< न्यायियों 9 >

1 यरूब्बाल का पुत्र अबीमेलेक शेकेम को अपने मामाओं के पास जाकर उनसे और अपने नाना के सब घराने से यह कहने लगा,
যিরুব্বায়ালের ছেলে অবীমেলক শিখিমে তার মামাদের কাছে গিয়ে তাদের এবং তার মায়ের গোষ্ঠীভুক্ত সব লোকজনকে বলল,
2 “शेकेम के सब मनुष्यों से यह पूछो, ‘तुम्हारे लिये क्या भला है? क्या यह कि यरूब्बाल के सत्तर पुत्र तुम पर प्रभुता करें?’ या कि एक ही पुरुष तुम पर प्रभुता करे? और यह भी स्मरण रखो कि मैं तुम्हारा हाड़ माँस हूँ।”
“তোমরা শিখিমের সব নাগরিককে জিজ্ঞাসা করো, ‘তোমাদের পক্ষে কোনটি ভালো: তোমাদের উপরে যিরুব্বায়ালের সত্তরজন ছেলের কর্তৃত্ব করা, না শুধু একজনের?’ মনে রেখো, আমি তোমাদের রক্তমাংসের আত্মীয়।”
3 तब उसके मामाओं ने शेकेम के सब मनुष्यों से ऐसी ही बातें कहीं; और उन्होंने यह सोचकर कि अबीमेलेक तो हमारा भाई है अपना मन उसके पीछे लगा दिया।
তার মায়ের আত্মীয়েরা তার এই কথাগুলি শিখিমের লোকদের কাছে বলাতে তারা অবীমেলকের অনুগামী হওয়ার সিদ্ধান্ত গ্রহণ করল, কারণ তারা বলল, “উনি তো আমাদের আত্মীয়।”
4 तब उन्होंने बाल-बरीत के मन्दिर में से सत्तर टुकड़े रूपे उसको दिए, और उन्हें लगाकर अबीमेलेक ने नीच और लुच्चे जन रख लिए, जो उसके पीछे हो लिए।
তারা বায়াল-বরীতের মন্দির থেকে সত্তর শেকল রুপো এনে অবীমেলককে উপহার দিল, এবং অবীমেলক বেপরোয়া ও নীচমনা কিছু লোককে ভাড়া করার জন্য সেই রুপো ব্যবহার করল, ও তারা তার অনুগামী হল।
5 तब उसने ओप्रा में अपने पिता के घर जा के अपने भाइयों को जो यरूब्बाल के सत्तर पुत्र थे एक ही पत्थर पर घात किया; परन्तु यरूब्बाल का योताम नामक लहुरा पुत्र छिपकर बच गया।
সে অফ্রায় তার বাবার ঘরে গিয়ে যিরুব্বায়ালের ছেলেদের, তার সত্তরজন ভাইকে একটি পাষাণ-পাথরের উপরে হত্যা করল। কিন্তু যিরুব্বায়ালের ছোটো ছেলে যোথম লুকিয়ে পালিয়েছিলেন।
6 तब शेकेम के सब मनुष्यों और बेतमिल्लो के सब लोगों ने इकट्ठे होकर शेकेम के खम्भे के पासवाले बांज वृक्ष के पास अबीमेलेक को राजा बनाया।
পরে শিখিম ও বেথ-মিল্লোর সব নাগরিক শিখিমের সেই বিশাল গাছটির পাশে অবস্থিত স্তম্ভের কাছে একত্রিত হয়ে অবীমেলককে রাজপদে অভিষিক্ত করল।
7 इसका समाचार सुनकर योताम गिरिज्जीम पहाड़ की चोटी पर जाकर खड़ा हुआ, और ऊँचे स्वर से पुकारके कहने लगा, “हे शेकेम के मनुष्यों, मेरी सुनो, इसलिए कि परमेश्वर तुम्हारी सुने।
যোথম একথা শুনতে পেয়ে গরিষীম পর্বতের চূড়ায় গিয়ে উঠলেন এবং চিৎকার করে তাদের বললেন, “হে শিখিমের নাগরিকেরা, তোমরা আমার কথা শোনো, যেন ঈশ্বরও তোমাদের কথা শোনেন।
8 किसी युग में वृक्ष किसी का अभिषेक करके अपने ऊपर राजा ठहराने को चले; तब उन्होंने जैतून के वृक्ष से कहा, ‘तू हम पर राज्य कर।’
একদিন গাছেরা তাদের জন্য একজন রাজাকে অভিষিক্ত করতে গেল। তারা জলপাই গাছকে বলল, ‘তুমি আমাদের রাজা হও।’
9 तब जैतून के वृक्ष ने कहा, ‘क्या मैं अपनी उस चिकनाहट को छोड़कर, जिससे लोग परमेश्वर और मनुष्य दोनों का आदरमान करते हैं, वृक्षों का अधिकारी होकर इधर-उधर डोलने को चलूँ?’
