< यूहन्ना 9 >

1 फिर जाते हुए उसने एक मनुष्य को देखा, जो जन्म से अंधा था।
[ ᏥᏌᏃ ] ᎤᎶᏒ ᎤᎪᎲᎩ ᎠᏍᎦᏯ, ᎾᏍᎩ ᏗᎨᏫ ᏂᎨᏎ ᎤᏕᏅ.
2 और उसके चेलों ने उससे पूछा, “हे रब्बी, किसने पाप किया था कि यह अंधा जन्मा, इस मनुष्य ने, या उसके माता पिता ने?”
ᎬᏩᏍᏓᏩᏗᏙᎯᏃ ᎬᏩᏛᏛᏅᎩ, ᎯᎠ ᏄᏂᏪᏒᎩ; ᏔᏕᏲᎲᏍᎩ, ᎦᎪ ᎤᏍᎦᏅᏤᎢ, ᎯᎠᏍᎪ, ᏧᎦᏴᎵᎨᎢᎨ, ᏗᎨᏫ ᏧᏕᏁᎢ?
3 यीशु ने उत्तर दिया, “न तो इसने पाप किया था, न इसके माता पिता ने परन्तु यह इसलिए हुआ, कि परमेश्वर के काम उसमें प्रगट हों।
ᏥᏌ ᎯᎠ ᏂᏚᏪᏎᎸᎩ; ᎥᏝ ᎯᎠ ᏳᏍᎦᏅᏨ, ᎥᏝ ᎠᎴ ᏧᎦᏴᎵᎨᎢ; ᎤᏁᎳᏅᎯᏉᏍᎩᏂ ᏧᎸᏫᏍᏓᏁᏗ ᎨᏒ ᎬᏂᎨᏒ ᎢᏳᎵᏍᏙᏗᏱ ᎾᏍᎩ ᎠᎬᏗᏍᎬᎢ.
4 जिसने मुझे भेजा है; हमें उसके काम दिन ही दिन में करना अवश्य है। वह रात आनेवाली है जिसमें कोई काम नहीं कर सकता।
ᎠᏎ ᏗᎩᎸᏫᏍᏓᏁᏗ ᏅᏛᎩᏅᏏᏛ ᏧᎸᏫᏍᏓᏁᏗ ᎨᏒ ᎠᏏᏉ ᎢᎦ ᏥᎩ; ᏒᏃᏱ ᏓᏯᎢ, ᎾᎯᏳ ᏰᎵ ᎩᎶ ᏗᎬᏩᎸᏫᏍᏓᏁᏗ ᏂᎨᏒᎾ.
5 जब तक मैं जगत में हूँ, तब तक जगत की ज्योति हूँ।”
ᏂᎪᎯᎸ ᎡᎶᎯ ᎨᏙᎲᎢ, ᎠᏴ ᎡᎶᎯ ᎢᎦ ᎦᏥᏯᏘᏍᏓᏁᎯ.
6 यह कहकर उसने भूमि पर थूका और उस थूक से मिट्टी सानी, और वह मिट्टी उस अंधे की आँखों पर लगाकर।
ᎾᏍᎩ ᏄᏪᏒ ᎦᏙᎯ ᎤᎵᏥᏍᏋᎩ, ᎠᎴ ᎾᏍᎩ ᏝᏬᏔ ᎤᏬᏢᏔᏅᎩ ᎤᎵᏥᏍᏋᎯ, ᎠᎴ ᎾᏍᎩ ᏝᏬᏔ ᏚᏅᎵᏰᏓᏁᎸᎩ ᏗᎨᏫ ᏗᎦᏙᎵ,
7 उससे कहा, “जा, शीलोह के कुण्ड में धो ले” (शीलोह का अर्थ भेजा हुआ है) अतः उसने जाकर धोया, और देखता हुआ लौट आया।
ᎠᎴ ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎸᎩ; ᎮᎾ ᏩᏙᏑᎵ ᏌᎶᎻ ᏨᏓᎸᎢ, — ᎾᏍᎩ ᎠᏁᏢᏔᏅᎯ ᎠᏥᏅᏏᏛ ᎦᏛᎦ. ᎤᏪᏅᏒᎩᏃ ᎠᎴ ᏭᏙᏑᎴᎥᎩ, ᎤᎷᏨᏃ ᎠᎪᏩᏘᏍᎬᎩ.
