< अय्यूब 20 >
1 १ तब नामाती सोपर ने कहा,
Et Zophar de Naama répondit et dit:
2 २ “मेरा जी चाहता है कि उत्तर दूँ, और इसलिए बोलने में फुर्ती करता हूँ।
Mes pensées vont, et pour cause, me fournir la réplique; aussi j'ai hâte de la faire:
3 ३ मैंने ऐसी डाँट सुनी जिससे मेरी निन्दा हुई, और मेरी आत्मा अपनी समझ के अनुसार तुझे उत्तर देती है।
j'ai dû entendre une leçon qui m'outrage! mais l'esprit selon mes lumières répondra pour moi.
4 ४ क्या तू यह नियम नहीं जानता जो प्राचीन और उस समय का है, जब मनुष्य पृथ्वी पर बसाया गया,
Ne sais-tu pas que, de tout temps, depuis que l'homme fut placé sur la terre,
5 ५ दुष्टों की विजय क्षण भर का होता है, और भक्तिहीनों का आनन्द पल भर का होता है?
la joie des impies est de courte durée, et l'allégresse des profanes n'a qu'un instant?
6 ६ चाहे ऐसे मनुष्य का माहात्म्य आकाश तक पहुँच जाए, और उसका सिर बादलों तक पहुँचे,
Que sa grandeur s'élève jusques aux Cieux, et que sa tête touche aux nues,
7 ७ तो भी वह अपनी विष्ठा के समान सदा के लिये नाश हो जाएगा; और जो उसको देखते थे वे पूछेंगे कि वह कहाँ रहा?
pour toujours il périt comme les excréments; ceux qui l'ont vu, demandent: Où est-il?
8 ८ वह स्वप्न के समान लोप हो जाएगा और किसी को फिर न मिलेगा; रात में देखे हुए रूप के समान वह रहने न पाएगा।
Il s'envole comme un songe, et on ne le retrouve pas; il a fui comme une vision nocturne;
9 ९ जिसने उसको देखा हो फिर उसे न देखेगा, और अपने स्थान पर उसका कुछ पता न रहेगा।
l'œil qui l'a vu, ne l'aperçoit plus, et sa demeure ne le reverra pas.
10 १० उसके बच्चे कंगालों से भी विनती करेंगे, और वह अपना छीना हुआ माल फेर देगा।
Les indigents accablent ses fils dont les mains doivent restituer ses biens,
11 ११ उसकी हड्डियों में जवानी का बल भरा हुआ है परन्तु वह उसी के साथ मिट्टी में मिल जाएगा।
Ses os surabondaient d'une vigueur juvénile, et sur la poussière elle gît avec lui.
12 १२ “चाहे बुराई उसको मीठी लगे, और वह उसे अपनी जीभ के नीचे छिपा रखे,
Quelque douceur que sa bouche trouve au mal, qu'il le tienne en réserve sous sa langue,
13 १३ और वह उसे बचा रखे और न छोड़े, वरन् उसे अपने तालू के बीच दबा रखे,
le savourant lentement, sans le laisser aller, mais le retenant collé à son palais,
14 १४ तो भी उसका भोजन उसके पेट में पलटेगा, वह उसके अन्दर नाग का सा विष बन जाएगा।
cet aliment qu'il prend, se transforme dans ses entrailles, et devient au dedans de lui un venin d'aspic,
15 १५ उसने जो धन निगल लिया है उसे वह फिर उगल देगा; परमेश्वर उसे उसके पेट में से निकाल देगा।
Il engloutit des richesses, et il les revomit; de son ventre Dieu les fait ressortir,
16 १६ वह नागों का विष चूस लेगा, वह करैत के डसने से मर जाएगा।
il suce le venin de l'aspic, et la langue de la vipère le tue.
17 १७ वह नदियों अर्थात् मधु और दही की नदियों को देखने न पाएगा।
Son regard n'est plus réjoui par les ruisseaux, ni par les fleuves, les torrents de miel et de lait.
18 १८ जिसके लिये उसने परिश्रम किया, उसको उसे लौटा देना पड़ेगा, और वह उसे निगलने न पाएगा; उसकी मोल ली हुई वस्तुओं से जितना आनन्द होना चाहिये, उतना तो उसे न मिलेगा।
Il restitue ses gains, et ne les consomme pas: autant il possède, autant il restitue, et il ne peut se réjouir.
19 १९ क्योंकि उसने कंगालों को पीसकर छोड़ दिया, उसने घर को छीन लिया, जिसे उसने नहीं बनाया।
Car il écrasa, délaissa les pauvres, il ravit des maisons, et ne les releva pas;
20 २० “लालसा के मारे उसको कभी शान्ति नहीं मिलती थी, इसलिए वह अपनी कोई मनभावनी वस्तु बचा न सकेगा।
car il ne connut pas le repos dans son sein. Mais il ne se sauvera pas avec ce qu'il a de plus cher,
21 २१ कोई वस्तु उसका कौर बिना हुए न बचती थी; इसलिए उसका कुशल बना न रहेगा
Rien n'échappe à sa voracité, c'est pourquoi son bien-être ne dure pas.
22 २२ पूरी सम्पत्ति रहते भी वह सकेती में पड़ेगा; तब सब दुःखियों के हाथ उस पर उठेंगे।
Dans la plénitude de l'abondance, il est mis à la gêne; les bras des opprimés fondent sur lui.
23 २३ ऐसा होगा, कि उसका पेट भरने पर होगा, परमेश्वर अपना क्रोध उस पर भड़काएगा, और रोटी खाने के समय वह उस पर पड़ेगा।
Voici Celui qui assouvira son avidité: Il enverra sur lui le feu de Sa colère, et fera pleuvoir sur lui Son pain de douleur;
24 २४ वह लोहे के हथियार से भागेगा, और पीतल के धनुष से मारा जाएगा।
s'il fuit devant l'armure de fer, l'arc d'airain le transperce.
25 २५ वह उस तीर को खींचकर अपने पेट से निकालेगा, उसकी चमकीली नोंक उसके पित्त से होकर निकलेगी, भय उसमें समाएगा।
Il extrait le dard de son corps avec le fer brillant qui lui a percé le foie; c'en est fait: il est sous les terreurs de la mort.
26 २६ उसके गड़े हुए धन पर घोर अंधकार छा जाएगा। वह ऐसी आग से भस्म होगा, जो मनुष्य की फूँकी हुई न हो; और उसी से उसके डेरे में जो बचा हो वह भी भस्म हो जाएगा।
Toutes les misères lui sont réservées en échange de ce qu'il a mis en réserve; un feu qu'on n'a pas à souffler, le dévore, et consume ce qui resterait dans sa tente.
27 २७ आकाश उसका अधर्म प्रगट करेगा, और पृथ्वी उसके विरुद्ध खड़ी होगी।
Le ciel dévoile son crime, et la terre s'élève contre lui.
28 २८ उसके घर की बढ़ती जाती रहेगी, वह परमेश्वर के क्रोध के दिन बह जाएगी।
Tout le revenu de sa maison s'en va, s'écoulant au jour de Sa colère.
29 २९ परमेश्वर की ओर से दुष्ट मनुष्य का अंश, और उसके लिये परमेश्वर का ठहराया हुआ भाग यही है।”
Telle est la part que Dieu donne à l'impie, et le lot que le Seigneur lui décerne.