< अय्यूब 16 >
2 २ “ऐसी बहुत सी बातें मैं सुन चुका हूँ, तुम सब के सब निकम्मे शान्तिदाता हो।
Slyšel jsem již podobných věcí mnoho; všickni vy nepříjemní jste těšitelé.
3 ३ क्या व्यर्थ बातों का अन्त कभी होगा? तू कौन सी बात से झिड़ककर ऐसे उत्तर देता है?
Bude-liž kdy konec slovům povětrným? Aneb co tě popouzí, že tak mluvíš?
4 ४ यदि तुम्हारी दशा मेरी सी होती, तो मैं भी तुम्हारी सी बातें कर सकता; मैं भी तुम्हारे विरुद्ध बातें जोड़ सकता, और तुम्हारे विरुद्ध सिर हिला सकता।
Zdaliž bych já tak mluviti mohl, jako vy, kdybyste byli na místě mém? Shromažďoval-li bych proti vám slova, aneb potřásal na vás hlavou svou?
5 ५ वरन् मैं अपने वचनों से तुम को हियाव दिलाता, और बातों से शान्ति देकर तुम्हारा शोक घटा देता।
Nýbrž posiloval bych vás ústy svými, a otvírání rtů mých krotilo by bolest.
6 ६ “चाहे मैं बोलूँ तो भी मेरा शोक न घटेगा, चाहे मैं चुप रहूँ, तो भी मेरा दुःख कुछ कम न होगा।
Buď že mluvím, neumenšuje se bolesti mé, buď že tak nechám, neodchází ode mne.
7 ७ परन्तु अब उसने मुझे थका दिया है; उसने मेरे सारे परिवार को उजाड़ डाला है।
Ale ustavičně zemdlívá mne; nebo jsi mne, ó Bože, zbavil všeho shromáždění mého.
8 ८ और उसने जो मेरे शरीर को सूखा डाला है, वह मेरे विरुद्ध साक्षी ठहरा है, और मेरा दुबलापन मेरे विरुद्ध खड़ा होकर मेरे सामने साक्षी देता है।
A vrásky jsi mi zdělal; což mám za svědka, ano patrná na mně hubenost má na tváři mé to osvědčuje.
9 ९ उसने क्रोध में आकर मुझ को फाड़ा और मेरे पीछे पड़ा है; वह मेरे विरुद्ध दाँत पीसता; और मेरा बैरी मुझ को आँखें दिखाता है।
Prchlivost jeho zachvátila mne, a vzal mne v nenávist, škřipě na mne zuby svými; jako nepřítel můj zaostřil oči své na mne.
10 १० अब लोग मुझ पर मुँह पसारते हैं, और मेरी नामधराई करके मेरे गाल पर थप्पड़ मारते, और मेरे विरुद्ध भीड़ लगाते हैं।
Rozedřeli na mne ústa svá, potupně mne poličkujíce, proti mně se shromáždivše.
11 ११ परमेश्वर ने मुझे कुटिलों के वश में कर दिया, और दुष्ट लोगों के हाथ में फेंक दिया है।
Vydal mne Bůh silný nešlechetníku, a v ruce bezbožných uvedl mne.
12 १२ मैं सुख से रहता था, और उसने मुझे चूर चूरकर डाला; उसने मेरी गर्दन पकड़कर मुझे टुकड़े-टुकड़े कर दिया; फिर उसने मुझे अपना निशाना बनाकर खड़ा किया है।
Pokoje jsem užíval, však potřel mne, a uchopiv mne za šíji mou, roztříštil mne, a vystavil mne sobě za cíl.
13 १३ उसके तीर मेरे चारों ओर उड़ रहे हैं, वह निर्दय होकर मेरे गुर्दों को बेधता है, और मेरा पित्त भूमि पर बहाता है।
Obklíčili mne střelci jeho, rozťal ledví má beze vší lítosti, a vylil na zem žluč mou.
14 १४ वह शूर के समान मुझ पर धावा करके मुझे चोट पर चोट पहुँचाकर घायल करता है।
Ranil mne ranou na ránu, outok učinil na mne jako silný.
15 १५ मैंने अपनी खाल पर टाट को सी लिया है, और अपना बल मिट्टी में मिला दिया है।
Žíni jsem ušil na zjízvenou kůži svou, a zohavil jsem v prachu sílu svou.
16 १६ रोते-रोते मेरा मुँह सूज गया है, और मेरी आँखों पर घोर अंधकार छा गया है;
Tvář má oduřavěla od pláče, a na víčkách mých stín smrti jest.
17 १७ तो भी मुझसे कोई उपद्रव नहीं हुआ है, और मेरी प्रार्थना पवित्र है।
Ne pro nějaké bezpraví v rukou mých; nebo i modlitba má čistá jest.
18 १८ “हे पृथ्वी, तू मेरे लहू को न ढाँपना, और मेरी दुहाई कहीं न रुके।
Ó země, nepřikrývej krve mé, a nechť nemá místa volání mé.
19 १९ अब भी स्वर्ग में मेरा साक्षी है, और मेरा गवाह ऊपर है।
Aj, nyní jestiť i v nebesích svědek můj, svědek můj, pravím, jest na výsostech.
20 २० मेरे मित्र मुझसे घृणा करते हैं, परन्तु मैं परमेश्वर के सामने आँसू बहाता हूँ,
Ó mudráci moji, přátelé moji, k Bohuť slzí oko mé.
21 २१ कि कोई परमेश्वर के सामने सज्जन का, और आदमी का मुकद्दमा उसके पड़ोसी के विरुद्ध लड़े।
Ó by lze bylo muži v hádku s ním se vydati, jako synu člověka s přítelem svým.
22 २२ क्योंकि थोड़े ही वर्षों के बीतने पर मैं उस मार्ग से चला जाऊँगा, जिससे मैं फिर वापिस न लौटूँगा।
Nebo léta mně odečtená přicházejí, a cestou, kterouž se zase nenavrátím, již se beru.