< यहोशू 8 >

1 तब यहोवा ने यहोशू से कहा, “मत डर, और तेरा मन कच्चा न हो; कमर बाँधकर सब योद्धाओं को साथ ले, और आई पर चढ़ाई कर; सुन, मैंने आई के राजा को उसकी प्रजा और उसके नगर और देश समेत तेरे वश में कर दिया है।
וַיֹּ֨אמֶר יְהוָ֤ה אֶל־יְהוֹשֻׁ֙עַ֙ אַל־תִּירָ֣א וְאַל־תֵּחָ֔ת קַ֣ח עִמְּךָ֗ אֵ֚ת כָּל־עַ֣ם הַמִּלְחָמָ֔ה וְק֖וּם עֲלֵ֣ה הָעָ֑י רְאֵ֣ה ׀ נָתַ֣תִּי בְיָדְךָ֗ אֶת־מֶ֤לֶךְ הָעַי֙ וְאֶת־עַמּ֔וֹ וְאֶת־עִיר֖וֹ וְאֶת־אַרְצֽוֹ׃
2 और जैसा तूने यरीहो और उसके राजा से किया वैसा ही आई और उसके राजा के साथ भी करना; केवल तुम पशुओं समेत उसकी लूट तो अपने लिये ले सकोगे; इसलिए उस नगर के पीछे की ओर अपने पुरुष घात में लगा दो।”
וְעָשִׂ֨יתָ לָעַ֜י וּלְמַלְכָּ֗הּ כַּאֲשֶׁ֨ר עָשִׂ֤יתָ לִֽירִיחוֹ֙ וּלְמַלְכָּ֔הּ רַק־שְׁלָלָ֥הּ וּבְהֶמְתָּ֖הּ תָּבֹ֣זּוּ לָכֶ֑ם שִׂים־לְךָ֥ אֹרֵ֛ב לָעִ֖יר מֵאַחֲרֶֽיהָ׃
3 अतः यहोशू ने सब योद्धाओं समेत आई पर चढ़ाई करने की तैयारी की; और यहोशू ने तीस हजार पुरुषों को जो शूरवीर थे चुनकर रात ही को आज्ञा देकर भेजा।
וַיָּ֧קָם יְהוֹשֻׁ֛עַ וְכָל־עַ֥ם הַמִּלְחָמָ֖ה לַעֲל֣וֹת הָעָ֑י וַיִּבְחַ֣ר יְ֠הוֹשֻׁעַ שְׁלֹשִׁ֨ים אֶ֤לֶף אִישׁ֙ גִּבּוֹרֵ֣י הַחַ֔יִל וַיִּשְׁלָחֵ֖ם לָֽיְלָה׃
4 और उनको यह आज्ञा दी, “सुनो, तुम उस नगर के पीछे की ओर घात लगाए बैठे रहना; नगर से बहुत दूर न जाना, और सब के सब तैयार रहना;
וַיְצַ֨ו אֹתָ֜ם לֵאמֹ֗ר רְ֠אוּ אַתֶּ֞ם אֹרְבִ֤ים לָעִיר֙ מֵאַחֲרֵ֣י הָעִ֔יר אַל־תַּרְחִ֥יקוּ מִן־הָעִ֖יר מְאֹ֑ד וִהְיִיתֶ֥ם כֻּלְּכֶ֖ם נְכֹנִֽים׃
5 और मैं अपने सब साथियों समेत उस नगर के निकट जाऊँगा। और जब वे पहले के समान हमारा सामना करने को निकलें, तब हम उनके आगे से भागेंगे;
וַאֲנִ֗י וְכָל־הָעָם֙ אֲשֶׁ֣ר אִתִּ֔י נִקְרַ֖ב אֶל־הָעִ֑יר וְהָיָ֗ה כִּֽי־יֵצְא֤וּ לִקְרָאתֵ֙נוּ֙ כַּאֲשֶׁ֣ר בָּרִֽאשֹׁנָ֔ה וְנַ֖סְנוּ לִפְנֵיהֶֽם׃
6 तब वे यह सोचकर, कि वे पहले की भाँति हमारे सामने से भागे जाते हैं, हमारा पीछा करेंगे; इस प्रकार हम उनके सामने से भागकर उन्हें नगर से दूर निकाल ले जाएँगे;
