< अय्यूब 24 >
1 १ “सर्वशक्तिमान ने दुष्टों के न्याय के लिए समय क्यों नहीं ठहराया, और जो लोग उसका ज्ञान रखते हैं वे उसके दिन क्यों देखने नहीं पाते?
“For this reason from the Mighty One Times have not been hidden, And those knowing Him have not seen His days.
2 २ कुछ लोग भूमि की सीमा को बढ़ाते, और भेड़-बकरियाँ छीनकर चराते हैं।
They reach the borders, They have taken a drove away violently, Indeed, they do evil.
3 ३ वे अनाथों का गदहा हाँक ले जाते, और विधवा का बैल बन्धक कर रखते हैं।
They lead away the donkey of the fatherless, They take in pledge the ox of the widow,
4 ४ वे दरिद्र लोगों को मार्ग से हटा देते, और देश के दीनों को इकट्ठे छिपना पड़ता है।
They turn aside the needy from the way, Together have hid the poor of the earth.
5 ५ देखो, दीन लोग जंगली गदहों के समान अपने काम को और कुछ भोजन यत्न से ढूँढ़ने को निकल जाते हैं; उनके बच्चों का भोजन उनको जंगल से मिलता है।
Behold, wild donkeys in a wilderness, They have gone out about their work, Seeking early for prey, A mixture for himself—food for young ones.
6 ६ उनको खेत में चारा काटना, और दुष्टों की बची बचाई दाख बटोरना पड़ता है।
They reap his provender in a field, And they glean the vineyard of the wicked.
7 ७ रात को उन्हें बिना वस्त्र नंगे पड़े रहना और जाड़े के समय बिना ओढ़े पड़े रहना पड़ता है।
They cause the naked to lodge without clothing. And there is no covering in the cold.
8 ८ वे पहाड़ों पर की वर्षा से भीगे रहते, और शरण न पाकर चट्टान से लिपट जाते हैं।
From the inundation of hills they are wet, And without a refuge—have embraced a rock.
9 ९ कुछ दुष्ट लोग अनाथ बालक को माँ की छाती पर से छीन लेते हैं, और दीन लोगों से बन्धक लेते हैं।
They take away violently The orphan from the breast, And they lay a pledge on the poor.
10 १० जिससे वे बिना वस्त्र नंगे फिरते हैं; और भूख के मारे, पूलियाँ ढोते हैं।
Naked, they have gone without clothing, And hungry—have taken away a sheaf.
11 ११ वे दुष्टों की दीवारों के भीतर तेल पेरते और उनके कुण्डों में दाख रौंदते हुए भी प्यासे रहते हैं।
They make oil between their walls, They have trodden winepresses, and thirst.
12 १२ वे बड़े नगर में कराहते हैं, और घायल किए हुओं का जी दुहाई देता है; परन्तु परमेश्वर मूर्खता का हिसाब नहीं लेता।
Men groan because of enmity, And the soul of pierced ones cries, And God does not give praise.
13 १३ “फिर कुछ लोग उजियाले से बैर रखते, वे उसके मार्गों को नहीं पहचानते, और न उसके मार्गों में बने रहते हैं।
They have been those rebelling against light, They have not discerned His ways, Nor abided in His paths.
14 १४ खूनी, पौ फटते ही उठकर दीन दरिद्र मनुष्य को घात करता, और रात को चोर बन जाता है।
The murderer rises at the light, He slays the poor and needy, And in the night he is as a thief.
15 १५ व्यभिचारी यह सोचकर कि कोई मुझ को देखने न पाए, दिन डूबने की राह देखता रहता है, और वह अपना मुँह छिपाए भी रखता है।
And the eye of an adulterer Has observed the twilight, Saying, No eye beholds me. And he puts the face in secret.
16 १६ वे अंधियारे के समय घरों में सेंध मारते और दिन को छिपे रहते हैं; वे उजियाले को जानते भी नहीं।
He has dug in the darkness—houses; By day they shut themselves up, They have not known light.
17 १७ क्योंकि उन सभी को भोर का प्रकाश घोर अंधकार सा जान पड़ता है, घोर अंधकार का भय वे जानते हैं।”
When together, morning [is] death-shade to them, When he discerns the terrors of death-shade.
18 १८ “वे जल के ऊपर हलकी सी वस्तु के सरीखे हैं, उनके भाग को पृथ्वी के रहनेवाले कोसते हैं, और वे अपनी दाख की बारियों में लौटने नहीं पाते।
He [is] light on the face of the waters, Their portion is vilified in the earth, He does not turn the way of vineyards.
19 १९ जैसे सूखे और धूप से हिम का जल सूख जाता है वैसे ही पापी लोग अधोलोक में सूख जाते हैं। (Sheol )
Drought—also heat—consume snow-waters, Sheol—[those who] have sinned. (Sheol )
20 २० माता भी उसको भूल जाती, और कीड़े उसे चूसते हैं, भविष्य में उसका स्मरण न रहेगा; इस रीति टेढ़ा काम करनेवाला वृक्ष के समान कट जाता है।
The womb forgets him, The worm sweetens [on] him, He is remembered no more, And wickedness is broken as a tree.
21 २१ “वह बाँझ स्त्री को जो कभी नहीं जनी लूटता, और विधवा से भलाई करना नहीं चाहता है।
Treating evil the barren [who] does not bear, And he does no good [to] the widow,
22 २२ बलात्कारियों को भी परमेश्वर अपनी शक्ति से खींच लेता है, जो जीवित रहने की आशा नहीं रखता, वह भी फिर उठ बैठता है।
And [God] has drawn the mighty by His power, He rises, and none believes in life.
23 २३ उन्हें ऐसे बेखटके कर देता है, कि वे सम्भले रहते हैं; और उसकी कृपादृष्टि उनकी चाल पर लगी रहती है।
He gives to him confidence, and he is supported, And His eyes [are] on their ways.
24 २४ वे बढ़ते हैं, तब थोड़ी देर में जाते रहते हैं, वे दबाए जाते और सभी के समान रख लिये जाते हैं, और अनाज की बाल के समान काटे जाते हैं।
They were high [for] a little, and they are not, And they have been brought low. They are shut up as all [others], And cut off as the head of an ear of grain.
25 २५ क्या यह सब सच नहीं! कौन मुझे झुठलाएगा? कौन मेरी बातें निकम्मी ठहराएगा?”
And if not now, who proves me a liar, And makes my word of nothing?”