< लूका 1 >
1 १ बहुतों ने उन बातों का जो हमारे बीच में बीती हैं, इतिहास लिखने में हाथ लगाया है।
प्रिय थियुफिलुस: बहुत सो न उन बातों ख जो हमरो बीच म बीती हंय, इतिहास लिखन म हाथ लगायो हय।
2 २ जैसा कि उन्होंने जो पहले ही से इन बातों के देखनेवाले और वचन के सेवक थे हम तक पहुँचाया।
जसो कि उन्न जो पहले सीच इन बातों ख देखन वालो अऊर सुसमाचार को प्रचार करन वालो न, हम तक पहुंचायो।
3 ३ इसलिए हे श्रीमान थियुफिलुस मुझे भी यह उचित मालूम हुआ कि उन सब बातों का सम्पूर्ण हाल आरम्भ से ठीक-ठीक जाँच करके उन्हें तेरे लिये क्रमानुसार लिखूँ,
अऊर येकोलायी, मान्यवर थियुफिलुस मोख भी यो ठीक मालूम भयो कि उन सब बातों को पूरो हाल सुरूवात सी ठीक-ठीक जांच कर क्, उन्ख तोरो लायी एक को बाद एक लिखूं।
4 ४ कि तू यह जान ले, कि वे बातें जिनकी तूने शिक्षा पाई है, कैसी अटल हैं।
मय असो येकोलायी कहू हय कि तोख हर वा चिज को बारे म पूरी सच्चायी मालूम होय जाये जो तोख सिखायी गयी हय।
5 ५ यहूदिया के राजा हेरोदेस के समय अबिय्याह के दल में जकर्याह नाम का एक याजक था, और उसकी पत्नी हारून के वंश की थी, जिसका नाम एलीशिबा था।
यहूदिया को राजा हेरोदेस को समय अबिय्याह को दल म जकर्याह नाम को एक याजक होतो। अऊर ओकी पत्नी हारून को वंश की होती; जेको नाम इलीशिबा होतो।
6 ६ और वे दोनों परमेश्वर के सामने धर्मी थे, और प्रभु की सारी आज्ञाओं और विधियों पर निर्दोष चलनेवाले थे।
हि दोयी परमेश्वर को आगु सच्चो होतो, अऊर प्रभु की पूरी आज्ञावों अऊर पूरी विधियों पर निर्दोष चलन वालो होतो।
7 ७ उनके कोई सन्तान न थी, क्योंकि एलीशिबा बाँझ थी, और वे दोनों बूढ़े थे।
उन्की कोयी भी सन्तान नहीं होती, कहालीकि इलीशिबा बांझ होती, अऊर हि दोयी बूढ्ढा होतो।
8 ८ जब वह अपने दल की पारी पर परमेश्वर के सामने याजक का काम करता था।
जब ऊ मन्दिर म अपनो दल की पारी पर परमेश्वर को आगु याजक को काम करत होतो,
9 ९ तो याजकों की रीति के अनुसार उसके नाम पर चिट्ठी निकली, कि प्रभु के मन्दिर में जाकर धूप जलाए।
त याजकों की रीति को अनुसार ओको नाम की चिट्ठी निकली कि प्रभु को मन्दिर म जाय क धूप जलायेंन।
10 १० और धूप जलाने के समय लोगों की सारी मण्डली बाहर प्रार्थना कर रही थी।
धूप जलावन को समय लोगों की पूरी मण्डली बाहेर प्रार्थना कर रही होती।
11 ११ कि प्रभु का एक स्वर्गदूत धूप की वेदी की दाहिनी ओर खड़ा हुआ उसको दिखाई दिया।
ऊ समय प्रभु को एक स्वर्गदूत धूप की वेदी को दायो तरफ जकर्याह ख प्रगट भयो दिखायी दियो।
12 १२ और जकर्याह देखकर घबराया और उस पर बड़ा भय छा गया।
जकर्याह देख क घबरायो अऊर ओको पर बड़ो डर छाय गयो।
13 १३ परन्तु स्वर्गदूत ने उससे कहा, “हे जकर्याह, भयभीत न हो क्योंकि तेरी प्रार्थना सुन ली गई है और तेरी पत्नी एलीशिबा से तेरे लिये एक पुत्र उत्पन्न होगा, और तू उसका नाम यूहन्ना रखना।
पर स्वर्गदूत न ओको सी कह्यो, “हे जकर्याह, डरू मत! कहालीकि तोरी प्रार्थना सुन लियो हय, अऊर तोरी पत्नी इलीशिबा सी तोरो लायी एक बेटा पैदा होयेंन। अऊर तय ओको नाम यूहन्ना रखजो।
14 १४ और तुझे आनन्द और हर्ष होगा और बहुत लोग उसके जन्म के कारण आनन्दित होंगे।
अऊर तोख बहुत खुशी होयेंन, अऊर बहुत लोग ओको जनम को वजह खुश होयेंन!