8 तब पड़ोसी और जिन्होंने पहले उसे भीख माँगते देखा था, कहने लगे, “क्या यह वही नहीं, जो बैठा भीख माँगा करता था?”
ᎿᎭᏉᏃ Ꮎ ᎾᎥ ᏗᏂᏁᎳ, ᎠᎴ ᎤᏂᎪᎯᏙᎸᎯ ᏗᎨᏫ ᎨᏒᎢ, ᎯᎠ ᏄᏂᏪᏒᎩ; ᏝᏍᎪ ᎯᎠ ᎾᏍᎩ ᏱᎩ Ꮎ ᏧᏬᎸ ᎠᎴ ᏣᏚᎳᏗᏍᎬᎩ?
9 कुछ लोगों ने कहा, “यह वही है,” औरों ने कहा, “नहीं, परन्तु उसके समान है” उसने कहा, “मैं वही हूँ।”
ᎢᎦᏛ, ᎾᏍᎩ, ᎤᎾᏛᏅᎩ; ᎢᎦᏛᏃ, ᏓᎾᏤᎸ ᎤᎾᏛᏅᎩ. ᎤᏩᏒᏍᎩᏂ, ᎠᏴ ᎾᏍᎩ, ᎤᏛᏅᎩ.
10 १० तब वे उससे पूछने लगे, “तेरी आँखें कैसे खुल गईं?”
ᎿᎭᏉᏃ ᎯᎠ ᏅᎬᏩᏪᏎᎸᎩ, ᎦᏙ ᎤᎵᏍᏙᏔᏁ ᏘᎦᏙᎵ ᏚᎵᏍᏚᎢᏎᎢ?
11 ११ उसने उत्तर दिया, “यीशु नामक एक व्यक्ति ने मिट्टी सानी, और मेरी आँखों पर लगाकर मुझसे कहा, ‘शीलोह में जाकर धो ले,’ तो मैं गया, और धोकर देखने लगा।”
ᎤᏁᏨ ᎯᎠ ᏄᏪᏒᎩ; ᎠᏍᎦᏯ ᏥᏌ ᏥᏚᏙᎥ ᏝᏬᏔ ᎤᏬᏢᏅᎩ, ᎠᎴ ᏚᏅᎵᏰᎥ ᏗᏥᎦᏙᎵ; ᎯᎠᏃ ᎾᎩᏪᏎᎸᎩ; ᏌᎶᎻ ᏨᏓᎸᎢ ᎮᎾ ᎠᎴ ᏩᏙᏑᎵ; ᎠᏇᏅᏃ ᎠᎴ ᏩᏆᏙᏑᎴᎢ ᏰᎵ ᎬᎩᎪᏩᏛᏗ ᏄᎵᏍᏔᏅᎩ.
12 १२ उन्होंने उससे पूछा, “वह कहाँ है?” उसने कहा, “मैं नहीं जानता।”
ᎿᎭᏉᏃ ᎯᎠ ᏅᎬᏩᏪᏎᎸᎩ; ᎭᏢ ᎡᏙᎭ? ᎥᏝ ᏱᏥᎦᏔᎭ, ᏅᏛᏅᎩ.
13 १३ लोग उसे जो पहले अंधा था फरीसियों के पास ले गए।
ᎠᏂᏆᎵᏏ ᏚᎾᏘᏃᎮᎸ ᎾᏍᎩ ᏗᎨᏫ ᎢᏳᎵᏍᏔᏅᎯ.
