< यहूदा 1 >

1 यहूदा की ओर से जो यीशु मसीह का दास और याकूब का भाई है, उन बुलाए हुओं के नाम जो परमेश्वर पिता में प्रिय और यीशु मसीह के लिये सुरक्षित हैं।
यहूदा को तरफ सी जो यीशु मसीह को सेवक अऊर याकूब को भाऊ आय, उन बुलायो हुयो को नाम जो परमेश्वर पिता म प्रिय अऊर यीशु मसीह को लायी सुरक्षित हंय।
2 दया और शान्ति और प्रेम तुम्हें बहुतायत से प्राप्त होता रहे।
दया अऊर शान्ति अऊर प्रेम तुम्ख बहुतायत सी हासिल होतो रहे।
3 हे प्रियों, जब मैं तुम्हें उस उद्धार के विषय में लिखने में अत्यन्त परिश्रम से प्रयत्न कर रहा था, जिसमें हम सब सहभागी हैं; तो मैंने तुम्हें यह समझाना आवश्यक जाना कि उस विश्वास के लिये पूरा यत्न करो जो पवित्र लोगों को एक ही बार सौंपा गया था।
हे प्रिय संगियों, जब मय तुम्ख ऊ उद्धार को बारे म लिखनो म अत्यन्त मेहनत सी कोशिश कर रह्यो होतो जेको म हम सब सहभागी हंय, त मय न तुम्ख यो लिखन अऊर उत्साहित करन की जरूरत महसुस करयो कि तुम ऊ विश्वास को लायी संघर्ष करतो रहो जेक परमेश्वर न अपनो पवित्र लोगों ख एकच बार सब को लायी सौंप्यो गयो हय।
4 क्योंकि कितने ऐसे मनुष्य चुपके से हम में आ मिले हैं, जिनसे इस दण्ड का वर्णन पुराने समय में पहले ही से लिखा गया था: ये भक्तिहीन हैं, और हमारे परमेश्वर के अनुग्रह को लुचपन में बदल डालते है, और हमारे एकमात्र स्वामी और प्रभु यीशु मसीह का इन्कार करते हैं।
कहालीकि कितनो असो आदमी चुपका सी हमरो झुण्ड म आय मिल्यो हंय, उन लोगों को सजा को बारे म शास्त्रों न बहुत पहिलेच भविष्यवानी कर दी होती: हि लोग भक्तिहीन हंय, अऊर हमरो परमेश्वर को अनुग्रह ख इन लोगों न परमेश्वर को अनैतिक रस्ता को बहाना बनाय डाल्यो हय तथा असो हमरो प्रभु यीशु मसीह एकमात्र स्वामी अऊर प्रभु ओख इन्कार करय हंय।
5 यद्यपि तुम सब बात एक बार जान चुके हो, तो भी मैं तुम्हें इस बात की सुधि दिलाना चाहता हूँ, कि प्रभु ने एक कुल को मिस्र देश से छुड़ाने के बाद विश्वास न लानेवालों को नाश कर दिया।
पर यानेकि तुम सब बात एक बार जान गयो हय, तब भी मय तुम्ख या बात की याद दिलानो चाहऊ हय कि प्रभु न इस्राएल ख मिस्र देश सी छुड़ावन को बाद विश्वास नहीं लान वालो ख नाश कर दियो।
6 फिर जिन स्वर्गदूतों ने अपने पद को स्थिर न रखा वरन् अपने निज निवास को छोड़ दिया, उसने उनको भी उस भीषण दिन के न्याय के लिये अंधकार में जो सनातन के लिये है बन्धनों में रखा है। (aïdios g126)
तुम्ख यो भी याद दिलानो चाहऊ हय जो स्वर्गदूतों न अपनी सत्ता ख बनाय क नहीं रख सक्यो पर अपनी निजी निवास ख छोड़ दियो, ओन उन्की भी ऊ कठिन दिन को न्याय को लायी अन्धारो म, जो सनातन काल को लायी हय, बन्धनों म रख्यो हय। (aïdios g126)
7 जिस रीति से सदोम और गमोरा और उनके आस-पास के नगर, जो इनके समान व्यभिचारी हो गए थे और पराए शरीर के पीछे लग गए थे आग के अनन्त दण्ड में पड़कर दृष्टान्त ठहरे हैं। (aiōnios g166)
जो रीति सी सदोम अऊर अमोरा अऊर उन्को आजु-बाजू को नगर, जो स्वर्गदूतों को जसो व्यभिचारी होय गयो होतो अऊर अनैतिक यौनसंबन्ध को पीछू लग गयो होतो, आगी को अनन्त दण्ड म पड़ क उदाहरन को रूप म स्थित हंय। (aiōnios g166)
