< यूहन्ना 12 >
1 १ फिर यीशु फसह से छः दिन पहले बैतनिय्याह में आया, जहाँ लाज़र था; जिसे यीशु ने मरे हुओं में से जिलाया था।
ᎿᎭᏉᏃ ᏑᏓᎵ ᎢᎦ ᏚᏃᏒᎩ ᎧᏃᎯᏰᎩ ᏗᎵᏍᏓᏴᏗᏱ ᎤᏍᏆᎸᏗᏱ ᏥᏌ ᏇᏗᏂ ᏭᎷᏨᎩ, ᎾᎿᎭᎡᎲ ᎳᏏᎳ, ᎤᏲᎱᏒᎯ ᏥᎨᏒᎩ, ᎾᏍᎩ ᎤᏲᎱᏒ ᏥᏚᎴᏔᏅᎩ.
2 २ वहाँ उन्होंने उसके लिये भोजन तैयार किया, और मार्था सेवा कर रही थी, और लाज़र उनमें से एक था, जो उसके साथ भोजन करने के लिये बैठे थे।
ᎾᎿᎭᎬᏩᏍᏓᏴᏅᎩ; ᎠᎴ ᎹᏗ ᏚᏕᎳᏍᏔᏅᎩ; ᎳᏏᎳᏍᎩᏂ ᎨᎸᎩ ᎠᎾᎵᏍᏓᏴᎲᏍᎬᎢ.
3 ३ तब मरियम ने जटामासी का आधा सेर बहुमूल्य इत्र लेकर यीशु के पाँवों पर डाला, और अपने बालों से उसके पाँव पोंछे, और इत्र की सुगन्ध से घर सुगन्धित हो गया।
ᎿᎭᏉᏃ ᎺᎵ ᎤᎩᏒᎩ ᏑᏓᎨᏛ ᎠᏠᏁᏗ ᎾᏓ ᏧᏙᎢᏛ ᎪᎱᏍᏗ ᎾᏑᏴᎾ, ᎤᏣᏘ ᏧᎬᏩᎶᏗ, ᎠᎴ ᏚᏅᎵᏰᎥᎩ ᏥᏌ ᏧᎳᏏᏕᏂ, ᎠᎴ ᎤᏍᏘᏰᎬ ᎤᏩᏔᏅᎩ ᏚᏅᎦᎸᎲᎩ ᏧᎳᏏᏕᏂ. ᎠᎴ ᎦᎵᏦᏕ ᎤᎧᎵᏨᎩ ᎦᏩᏒᎬ ᎠᏠᏁᏗ.
4 ४ परन्तु उसके चेलों में से यहूदा इस्करियोती नामक एक चेला जो उसे पकड़वाने पर था, कहने लगा,
ᎿᎭᏉᏃ ᎠᏏᏴᏫ ᏥᏌ ᎬᏩᏍᏓᏩᏗᏙᎯ ᎨᏒ ᏧᏓᏏ ᎢᏍᎦᎳᏗ ᏧᏙᎢᏛ, ᏌᏩᏂ ᎤᏪᏥ, ᎾᏍᎩ ᎤᏡᏗᏍᎩ ᎢᏳᎵᏍᏙᏗ, ᎯᎠ ᏄᏪᏒᎩ;
5 ५ “यह इत्र तीन सौ दीनार में बेचकर गरीबों को क्यों न दिया गया?”
ᎦᏙᏃ ᎯᎠ ᎠᏠᏁᏗ ᎥᏝ ᏳᏂᎾᏗᏅᏎ ᎠᎴ ᏦᎢᏧᏈ ᎠᎩᏏ ᏧᎾᏩᎶᏗ ᏱᏚᏂᏩᏛᎮᎢ, ᎠᎴ ᎥᏝ ᎤᏲ ᎢᏳᎾᏛᎿᎭᏕᎩ ᎾᏍᎩ ᏱᏚᏂᏁᎴᎢ?