“কিন্তু জলপাই গাছ তাদের বলল, ‘আমার যে তেল দ্বারা দেবতা ও মানুষেরা সম্মানিত হয়, তা ত্যাগ করে আমি কি গাছদের উপর দুলতে থাকব?’
10 १० तब वृक्षों ने अंजीर के वृक्ष से कहा, ‘तू आकर हम पर राज्य कर।’
“তারপর, গাছেরা ডুমুর গাছকে বলল, ‘এসো, তুমি আমাদের রাজা হও।’
11 ११ अंजीर के वृक्ष ने उनसे कहा, ‘क्या मैं अपने मीठेपन और अपने अच्छे-अच्छे फलों को छोड़ वृक्षों का अधिकारी होकर इधर-उधर डोलने को चलूँ?’
“কিন্তু ডুমুর গাছ উত্তর দিল, ‘আমি কি গাছেদের উপর দুলবার জন্য আমার ভালো ও মিষ্টি ফল উৎপন্ন করা ছেড়ে দেব?’
12 १२ फिर वृक्षों ने दाखलता से कहा, ‘तू आकर हम पर राज्य कर।’
“গাছেরা তখন দ্রাক্ষালতাকে বলল, ‘তুমি এসে আমাদের উপর রাজত্ব করো।’
13 १३ दाखलता ने उनसे कहा, ‘क्या मैं अपने नये मधु को छोड़, जिससे परमेश्वर और मनुष्य दोनों को आनन्द होता है, वृक्षों की अधिकारिणी होकर इधर-उधर डोलने को चलूँ?’
“কিন্তু দ্রাক্ষালতা বলল, ‘আমার যে দ্রাক্ষারস মানুষ ও দেবতাদের আমোদিত করে, তা উৎপন্ন না করে, আমি কি গাছেদের উপর দুলবো?’
14 १४ तब सब वृक्षों ने झड़बेरी से कहा, ‘तू आकर हम पर राज्य कर।’
“শেষে সব গাছ কাঁটাঝোপকে বলল, ‘তুমি এসো, আমাদের রাজা হও।’
15 १५ झड़बेरी ने उन वृक्षों से कहा, ‘यदि तुम अपने ऊपर राजा होने को मेरा अभिषेक सच्चाई से करते हो, तो आकर मेरी छाया में शरण लो; और नहीं तो, झड़बेरी से आग निकलेगी जिससे लबानोन के देवदार भी भस्म हो जाएँगे।’
“কাঁটাঝোপ গাছেদের বলল, ‘তোমরা যদি সত্যিই আমাকে তোমাদের রাজারূপে অভিষিক্ত করতে চাও, তবে এসো ও আমার ছায়ায় আশ্রয় নাও; কিন্তু যদি না নাও, তবে এই কাঁটাঝোপ থেকে আগুন বের হয়ে এসে লেবাননের দেবদারু গাছগুলিকে গ্রাস করুক।’
16 १६ “इसलिए अब यदि तुम ने सच्चाई और खराई से अबीमेलेक को राजा बनाया है, और यरूब्बाल और उसके घराने से भलाई की, और उससे उसके काम के योग्य बर्ताव किया हो, तो भला।
“অবীমেলককে রাজা করে তোমরা কি সম্মানজনক ও যথার্থ আচরণ করেছ? তোমরা কি যিরুব্বায়াল ও তাঁর পরিবারের প্রতি সদাচরণ করেছ? তোমাদের এই ব্যবহার কি তাঁর প্রাপ্য ছিল?
