< लूका 11 >

1 फिर वह किसी जगह प्रार्थना कर रहा था। और जब वह प्रार्थना कर चुका, तो उसके चेलों में से एक ने उससे कहा, “हे प्रभु, जैसे यूहन्ना ने अपने चेलों को प्रार्थना करना सिखाया वैसे ही हमें भी तू सीखा दे।”
ܘܗܘܐ ܕܟܕ ܗܘ ܡܨܠܐ ܒܕܘܟܬܐ ܚܕܐ ܟܕ ܫܠܡ ܐܡܪ ܠܗ ܚܕ ܡܢ ܬܠܡܝܕܘܗܝ ܡܪܢ ܐܠܦܝܢ ܠܡܨܠܝܘ ܐܝܟܢܐ ܕܐܦ ܝܘܚܢܢ ܐܠܦ ܠܬܠܡܝܕܘܗܝ
2 उसने उनसे कहा, “जब तुम प्रार्थना करो, तो कहो: ‘हे पिता, तेरा नाम पवित्र माना जाए, तेरा राज्य आए।
ܐܡܪ ܠܗܘܢ ܝܫܘܥ ܐܡܬܝ ܕܡܨܠܝܢ ܐܢܬܘܢ ܗܟܢܐ ܗܘܝܬܘܢ ܐܡܪܝܢ ܐܒܘܢ ܕܒܫܡܝܐ ܢܬܩܕܫ ܫܡܟ ܬܐܬܐ ܡܠܟܘܬܟ ܢܗܘܐ ܨܒܝܢܟ ܐܝܟ ܕܒܫܡܝܐ ܐܦ ܒܐܪܥܐ
3 ‘हमारी दिन भर की रोटी हर दिन हमें दिया कर।
ܗܒ ܠܢ ܠܚܡܐ ܕܤܘܢܩܢܢ ܟܠܝܘܡ
4 ‘और हमारे पापों को क्षमा कर, क्योंकिहम भी अपने हर एक अपराधी को क्षमा करते हैं, और हमें परीक्षा में न ला।’”
ܘܫܒܘܩ ܠܢ ܚܛܗܝܢ ܐܦ ܐܢܚܢܢ ܓܝܪ ܫܒܩܢ ܠܟܠ ܕܚܝܒܝܢ ܠܢ ܘܠܐ ܬܥܠܢ ܠܢܤܝܘܢܐ ܐܠܐ ܦܪܘܩܝܢ ܡܢ ܒܝܫܐ
5 और उसने उनसे कहा, “तुम में से कौन है कि उसका एक मित्र हो, और वह आधी रात को उसके पास जाकर उससे कहे, ‘हे मित्र; मुझे तीन रोटियाँ दे।
ܘܐܡܪ ܠܗܘܢ ܡܢܘ ܡܢܟܘܢ ܕܐܝܬ ܠܗ ܪܚܡܐ ܘܢܐܙܠ ܠܘܬܗ ܒܦܠܓܘܬ ܠܠܝܐ ܘܢܐܡܪ ܠܗ ܪܚܡܝ ܐܫܐܠܝܢܝ ܬܠܬ ܓܪܝܨܢ
6 क्योंकि एक यात्री मित्र मेरे पास आया है, और उसके आगे रखने के लिये मेरे पास कुछ नहीं है।’
ܡܛܠ ܕܪܚܡܐ ܐܬܐ ܠܘܬܝ ܡܢ ܐܘܪܚܐ ܘܠܝܬ ܠܝ ܡܕܡ ܕܐܤܝܡ ܠܗ
7 और वह भीतर से उत्तर देता, कि मुझे दुःख न दे; अब तो द्वार बन्द है, और मेरे बालक मेरे पास बिछौने पर हैं, इसलिए मैं उठकर तुझे दे नहीं सकता।