6 ६ उसने यह बात इसलिए न कही, कि उसे गरीबों की चिन्ता थी, परन्तु इसलिए कि वह चोर था और उसके पास उनकी थैली रहती थी, और उसमें जो कुछ डाला जाता था, वह निकाल लेता था।
ᎾᏍᎩ ᎯᎠ ᏄᏪᏒᎩ, ᎥᏝ ᎤᏲ ᎢᏳᎾᏛᎿᎭᏕᎩ ᎣᏍᏛ ᎢᏳᎾᎵᏍᏓᏁᏗᏱ ᎤᏚᎵᏍᎬ ᏱᏅᏧᎵᏍᏙᏔᏁᎢ, ᎦᏃᏍᎩᏍᎩᏍᎩᏂ ᎨᏒ ᏅᏓᏳᎵᏍᏙᏔᏅᎩ, ᎠᎴ ᏕᎦᎶᏗ ᎦᏁᎲᎢ ᎠᎴ ᎾᎿᎭᎦᎳᏅᎯ ᎦᏃᏍᎩᏍᎬᎢ.
7 ७ यीशु ने कहा, “उसे मेरे गाड़े जाने के दिन के लिये रहने दे।
ᎿᎭᏉᏃ ᏥᏌ ᎯᎠ ᏄᏪᏒᎩ; ᎤᏁᎳᎩ; ᎥᎩᏂᏐᏗᏱ ᎨᏒ ᎢᎦ ᎬᏗᏍᎩ ᎤᏍᏆᏂᎪᏔᏅ ᎾᏍᎩ ᎯᎠ.
8 ८ क्योंकि गरीब तो तुम्हारे साथ सदा रहते हैं, परन्तु मैं तुम्हारे साथ सदा न रहूँगा।”
ᎤᏲᏰᏃ ᎢᏳᎾᏛᎿᎭᏕᎩ ᏂᎪᎯᎸ ᎨᏤᎳᏗᏙᎭ; ᎠᏴᏍᎩᏂ ᎥᏝ ᏂᎪᎯᎸ ᏱᏨᏰᎳᏗᏙᎭ.
9 ९ यहूदियों में से साधारण लोग जान गए, कि वह वहाँ है, और वे न केवल यीशु के कारण आए परन्तु इसलिए भी कि लाज़र को देखें, जिसे उसने मरे हुओं में से जिलाया था।
ᎤᏂᏣᏛᎩᏃ ᎠᏂᏧᏏ ᎤᎾᏛᎦᏅᎯ ᎨᏒᎩ ᎾᎿᎭᎡᏙᎲᎢ, ᎠᎴ ᎤᏂᎷᏨᎩ ᎥᏝ ᏥᏌ ᎤᏩᏒ ᎨᏒ ᏱᏅᏧᎵᏍᏙᏔᏁᎢ, ᎾᏍᏉᏍᎩᏂ ᎳᏏᎳ ᎤᏂᎪᏩᏛᏗᏱ ᎤᏂᏰᎸᏒᎩ, ᎾᏍᎩ ᎤᏲᎱᏒ ᏧᎴᏔᏅᎯ.
10 १० तब प्रधान याजकों ने लाज़र को भी मार डालने की सम्मति की।
ᎠᏎᏃ ᏄᏂᎬᏫᏳᏒ ᎠᏥᎸ-ᎠᏁᎶᎯ ᎤᏂᏃᎮᎸᎩ ᎳᏏᎳ ᎾᏍᏉ ᎤᏂᎯᏍᏗᏱ,
11 ११ क्योंकि उसके कारण बहुत से यहूदी चले गए, और यीशु पर विश्वास किया।
ᎾᏍᎩᏰᏃ ᏄᏩᏂᏌᏅᎩ ᎤᏂᏣᏛᎩ ᎠᏂᏧᏏ ᎤᎾᏓᏅᏒᎩ, ᎠᎴ ᏥᏌ ᏫᎬᏬᎯᏳᏅᎩ.
12 १२ दूसरे दिन बहुत से लोगों ने जो पर्व में आए थे, यह सुनकर, कि यीशु यरूशलेम में आ रहा है।
ᎤᎩᏨᏛ ᎤᏂᏣᏛᎩ ᏴᏫ ᏗᎵᏍᏓᏴᏗᏱ ᎤᏂᎷᏨᎯ, ᎤᎾᏛᎦᏅ ᏥᎷᏥᎵᎻ ᏗᎦᎷᏥᏒᎢ,
13 १३ उन्होंने खजूर की डालियाँ लीं, और उससे भेंट करने को निकले, और पुकारने लगे, “होशाना! धन्य इस्राएल का राजा, जो प्रभु के नाम से आता है।”
ᏚᏂᏴᎲᎩ ᏧᏪᏲᏔ ᏧᎦᏄᏓᏅᎯᏛ ᎠᎴ ᎤᏂᏄᎪᏨᎩ ᏚᎾᏠᏒᏒᎩ, ᎠᎴ ᎯᎠ ᏄᏂᏪᏒ ᎤᏁᎷᏅᎩ, ᎰᏌᎾ! ᎠᏥᎸᏉᏗᏳ ᏫᏂᎦᎵᏍᏓ ᏱᎰᏩ ᏚᏙᏍᏛ ᏨᏓᏯᎢ, ᎤᎬᏫᏳᎯ ᎢᏏᎵ ᎤᎾᏤᎵᎦ.
