< यहोशू 17 >

1 फिर यूसुफ के जेठे मनश्शे के गोत्र का भाग चिट्ठी डालने से यह ठहरा। मनश्शे का जेठा पुत्र गिलाद का पिता माकीर योद्धा था, इस कारण उसके वंश को गिलाद और बाशान मिला।
And then came the lot for the tribe of Menasseh; for he was the first-born of Joseph: to wit, for Machir the first-born of Menasseh, the father of Gil'ad; because he was a man of war, therefore he obtained Gil'ad and Bashan.
2 इसलिए यह भाग दूसरे मनश्शेइयों के लिये उनके कुलों के अनुसार ठहरा, अर्थात् अबीएजेर, हेलेक, अस्रीएल, शेकेम, हेपेर, और शमीदा; जो अपने-अपने कुलों के अनुसार यूसुफ के पुत्र मनश्शे के वंश में के पुरुष थे, उनके अलग-अलग वंशों के लिये ठहरा।
There was also a lot for the rest of the children of Menasseh after their families; for the children of Abi'ezer, and for the children of Chelek, and for the children of Assriel, and for the children of Shechem, and for the children of Chepher, and for the children of Shemida': these were the male children of Menasseh the son of Joseph after their families.
3 परन्तु हेपेर जो गिलाद का पुत्र, माकीर का पोता, और मनश्शे का परपोता था, उसके पुत्र सलोफाद के बेटे नहीं, बेटियाँ ही हुईं; और उनके नाम महला, नोवा, होग्ला, मिल्का, और तिर्सा हैं।
But Zelophchad, the son of Chepher, the son of Gil'ad, the son of Machir, the son of Menasseh, had no sons, but only daughters, and these are the names of his daughters, Machlah, and No'ah, Choglah, Milcah, and Tirzah.
4 तब वे एलीआजर याजक, नून के पुत्र यहोशू, और प्रधानों के पास जाकर कहने लगीं, यहोवा ने मूसा को आज्ञा दी थी, कि वह हमको हमारे भाइयों के बीच भाग दे। तो यहोशू ने यहोवा की आज्ञा के अनुसार उन्हें उनके चाचाओं के बीच भाग दिया।
And they came near before Elazar the priest, and before Joshua the son of Nun, and before the princes, saying, The Lord commanded Moses to give unto us an inheritance among our brethren. And he gave them, according to the order of the Lord, an inheritance among the brethren of their father.
5 तब मनश्शे को, यरदन पार गिलाद देश और बाशान को छोड़, दस भाग मिले;
And there fell ten portions of Menasseh, beside the lands of Gil'ad and Bashan, which were on the other side of the Jordan;
6 क्योंकि मनश्शेइयों के बीच में मनश्शेई स्त्रियों को भी भाग मिला। और दूसरे मनश्शेइयों को गिलाद देश मिला।
Because the daughters of Menasseh obtained an inheritance among his sons: and the land of Gil'ad belonged to the rest of the sons of Manasseh.
7 और मनश्शे की सीमा आशेर से लेकर मिकमतात तक पहुँची, जो शेकेम के सामने है; फिर वह दक्षिण की ओर बढ़कर एनतप्पूह के निवासियों तक पहुँची।
And the boundary of Menasseh was from Asher to Michmethath, that lieth before Shechem; and the boundary went along on the right hand unto the inhabitants of 'En-tappuach.
8 तप्पूह की भूमि तो मनश्शे को मिली, परन्तु तप्पूह नगर जो मनश्शे की सीमा पर बसा है वह एप्रैमियों का ठहरा।
To Menasseh belonged the land of Tappuach; but Tappuach on the borders of Menasseh belonged to the children of Ephraim;
9 फिर वहाँ से वह सीमा काना की नदी तक उतरकर उसके दक्षिण की ओर तक पहुँच गई; ये नगर यद्यपि मनश्शे के नगरों के बीच में थे तो भी एप्रैम के ठहरे; और मनश्शे की सीमा उस नदी के उत्तर की ओर से जाकर समुद्र पर निकली;
And the boundary descended unto the brook Kanah, southward of the brook; these cities belonging to Ephraim are in the midst of the cities of Menasseh; and the boundary of Menasseh was on the north side of the river, and its terminations were toward the sea:
10 १० दक्षिण की ओर का देश तो एप्रैम को और उत्तर की ओर का मनश्शे को मिला, और उसकी सीमा समुद्र ठहरी; और वे उत्तर की ओर आशेर से और पूर्व की ओर इस्साकार से जा मिलीं।
Southward it was Ephraim's, and northward it was Menasseh's, and the sea was [there] his boundary; and on Asher they touched on the north, and on Issachar on the east.