14 १४ जिस दिन यीशु ने मिट्टी सानकर उसकी आँखें खोली थी वह सब्त का दिन था।
ᎤᎾᏙᏓᏆᏍᎬᏃ ᎢᎦ ᎨᏒᎩ ᏥᏌ ᏝᏬᏔ ᎤᏬᏢᏅ ᎠᎴ ᏗᎦᏙᎵ ᏚᏍᏚᎢᏒ.
15 १५ फिर फरीसियों ने भी उससे पूछा; तेरी आँखें किस रीति से खुल गई? उसने उनसे कहा, “उसने मेरी आँखों पर मिट्टी लगाई, फिर मैंने धो लिया, और अब देखता हूँ।”
ᎠᎴ ᎿᎭᏉ ᎠᏂᏆᎵᏏ ᎾᏍᏉ ᎥᎬᏩᏛᏛᏅᎩ ᏄᎵᏍᏙᏔᏅ ᎬᏩᎪᏩᏛᏗ ᏄᎵᏍᏔᏅᎢ. ᎯᎠᏃ ᏂᏚᏪᏎᎸᎩ; ᏗᏥᎦᏙᎵ ᏝᏬᏔ ᏚᏅᎵᏰᎥᎩ, ᎠᏆᏙᏑᎴᎥᎩᏃ ᎠᎴ ᎢᏥᎪᏩᏘᎭ.
16 १६ इस पर कई फरीसी कहने लगे, “यह मनुष्य परमेश्वर की ओर से नहीं, क्योंकि वह सब्त का दिन नहीं मानता।” औरों ने कहा, “पापी मनुष्य कैसे ऐसे चिन्ह दिखा सकता है?” अतः उनमें फूट पड़ी।
ᎿᎭᏉᏃ ᎢᎦᏛ ᎠᏂᏆᎵᏏ ᎯᎠ ᏄᏂᏪᏒᎩ; ᎾᏍᎩ ᎯᎠ ᎠᏍᎦᏯ ᎥᏝ ᎤᏁᎳᏅᎯ ᏅᏓᏳᏓᎴᏅᎯ ᏱᎩ, ᏝᏰᏃ ᏯᏍᏆᏂᎪᏗᎭ ᎤᎾᏙᏓᏆᏍᎬᎢ. ᎢᎦᏛᏃ ᎯᎠ ᏄᏂᏪᏒᎩ; ᎦᏙ ᏱᎦᎵᏍᏙᏓ ᏴᏫ ᎠᏍᎦᎾᎢ ᎾᏍᎩ ᎢᏳᏍᏗ ᎤᏍᏆᏂᎪᏗ ᏱᏚᎸᏫᏍᏓᏏ? ᏔᎵᏃ ᏄᎾᏓᏛᎩ.
17 १७ उन्होंने उस अंधे से फिर कहा, “उसने जो तेरी आँखें खोली, तू उसके विषय में क्या कहता है?” उसने कहा, “यह भविष्यद्वक्ता है।”
ᏔᎵᏁᏃ ᎯᎠ ᏄᏂᏪᏎᎸᎩ ᏗᎨᏫ; ᎦᏙ ᏂᎯ ᎭᏗᎭ ᎾᏍᎩ ᎯᏃᎮᏍᎬᎢ ᏥᏕᏣᏍᏚᎢᎡᎸ ᏘᎦᏙᎵ? ᎠᏙᎴᎰᏍᎩ, ᎤᏛᏅᎩ.
