< यूहन्ना 11 >

1 मरियम और उसकी बहन मार्था के गाँव बैतनिय्याह का लाज़र नामक एक मनुष्य बीमार था।
ᎩᎶᏃ ᎢᏳᏍᏗ ᎠᏍᎦᏯ ᎤᏢᎬᎩ, ᎳᏏᎳ ᏧᏙᎢᏛ, ᏇᏗᏂᏱ ᎡᎯ, ᎺᎵ ᎠᎴ ᎤᎸᎢ ᎹᏗ ᎤᏂᏚᎲᎢ.
2 यह वही मरियम थी जिसने प्रभु पर इत्र डालकर उसके पाँवों को अपने बालों से पोंछा था, इसी का भाई लाज़र बीमार था।
ᎾᏍᎩ ᎺᎵ ᎠᏠᏁᏗ ᏧᎶᏁᏔᏁ ᎤᎬᏫᏳᎯ, ᎠᎴ ᎤᏍᏘᏰᎬ ᏧᏩᏔᏁ ᏥᏚᏅᎦᎸᎡᎴ ᏧᎳᏏᏕᏂ, ᎾᏍᎩ ᏅᏙ ᎳᏏᎳ ᎤᏢᎬᎩ.
3 तब उसकी बहनों ने उसे कहला भेजा, “हे प्रभु, देख, जिससे तू प्यार करता है, वह बीमार है।”
ᎿᎭᏉᏃ ᏧᏙ ᏓᏳᎾᏓᏅᏒᎩ ᎤᏛᎪᏗ, ᎯᎠ ᏅᏓᏳᏂᏪᏒᎩ, ᏣᎬᏫᏳᎯ, ᎬᏂᏳᏉ ᎯᎨᏳᎢ ᏥᎩ ᎤᏢᎦ.
4 यह सुनकर यीशु ने कहा, “यह बीमारी मृत्यु की नहीं, परन्तु परमेश्वर की महिमा के लिये है, कि उसके द्वारा परमेश्वर के पुत्र की महिमा हो।”
ᏥᏌᏃ ᎤᏛᎦᏅ ᎯᎠ ᏄᏪᏒᎩ; ᎯᎠ ᎾᏍᎩ ᏧᏢᎦᎥᏝ ᎤᏲᎱᎯᏍᏗ ᏱᎩ, ᎠᏥᎸᏉᏙᏗᏱᏉᏍᎩᏂ ᎤᏁᎳᏅᎯ, ᎾᏍᎩᏃ ᎤᏁᎳᏅᎯ ᎤᏪᏥ ᎠᏥᎸᏉᏗᏳ ᎢᏳᎵᏍᏙᏗᏱ.
5 और यीशु मार्था और उसकी बहन और लाज़र से प्रेम रखता था।
ᏥᏌᏃ ᏧᎨᏳᎯᏳᎨᏒᎩ ᎹᏗ ᎠᎴ ᎤᎸᎢ ᎠᎴ ᎳᏏᎳ.
6 जब उसने सुना, कि वह बीमार है, तो जिस स्थान पर वह था, वहाँ दो दिन और ठहर गया।
ᎤᏛᎦᏅᏃ ᎤᏢᎬᎢ, ᎾᎿᎭᎡᏙᎲᎢ ᎠᏏ ᏔᎵ ᏅᎤᏙᏓᏋᎩ.
7 फिर इसके बाद उसने चेलों से कहा, “आओ, हम फिर यहूदिया को चलें।”
ᎣᏂᏃ ᎯᎠ ᏂᏚᏪᏎᎸᎩ ᎬᏩᏍᏓᏩᏗᏙᎯ; ᏔᎵᏁ ᏧᏗᏱ ᏫᏗᎶᎯ.
8 चेलों ने उससे कहा, “हे रब्बी, अभी तो यहूदी तुझे पथराव करना चाहते थे, और क्या तू फिर भी वहीं जाता है?”
ᎬᏩᏍᏓᏩᏗᏙᎯ ᎯᎠ ᏅᎬᏩᏪᏎᎸᎩ; ᏔᏕᏲᎲᏍᎩ, ᎥᏝ ᏱᎪᎯᎩ ᎠᏂᏧᏏ ᎤᎾᏁᎶᏔᏅᎩ ᏅᏯ ᏗᎨᏨᏂᏍᏙᏗᏱ, ᏔᎵᏁᏍᎪᏃ ᎾᎿᎭᏮᏛᎯᎶᏏ?