17 १७ (मेरा पिता तो तुम्हारे निमित्त लड़ा, और अपने प्राण पर खेलकर तुम को मिद्यानियों के हाथ से छुड़ाया;
মনে রেখো যে আমার বাবা তোমাদের জন্য যুদ্ধ করেছিলেন এবং জীবনের ঝুঁকি নিয়ে মিদিয়নীয়দের হাত থেকে তোমাদের রক্ষা করেছিলেন।
18 १८ परन्तु तुम ने आज मेरे पिता के घराने के विरुद्ध उठकर बलवा किया, और उसके सत्तर पुत्र एक ही पत्थर पर घात किए, और उसकी रखैल के पुत्र अबीमेलेक को इसलिए शेकेम के मनुष्यों के ऊपर राजा बनाया है कि वह तुम्हारा भाई है);
কিন্তু আজ তোমরা আমার বাবার পরিবারের বিরুদ্ধে বিদ্রোহ করে বসেছো। একটিই পাথরের উপরে তোমরা তাঁর সত্তরজন ছেলেকে হত্যা করেছ এবং তাঁর ক্রীতদাসীর ছেলে অবীমেলককে শিখিমের নাগরিকদের উপরে রাজা করেছ, যেহেতু সে তোমাদের আত্মীয়।
19 १९ इसलिए यदि तुम लोगों ने आज के दिन यरूब्बाल और उसके घराने से सच्चाई और खराई से बर्ताव किया हो, तो अबीमेलेक के कारण आनन्द करो, और वह भी तुम्हारे कारण आनन्द करे;
অতএব তোমরা কি আজ যিরুব্বায়াল ও তাঁর পরিবারের প্রতি সম্মানজনক ও যথার্থ আচরণ করেছ? যদি তা করে থাকো, তবে অবীমেলককে নিয়ে তোমরা আনন্দ করো, এবং সেও তোমাদের নিয়ে আনন্দ করুক!
20 २० और नहीं, तो अबीमेलेक से ऐसी आग निकले जिससे शेकेम के मनुष्य और बेतमिल्लो भस्म हो जाएँ: और शेकेम के मनुष्यों और बेतमिल्लो से ऐसी आग निकले जिससे अबीमेलेक भस्म हो जाए।”
কিন্তু যদি তা না করে থাকো, তবে অবীমেলকের কাছ থেকে আগুন বের হয়ে আসুক এবং তোমাদের, ও শিখিম ও বেথ-মিল্লোর নাগরিকদের গ্রাস করুক, এবং তোমাদের ও শিখিম ও বেথ-মিল্লোর নাগরিকদের কাছ থেকেও আগুন বের হয়ে আসুক ও অবীমেলককে গ্রাস করুক!”
21 २१ तब योताम भागा, और अपने भाई अबीमेलेक के डर के मारे बेर को जाकर वहीं रहने लगा।
পরে যোথম পালিয়ে গেলেন ও বেরে পৌঁছালেন এবং সেখানেই বসবাস করতে লাগলেন যেহেতু তিনি তাঁর ভাই অবীমেলককে ভয় পেয়েছিলেন।
22 २२ अबीमेलेक इस्राएल के ऊपर तीन वर्ष हाकिम रहा।
অবীমেলক ইস্রায়েলীদের উপর তিন বছর রাজত্ব করার পর,
23 २३ तब परमेश्वर ने अबीमेलेक और शेकेम के मनुष्यों के बीच एक बुरी आत्मा भेज दी; सो शेकेम के मनुष्य अबीमेलेक से विश्वासघात करने लगे;
ঈশ্বর অবীমেলক ও শিখিমের নাগরিকদের মধ্যে এমন শত্রুতা উৎপন্ন করলেন যে তারা অবীমেলকের বিরুদ্ধে বিশ্বাসঘাতকতা করল।
