< अय्यूब 23 >
2 २ “मेरी कुड़कुड़ाहट अब भी नहीं रुक सकती, मेरे कष्ट मेरे कराहने से भारी है।
“আজও আমার বিলাপ তীব্র; আমি গোঙানো সত্ত্বেও তাঁর হাত ভারী হয়েছে।
3 ३ भला होता, कि मैं जानता कि वह कहाँ मिल सकता है, तब मैं उसके विराजने के स्थान तक जा सकता!
কোথায় তাঁকে খুঁজে পাওয়া যাবে তা যদি শুধু আমি জানতে পারি; তাঁর আবাসের কাছে যদি শুধু যেতে পারি!
4 ४ मैं उसके सामने अपना मुकद्दमा पेश करता, और बहुत से प्रमाण देता।
তবে তাঁর সামনে আমি আমার দশা বর্ণনা করব ও আমার মুখ যুক্তিতর্কে ভরিয়ে তুলব।
5 ५ मैं जान लेता कि वह मुझसे उत्तर में क्या कह सकता है, और जो कुछ वह मुझसे कहता वह मैं समझ लेता।
তিনি আমাকে কী উত্তর দেবেন, তা আমি খুঁজে বের করব, ও তিনি আমাকে কী বলবেন, তা বিবেচনা করব।
6 ६ क्या वह अपना बड़ा बल दिखाकर मुझसे मुकद्दमा लड़ता? नहीं, वह मुझ पर ध्यान देता।
তিনি কি সবলে আমার বিরোধিতা করবেন? না, তিনি আমার বিরুদ্ধে অভিযোগ করবেন না।
7 ७ सज्जन उससे विवाद कर सकते, और इस रीति मैं अपने न्यायी के हाथ से सदा के लिये छूट जाता।
সেখানে তাঁর সামনে ন্যায়পরায়ণ লোকেরা তাদের সরলতা প্রতিষ্ঠিত করতে পারে, ও সেখানেই আমি চিরতরে আমার বিচারকের হাত থেকে মুক্ত হব।
8 ८ “देखो, मैं आगे जाता हूँ परन्तु वह नहीं मिलता; मैं पीछे हटता हूँ, परन्तु वह दिखाई नहीं पड़ता;
“কিন্তু আমি যদি পূর্বদিকে যাই, তিনি সেখানে নেই; আমি যদি পশ্চিমদিকে যাই, সেখানেও তাঁকে খুঁজে পাই না।
9 ९ जब वह बाईं ओर काम करता है तब वह मुझे दिखाई नहीं देता; वह तो दाहिनी ओर ऐसा छिप जाता है, कि मुझे वह दिखाई ही नहीं पड़ता।
তিনি যখন উত্তর দিকে কাজ করেন, আমি তাঁর দেখা পাই না; তিনি যখন দক্ষিণ দিকে ফেরেন, আমি তাঁর কোনও ঝলক দেখতে পাই না।
10 १० परन्तु वह जानता है, कि मैं कैसी चाल चला हूँ; और जब वह मुझे ता लेगा तब मैं सोने के समान निकलूँगा।
কিন্তু আমি যে পথ ধরি, তিনি তা জানেন; তিনি যখন আমার পরীক্ষা করবেন, আমি তখন সোনার মতো বের হয়ে আসব।
11 ११ मेरे पैर उसके मार्गों में स्थिर रहे; और मैं उसी का मार्ग बिना मुड़ें थामे रहा।
আমার পা ঘনিষ্ঠভাবে তাঁর পদচিহ্নের অনুসরণ করেছে, বিপথগামী না হয়ে আমি তাঁর পথেই চলেছি।
12 १२ उसकी आज्ञा का पालन करने से मैं न हटा, और मैंने उसके वचन अपनी इच्छा से कहीं अधिक काम के जानकर सुरक्षित रखे।
আমি তাঁর ঠোঁটের আদেশ অমান্য করিনি; তাঁর মুখের কথা আমি আমার দৈনিক আহারের চেয়েও বেশি যত্নসহকারে সঞ্চয় করে রেখেছি।
13 १३ परन्तु वह एक ही बात पर अड़ा रहता है, और कौन उसको उससे फिरा सकता है? जो कुछ उसका जी चाहता है वही वह करता है।
“কিন্তু তিনি অনুপম, ও কে তাঁর বিরোধিতা করবে? তাঁর যা খুশি তিনি তাই করেন।
14 १४ जो कुछ मेरे लिये उसने ठाना है, उसी को वह पूरा करता है; और उसके मन में ऐसी-ऐसी बहुत सी बातें हैं।
আমার বিরুদ্ধে তিনি তাঁর রায়দান সম্পন্ন করেছেন, ও এ ধরনের আরও অনেক পরিকল্পনা তাঁর কাছে আছে।
15 १५ इस कारण मैं उसके सम्मुख घबरा जाता हूँ; जब मैं सोचता हूँ तब उससे थरथरा उठता हूँ।
সেইজন্য তাঁর সামনে আমি আতঙ্কিত হই; আমি যখন এসব কথা ভাবি, তখন আমি তাঁকে ভয় পাই।
16 १६ क्योंकि मेरा मन परमेश्वर ही ने कच्चा कर दिया, और सर्वशक्तिमान ही ने मुझ को घबरा दिया है।
ঈশ্বর আমার হৃদয় মূর্ছিত করেছেন; সর্বশক্তিমান আমাকে আতঙ্কিত করেছেন।
17 १७ क्योंकि मैं अंधकार से घिरा हुआ हूँ, और घोर अंधकार ने मेरे मुँह को ढाँप लिया है।
তবুও অন্ধকার দ্বারা আমি নীরব হইনি, সেই ঘন অন্ধকার দ্বারাও হইনি যা আমার মুখ ঢেকে রাখে।