9 यीशु ने उत्तर दिया, “क्या दिन के बारह घंटे नहीं होते? यदि कोई दिन को चले, तो ठोकर नहीं खाता, क्योंकि इस जगत का उजाला देखता है।
ᏥᏌ ᎤᏁᏨᎩ; ᏝᏍᎪ ᏔᎳᏚ ᎢᏳᏟᎶᏛ ᏱᎩ ᏏᎦ? ᎢᏳᏃ ᎩᎶ ᎢᎦ ᏤᏙᎰᎢ, ᎥᏝ ᏱᏚᏬᏕᎯᎰᎢ, ᏅᏗᎦᎵᏍᏙᏗᏍᎪ ᎠᎪᏩᏘᏍᎬ ᎢᎦ ᎠᏂ ᎡᎶᎯ ᏚᎸᏌᏛᎢ.
10 १० परन्तु यदि कोई रात को चले, तो ठोकर खाता है, क्योंकि उसमें प्रकाश नहीं।”
ᎩᎶᏍᎩᏂ ᎡᏃᏱ ᏤᏙᎰᎢ, ᏚᏬᏕᎯᎰᎢ, ᏅᏗᎦᎵᏍᏙᏗᏍᎪ ᎢᎦ ᏂᏚᎸᏌᏓᏕᎲᎾ ᎨᏒᎢ.
11 ११ उसने ये बातें कहीं, और इसके बाद उनसे कहने लगा, “हमारा मित्र लाज़र सो गया है, परन्तु मैं उसे जगाने जाता हूँ।”
ᎾᏍᎩ ᎯᎠ ᏄᏪᏒᎩ; ᎿᎭᏉᏃ ᎯᎠ ᏄᏚᏪᏎᎸᎩ; ᎳᏏᎳ ᎢᎦᎵᎢ ᎦᎵᎭ; ᎠᏎᏃ ᏓᎨᏏ, ᏮᏓᏥᏰᏍᏔᏂ.
12 १२ तब चेलों ने उससे कहा, “हे प्रभु, यदि वह सो गया है, तो बच जाएगा।”
ᎬᏩᏍᏓᏩᏗᏙᎯᏃ ᎯᎠ ᏄᏂᏪᏒᎩ; ᏣᎬᏫᏳᎯ, ᎢᏳᏃ ᏱᎦᎵᎭ ᏓᏳᏗᏩᏏᏉ.
13 १३ यीशु ने तो उसकी मृत्यु के विषय में कहा था: परन्तु वे समझे कि उसने नींद से सो जाने के विषय में कहा।
ᎠᏎᏃ ᎤᏲᎱᏒ ᎦᏛᎬᎩ ᎾᏍᎩ ᏄᏪᏒ ᏥᏌ: ᎾᏍᎩᏍᎩᏂ Ꮎ ᎠᎦᎵᎲᏉ ᏦᏯᏪᏐᎵᎰ ᎦᏛᎦ ᎤᏁᎵᏒᎩ.
14 १४ तब यीशु ने उनसे साफ कह दिया, “लाज़र मर गया है।
ᎿᎭᏉᏃ ᎬᏂᎨᏒ ᏥᏌ ᎯᎠ ᏂᏚᏪᏎᎸᎩ; ᎳᏏᎳ ᎤᏲᎱᏒ;
15 १५ और मैं तुम्हारे कारण आनन्दित हूँ कि मैं वहाँ न था जिससे तुम विश्वास करो। परन्तु अब आओ, हम उसके पास चलें।”
ᎠᎴ ᎣᏏᏳ ᎠᎩᏰᎸᎭ ᎾᎿᎭᏫᏂᎨᏙᎲᎾ ᏥᎨᏒᎩ, ᏂᎯ ᏅᏗᎦᎵᏍᏙᏗᎭ, ᎢᏦᎯᏳᏗᏱ. ᎠᏎᏃ ᎡᏗᏩᏛᎱᎦ.
