< यूहन्ना 12 >
1 १ फिर यीशु फसह से छः दिन पहले बैतनिय्याह में आया, जहाँ लाज़र था; जिसे यीशु ने मरे हुओं में से जिलाया था।
ནིསྟཱརོཏྶཝཱཏ྄ པཱུཪྻྭཾ དིནཥཊྐེ སྠིཏེ ཡཱིཤུ ཪྻཾ པྲམཱིཏམ྄ ཨིལིཡཱསརཾ ཤྨཤཱནཱད྄ ཨུདསྠཱཔརཏ྄ ཏསྱ ནིཝཱསསྠཱནཾ བཻཐནིཡཱགྲཱམམ྄ ཨཱགཙྪཏ྄།
2 २ वहाँ उन्होंने उसके लिये भोजन तैयार किया, और मार्था सेवा कर रही थी, और लाज़र उनमें से एक था, जो उसके साथ भोजन करने के लिये बैठे थे।
ཏཏྲ ཏདརྠཾ རཛནྱཱཾ བྷོཛྱེ ཀྲྀཏེ མརྠཱ པཪྻྱཝེཥཡད྄ ཨིལིཡཱསར྄ ཙ ཏསྱ སངྒིབྷིཿ སཱརྡྡྷཾ བྷོཛནཱསན ཨུཔཱཝིཤཏ྄།
3 ३ तब मरियम ने जटामासी का आधा सेर बहुमूल्य इत्र लेकर यीशु के पाँवों पर डाला, और अपने बालों से उसके पाँव पोंछे, और इत्र की सुगन्ध से घर सुगन्धित हो गया।
ཏདཱ མརིཡམ྄ ཨརྡྡྷསེཊཀཾ བཧུམཱུལྱཾ ཛཊཱམཱཾསཱིཡཾ ཏཻལམ྄ ཨཱནཱིཡ ཡཱིཤོཤྩརཎཡོ རྨརྡྡཡིཏྭཱ ནིཛཀེཤ རྨཱརྵྚུམ྄ ཨཱརབྷཏ; ཏདཱ ཏཻལསྱ པརིམལེན གྲྀཧམ྄ ཨཱམོདིཏམ྄ ཨབྷཝཏ྄།
4 ४ परन्तु उसके चेलों में से यहूदा इस्करियोती नामक एक चेला जो उसे पकड़वाने पर था, कहने लगा,
ཡཿ ཤིམོནཿ པུཏྲ རིཥྐརིཡོཏཱིཡོ ཡིཧཱུདཱནཱམཱ ཡཱིཤུཾ པརཀརེཥུ སམརྤཡིཥྱཏི ས ཤིཥྱསྟདཱ ཀཐིཏཝཱན྄,
5 ५ “यह इत्र तीन सौ दीनार में बेचकर गरीबों को क्यों न दिया गया?”
ཨེཏཏྟཻལཾ ཏྲིབྷིཿ ཤཏཻ རྨུདྲཱཔདཻ ཪྻིཀྲཱིཏཾ སད྄ དརིདྲེབྷྱཿ ཀུཏོ ནཱདཱིཡཏ?