8 उसी रीति से ये स्वप्नदर्शी भी अपने-अपने शरीर को अशुद्ध करते, और प्रभुता को तुच्छ जानते हैं; और ऊँचे पदवालों को बुरा-भला कहते हैं।
उच रीति सी यो स्वप्नदर्शी भी अपनो-अपनो शरीर ख अशुद्ध करय, अऊर परमेश्वर को अधिकार अऊर स्वर्गदूतों ख तुच्छ मानय हय, अऊर ऊचो पद वालो ख बुरो भलो कह्य हंय।
9 परन्तु प्रधान स्वर्गदूत मीकाईल ने, जब शैतान से मूसा के शव के विषय में वाद-विवाद किया, तो उसको बुरा-भला कहकर दोष लगाने का साहस न किया; पर यह कहा, “प्रभु तुझे डाँटे।”
पर प्रधान स्वर्गदूत मीकाईल न, जब शैतान सी मूसा को मरयो शरीर को बारे म वाद-विवाद करयो, त ओख बुरो-भलो कह्य क् मीकाईल न दोष लगातो हुयो अपमान जनक को साहस नहीं करयो पर कह्यो, “प्रभु तोख डाटे।”
10 १० पर ये लोग जिन बातों को नहीं जानते, उनको बुरा-भला कहते हैं; पर जिन बातों को अचेतन पशुओं के समान स्वभाव ही से जानते हैं, उनमें अपने आपको नाश करते हैं।
पर हि लोग उन बातों की आलोचना करय हय जिन्ख हि समझावय नहाय हि लोग बुद्धीहीन जनावरों को जसो जिन बातों सी सहज रीति सी परिचीत हय यो बाते या आय जिन्कोसी उन्को नाश होन वालो हंय।
11 ११ उन पर हाय! कि वे कैन के समान चाल चले, और मजदूरी के लिये बिलाम के समान भ्रष्ट हो गए हैं और कोरह के समान विरोध करके नाश हुए हैं।
उन पर हाय! कहालीकि हि कैन को जसी चाल चले, अऊर पैसा को लोभ को वजह सी बिलाम को जसो भ्रष्ट होय गयो हंय, अऊर कोरह को जसो विरोध कर क् नाश भयो हंय।
12 १२ यह तुम्हारे प्रेम-भोजों में तुम्हारे साथ खाते-पीते, समुद्र में छिपी हुई चट्टान सरीखे हैं, और बेधड़क अपना ही पेट भरनेवाले रखवाले हैं; वे निर्जल बादल हैं; जिन्हें हवा उड़ा ले जाती है; पतझड़ के निष्फल पेड़ हैं, जो दो बार मर चुके हैं; और जड़ से उखड़ गए हैं;
हि लोग तुम्हरो प्रिति भोज म घातक हय हि लूकी हुयो ककंर को जसो हय हि केवल अपनोच स्वार्थ कोच चिन्ता करय हय। हि बिना पानी को बादर को जसो हय, हि पतझड़ को असो झाड़ हय जिन पर फर नहीं होवय हय हि दुबारा मरयो हुयो हय उन्ख जड़ी सी उखाड़्यो जाय चुक्यो हय;
13 १३ ये समुद्र के प्रचण्ड हिलकोरे हैं, जो अपनी लज्जा का फेन उछालते हैं। ये डाँवाडोल तारे हैं, जिनके लिये सदाकाल तक घोर अंधकार रखा गया है। (aiōn g165)
ऊ समुन्दर की भयानक लहर जसो हय जो अपनी लज्जा पूरो कार्यो ख फेस दिखाती रह्य हंय, हि भटकतो तारा जसी रह्य हंय, जिन्को लायी परमेश्वर न अनन्त घोर अन्धारो सुनिश्चित कर दियो हय। (aiōn g165)
14 १४ और हनोक ने भी जो आदम से सातवीं पीढ़ी में था, इनके विषय में यह भविष्यद्वाणी की, “देखो, प्रभु अपने लाखों पवित्रों के साथ आया।
हनोक न भी जो आदम सी सातवी पीढ़ी म होतो, इन्को बारे म या भविष्यवानी करी, “देखो, प्रभु अपनो हजारों पवित्रों स्वर्गदूतों को संग आयेंन।
15 १५ कि सब का न्याय करे, और सब भक्तिहीनों को उनके अभक्ति के सब कामों के विषय में जो उन्होंने भक्तिहीन होकर किए हैं, और उन सब कठोर बातों के विषय में जो भक्तिहीन पापियों ने उसके विरोध में कही हैं, दोषी ठहराए।”