14 १४ जब यीशु को एक गदहे का बच्चा मिला, तो वह उस पर बैठा, जैसा लिखा है,
ᏥᏌᏃ ᎤᏩᏛᎲ ᎠᎩᎾ ᏐᏈᎵ-ᏗᎦᎵᎠᏅᎯᏛ, ᎤᎩᎸᏅᎩ, ᎾᏍᎩᏯ ᎯᎠ ᏥᏂᎬᏅ ᏥᎪᏪᎳ;
15 १५ “हे सिय्योन की बेटी, मत डर; देख, तेरा राजा गदहे के बच्चे पर चढ़ा हुआ चला आता है।”
“ᏞᏍᏗ ᏱᏍᎦᎢᎮᏍᏗ ᏂᎯ ᏌᏯᏂ ᎤᏪᏥ, ᎬᏂᏳᏉ ᎤᎬᏫᏳᎯ ᏣᏤᎵᎦ ᏓᏯᎢ, ᎠᎩᎾ ᏐᏈᎵ-ᏗᎦᎵᎠᏅᎯᏛ ᎤᏪᏥ ᎤᎩᎸᏗ.”
16 १६ उसके चेले, ये बातें पहले न समझे थे; परन्तु जब यीशु की महिमा प्रगट हुई, तो उनको स्मरण आया, कि ये बातें उसके विषय में लिखी हुई थीं; और लोगों ने उससे इस प्रकार का व्यवहार किया था।
ᎠᎴ ᎬᏩᏍᏓᏩᏗᏙᎯ ᎥᏝ ᎾᏍᎩ ᏣᏃᎵᏤ ᎢᎬᏱᏱ, ᏥᏌᏍᎩᏂ ᎠᏥᎸᏉᏔᏅ ᎿᎭᏉ ᎤᎾᏅᏓᏛᎩ ᎾᏍᎩ ᎯᎠ ᏂᎬᏅ ᎪᏪᎸ ᎠᏥᏃᎮᏍᎬᎢ, ᎠᎴ ᎾᏍᎩ ᏂᎬᏩᏁᎸᎢ.
17 १७ तब भीड़ के लोगों ने जो उस समय उसके साथ थे यह गवाही दी कि उसने लाज़र को कब्र में से बुलाकर, मरे हुओं में से जिलाया था।
ᎢᏧᎳᎭᏃ ᎤᏁᏙᎸᎯ ᏴᏫ ᎾᎯᏳ ᎠᏤᎵᏍᏛ ᏭᏯᏅᎲ ᎳᏏᎳ, ᎠᎴ ᎤᏲᎱᏒ ᏕᎤᎴᏔᏅ, ᎤᏂᏃᎮᎸᎩ.
18 १८ इसी कारण लोग उससे भेंट करने को आए थे क्योंकि उन्होंने सुना था, कि उसने यह आश्चर्यकर्म दिखाया है।
ᎾᏍᎩ ᏅᏓᏳᎵᏍᏙᏔᏅᎩ ᎾᏍᏉ ᏴᏫ ᏕᎬᏩᏠᏒᎩ, ᎤᎾᏛᎦᏅᎩᏰᏃ ᎾᏍᎩ ᎤᏍᏆᏂᎪᏗ ᏚᎸᏫᏍᏓᏁᎸᎢ.
19 १९ तब फरीसियों ने आपस में कहा, “सोचो, तुम लोग कुछ नहीं कर पा रहे हो; देखो, संसार उसके पीछे हो चला है।”
ᎾᏍᎩ ᎢᏳᏍᏗ ᎠᏂᏆᎵᏏ ᎯᎠ ᏂᏚᎾᏓᏪᏎᎸᎩ; ᎢᏣᏙᎴᎰᏍᎦᏍᎪ ᏂᏣᎵᏰᎢᎴᎬᎾ ᏥᎩ? ᎬᏂᏳᏉ ᎡᎶᎯ ᎤᏍᏓᏩᏕᏅ.