וְיָצְא֣וּ אַחֲרֵ֗ינוּ עַ֣ד הַתִּיקֵ֤נוּ אוֹתָם֙ מִן־הָעִ֔יר כִּ֣י יֹֽאמְר֔וּ נָסִ֣ים לְפָנֵ֔ינוּ כַּאֲשֶׁ֖ר בָּרִֽאשֹׁנָ֑ה וְנַ֖סְנוּ לִפְנֵיהֶֽם׃
7 तब तुम घात में से उठकर नगर को अपना कर लेना; क्योंकि तुम्हारा परमेश्वर यहोवा उसको तुम्हारे हाथ में कर देगा।
וְאַתֶּ֗ם תָּקֻ֙מוּ֙ מֵהָ֣אוֹרֵ֔ב וְהוֹרַשְׁתֶּ֖ם אֶת־הָעִ֑יר וּנְתָנָ֛הּ יְהוָ֥ה אֱלֹֽהֵיכֶ֖ם בְּיֶדְכֶֽם׃
8 और जब नगर को ले लो, तब उसमें आग लगाकर फूँक देना, यहोवा की आज्ञा के अनुसार ही काम करना; सुनो, मैंने तुम्हें आज्ञा दी है।”
וְהָיָ֞ה כְּתָפְשְׂכֶ֣ם אֶת־הָעִ֗יר תַּצִּ֤יתוּ אֶת־הָעִיר֙ בָּאֵ֔שׁ כִּדְבַ֥ר יְהוָ֖ה תַּעֲשׂ֑וּ רְא֖וּ צִוִּ֥יתִי אֶתְכֶֽם׃
9 तब यहोशू ने उनको भेज दिया; और वे घात में बैठने को चले गए, और बेतेल और आई के मध्य में और आई की पश्चिम की ओर बैठे रहे; परन्तु यहोशू उस रात को लोगों के बीच टिका रहा।
וַיִּשְׁלָחֵ֣ם יְהוֹשֻׁ֗עַ וַיֵּֽלְכוּ֙ אֶל־הַמַּאְרָ֔ב וַיֵּשְׁב֗וּ בֵּ֧ין בֵּֽית־אֵ֛ל וּבֵ֥ין הָעַ֖י מִיָּ֣ם לָעָ֑י וַיָּ֧לֶן יְהוֹשֻׁ֛עַ בַּלַּ֥יְלָה הַה֖וּא בְּת֥וֹךְ הָעָֽם׃
10 १० यहोशू सवेरे उठा, और लोगों की गिनती करके इस्राएली वृद्ध लोगों समेत लोगों के आगे-आगे आई की ओर चला।
וַיַּשְׁכֵּ֤ם יְהוֹשֻׁ֙עַ֙ בַּבֹּ֔קֶר וַיִּפְקֹ֖ד אֶת־הָעָ֑ם וַיַּ֨עַל ה֜וּא וְזִקְנֵ֧י יִשְׂרָאֵ֛ל לִפְנֵ֥י הָעָ֖ם הָעָֽי׃
11 ११ और उसके संग के सब योद्धा चढ़ गए, और आई नगर के निकट पहुँचकर उसके सामने उत्तर की ओर डेरे डाल दिए, और उनके और आई के बीच एक तराई थी।
וְכָל־הָעָ֨ם הַמִּלְחָמָ֜ה אֲשֶׁ֣ר אִתּ֗וֹ עָלוּ֙ וַֽיִּגְּשׁ֔וּ וַיָּבֹ֖אוּ נֶ֣גֶד הָעִ֑יר וַֽיַּחֲנוּ֙ מִצְּפ֣וֹן לָעַ֔י וְהַגַּ֖י בינו וּבֵין־הָעָֽי׃
12 १२ तब उसने कोई पाँच हजार पुरुष चुनकर बेतेल और आई के मध्य नगर के पश्चिम की ओर उनको घात में बैठा दिया।
וַיִּקַּ֕ח כַּחֲמֵ֥שֶׁת אֲלָפִ֖ים אִ֑ישׁ וַיָּ֨שֶׂם אוֹתָ֜ם אֹרֵ֗ב בֵּ֧ין בֵּֽית־אֵ֛ל וּבֵ֥ין הָעַ֖י מִיָּ֥ם לָעִֽיר׃
13 १३ और जब लोगों ने नगर के उत्तर ओर की सारी सेना को और उसके पश्चिम ओर घात में बैठे हुओं को भी ठिकाने पर कर दिया, तब यहोशू उसी रात तराई के बीच गया।