6 ६ उसने यह बात इसलिए न कही, कि उसे गरीबों की चिन्ता थी, परन्तु इसलिए कि वह चोर था और उसके पास उनकी थैली रहती थी, और उसमें जो कुछ डाला जाता था, वह निकाल लेता था।
ས དརིདྲལོཀཱརྠམ྄ ཨཙིནྟཡད྄ ཨིཏི ན, ཀིནྟུ ས ཙཽར ཨེཝཾ ཏནྣིཀཊེ མུདྲཱསམྤུཊཀསྠིཏྱཱ ཏནྨདྷྱེ ཡདཏིཥྛཏ྄ ཏདཔཱཧརཏ྄ ཏསྨཱཏ྄ ཀཱརཎཱད྄ ཨིམཱཾ ཀཐཱམཀཐཡཏ྄།
7 ७ यीशु ने कहा, “उसे मेरे गाड़े जाने के दिन के लिये रहने दे।
ཏདཱ ཡཱིཤུརཀཐཡད྄ ཨེནཱཾ མཱ ཝཱརཡ སཱ མམ ཤྨཤཱནསྠཱཔནདིནཱརྠཾ ཏདརཀྵཡཏ྄།
8 ८ क्योंकि गरीब तो तुम्हारे साथ सदा रहते हैं, परन्तु मैं तुम्हारे साथ सदा न रहूँगा।”
དརིདྲཱ ཡུཥྨཱཀཾ སནྣིདྷཽ སཪྻྭདཱ ཏིཥྛནྟི ཀིནྟྭཧཾ སཪྻྭདཱ ཡུཥྨཱཀཾ སནྣིདྷཽ ན ཏིཥྛཱམི།
9 ९ यहूदियों में से साधारण लोग जान गए, कि वह वहाँ है, और वे न केवल यीशु के कारण आए परन्तु इसलिए भी कि लाज़र को देखें, जिसे उसने मरे हुओं में से जिलाया था।
ཏཏཿ པརཾ ཡཱིཤུསྟཏྲཱསྟཱིཏི ཝཱརྟྟཱཾ ཤྲུཏྭཱ བཧཝོ ཡིཧཱུདཱིཡཱསྟཾ ཤྨཤཱནཱདུཏྠཱཔིཏམ྄ ཨིལིཡཱསརཉྩ དྲཥྚུཾ ཏཏ྄ སྠཱནམ྄ ཨཱགཙྪན།
10 १० तब प्रधान याजकों ने लाज़र को भी मार डालने की सम्मति की।
ཏདཱ པྲདྷཱནཡཱཛཀཱསྟམ྄ ཨིལིཡཱསརམཔི སཾཧརྟྟུམ྄ ཨམནྟྲཡན྄;
11 ११ क्योंकि उसके कारण बहुत से यहूदी चले गए, और यीशु पर विश्वास किया।
ཡཏསྟེན བཧཝོ ཡིཧཱུདཱིཡཱ གཏྭཱ ཡཱིཤཽ ཝྱཤྭསན྄།
12 १२ दूसरे दिन बहुत से लोगों ने जो पर्व में आए थे, यह सुनकर, कि यीशु यरूशलेम में आ रहा है।
ཨནནྟརཾ ཡཱིཤུ ཪྻིརཱུཤཱལམ྄ ནགརམ྄ ཨཱགཙྪཏཱིཏི ཝཱརྟྟཱཾ ཤྲུཏྭཱ པརེ྅ཧནི ཨུཏྶཝཱགཏཱ བཧཝོ ལོཀཱཿ
13 १३ उन्होंने खजूर की डालियाँ लीं, और उससे भेंट करने को निकले, और पुकारने लगे, “होशाना! धन्य इस्राएल का राजा, जो प्रभु के नाम से आता है।”
ཁརྫྫཱུརཔཏྲཱདྱཱནཱིཡ ཏཾ སཱཀྵཱཏ྄ ཀརྟྟུཾ བཧིརཱགཏྱ ཛཡ ཛཡེཏི ཝཱཙཾ པྲོཙྩཻ ཪྻཀྟུམ྄ ཨཱརབྷནྟ, ཨིསྲཱཡེལོ ཡོ རཱཛཱ པརམེཤྭརསྱ ནཱམྣཱགཙྪཏི ས དྷནྱཿ།
14 १४ जब यीशु को एक गदहे का बच्चा मिला, तो वह उस पर बैठा, जैसा लिखा है,
ཏདཱ "ཧེ སིཡོནཿ ཀནྱེ མཱ བྷཻཥཱིཿ པཤྱཱཡཾ ཏཝ རཱཛཱ གརྡྡབྷཤཱཝཀམ྄ ཨཱརུཧྱཱགཙྪཏི"
15 १५ “हे सिय्योन की बेटी, मत डर; देख, तेरा राजा गदहे के बच्चे पर चढ़ा हुआ चला आता है।”