ܘܗܘ ܪܚܡܗ ܡܢ ܠܓܘ ܢܥܢܐ ܘܢܐܡܪ ܠܗ ܠܐ ܬܗܪܝܢܝ ܕܗܐ ܬܪܥܐ ܐܚܝܕ ܗܘ ܘܒܢܝ ܥܡܝ ܒܥܪܤܐ ܠܐ ܡܫܟܚ ܐܢܐ ܕܐܩܘܡ ܘܐܬܠ ܠܟ
8 मैं तुम से कहता हूँ, यदि उसका मित्र होने पर भी उसे उठकर न दे, फिर भी उसके लज्जा छोड़कर माँगने के कारण उसे जितनी आवश्यकता हो उतनी उठकर देगा।
ܐܡܪ ܐܢܐ ܠܟܘܢ ܕܐܢ ܡܛܠ ܪܚܡܘܬܐ ܠܐ ܢܬܠ ܠܗ ܡܛܠ ܚܨܝܦܘܬܗ ܢܩܘܡ ܘܢܬܠ ܠܗ ܟܡܐ ܕܡܬܒܥܐ ܠܗ
9 और मैं तुम से कहता हूँ; कि माँगो, तो तुम्हें दिया जाएगा; ढूँढ़ो तो तुम पाओगे; खटखटाओ, तो तुम्हारे लिये खोला जाएगा।
ܐܦ ܐܢܐ ܐܡܪ ܐܢܐ ܠܟܘܢ ܫܐܠܘ ܘܢܬܝܗܒ ܠܟܘܢ ܒܥܘ ܘܬܫܟܚܘܢ ܩܘܫܘ ܘܢܬܦܬܚ ܠܟܘܢ
10 १० क्योंकि जो कोई माँगता है, उसे मिलता है; और जो ढूँढ़ता है, वह पाता है; और जो खटखटाता है, उसके लिये खोला जाएगा।
ܟܠ ܓܝܪ ܕܫܐܠ ܢܤܒ ܘܕܒܥܐ ܡܫܟܚ ܘܕܢܩܫ ܡܬܦܬܚ ܠܗ
11 ११ तुम में से ऐसा कौन पिता होगा, कि जब उसका पुत्र रोटी माँगे, तो उसे पत्थर दे: या मछली माँगे, तो मछली के बदले उसे साँप दे?
ܐܝܢܐ ܓܝܪ ܡܢܟܘܢ ܐܒܐ ܕܢܫܐܠܝܘܗܝ ܒܪܗ ܠܚܡܐ ܠܡܐ ܟܐܦܐ ܡܘܫܛ ܠܗ ܘܐܢ ܢܘܢܐ ܢܫܐܠܝܘܗܝ ܠܡܐ ܚܠܦ ܢܘܢܐ ܚܘܝܐ ܡܘܫܛ ܠܗ
12 १२ या अण्डा माँगे तो उसे बिच्छू दे?
ܘܐܢ ܒܪܬܐ ܢܫܐܠܝܘܗܝ ܠܡܐ ܗܘ ܥܩܪܒܐ ܡܘܫܛ ܠܗ
13 १३ अतः जब तुम बुरे होकर अपने बच्चों को अच्छी वस्तुएँ देना जानते हो, तो तुम्हारा स्वर्गीय पिता अपने माँगनेवालों को पवित्र आत्मा क्यों न देगा।”
ܘܐܢ ܐܢܬܘܢ ܕܒܝܫܐ ܐܝܬܝܟܘܢ ܝܕܥܝܢ ܐܢܬܘܢ ܡܘܗܒܬܐ ܛܒܬܐ ܠܡܬܠ ܠܒܢܝܟܘܢ ܟܡܐ ܝܬܝܪܐܝܬ ܐܒܘܟܘܢ ܡܢ ܫܡܝܐ ܢܬܠ ܪܘܚܐ ܕܩܘܕܫܐ ܠܐܝܠܝܢ ܕܫܐܠܝܢ ܠܗ
14 १४ फिर उसने एक गूँगी दुष्टात्मा को निकाला; जब दुष्टात्मा निकल गई, तो गूँगा बोलने लगा; और लोगों ने अचम्भा किया।
