< अय्यूब 16 >

1 तब अय्यूब ने कहा,
তারপর ইয়োব উত্তর দিলেন এবং বললেন,
2 “ऐसी बहुत सी बातें मैं सुन चुका हूँ, तुम सब के सब निकम्मे शान्तिदाता हो।
“আমি এরকম অনেক শুনেছি; তোমরা সবাই দুঃখদায়ক সান্ত্বনাকারী।
3 क्या व्यर्थ बातों का अन्त कभी होगा? तू कौन सी बात से झिड़ककर ऐसे उत्तर देता है?
অর্থহীন কথার কি কোন শেষ আছে? তোমাদের কি হয়েছে যে তোমরা এরকম উত্তর দিচ্ছ?
4 यदि तुम्हारी दशा मेरी सी होती, तो मैं भी तुम्हारी सी बातें कर सकता; मैं भी तुम्हारे विरुद्ध बातें जोड़ सकता, और तुम्हारे विरुद्ध सिर हिला सकता।
আমিও তোমাদের মত কথা বলতে পারি যেমন তোমরা কর; যদি তোমাদের প্রাণ আমার প্রাণের জায়গায় থাকত, তাহলে আমি তোমাদের বিরুদ্ধে কথা সংগ্রহ করতে এবং জুড়তে পারতাম এবং উপহাস করে তোমাদের কাছে আমার মাথা নাড়তাম।
5 वरन् मैं अपने वचनों से तुम को हियाव दिलाता, और बातों से शान्ति देकर तुम्हारा शोक घटा देता।
আহা, আমি আমার মুখের কোথায় কেমন করে তোমাদের উত্সাহিত করব! আমার মুখের সান্ত্বনা কিভাবে তোমাদের দুঃখ হালকা করবে!
6 “चाहे मैं बोलूँ तो भी मेरा शोक न घटेगा, चाहे मैं चुप रहूँ, तो भी मेरा दुःख कुछ कम न होगा।
যদি আমি কথা বলি, আমার কষ্ট কমবে না; যদি আমি কথা বলা বন্ধ রাখি, আমার কি উপকার হয়?
7 परन्तु अब उसने मुझे थका दिया है; उसने मेरे सारे परिवार को उजाड़ डाला है।
কিন্তু এখন, ঈশ্বর, তুমি আমায় ক্লান্ত করেছ; তুমি আমার সমস্ত পরিবারকে ধ্বংস করেছ।
8 और उसने जो मेरे शरीर को सूखा डाला है, वह मेरे विरुद्ध साक्षी ठहरा है, और मेरा दुबलापन मेरे विरुद्ध खड़ा होकर मेरे सामने साक्षी देता है।
তুমি আমায় বেঁধেছ, যা নিজেই আমার বিরুদ্ধে সাক্ষ্য দিচ্ছে; আমার শরীরের দুর্বলতা আমার বিরুদ্ধে উঠেছে এবং এটা আমার মুখের বিরুদ্ধে সাক্ষ্য দিচ্ছে।
9 उसने क्रोध में आकर मुझ को फाड़ा और मेरे पीछे पड़ा है; वह मेरे विरुद्ध दाँत पीसता; और मेरा बैरी मुझ को आँखें दिखाता है।
ঈশ্বর তাঁর ক্রোধে আমায় ছিন্ন ভিন্ন করেছেন এবং আমাকে নির্যাতন করেছেন; তিনি আমার বিরুদ্ধে দাঁত ঘর্ষণ করেছেন; আমার শত্রু তার তীক্ষ্ন চোখ আমার ওপর রেখেছে যেন সে আমায় ছিঁড়ে ফেলবে।
10 १० अब लोग मुझ पर मुँह पसारते हैं, और मेरी नामधराई करके मेरे गाल पर थप्पड़ मारते, और मेरे विरुद्ध भीड़ लगाते हैं।
১০লোকেরা আমার বিরুদ্ধে মুখ খুলে হ্যাঁ করে; তারা আমার গালে থাপ্পড় মেরেছে নিন্দাপূর্ণ ভাবে; তারা আমার বিরুদ্ধে একসঙ্গে জোড় হয়েছে।