ཨིཏི ཤཱསྟྲཱིཡཝཙནཱནུསཱརེཎ ཡཱིཤུརེཀཾ ཡུཝགརྡྡབྷཾ པྲཱཔྱ ཏདུཔཪྻྱཱརོཧཏ྄།
16 १६ उसके चेले, ये बातें पहले न समझे थे; परन्तु जब यीशु की महिमा प्रगट हुई, तो उनको स्मरण आया, कि ये बातें उसके विषय में लिखी हुई थीं; और लोगों ने उससे इस प्रकार का व्यवहार किया था।
ཨསྱཱཿ གྷཊནཱཡཱསྟཱཏྤཪྻྱཾ ཤིཥྱཱཿ པྲཐམཾ ནཱབུདྷྱནྟ, ཀིནྟུ ཡཱིཤཽ མཧིམཱནཾ པྲཱཔྟེ སཏི ཝཱཀྱམིདཾ ཏསྨིན ཨཀཐྱཏ ལོཀཱཤྩ ཏམྤྲཏཱིཏྠམ྄ ཨཀུཪྻྭན྄ ཨིཏི ཏེ སྨྲྀཏཝནྟཿ།
17 १७ तब भीड़ के लोगों ने जो उस समय उसके साथ थे यह गवाही दी कि उसने लाज़र को कब्र में से बुलाकर, मरे हुओं में से जिलाया था।
ས ཨིལིཡཱསརཾ ཤྨཤཱནཱད྄ ཨཱགནྟུམ྄ ཨཱཧྭཏཝཱན྄ ཤྨཤཱནཱཉྩ ཨུདསྠཱཔཡད྄ ཡེ ཡེ ལོཀཱསྟཏྐརྨྱ སཱཀྵཱད྄ ཨཔཤྱན྄ ཏེ པྲམཱཎཾ དཱཏུམ྄ ཨཱརབྷནྟ།
18 १८ इसी कारण लोग उससे भेंट करने को आए थे क्योंकि उन्होंने सुना था, कि उसने यह आश्चर्यकर्म दिखाया है।
ས ཨེཏཱདྲྀཤམ྄ ཨདྦྷུཏཾ ཀརྨྨཀརོཏ྄ ཏསྱ ཛནཤྲུཏེ རློཀཱསྟཾ སཱཀྵཱཏ྄ ཀརྟྟུམ྄ ཨཱགཙྪན྄།
19 १९ तब फरीसियों ने आपस में कहा, “सोचो, तुम लोग कुछ नहीं कर पा रहे हो; देखो, संसार उसके पीछे हो चला है।”
ཏཏཿ ཕིརཱུཤིནཿ པརསྤརཾ ཝཀྟུམ྄ ཨཱརབྷནྟ ཡུཥྨཱཀཾ སཪྻྭཱཤྩེཥྚཱ ཝྲྀཐཱ ཛཱཏཱཿ, ཨིཏི ཀིཾ ཡཱུཡཾ ན བུདྷྱདྷྭེ? པཤྱཏ སཪྻྭེ ལོཀཱསྟསྱ པཤྩཱདྭརྟྟིནོབྷཝན྄།
20 २० जो लोग उस पर्व में आराधना करने आए थे उनमें से कई यूनानी थे।
བྷཛནཾ ཀརྟྟུམ྄ ཨུཏྶཝཱགཏཱནཱཾ ལོཀཱནཱཾ ཀཏིཔཡཱ ཛནཱ ཨནྱདེཤཱིཡཱ ཨཱསན྄,
21 २१ उन्होंने गलील के बैतसैदा के रहनेवाले फिलिप्पुस के पास आकर उससे विनती की, “श्रीमान हम यीशु से भेंट करना चाहते हैं।”
ཏེ གཱལཱིལཱིཡབཻཏྶཻདཱནིཝཱསིནཿ ཕིལིཔསྱ སམཱིཔམ྄ ཨཱགཏྱ ཝྱཱཧརན྄ ཧེ མཧེཙྪ ཝཡཾ ཡཱིཤུཾ དྲཥྚུམ྄ ཨིཙྪཱམཿ།
22 २२ फिलिप्पुस ने आकर अन्द्रियास से कहा; तब अन्द्रियास और फिलिप्पुस ने यीशु से कहा।
ཏཏཿ ཕིལིཔོ གཏྭཱ ཨཱནྡྲིཡམ྄ ཨཝདཏ྄ པཤྩཱད྄ ཨཱནྡྲིཡཕིལིཔཽ ཡཱིཤཝེ ཝཱརྟྟཱམ྄ ཨཀཐཡཏཱཾ།
23 २३ इस पर यीशु ने उनसे कहा, “वह समय आ गया है, कि मनुष्य के पुत्र कि महिमा हो।
ཏདཱ ཡཱིཤུཿ པྲཏྱུདིཏཝཱན྄ མཱནཝསུཏསྱ མཧིམཔྲཱཔྟིསམཡ ཨུཔསྠིཏཿ།