ܘܟܕ ܡܦܩ ܫܐܕܐ ܕܐܝܬܘܗܝ ܚܪܫܐ ܗܘܐ ܕܟܕ ܢܦܩ ܗܘ ܫܐܕܐ ܡܠܠ ܗܘ ܚܪܫܐ ܘܐܬܕܡܪܘ ܟܢܫܐ
15 १५ परन्तु उनमें से कितनों ने कहा, “यह तो दुष्टात्माओं के प्रधान शैतान की सहायता से दुष्टात्माओं को निकालता है।”
ܐܢܫܐ ܕܝܢ ܡܢܗܘܢ ܐܡܪܘ ܒܒܥܠܙܒܘܒ ܪܫܐ ܕܕܝܘܐ ܡܦܩ ܗܢܐ ܕܝܘܐ
16 १६ औरों ने उसकी परीक्षा करने के लिये उससे आकाश का एक चिन्ह माँगा।
ܐܚܪܢܐ ܕܝܢ ܟܕ ܡܢܤܝܢ ܠܗ ܐܬܐ ܡܢ ܫܡܝܐ ܫܐܠܝܢ ܗܘܘ ܠܗ
17 १७ परन्तु उसने, उनके मन की बातें जानकर, उनसे कहा, “जिस-जिस राज्य में फूट होती है, वह राज्य उजड़ जाता है; और जिस घर में फूट होती है, वह नाश हो जाता है।
ܝܫܘܥ ܕܝܢ ܕܝܕܥ ܗܘܐ ܡܚܫܒܬܗܘܢ ܐܡܪ ܠܗܘܢ ܟܠ ܡܠܟܘ ܕܬܬܦܠܓ ܥܠ ܢܦܫܗ ܬܚܪܒ ܘܒܝܬܐ ܕܥܠ ܩܢܘܡܗ ܡܬܦܠܓ ܢܦܠ
18 १८ और यदि शैतान अपना ही विरोधी हो जाए, तो उसका राज्य कैसे बना रहेगा? क्योंकि तुम मेरे विषय में तो कहते हो, कि यह शैतान की सहायता से दुष्टात्मा निकालता है।
ܘܐܢ ܤܛܢܐ ܥܠ ܢܦܫܗ ܐܬܦܠܓ ܐܝܟܢܐ ܬܩܘܡ ܡܠܟܘܬܗ ܕܐܡܪܝܢ ܐܢܬܘܢ ܕܒܒܥܠܙܒܘܒ ܡܦܩ ܐܢܐ ܕܝܘܐ
19 १९ भला यदि मैं शैतान की सहायता से दुष्टात्माओं को निकालता हूँ, तो तुम्हारी सन्तान किसकी सहायता से निकालते हैं? इसलिए वे ही तुम्हारा न्याय चुकाएँगे।
ܘܐܢ ܐܢܐ ܒܒܥܠܙܒܘܒ ܡܦܩ ܐܢܐ ܕܝܘܐ ܒܢܝܟܘܢ ܒܡܢܐ ܡܦܩܝܢ ܡܛܠ ܗܢܐ ܗܢܘܢ ܢܗܘܘܢ ܠܟܘܢ ܕܝܢܐ
20 २० परन्तु यदि मैं परमेश्वर की सामर्थ्य से दुष्टात्माओं को निकालता हूँ, तो परमेश्वर का राज्य तुम्हारे पास आ पहुँचा।
ܐܢ ܕܝܢ ܒܨܒܥܐ ܕܐܠܗܐ ܡܦܩ ܐܢܐ ܕܝܘܐ ܩܪܒܬ ܠܗ ܥܠܝܟܘܢ ܡܠܟܘܬܗ ܕܐܠܗܐ