18 १८ परन्तु यहूदियों को विश्वास न हुआ कि यह अंधा था और अब देखता है जब तक उन्होंने उसके माता-पिता को जिसकी आँखें खुल गई थी, बुलाकर
ᎠᏎᏃ ᎠᏂᏧᏏ ᎥᏝ ᏯᏃᎯᏳᎲᏍᎨ ᏗᎨᏫ ᎢᏳᎵᏍᏔᏅᎯ ᎨᏒ ᎠᎴ ᎬᏩᎪᏩᏛᏗ ᏄᎵᏍᏔᏅᎢ, ᎬᏂ ᏫᏚᏂᏯᏅᎲ ᏧᎦᏴᎵᎨ ᎾᏍᎩ Ꮎ ᎬᏩᎪᏩᏛᏗ ᎢᏳᎵᏍᏓᏁᎸᎯ.
19 १९ उनसे पूछा, “क्या यह तुम्हारा पुत्र है, जिसे तुम कहते हो कि अंधा जन्मा था? फिर अब कैसे देखता है?”
ᏚᎾᏛᏛᏅᎩᏃ, ᎾᏍᎩ ᎯᎠ ᏄᏂᏪᏒᎩ; ᎯᎠᏍᎪ ᏂᎯ ᎢᏍᏕᏥ, ᎾᏍᎩ ᏗᎨᏫ ᎤᏕᏅᎩ ᏥᏍᏓᏗᎭ? ᎦᏙᏃ ᎤᎵᏍᏙᏔᏅ ᎪᎯ ᏣᎪᏩᏘᎭ?
20 २० उसके माता-पिता ने उत्तर दिया, “हम तो जानते हैं कि यह हमारा पुत्र है, और अंधा जन्मा था।
ᏧᎦᏴᎵᎨ ᏚᏂᏁᏤᎸ ᎯᎠ ᏂᏚᏂᏪᏎᎸᎩ; ᎣᏍᏗᎦᏔᎭ ᎯᎠ ᎣᎩᏁᏥ ᎨᏒᎢ, ᎠᎴ ᏗᎨᏫ ᎤᏕᏅᎢ;
21 २१ परन्तु हम यह नहीं जानते हैं कि अब कैसे देखता है; और न यह जानते हैं, कि किसने उसकी आँखें खोलीं; वह सयाना है; उसी से पूछ लो; वह अपने विषय में आप कह देगा।”
ᎠᏎᏃ ᏅᏧᎵᏍᏙᏔᏅᎢ ᎪᎯ ᏣᎪᏩᏘᎭ ᎥᏝ ᏲᏍᏗᎦᏔᎭ; ᎠᎴ ᎠᏴ ᎥᏝ ᏲᏍᏗᎦᏔᎭ ᎾᏍᎩ Ꮎ ᏧᏍᏚᎢᎡᎸᎯ ᎨᏒ ᏗᎦᏙᎵ. ᎿᎭᏉ ᎠᏗᏃᎾ ᎤᏛᎾ, ᎡᏣᏛᏛᎲᎦ, ᎤᏩᏒ ᏓᎧᏃᎮᎵ.
22 २२ ये बातें उसके माता-पिता ने इसलिए कहीं क्योंकि वे यहूदियों से डरते थे; क्योंकि यहूदी एकमत हो चुके थे, कि यदि कोई कहे कि वह मसीह है, तो आराधनालय से निकाला जाए।
ᎾᏍᎩ ᏄᏂᏪᏒᎩ ᏧᎦᏴᎵᎨᎢ, ᏅᏓᎦᎵᏍᏙᏗᏍᎬᎩ ᏓᏂᏍᎦᎢᎲ ᎠᏂᏧᏏ; ᎦᏳᎳᏰᏃ ᎠᏂᏧᏏ ᏧᏄᎪᏔᏅᎯ ᎨᏒᎩ, ᎾᏍᎩ ᎢᏳ ᎩᎶ ᏳᏁᏨ ᎾᏍᎩ ᎦᎶᏁᏛ ᎨᏒ ᎠᏥᏄᎪᏫᏍᏗᏱ ᏗᎦᎳᏫᎢᏍᏗᏱ.
