< योना 3 >
1 १ तब यहोवा का यह वचन दूसरी बार योना के पास पहुँचा,
And the word of the Lord came to Jonah a second time, saying,
2 २ “उठकर उस बड़े नगर नीनवे को जा, और जो बात मैं तुझ से कहूँगा, उसका उसमें प्रचार कर।”
Up! go to Nineveh, that great town, and give it the word which I have given you.
3 ३ तब योना यहोवा के वचन के अनुसार नीनवे को गया। नीनवे एक बहुत बड़ा नगर था, वह तीन दिन की यात्रा का था।
So Jonah got up and went to Nineveh as the Lord had said. Now Nineveh was a very great town, three days' journey from end to end.
4 ४ और योना ने नगर में प्रवेश करके एक दिन की यात्रा पूरी की, और यह प्रचार करता गया, “अब से चालीस दिन के बीतने पर नीनवे उलट दिया जाएगा।”
And Jonah first of all went a day's journey into the town, and crying out said, In forty days destruction will overtake Nineveh.
5 ५ तब नीनवे के मनुष्यों ने परमेश्वर के वचन पर विश्वास किया; और उपवास का प्रचार किया गया और बड़े से लेकर छोटे तक सभी ने टाट ओढ़ा।
And the people of Nineveh had belief in God; and a time was fixed for going without food, and they put on haircloth, from the greatest to the least.
6 ६ तब यह समाचार नीनवे के राजा के कान में पहुँचा; और उसने सिंहासन पर से उठ, अपना राजकीय ओढ़ना उतारकर टाट ओढ़ लिया, और राख पर बैठ गया।
And the word came to the king of Nineveh, and he got up from his seat of authority, and took off his robe, and covering himself with haircloth, took his seat in the dust.
7 ७ राजा ने अपने प्रधानों से सम्मति लेकर नीनवे में इस आज्ञा का ढिंढोरा पिटवाया, “क्या मनुष्य, क्या गाय-बैल, क्या भेड़-बकरी, या और पशु, कोई कुछ भी न खाएँ; वे न खाएँ और न पानी पीएँ।
And he had it given out in Nineveh, By the order of the king and his great men, no man or beast, herd or flock, is to have a taste of anything; let them have no food or water:
8 ८ और मनुष्य और पशु दोनों टाट ओढ़ें, और वे परमेश्वर की दुहाई चिल्ला चिल्लाकर दें; और अपने कुमार्ग से फिरें; और उस उपद्रव से, जो वे करते हैं, पश्चाताप करें।
And let man and beast be covered with haircloth, and let them make strong prayers to God: and let everyone be turned from his evil way and the violent acts of their hands.
9 ९ सम्भव है, परमेश्वर दया करे और अपनी इच्छा बदल दे, और उसका भड़का हुआ कोप शान्त हो जाए और हम नाश होने से बच जाएँ।”
Who may say that God will not be turned, changing his purpose and turning away from his burning wrath, so that destruction may not overtake us?
10 १० जब परमेश्वर ने उनके कामों को देखा, कि वे कुमार्ग से फिर रहे हैं, तब परमेश्वर ने अपनी इच्छा बदल दी, और उनकी जो हानि करने की ठानी थी, उसको न किया।
And God saw what they did, how they were turned from their evil way; and God's purpose was changed as to the evil which he said he would do to them, and he did it not.