20 २० जो लोग उस पर्व में आराधना करने आए थे उनमें से कई यूनानी थे।
ᎩᎶᏃ ᎢᏳᎾᏍᏗ ᎠᏂᎪᎢ ᎠᏁᎸᎩ ᎤᎾᎵᏙᎵᏍᏔᏂᎸᎯ ᏗᎵᏍᏓᏴᏗᏱ.
21 २१ उन्होंने गलील के बैतसैदा के रहनेवाले फिलिप्पुस के पास आकर उससे विनती की, “श्रीमान हम यीशु से भेंट करना चाहते हैं।”
ᎠᎴ ᎾᏍᎩ ᎬᏩᎷᏤᎸᎩ ᏈᎵᎩ, ᏇᏣᏱᏗ ᎦᏚᎲ ᎨᎵᎵ ᎡᎯ, ᎠᎴ ᎬᏩᏔᏲᏎᎸᎩ ᎯᎠ ᏄᏂᏪᏒᎩ, ᎣᎦᏚᎵᎭ ᎣᏥᎪᏩᏛᏗᏱ ᏥᏌ.
22 २२ फिलिप्पुस ने आकर अन्द्रियास से कहा; तब अन्द्रियास और फिलिप्पुस ने यीशु से कहा।
ᏈᎵᎩ ᎤᎷᏨᎩ ᎠᎴ ᎡᏂᏗ ᏭᏃᏁᎸᎩ; ᎿᎭᏉᏃ ᎡᏂᏗ ᎠᎴ ᏈᎵᎩ ᏥᏌ ᏭᏂᏃᏁᎸᎩ.
23 २३ इस पर यीशु ने उनसे कहा, “वह समय आ गया है, कि मनुष्य के पुत्र कि महिमा हो।
ᏥᏌᏃ ᏚᏁᏤᎸᎩ ᎯᎠ ᏄᏪᏒᎩ; ᎿᎭᏉ ᎤᏍᏆᎸᎲ ᏴᏫ ᎤᏪᏥ ᎠᏥᎸᏉᏙᏗᏱ.
24 २४ मैं तुम से सच-सच कहता हूँ, कि जब तक गेहूँ का दाना भूमि में पड़कर मर नहीं जाता, वह अकेला रहता है परन्तु जब मर जाता है, तो बहुत फल लाता है।
ᎤᏙᎯᏳᎯᏯ, ᎤᏙᎯᏳᎯᏯ ᎯᎠ ᏂᏨᏪᏎᎭ; ᎢᏳᏃ ᏌᏉ ᎤᏣᎴᏍᏗ ᎤᎦᏔ ᎡᎳᏗ ᏄᏬᏨᎾ ᎠᎴ ᏄᎪᏒᎾ ᏱᎩ, ᎤᏩᏒᏉ ᎨᏐ ᏂᎪᎯᎸᎢ; ᎢᏳᏍᎩᏂ ᎤᎪᎯ ᎤᏣᏙ ᎧᏁᏉᎪᎢ.
25 २५ जो अपने प्राण को प्रिय जानता है, वह उसे खो देता है; और जो इस जगत में अपने प्राण को अप्रिय जानता है; वह अनन्त जीवन के लिये उसकी रक्षा करेगा। (aiōnios )
ᎩᎶ ᎤᎨᏳᏎᏍᏗ ᎬᏅᎢ ᎤᏲᎱᏎᏗ ᎨᏎᏍᏗ; ᎩᎶᏃ ᎠᏍᎦᎨᏍᏗ ᎬᏅᎢ ᎠᏂ ᎡᎶᎯ ᎨᏒᎢ, ᎾᏍᎩ ᎤᏍᏆᏂᎪᏙᏗ ᎨᏎᏍᏗ ᎬᏂᏛ ᏫᎾᏍᏛᎾ ᏗᎨᏒ ᎬᏗᏍᎩ. (aiōnios )
26 २६ यदि कोई मेरी सेवा करे, तो मेरे पीछे हो ले; और जहाँ मैं हूँ वहाँ मेरा सेवक भी होगा; यदि कोई मेरी सेवा करे, तो पिता उसका आदर करेगा।
ᎢᏳᏃ ᎩᎶ ᏥᏅᏏᏓᏍᏗ ᏂᎦᎵᏍᏗᏍᎨᏍᏗ, ᎾᏍᎩ ᎠᎩᏍᏓᏩᏕᎨᏍᏗ; ᎨᎥᏃ ᎾᎿᎭᎾᏍᏉ ᏥᏅᏏᏓᏍᏗ ᎡᎮᏍᏗ. ᎢᏳᏃ ᎩᎶ ᏥᏅᏏᏓᏍᏗ ᏂᎦᎵᏍᏗᏍᎨᏍᏗ, ᎾᏍᎩ ᎡᏙᏓ ᎤᎸᏉᏙᏗ ᎨᏎᏍᏗ.