21 २१ जब बलवन्त मनुष्य हथियार बाँधे हुए अपने घर की रखवाली करता है, तो उसकी सम्पत्ति बची रहती है।
ܐܡܬܝ ܕܚܤܝܢܐ ܟܕ ܡܙܝܢ ܢܛܪ ܕܪܬܗ ܒܫܝܢܐ ܗܘ ܩܢܝܢܗ
22 २२ पर जब उससे बढ़कर कोई और बलवन्त चढ़ाई करके उसे जीत लेता है, तो उसके वे हथियार जिन पर उसका भरोसा था, छीन लेता है और उसकी सम्पत्ति लूटकर बाँट देता है।
ܐܢ ܕܝܢ ܢܐܬܐ ܡܢ ܕܚܤܝܢ ܡܢܗ ܢܙܟܝܘܗܝ ܟܠܗ ܙܝܢܗ ܫܩܠ ܗܘ ܕܬܟܝܠ ܗܘܐ ܥܠܘܗܝ ܘܒܙܬܗ ܡܦܠܓ
23 २३ जो मेरे साथ नहीं वह मेरे विरोध में है, और जो मेरे साथ नहीं बटोरता वह बिखेरता है।
ܡܢ ܕܠܐ ܗܘܐ ܥܡܝ ܠܘܩܒܠܝ ܗܘ ܘܡܢ ܕܠܐ ܟܢܫ ܥܡܝ ܡܒܕܪܘ ܡܒܕܪ
24 २४ “जब अशुद्ध आत्मा मनुष्य में से निकल जाती है तो सूखी जगहों में विश्राम ढूँढ़ती फिरती है, और जब नहीं पाती तो कहती है, कि मैं अपने उसी घर में जहाँ से निकली थी लौट जाऊँगी।
ܪܘܚܐ ܛܢܦܬܐ ܡܐ ܕܢܦܩܬ ܡܢ ܒܪ ܐܢܫܐ ܐܙܠܐ ܡܬܟܪܟܐ ܒܐܬܪܘܬܐ ܕܡܝܐ ܠܝܬ ܒܗܘܢ ܕܬܒܥܐ ܠܗ ܢܝܚܐ ܘܡܐ ܕܠܐ ܐܫܟܚܬ ܐܡܪܐ ܐܗܦܘܟ ܠܒܝܬܝ ܐܝܡܟܐ ܕܢܦܩܬ
25 २५ और आकर उसे झाड़ा-बुहारा और सजा-सजाया पाती है।
ܘܐܢ ܐܬܬ ܐܫܟܚܬܗ ܕܚܡܝܡ ܘܡܨܒܬ
26 २६ तब वह आकर अपने से और बुरी सात आत्माओं को अपने साथ ले आती है, और वे उसमें समाकर वास करती हैं, और उस मनुष्य की पिछली दशा पहले से भी बुरी हो जाती है।”
ܗܝܕܝܢ ܐܙܠܐ ܕܒܪܐ ܫܒܥ ܪܘܚܝܢ ܐܚܪܢܝܢ ܕܒܝܫܢ ܡܢܗ ܘܥܐܠܢ ܘܥܡܪܢ ܬܡܢ ܘܗܘܝܐ ܚܪܬܗ ܕܒܪܢܫܐ ܗܘ ܒܝܫܐ ܡܢ ܩܕܡܝܬܗ
27 २७ जब वह ये बातें कह ही रहा था तो भीड़ में से किसी स्त्री ने ऊँचे शब्द से कहा, “धन्य है वह गर्भ जिसमें तू रहा और वे स्तन, जो तूने चूसे।”
ܘܟܕ ܗܠܝܢ ܡܡܠܠ ܗܘܐ ܐܪܝܡܬ ܐܢܬܬܐ ܚܕܐ ܩܠܗ ܡܢ ܟܢܫܐ ܘܐܡܪܬ ܠܗ ܛܘܒܝܗ ܠܟܪܤܐ ܕܛܥܢܬܟ ܘܠܬܕܝܐ ܕܐܝܢܩܘܟ