15 १५ क्योंकि वह प्रभु के सामने महान होगा; और दाखरस और मदिरा कभी न पीएगा; और अपनी माता के गर्भ ही से पवित्र आत्मा से परिपूर्ण हो जाएगा।
कहालीकि ऊ प्रभु को आगु महान होयेंन; अऊर नशा वालो अंगूररस अऊर मदिरा कभी नहीं पीयेंन; अऊर अपनी माय को गर्भ सीच पवित्र आत्मा सी परिपूर्ण होय जायेंन;
16 १६ और इस्राएलियों में से बहुतों को उनके प्रभु परमेश्वर की ओर फेरेगा।
अऊर इस्राएलियों म सी बहुत सो ख उन्को प्रभु परमेश्वर को तरफ वापस लायेंन।
17 १७ वह एलिय्याह की आत्मा और सामर्थ्य में होकर उसके आगे-आगे चलेगा, कि पिताओं का मन बाल-बच्चों की ओर फेर दे; और आज्ञा न माननेवालों को धर्मियों की समझ पर लाए; और प्रभु के लिये एक योग्य प्रजा तैयार करे।”
ऊ नबी एलिय्याह को जसो आत्मा अऊर सामर्थ म होय क प्रभु सी आगु निकल जायेंन। कि बाप को मन बाल-बच्चां को तरफ घुमाय देयेंन; अऊर आज्ञा नहीं मानन वालो ख धर्मियों की समझ पर लाये; अऊर प्रभु लायी एक लायक प्रजा तैयार करेंन।”
18 १८ जकर्याह ने स्वर्गदूत से पूछा, “यह मैं कैसे जानूँ? क्योंकि मैं तो बूढ़ा हूँ; और मेरी पत्नी भी बूढ़ी हो गई है।”
जकर्याह न स्वर्गदूत सी पुच्छ्यो, “यो मय कसो जानु? कहालीकि मय त बूढ्ढा हय; अऊर मोरी पत्नी भी बूढ्ढी होय गयी हय।”
19 १९ स्वर्गदूत ने उसको उत्तर दिया, “मैं गब्रिएल हूँ, जो परमेश्वर के सामने खड़ा रहता हूँ; और मैं तुझ से बातें करने और तुझे यह सुसमाचार सुनाने को भेजा गया हूँ।
स्वर्गदूत न ओख उत्तर दियो, “मय जिब्राईल आय, जो परमेश्वर को आगु खड़ो रहू हय; अऊर मय तोरो सी बाते करन अऊर तोख यो सुसमाचार सुनावन लायी भेज्यो गयो हय।
20 २० और देख, जिस दिन तक ये बातें पूरी न हो लें, उस दिन तक तू मौन रहेगा, और बोल न सकेगा, इसलिए कि तूने मेरी बातों की जो अपने समय पर पूरी होंगी, विश्वास न किया।”
देख, जब तक या बाते पूरी नहीं होय, तब तक तय मुक्का रहजो अऊर बोल नहीं सकजो, कहालीकि तय न मोरी बातों ख जो अपनो समय पर पूरी होन वाली होती, ओको पर विश्वास नहीं करयो।”
21 २१ लोग जकर्याह की प्रतीक्षा करते रहे और अचम्भा करने लगे कि उसे मन्दिर में ऐसी देर क्यों लगी?