וַיָּשִׂ֨ימוּ הָעָ֜ם אֶת־כָּל־הַֽמַּחֲנֶ֗ה אֲשֶׁר֙ מִצְּפ֣וֹן לָעִ֔יר וְאֶת־עֲקֵב֖וֹ מִיָּ֣ם לָעִ֑יר וַיֵּ֧לֶךְ יְהוֹשֻׁ֛עַ בַּלַּ֥יְלָה הַה֖וּא בְּת֥וֹךְ הָעֵֽמֶק׃
14 १४ जब आई के राजा ने यह देखा, तब वे फुर्ती करके सवेरे उठे, और राजा अपनी सारी प्रजा को लेकर इस्राएलियों के सामने उनसे लड़ने को निकलकर ठहराए हुए स्थान पर जो अराबा के सामने है पहुँचा; और वह नहीं जानता था कि नगर की पिछली ओर लोग घात लगाए बैठे हैं।
וַיְהִ֞י כִּרְא֣וֹת מֶֽלֶךְ־הָעַ֗י וַֽיְמַהֲר֡וּ וַיַּשְׁכִּ֡ימוּ וַיֵּצְא֣וּ אַנְשֵֽׁי־הָעִ֣יר לִקְרַֽאת־יִ֠שְׂרָאֵל לַֽמִּלְחָמָ֞ה ה֧וּא וְכָל־עַמּ֛וֹ לַמּוֹעֵ֖ד לִפְנֵ֣י הָֽעֲרָבָ֑ה וְהוּא֙ לֹ֣א יָדַ֔ע כִּֽי־אֹרֵ֥ב ל֖וֹ מֵאַחֲרֵ֥י הָעִֽיר׃
15 १५ तब यहोशू और सब इस्राएली उनसे मानो हार मानकर जंगल का मार्ग लेकर भाग निकले।
וַיִּנָּֽגְע֛וּ יְהוֹשֻׁ֥עַ וְכָל־יִשְׂרָאֵ֖ל לִפְנֵיהֶ֑ם וַיָּנֻ֖סוּ דֶּ֥רֶךְ הַמִּדְבָּֽר׃
16 १६ तब नगर के सब लोग इस्राएलियों का पीछा करने को पुकार-पुकारके बुलाए गए; और वे यहोशू का पीछा करते हुए नगर से दूर निकल गए।
וַיִּזָּעֲק֗וּ כָּל־הָעָם֙ אֲשֶׁ֣ר בעיר לִרְדֹּ֖ף אַחֲרֵיהֶ֑ם וַֽיִּרְדְּפוּ֙ אַחֲרֵ֣י יְהוֹשֻׁ֔עַ וַיִּנָּתְק֖וּ מִן־הָעִֽיר׃
17 १७ और न आई में और न बेतेल में कोई पुरुष रह गया, जो इस्राएलियों का पीछा करने को न गया हो; और उन्होंने नगर को खुला हुआ छोड़कर इस्राएलियों का पीछा किया।
וְלֹֽא־נִשְׁאַ֣ר אִ֗ישׁ בָּעַי֙ וּבֵ֣ית אֵ֔ל אֲשֶׁ֥ר לֹֽא־יָצְא֖וּ אַחֲרֵ֣י יִשְׂרָאֵ֑ל וַיַּעַזְב֤וּ אֶת־הָעִיר֙ פְּתוּחָ֔ה וַֽיִּרְדְּפ֖וּ אַחֲרֵ֥י יִשְׂרָאֵֽל׃ פ
18 १८ तब यहोवा ने यहोशू से कहा, “अपने हाथ का बर्छा आई की ओर बढ़ा; क्योंकि मैं उसे तेरे हाथ में दे दूँगा।” और यहोशू ने अपने हाथ के बर्छे को नगर की ओर बढ़ाया।
וַיֹּ֨אמֶר יְהוָ֜ה אֶל־יְהוֹשֻׁ֗עַ נְ֠טֵה בַּכִּיד֤וֹן אֲשֶׁר־בְּיָֽדְךָ֙ אֶל־הָעַ֔י כִּ֥י בְיָדְךָ֖ אֶתְּנֶ֑נָּה וַיֵּ֧ט יְהוֹשֻׁ֛עַ בַּכִּיד֥וֹן אֲשֶׁר־בְּיָד֖וֹ אֶל־הָעִֽיר׃
19 १९ उसके हाथ बढ़ाते ही जो लोग घात में बैठे थे वे झटपट अपने स्थान से उठे, और दौड़कर नगर में प्रवेश किया और उसको ले लिया; और झटपट उसमें आग लगा दी।