24 २४ मैं तुम से सच-सच कहता हूँ, कि जब तक गेहूँ का दाना भूमि में पड़कर मर नहीं जाता, वह अकेला रहता है परन्तु जब मर जाता है, तो बहुत फल लाता है।
ཨཧཾ ཡུཥྨཱནཏིཡཐཱརྠཾ ཝདཱམི, དྷཱནྱབཱིཛཾ མྲྀཏྟིཀཱཡཱཾ པཏིཏྭཱ ཡདི ན མྲྀཡཏེ ཏརྷྱེཀཱཀཱི ཏིཥྛཏི ཀིནྟུ ཡདི མྲྀཡཏེ ཏརྷི བཧུགུཎཾ ཕལཾ ཕལཏི།
25 २५ जो अपने प्राण को प्रिय जानता है, वह उसे खो देता है; और जो इस जगत में अपने प्राण को अप्रिय जानता है; वह अनन्त जीवन के लिये उसकी रक्षा करेगा। (aiōnios )
ཡོ ཛནེ ནིཛཔྲཱཎཱན྄ པྲིཡཱན྄ ཛཱནཱཏི ས ཏཱན྄ ཧཱརཡིཥྱཏི ཀིནྟུ ཡེ ཛན ཨིཧལོཀེ ནིཛཔྲཱཎཱན྄ ཨཔྲིཡཱན྄ ཛཱནཱཏི སེནནྟཱཡུཿ པྲཱཔྟུཾ ཏཱན྄ རཀྵིཥྱཏི། (aiōnios )
26 २६ यदि कोई मेरी सेवा करे, तो मेरे पीछे हो ले; और जहाँ मैं हूँ वहाँ मेरा सेवक भी होगा; यदि कोई मेरी सेवा करे, तो पिता उसका आदर करेगा।
ཀཤྩིད྄ ཡདི མམ སེཝཀོ བྷཝིཏུཾ ཝཱཉྪཏི ཏརྷི ས མམ པཤྩཱདྒཱམཱི བྷཝཏུ, ཏསྨཱད྄ ཨཧཾ ཡཏྲ ཏིཥྛཱམི མམ སེཝཀེཔི ཏཏྲ སྠཱསྱཏི; ཡོ ཛནོ མཱཾ སེཝཏེ མམ པིཏཱཔི ཏཾ སམྨཾསྱཏེ།
27 २७ “अब मेरा जी व्याकुल हो रहा है। इसलिए अब मैं क्या कहूँ? ‘हे पिता, मुझे इस घड़ी से बचा?’ परन्तु मैं इसी कारण इस घड़ी को पहुँचा हूँ।
སཱམྤྲཏཾ མམ པྲཱཎཱ ཝྱཱཀུལཱ བྷཝནྟི, ཏསྨཱད྄ ཧེ པིཏར ཨེཏསྨཱཏ྄ སམཡཱན྄ མཱཾ རཀྵ, ཨིཏྱཧཾ ཀིཾ པྲཱརྠཡིཥྱེ? ཀིནྟྭཧམ྄ ཨེཏཏྶམཡཱརྠམ྄ ཨཝཏཱིརྞཝཱན྄།
28 २८ हे पिता अपने नाम की महिमा कर।” तब यह आकाशवाणी हुई, “मैंने उसकी महिमा की है, और फिर भी करूँगा।”
ཧེ པིཏ: སྭནཱམྣོ མཧིམཱནཾ པྲཀཱཤཡ; ཏནཻཝ སྭནཱམྣོ མཧིམཱནམ྄ ཨཧཾ པྲཱཀཱཤཡཾ པུནརཔི པྲཀཱཤཡིཥྱཱམི, ཨེཥཱ གགཎཱིཡཱ ཝཱཎཱི ཏསྨིན྄ སམཡེ྅ཛཱཡཏ།
29 २९ तब जो लोग खड़े हुए सुन रहे थे, उन्होंने कहा; कि बादल गरजा, औरों ने कहा, “कोई स्वर्गदूत उससे बोला।”
ཏཙྴྲུཏྭཱ སམཱིཔསྠལོཀཱནཱཾ ཀེཙིད྄ ཨཝདན྄ མེགྷོ྅གརྫཱིཏ྄, ཀེཙིད྄ ཨཝདན྄ སྭརྒཱིཡདཱུཏོ྅ནེན སཧ ཀཐཱམཙཀཐཏ྄།
30 ३० इस पर यीशु ने कहा, “यह शब्द मेरे लिये नहीं परन्तु तुम्हारे लिये आया है।
ཏདཱ ཡཱིཤུཿ པྲཏྱཝཱདཱིཏ྄, མདརྠཾ ཤབྡོཡཾ ནཱབྷཱུཏ྄ ཡུཥྨདརྠམེཝཱབྷཱུཏ྄།