लोग जकर्याह की रस्ता देखतच रह्यो अऊर अचम्भा करन लग्यो कि ओख मन्दिर म इतनी देर कहाली लगी।
22 २२ जब वह बाहर आया, तो उनसे बोल न सका अतः वे जान गए, कि उसने मन्दिर में कोई दर्शन पाया है; और वह उनसे संकेत करता रहा, और गूँगा रह गया।
जब ऊ बाहेर आयो, त ओन उन्को सी बात नहीं कर सक्यो: येकोलायी हि जान गयो कि ओन मन्दिर म कोयी दर्शन पायो हय; अऊर ऊ अपनो हाथों सी उन्ख इशारा करतो रह्यो, अऊर मुक्का बन गयो।
23 २३ जब उसकी सेवा के दिन पूरे हुए, तो वह अपने घर चला गया।
जब जकर्याह को मन्दिर म को सेवा को दिन पूरो भयो, त ऊ अपनो घर चली गयो।
24 २४ इन दिनों के बाद उसकी पत्नी एलीशिबा गर्भवती हुई; और पाँच महीने तक अपने आपको यह कह के छिपाए रखा।
ऊ दिन को बाद सी ओकी पत्नी इलीशिबा गर्भवती भयी; अऊर पाच महीना तक अपनो आप ख यो कह्य क लूकाय क रख्यो,
25 २५ “मनुष्यों में मेरा अपमान दूर करने के लिये प्रभु ने इन दिनों में कृपादृष्टि करके मेरे लिये ऐसा किया है।”
“आदमियों म मोरो अपमान को दूर करन लायी, प्रभु न इन दिनो म दयादृष्टि कर क् मोरो लायी असो करयो हय।”
26 २६ छठवें महीने में परमेश्वर की ओर से गब्रिएल स्वर्गदूत गलील के नासरत नगर में,
इलीशिबा को गर्भ धारन को छठवो महीना म परमेश्वर को तरफ सी जिब्राईल स्वर्गदूत, गलील को नासरत नगर म,
27 २७ एक कुँवारी के पास भेजा गया। जिसकी मंगनी यूसुफ नाम दाऊद के घराने के एक पुरुष से हुई थी: उस कुँवारी का नाम मरियम था।
एक कुंवारी को जवर भेज्यो गयो जेकी मंगनी यूसुफ नाम को दाऊद को घराना को एक पुरुष सी भयी होती: वा कुंवारी को नाम मरियम होतो।
28 २८ और स्वर्गदूत ने उसके पास भीतर आकर कहा, “आनन्द और जय तेरी हो, जिस पर परमेश्वर का अनुग्रह हुआ है! प्रभु तेरे साथ है!”
स्वर्गदूत न ओको जवर अन्दर आय क कह्यो, “खुशी अऊर आशीर्वाद तोरो संग हय, जेक पर ईश्वर को अनुग्रह भयो हय! प्रभु तोरो संग हय!”
29 २९ वह उस वचन से बहुत घबरा गई, और सोचने लगी कि यह किस प्रकार का अभिवादन है?
मरियम ऊ वचन सी बहुत परेशान भय गयी, अऊर सोचन लगी कि यो कसो तरह को अभिवादन आय?