16 १६ तब थोमा ने जो दिदुमुस कहलाता है, अपने साथ के चेलों से कहा, “आओ, हम भी उसके साथ मरने को चलें।”
ᎿᎭᏉᏃ ᏓᎻ, ᏗᏗᎹ ᏧᏙᎢᏛ, ᎯᎠ ᏂᏚᏪᏎᎸᎩ ᎤᎾᎵᎪᎯ ᎠᎾᏓᏍᏓᏩᏗᏙᎯ, ᎾᏍᏉ ᎠᏴ ᎢᏕᎾ, ᎠᏲᎱᏒᎭ ᎢᎦᏠᏯᏍᏔᏅᎭ.
17 १७ फिर यीशु को आकर यह मालूम हुआ कि उसे कब्र में रखे चार दिन हो चुके हैं।
ᎿᎭᏉᏃ ᏥᏌ ᎤᎷᏨ ᎤᏙᎴᎱᏒᎩ ᎦᏳᎳ ᏅᎩ ᏧᏙᏓᏉᏛ ᎬᏩᏂᏅᏅᎯ ᎨᏒ ᎠᏤᎵᏍᏛᎢ.
18 १८ बैतनिय्याह यरूशलेम के समीप कोई दो मील की दूरी पर था।
ᎾᏍᎩ ᏇᏗᏂᏃ ᎦᏚᎲ ᏥᎷᏏᎵᎻ ᎾᎥ ᎨᏒᎩ, ᏔᎵᎭᏉ ᎢᏳᏟᎶᏛ.
19 १९ और बहुत से यहूदी मार्था और मरियम के पास उनके भाई के विषय में शान्ति देने के लिये आए थे।
ᎠᎴ ᎤᏂᏣᏛ ᎠᏂᏧᏏ ᎬᏩᏂᎷᏤᎸᎩ ᎹᏗ ᎠᎴ ᎺᎵ ᎬᏩᏂᏄᏬᎯᏍᏔᏂᎸᎩ ᎤᏂᏙ ᎤᏲᎱᏒ ᎢᏳᏍᏗ.
20 २० जब मार्था यीशु के आने का समाचार सुनकर उससे भेंट करने को गई, परन्तु मरियम घर में बैठी रही।
ᎿᎭᏉᏃ ᎹᏗ ᎤᏛᎦᏅᏉ ᏥᏌ ᏣᎢᏒᎢ ᏫᏚᏠᏒᎩ. ᎺᎵᏍᎩᏂ ᎦᎵᏦᏕᏉ ᎬᏬᎸᎩ.
21 २१ मार्था ने यीशु से कहा, “हे प्रभु, यदि तू यहाँ होता, तो मेरा भाई कदापि न मरता।
ᎿᎭᏉᏃ ᎹᏗ ᎠᎴ ᏄᏪᏎᎸᎩ ᏥᏌ; ᏣᎬᏫᏳᎯ, ᎢᏳᏃ ᎠᏂ ᏱᎮᏙᎮᎢ, ᎥᏝ ᏱᎬᏩᏲᎱᏎ ᎥᎩᏙ.
22 २२ और अब भी मैं जानती हूँ, कि जो कुछ तू परमेश्वर से माँगेगा, परमेश्वर तुझे देगा।”
ᎠᏎᏃ ᏥᎦᏔᎭ ᎾᏍᏉ ᎪᎯ ᎨᏒ ᏂᎦᎥ ᎪᎱᏍᏗ ᏱᏔᏲᏎᎸ ᎤᏁᎳᏅᎯ, ᏣᏁᏗᏉ ᎨᏒ ᎤᏁᎳᏅᎯ.
23 २३ यीशु ने उससे कहा, “तेरा भाई जी उठेगा।”
ᏥᏌ ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎸᎩ; ᎡᏣᏙ ᏙᏛᎠᎴᎯᏌᏂ.
24 २४ मार्था ने उससे कहा, “मैं जानती हूँ, अन्तिम दिन में पुनरुत्थान के समय वह जी उठेगा।”
ᎹᏗ ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎸᎩ; ᏥᎦᏔᎭ ᏙᏗᎴᎯᏌᏂᏒ ᏗᎴᎯᏐᏗ ᎨᏒ ᎤᎵᏍᏆᎸᏗ ᎢᎦ ᎨᏎᏍᏗ.
