⲙⲟⲟⲩ.
28 २८ उसने कहा, “हाँ; परन्तु धन्य वे हैं, जो परमेश्वर का वचन सुनते और मानते हैं।”
ⲕ̅ⲏ̅ⲛ̅ⲧⲟϥ ⲇⲉ ⲡⲉϫⲁϥ ϫⲉ. ⲛⲁⲓ̈ⲁⲧⲟⲩ ⲛ̅ϩⲟⲩⲟ ⲛ̅ⲛⲉⲧⲥⲱⲧⲙ̅ ⲉⲡϣⲁϫⲉ ⲙ̅ⲡⲛⲟⲩⲧⲉ ⲉⲧⲁⲣⲉϩ ⲉⲣⲟϥ·
29 २९ जब बड़ी भीड़ इकट्ठी होती जाती थी तो वह कहने लगा, “इस युग के लोग बुरे हैं; वे चिन्ह ढूँढ़ते हैं; पर योना के चिन्ह को छोड़ कोई और चिन्ह उन्हें न दिया जाएगा।
ⲕ̅ⲑ̅ⲉⲣⲉⲟⲩⲙⲏⲏϣⲉ ⲇⲉ ⲥⲱⲟⲩϩ ⲉⲣⲟϥ ⲁϥⲁⲣⲭⲓ ⲛ̅ϫⲟⲟⲥ ϫⲉ ⲧⲉⲓ̈ⲅⲉⲛⲉⲁ ⲟⲩⲅⲉⲛⲉⲁ ⲙ̅ⲡⲟⲛⲏⲣⲟⲛ ⲧⲉ. ϣ̑ϣⲓⲛⲉ ⲛⲥⲁⲟⲩⲙⲁⲉⲓⲛ. ⲁⲩⲱ ⲛ̅ⲛⲉⲩⲧⲁ ⲛⲁⲥ ⲙⲁⲉⲓⲛ ⲛⲥⲁⲡⲙⲁⲉⲓⲛ ⲛ̅ⲓ̈ⲱⲛⲁⲥ.
30 ३० जैसा योना नीनवे के लोगों के लिये चिन्ह ठहरा, वैसा ही मनुष्य का पुत्र भी इस युग के लोगों के लिये ठहरेगा।
ⲗ̅ⲕⲁⲧⲁⲑⲉ ⲅⲁⲣ ⲉⲛⲧⲁⲓ̈ⲱⲛⲁⲥ ϣⲱⲡⲉ ⲙ̅ⲙⲁⲉⲓⲛ ⲛⲣ̅ⲣⲱⲙⲉ ⲛ̅ⲛⲓⲛⲉⲩⲏ ⲧⲁⲓ̈ ⲧⲉ ⲑⲉ ⲉⲧⲉⲣⲉⲡϣⲏⲣⲉ ⲙ̅ⲡⲣⲱⲙⲉ ⲛⲁⲓ̈ⲣⲉ ⲛ̅ⲧⲉⲓ̈ⲅⲉⲛⲉⲁ.
31 ३१ दक्षिण की रानी न्याय के दिन इस समय के मनुष्यों के साथ उठकर, उन्हें दोषी ठहराएगी, क्योंकि वह सुलैमान का ज्ञान सुनने को पृथ्वी की छोर से आई, और देखो यहाँ वह है जो सुलैमान से भी बड़ा है।
ⲗ̅ⲁ̅ⲧⲣ̅ⲣⲱ ⲙ̅ⲡⲣⲏⲥ ⲛⲁⲧⲱⲟⲩⲛ ϩⲙ̅ⲡⲉϩⲟⲟⲩ ⲛ̅ⲧⲉⲕⲣⲓⲥⲓⲥ ⲛⲙ̅ⲛ̅ⲣⲱⲙⲉ ⲛ̅ⲧⲉⲓ̈ⲅⲉⲛⲉⲁ ⲛⲥ̅ⲧϭⲁⲓ̈ⲟⲟⲩ ϫⲉ ⲁⲥⲓ ϫⲓⲛⲁⲣⲏϫϥ̅ ⲙ̅ⲡⲕⲁϩ ⲉⲥⲱⲧⲙ̅ ⲉⲧⲥⲟⲫⲓⲁ ⲛ̅ⲥⲟⲗⲟⲙⲱⲛ ⲁⲩⲱ ⲉⲓⲥⲡⲉϩⲟⲩⲟ ⲉⲥⲟⲗⲟⲙⲱⲛ ⲙ̅ⲡⲉⲓ̈ⲙⲁ.