30 ३० स्वर्गदूत ने उससे कहा, “हे मरियम; भयभीत न हो, क्योंकि परमेश्वर का अनुग्रह तुझ पर हुआ है।
स्वर्गदूत न ओको सी कह्यो, “हे मरियम, डरो मत, कहालीकि परमेश्वर को अनुग्रह तोरो पर भयो हय।
31 ३१ और देख, तू गर्भवती होगी, और तेरे एक पुत्र उत्पन्न होगा; तू उसका नाम यीशु रखना।
देख, तय गर्भवती होजो, अऊर तोख एक बेटा पैदा होयेंन; तय ओको नाम यीशु रखजो।
32 ३२ वह महान होगा; और परमप्रधान का पुत्र कहलाएगा; और प्रभु परमेश्वर उसके पिता दाऊद का सिंहासन उसको देगा।
ऊ महान होयेंन अऊर परमप्रधान परमेश्वर को बेटा कह्यो जायेंन, अऊर प्रभु परमेश्वर ओको बाप दाऊद को सिंहासन ओख देयेंन,
33 ३३ और वह याकूब के घराने पर सदा राज्य करेगा; और उसके राज्य का अन्त न होगा।” (aiōn )
अऊर ऊ याकूब को घरानों पर हमेशा राज करेंन; अऊर ओको राज्य कभी खतम नहीं होयेंन।” (aiōn )
34 ३४ मरियम ने स्वर्गदूत से कहा, “यह कैसे होगा? मैं तो पुरुष को जानती ही नहीं।”
मरियम न स्वर्गदूत सी कह्यो, “यो कसो होयेंन। मय त कोयी भी पुरुष ख जानु नहाय।”
35 ३५ स्वर्गदूत ने उसको उत्तर दिया, “पवित्र आत्मा तुझ पर उतरेगा, और परमप्रधान की सामर्थ्य तुझ पर छाया करेगी; इसलिए वह पवित्र जो उत्पन्न होनेवाला है, परमेश्वर का पुत्र कहलाएगा।
स्वर्गदूत न ओख उत्तर दियो, “पवित्र आत्मा तोरो पर उतरेंन, अऊर परमेश्वर जो सब सी ऊचो हय ओकी सामर्थ तोरो पर छायेंन; येकोलायी ऊ पवित्र जो पैदा होन वालो हय, परमेश्वर को बेटा कहलायेंन।
36 ३६ और देख, और तेरी कुटुम्बिनी एलीशिबा के भी बुढ़ापे में पुत्र होनेवाला है, यह उसका, जो बाँझ कहलाती थी छठवाँ महीना है।
अऊर देख, तोरी कुटुम्बिनी इलीशिबा ख भी बुढ़्ढापा म बेटा होन वालो हय, यो ओको, जो बांझ कहलावत होती ओको गर्भ धारन को छठवो महीना हय।
37 ३७ परमेश्वर के लिए कुछ भी असम्भव नहीं है।”
कहालीकि जो वचन परमेश्वर को तरफ सी होवय हय ऊ असम्भव नहीं होवय।”
38 ३८ मरियम ने कहा, “देख, मैं प्रभु की दासी हूँ, तेरे वचन के अनुसार मेरे साथ ऐसा हो।” तब स्वर्गदूत उसके पास से चला गया।
मरियम न कह्यो, “देख मय प्रभु की दासी आय, मोख तोरो वचन को अनुसार हो।” तब स्वर्गदूत ओको जवर सी चली गयो।
39 ३९ उन दिनों में मरियम उठकर शीघ्र ही पहाड़ी देश में यहूदा के एक नगर को गई।
उन दिनो म मरियम उठ क जल्दीच पहाड़ी देश म यहूदा को एक नगर ख गयी,
40 ४० और जकर्याह के घर में जाकर एलीशिबा को नमस्कार किया।
ओन जकर्याह को घर म जाय क इलीशिबा ख नमस्कार करी।
41 ४१ जैसे ही एलीशिबा ने मरियम का नमस्कार सुना, वैसे ही बच्चा उसके पेट में उछला, और एलीशिबा पवित्र आत्मा से परिपूर्ण हो गई।
जसोच इलीशिबा न मरियम को नमस्कार सुन्यो, वसोच बच्चा ओको पेट म उछल्यो, अऊर इलीशिबा पवित्र आत्मा सी परिपूर्ण भय गयी।
42 ४२ और उसने बड़े शब्द से पुकारकर कहा, “तू स्त्रियों में धन्य है, और तेरे पेट का फल धन्य है!