25 २५ यीशु ने उससे कहा, “पुनरुत्थान और जीवन मैं ही हूँ, जो कोई मुझ पर विश्वास करता है वह यदि मर भी जाए, तो भी जीएगा।
ᏥᏌ ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎸᎩ; ᎠᏴ ᏗᎴᎯᏐᏗ ᎨᏒ ᎠᎴ ᎬᏂᏛ. ᎩᎶ ᎠᏉᎯᏳᎲᏍᎨᏍᏗ, ᎢᏳ ᎾᏍᏉ ᎤᏲᎱᏒᎯ ᏱᎩ, ᎬᏁᏍᏗ.
26 २६ और जो कोई जीवित है, और मुझ पर विश्वास करता है, वह अनन्तकाल तक न मरेगा। क्या तू इस बात पर विश्वास करती है?” (aiōn g165)
ᎩᎶᏃ ᎬᏁᏍᏗ ᎠᎴ ᎠᏉᎯᏳᎲᏍᎨᏍᏗ, ᎥᏝ ᎢᎸᎯᏳ ᎤᏲᎱᎯᏍᏗ ᏱᎨᏎᏍᏗ. ᎰᎯᏳᎲᏍᎦᏍᎪ ᎾᏍᎩ ᎯᎠ? (aiōn g165)
27 २७ उसने उससे कहा, “हाँ, हे प्रभु, मैं विश्वास कर चुकी हूँ, कि परमेश्वर का पुत्र मसीह जो जगत में आनेवाला था, वह तू ही है।”
ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎸᎩ; ᎥᎥ, ᏣᎬᏫᏳᎯ; ᎪᎢᏳᎲᏍᎦ ᏂᎯ ᎦᎶᏁᏛ ᎨᏒᎯ, ᎤᏁᎳᏅᎯ ᎤᏪᏥ, ᎾᏍᎩ ᎡᎶᎯ ᎤᎷᎯᏍᏗ ᏥᎨᏒᎩ.
28 २८ यह कहकर वह चली गई, और अपनी बहन मरियम को चुपके से बुलाकर कहा, “गुरु यहीं है, और तुझे बुलाता है।”
ᎾᏍᎩᏃ ᏄᏪᏒ ᎤᏓᏅᏒᎩ, ᎠᎴ ᎤᏕᎵᏛ ᏭᏯᏅᎲᎩ ᎤᎸᎢ ᎺᎵ, ᎯᎠ ᏄᏪᏒᎩ; ᏗᏕᏲᎲᏍᎩ ᎦᎷᎩ ᎠᎴ ᏗᏣᏯᏂᎭ.
29 २९ वह सुनते ही तुरन्त उठकर उसके पास आई।
ᎾᏍᎩ ᎤᏛᎦᏅ ᏱᎳᏉ ᎢᏴᏛ ᏚᎴᏅᎩ, ᎠᎴ ᏭᎷᏤᎸᎩ.
30 ३० (यीशु अभी गाँव में नहीं पहुँचा था, परन्तु उसी स्थान में था जहाँ मार्था ने उससे भेंट की थी।)
ᏥᏌᏃ ᎥᏝ ᎠᏏ ᏱᎦᎷᎨ ᎦᏚᎲᎢ, ᎾᎿᎭᏉᏍᎩᏂ ᎹᏗ ᏫᏚᏠᏒ ᎡᏙᎲᎩ.
31 ३१ तब जो यहूदी उसके साथ घर में थे, और उसे शान्ति दे रहे थे, यह देखकर कि मरियम तुरन्त उठकर बाहर गई है और यह समझकर कि वह कब्र पर रोने को जाती है, उसके पीछे हो लिये।
ᎿᎭᏉᏃ ᎠᏂᏧᏏ ᎦᎵᏦᏕ ᎤᏪᎸ ᎠᏂᏂ, ᎠᎴ ᎬᏩᏄᏬᎯᏍᏗᏍᎩ, ᎤᏂᎪᎲ ᎺᎵ ᎤᎵᏍᏗᏳ ᏚᎴᏅ ᎠᎴ ᎤᏄᎪᏨ ᎬᏩᏍᏓᏩᏛᏒᎩ, ᎯᎠ ᏄᏂᏪᏒᎩ; ᏗᎦᏂᏌᎲ ᏩᎦᏘ ᎾᎿᎭᏮᏛᏍᎪᏂᎵ.