וְהָאוֹרֵ֡ב קָם֩ מְהֵרָ֨ה מִמְּקוֹמ֤וֹ וַיָּר֙וּצוּ֙ כִּנְט֣וֹת יָד֔וֹ וַיָּבֹ֥אוּ הָעִ֖יר וַֽיִּלְכְּד֑וּהָ וַֽיְמַהֲר֔וּ וַיַּצִּ֥יתוּ אֶת־הָעִ֖יר בָּאֵֽשׁ׃
20 २० जब आई के पुरुषों ने पीछे की ओर फिरकर दृष्टि की, तो क्या देखा, कि नगर का धुआँ आकाश की ओर उठ रहा है; और उन्हें न तो इधर भागने की शक्ति रही, और न उधर, और जो लोग जंगल की ओर भागे जाते थे वे फिरकर अपने खदेड़नेवालों पर टूट पड़े।
וַיִּפְנ֣וּ אַנְשֵׁי֩ הָעַ֨י אַחֲרֵיהֶ֜ם וַיִּרְא֗וּ וְהִנֵּ֨ה עָלָ֜ה עֲשַׁ֤ן הָעִיר֙ הַשָּׁמַ֔יְמָה וְלֹא־הָיָ֨ה בָהֶ֥ם יָדַ֛יִם לָנ֖וּס הֵ֣נָּה וָהֵ֑נָּה וְהָעָם֙ הַנָּ֣ס הַמִּדְבָּ֔ר נֶהְפַּ֖ךְ אֶל־הָרוֹדֵֽף׃
21 २१ जब यहोशू और सब इस्राएलियों ने देखा कि घातियों ने नगर को ले लिया, और उसका धुआँ उठ रहा है, तब घूमकर आई के पुरुषों को मारने लगे।
וִיהוֹשֻׁ֨עַ וְכָֽל־יִשְׂרָאֵ֜ל רָא֗וּ כִּֽי־לָכַ֤ד הָֽאֹרֵב֙ אֶת־הָעִ֔יר וְכִ֥י עָלָ֖ה עֲשַׁ֣ן הָעִ֑יר וַיָּשֻׁ֕בוּ וַיַּכּ֖וּ אֶת־אַנְשֵׁ֥י הָעָֽי׃
22 २२ और उनका सामना करने को दूसरे भी नगर से निकल आए; सो वे इस्राएलियों के बीच में पड़ गए, कुछ इस्राएली तो उनके आगे, और कुछ उनके पीछे थे; अतः उन्होंने उनको यहाँ तक मार डाला कि उनमें से न तो कोई बचने और न भागने पाया।
וְאֵ֨לֶּה יָצְא֤וּ מִן־הָעִיר֙ לִקְרָאתָ֔ם וַיִּֽהְי֤וּ לְיִשְׂרָאֵל֙ בַּתָּ֔וֶךְ אֵ֥לֶּה מִזֶּ֖ה וְאֵ֣לֶּה מִזֶּ֑ה וַיַּכּ֣וּ אוֹתָ֔ם עַד־בִּלְתִּ֥י הִשְׁאִֽיר־ל֖וֹ שָׂרִ֥יד וּפָלִֽיט׃
23 २३ और आई के राजा को वे जीवित पकड़कर यहोशू के पास ले आए।
וְאֶת־מֶ֥לֶךְ הָעַ֖י תָּ֣פְשׂוּ חָ֑י וַיַּקְרִ֥בוּ אֹת֖וֹ אֶל־יְהוֹשֻֽׁעַ׃
24 २४ और जब इस्राएली आई के सब निवासियों को मैदान में, अर्थात् उस जंगल में जहाँ उन्होंने उनका पीछा किया था घात कर चुके, और वे सब के सब तलवार से मारे गए यहाँ तक कि उनका अन्त ही हो गया, तब सब इस्राएलियों ने आई को लौटकर उसे भी तलवार से मारा।
וַיְהִ֣י כְּכַלּ֣וֹת יִשְׂרָאֵ֡ל לַהֲרֹג֩ אֶת־כָּל־יֹשְׁבֵ֨י הָעַ֜י בַּשָּׂדֶ֗ה בַּמִּדְבָּר֙ אֲשֶׁ֣ר רְדָפ֣וּם בּ֔וֹ וַֽיִּפְּל֥וּ כֻלָּ֛ם לְפִי־חֶ֖רֶב עַד־תֻּמָּ֑ם וַיָּשֻׁ֤בוּ כָל־יִשְׂרָאֵל֙ הָעַ֔י וַיַּכּ֥וּ אֹתָ֖הּ לְפִי־חָֽרֶב׃