32 ३२ नीनवे के लोग न्याय के दिन इस समय के लोगों के साथ खड़े होकर, उन्हें दोषी ठहराएँगे; क्योंकि उन्होंने योना का प्रचार सुनकर मन फिराया और देखो, यहाँ वह है, जो योना से भी बड़ा है।
ⲗ̅ⲃ̅ⲣ̅ⲣⲱⲙⲉ ⲛ̅ⲛⲓⲛⲉⲩⲏ ⲛⲁⲧⲱⲟⲩⲛ ϩⲛ̅ⲧⲉⲕⲣⲓⲥⲓⲥ ⲛⲙ̅ⲧⲉⲓ̈ⲅⲉⲛⲉⲁ ⲛ̅ⲥⲉⲧϭⲁⲓ̈ⲟⲥ ϫⲉ ⲁⲩⲙⲉⲧⲁⲛⲟⲓ̈ ⲉⲡⲧⲁϣⲉⲟⲉⲓϣ ⲛ̅ⲓ̈ⲱⲛⲁ ⲉⲓⲥⲡⲉϩⲟⲩⲟ ⲉⲓ̈ⲱⲛⲁ ⲙ̅ⲡⲉⲓ̈ⲙⲁ.
33 ३३ “कोई मनुष्य दीया जला के तलघर में, या पैमाने के नीचे नहीं रखता, परन्तु दीवट पर रखता है कि भीतर आनेवाले उजियाला पाएँ।
ⲗ̅ⲅ̅ⲙⲉⲣⲉⲗⲁⲁⲩ ϫⲉⲣⲉϩⲏⲃⲥ̅ ⲛϥ̅ⲕⲁⲁϥ ϩⲛ̅ⲟⲩⲓ̈ ⲛ̅ϩⲱⲡ. ⲁⲗⲗⲁ ⲉϣⲁϥⲕⲁⲁϥ ⲉϫⲛ̅ⲧⲗⲩⲭⲛⲓⲁ ϫⲉ ⲉⲣⲉⲛⲉⲧʾⲃⲏⲕ ⲉϩⲟⲩⲛ ⲛⲁⲩ ⲉⲡⲟⲩⲟⲓ̈ⲛ.
34 ३४ तेरे शरीर का दीया तेरी आँख है, इसलिए जब तेरी आँख निर्मल है, तो तेरा सारा शरीर भी उजियाला है; परन्तु जब वह बुरी है, तो तेरा शरीर भी अंधेरा है।
ⲗ̅ⲇ̅ⲡϩⲏⲃⲥ̅ ⲙ̅ⲡⲥⲱⲙⲁ ⲡⲉ ⲡⲃⲁⲗ. ⲉϣⲱⲡⲉ ⲟⲩϩⲁⲡⲗⲟⲩⲥ ⲡⲉ ⲡⲉⲕⲃⲁⲗ ⲉⲓ̈ⲉ ⲟⲩⲟⲓ̈ⲛ ⲡⲉ ⲡⲉⲕⲥⲱⲙⲁ ⲧⲏⲣϥ̅. ⲉϣⲱⲡⲉ ⲇⲉ ⲟⲩⲡⲟⲛⲏⲣⲟⲥ ⲡⲉ ⲡⲉⲕⲃⲁⲗ. ⲡⲉⲕⲥⲱⲙⲁ ⲧⲏⲣϥ̅ ⲛⲁϣⲱⲡⲉ ⲉϥⲟ ⲛ̅ⲕⲁⲕⲉ.
35 ३५ इसलिए सावधान रहना, कि जो उजियाला तुझ में है वह अंधेरा न हो जाए।
ⲗ̅ⲉ̅ϭⲱϣⲧ̅ ϭⲉ ϫⲉ ⲙⲉϣⲁⲕ ⲡⲟⲩⲟⲓ̈ⲛ ⲉⲧⲛ̅ϩⲏⲧⲕ̅ ⲟⲩⲕⲁⲕⲉ ⲡⲉ.