24 २४ जिससे यरूब्बाल के सत्तर पुत्रों पर किए हुए उपद्रव का फल भोगा जाए, और उनका खून उनके घात करनेवाले उनके भाई अबीमेलेक के सिर पर, और उसके अपने भाइयों के घात करने में उसकी सहायता करनेवाले शेकेम के मनुष्यों के सिर पर भी हो।
ঈশ্বর এরকমটি করলেন যেন যিরুব্বায়ালের সত্তরজন ছেলের বিরুদ্ধে সম্পন্ন অপরাধের, তাদের রক্তপাতের দায় তাদের ভাই অবীমেলক এবং শিখিমের সেই নাগরিকদের উপর বর্তায়, যারা তার ভাইদের হত্যা করার সময় তাকে সাহায্য করেছিল।
25 २५ तब शेकेम के मनुष्यों ने पहाड़ों की चोटियों पर उसके लिये घातकों को बैठाया, जो उस मार्ग से सब आने जानेवालों को लूटते थे; और इसका समाचार अबीमेलेक को मिला।
অবীমেলকের বিরুদ্ধাচরণ করে শিখিমের নাগরিকরা পর্বতের চূড়ায় চূড়ায় গোপনে লোকদের ঘাঁটি গেড়ে বসিয়ে দিল এবং সেখান দিয়ে যাওয়া প্রত্যেকের সবকিছু তারা লুট করতে লাগল। আর এই খবরটি অবীমেলককে জানানো হল।
26 २६ तब एबेद का पुत्र गाल अपने भाइयों समेत शेकेम में आया; और शेकेम के मनुष्यों ने उसका भरोसा किया।
এদিকে এবদের ছেলে গাল তার আত্মীয়দের সঙ্গে নিয়ে শিখিমের দিকে এগিয়ে গেল, এবং সেখানকার নাগরিকরা তার উপর আস্থা স্থাপন করল।
27 २७ और उन्होंने मैदान में जाकर अपनी-अपनी दाख की बारियों के फल तोड़े और उनका रस रौंदा, और स्तुति का बलिदान कर अपने देवता के मन्दिर में जाकर खाने-पीने और अबीमेलेक को कोसने लगे।
ক্ষেতে গিয়ে দ্রাক্ষাফল সংগ্রহ করার ও সেগুলি মাড়াই করার পরে তারা তাদের দেবতার মন্দিরে উৎসব উদ্‌যাপন করল। ভোজনপান করতে করতে তারা অবীমেলককে অভিশাপ দিল।
28 २८ तब एबेद के पुत्र गाल ने कहा, “अबीमेलेक कौन है? शेकेम कौन है कि हम उसके अधीन रहें? क्या वह यरूब्बाल का पुत्र नहीं? क्या जबूल उसका सेनानायक नहीं? शेकेम के पिता हमोर के लोगों के तो अधीन हो, परन्तु हम उसके अधीन क्यों रहें?
পরে এবদের ছেলে গাল বলল, “অবীমেলক কে, আর আমরা শিখিমীয়রা কেন তার বশ্যতাস্বীকার করব? সে কি যিরুব্বায়ালের ছেলে নয় ও সবূল কি তার সহকারী নয়? শিখিমের বাবা হমোরের পরিবারের সেবা করো! আমরা কেন অবীমেলকের সেবা করব?
29 २९ और यह प्रजा मेरे वश में होती तो क्या ही भला होता! तब तो मैं अबीमेलेक को दूर करता।” फिर उसने अबीमेलेक से कहा, “अपनी सेना की गिनती बढ़ाकर निकल आ।”
যদি শুধু এই লোকেরা আমার নিয়ন্ত্রণাধীন থাকত! তবে আমি তার হাত থেকে রেহাই পেতাম। আমি অবীমেলককে বলতাম, ‘তোমার সমগ্র সৈন্যবাহিনীকে ডেকে আনো!’”