28 २८ उसने कहा, “हाँ; परन्तु धन्य वे हैं, जो परमेश्वर का वचन सुनते और मानते हैं।”
ܐܡܪ ܠܗ ܗܘ ܛܘܒܝܗܘܢ ܠܐܝܠܝܢ ܕܫܡܥܘ ܡܠܬܗ ܕܐܠܗܐ ܘܢܛܪܝܢ ܠܗ
29 २९ जब बड़ी भीड़ इकट्ठी होती जाती थी तो वह कहने लगा, “इस युग के लोग बुरे हैं; वे चिन्ह ढूँढ़ते हैं; पर योना के चिन्ह को छोड़ कोई और चिन्ह उन्हें न दिया जाएगा।
ܘܟܕ ܡܬܟܢܫܝܢ ܗܘܘ ܟܢܫܐ ܫܪܝ ܠܡܐܡܪ ܫܪܒܬܐ ܗܕܐ ܒܝܫܬܐ ܐܬܐ ܒܥܝܐ ܘܐܬܐ ܠܐ ܬܬܝܗܒ ܠܗ ܐܠܐ ܐܬܗ ܕܝܘܢܢ ܢܒܝܐ
30 ३० जैसा योना नीनवे के लोगों के लिये चिन्ह ठहरा, वैसा ही मनुष्य का पुत्र भी इस युग के लोगों के लिये ठहरेगा।
ܐܝܟܢܐ ܓܝܪ ܕܗܘܐ ܝܘܢܢ ܐܬܐ ܠܢܝܢܘܝܐ ܗܟܢܐ ܢܗܘܐ ܐܦ ܒܪܗ ܕܐܢܫܐ ܠܫܪܒܬܐ ܗܕܐ
31 ३१ दक्षिण की रानी न्याय के दिन इस समय के मनुष्यों के साथ उठकर, उन्हें दोषी ठहराएगी, क्योंकि वह सुलैमान का ज्ञान सुनने को पृथ्वी की छोर से आई, और देखो यहाँ वह है जो सुलैमान से भी बड़ा है।
ܡܠܟܬܐ ܕܬܝܡܢܐ ܬܩܘܡ ܒܕܝܢܐ ܥܡ ܐܢܫܐ ܕܫܪܒܬܐ ܗܕܐ ܘܬܚܝܒ ܐܢܘܢ ܕܐܬܬ ܡܢ ܥܒܪܝܗ ܕܐܪܥܐ ܕܬܫܡܥ ܚܟܡܬܗ ܕܫܠܝܡܘܢ ܘܗܐ ܕܝܬܝܪ ܡܢ ܫܠܝܡܘܢ ܗܪܟܐ
32 ३२ नीनवे के लोग न्याय के दिन इस समय के लोगों के साथ खड़े होकर, उन्हें दोषी ठहराएँगे; क्योंकि उन्होंने योना का प्रचार सुनकर मन फिराया और देखो, यहाँ वह है, जो योना से भी बड़ा है।
ܓܒܪܐ ܢܝܢܘܝܐ ܢܩܘܡܘܢ ܒܕܝܢܐ ܥܡ ܫܪܒܬܐ ܗܕܐ ܘܢܚܝܒܘܢܗ ܕܬܒܘ ܒܟܪܘܙܘܬܗ ܕܝܘܢܢ ܘܗܐ ܕܝܬܝܪ ܡܢ ܝܘܢܢ ܗܪܟܐ
33 ३३ “कोई मनुष्य दीया जला के तलघर में, या पैमाने के नीचे नहीं रखता, परन्तु दीवट पर रखता है कि भीतर आनेवाले उजियाला पाएँ।