32 ३२ जब मरियम वहाँ पहुँची जहाँ यीशु था, तो उसे देखते ही उसके पाँवों पर गिरकर कहा, “हे प्रभु, यदि तू यहाँ होता तो मेरा भाई न मरता।”
ᎺᎵᏃ ᎤᎷᏨ ᏥᏌ ᎡᏙᎲᎢ, ᎠᎴ ᎤᎪᎲ, ᏚᎳᏍᎬ ᎡᎳᏗ ᎤᏓᏅᏅᎩ, ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎸᎩ; ᏣᎬᏫᏳᎯ, ᎢᏳᏃ ᎠᏂ ᏱᎮᏙᎮᎢ, ᎥᏝ ᎥᎩᏙ ᏱᎬᏩᏲᎱᏎᎢ.
33 ३३ जब यीशु ने उसको और उन यहूदियों को जो उसके साथ आए थे रोते हुए देखा, तो आत्मा में बहुत ही उदास और व्याकुल हुआ,
ᏥᏌᏃ ᎤᎪᎲ ᏓᏠᏱᎲᎢ, ᎠᎴ ᏚᎪᎲ ᎠᏂᏧᏏ ᎾᏍᎩ ᎤᏂᏍᏓᏩᏙᎸᎯ ᏓᎾᏠᏱᎲᎢ, ᎡᎯᏍᏗ ᎤᏓᏅᏓᏛᎩ, ᎠᎴ ᎤᏕᏯᏙᏗ ᏄᎵᏍᏓᏁᎸᎩ.
34 ३४ और कहा, “तुम ने उसे कहाँ रखा है?” उन्होंने उससे कहा, “हे प्रभु, चलकर देख ले।”
ᎠᎴ ᎯᎠ ᏄᏪᏒᎩ; ᎭᏢ ᎡᏥᏅᏁᎢ? ᏣᎬᏫᏳᎯ, ᎡᎭᎦᏔ, ᎬᏬᏎᎸᎩ.
35 ३५ यीशु रोया।
ᏥᏌ ᏚᏠᏱᎸᎩ.
36 ३६ तब यहूदी कहने लगे, “देखो, वह उससे कैसा प्यार करता था।”
ᎿᎭᏉᏃ ᎠᏂᏧᏏ ᎯᎠ ᏄᏂᏪᏒᎩ; ᎬᏂᏳᏉ ᏂᎦᎡ ᎤᎨᏳᎯᏳ ᎨᏎᎢ.
37 ३७ परन्तु उनमें से कितनों ने कहा, “क्या यह जिसने अंधे की आँखें खोलीं, यह भी न कर सका कि यह मनुष्य न मरता?”
ᎢᎦᏛᏃ ᎤᎾᏓᏑᏴᎩ ᎯᎠ ᏄᏂᏪᏒᎩ; ᏝᏍᎪ ᎯᎠ ᏗᎨᏫ ᏗᎦᏙᎵ ᏧᏍᏚᎢᎡᎸᎯ, ᎾᏍᏉ ᎾᏍᎩ ᏱᏂᎬᏩᏂᏌᏁ ᏄᏲᎱᏒᎾ ᏱᎦᎨᏎ ᎯᎠ ᎠᏍᎦᏯ?
38 ३८ यीशु मन में फिर बहुत ही उदास होकर कब्र पर आया, वह एक गुफा थी, और एक पत्थर उस पर धरा था।
ᏥᏌᏃ ᏔᎵᏁ ᎡᎯᏍᏗ ᎤᏓᏅᏓᏛ ᎠᏤᎵᏍᏛ ᎤᎷᏨᎩ. ᎤᏍᏓᎦᎸ ᎨᏒᎩ, ᎠᎴ ᏅᏯ ᎠᏍᏚᏛᎩ.
39 ३९ यीशु ने कहा, “पत्थर को उठाओ।” उस मरे हुए की बहन मार्था उससे कहने लगी, “हे प्रभु, उसमें से अब तो दुर्गन्ध आती है, क्योंकि उसे मरे चार दिन हो गए।”
ᏥᏌ ᎯᎠ ᏄᏪᏒᎩ, ᏅᏯ ᎢᏥᎲᎾ. ᎹᏗ ᎤᏲᎱᏒᎯ ᎤᏙ, ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎸᎩ; ᏣᎬᏫᏳᎯ, ᎪᎯ ᎠᏎ ᎠᏒᎦ, ᏅᎩᏰᏃ ᏄᏒᎭ ᎦᏰᏥᏂᏌᏅᎯ.