30 ३० एबेद के पुत्र गाल की वे बातें सुनकर नगर के हाकिम जबूल का क्रोध भड़क उठा।
এবদের ছেলে গাল কী বলেছিল, তা যখন নগরাধ্যক্ষ সবূল শুনতে পেল, তখন সে ভীষণ ক্রুদ্ধ হল।
31 ३१ और उसने अबीमेलेक के पास छिपके दूतों से कहला भेजा, “एबेद का पुत्र गाल और उसके भाई शेकेम में आ के नगरवालों को तेरा विरोध करने को भड़का रहे हैं।
গোপনে সে অবীমেলকের কাছে দূত পাঠিয়ে বলল, “এবদের ছেলে গাল ও তার আত্মীয়েরা শিখিমে এসেছে এবং তারা আপনার বিরুদ্ধে নগরের লোকদের উত্তেজিত করে তুলছে।
32 ३२ इसलिए तू अपने संगवालों समेत रात को उठकर मैदान में घात लगा।
তাই এখন, রাতের বেলায় আপনাকে ও আপনার লোকজনদের আসতে হবে ও ক্ষেতে লুকিয়ে অপেক্ষা করতে হবে।
33 ३३ और सवेरे सूर्य के निकलते ही उठकर इस नगर पर चढ़ाई करना; और जब वह अपने संगवालों समेत तेरा सामना करने को निकले तब जो तुझ से बन पड़े वही उससे करना।”
সকালে সূর্যোদয়ের সময় নগরের বিরুদ্ধে আপনারা এগিয়ে যাবেন। যখন গাল ও তার লোকজন আপনাদের বিরুদ্ধে বের হয়ে আসবে, তখন তাদের আক্রমণ করার যে সুযোগ পাবেন তার সদব্যবহার করবেন।”
34 ३४ तब अबीमेलेक और उसके संग के सब लोग रात को उठ चार दल बाँधकर शेकेम के विरुद्ध घात में बैठ गए।
অতএব অবীমেলক ও তার সব সৈন্যসামন্ত রাতের বেলায় উঠে চার দলে বিভক্ত হয়ে শিখিমের কাছে লুকিয়ে থাকল।
35 ३५ और एबेद का पुत्र गाल बाहर जाकर नगर के फाटक में खड़ा हुआ; तब अबीमेलेक और उसके संगी घात छोड़कर उठ खड़े हुए।
এদিকে অবীমেলক ও তার সৈন্যসামন্ত যখন তাদের গোপন আস্তানা থেকে বের হয়ে আসছিল ঠিক তখনই এবদের ছেলে গাল বাইরে বেরিয়ে নগরের প্রবেশদ্বারে এসে দাঁড়িয়ে গেল।
36 ३६ उन लोगों को देखकर गाल जबूल से कहने लगा, “देख, पहाड़ों की चोटियों पर से लोग उतरे आते हैं!” जबूल ने उससे कहा, “वह तो पहाड़ों की छाया है जो तुझे मनुष्यों के समान दिखाई देती है।”
গাল যখন তাদের দেখল, তখন সে সবূলকে বলল, “দেখো, পর্বত-চূড়াগুলি থেকে লোকেরা নেমে আসছে!” সবূল উত্তর দিল, “তুমি পর্বতের ছায়াকে মানুষ বলে মনে করে ভুল করছ।”
37 ३७ गाल ने फिर कहा, “देख, लोग देश के बीचों बीच होकर उतरे आते हैं, और एक दल मोननीम नामक बांज वृक्ष के मार्ग से चला आता है।”
কিন্তু গাল আবার বলে উঠল: “দেখো, পাহাড়ের মাঝখান থেকে লোকেরা নিচে নেমে আসছে, এবং গণকদের গাছের দিক থেকেও একদল লোক চলে আসছে।”
38 ३८ जबूल ने उससे कहा, “तेरी यह बात कहाँ रही, कि अबीमेलेक कौन है कि हम उसके अधीन रहें? ये तो वे ही लोग हैं जिनको तूने निकम्मा जाना था; इसलिए अब निकलकर उनसे लड़।”
তখন সবূল তাকে বলল, “তোমার হামবড়াইমার্কা কথাবার্তা এখন কোথায় গেল, তুমিই তো বলেছিলে, ‘অবীমেলক কে যে আমাদের তার নিয়ন্ত্রণাধীন হতে হবে?’ এই লোকদেরই কি তুমি তুচ্ছতাচ্ছিল্য করোনি? যাও, ও তাদের বিরুদ্ধে যুদ্ধ করো!”