ܠܐ ܐܢܫ ܡܢܗܪ ܫܪܓܐ ܘܤܐܡ ܠܗ ܒܟܤܝܐ ܐܘ ܬܚܝܬ ܤܐܬܐ ܐܠܐ ܠܥܠ ܡܢ ܡܢܪܬܐ ܕܐܝܠܝܢ ܕܥܐܠܝܢ ܢܚܙܘܢ ܢܘܗܪܗ
34 ३४ तेरे शरीर का दीया तेरी आँख है, इसलिए जब तेरी आँख निर्मल है, तो तेरा सारा शरीर भी उजियाला है; परन्तु जब वह बुरी है, तो तेरा शरीर भी अंधेरा है।
ܫܪܓܗ ܕܦܓܪܟ ܐܝܬܝܗ ܥܝܢܟ ܐܡܬܝ ܗܟܝܠ ܕܥܝܢܟ ܦܫܝܛܐ ܐܦ ܟܠܗ ܦܓܪܟ ܢܗܘܐ ܢܗܝܪ ܐܢ ܕܝܢ ܬܗܘܐ ܒܝܫܐ ܘܐܦ ܦܓܪܟ ܢܗܘܐ ܚܫܘܟ
35 ३५ इसलिए सावधान रहना, कि जो उजियाला तुझ में है वह अंधेरा न हो जाए।
ܐܙܕܗܪ ܗܟܝܠ ܕܠܡܐ ܢܘܗܪܐ ܕܒܟ ܚܫܘܟܐ ܗܘ
36 ३६ इसलिए यदि तेरा सारा शरीर उजियाला हो, और उसका कोई भाग अंधेरा न रहे, तो सब का सब ऐसा उजियाला होगा, जैसा उस समय होता है, जब दीया अपनी चमक से तुझे उजाला देता है।”
ܐܢ ܕܝܢ ܦܓܪܟ ܟܠܗ ܢܗܝܪ ܘܠܝܬ ܒܗ ܡܢܬܐ ܡܕܡ ܚܫܘܟܐ ܢܗܘܐ ܡܢܗܪ ܟܠܗ ܐܝܟ ܕܫܪܓܐ ܒܕܠܩܗ ܡܢܗܪ ܠܟ
37 ३७ जब वह बातें कर रहा था, तो किसी फरीसी ने उससे विनती की, कि मेरे यहाँ भोजन कर; और वह भीतर जाकर भोजन करने बैठा।
ܟܕ ܕܝܢ ܡܡܠܠ ܒܥܐ ܡܢܗ ܦܪܝܫܐ ܚܕ ܕܢܫܬܪܐ ܠܘܬܗ ܘܥܠ ܐܤܬܡܟ
38 ३८ फरीसी ने यह देखकर अचम्भा किया कि उसने भोजन करने से पहले हाथ-पैर नहीं धोये।
ܗܘ ܕܝܢ ܦܪܝܫܐ ܟܕ ܚܙܝܗܝ ܐܬܕܡܪ ܕܠܐ ܠܘܩܕܡ ܥܡܕ ܡܢ ܩܕܡ ܫܪܘܬܗ
39 ३९ प्रभु ने उससे कहा, “हे फरीसियों, तुम कटोरे और थाली को ऊपर-ऊपर तो माँजते हो, परन्तु तुम्हारे भीतर अंधेर और दुष्टता भरी है।
ܐܡܪ ܠܗ ܕܝܢ ܝܫܘܥ ܗܫܐ ܐܢܬܘܢ ܦܪܝܫܐ ܒܪܗ ܕܟܤܐ ܘܕܦܝܢܟܐ ܡܕܟܝܢ ܐܢܬܘܢ ܠܓܘ ܡܢܟܘܢ ܕܝܢ ܡܠܐ ܚܛܘܦܝܐ ܘܒܝܫܬܐ
40 ४० हे निर्बुद्धियों, जिसने बाहर का भाग बनाया, क्या उसने भीतर का भाग नहीं बनाया?