40 ४० यीशु ने उससे कहा, “क्या मैंने तुझ से न कहा था कि यदि तू विश्वास करेगी, तो परमेश्वर की महिमा को देखेगी।”
ᏥᏌ ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎸᎩ; ᏝᏍᎪ ᎯᎠ ᏱᏂᎬᏪᏎᎴᎢ; ᎢᏳᏃ ᎰᎯᏳᎲᏍᎨᏍᏗ, ᏣᎪᏩᏛᏗ ᎨᏎᏍᏗ ᎦᎸᏉᏗᏳ ᎨᏒ ᎤᏁᎳᏅᎯ ᎤᏤᎵᎦ.
41 ४१ तब उन्होंने उस पत्थर को हटाया, फिर यीशु ने आँखें उठाकर कहा, “हे पिता, मैं तेरा धन्यवाद करता हूँ कि तूने मेरी सुन ली है।
ᎿᎭᏉᏃ ᏅᏯ ᎤᏂᎲᏍᎩ ᎤᏲᎱᏒᎯ ᎦᏅᎢ. ᏥᏌᏃ ᏚᏌᎳᏓᏅᎩ ᏗᎦᏙᎵ, ᎯᎠ ᏄᏪᏒᎩ; ᎡᏙᏓ, ᎬᏯᎵᎡᎵᏤᎭ ᏥᏍᏆᏛᎦᏁᎸ.
42 ४२ और मैं जानता था, कि तू सदा मेरी सुनता है, परन्तु जो भीड़ आस-पास खड़ी है, उनके कारण मैंने यह कहा, जिससे कि वे विश्वास करें, कि तूने मुझे भेजा है।”
ᎠᎴ ᏥᎦᏔᎭ ᏂᎪᎯᎸᎢ ᏍᏆᏛᎦᏁᎲᎢ; ᎠᏎᏃ ᏴᏫ ᎠᏂ ᏣᏂᏙᎾᎠ ᏅᏓᎦᎵᏍᏙᏓ ᎾᏍᎩ ᏥᏂᏥᏫ, ᎤᏃᎯᏳᏗᏱ ᏂᎯ ᏅᏓᏍᎩᏅᏏᏛ ᎨᏒᎢ.
43 ४३ यह कहकर उसने बड़े शब्द से पुकारा, “हे लाज़र, निकल आ!”
ᎾᏍᎩᏃ ᏄᏪᏒ, ᎠᏍᏓᏯ ᎤᏪᎷᏅᎩ, ᎯᎠ ᏄᏪᏒᎩ; ᎳᏏᎳ, ᎡᎯᏄᎪᎢ.
44 ४४ जो मर गया था, वह कफन से हाथ पाँव बंधे हुए निकल आया और उसका मुँह अँगोछे से लिपटा हुआ था। यीशु ने उनसे कहा, “उसे खोलकर जाने दो।”
ᎤᏲᎱᏒᎯᏃ ᏓᏳᏄᎪᏨᎩ, ᏧᏬᏰᏂ ᎠᎴ ᏧᎳᏏᏕᏂ ᏚᏓᎸᏍᏛᎩ ᏗᎦᎸᏓᎸᏛ ᏗᏄᏬ, ᎤᎧᏛᏃ ᎠᏯᏠ ᎤᏓᎸᏍᏛᎩ. ᏥᏌ ᎯᎠ ᏂᏚᏪᏎᎸᎩ; ᎡᏣᎸᏒ ᎠᎴ ᏤᏥᏲᎯ.
45 ४५ तब जो यहूदी मरियम के पास आए थे, और उसका यह काम देखा था, उनमें से बहुतों ने उस पर विश्वास किया।
ᎠᎴ ᎤᏂᏣᏛᎩ ᎤᎾᏓᏑᏴᎩ ᎠᏂᏧᏏ ᎺᎵ ᎬᏩᎷᏤᎸᎯ, ᎠᎴ ᎤᏂᎪᎲᎯ ᎾᏍᎩ ᏥᏌ ᏄᏛᏁᎸᎢ, ᎬᏬᎯᏳᏅᎩ.
46 ४६ परन्तु उनमें से कितनों ने फरीसियों के पास जाकर यीशु के कामों का समाचार दिया।
ᎢᎦᏛᏍᎩᏂ ᎠᏂᏆᎵᏏ ᏗᏂᏅ ᏭᏂᎶᏒᎩ, ᎠᎴ ᏫᏚᏂᏃᏁᎸᎩ ᏥᏌ ᏄᏛᏁᎸᎩ.