23 २३ इसी कारण उसके माता-पिता ने कहा, “वह सयाना है; उसी से पूछ लो।”
ᎾᏍᎩ ᏅᏓᏳᎵᏍᏙᏔᏅᎩ ᏧᎦᏴᎵᎨ ᎯᎠ ᏄᏂᏪᏒ; ᎿᎭᏉ ᎤᏛᎾ, ᎤᏩᏒ ᎡᏣᏛᏛᎲᎦ.
24 २४ तब उन्होंने उस मनुष्य को जो अंधा था दूसरी बार बुलाकर उससे कहा, “परमेश्वर की स्तुति कर; हम तो जानते हैं कि वह मनुष्य पापी है।”
ᎿᎭᏉᏃ ᏔᎵᏁ ᏭᏂᏯᏅᎲᎩ ᎠᏍᎦᏯ ᏗᎨᏫ ᎢᏳᎵᏍᏔᏅᎯ; ᎯᎠᏃ ᏄᏂᏪᏎᎸᎩ; ᎯᎸᏉᏓ ᎤᏁᎳᏅᎯ, ᎠᏴ ᎣᏥᎦᏔᎭ ᎾᏍᎩ ᎯᎠ ᎠᏍᎦᏯ ᎠᏍᎦᎾ ᎨᏒᎢ.
25 २५ उसने उत्तर दिया, “मैं नहीं जानता कि वह पापी है या नहीं मैं एक बात जानता हूँ कि मैं अंधा था और अब देखता हूँ।”
ᎿᎭᏉᏃ ᎤᏁᏨᎩ ᎯᎠ ᏄᏪᏒᎩ; ᎢᏳᏃ ᎠᏍᎦᎾ ᏱᎩ ᎥᏝ ᏱᏥᎦᏔᎭ; ᏑᏓᎴᎩ ᏥᎦᏔᎭ; ᏗᏥᎨᏫ ᏥᎨᏒᎩ ᎿᎭᏉ ᎢᏥᎪᏩᏘᎭ.
26 २६ उन्होंने उससे फिर कहा, “उसने तेरे साथ क्या किया? और किस तरह तेरी आँखें खोली?”
ᎿᎭᏉᏃ ᏔᎵᏁ ᎯᎠ ᏄᏂᏪᏎᎸᎩ; ᎦᏙ ᏨᏁᎴ ᏕᏣᏍᏚᎢᎡᎴ ᏘᎦᏙᎵ?
27 २७ उसने उनसे कहा, “मैं तो तुम से कह चुका, और तुम ने न सुना; अब दूसरी बार क्यों सुनना चाहते हो? क्या तुम भी उसके चेले होना चाहते हो?”
ᎤᏁᏨ ᎯᎠ ᏂᏚᏪᏎᎸᎩ; ᎦᏳᎳ ᎢᏨᏃᏁᎸ, ᎠᏎᏃ ᎥᏝ ᏱᏣᏛᏓᏍᏔᏁᎢ; ᎦᏙᏃ ᎢᏣᏚᎵ ᏔᎵᏁ ᎢᏣᏛᎪᏗᏱ? ᎾᏍᏉᏍᎪ ᏂᎯ ᎢᏣᏚᎵᎭ ᎡᏥᏍᏓᏩᏗᏙᎯ ᎢᏣᎵᏍᏙᏗᏱ.
28 २८ तब वे उसे बुरा-भला कहकर बोले, “तू ही उसका चेला है; हम तो मूसा के चेले हैं।
ᎿᎭᏉᏃ ᎦᎬᏩᏂᏐᏢᏔᏅᎩ, ᎠᎴ ᎯᎠ ᏄᏂᏪᏒᎩ; ᏂᎯ ᎾᏍᎩ ᎯᏍᏓᏩᏗᏙᎯ, ᎠᏴᏍᎩᏂ ᎼᏏ ᎣᏥᏍᏓᏩᏗᏙᎯ.