11 ११ परमेश्वर ने मुझे कुटिलों के वश में कर दिया, और दुष्ट लोगों के हाथ में फेंक दिया है।
১১ঈশ্বর আমায় অধার্মিকদের হাতে দেন এবং পাপীদের হাতে আমায় ফেলে দেন।
12 १२ मैं सुख से रहता था, और उसने मुझे चूर चूरकर डाला; उसने मेरी गर्दन पकड़कर मुझे टुकड़े-टुकड़े कर दिया; फिर उसने मुझे अपना निशाना बनाकर खड़ा किया है।
১২আমি শান্তিতে ছিলাম এবং তিনি আমায় ভেঙে ফেললেন। সত্যি, তিনি আমায় ঘাড় ধরে নিয়ে গেছেন এবং আমায় ছুঁড়ে ফেলে টুকরো টুকরো করেছেন; তিনি আবার আমায় তাঁর লক্ষ হিসাবে রেখেছেন।
13 १३ उसके तीर मेरे चारों ओर उड़ रहे हैं, वह निर्दय होकर मेरे गुर्दों को बेधता है, और मेरा पित्त भूमि पर बहाता है।
১৩তাঁর ধনুকধারীরা আমায় ঘিরে রেখেছে; ঈশ্বর আমার যকৃত ভেদ করেছেন এবং আমায় দয়া করেন নি; তিনি মাটিতে আমার পিত্ত ঢালেন।
14 १४ वह शूर के समान मुझ पर धावा करके मुझे चोट पर चोट पहुँचाकर घायल करता है।
১৪তিনি আমার দেওয়াল বার বার ভেঙ্গেছেন; তিনি যোদ্ধার মত আমার দিকে দৌড়ে আসেন।
15 १५ मैंने अपनी खाल पर टाट को सी लिया है, और अपना बल मिट्टी में मिला दिया है।
১৫আমি আমার চামড়ার উপরে চট বুনেছি; আমি আমার শিং মাটিতে কলুষিত করেছি।
16 १६ रोते-रोते मेरा मुँह सूज गया है, और मेरी आँखों पर घोर अंधकार छा गया है;
১৬আমার মুখ কেঁদে লাল হয়েছে; মৃত্যুছায়া আমার চোখের উপরে আছে
17 १७ तो भी मुझसे कोई उपद्रव नहीं हुआ है, और मेरी प्रार्थना पवित्र है।
১৭যদিও আমার হাতে কোন হিংস্রতা নেই এবং আমার প্রার্থনা বিশুদ্ধ।
18 १८ “हे पृथ्वी, तू मेरे लहू को न ढाँपना, और मेरी दुहाई कहीं न रुके।
১৮পৃথিবী, আমার থেকে অন্যায় কে লুকিয়ো না; আমার কান্না যেন বিশ্রামের জায়গা না পায়।
19 १९ अब भी स्वर्ग में मेरा साक्षी है, और मेरा गवाह ऊपर है।
১৯এমনকি এখনো, দেখ, আমার সাক্ষী স্বর্গে আছে; যিনি আমার হয়ে সাক্ষী দেবেন উর্ধে থাকেন।
20 २० मेरे मित्र मुझसे घृणा करते हैं, परन्तु मैं परमेश्वर के सामने आँसू बहाता हूँ,
২০আমার বন্ধুরা আমায় উপহাস করে, কিন্তু আমার চোখের জল পড়ে ঈশ্বরের কাছে।
21 २१ कि कोई परमेश्वर के सामने सज्जन का, और आदमी का मुकद्दमा उसके पड़ोसी के विरुद्ध लड़े।
২১আমি চাই সেই সাক্ষী যেন এই ব্যক্তির জন্য ঈশ্বরের কাছে অনুরোধ করে, যেমন একজন মানুষ তার প্রতিবেশীর প্রতি করে!
22 २२ क्योंकि थोड़े ही वर्षों के बीतने पर मैं उस मार्ग से चला जाऊँगा, जिससे मैं फिर वापिस न लौटूँगा।
২২কারণ যখন কিছু বছর পার হয়, আমি একটা জায়গায় যাব যেখান থেকে আমি আর ফিরব না।”

< अय्यूब 16 >