25 २५ और स्त्री पुरुष, सब मिलाकर जो उस दिन मारे गए वे बारह हजार थे, और आई के सब पुरुष इतने ही थे।
וַיְהִי֩ כָל־הַנֹּ֨פְלִ֜ים בַּיּ֤וֹם הַהוּא֙ מֵאִ֣ישׁ וְעַד־אִשָּׁ֔ה שְׁנֵ֥ים עָשָׂ֖ר אָ֑לֶף כֹּ֖ל אַנְשֵׁ֥י הָעָֽי׃
26 २६ क्योंकि जब तक यहोशू ने आई के सब निवासियों का सत्यानाश न कर डाला तब तक उसने अपना हाथ, जिससे बर्छा बढ़ाया था, फिर न खींचा।
וִיהוֹשֻׁ֙עַ֙ לֹֽא־הֵשִׁ֣יב יָד֔וֹ אֲשֶׁ֥ר נָטָ֖ה בַּכִּיד֑וֹן עַ֚ד אֲשֶׁ֣ר הֶחֱרִ֔ים אֵ֖ת כָּל־יֹשְׁבֵ֥י הָעָֽי׃
27 २७ यहोवा की उस आज्ञा के अनुसार जो उसने यहोशू को दी थी इस्राएलियों ने पशु आदि नगर की लूट अपनी कर ली।
רַ֣ק הַבְּהֵמָ֗ה וּשְׁלַל֙ הָעִ֣יר הַהִ֔יא בָּזְז֥וּ לָהֶ֖ם יִשְׂרָאֵ֑ל כִּדְבַ֣ר יְהוָ֔ה אֲשֶׁ֥ר צִוָּ֖ה אֶת־יְהוֹשֻֽׁעַ׃
28 २८ तब यहोशू ने आई को फुँकवा दिया, और उसे सदा के लिये खण्डहर कर दिया: वह आज तक उजाड़ पड़ा है।
וַיִּשְׂרֹ֥ף יְהוֹשֻׁ֖עַ אֶת־הָעָ֑י וַיְשִׂימֶ֤הָ תֵּל־עוֹלָם֙ שְׁמָמָ֔ה עַ֖ד הַיּ֥וֹם הַזֶּֽה׃
29 २९ और आई के राजा को उसने साँझ तक वृक्ष पर लटका रखा; और सूर्य डूबते-डूबते यहोशू की आज्ञा से उसका शव वृक्ष पर से उतारकर नगर के फाटक के सामने डाल दिया गया, और उस पर पत्थरों का बड़ा ढेर लगा दिया, जो आज तक बना है।
וְאֶת־מֶ֧לֶךְ הָעַ֛י תָּלָ֥ה עַל־הָעֵ֖ץ עַד־עֵ֣ת הָעָ֑רֶב וּכְב֣וֹא הַשֶּׁמֶשׁ֩ צִוָּ֨ה יְהוֹשֻׁ֜עַ וַיֹּרִ֧ידוּ אֶת־נִבְלָת֣וֹ מִן־הָעֵ֗ץ וַיַּשְׁלִ֤יכוּ אוֹתָהּ֙ אֶל־פֶּ֙תַח֙ שַׁ֣עַר הָעִ֔יר וַיָּקִ֤ימוּ עָלָיו֙ גַּל־אֲבָנִ֣ים גָּד֔וֹל עַ֖ד הַיּ֥וֹם הַזֶּֽה׃ פ
30 ३० तब यहोशू ने इस्राएल के परमेश्वर यहोवा के लिये एबाल पर्वत पर एक वेदी बनवाई,
אָ֣ז יִבְנֶ֤ה יְהוֹשֻׁ֙עַ֙ מִזְבֵּ֔חַ לַֽיהוָ֖ה אֱלֹהֵ֣י יִשְׂרָאֵ֑ל בְּהַ֖ר עֵיבָֽל׃
31 ३१ जैसा यहोवा के दास मूसा ने इस्राएलियों को आज्ञा दी थी, और जैसा मूसा की व्यवस्था की पुस्तक में लिखा है, उसने समूचे पत्थरों की एक वेदी बनवाई जिस पर औज़ार नहीं चलाया गया था। और उस पर उन्होंने यहोवा के लिये होमबलि चढ़ाए, और मेलबलि किए।