36 ३६ इसलिए यदि तेरा सारा शरीर उजियाला हो, और उसका कोई भाग अंधेरा न रहे, तो सब का सब ऐसा उजियाला होगा, जैसा उस समय होता है, जब दीया अपनी चमक से तुझे उजाला देता है।”
ⲗ̅ⲋ̅ⲉϣϫⲉ ⲟⲩⲟⲓ̈ⲛ ϭⲉ ⲡⲉ ⲡⲉⲕⲥⲱⲙⲁ ⲧⲏⲣϥ̅ ⲉⲙⲙⲛ̅ⲗⲁⲁⲩ ⲙ̅ⲙⲉⲣⲟⲥ ⲛ̅ⲕⲁⲕⲉ ⲛ̅ϩⲏⲧϥ̅ ϥⲛⲁϣⲱⲡⲉ ⲟⲩⲟⲓ̈ⲛ ⲧⲏⲣϥ̅ ⲛ̅ⲑⲉ ⲉϣⲁⲣⲉⲫⲏⲃⲥ̅ ⲣ̅ⲟⲩⲟⲓ̈ⲛ ⲉⲣⲟⲕ ϩⲙ̅ⲡⲉϥϣⲁϩ·
37 ३७ जब वह बातें कर रहा था, तो किसी फरीसी ने उससे विनती की, कि मेरे यहाँ भोजन कर; और वह भीतर जाकर भोजन करने बैठा।
ⲗ̅ⲍ̅ϩⲙⲡⲧⲣⲉϥϣⲁϫⲉ ⲇⲉ ⲁⲩⲫⲁⲣⲓⲥⲥⲁⲓⲟⲥ ⲥⲉⲡⲥⲱⲡϥ̅ ϫⲉ ⲉϥⲉⲟⲩⲱⲙ ⲛⲙ̅ⲙⲁϥ. ⲁϥⲃⲱⲕ ⲇⲉ ⲉϩⲟⲩⲛ ⲁϥⲛⲟϫϥ̅.
38 ३८ फरीसी ने यह देखकर अचम्भा किया कि उसने भोजन करने से पहले हाथ-पैर नहीं धोये।
ⲗ̅ⲏ̅ⲛ̅ⲧⲉⲣⲉⲡⲉⲫⲁⲣⲓⲥⲥⲁⲓⲟⲥ ⲇⲉ ⲛⲁⲩ ⲁϥⲣ̅ϣⲡⲏⲣⲉ ϫⲉ ⲙ̅ⲡϥϩⲟⲣⲡϥ̅ ⲛ̅ϣⲟⲣⲡ̅ ⲉⲙⲡⲁⲧϥ̅ⲟⲩⲱⲙ.
39 ३९ प्रभु ने उससे कहा, “हे फरीसियों, तुम कटोरे और थाली को ऊपर-ऊपर तो माँजते हो, परन्तु तुम्हारे भीतर अंधेर और दुष्टता भरी है।
ⲗ̅ⲑ̅ⲡⲉϫⲉⲡϫⲟⲉⲓⲥ ⲇⲉ ⲛⲁϥ ϫⲉ. ⲧⲉⲛⲟⲩ ⲛ̅ⲧⲱⲧⲛ̅ ⲛⲉⲫⲁⲣⲓⲥⲥⲁⲓⲟⲥ ⲧⲉⲧⲛ̅ⲧⲃ̅ⲃⲟ ⲙ̅ⲡⲥⲁⲃⲃⲟⲗ ⲙ̅ⲡⲁⲡⲟⲧʾ ⲛⲙ̅ⲡ̅ⲡⲓⲛⲁⲝ. ⲡⲉⲧⲛ̅ⲥⲁⲛϩⲟⲩⲛ ⲇⲉ ⲙⲉϩ ⲛ̅ⲧⲱⲣⲡ̅ ϩⲓⲁⲕⲁⲑⲁⲣⲥⲓⲁ.
40 ४० हे निर्बुद्धियों, जिसने बाहर का भाग बनाया, क्या उसने भीतर का भाग नहीं बनाया?
ⲙ̅ⲛⲁⲑⲏⲧʾ. ⲙⲏ ⲡⲉⲛⲧⲁϥⲧⲁⲙⲓⲉⲡⲥⲁⲃⲃⲟⲗ. ⲛ̅ⲧⲟϥ ⲁⲛ ⲡⲉⲛⲧⲁϥⲧⲁⲙⲓⲉⲡⲥⲁⲛϩⲟⲩⲛ.
41 ४१ परन्तु हाँ, भीतरवाली वस्तुओं को दान कर दो, तब सब कुछ तुम्हारे लिये शुद्ध हो जाएगा।
ⲙ̅ⲁ̅ⲡⲗⲏⲛ ⲛ̅ⲑⲉ ⲉⲛⲧⲁⲥϣⲱⲡⲉ ϯⲙⲛ̅ⲧⲛ͡ⲁ ⲁⲩⲱ ⲓ̈ⲥϩⲏⲏⲧⲉ ⲥⲉⲟⲩⲁⲁⲃ ⲛⲏⲧⲛ̅ ⲧⲏⲣⲟⲩ.