कि सब को न्याय करे, अऊर सब भक्तिहीनों ख उन्को अभक्ति को सब कामों को बारे म जो उन्न भक्तिहीन होय क करयो हय, अऊर उन सब कठोर बातों को बारे म जो भक्तिहीन पापियों न ओको विरोध म कहीं हंय, दोषी ठहरायो।”
16 १६ ये तो असंतुष्ट, कुड़कुड़ानेवाले, और अपनी अभिलाषाओं के अनुसार चलनेवाले हैं; और अपने मुँह से घमण्ड की बातें बोलते हैं; और वे लाभ के लिये मुँह देखी बड़ाई किया करते हैं।
हि लोग असंतुष्ट, चुगलखोर अऊर दूसरों पर दोष लगावन वालो हंय, हि लोग अपनीच बुरी लालसावों पर चलन वालो हय, हि अपनोच बारे म घमण्ड करय हंय, अऊर अपनो फायदा को लायी दूसरों की चापलूसी करय हंय।
17 १७ पर हे प्रियों, तुम उन बातों को स्मरण रखो; जो हमारे प्रभु यीशु मसीह के प्रेरित पहले कह चुके हैं।
पर हे प्रिय संगियों, तुम उन बातों ख याद रखो जो हमरो प्रभु यीशु मसीह को प्रेरित पहिलेच कह्य चुक्यो हंय।
18 १८ वे तुम से कहा करते थे, “पिछले दिनों में ऐसे उपहास करनेवाले होंगे, जो अपनी अभक्ति की अभिलाषाओं के अनुसार चलेंगे।”
हि तुम सी कहत होतो, “आखरी को दिनो म असो लोग प्रगट होयेंन जो ठट्ठा करन वालो होयेंन हि लोग जो अपनीच अभक्ति की इच्छावों को अनुसार चलेंन।”
19 १९ ये तो वे हैं, जो फूट डालते हैं; ये शारीरिक लोग हैं, जिनमें आत्मा नहीं।
यो हि लोग आय जो फूट डालय हंय; हि उन्को शारीरिक इच्छावों को नियंत्रन म हंय, जिन को जवर परमेश्वर की आत्मा नहाय।
20 २० पर हे प्रियों तुम अपने अति पवित्र विश्वास में अपनी उन्नति करते हुए और पवित्र आत्मा में प्रार्थना करते हुए,
पर हे प्रियो, तुम अपनो अति पवित्र विश्वास म उन्नति करतो हुयो अऊर पवित्र आत्मा की सामर्थ म प्रार्थना करतो हुयो,
21 २१ अपने आपको परमेश्वर के प्रेम में बनाए रखो; और अनन्त जीवन के लिये हमारे प्रभु यीशु मसीह की दया की आशा देखते रहो। (aiōnios g166)
अपनो आप ख परमेश्वर को प्रेम म बनायो रखो; अऊर अनन्त जीवन को लायी हमरो प्रभु यीशु मसीह की दया की बाट देखतो रहो। (aiōnios g166)
22 २२ और उन पर जो शंका में हैं दया करो।
उन पर जो शक म हंय दया करो;
23 २३ और बहुतों को आग में से झपटकर निकालो, और बहुतों पर भय के साथ दया करो; वरन् उस वस्त्र से भी घृणा करो जो शरीर के द्वारा कलंकित हो गया है।
अऊर बहुतों ख आगी म सी झपट क निकालो; अऊर बहुतों पर डर को संग दया करो, पर उन्को कपड़ा सी घृना करो जिन पर कामुक्ता को धब्बा लग्यो हुयो हय।
24 २४ अब जो तुम्हें ठोकर खाने से बचा सकता है, और अपनी महिमा की भरपूरी के सामने मगन और निर्दोष करके खड़ा कर सकता है।
अब ओको प्रति जो तुम्ख गिरन सी बचाय सकय हय, अऊर अपनी महिमामय उपस्थिति म निर्दोष कर क् खड़ो कर सकय हय,
25 २५ उस एकमात्र परमेश्वर के लिए, हमारे उद्धारकर्ता की महिमा, गौरव, पराक्रम और अधिकार, हमारे प्रभु यीशु मसीह के द्वारा जैसा सनातन काल से है, अब भी हो और युगानुयुग रहे। आमीन। (aiōn g165)
ऊ एकमात्र परमेश्वर हमरो उद्धारकर्ता की महिमा अऊर गौरव अऊर पराक्रम अऊर अधिकार, हमरो प्रभु यीशु मसीह को द्वारा जसो युग युगान्तर काल सी हय, अब भी हो अऊर हमेशा हमेशा रहेंन। आमीन। (aiōn g165)

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