अऊर ओन बड़ो आवाज सी पुकार क कह्यो, “तय पूरी बाईयों म सब सी जादा आशीर्वाद हय, अऊर तोरो पेट को बच्चा आशीर्वाद हय!
43 ४३ और यह अनुग्रह मुझे कहाँ से हुआ, कि मेरे प्रभु की माता मेरे पास आई?
यो अनुग्रह मोख कित सी भयो कि मोरो प्रभु की माय मोरो जवर आयी?
44 ४४ और देख जैसे ही तेरे नमस्कार का शब्द मेरे कानों में पड़ा वैसे ही बच्चा मेरे पेट में आनन्द से उछल पड़ा।
जसोच तोरो नमस्कार को आवाज मोरो कानो म पड़्यो, वसोच बच्चा मोरो पेट म खुशी सी उछल पड़्यो।
45 ४५ और धन्य है, वह जिसने विश्वास किया कि जो बातें प्रभु की ओर से उससे कही गई, वे पूरी होंगी।”
धन्य हय ऊ जेन विश्वास करयो कि जो बाते प्रभु को तरफ सी ओको सी कहीं गयी, हि पूरी होयेंन!”
46 ४६ तब मरियम ने कहा, “मेरा प्राण प्रभु की बड़ाई करता है।
तब मरियम न कह्यो, “मोरो जीव प्रभु की बड़ायी करय हय
47 ४७ और मेरी आत्मा मेरे उद्धार करनेवाले परमेश्वर से आनन्दित हुई।
अऊर मोरी आत्मा मोरो उद्धार करन वालो परमेश्वर सी खुश भयी,
48 ४८ क्योंकि उसने अपनी दासी की दीनता पर दृष्टि की है; इसलिए देखो, अब से सब युग-युग के लोग मुझे धन्य कहेंगे।
कहालीकि ओन अपनी दासी पर नजर करी हय; येकोलायी देखो, अब सी पूरो युग-युग को लोग मोख धन्य कहेंन,
49 ४९ क्योंकि उस शक्तिमान ने मेरे लिये बड़े- बड़े काम किए हैं, और उसका नाम पवित्र है।
कहालीकि ऊ सर्वशक्तिमान परमेश्वर न मोरो लायी बड़ो बड़ो काम करयो हय। ओको नाम पवित्र हय,
50 ५० और उसकी दया उन पर, जो उससे डरते हैं, पीढ़ी से पीढ़ी तक बनी रहती है।
एक पीढ़ी सी दूसरी पीढ़ी म, ऊ उन लोगों पर दया करय हय, जो ओको आदर करय हंय।
51 ५१ उसने अपना भुजबल दिखाया, और जो अपने मन में घमण्ड करते थे, उन्हें तितर-बितर किया।
ओन अपनो ताकतवर भुजा दिखायो, अऊर जो अपनो आप ख बड़ो समझत होतो, उन्ख तितर-बितर कर दियो।
52 ५२ उसने शासकों को सिंहासनों से गिरा दिया; और दीनों को ऊँचा किया।
ओन राजावों ख उन्को सिंहासनों सी गिराय दियो; अऊर नम्र लोगों ख ऊंचो करयो।
53 ५३ उसने भूखों को अच्छी वस्तुओं से तृप्त किया, और धनवानों को खाली हाथ निकाल दिया।
ओन भूखो ख अच्छी चिजों सी सन्तुष्ट करयो, अऊर धनवानों ख खाली हाथ निकाल दियो।
54 ५४ उसने अपने सेवक इस्राएल को सम्भाल लिया कि अपनी उस दया को स्मरण करे,
ओन अपनो सेवक इस्राएल ख सम्भाल लियो कि अपनो ऊ दया ख याद करेंन,
55 ५५ जो अब्राहम और उसके वंश पर सदा रहेगी, जैसा उसने हमारे पूर्वजों से कहा था।” (aiōn )
जो अब्राहम अऊर ओको वंश पर हमेशा रहेंन, जसो ओन हमरो बापदादों सी कह्यो होतो।” (aiōn )