31 ३१ अब इस जगत का न्याय होता है, अब इस जगत का सरदारनिकाल दिया जाएगा।
ཨདྷུནཱ ཛགཏོསྱ ཝིཙཱར: སམྤཏྶྱཏེ, ཨདྷུནཱསྱ ཛགཏ: པཏཱི རཱཛྱཱཏ྄ ཙྱོཥྱཏི།
32 ३२ और मैं यदि पृथ्वी पर से ऊँचे पर चढ़ाया जाऊँगा, तो सब को अपने पास खीचूँगा।”
ཡདྱཨཱི པྲྀཐིཝྱཱ ཨཱུརྡྭྭེ པྲོཏྠཱཔིཏོསྨི ཏརྷི སཪྻྭཱན྄ མཱནཝཱན྄ སྭསམཱིཔམ྄ ཨཱཀརྵིཥྱཱམི།
33 ३३ ऐसा कहकर उसने यह प्रगट कर दिया, कि वह कैसी मृत्यु से मरेगा।
ཀཐཾ ཏསྱ མྲྀཏི རྦྷཝིཥྱཏི, ཨེཏད྄ བོདྷཡིཏུཾ ས ཨིམཱཾ ཀཐཱམ྄ ཨཀཐཡཏ྄།
34 ३४ इस पर लोगों ने उससे कहा, “हमने व्यवस्था की यह बात सुनी है, कि मसीह सर्वदा रहेगा, फिर तू क्यों कहता है, कि मनुष्य के पुत्र को ऊँचे पर चढ़ाया जाना अवश्य है? यह मनुष्य का पुत्र कौन है?” (aiōn )
ཏདཱ ལོཀཱ ཨཀཐཡན྄ སོབྷིཥིཀྟཿ སཪྻྭདཱ ཏིཥྛཏཱིཏི ཝྱཝསྠཱགྲནྠེ ཤྲུཏམ྄ ཨསྨཱབྷིཿ, ཏརྷི མནུཥྱཔུཏྲཿ པྲོཏྠཱཔིཏོ བྷཝིཥྱཏཱིཏི ཝཱཀྱཾ ཀཐཾ ཝདསི? མནུཥྱཔུཏྲོཡཾ ཀཿ? (aiōn )
35 ३५ यीशु ने उनसे कहा, “ज्योति अब थोड़ी देर तक तुम्हारे बीच में है, जब तक ज्योति तुम्हारे साथ है तब तक चले चलो; ऐसा न हो कि अंधकार तुम्हें आ घेरे; जो अंधकार में चलता है वह नहीं जानता कि किधर जाता है।
ཏདཱ ཡཱིཤུརཀཐཱཡད྄ ཡུཥྨཱབྷིཿ སཱརྡྡྷམ྄ ཨལྤདིནཱནི ཛྱོཏིརཱསྟེ, ཡཐཱ ཡུཥྨཱན྄ ཨནྡྷཀཱརོ ནཱཙྪཱདཡཏི ཏདརྠཾ ཡཱཝཏྐཱལཾ ཡུཥྨཱབྷིཿ སཱརྡྡྷཾ ཛྱོཏིསྟིཥྛཏི ཏཱཝཏྐཱལཾ གཙྪཏ; ཡོ ཛནོ྅ནྡྷཀཱརེ གཙྪཏི ས ཀུཏྲ ཡཱཏཱིཏི ན ཛཱནཱཏི།
36 ३६ जब तक ज्योति तुम्हारे साथ है, ज्योति पर विश्वास करो कि तुम ज्योति के सन्तान बनो।” ये बातें कहकर यीशु चला गया और उनसे छिपा रहा।
ཨཏཨེཝ ཡཱཝཏྐཱལཾ ཡུཥྨཱཀཾ ནིཀཊེ ཛྱོཏིརཱསྟེ ཏཱཝཏྐཱལཾ ཛྱོཏཱིརཱུཔསནྟཱནཱ བྷཝིཏུཾ ཛྱོཏིཥི ཝིཤྭསིཏ; ཨིམཱཾ ཀཐཱཾ ཀཐཡིཏྭཱ ཡཱིཤུཿ པྲསྠཱཡ ཏེབྷྱཿ སྭཾ གུཔྟཝཱན྄།
37 ३७ और उसने उनके सामने इतने चिन्ह दिखाए, तो भी उन्होंने उस पर विश्वास न किया;
ཡདྱཔི ཡཱིཤུསྟེཥཱཾ སམཀྵམ྄ ཨེཏཱཝདཱཤྩཪྻྱཀརྨྨཱཎི ཀྲྀཏཝཱན྄ ཏཐཱཔི ཏེ ཏསྨིན྄ ན ཝྱཤྭསན྄།
38 ३८ ताकि यशायाह भविष्यद्वक्ता का वचन पूरा हो जो उसने कहा: “हे प्रभु, हमारे समाचार पर किसने विश्वास किया है? और प्रभु का भुजबल किस पर प्रगट हुआ?”