39 ३९ तब गाल शेकेम के पुरुषों का अगुआ हो बाहर निकलकर अबीमेलेक से लड़ा।
অতএব গাল শিখিমের নাগরিকদের নেতৃত্ব দিল এবং অবীমেলকের বিরুদ্ধে যুদ্ধ করল।
40 ४० और अबीमेलेक ने उसको खदेड़ा, और वह अबीमेलेक के सामने से भागा; और नगर के फाटक तक पहुँचते-पहुँचते बहुत से घायल होकर गिर पड़े।
অবীমেলক নগরের প্রবেশদ্বার পর্যন্ত তাকে তাড়া করে গেল, এবং পালানোর সময় তাদের মধ্যে অনেকেই নিহত হল।
41 ४१ तब अबीमेलेक अरूमा में रहने लगा; और जबूल ने गाल और उसके भाइयों को निकाल दिया, और शेकेम में रहने न दिया।
পরে অবীমেলক অরূমায় গিয়ে বসবাস করল, এবং সবূল গাল ও তার দলবলকে শিখিম থেকে তাড়িয়ে দিল।
42 ४२ दूसरे दिन लोग मैदान में निकल गए; और यह अबीमेलेक को बताया गया।
পরদিন শিখিমের লোকেরা ক্ষেতে বের হয়ে গেল, ও এই খবরটি অবীমেলকের কাছে পৌঁছে দেওয়া হল।
43 ४३ और उसने अपनी सेना के तीन दल बाँधकर मैदान में घात लगाई; और जब देखा कि लोग नगर से निकले आते हैं तब उन पर चढ़ाई करके उन्हें मार लिया।
অতএব সে তার লোকজনদের নিয়ে, তাদের তিনটি দলে বিভক্ত করে ক্ষেতে গোপনে ঘাঁটি গেড়ে থাকল। সে যখন দেখল যে লোকেরা নগর থেকে বেরিয়ে আসছে, তখন সে তাদের আক্রমণ করার জন্য উঠে পড়ল।
44 ४४ अबीमेलेक अपने संग के दलों समेत आगे दौड़कर नगर के फाटक पर खड़ा हो गया, और दो दलों ने उन सब लोगों पर धावा करके जो मैदान में थे उन्हें मार डाला।
অবীমেলক এবং তার সঙ্গে থাকা দলবল, তাড়াতাড়ি সামনে এগিয়ে গিয়ে নগরের প্রবেশদ্বারের কাছে নিজেদের অবস্থান নিল। তখন দুটি দল ক্ষেতে থাকা লোকদের আক্রমণ করে তাদের হত্যা করল।
45 ४५ उसी दिन अबीमेलेक ने नगर से दिन भर लड़कर उसको ले लिया, और उसके लोगों को घात करके नगर को ढा दिया, और उस पर नमक छिड़कवा दिया।
সারাটি দিন ধরে ততক্ষণ অবীমেলক সেই নগরের বিরুদ্ধে আক্রমণ চালিয়ে গেল যতক্ষণ না সে সেটি দখল করে সেখানকার সব লোককে বধ করল। পরে সে নগরটি ধ্বংস করে সেটির উপর লবণ ছড়িয়ে দিল।
46 ४६ यह सुनकर शेकेम के गुम्मट के सब रहनेवाले एलबरीत के मन्दिर के गढ़ में जा घुसे।
এই খবর শুনে, শিখিমের মিনারের নাগরিকেরা এল্-বরীতের মন্দিরের দুর্গে প্রবেশ করল।
47 ४७ जब अबीमेलेक को यह समाचार मिला कि शेकेम के गुम्मट के सब प्रधान लोग इकट्ठे हुए हैं,
অবীমেলক যখন শুনল যে তারা সেখানে সমবেত হয়েছে,
48 ४८ तब वह अपने सब संगियों समेत सल्मोन नामक पहाड़ पर चढ़ गया; और हाथ में कुल्हाड़ी ले पेड़ों में से एक डाली काटी, और उसे उठाकर अपने कंधे पर रख ली। और अपने संगवालों से कहा, “जैसा तुम ने मुझे करते देखा वैसा ही तुम भी झटपट करो।”
তখন সে এবং তার সব লোকজন সল্‌মন পর্বতে উঠে গেল। সে একটি কুড়ুল নিয়ে গাছের কয়েকটি ডালপালা কেটে, সেগুলি তার কাঁধে তুলে নিল। তার সঙ্গে থাকা লোকদের সে আদেশ দিল, “তাড়াতাড়ি করো! আমাকে যা করতে দেখছ, তোমরাও তাই করো!”