47 ४७ इस पर प्रधान याजकों और फरीसियों ने मुख्य सभा के लोगों को इकट्ठा करके कहा, “हम क्या करेंगे? यह मनुष्य तो बहुत चिन्ह दिखाता है।
ᎿᎭᏉᏃ ᏄᏂᎬᏫᏳᏒ ᎠᏥᎸ-ᎠᏁᎶᎯ ᎠᎴ ᎠᏂᏉᎵᏏ ᏚᏂᎳᏫᏛᎩ, ᎠᎴ ᎯᎠ ᏄᏂᏪᏒᎩ; ᎦᏙ ᎢᏓᏛᏁᎭ? ᎯᎠᏰᏃ ᎠᏍᎦᏯ ᎤᏣᏔ ᎤᏍᏆᏂᎪᏗ ᏚᎸᏫᏍᏓᏁᎭ.
48 ४८ यदि हम उसे ऐसे ही छोड़ दें, तो सब उस पर विश्वास ले आएँगे और रोमी आकर हमारी जगह और जाति दोनों पर अधिकार कर लेंगे।”
ᎢᏳᏃ ᎾᏍᎩ ᎤᏁᎳᎩ ᏰᏕᎵᏎᎭ, ᏂᎦᏗᏳ ᏓᎬᏬᎯᏳᏂ, ᎠᏂᎶᎻᏃ ᏛᏂᎷᏥ ᎠᎴ ᏓᎨᎩᎩᎡᎵ ᎢᎦᏤᎵᎪᎯ ᎠᎴ ᏗᎦᏤᎵ ᏴᏫ ᏙᏓᎨᎩᏯᏅᎡᎵ.
49 ४९ तब उनमें से कैफा नामक एक व्यक्ति ने जो उस वर्ष का महायाजक था, उनसे कहा, “तुम कुछ नहीं जानते;
ᎠᏏᏴᏫᏃ ᎤᏓᏑᏴᎩ, ᎧᏱᏆ ᏧᏙᎢᏛ, ᎾᎯᏳ ᎤᏕᏘᏴᏌᏗᏒ ᏄᎬᏫᏳᏒ ᎠᏥᎸ-ᎨᎶᎯ ᎨᏒᎩ, ᎯᎠ ᏂᏚᏪᏎᎸᎩ; ᎥᏝ ᎪᎱᏍᏗ ᏱᏥᎦᏔᎭ,
50 ५० और न यह सोचते हो, कि तुम्हारे लिये यह भला है, कि लोगों के लिये एक मनुष्य मरे, और न यह, कि सारी जाति नाश हो।”
ᎠᎴ ᎥᏝ ᏱᏣᏓᏅᏖᎭ ᎤᏟ ᎣᏏᏳ ᎢᎨᎦᎵᏍᏓᏁᏗ ᎨᏒᎢ, ᎠᏏᏴᏫ ᎩᎶ ᏱᏓᏲᎱᎯᏎᎭ ᏴᏫ, ᎠᏃ ᎤᏂᏣᏘ ᎤᏅᏒ ᏯᎾᏗᏒᎲᏍᎦ.
51 ५१ यह बात उसने अपनी ओर से न कही, परन्तु उस वर्ष का महायाजक होकर भविष्यद्वाणी की, कि यीशु उस जाति के लिये मरेगा;
ᎾᏍᎩ ᏄᏪᏒᎩ, ᎥᏝ ᎤᏩᏒ ᎤᏓᏅᏖᏛ ᏱᎨᏎᎢ; ᎾᎯᏳ ᎠᏥᎸ-ᎨᎶᎯᏍᎩᏂ ᎨᏒ ᎢᏳᏍᏗ ᎤᏕᏘᏴᏌᏗᏒ ᎤᏙᎴᎰᏒᎩ ᏥᏌ ᏧᏲᎱᎯᏎᏗᏱ ᎾᏍᎩ ᏑᎾᏓᎴᎩ ᎨᏒ ᏴᏫ,
52 ५२ और न केवल उस जाति के लिये, वरन् इसलिए भी, कि परमेश्वर की तितर-बितर सन्तानों को एक कर दे।
ᎠᎴ ᎥᏝ ᎾᏍᎩ Ꮎ ᏑᎾᏓᎴᎩ ᎨᏒ ᎤᏅᏒ, ᎾᏍᏉᏍᎩᏂ ᏌᏉ ᎢᏧᏩᏁᏗᏱ ᏧᏪᏟᏐᏗᏱ ᎤᎾᏗᎦᎴᏲᏨᎯ ᎤᏁᎳᏅᎯ ᏧᏪᏥ.