ཨཏཨེཝ ཀཿ པྲཏྱེཏི སུསཾཝཱདཾ པརེཤཱསྨཏ྄ པྲཙཱརིཏཾ? པྲཀཱཤཏེ པརེཤསྱ ཧསྟཿ ཀསྱ ཙ སནྣིདྷཽ? ཡིཤཡིཡབྷཝིཥྱདྭཱདིནཱ ཡདེཏད྄ ཝཱཀྱམུཀྟཾ ཏཏ྄ སཕལམ྄ ཨབྷཝཏ྄།
39 ३९ इस कारण वे विश्वास न कर सके, क्योंकि यशायाह ने यह भी कहा है:
ཏེ པྲཏྱེཏུཾ ནཱཤནྐུཝན྄ ཏསྨིན྄ ཡིཤཡིཡབྷཝིཥྱདྭཱདི པུནརཝཱདཱིད྄,
40 ४० “उसने उनकी आँखें अंधी, और उनका मन कठोर किया है; कहीं ऐसा न हो, कि आँखों से देखें, और मन से समझें, और फिरें, और मैं उन्हें चंगा करूँ।”
ཡདཱ, "ཏེ ནཡནཻ རྣ པཤྱནྟི བུདྡྷིབྷིཤྩ ན བུདྷྱནྟེ ཏཻ རྨནཿསུ པརིཝརྟྟིཏེཥུ ཙ ཏཱནཧཾ ཡཐཱ སྭསྠཱན྄ ན ཀརོམི ཏཐཱ ས ཏེཥཱཾ ལོཙནཱནྱནྡྷཱནི ཀྲྀཏྭཱ ཏེཥཱམནྟཿཀརཎཱནི གཱཌྷཱནི ཀརིཥྱཏི། "
41 ४१ यशायाह ने ये बातें इसलिए कहीं, कि उसने उसकी महिमा देखी; और उसने उसके विषय में बातें की।
ཡིཤཡིཡོ ཡདཱ ཡཱིཤོ རྨཧིམཱནཾ ཝིལོཀྱ ཏསྨིན྄ ཀཐཱམཀཐཡཏ྄ ཏདཱ བྷཝིཥྱདྭཱཀྱམ྄ ཨཱིདྲྀཤཾ པྲཀཱཤཡཏ྄།
42 ४२ तो भी सरदारों में से भी बहुतों ने उस पर विश्वास किया, परन्तु फरीसियों के कारण प्रगट में नहीं मानते थे, ऐसा न हो कि आराधनालय में से निकाले जाएँ।
ཏཐཱཔྱདྷིཔཏིནཱཾ བཧཝསྟསྨིན྄ པྲཏྱཱཡན྄། ཀིནྟུ ཕིརཱུཤིནསྟཱན྄ བྷཛནགྲྀཧཱད྄ དཱུརཱིཀུཪྻྭནྟཱིཏི བྷཡཱཏ྄ ཏེ ཏཾ ན སྭཱིཀྲྀཏཝནྟཿ།
43 ४३ क्योंकि मनुष्यों की प्रशंसा उनको परमेश्वर की प्रशंसा से अधिक प्रिय लगती थी।
ཡཏ ཨཱིཤྭརསྱ པྲཤཾསཱཏོ མཱནཝཱནཱཾ པྲཤཾསཱཡཱཾ ཏེ྅པྲིཡནྟ།
44 ४४ यीशु ने पुकारकर कहा, “जो मुझ पर विश्वास करता है, वह मुझ पर नहीं, वरन् मेरे भेजनेवाले पर विश्वास करता है।
ཏདཱ ཡཱིཤུརུཙྩཻཿཀཱརམ྄ ཨཀཐཡད྄ ཡོ ཛནོ མཡི ཝིཤྭསིཏི ས ཀེཝལེ མཡི ཝིཤྭསིཏཱིཏི ན, ས མཏྤྲེརཀེ྅པི ཝིཤྭསིཏི།