ܚܤܝܪܝ ܪܥܝܢܐ ܠܐ ܗܘܐ ܡܢ ܕܥܒܕ ܕܠܒܪ ܘܕܠܓܘ ܗܘ ܥܒܕ
41 ४१ परन्तु हाँ, भीतरवाली वस्तुओं को दान कर दो, तब सब कुछ तुम्हारे लिये शुद्ध हो जाएगा।
ܒܪܡ ܡܕܡ ܕܐܝܬ ܗܒܘܗܝ ܒܙܕܩܬܐ ܘܗܐ ܟܠܡܕܡ ܕܟܐ ܗܘ ܠܟܘܢ
42 ४२ “पर हे फरीसियों, तुम पर हाय! तुम पोदीने और सुदाब का, और सब भाँति के साग-पात का दसवाँ अंश देते हो, परन्तु न्याय को और परमेश्वर के प्रेम को टाल देते हो; चाहिए तो था कि इन्हें भी करते रहते और उन्हें भी न छोड़ते।
ܐܠܐ ܘܝ ܠܟܘܢ ܦܪܝܫܐ ܕܡܥܤܪܝܢ ܐܢܬܘܢ ܢܢܥܐ ܘܦܓܢܐ ܘܟܠ ܝܘܪܩ ܘܥܒܪܝܢ ܐܢܬܘܢ ܥܠ ܕܝܢܐ ܘܥܠ ܚܘܒܐ ܕܐܠܗܐ ܗܠܝܢ ܕܝܢ ܘܠܐ ܗܘܐ ܕܬܥܒܕܘܢ ܘܗܠܝܢ ܠܐ ܬܫܒܩܘܢ
43 ४३ हे फरीसियों, तुम पर हाय! तुम आराधनालयों में मुख्य-मुख्य आसन और बाजारों में नमस्कार चाहते हो।
ܘܝ ܠܟܘܢ ܦܪܝܫܐ ܕܪܚܡܝܢ ܐܢܬܘܢ ܪܝܫ ܡܘܬܒܐ ܒܟܢܘܫܬܐ ܘܫܠܡܐ ܒܫܘܩܐ
44 ४४ हाय तुम पर! क्योंकि तुम उन छिपी कब्रों के समान हो, जिन पर लोग चलते हैं, परन्तु नहीं जानते।”
ܘܝ ܠܟܘܢ ܤܦܪܐ ܘܦܪܝܫܐ ܢܤܒܝ ܒܐܦܐ ܕܐܝܬܝܟܘܢ ܐܝܟ ܩܒܪܐ ܕܠܐ ܝܕܝܥܝܢ ܘܒܢܝ ܐܢܫܐ ܡܗܠܟܝܢ ܥܠܝܗܘܢ ܘܠܐ ܝܕܥܝܢ
45 ४५ तब एक व्यवस्थापक ने उसको उत्तर दिया, “हे गुरु, इन बातों के कहने से तू हमारी निन्दा करता है।”
ܘܥܢܐ ܚܕ ܡܢ ܤܦܪܐ ܘܐܡܪ ܠܗ ܡܠܦܢܐ ܟܕ ܗܠܝܢ ܐܡܪ ܐܢܬ ܐܦ ܠܢ ܡܨܥܪ ܐܢܬ
46 ४६ उसने कहा, “हे व्यवस्थापकों, तुम पर भी हाय! तुम ऐसे बोझ जिनको उठाना कठिन है, मनुष्यों पर लादते हो परन्तु तुम आप उन बोझों को अपनी एक उँगली से भी नहीं छूते।
ܗܘ ܕܝܢ ܐܡܪ ܐܦ ܠܟܘܢ ܤܦܪܐ ܘܝ ܕܡܛܥܢܝܢ ܐܢܬܘܢ ܠܒܢܝ ܐܢܫܐ ܡܘܒܠܐ ܝܩܝܪܬܐ ܘܐܢܬܘܢ ܒܚܕܐ ܡܢ ܨܒܥܬܟܘܢ ܠܐ ܩܪܒܝܢ ܐܢܬܘܢ ܠܗܝܢ ܠܡܘܒܠܐ
47 ४७ हाय तुम पर! तुम उन भविष्यद्वक्ताओं की कब्रें बनाते हो, जिन्हें तुम्हारे पूर्वजों ने मार डाला था।
ܘܝ ܠܟܘܢ ܕܒܢܝܢ ܐܢܬܘܢ ܩܒܪܐ ܕܢܒܝܐ ܕܐܒܗܝܟܘܢ ܩܛܠܘ ܐܢܘܢ