56 ५६ मरियम लगभग तीन महीने उसके साथ रहकर अपने घर लौट गई।
मरियम लगभग तीन महीना इलीशिबा को संग रह्य क अपनो घर लौट गयी।
57 ५७ तब एलीशिबा के जनने का समय पूरा हुआ, और वह पुत्र जनी।
तब इलीशिबा को प्रसव को समय पूरो भयो, अऊर ओन बेटा ख जनम दियो।
58 ५८ उसके पड़ोसियों और कुटुम्बियों ने यह सुनकर, कि प्रभु ने उस पर बड़ी दया की है, उसके साथ आनन्दित हुए।
ओको पड़ोसियों अऊर कुटुम्बियों न यो सुन क कि प्रभु न ओको पर बड़ी दया करी हय, ओको संग खुशी मनायो।
59 ५९ और ऐसा हुआ कि आठवें दिन वे बालक का खतना करने आए और उसका नाम उसके पिता के नाम पर जकर्याह रखने लगे।
अऊर असो भयो कि आठवो दिन हि बच्चा को खतना करन आयो अऊर ओको नाम ओको बाप को नाम पर जकर्याह रखन लग्यो।
60 ६० और उसकी माता ने उत्तर दिया, “नहीं; वरन् उसका नाम यूहन्ना रखा जाए।”
येको पर ओकी माय न उत्तर दियो, “नहीं; बल्की ओको नाम यूहन्ना रख्यो जाय।”
61 ६१ और उन्होंने उससे कहा, “तेरे कुटुम्ब में किसी का यह नाम नहीं।”
उन्न ओको सी कह्यो, “तोरो कुटुम्ब म कोयी को यो नाम नहाय!”
62 ६२ तब उन्होंने उसके पिता से संकेत करके पूछा कि तू उसका नाम क्या रखना चाहता है?
तब उन्न ओको बाप सी इशारा कर क् पुच्छ्यो कि तय ओको नाम का रखनो चाहवय हय?
63 ६३ और उसने लिखने की पट्टी मँगवाकर लिख दिया, “उसका नाम यूहन्ना है,” और सभी ने अचम्भा किया।
जकर्याह न एक लिखन की पाटी मांगी अऊर लिख दियो, “ओको नाम यूहन्ना आय,” अऊर सब अचम्भित भयो।
64 ६४ तब उसका मुँह और जीभ तुरन्त खुल गई; और वह बोलने और परमेश्वर की स्तुति करने लगा।
तब ओको मुंह अऊर जीबली तुरतच खुल गयी; अऊर ऊ बोलन अऊर परमेश्वर को महिमा करन लग्यो।
65 ६५ और उसके आस-पास के सब रहनेवालों पर भय छा गया; और उन सब बातों की चर्चा यहूदिया के सारे पहाड़ी देश में फैल गई।
ओको आजु बाजू को सब रहन वालो पर डर छाय गयो; अऊर उन सब बातों की चर्चा यहूदिया को पूरो पहाड़ी प्रदेश म फैल गयी,
66 ६६ और सब सुननेवालों ने अपने-अपने मन में विचार करके कहा, “यह बालक कैसा होगा?” क्योंकि प्रभु का हाथ उसके साथ था।
अऊर सब सुनन वालो न अपनो-अपनो मन म बिचार कर क् कह्यो, “यो बच्चा कसो होयेंन?” कहालीकि प्रभु को हाथ ओको पर होतो।
67 ६७ और उसका पिता जकर्याह पवित्र आत्मा से परिपूर्ण हो गया, और भविष्यद्वाणी करने लगा।
ओको बाप जकर्याह पवित्र आत्मा सी परिपूर्ण भय गयो, अऊर परमेश्वर को खबर देन लग्यो:
68 ६८ “प्रभु इस्राएल का परमेश्वर धन्य हो, कि उसने अपने लोगों पर दृष्टि की और उनका छुटकारा किया है,