27 २७ “अब मेरा जी व्याकुल हो रहा है। इसलिए अब मैं क्या कहूँ? ‘हे पिता, मुझे इस घड़ी से बचा?’ परन्तु मैं इसी कारण इस घड़ी को पहुँचा हूँ।
ᎿᎭᏉ ᎠᏆᏓᏅᏙ ᎤᏕᏯᏔᏁᎭ; ᎦᏙᏃ ᏓᎦᏛᏂ? [ ᎯᎠᏍᎪ ᏅᏓᏥᏪᏏ, ] ᎡᏙᏓ, ᏍᏊᏓᎳᎩ ᎪᎯ ᎨᏒᎢ? ᎠᏎᏃ ᎾᏍᎩ ᎢᏳᏍᏗ ᏣᎩᏍᏆᎸᎡ ᎪᎯ ᎠᎩᏍᏆᎸᎡᏗᏱ ᎠᎩᎷᏥᎸ.
28 २८ हे पिता अपने नाम की महिमा कर।” तब यह आकाशवाणी हुई, “मैंने उसकी महिमा की है, और फिर भी करूँगा।”
ᎡᏙᏓ, ᎯᎸᏉᏓ ᏕᏣᏙᎥᎢ. ᎿᎭᏉᏃ ᎦᎸᎳᏗ ᏓᏳᏁᏨᎩ, ᎯᎠ ᏅᏓᏳᏪᏒᎩ; ᎦᏳᎳ ᎠᎩᎸᏉᏔᏅ, ᎠᎴ ᏔᎵᏁ ᏛᏥᎸᏉᏔᏂ.
29 २९ तब जो लोग खड़े हुए सुन रहे थे, उन्होंने कहा; कि बादल गरजा, औरों ने कहा, “कोई स्वर्गदूत उससे बोला।”
ᏴᏫᏃ ᎾᎥ ᎠᏂᏙᎾᎢ ᎤᎾᏛᎦᏅ, ᎠᏴᏓᏆᎶᏣ, ᎤᎾᏛᏅᎩ. ᎢᎦᏛᏃ ᎯᎠ ᏄᏂᏪᏒᎩ; ᏗᎧᎿᎭᏩᏗᏙᎯ ᏓᏳᏬᏁᏓ.
30 ३० इस पर यीशु ने कहा, “यह शब्द मेरे लिये नहीं परन्तु तुम्हारे लिये आया है।
ᏥᏌ ᎤᏁᏨ, ᎯᎠ ᏄᏪᏒᎩ; ᎥᏝ ᎠᏴ ᎨᏒ ᏱᏅᏓᎦᎵᏍᏙᏓ, ᏂᎯᏍᎩᏂ ᎨᏒ ᏅᏓᎦᎵᏍᏙᏓ, ᎯᎠ ᎧᏁᎬ ᏥᎦᎾᏄᎪᏥᎦ.
31 ३१ अब इस जगत का न्याय होता है, अब इस जगत का सरदारनिकाल दिया जाएगा।
ᎿᎭᏉ ᎯᎠ ᎡᎶᎯ ᏙᏓᏰᎫᎪᏓᏁᎵ, ᎿᎭᏉ ᎤᎬᏫᏳᎯ ᎯᎠ ᎡᎶᎯ ᎤᏤᎵᎦ ᏓᏰᏥᏄᎪᏫᏏ.
32 ३२ और मैं यदि पृथ्वी पर से ऊँचे पर चढ़ाया जाऊँगा, तो सब को अपने पास खीचूँगा।”
ᎠᏎᏃ ᎢᏳᏃ ᎡᎶᎯ ᎥᎩᏌᎳᏓᏅᎭ, ᎾᏂᎥ ᏴᏫ ᏙᏓᎦᏎᏒᎯ.