49 ४९ तब उन सब लोगों ने भी एक-एक डाली काट ली, और अबीमेलेक के पीछे हो उनको गढ़ पर डालकर गढ़ में आग लगाई; तब शेकेम के गुम्मट के सब स्त्री पुरुष जो लगभग एक हजार थे मर गए।
অতএব সব লোকজন গাছের ডালপালাগুলি কেটে নিয়ে অবীমেলকের অনুগামী হল। দুর্গের চারপাশে তারা সেই ডালপালাগুলি স্তূপাকারে রেখে তাতে আগুন ধরিয়ে দিল আর লোকজন তখনও সেই দুর্গের ভিতরেই ছিল। অতএব শিখিমের দুর্গের ভিতরে থাকা সব লোকজন, প্রায় 1,000 জন নারী-পুরুষও মারা গেল।
50 ५० तब अबीमेलेक ने तेबेस को जाकर उसके सामने डेरे खड़े करके उसको ले लिया।
এরপর অবীমেলক তেবেসে গেল এবং সেটি অবরুদ্ধ করে তা দখল করে নিল।
51 ५१ परन्तु उस नगर के बीच एक दृढ़ गुम्मट था, इसलिए क्या स्त्री क्या पुरुष, नगर के सब लोग भागकर उसमें घुसे; और उसे बन्द करके गुम्मट की छत पर चढ़ गए।
সেই নগরের মধ্যে, অবশ্য, একটি মজবুত দুর্গ ছিল। সব নারী-পুরুষ—নগরের সব লোকজন—পালিয়ে গিয়ে সেখানে আশ্রয় নিল। তারা ভিতর থেকে নিজেদের তালাবন্ধ করে দুর্গের ছাদে উঠে গেল।
52 ५२ तब अबीमेलेक गुम्मट के निकट जाकर उसके विरुद्ध लड़ने लगा, और गुम्मट के द्वार तक गया कि उसमें आग लगाए।
অবীমেলক দুর্গের কাছে গিয়ে সেটি আক্রমণ করল। কিন্তু যেই না সে দুর্গে আগুন লাগানোর জন্য দুর্গ-দুয়ারের দিকে গেল,
53 ५३ तब किसी स्त्री ने चक्की के ऊपर का पाट अबीमेलेक के सिर पर डाल दिया, और उसकी खोपड़ी फट गई।
একজন স্ত্রীলোক তার মাথায় জাঁতা-পাথরের উপরের এক পাটি ফেলে দিল এবং তার মাথার খুলি ফাটিয়ে দিল।
54 ५४ तब उसने झट अपने हथियारों के ढोनेवाले जवान को बुलाकर कहा, “अपनी तलवार खींचकर मुझे मार डाल, ऐसा न हो कि लोग मेरे विषय में कहने पाएँ, ‘उसको एक स्त्री ने घात किया।’” तब उसके जवान ने तलवार भोंक दी, और वह मर गया।
তখন অবীমেলক তাড়াতাড়ি তার অস্ত্র-বহনকারীকে ডেকে বলল, “তুমি তরোয়াল টেনে বের করো ও আমাকে হত্যা করো, যেন তারা বলতে না পারে যে, ‘একজন স্ত্রীলোক তাকে হত্যা করেছে।’” অতএব তার দাস তাকে বিদ্ধ করল, ও সে মারা গেল।
55 ५५ यह देखकर कि अबीमेलेक मर गया है इस्राएली अपने-अपने स्थान को चले गए।
ইস্রায়েলীরা যখন দেখল যে অবীমেলক মারা গিয়েছে, তখন তারা স্বদেশে ফিরে গেল।
56 ५६ इस प्रकार जो दुष्ट काम अबीमेलेक ने अपने सत्तर भाइयों को घात करके अपने पिता के साथ किया था, उसको परमेश्वर ने उसके सिर पर लौटा दिया;
এইভাবে ঈশ্বর অবীমেলকের সেই দুষ্টতার প্রতিফল তাকে দিলেন, যা সে তার সত্তরজন ভাইকে হত্যা করার মাধ্যমে তার বাবার প্রতি করেছিল।
57 ५७ और शेकेम के पुरुषों के भी सब दुष्ट काम परमेश्वर ने उनके सिर पर लौटा दिए, और यरूब्बाल के पुत्र योताम का श्राप उन पर घट गया।
আবার শিখিমের লোকদের সব দুষ্টতার প্রতিফলও ঈশ্বর তাদের দিলেন। যিরুব্বায়ালের ছেলে যোথমের অভিশাপ তাদের উপরে বর্তালো।

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