< यहोशू 7 >
1 १ परन्तु इस्राएलियों ने अर्पण की वस्तु के विषय में विश्वासघात किया; अर्थात् यहूदा गोत्र का आकान, जो जेरहवंशी जब्दी का पोता और कर्मी का पुत्र था, उसने अर्पण की वस्तुओं में से कुछ ले लिया; इस कारण यहोवा का कोप इस्राएलियों पर भड़क उठा।
2 २ यहोशू ने यरीहो से आई नामक नगर के पास, जो बेतावेन से लगा हुआ बेतेल की पूर्व की ओर है, कुछ पुरुषों को यह कहकर भेजा, “जाकर देश का भेद ले आओ।” और उन पुरुषों ने जाकर आई का भेद लिया।
3 ३ और उन्होंने यहोशू के पास लौटकर कहा, “सब लोग वहाँ न जाएँ, कोई दो तीन हजार पुरुष जाकर आई को जीत सकते हैं; सब लोगों को वहाँ जाने का कष्ट न दे, क्योंकि वे लोग थोड़े ही हैं।”
4 ४ इसलिए कोई तीन हजार पुरुष वहाँ गए; परन्तु आई के रहनेवालों के सामने से भाग आए,
5 ५ तब आई के रहनेवालों ने उनमें से कोई छत्तीस पुरुष मार डाले, और अपने फाटक से शबारीम तक उनका पीछा करके उतराई में उनको मारते गए। तब लोगों का मन पिघलकर जल सा बन गया।
6 ६ तब यहोशू ने अपने वस्त्र फाड़े, और वह और इस्राएली वृद्ध लोग यहोवा के सन्दूक के सामने मुँह के बल गिरकर भूमि पर साँझ तक पड़े रहे; और उन्होंने अपने-अपने सिर पर धूल डाली।
7 ७ और यहोशू ने कहा, “हाय, प्रभु यहोवा, तू अपनी इस प्रजा को यरदन पार क्यों ले आया? क्या हमें एमोरियों के वश में करके नष्ट करने के लिये ले आया है? भला होता कि हम संतोष करके यरदन के उस पार रह जाते!
8 ८ हाय, प्रभु मैं क्या कहूँ, जब इस्राएलियों ने अपने शत्रुओं को पीठ दिखाई है!
9 ९ क्योंकि कनानी वरन् इस देश के सब निवासी यह सुनकर हमको घेर लेंगे, और हमारा नाम पृथ्वी पर से मिटा डालेंगे; फिर तू अपने बड़े नाम के लिये क्या करेगा?”
10 १० यहोवा ने यहोशू से कहा, “उठ, खड़ा हो जा, तू क्यों इस भाँति मुँह के बल भूमि पर पड़ा है?
11 ११ इस्राएलियों ने पाप किया है; और जो वाचा मैंने उनसे अपने साथ बँधाई थी उसको उन्होंने तोड़ दिया है, उन्होंने अर्पण की वस्तुओं में से ले लिया, वरन् चोरी भी की, और छल करके उसको अपने सामान में रख लिया है।
12 १२ इस कारण इस्राएली अपने शत्रुओं के सामने खड़े नहीं रह सकते; वे अपने शत्रुओं को पीठ दिखाते हैं, इसलिए कि वे आप अर्पण की वस्तु बन गए हैं। और यदि तुम अपने मध्य में से अर्पण की वस्तु सत्यानाश न कर डालोगे, तो मैं आगे को तुम्हारे संग नहीं रहूँगा।
13 १३ उठ, प्रजा के लोगों को पवित्र कर, उनसे कह; ‘सवेरे तक अपने-अपने को पवित्र कर रखो; क्योंकि इस्राएल का परमेश्वर यहोवा यह कहता है, “हे इस्राएल, तेरे मध्य में अर्पण की वस्तु है; इसलिए जब तक तू अर्पण की वस्तु को अपने मध्य में से दूर न करे तब तक तू अपने शत्रुओं के सामने खड़ा न रह सकेगा।”
14 १४ इसलिए सवेरे को तुम गोत्र-गोत्र के अनुसार समीप खड़े किए जाओगे; और जिस गोत्र को यहोवा पकड़े वह एक-एक कुल करके पास आए; और जिस कुल को यहोवा पकड़े वह घराना-घराना करके पास आए; फिर जिस घराने को यहोवा पकड़े वह एक-एक पुरुष करके पास आए।
15 १५ तब जो पुरुष अर्पण की वस्तु रखे हुए पकड़ा जाएगा, वह और जो कुछ उसका हो सब आग में डालकर जला दिया जाए; क्योंकि उसने यहोवा की वाचा को तोड़ा है, और इस्राएल में अनुचित कर्म किया है।’”
16 १६ यहोशू सवेरे उठकर इस्राएलियों को गोत्र-गोत्र करके समीप ले गया, और यहूदा का गोत्र पकड़ा गया;
17 १७ तब उसने यहूदा के परिवार को समीप किया, और जेरहवंशियों का कुल पकड़ा गया; फिर जेरहवंशियों के घराने के एक-एक पुरुष को समीप लाया, और जब्दी पकड़ा गया;
18 १८ तब उसने उसके घराने के एक-एक पुरुष को समीप खड़ा किया, और यहूदा गोत्र का आकान, जो जेरहवंशी जब्दी का पोता और कर्मी का पुत्र था, पकड़ा गया।
19 १९ तब यहोशू आकान से कहने लगा, “हे मेरे बेटे, इस्राएल के परमेश्वर यहोवा का आदर कर, और उसके आगे अंगीकार कर; और जो कुछ तूने किया है वह मुझ को बता दे, और मुझसे कुछ मत छिपा।”
20 २० आकान ने यहोशू को उत्तर दिया, “सचमुच मैंने इस्राएल के परमेश्वर यहोवा के विरुद्ध पाप किया है, और इस प्रकार मैंने किया है,
21 २१ कि जब मुझे लूट में बाबेल देश का एक सुन्दर ओढ़ना, और दो सौ शेकेल चाँदी, और पचास शेकेल सोने की एक ईंट देख पड़ी, तब मैंने उनका लालच करके उन्हें रख लिया; वे मेरे डेरे के भीतर भूमि में गड़े हैं, और सब के नीचे चाँदी है।”
22 २२ तब यहोशू ने दूत भेजे, और वे उस डेरे में दौड़े गए; और क्या देखा, कि वे वस्तुएँ उसके डेरे में गड़ी हैं, और सब के नीचे चाँदी है।
23 २३ उनको उन्होंने डेरे में से निकालकर यहोशू और सब इस्राएलियों के पास लाकर यहोवा के सामने रख दिया।
24 २४ तब सब इस्राएलियों समेत यहोशू जेरहवंशी आकान को, और उस चाँदी और ओढ़ने और सोने की ईंट को, और उसके बेटे-बेटियों को, और उसके बैलों, गदहों और भेड़-बकरियों को, और उसके डेरे को, अर्थात् जो कुछ उसका था उन सब को आकोर नामक तराई में ले गया।
25 २५ तब यहोशू ने उससे कहा, “तूने हमें क्यों कष्ट दिया है? आज के दिन यहोवा तुझी को कष्ट देगा।” तब सब इस्राएलियों ने उस पर पथराव किया; और उनको आग में डालकर जलाया, और उनके ऊपर पत्थर डाल दिए।
26 २६ और उन्होंने उसके ऊपर पत्थरों का बड़ा ढेर लगा दिया जो आज तक बना है; तब यहोवा का भड़का हुआ कोप शान्त हो गया। इस कारण उस स्थान का नाम आज तक आकोर तराई पड़ा है।