33 ३३ ऐसा कहकर उसने यह प्रगट कर दिया, कि वह कैसी मृत्यु से मरेगा।
ᎾᏍᎩ ᎯᎠ ᏄᏪᏒᎩ, ᎾᏍᎩ ᎢᏳᎵᏍᏓᏁᏗᏱ ᎤᏲᎱᎯᏍᏗᏱ ᎦᏛᎬᎩ.
34 ३४ इस पर लोगों ने उससे कहा, “हमने व्यवस्था की यह बात सुनी है, कि मसीह सर्वदा रहेगा, फिर तू क्यों कहता है, कि मनुष्य के पुत्र को ऊँचे पर चढ़ाया जाना अवश्य है? यह मनुष्य का पुत्र कौन है?” (aiōn )
ᏴᏫ ᎤᏂᏁᏨ ᎯᎠ ᏂᎬᏩᏪᏎᎸᎩ, ᎠᏴ ᎣᎦᏛᎦᏅ ᏗᎧᎿᎭᏩᏛᏍᏗᏱ ᎾᏍᎩ ᎦᎶᏁᏛ ᎤᎵᏍᏆᏗᏍᏗ ᏂᎨᏒᎾ ᎡᎲᎢ; ᎦᏙᏃ ᏴᏫ ᎤᏪᏥ ᎠᏎ ᏓᏰᏥᏌᎳᏓᏂ ᎢᎭᏗᎭ? ᎦᎪ ᎾᏍᎩ Ꮎ ᏴᏫ ᎤᏪᏥ? (aiōn )
35 ३५ यीशु ने उनसे कहा, “ज्योति अब थोड़ी देर तक तुम्हारे बीच में है, जब तक ज्योति तुम्हारे साथ है तब तक चले चलो; ऐसा न हो कि अंधकार तुम्हें आ घेरे; जो अंधकार में चलता है वह नहीं जानता कि किधर जाता है।
ᎿᎭᏉᏃ ᏥᏌ ᎯᎠ ᏂᏚᏪᏎᎸᎩ; ᎠᏏᏞᎦ ᎢᎦ ᏚᎸᏌᏛ ᎢᏤᏙᎲᎢ; ᎢᏤᏙᎮᏍᏗ ᏂᎪᎯᎸ ᎢᎦ ᏕᏥᎸᏌᏓᏕᎲᎢ; ᎤᎵᏏᎩᎾᏏ ᏱᏧᏢᏓ; ᎩᎶᏰᏃ ᎤᎵᏏᎬ ᏤᏙᎰᎢ, ᎥᏝ ᏯᎦᏔᎰ ᏩᎦᏛᎢ.
36 ३६ जब तक ज्योति तुम्हारे साथ है, ज्योति पर विश्वास करो कि तुम ज्योति के सन्तान बनो।” ये बातें कहकर यीशु चला गया और उनसे छिपा रहा।
ᎠᏏ ᎢᎦ ᏥᏕᏥᎸᏌᏓᏕᎭ, ᎢᏦᎯᏳᎲᎦ ᎢᎦ ᏚᎸᏌᏛᎢ, ᎾᏍᎩᏃ ᏂᎯ ᎢᎦ ᏚᎸᏌᏛ ᏧᏪᏥ ᎨᏎᏍᏗ. ᎾᏍᎩ ᎯᎠ ᏄᏪᏒᎩ ᏥᏌ, ᎠᎴ ᎤᏓᏅᏒᎩ ᏚᏗᏍᎦᎳᏁᎸᎩ.
37 ३७ और उसने उनके सामने इतने चिन्ह दिखाए, तो भी उन्होंने उस पर विश्वास न किया;
ᎤᏣᏗᏍᎩᏂᏃᏅ ᎤᏍᏆᏂᎪᏗ ᏧᎸᏫᏍᏓᏁᎸᎯ ᎨᏒᎩ ᎠᏂᎦᏔᎲᎢ, ᎠᏎᏃ ᎥᏝ ᏱᎬᏬᎯᏳᏁᎢ.
38 ३८ ताकि यशायाह भविष्यद्वक्ता का वचन पूरा हो जो उसने कहा: “हे प्रभु, हमारे समाचार पर किसने विश्वास किया है? और प्रभु का भुजबल किस पर प्रगट हुआ?”