42 ४२ “पर हे फरीसियों, तुम पर हाय! तुम पोदीने और सुदाब का, और सब भाँति के साग-पात का दसवाँ अंश देते हो, परन्तु न्याय को और परमेश्वर के प्रेम को टाल देते हो; चाहिए तो था कि इन्हें भी करते रहते और उन्हें भी न छोड़ते।
ⲙ̅ⲃ̅ⲁⲗⲗⲁ ⲟⲩⲟⲓ̈ ⲛⲏⲧⲛ̅ ⲛⲉⲫⲁⲣⲓⲥⲥⲁⲓⲟⲥ ϫⲉ ⲧⲉⲧⲛ̅ϯ ⲙ̅ⲡⲣⲉⲙⲏⲧʾ ⲙ̅ⲫⲁϭⲓⲛⲛ̅ⲥⲧⲟⲓ̈ ⲛⲙ̅ⲡⲃⲁϣⲟⲩϣ ⲛⲙ̅ⲟⲩⲟⲟⲧⲉ ⲛⲓⲙ ⲧⲉⲧⲛ̅ⲕⲱ ⲛ̅ⲥⲱⲧⲛ̅ ⲙ̅ⲡϩⲁⲡ ⲛⲙ̅ⲧⲁⲅⲁⲡⲏ ⲙ̅ⲡⲛⲟⲩⲧⲉ ⲛⲁⲓ̈ ⲇⲉ ⲉϣϣⲉ ⲉⲁⲁⲩ ⲉⲧⲙ̅ⲕⲁⲛⲉⲓ̈ⲕⲟⲟⲩⲉ ⲛ̅ⲥⲁⲧⲏⲟⲩⲧⲛ̅.
43 ४३ हे फरीसियों, तुम पर हाय! तुम आराधनालयों में मुख्य-मुख्य आसन और बाजारों में नमस्कार चाहते हो।
ⲙ̅ⲅ̅ⲟⲩⲟⲓ̈ ⲛⲏⲧⲛ̅ ⲛⲉⲫⲁⲣⲓⲥⲥⲁⲓⲟⲥ ϫⲉ ⲧⲉⲧⲛ̅ⲙⲉ ⲛⲙ̅ⲙⲁ ⲛⲉϩⲙⲟⲟⲥ ⲛϣⲟⲣⲡ̅ ϩⲛⲛ̅ⲥⲩⲛⲁⲅⲱⲅⲏ ⲁⲩⲱ ⲛⲁⲥⲡⲁⲥⲙⲟⲥ ϩⲛ̅ⲛ̅ⲁⲅⲟⲣⲁ.
44 ४४ हाय तुम पर! क्योंकि तुम उन छिपी कब्रों के समान हो, जिन पर लोग चलते हैं, परन्तु नहीं जानते।”
ⲙ̅ⲇ̅ⲟⲩⲟⲓ̈ ⲛⲏⲧⲛ̅ ϫⲉ ⲧⲉⲧⲛ̅ⲟ̅ ⲛ̅ⲑⲉ ⲛ̅ⲛⲓⲙϩⲁⲟⲩ ⲉⲧⲉⲛⲥⲉⲟⲩⲟⲛϩ̅ ⲉⲃⲟⲗ ⲁⲛ ⲉⲣⲉⲣⲣⲱⲙⲉ ⲙⲟⲟϣⲉ ϩⲓϫⲱⲟⲩ ⲉⲛⲥⲉⲥⲟⲟⲩⲛ ⲁⲛ.
45 ४५ तब एक व्यवस्थापक ने उसको उत्तर दिया, “हे गुरु, इन बातों के कहने से तू हमारी निन्दा करता है।”
ⲙ̅ⲉ̅ⲁⲟⲩⲁ ⲇⲉ ⲛⲛ̅ⲛⲟⲙⲓⲕⲟⲥ ⲟⲩⲱϣⲃ̅ ⲉϥϫⲱ ⲙ̅ⲙⲟⲥ ⲛⲁϥ ϫⲉ. ⲡⲥⲁϩ ⲛⲁⲓ̈ ⲉⲕϫⲱ ⲙ̅ⲙⲟⲟⲩ. ⲕⲥⲱϣ ϩⲱⲱⲛ ⲙ̅ⲙⲟⲛ.