כַּאֲשֶׁ֣ר צִוָּה֩ מֹשֶׁ֨ה עֶֽבֶד־יְהוָ֜ה אֶת־בְּנֵ֣י יִשְׂרָאֵ֗ל כַּכָּתוּב֙ בְּסֵ֙פֶר֙ תּוֹרַ֣ת מֹשֶׁ֔ה מִזְבַּח֙ אֲבָנִ֣ים שְׁלֵמ֔וֹת אֲשֶׁ֛ר לֹֽא־הֵנִ֥יף עֲלֵיהֶ֖ן בַּרְזֶ֑ל וַיַּעֲל֨וּ עָלָ֤יו עֹלוֹת֙ לַֽיהוָ֔ה וַֽיִּזְבְּח֖וּ שְׁלָמִֽים׃
32 ३२ उसी स्थान पर यहोशू ने इस्राएलियों के सामने उन पत्थरों के ऊपर मूसा की व्यवस्था, जो उसने लिखी थी, उसकी नकल कराई।
וַיִּכְתָּב־שָׁ֖ם עַל־הָאֲבָנִ֑ים אֵ֗ת מִשְׁנֵה֙ תּוֹרַ֣ת מֹשֶׁ֔ה אֲשֶׁ֣ר כָּתַ֔ב לִפְנֵ֖י בְּנֵ֥י יִשְׂרָאֵֽל׃
33 ३३ और वे, क्या देशी क्या परदेशी, सारे इस्राएली अपने वृद्ध लोगों, सरदारों, और न्यायियों समेत यहोवा की वाचा का सन्दूक उठानेवाले लेवीय याजकों के सामने उस सन्दूक के इधर-उधर खड़े हुए, अर्थात् आधे लोग तो गिरिज्जीम पर्वत के, और आधे एबाल पर्वत के सामने खड़े हुए, जैसा कि यहोवा के दास मूसा ने पहले आज्ञा दी थी, कि इस्राएली प्रजा को आशीर्वाद दिए जाएँ।
וְכָל־יִשְׂרָאֵ֡ל וּזְקֵנָ֡יו וְשֹׁטְרִ֣ים ׀ וְשֹׁפְטָ֡יו עֹמְדִ֣ים מִזֶּ֣ה ׀ וּמִזֶּ֣ה ׀ לָאָר֡וֹן נֶגֶד֩ הַכֹּהֲנִ֨ים הַלְוִיִּ֜ם נֹשְׂאֵ֣י ׀ אֲר֣וֹן בְּרִית־יְהוָ֗ה כַּגֵּר֙ כָּֽאֶזְרָ֔ח חֶצְיוֹ֙ אֶל־מ֣וּל הַר־גְּרִזִ֔ים וְהַֽחֶצְי֖וֹ אֶל־מ֣וּל הַר־עֵיבָ֑ל כַּאֲשֶׁ֨ר צִוָּ֜ה מֹשֶׁ֣ה עֶֽבֶד־יְהוָ֗ה לְבָרֵ֛ךְ אֶת־הָעָ֥ם יִשְׂרָאֵ֖ל בָּרִאשֹׁנָֽה׃
34 ३४ उसके बाद उसने आशीष और श्राप की व्यवस्था के सारे वचन, जैसे-जैसे व्यवस्था की पुस्तक में लिखे हुए हैं, वैसे-वैसे पढ़ पढ़कर सुना दिए।
וְאַֽחֲרֵי־כֵ֗ן קָרָא֙ אֶת־כָּל־דִּבְרֵ֣י הַתּוֹרָ֔ה הַבְּרָכָ֖ה וְהַקְּלָלָ֑ה כְּכָל־הַכָּת֖וּב בְּסֵ֥פֶר הַתּוֹרָֽה׃
35 ३५ जितनी बातों की मूसा ने आज्ञा दी थी, उनमें से कोई ऐसी बात नहीं रह गई जो यहोशू ने इस्राएल की सारी सभा, और स्त्रियों, और बाल-बच्चों, और उनके साथ रहनेवाले परदेशी लोगों के सामने भी पढ़कर न सुनाई।
לֹֽא־הָיָ֣ה דָבָ֔ר מִכֹּ֖ל אֲשֶׁר־צִוָּ֣ה מֹשֶׁ֑ה אֲשֶׁ֨ר לֹֽא־קָרָ֜א יְהוֹשֻׁ֗עַ נֶ֣גֶד כָּל־קְהַ֤ל יִשְׂרָאֵל֙ וְהַנָּשִׁ֣ים וְהַטַּ֔ף וְהַגֵּ֖ר הַהֹלֵ֥ךְ בְּקִרְבָּֽם׃ פ

< यहोशू 8 >