29 २९ हम जानते हैं कि परमेश्वर ने मूसा से बातें कीं; परन्तु इस मनुष्य को नहीं जानते की कहाँ का है।”
ᎣᏥᎦᏔᎭ ᎤᏁᎳᏅᎯ ᎼᏏ ᎤᏬᏁᏔᏅᎢ; ᎾᏍᎩᏂ ᎯᎠ ᎥᏝ ᏲᏥᎦᏔᎭᏧᏓᎴᏅᎢ.
30 ३० उसने उनको उत्तर दिया, “यह तो अचम्भे की बात है कि तुम नहीं जानते कि वह कहाँ का है तो भी उसने मेरी आँखें खोल दीं।
ᎾᏍᎩ ᎠᏍᎦᏯ ᎤᏁᏨ ᎯᎠ ᏂᏚᏪᏎᎸᎩ; Ꮀ ᎤᏍᏆᏂᎪᏗᏳ ᎾᏍᎩ, ᏂᏥᎦᏔᎲᎾ ᏥᎩ ᏧᏓᎴᏅᎢ, ᎠᏃ ᏥᏓᎩᏍᏚᎢᎡᎸ ᏗᏥᎦᏙᎵ.
31 ३१ हम जानते हैं कि परमेश्वर पापियों की नहीं सुनता परन्तु यदि कोई परमेश्वर का भक्त हो, और उसकी इच्छा पर चलता है, तो वह उसकी सुनता है।
ᎢᏗᎦᏔᎭᏰᏃ ᎤᏁᎳᏅᎯ ᏂᏓᏛᎦᏁᎲᎾ ᎨᏒ ᎠᏂᏍᎦᎾᎢ, ᎢᏳᏍᎩᏂ ᎩᎶ ᎤᏁᎳᏅᎯ ᎠᏓᏙᎵᏍᏓᏁᎯ ᏱᎩ, ᎠᎴ ᎾᏍᎩ ᎠᏓᏅᏖᏍᎬ ᎢᏯᏛᏁᎯ ᏱᎩ, ᎾᏍᎩ ᎠᏛᎦᏁᎰᎢ.
32 ३२ जगत के आरम्भ से यह कभी सुनने में नहीं आया, कि किसी ने भी जन्म के अंधे की आँखें खोली हों। (aiōn g165)
ᎡᎶᎯ ᏧᏙᏢᏅ ᏅᏓᎬᏩᏓᎴᏅᏛ ᎥᏝ ᏱᎨᎦᏛᎦᏃ ᎩᎶ ᏚᏍᏚᎢᎡᎸ ᏗᎦᏙᎵ ᏗᎨᏫ ᎤᏕᏅᎯ. (aiōn g165)
33 ३३ यदि यह व्यक्ति परमेश्वर की ओर से न होता, तो कुछ भी नहीं कर सकता।”
ᎢᏳᏃ ᎯᎠ ᎾᏍᎩ ᎠᏍᎦᏯ ᎤᏁᎳᏅᎯ ᏅᏓᏳᏓᎴᏅᎯ ᏂᎨᏒᎾ ᏱᎩ, ᎥᏝ ᏰᎵ ᎪᎱᏍᏗ ᏱᏙᎬᏩᎸᏫᏍᏓᏏ.
34 ३४ उन्होंने उसको उत्तर दिया, “तू तो बिलकुल पापों में जन्मा है, तू हमें क्या सिखाता है?” और उन्होंने उसे बाहर निकाल दिया।
ᎤᏂᏁᏨ ᎯᎠ ᏅᎬᏩᏪᏎᎸᎩ; ᏅᎲᎢ ᎠᏍᎦᏂ ᎨᏒ ᏣᏕᏅᎩ, ᏥᎪᏃ ᎠᏴ ᎢᏍᎩᏰᏲᎲᏍᎦ? ᎥᎬᏩᏄᎪᏫᏒᎩᏃ.
35 ३५ यीशु ने सुना, कि उन्होंने उसे बाहर निकाल दिया है; और जब उससे भेंट हुई तो कहा, “क्या तू परमेश्वर के पुत्र पर विश्वास करता है?”