46 ४६ उसने कहा, “हे व्यवस्थापकों, तुम पर भी हाय! तुम ऐसे बोझ जिनको उठाना कठिन है, मनुष्यों पर लादते हो परन्तु तुम आप उन बोझों को अपनी एक उँगली से भी नहीं छूते।
ⲙ̅ⲋ̅ⲛ̅ⲧⲟϥ ⲇⲉ ⲡⲉϫⲁϥ ⲛⲁⲩ ϫⲉ. ⲛ̅ⲧⲱⲧⲛ̅ ϩⲱⲧʾⲧⲏⲩⲧⲛ̅ ⲛ̅ⲛⲟⲙⲓⲕⲟⲥ ⲟⲩⲟⲓ̈ ⲛⲏⲧⲛ̅ ϫⲉ ⲧⲉⲧⲛ̅ⲧⲁⲗⲟ ⲛϩⲉⲛⲉⲧⲡⲱ ⲉⲩϩⲟⲣϣ̅ ⲉϫⲛ̅ⲣ̅ⲣⲱⲙⲉ ⲉⲛⲧⲉⲧⲛ̅ϫⲱϩ ⲁⲛ ⲉⲛⲉⲧⲡⲱ ⲟⲩⲁ ⲛⲛⲉⲧⲛ̅ⲧⲏⲏⲃⲉ.
47 ४७ हाय तुम पर! तुम उन भविष्यद्वक्ताओं की कब्रें बनाते हो, जिन्हें तुम्हारे पूर्वजों ने मार डाला था।
ⲙ̅ⲍ̅ⲟⲩⲟⲓ̈ ⲛⲏⲧⲛ̅ ϫⲉ ⲧⲉⲧⲛⲕⲱⲧʾ ⲛ̅ⲛⲉⲙϩⲁⲟⲩ ⲛ̅ⲛⲉⲡⲣⲟⲫⲏⲧⲏⲥ ⲛⲉⲧⲛ̅ⲉ͡ⲓⲟⲧⲉ ⲇⲉ ⲛⲉⲛⲧⲁⲩⲙⲟⲟⲩⲧⲟⲩ.
48 ४८ अतः तुम गवाह हो, और अपने पूर्वजों के कामों से सहमत हो; क्योंकि उन्होंने तो उन्हें मार डाला और तुम उनकी कब्रें बनाते हो।
ⲙ̅ⲏ̅ⲉⲓ̈ⲉ ⲧⲉⲧⲛ̅ⲣ̅ⲙⲛ̅ⲧⲣⲉ ⲁⲩⲱ ⲧⲉⲧⲛ̅ⲥⲩⲛⲉⲩⲇⲟϭⲓ ⲉⲛⲉϩⲃⲏⲩⲉ ⲛ̅ⲛⲉⲧⲛ̅ⲓ̈ⲟⲧⲉ ϫⲉ ⲛ̅ⲧⲟⲟⲩ ⲙⲉⲛ ⲁⲩⲙⲟⲟⲩⲧⲟⲩ ⲛ̅ⲧⲱⲧⲛ̅ ⲇⲉ ⲧⲉⲧⲛ̅ⲕⲱⲧʾ.
49 ४९ इसलिए परमेश्वर की बुद्धि ने भी कहा है, कि मैं उनके पास भविष्यद्वक्ताओं और प्रेरितों को भेजूँगी, और वे उनमें से कितनों को मार डालेंगे, और कितनों को सताएँगे।
ⲙ̅ⲑ̅ⲉⲧⲃⲉⲡⲁⲓ̈ ⲁⲧⲕⲉⲥⲟⲫⲓⲁ ⲙ̅ⲡⲛⲟⲩⲧⲉ ϫⲟⲟⲥ ϫⲉ ϯⲛⲁϫⲟⲟⲩ ⲛⲁⲩ ⲛ̅ϩⲉⲛⲡⲣⲟⲫⲏⲧⲏⲥ ⲛⲙ̅ϩⲉⲛⲁⲡⲟⲥⲧⲟⲗⲟⲥ ⲛ̅ⲥⲉⲙⲟⲩⲟⲩⲧʾ ⲉⲃⲟⲗ ⲛ̅ϩⲏⲧⲟⲩ ⲁⲩⲱ ⲛ̅ⲥⲉⲇⲓⲱⲕⲉ.