11 ११ और मनश्शे को, इस्साकार और आशेर अपने-अपने नगरों समेत बेतशान, यिबलाम, और अपने नगरों समेत दोर के निवासी, और अपने नगरों समेत एनदोर के निवासी, और अपने नगरों समेत तानाक की निवासी, और अपने नगरों समेत मगिद्दो के निवासी, ये तीनों जो ऊँचे स्थानों पर बसे हैं मिले।
And to Menasseh belonged in Issachar and in Asher Beth-shean and its towns, and Yible'am and its towns, together with the inhabitants of Dor and its towns, and the inhabitants of 'En-dor and its towns, and the inhabitants of Ta'anach and its towns, and the inhabitants of Megiddo and its towns, namely the three districts.
12 १२ परन्तु मनश्शेई उन नगरों के निवासियों को उनमें से नहीं निकाल सके; इसलिए कनानी उस देश में बसे रहे।
Yet the children of Menasseh could not drive out the inhabitants of these cities; but the Canaanites succeeded to dwell in this land;
13 १३ तो भी जब इस्राएली सामर्थी हो गए, तब कनानियों से बेगारी तो कराने लगे, परन्तु उनको पूरी रीति से निकाल बाहर न किया।
Yet it came to pass, when the children of Israel were become strong, that they put the Canaanites to tribute; but they did not drive them out.
14 १४ यूसुफ की सन्तान यहोशू से कहने लगी, “हम तो गिनती में बहुत हैं, क्योंकि अब तक यहोवा हमें आशीष ही देता आया है, फिर तूने हमारे भाग के लिये चिट्ठी डालकर क्यों एक ही अंश दिया है?”
And the children of Joseph spoke unto Joshua, saying, Why hast thou given me but one lot and one portion as an inheritance, seeing I am a numerous people, to which extent the Lord hath hitherto blessed me?
15 १५ यहोशू ने उनसे कहा, “यदि तुम गिनती में बहुत हो, और एप्रैम का पहाड़ी देश तुम्हारे लिये छोटा हो, तो परिज्जियों और रपाइयों का देश जो जंगल है उसमें जाकर पेड़ों को काट डालो।”
And Joshua said unto them, If thou art a numerous people, then get thee up to the wood country, and cut down [a space] for thyself there in the land of the Perizzites and of the Rephaim, if the mountain of Ephraim be too narrow for thee.
16 १६ यूसुफ की सन्तान ने कहा, “वह पहाड़ी देश हमारे लिये छोटा है; और बेतशान और उसके नगरों में रहनेवाले, और यिज्रेल की तराई में रहनेवाले, जितने कनानी नीचे के देश में रहते हैं, उन सभी के पास लोहे के रथ हैं।”
And the children of Joseph said, The mountain will not be enough for us; and chariots of iron are belonging to all the Canaanites that dwell in the land of the valley, to those who are at Beth-shean and its towns, and to those who are in the valley of Yizre'el.
17 १७ फिर यहोशू ने, क्या एप्रैमी क्या मनश्शेई, अर्थात् यूसुफ के सारे घराने से कहा, “हाँ तुम लोग तो गिनती में बहुत हो, और तुम्हारी सामर्थ्य भी बड़ी है, इसलिए तुम को केवल एक ही भाग न मिलेगा;
And Joshua said unto the house of Joseph, to Ephraim and to Menasseh, as followeth, Thou art a numerous people, and hast great power; thou shalt not have one lot only;
18 १८ पहाड़ी देश भी तुम्हारा हो जाएगा; क्योंकि वह जंगल तो है, परन्तु उसके पेड़ काट डालो, तब उसके आस-पास का देश भी तुम्हारा हो जाएगा; क्योंकि चाहे कनानी सामर्थी हों, और उनके पास लोहे के रथ भी हों, तो भी तुम उन्हें वहाँ से निकाल सकोगे।”
But the mountain shall be thine; it is indeed a wood, yet thou canst cut it down; and the terminations of it shall be thine; for thou shalt drive out the Canaanites, though they have iron chariots, though they be strong.

< यहोशू 17 >