< अय्यूब 12 >
Then answered Job, and said,
2 २ “निःसन्देह मनुष्य तो तुम ही हो और जब तुम मरोगे तब बुद्धि भी जाती रहेगी।
Truly ye are indeed the [right kind of] people, and with you wisdom must die out.
3 ३ परन्तु तुम्हारे समान मुझ में भी समझ है, मैं तुम लोगों से कुछ नीचा नहीं हूँ कौन ऐसा है जो ऐसी बातें न जानता हो?
I also have sense like you; I do not fall short compared with you: and who possesseth not such things as these?
4 ४ मैं परमेश्वर से प्रार्थना करता था, और वह मेरी सुन लिया करता था; परन्तु अब मेरे मित्र मुझ पर हँसते हैं; जो धर्मी और खरा मनुष्य है, वह हँसी का कारण हो गया है।
I am as one laughed at by his friend, who calleth upon God, while he answered him: [yea, ] a laughing-stock though righteous and innocent.
5 ५ दुःखी लोग तो सुखी लोगों की समझ में तुच्छ जाने जाते हैं; और जिनके पाँव फिसलते हैं उनका अपमान अवश्य ही होता है।
To the unfortunate there is given contempt— according to the thoughts of him that is at ease— prepared [also] for those whose foot slippeth.
6 ६ डाकुओं के डेरे कुशल क्षेम से रहते हैं, और जो परमेश्वर को क्रोध दिलाते हैं, वह बहुत ही निडर रहते हैं; अर्थात् उनका ईश्वर उनकी मुट्ठी में रहता हैं;
Prosperous are the tents of robbers, and security is given to those that provoke God. to him who carrieth his god in his hand.
7 ७ “पशुओं से तो पूछ और वे तुझे सिखाएँगे; और आकाश के पक्षियों से, और वे तुझे बताएँगे।
Yet, do only ask of the beasts, and they will instruct thee; and the fowls of the heavens, and they will tell it thee;
8 ८ पृथ्वी पर ध्यान दे, तब उससे तुझे शिक्षा मिलेगी; और समुद्र की मछलियाँ भी तुझ से वर्णन करेंगी।
Or speak to the earth, and she will instruct thee; and the fishes of the sea will inform thee
9 ९ कौन इन बातों को नहीं जानता, कि यहोवा ही ने अपने हाथ से इस संसार को बनाया है?
Who knoweth not through all these that the hand of the Lord hath wrought this?
10 १० उसके हाथ में एक-एक जीवधारी का प्राण, और एक-एक देहधारी मनुष्य की आत्मा भी रहती है।
[He] in whose hand is the soul of every living thing, and the spirit of all the bodies of men?
11 ११ जैसे जीभ से भोजन चखा जाता है, क्या वैसे ही कान से वचन नहीं परखे जाते?
Doth not the ear try words, as the palate tasteth food for itself?
12 १२ बूढ़ों में बुद्धि पाई जाती है, और लम्बी आयु वालों में समझ होती तो है।
So It with the ancients wisdom, and with [those of] length of days understanding,
13 १३ “परमेश्वर में पूरी बुद्धि और पराक्रम पाए जाते हैं; युक्ति और समझ उसी में हैं।
That with him are wisdom and strength, his are counsel and understanding.
14 १४ देखो, जिसको वह ढा दे, वह फिर बनाया नहीं जाता; जिस मनुष्य को वह बन्द करे, वह फिर खोला नहीं जाता।
Behold, he pulleth down, and there can be no rebuilding: he locketh [the prison] upon a man, and there can be no opening,
15 १५ देखो, जब वह वर्षा को रोक रखता है तो जल सूख जाता है; फिर जब वह जल छोड़ देता है तब पृथ्वी उलट जाती है।
Behold, he restraineth the waters, and they dry up; or he suffereth them to flow, and they overturn the earth.
16 १६ उसमें सामर्थ्य और खरी बुद्धि पाई जाती है; धोखा देनेवाला और धोखा खानेवाला दोनों उसी के हैं।
With him are strength and counsel: his are the deceived and the deceiver.
17 १७ वह मंत्रियों को लूटकर बँधुआई में ले जाता, और न्यायियों को मूर्ख बना देता है।
He leadeth counsellors away bereft of sense, and maketh the judges fools.
18 १८ वह राजाओं का अधिकार तोड़ देता है; और उनकी कमर पर बन्धन बन्धवाता है।
He looseth the bond of kings, and bindeth a girdle around their loins.
19 १९ वह याजकों को लूटकर बँधुआई में ले जाता और सामर्थियों को उलट देता है।
He leadeth priests away bereft of sense, and the powerful he causeth to walk on crooked paths.
20 २० वह विश्वासयोग्य पुरुषों से बोलने की शक्ति और पुरनियों से विवेक की शक्ति हर लेता है।
He removeth the speech from trusty speakers, and taketh away the intelligence of the aged.
21 २१ वह हाकिमों को अपमान से लादता, और बलवानों के हाथ ढीले कर देता है।
He poureth contempt upon princes, and the belt of the mighty be looseneth.
22 २२ वह अंधियारे की गहरी बातें प्रगट करता, और मृत्यु की छाया को भी प्रकाश में ले आता है।
He layeth open deep things from the midst of darkness, and bringeth out unto light the shadow of death.
23 २३ वह जातियों को बढ़ाता, और उनको नाश करता है; वह उनको फैलाता, और बँधुआई में ले जाता है।
He permitteth the nations to become great, and destroyeth them: he spreadeth out the nations, and leadeth them away.
24 २४ वह पृथ्वी के मुख्य लोगों की बुद्धि उड़ा देता, और उनको निर्जन स्थानों में जहाँ रास्ता नहीं है, भटकाता है।
He taketh away the sense of the chiefs of the people of the land, and causeth them to wander astray in a wilderness when there is no way.
25 २५ वे बिन उजियाले के अंधेरे में टटोलते फिरते हैं; और वह उन्हें ऐसा बना देता है कि वे मतवाले के समान डगमगाते हुए चलते हैं।
They grope in the dark without light, and he causeth them to wander astray like a drunken man.