50 ५० ताकि जितने भविष्यद्वक्ताओं का लहू जगत की उत्पत्ति से बहाया गया है, सब का लेखा, इस युग के लोगों से लिया जाए,
ⲛ̅ϫⲉ ⲉⲩⲉϣⲓⲛⲉ ⲛ̅ⲥⲁⲡⲉⲥⲛⲟϥ ⲛⲛⲉⲡⲣⲟⲫⲏⲧⲏⲥ ⲧⲏⲣⲟⲩ ⲉⲛⲧⲁⲩⲡⲁϩⲧϥ̅ ⲉⲃⲟⲗ ϫⲓⲛⲧⲕⲁⲧⲁⲃⲟⲗⲏ ⲙⲡⲕⲟⲥⲙⲟⲥ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲓⲧⲟⲟⲧⲥ̅ ⲛ̅ⲧⲉⲓ̈ⲅⲉⲛⲉⲁ.
51 ५१ हाबिल की हत्या से लेकर जकर्याह की हत्या तक जो वेदी और मन्दिर के बीच में मारा गया: मैं तुम से सच कहता हूँ; उसका लेखा इसी समय के लोगों से लिया जाएगा।
ⲛ̅ⲁ̅ϫⲓⲛⲡⲉⲥⲛⲟϥ ⲛⲁⲃⲉⲗ ϣⲁⲡⲉⲥⲛⲟϥ ⲛ̅ⲍⲁⲭⲁⲣⲓⲁⲥ ⲡϣⲏⲣⲉ ⲃ̅ⲃⲁⲣⲁⲭⲓⲁⲥ. ⲡⲉⲛⲧⲁⲩⲧⲁⲕⲟϥ ⲛ̅ⲧⲙⲏⲧⲉ ⲙⲡⲉⲑⲩⲥⲓⲁⲥⲧⲏⲣⲓⲟⲛ ⲛⲙ̅ⲡⲏⲓ̈. ⲥⲉ ϯϫⲱ ⲙ̅ⲙⲟⲥ ⲛⲏⲧⲛ̅ ϫⲉ ⲥⲉⲛⲁϣⲓⲛⲉ ⲛ̅ⲥⲱϥ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲓⲧⲟⲟⲧⲥ̅ ⲛ̅ⲧⲉⲓ̈ⲅⲉⲛⲉⲁ.
52 ५२ हाय तुम व्यवस्थापकों पर! कि तुम नेज्ञान की कुँजीले तो ली, परन्तु तुम ने आप ही प्रवेश नहीं किया, और प्रवेश करनेवालों को भी रोक दिया।”
ⲛ̅ⲃ̅ⲟⲩⲟⲓ̈ ⲛⲏⲧⲛ̅ ⲛ̅ⲛⲟⲙⲓⲕⲟⲥ ϫⲉ ⲁⲧⲉⲧⲛ̅ϥⲓ ⲙⲡϣⲟϣⲧ̅ʾ ⲙ̅ⲡⲥⲟⲟⲩⲛ ⲙ̅ⲡⲉⲧⲛ̅ⲃⲱⲕ ⲉϩⲟⲩⲛ ⲁⲩⲱ ⲙⲡⲉⲧⲛ̅ⲕⲁⲛⲉⲧⲃⲏⲕ·
53 ५३ जब वह वहाँ से निकला, तो शास्त्री और फरीसी बहुत पीछे पड़ गए और छेड़ने लगे, कि वह बहुत सी बातों की चर्चा करे,
ⲛ̅ⲅ̅ⲁϥⲉ͡ⲓ ⲇⲉ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲙ̅ⲡⲙⲁ ⲉⲧⲙ̅ⲙⲁⲩ ⲁⲛⲉⲅⲣⲁⲙⲙⲁⲧⲉⲩⲥ ⲛⲙ̅ⲛⲉⲫⲁⲣⲓⲥⲥⲁⲓⲟⲥ ⲁⲣⲭⲓ ⲛ̅ⲛⲟⲩϭⲥ̅ ⲉⲣⲟϥ. ⲉⲧⲣⲉϥⲕⲁⲣⲱϥ ⲉⲧⲃⲉϩⲁϩ
54 ५४ और उसकी घात में लगे रहे, कि उसके मुँह की कोई बात पकड़ें।
ⲛ̅ⲇ̅ⲉⲩϭⲱⲣϭ̅ ⲉⲣⲟϥ ⲉϭⲟⲡϥ̅ ⲛ̅ⲟⲩϣⲁϫⲉ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲛ̅ⲣⲱϥ.

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