< अय्यूब 8 >

1 तब शूही बिल्दद ने कहा,
فَأَجَابَ بِلْدَدُ ٱلشُّوحِيُّ وَقَالَ:١
2 “तू कब तक ऐसी-ऐसी बातें करता रहेगा? और तेरे मुँह की बातें कब तक प्रचण्ड वायु सी रहेगी?
«إِلَى مَتَى تَقُولُ هَذَا، وَتَكُونُ أَقْوَالُ فِيكَ رِيحًا شَدِيدَةً؟٢
3 क्या परमेश्वर अन्याय करता है? और क्या सर्वशक्तिमान धार्मिकता को उलटा करता है?
هَلِ ٱللهُ يُعَوِّجُ ٱلْقَضَاءَ، أَوِ ٱلْقَدِيرُ يَعْكِسُ ٱلْحَقَّ؟٣
4 यदि तेरे बच्चों ने उसके विरुद्ध पाप किया है, तो उसने उनको उनके अपराध का फल भुगताया है।
إِذْ أَخْطَأَ إِلَيْهِ بَنُوكَ، دَفَعَهُمْ إِلَى يَدِ مَعْصِيَتِهِمْ.٤
5 तो भी यदि तू आप परमेश्वर को यत्न से ढूँढ़ता, और सर्वशक्तिमान से गिड़गिड़ाकर विनती करता,
فَإِنْ بَكَّرْتَ أَنْتَ إِلَى ٱللهِ وَتَضَرَّعْتَ إِلَى ٱلْقَدِيرِ،٥
6 और यदि तू निर्मल और धर्मी रहता, तो निश्चय वह तेरे लिये जागता; और तेरी धार्मिकता का निवास फिर ज्यों का त्यों कर देता।
إِنْ كُنْتَ أَنْتَ زَكِيًّا مُسْتَقِيمًا، فَإِنَّهُ ٱلْآنَ يَتَنَبَّهُ لَكَ وَيُسْلِمُ مَسْكَنَ بِرِّكَ.٦
7 चाहे तेरा भाग पहले छोटा ही रहा हो परन्तु अन्त में तेरी बहुत बढ़ती होती।
وَإِنْ تَكُنْ أُولَاكَ صَغِيرَةً فَآخِرَتُكَ تَكْثُرُ جِدًّا.٧
8 “पिछली पीढ़ी के लोगों से तो पूछ, और जो कुछ उनके पुरखाओं ने जाँच पड़ताल की है उस पर ध्यान दे।
«اِسْأَلِ ٱلْقُرُونَ ٱلْأُولَى وَتَأَكَّدْ مَبَاحِثَ آبَائِهِمْ،٨
9 क्योंकि हम तो कल ही के हैं, और कुछ नहीं जानते; और पृथ्वी पर हमारे दिन छाया के समान बीतते जाते हैं।
لِأَنَّنَا نَحْنُ مِنْ أَمْسٍ وَلَا نَعْلَمُ، لِأَنَّ أَيَّامَنَا عَلَى ٱلْأَرْضِ ظِلٌّ.٩
10 १० क्या वे लोग तुझ से शिक्षा की बातें न कहेंगे? क्या वे अपने मन से बात न निकालेंगे?
فَهَلَّا يُعْلِمُونَكَ؟ يَقُولُونَ لَكَ، وَمِنْ قُلُوبِهِمْ يُخْرِجُونَ أَقْوَالًا قَائِلِينَ:١٠
11 ११ “क्या कछार की घास पानी बिना बढ़ सकती है? क्या सरकण्डा जल बिना बढ़ता है?
هَلْ يَنْمِي ٱلْبَرْدِيُّ فِي غَيْرِ ٱلْغَمَقَةِ، أَوْ تَنْبُتُ ٱلْحَلْفَاءُ بِلَا مَاءٍ؟١١
12 १२ चाहे वह हरी हो, और काटी भी न गई हो, तो भी वह और सब भाँति की घास से पहले ही सूख जाती है।
وَهُوَ بَعْدُ فِي نَضَارَتِهِ لَمْ يُقْطَعْ، يَيْبَسُ قَبْلَ كُلِّ ٱلْعُشْبِ.١٢
13 १३ परमेश्वर के सब बिसरानेवालों की गति ऐसी ही होती है और भक्तिहीन की आशा टूट जाती है।
هَكَذَا سُبُلُ كُلِّ ٱلنَّاسِينَ ٱللهَ، وَرَجَاءُ ٱلْفَاجِرِ يَخِيبُ،١٣
14 १४ उसकी आशा का मूल कट जाता है; और जिसका वह भरोसा करता है, वह मकड़ी का जाला ठहरता है।
فَيَنْقَطِعُ ٱعْتِمَادُهُ، وَمُتَّكَلُهُ بَيْتُ ٱلْعَنْكَبُوتِ!١٤
15 १५ चाहे वह अपने घर पर टेक लगाए परन्तु वह न ठहरेगा; वह उसे दृढ़ता से थामेगा परन्तु वह स्थिर न रहेगा।
يَسْتَنِدُ إِلَى بَيْتِهِ فَلَا يَثْبُتُ. يَتَمَسَّكُ بِهِ فَلَا يَقُومُ.١٥
16 १६ वह धूप पाकर हरा भरा हो जाता है, और उसकी डालियाँ बगीचे में चारों ओर फैलती हैं।
هُوَ رَطْبٌ تُجَاهَ ٱلشَّمْسِ وَعَلَى جَنَّتِهِ تَنْبُتُ خَرَاعِيبُهُ.١٦
17 १७ उसकी जड़ कंकड़ों के ढेर में लिपटी हुई रहती है, और वह पत्थर के स्थान को देख लेता है।
وَأُصُولُهُ مُشْتَبِكَةٌ فِي ٱلرُّجْمَةِ، فَتَرَى مَحَلَّ ٱلْحِجَارَةِ.١٧
18 १८ परन्तु जब वह अपने स्थान पर से नाश किया जाए, तब वह स्थान उससे यह कहकर मुँह मोड़ लेगा, ‘मैंने उसे कभी देखा ही नहीं।’
إِنِ ٱقْتَلَعَهُ مِنْ مَكَانِهِ، يَجْحَدُهُ قَائِلًا: مَا رَأَيْتُكَ!١٨
19 १९ देख, उसकी आनन्द भरी चाल यही है; फिर उसी मिट्टी में से दूसरे उगेंगे।
هَذَا هُوَ فَرَحُ طَرِيقِهِ، وَمِنَ ٱلتُّرَابِ يَنْبُتُ آخَرُ.١٩
20 २० “देख, परमेश्वर न तो खरे मनुष्य को निकम्मा जानकर छोड़ देता है, और न बुराई करनेवालों को सम्भालता है।
«هُوَذَا ٱللهُ لَا يَرْفُضُ ٱلْكَامِلَ، وَلَا يَأْخُذُ بِيَدِ فَاعِلِي ٱلشَّرِّ.٢٠
21 २१ वह तो तुझे हँसमुख करेगा; और तुझ से जयजयकार कराएगा।
عِنْدَمَا يَمْلَأُ فَاكَ ضَحِكًا، وَشَفَتَيْكَ هُتَافًا،٢١
22 २२ तेरे बैरी लज्जा का वस्त्र पहनेंगे, और दुष्टों का डेरा कहीं रहने न पाएगा।”
يَلْبَسُ مُبْغِضُوكَ خِزْيًا، أَمَّا خَيْمَةُ ٱلْأَشْرَارِ فَلَا تَكُونُ».٢٢

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