ᎾᏍᎩᏃ ᎤᏙᎯᏳᏅᎩ ᎤᏁᏨ ᎢᏌᏯ ᎠᏙᎴᎰᏍᎩ, ᎯᎠ ᏥᏄᏪᏎᎢ; “ᏣᎬᏫᏳᎯ, ᎦᎪ ᎤᏬᎯᏳᏅ ᎣᎩᏃᎮᎸᎢ? ᎠᎴ ᎦᎪ ᎠᏥᎾᏄᎪᏫᏎᎸ ᎤᎬᏫᏳᎯ ᎧᏃᎨᏂ?”
39 ३९ इस कारण वे विश्वास न कर सके, क्योंकि यशायाह ने यह भी कहा है:
ᎾᏍᎩ ᎢᏳᏏᏗ ᎥᏝ ᏰᎵ ᎬᏩᏃᎯᏳᏗ ᏱᎨᏎᎢ; ᏔᎵᏁᏰᏃ ᎢᏌᏯ ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎢ.
40 ४० “उसने उनकी आँखें अंधी, और उनका मन कठोर किया है; कहीं ऐसा न हो, कि आँखों से देखें, और मन से समझें, और फिरें, और मैं उन्हें चंगा करूँ।”
“ᏚᏍᏚᏁᎸ ᏗᏂᎦᏙᎵ, ᎠᎴ ᏚᏍᏓᏱᏕᎸ ᏧᏂᎾᏫ; ᏗᎬᏩᏂᎪᏩᏛᏙᏗ ᏂᎨᏒᎾ ᏗᏂᎦᏙᎵ, ᎠᎴ ᎬᏩᏃᎵᏍᏙᏗ ᏂᎨᏒᎾ ᎤᏂᎾᏫ, ᎠᎴ ᎾᏍᎩ ᏗᎬᏩᎾᏓᏁᏟᏴᎡᏗ ᏂᎨᏒᎾ, ᎠᎴ ᏗᎦᎦᏥᏅᏬᏗ ᏂᎨᏒᎾ.”
41 ४१ यशायाह ने ये बातें इसलिए कहीं, कि उसने उसकी महिमा देखी; और उसने उसके विषय में बातें की।
ᎾᏍᎩ ᏄᏪᏎ ᎢᏌᏯ, ᎾᎯᏳ ᏧᎪᎮ ᎦᎸᏉᏗᏳ ᎨᏒ ᎤᏤᎵᎦ, ᎠᎴ ᎾᏍᎩ ᏧᏃᎮᎴᎢ.
42 ४२ तो भी सरदारों में से भी बहुतों ने उस पर विश्वास किया, परन्तु फरीसियों के कारण प्रगट में नहीं मानते थे, ऐसा न हो कि आराधनालय में से निकाले जाएँ।
ᎤᏂᏣᏛᎩᏍᎩᏂᏃᏅ ᎾᏍᏉ ᎤᏂᎬᏫᏳᎯ ᎬᏬᎯᏳᏅᎩ; ᎠᏎᏃ ᎠᏂᏆᎵᏏ ᏅᏓᎦᎵᏍᏙᏗᏍᎬᎩ ᎥᏝ ᎬᏂᎨᏒ ᏱᏄᏅᏁᎴᎢ, ᏗᎦᎳᏫᎢᏍᏗᏱ ᏱᏙᎩᏄᎪᏩ ᎠᏁᎵᏍᎬᎩ.
43 ४३ क्योंकि मनुष्यों की प्रशंसा उनको परमेश्वर की प्रशंसा से अधिक प्रिय लगती थी।
ᎤᏟᏰᏃ ᎤᏂᏰᎸᏒᎩ ᏴᏫ ᎤᎾᏓᎸᏉᏙᏗ ᎨᏒ ᎡᏍᎦᏉ ᎤᏁᎳᏅᎯ ᎤᏓᎸᏉᏙᏗ ᎨᏒᎢ.
44 ४४ यीशु ने पुकारकर कहा, “जो मुझ पर विश्वास करता है, वह मुझ पर नहीं, वरन् मेरे भेजनेवाले पर विश्वास करता है।
ᏥᏌᏃ ᎤᏪᎷᏅᎩ ᎯᎠ ᏄᏪᏒᎩ, ᎩᎶ ᎠᏉᎯᏳᎲᏍᎩ ᎥᏝ ᎠᏴ ᏯᏉᎯᏳᎲᏍᎦ, ᏅᏛᎩᏅᏏᏛᏍᎩᏂ ᎪᎯᏳᎲᏍᎪᎢ.
