< लैव्यव्यवस्था 17 >

1 फिर यहोवा ने मूसा से कहा,
And the Lord spoke to Moses, saying:
2 “हारून और उसके पुत्रों से और सब इस्राएलियों से कह कि यहोवा ने यह आज्ञा दी है:
Speak to Aaron and his sons, and to all the children of Israel, saying to them: This is the word, which the Lord hath commanded, saying:
3 इस्राएल के घराने में से कोई मनुष्य हो जो बैल या भेड़ के बच्चे, या बकरी को, चाहे छावनी में चाहे छावनी से बाहर घात करके
Any man whosoever of the house of Israel if he kill an ox, or a sheep, or a goat in the camp, or without the camp,
4 मिलापवाले तम्बू के द्वार पर, यहोवा के निवास के सामने यहोवा को चढ़ाने के निमित्त न ले जाए, तो उस मनुष्य को लहू बहाने का दोष लगेगा; और वह मनुष्य जो लहू बहानेवाला ठहरेगा, वह अपने लोगों के बीच से नष्ट किया जाए।
And offer it not at the door of the tabernacle an oblation to the Lord, shall be guilty of blood: as if he had shed blood, so shall he perish from the midst of his people.
5 इस विधि का यह कारण है कि इस्राएली अपने बलिदान जिनको वे खुले मैदान में वध करते हैं, वे उन्हें मिलापवाले तम्बू के द्वार पर याजक के पास, यहोवा के लिये ले जाकर उसी के लिये मेलबलि करके बलिदान किया करें;
Therefore the children of Israel shall bring to the priest their victims, which they kill in the field, that they may be sanctified to the Lord before the door of the tabernacle of the testimony, and they may sacrifice them for peace offerings to the Lord.
6 और याजक लहू को मिलापवाले तम्बू के द्वार पर यहोवा की वेदी के ऊपर छिड़के, और चर्बी को उसके सुखदायक सुगन्ध के लिये जलाए।
And the priest shall pour the blood upon the altar of the Lord, at the door of the tabernacle of the testimony, and shall burn the fat for a sweet odour to the Lord.
7 वे जो बकरों के पूजक होकर व्यभिचार करते हैं, वे फिर अपने बलिपशुओं को उनके लिये बलिदान न करें। तुम्हारी पीढ़ियों के लिये यह सदा की विधि होगी।
And they shall no more sacrifice their victims to devils, with whom they have committed fornication. It shall be an ordinance for ever to them and to their posterity.
8 “तू उनसे कह कि इस्राएल के घराने के लोगों में से या उनके बीच रहनेवाले परदेशियों में से कोई मनुष्य क्यों न हो जो होमबलि या मेलबलि चढ़ाए,
And thou shalt say to them: The man of the house of Israel, and of the strangers who sojourn among you, that offereth a holocaust or a victim,
9 और उसको मिलापवाले तम्बू के द्वार पर यहोवा के लिये चढ़ाने को न ले आए; वह मनुष्य अपने लोगों में से नष्ट किया जाए।
And bringeth it not to the door of the tabernacle of the testimony, that it may be offered to the Lord, shall perish from among his people.
10 १० “फिर इस्राएल के घराने के लोगों में से या उनके बीच रहनेवाले परदेशियों में से कोई मनुष्य क्यों न हो जो किसी प्रकार का लहू खाए, मैं उस लहू खानेवाले के विमुख होकर उसको उसके लोगों के बीच में से नष्ट कर डालूँगा।
If any man whosoever of the house of Israel, and of the strangers that sojourn among them, eat blood, I will set my face against his soul, and will cut him off from among his people:
11 ११ क्योंकि शरीर का प्राण लहू में रहता है; और उसको मैंने तुम लोगों को वेदी पर चढ़ाने के लिये दिया है कि तुम्हारे प्राणों के लिये प्रायश्चित किया जाए; क्योंकि प्राण के लिए लहू ही से प्रायश्चित होता है।
Because the life of the flesh is in the blood: and I have given it to you, that you may make atonement with it upon the altar for your souls, and the blood may be for an expiation of the soul.
12 १२ इस कारण मैं इस्राएलियों से कहता हूँ कि तुम में से कोई प्राणी लहू न खाए, और जो परदेशी तुम्हारे बीच रहता हो वह भी लहू कभी न खाए।”
Therefore I have said to the children of Israel: No soul of you, nor of the strangers that sojourn among you, shall eat blood.
13 १३ “इस्राएलियों में से या उनके बीच रहनेवाले परदेशियों में से, कोई मनुष्य क्यों न हो, जो शिकार करके खाने के योग्य पशु या पक्षी को पकड़े, वह उसके लहू को उण्डेलकर धूलि से ढाँप दे।
Any man whosoever of the children of Israel, and of the strangers that sojourn among you, if by hunting or fowling, he take a wild beast or a bird, which is lawful to eat, let him pour out its blood, and cover it with earth.
14 १४ क्योंकि शरीर का प्राण जो है वह उसका लहू ही है जो उसके प्राण के साथ एक है; इसलिए मैं इस्राएलियों से कहता हूँ कि किसी प्रकार के प्राणी के लहू को तुम न खाना, क्योंकि सब प्राणियों का प्राण उनका लहू ही है; जो कोई उसको खाए वह नष्ट किया जाएगा।
For the life of all flesh is in the blood: therefore I said to the children of Israel: You shall not eat the blood of any flesh at all, because the life of the flesh is in the blood, and whosoever eateth it, shall be cut off.
15 १५ और चाहे वह देशी हो या परदेशी हो, जो कोई किसी लोथ या फाड़े हुए पशु का माँस खाए वह अपने वस्त्रों को धोकर जल से स्नान करे, और साँझ तक अशुद्ध रहे; तब वह शुद्ध होगा।
The soul that eateth that which died of itself, or has been caught by a beast, whether he be one of your own country or a stranger, shall wash his clothes and himself with water, and shall be defiled until the evening: and in this manner he shall be made clean.
16 १६ परन्तु यदि वह उनको न धोए और न स्नान करे, तो उसको अपने अधर्म का भार स्वयं उठाना पड़ेगा।”
But if he do not wash his clothes, and his body, he shall bear his iniquity.

< लैव्यव्यवस्था 17 >