< योएल 1 >
1 १ यहोवा का वचन जो पतूएल के पुत्र योएल के पास पहुँचा, वह यह है:
[I am] Joel, the son of Pethuel. [This is] a message that Yahweh gave to me.
2 २ हे पुरनियों, सुनो, हे देश के सब रहनेवालों, कान लगाकर सुनो! क्या ऐसी बात तुम्हारे दिनों में, या तुम्हारे पुरखाओं के दिनों में कभी हुई है?
You leaders [of Israel], and everyone else who lives in this country, listen [to this message]! Nothing [RHQ] like this has ever happened during the time that we have lived or the time when our ancestors lived.
3 ३ अपने बच्चों से इसका वर्णन करो और वे अपने बच्चों से, और फिर उनके बच्चे आनेवाली पीढ़ी के लोगों से।
Tell your children about it, and tell your children to tell it to their children, and tell your grandchildren to tell it to their children.
4 ४ जो कुछ गाजाम नामक टिड्डी से बचा; उसे अर्बे नामक टिड्डी ने खा लिया। और जो कुछ अर्बे नामक टिड्डी से बचा, उसे येलेक नामक टिड्डी ने खा लिया, और जो कुछ येलेक नामक टिड्डी से बचा, उसे हासील नामक टिड्डी ने खा लिया है।
[I am talking about] the locusts that have eaten our crops. The first swarm of locusts came and cut [many of the leaves of the crops]; then another swarm came and ate [the rest of the leaves], then another swarm came hopping along, and finally another swarm came and they destroyed [everything else].
5 ५ हे मतवालों, जाग उठो, और रोओ; और हे सब दाखमधु पीनेवालों, नये दाखमधु के कारण हाय, हाय, करो; क्योंकि वह तुम को अब न मिलेगा।
You people who are drunk, wake up! Wake up and wail loudly, because all the grapes are ruined, and so there will be no new wine [MTY]!
6 ६ देखो, मेरे देश पर एक जाति ने चढ़ाई की है, वह सामर्थी है, और उसके लोग अनगिनत हैं; उसके दाँत सिंह के से, और डाढ़ें सिंहनी की सी हैं।
[Huge swarms of] locusts have entered our country. [They are like] [MET] a powerful army [that has very many soldiers], [with the result that] no one can count them. The locusts have teeth that are [as sharp as] the teeth of lions [DOU]!
7 ७ उसने मेरी दाखलता को उजाड़ दिया, और मेरे अंजीर के वृक्ष को तोड़ डाला है; उसने उसकी सब छाल छीलकर उसे गिरा दिया है, और उसकी डालियाँ छिलने से सफेद हो गई हैं।
They have destroyed our grapevines and our fig trees [by] stripping off [and eating all] the bark, with the result that the branches are white [and (bare/have no leaves on them)].
8 ८ जैसे युवती अपने पति के लिये कमर में टाट बाँधे हुए विलाप करती है, वैसे ही तुम भी विलाप करो।
Cry like [SIM] a young woman cries when the young man to whom she was (engaged/promised to marry) has died.
9 ९ यहोवा के भवन में न तो अन्नबलि और न अर्घ आता है। उसके टहलुए जो याजक हैं, वे विलाप कर रहे हैं।
There is no grain or wine for us to offer [as sacrifices] at the temple, [so] the priests who serve Yahweh are mourning/weeping.
10 १० खेती मारी गई, भूमि विलाप करती है; क्योंकि अन्न नाश हो गया, नया दाखमधु सूख गया, तेल भी सूख गया है।
[The crops in] the fields have been ruined; [it is as though] [PRS] the ground is mourning. The grain has been destroyed, there are no [grapes to make] wine, and there is no [more olive] oil.
11 ११ हे किसानों, लज्जित हो, हे दाख की बारी के मालियों, गेहूँ और जौ के लिये हाय, हाय करो; क्योंकि खेती मारी गई है
You farmers, grieve! You who take care of grapevines, wail, because the grain has been destroyed; there is no wheat or barley growing.
12 १२ दाखलता सूख गई, और अंजीर का वृक्ष कुम्हला गया है अनार, खजूर, सेब, वरन्, मैदान के सब वृक्ष सूख गए हैं; और मनुष्य का हर्ष जाता रहा है।
The grapevines and the fig trees have withered, and the pomegranate [trees] and palm [trees] and apricot [trees] have also dried up. The people are no longer joyful.
13 १३ हे याजकों, कमर में टाट बाँधकर छाती पीट-पीट के रोओ! हे वेदी के टहलुओ, हाय, हाय, करो। हे मेरे परमेश्वर के टहलुओ, आओ, टाट ओढ़े हुए रात बिताओ! क्योंकि तुम्हारे परमेश्वर के भवन में अन्नबलि और अर्घ अब नहीं आते।
You priests, put on [rough] sack clothes and wail. You who serve God [by offering sacrifices] on the altar, wear those rough sack clothes all night [to show that you are mourning], because there is no grain or wine to be offered at the temple of your God.
14 १४ उपवास का दिन ठहराओ, महासभा का प्रचार करो। पुरनियों को, वरन् देश के सब रहनेवालों को भी अपने परमेश्वर यहोवा के भवन में इकट्ठा करके उसकी दुहाई दो।
Tell the people that they should (fast/abstain from eating food). Tell the leaders and the other people to gather at the temple and to cry [out] to Yahweh [there].
15 १५ उस दिन के कारण हाय! क्योंकि यहोवा का दिन निकट है। वह सर्वशक्तिमान की ओर से सत्यानाश का दिन होकर आएगा।
Terrible things are happening to us! It will soon be the time when Yahweh, [who is] the Almighty God, [will really punish us], [when he] will cause us to experience more disasters.
16 १६ क्या भोजनवस्तुएँ हमारे देखते नाश नहीं हुईं? क्या हमारे परमेश्वर के भवन का आनन्द और मगन जाता नहीं रहा?
Our crops are already gone, and no [one is] rejoicing at all [DOU] at the temple of our God.
17 १७ बीज ढेलों के नीचे झुलस गए, भण्डार सूने पड़े हैं; खत्ते गिर पड़े हैं, क्योंकि खेती मारी गई।
[When we plant] seeds, [they do not grow]; they dry up in the ground, so there are no crops to harvest. Our barns/storehouses are empty; there is no grain [to store in them].
18 १८ पशु कैसे कराहते हैं? झुण्ड के झुण्ड गाय-बैल विकल हैं, क्योंकि उनके लिये चराई नहीं रही; और झुण्ड के झुण्ड भेड़-बकरियाँ पाप का फल भोग रही हैं।
Our cattle groan, searching for a pasture with some grass to eat, and the sheep bleat because they are suffering.
19 १९ हे यहोवा, मैं तेरी दुहाई देता हूँ, क्योंकि जंगल की चराइयाँ आग का कौर हो गईं, और मैदान के सब वृक्ष ज्वाला से जल गए।
Yahweh, I cry [out] to you, because our pastures and our forests have dried up in the hot sunshine [MET].
20 २० वन-पशु भी तेरे लिये हाँफते हैं, क्योंकि जल के सोते सूख गए, और जंगल की चराइयाँ आग का कौर हो गईं।
[It is as though] even the wild animals cry [out] to you because all the streams have dried up. The rivers and streams are all dry, and the grass in the pastures is all parched.