45 ४५ और जो मुझे देखता है, वह मेरे भेजनेवाले को देखता है।
ᎠᎴ ᎩᎶ ᎠᏴ ᎠᎩᎪᏩᏘᏍᎩ ᏅᏛᎩᏅᏏᏛ ᎠᎪᏩᏘᏍᎪᎢ.
46 ४६ मैं जगत में ज्योति होकर आया हूँ ताकि जो कोई मुझ पर विश्वास करे, वह अंधकार में न रहे।
ᎠᏴ ᎢᎦᎦᏘ ᎡᎶᎯ ᎠᎩᎷᏥᎸ, ᎾᏍᎩ ᎩᎶ ᎠᏉᎯᏳᎲᏍᎨᏍᏗ ᎥᏝ ᎿᎭᏉ ᎤᎵᏏᎬ ᎤᏕᏗ ᏱᎨᏎᏍᏗ.
47 ४७ यदि कोई मेरी बातें सुनकर न माने, तो मैं उसे दोषी नहीं ठहराता, क्योंकि मैं जगत को दोषी ठहराने के लिये नहीं, परन्तु जगत का उद्धार करने के लिये आया हूँ।
ᎢᏳᏃ ᎩᎶ ᎠᏛᎩᏍᎨᏍᏗ ᏥᏁᎬᎢ, ᏂᎪᎯᏳᎲᏍᎬᎾᏃ ᎢᎨᏎᏍᏗ, ᎥᏝ ᎠᏴ ᏱᏗᏥᏳᎪᏓᏁᎭ; ᎥᏝᏰᏃ ᎡᎶᎯ ᏱᏗᏥᏳᎪᏓᏁᎵᎸ, ᏥᏍᏕᎸᎯᎸᏍᎩᏂ ᎡᎶᎯ.
48 ४८ जो मुझे तुच्छ जानता है और मेरी बातें ग्रहण नहीं करता है उसको दोषी ठहरानेवाला तो एक है: अर्थात् जो वचन मैंने कहा है, वह अन्तिम दिन में उसे दोषी ठहराएगा।
ᎠᎩᏐᏅᎢᏍᏗᏍᎩ ᎠᎴ ᏗᏓᏂᎸᎩ ᏂᎨᏒᎾ ᏥᏁᎬᎢ ᏧᏬᎪᏓᏁᎯ ᎤᏪᎭ. ᎧᏃᎮᏛ ᎠᎩᏁᏨᎯ ᎾᏍᎩ ᏧᏬᎪᏓᏁᏗ ᎨᏎᏍᏗ ᎤᎵᏍᏆᎸᏗ ᎢᎦ ᎨᏎᏍᏗ.
49 ४९ क्योंकि मैंने अपनी ओर से बातें नहीं की, परन्तु पिता जिसने मुझे भेजा है उसी ने मुझे आज्ञा दी है, कि क्या-क्या कहूँ और क्या-क्या बोलूँ?
ᎥᏝᏰᏃ ᎠᏋᏒᏉ ᎠᏆᏓᏅᏖᏛ ᎠᎩᏁᏨᎯ ᏱᎩ, ᎠᎦᏴᎵᎨᎢᏍᎩᏂ ᏅᏛᎩᏅᏏᏛ, ᎾᏍᎩ ᎠᎩᏁᏤᎸ ᎢᏯᎩᏪᏍᏗᏱ ᎠᎩᏬᏂᎯᏍᏗᏱ.
50 ५० और मैं जानता हूँ, कि उसकी आज्ञा अनन्त जीवन है इसलिए मैं जो बोलता हूँ, वह जैसा पिता ने मुझसे कहा है वैसा ही बोलता हूँ।” (aiōnios )
ᎠᎴ ᏥᎦᏔᎭ ᎾᏍᎩ ᎤᏁᏨᎯ ᏫᎾᏍᏛᎾ ᎬᏂᏛ ᎨᏒᎢ. ᎾᏍᎩ ᎢᏳᏍᏗ ᏂᎦᎥ ᏥᏁᎬᎢ, ᎾᏍᎩᏯ ᎠᎦᏴᎵᎨᎢ ᎾᎩᏪᏎᎸᎢ, ᎾᏍᎩ ᏂᏥᏪᎠ. (aiōnios )