45 ४५ और जो मुझे देखता है, वह मेरे भेजनेवाले को देखता है।
ཡོ ཛནོ མཱཾ པཤྱཏི ས མཏྤྲེརཀམཔི པཤྱཏི།
46 ४६ मैं जगत में ज्योति होकर आया हूँ ताकि जो कोई मुझ पर विश्वास करे, वह अंधकार में न रहे।
ཡོ ཛནོ མཱཾ པྲཏྱེཏི ས ཡཐཱནྡྷཀཱརེ ན ཏིཥྛཏི ཏདརྠམ྄ ཨཧཾ ཛྱོཏིཿསྭརཱུཔོ བྷཱུཏྭཱ ཛགཏྱསྨིན྄ ཨཝཏཱིརྞཝཱན྄།
47 ४७ यदि कोई मेरी बातें सुनकर न माने, तो मैं उसे दोषी नहीं ठहराता, क्योंकि मैं जगत को दोषी ठहराने के लिये नहीं, परन्तु जगत का उद्धार करने के लिये आया हूँ।
མམ ཀཐཱཾ ཤྲུཏྭཱ ཡདི ཀཤྩིན྄ ན ཝིཤྭསིཏི ཏརྷི ཏམཧཾ དོཥིཎཾ ན ཀརོམི, ཡཏོ ཧེཏོ རྫགཏོ ཛནཱནཱཾ དོཥཱན྄ ནིཤྩིཏཱན྄ ཀརྟྟུཾ ནཱགཏྱ ཏཱན྄ པརིཙཱཏུམ྄ ཨཱགཏོསྨི།
48 ४८ जो मुझे तुच्छ जानता है और मेरी बातें ग्रहण नहीं करता है उसको दोषी ठहरानेवाला तो एक है: अर्थात् जो वचन मैंने कहा है, वह अन्तिम दिन में उसे दोषी ठहराएगा।
ཡཿ ཀཤྩིན྄ མཱཾ ན ཤྲདྡྷཱཡ མམ ཀཐཾ ན གྲྀཧླཱཏི, ཨནྱསྟཾ དོཥིཎཾ ཀརིཥྱཏི ཝསྟུཏསྟུ ཡཱཾ ཀཐཱམཧམ྄ ཨཙཀཐཾ སཱ ཀཐཱ ཙརམེ྅ནྷི ཏཾ དོཥིཎཾ ཀརིཥྱཏི།
49 ४९ क्योंकि मैंने अपनी ओर से बातें नहीं की, परन्तु पिता जिसने मुझे भेजा है उसी ने मुझे आज्ञा दी है, कि क्या-क्या कहूँ और क्या-क्या बोलूँ?
ཡཏོ ཧེཏོརཧཾ སྭཏཿ ཀིམཔི ན ཀཐཡཱམི, ཀིཾ ཀིཾ མཡཱ ཀཐཡིཏཝྱཾ ཀིཾ སམུཔདེཥྚཝྱཉྩ ཨིཏི མཏྤྲེརཡིཏཱ པིཏཱ མཱམཱཛྙཱཔཡཏ྄།
50 ५० और मैं जानता हूँ, कि उसकी आज्ञा अनन्त जीवन है इसलिए मैं जो बोलता हूँ, वह जैसा पिता ने मुझसे कहा है वैसा ही बोलता हूँ।” (aiōnios )
ཏསྱ སཱཛྙཱ ཨནནྟཱཡུརིཏྱཧཾ ཛཱནཱམི, ཨཏཨེཝཱཧཾ ཡཏ྄ ཀཐཡཱམི ཏཏ྄ པིཏཱ ཡཐཱཛྙཱཔཡཏ྄ ཏཐཻཝ ཀཐཡཱམྱཧམ྄། (aiōnios )