53 ५३ अतः उसी दिन से वे उसके मार डालने की सम्मति करने लगे।
ᎿᎭᏉᏃ ᎾᎯᏳ ᎤᎾᎴᏅᎲᎩ ᎤᏂᏃᎮᎸᎩ ᎤᏂᎯᏍᏗᏱ.
54 ५४ इसलिए यीशु उस समय से यहूदियों में प्रगट होकर न फिरा; परन्तु वहाँ से जंगल के निकटवर्ती प्रदेश के एप्रैम नामक, एक नगर को चला गया; और अपने चेलों के साथ वहीं रहने लगा।
ᎾᏍᎩ ᎢᏳᏍᏗ ᏥᏌ ᎿᎭᏉ ᎥᏝ ᎢᎸᎯᏳ ᎬᏂᎨᏒ ᏱᏚᏪᎳᏗᏙᎴ ᎠᏂᏧᏏ; ᎾᎿᎭᏍᎩᏂ ᎤᏂᎩᏒᎩ, ᎢᎾᎨ ᎾᎥ ᏭᎶᏅᎩ, ᎢᏆᎻ ᏚᏙᎥ ᏗᎦᏚᎲᎢ, ᎠᎴ ᎾᎿᎭᎤᏪᏅᎩ ᎠᎴ ᎬᏩᏍᏓᏩᏗᏙᎯ.
55 ५५ और यहूदियों का फसह निकट था, और बहुत सारे लोग फसह से पहले दिहात से यरूशलेम को गए कि अपने आपको शुद्ध करें।
ᎠᏂᏧᏏᏃ ᎤᎾᏤᎵᎦ ᎧᏃᎯᏰᎩ ᏗᎵᏍᏓᏴᏗᏱ ᎤᏍᏆᎸᎯᏗᏒᎩ; ᎤᏂᏣᏛᎩᏃ ᎾᎿᎭᎤᎾᏂᎩᏒᎩ ᏥᎷᏏᎵᎻ ᏭᏂᎶᏒᎩ ᎠᏏᏉ ᎾᏍᏆᎵᏍᎬᎾ ᎧᏃᎯᏰᎩ ᏗᎵᏍᏓᏴᏗᏱ, ᎤᎾᏓᏅᎦᎸᏗᏱ ᎤᏂᏰᎸᏒᎩ.
56 ५६ वे यीशु को ढूँढ़ने और मन्दिर में खड़े होकर आपस में कहने लगे, “तुम क्या समझते हो? क्या वह पर्व में नहीं आएगा?”
ᏥᏌᏃ ᎤᏂᏲᎸᎩ, ᎠᎴ ᎤᏛᏅᏗᎦᎳᏫᏍᏗᏱ ᎠᏂᏙᎾᎥ ᎯᎠ ᏂᏚᎾᏓᏪᏎᎸᎩ; ᎦᏙ ᎢᏤᎵᎭ? ᏝᏍᎪ ᏓᎾᎵᏍᏓᏴᎲᏍᎬ ᏴᏓᎦᎷᏥ?
57 ५७ और प्रधान याजकों और फरीसियों ने भी आज्ञा दे रखी थी, कि यदि कोई यह जाने कि यीशु कहाँ है तो बताए, कि वे उसे पकड़ लें।
ᏄᏂᎬᏫᏳᏒᏃ ᎠᏥᎸ-ᎠᏁᎶᎯ ᎠᎴ ᎾᏍᏉ ᎠᏂᏆᎵᏏ ᎤᏂᏁᏨᎯ ᎨᏒᎩ, ᎢᏳᏃ ᎩᎶ ᏯᎦᏔᎭ ᎡᏙᎲᎢ, ᎬᏂᎨᏒ ᎢᏳᏩᏁᏗᏱ, ᎤᏂᏂᏴᏗᏱ ᎤᏂᏰᎸᏒᎩ.

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