“प्रभु इस्राएल को परमेश्वर की महिमा हो, कहालीकि ओन अपनो लोगों पर नजर करी अऊर उन्को छुटकारा करयो हय,
69 ६९ और अपने सेवक दाऊद के घराने में हमारे लिये एक उद्धार का सींग निकाला,
अऊर अपनो सेवक दाऊद को घराना म ओन हमरो लायी एक शक्तिशाली उद्धारकर्ता दियो हय,
70 ७० जैसे उसने अपने पवित्र भविष्यद्वक्ताओं के द्वारा जो जगत के आदि से होते आए हैं, कहा था, (aiōn )
ओन अपनो पवित्र भविष्यवक्तावों को द्वारा जो जगत को सुरूवात सी होत आयो हंय, कह्यो होतो, (aiōn )
71 ७१ अर्थात् हमारे शत्रुओं से, और हमारे सब बैरियों के हाथ से हमारा उद्धार किया है;
यानेकि हमरो दुश्मनों सी, अऊर हमरो सब दुश्मनों को हाथ सी हमरो उद्धार करयो हय,
72 ७२ कि हमारे पूर्वजों पर दया करके अपनी पवित्र वाचा का स्मरण करे,
ओन कह्यो होतो कि अपनो पूर्वजों पर दया कर क् अपनी पवित्र वाचा ख याद करेंन,
73 ७३ और वह शपथ जो उसने हमारे पिता अब्राहम से खाई थी,
वा कसम ओन हमरो बाप अब्राहम सी खायी होती,
74 ७४ कि वह हमें यह देगा, कि हम अपने शत्रुओं के हाथ से छूटकर,
कि हमरो दुश्मनों को हाथों सी हमरो छुटकारा हो अऊर बिना कोयी डर को प्रभु की सेवा करन की अनुमति मिले।
75 ७५ उसके सामने पवित्रता और धार्मिकता से जीवन भर निडर रहकर उसकी सेवा करते रहें।
ओको आगु पवित्रता अऊर सच्चायी सी जीवन भर निडर रह्य क ओकी सेवा करतो रहबो।
76 ७६ और तू हे बालक, परमप्रधान का भविष्यद्वक्ता कहलाएगा, क्योंकि तू प्रभु के मार्ग तैयार करने के लिये उसके आगे-आगे चलेगा,
अऊर तय मोरो बच्चा, परमप्रधान परमेश्वर जो सब सी ऊचो हय। भविष्यवक्ता कहलायेंन, कहालीकि तय प्रभु को रस्ता तैयार करन लायी ओको आगु-आगु चलेंन,
77 ७७ कि उसके लोगों को उद्धार का ज्ञान दे, जो उनके पापों की क्षमा से प्राप्त होता है।
कि ओको लोगों ख उद्धार को ज्ञान देयेंन, कि उन्को पापों की माफी सी होवय हय।
78 ७८ यह हमारे परमेश्वर की उसी बड़ी करुणा से होगा; जिसके कारण ऊपर से हम पर भोर का प्रकाश उदय होगा।
यो हमरो परमेश्वर की बड़ी दया सी होयेंन; जेको वजह ऊपर सी हम पर उद्धार को प्रकाश उदय होयेंन,
79 ७९ कि अंधकार और मृत्यु की छाया में बैठनेवालों को ज्योति दे, और हमारे पाँवों को कुशल के मार्ग में सीधे चलाए।”
कि अन्धकार अऊर मरन की छाया म बैठन वालो ख उद्धार को प्रकाश देयेंन, अऊर हमरो पाय ख शान्ति को रस्ता म सीधो चलाये।”
80 ८० और वह बालक यूहन्ना, बढ़ता और आत्मा में बलवन्त होता गया और इस्राएल पर प्रगट होने के दिन तक जंगलों में रहा।
अऊर ऊ बच्चा बढ़तो अऊर आत्मा म बलवन्त होत गयो, अऊर इस्राएल पर प्रगट होन को दिन तक जंगल म रह्यो।