48 ४८ अतः तुम गवाह हो, और अपने पूर्वजों के कामों से सहमत हो; क्योंकि उन्होंने तो उन्हें मार डाला और तुम उनकी कब्रें बनाते हो।
ܤܗܕܝܢ ܐܢܬܘܢ ܗܟܝܠ ܘܨܒܝܢ ܐܢܬܘܢ ܒܥܒܕܐ ܕܐܒܗܝܟܘܢ ܕܗܢܘܢ ܩܛܠܘ ܐܢܘܢ ܘܐܢܬܘܢ ܒܢܝܢ ܐܢܬܘܢ ܩܒܪܝܗܘܢ
49 ४९ इसलिए परमेश्वर की बुद्धि ने भी कहा है, कि मैं उनके पास भविष्यद्वक्ताओं और प्रेरितों को भेजूँगी, और वे उनमें से कितनों को मार डालेंगे, और कितनों को सताएँगे।
ܡܛܠ ܗܢܐ ܐܦ ܚܟܡܬܐ ܕܐܠܗܐ ܐܡܪܬ ܕܗܐ ܐܢܐ ܐܫܕܪ ܠܗܘܢ ܢܒܝܐ ܘܫܠܝܚܐ ܡܢܗܘܢ ܢܪܕܦܘܢ ܘܢܩܛܠܘܢ
50 ५० ताकि जितने भविष्यद्वक्ताओं का लहू जगत की उत्पत्ति से बहाया गया है, सब का लेखा, इस युग के लोगों से लिया जाए,
ܕܢܬܬܒܥ ܕܡܐ ܕܟܠܗܘܢ ܢܒܝܐ ܕܐܬܐܫܕ ܡܢ ܕܐܬܒܪܝ ܥܠܡܐ ܡܢ ܫܪܒܬܐ ܗܕܐ
51 ५१ हाबिल की हत्या से लेकर जकर्याह की हत्या तक जो वेदी और मन्दिर के बीच में मारा गया: मैं तुम से सच कहता हूँ; उसका लेखा इसी समय के लोगों से लिया जाएगा।
ܡܢ ܕܡܗ ܕܗܒܝܠ ܥܕܡܐ ܠܕܡܗ ܕܙܟܪܝܐ ܗܘ ܕܐܬܩܛܠ ܒܝܢܝ ܗܝܟܠܐ ܠܡܕܒܚܐ ܐܝܢ ܐܡܪ ܐܢܐ ܠܟܘܢ ܕܡܬܬܒܥ ܡܢ ܫܪܒܬܐ ܗܕܐ
52 ५२ हाय तुम व्यवस्थापकों पर! कि तुम नेज्ञान की कुँजीले तो ली, परन्तु तुम ने आप ही प्रवेश नहीं किया, और प्रवेश करनेवालों को भी रोक दिया।”
ܘܝ ܠܟܘܢ ܤܦܪܐ ܕܫܩܠܬܘܢ ܩܠܝܕܐ ܕܝܕܥܬܐ ܐܢܬܘܢ ܠܐ ܥܠܬܘܢ ܘܠܐܝܠܝܢ ܕܥܐܠܝܢ ܟܠܝܬܘܢ
53 ५३ जब वह वहाँ से निकला, तो शास्त्री और फरीसी बहुत पीछे पड़ गए और छेड़ने लगे, कि वह बहुत सी बातों की चर्चा करे,
ܘܟܕ ܗܠܝܢ ܐܡܪ ܗܘܐ ܠܗܘܢ ܫܪܝܘ ܤܦܪܐ ܘܦܪܝܫܐ ܡܬܒܐܫ ܠܗܘܢ ܘܡܬܚܡܬܝܢ ܘܡܬܟܤܝܢ ܡܠܘܗܝ
54 ५४ और उसकी घात में लगे रहे, कि उसके मुँह की कोई बात पकड़ें।
ܘܢܟܠܝܢ ܠܗ ܒܤܓܝܐܬܐ ܟܕ ܒܥܝܢ ܠܡܐܚܕ ܡܕܡ ܡܢ ܦܘܡܗ ܕܢܫܟܚܘܢ ܢܐܟܠܘܢ ܩܪܨܘܗܝ

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