ᏥᏌ ᎤᏛᎦᏅᎩ ᎬᏩᏄᎪᏫᏒᎢ; ᎤᏩᏛᎲᏃ ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎸᎩ; ᎯᏲᎢᏳᎲᏍᎦᏍᎪ ᎤᏁᎳᏅᎯ ᎤᏪᏥ?
36 ३६ उसने उत्तर दिया, “हे प्रभु, वह कौन है कि मैं उस पर विश्वास करूँ?”
ᎾᏍᎩ ᎤᏁᏨ ᎯᎠ ᏄᏪᏒᎩ; ᎦᎪ ᎾᏍᎩ, ᏣᎬᏫᏳᎯ, ᎾᏍᎩ ᏥᏲᎢᏳᏗᏱ?
37 ३७ यीशु ने उससे कहा, “तूने उसे देखा भी है; और जो तेरे साथ बातें कर रहा है वही है।”
ᏥᏌ ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎸᎩ; ᎯᎪᎥᎯ, ᎠᎴ ᎾᏍᎩ Ꮎ ᏥᏣᎵᏃᎮᏗᎭ.
38 ३८ उसने कहा, “हे प्रभु, मैं विश्वास करता हूँ।” और उसे दण्डवत् किया।
ᎯᎠᏃ ᏄᏪᏒᎩ; ᎪᎢᏳᎲᏍᎦ, ᏣᎬᏫᏳᎯ; ᎤᏓᏙᎵᏍᏓᏁᎸᎩᏃ.
39 ३९ तब यीशु ने कहा, “मैं इस जगत में न्याय के लिये आया हूँ, ताकि जो नहीं देखते वे देखें, और जो देखते हैं वे अंधे हो जाएँ।”
ᏥᏌᏃ ᎯᎠ ᏄᏪᏒᎩ; ᏗᏬᎪᏙᏗᏱ ᎠᎩᏰᎸᎭ ᎡᎶᎯ ᎠᎩᎷᏥᎸ, ᎾᏍᎩ Ꮎ ᎾᏂᎪᏩᏘᏍᎬᎾ ᎤᏂᎪᏩᏛᏗᏱ, ᎠᎴ ᎾᏍᎩ Ꮎ ᎠᏂᎪᏩᏘᏍᎩ ᏗᏂᎨᏫ ᎢᏳᎾᎵᏍᏙᏗᏱ.
40 ४० जो फरीसी उसके साथ थे, उन्होंने ये बातें सुनकर उससे कहा, “क्या हम भी अंधे हैं?”
ᎠᏂᏆᎵᏏᏃ ᎡᏙᎲ ᎠᏁᏙᎯ ᎾᏍᎩ ᎤᎾᏛᎦᏅᎩ, ᎠᎴ ᎯᎠ ᏅᎬᏩᏪᏎᎸᎩ; ᏥᎪ ᎾᏍᏉ ᎠᏴ ᏦᏥᎨᏫ?
41 ४१ यीशु ने उनसे कहा, “यदि तुम अंधे होते तो पापी न ठहरते परन्तु अब कहते हो, कि हम देखते हैं, इसलिए तुम्हारा पाप बना रहता है।
ᏥᏌ ᎯᎠ ᏂᏚᏪᏎᎸᎩ; ᎢᏳᏃ ᏗᏥᎨᏫ ᏱᎨᏎᎢ ᎥᏝ ᏱᎨᏥᏍᎦᏅᎨᎢ, ᎠᏎᏃ ᎣᏥᎪᏩᏘᎭ ᎢᏣᏗᎭ; ᎾᏍᎩ ᏅᏗᎦᎵᏍᏙᏗᎭ ᎢᏥᏍᎦᎾᎯᏳ ᎨᏒ ᎠᎵᏃᎯᏯᏍᎦ.

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