< यिर्मयाह 51 >

1 यहोवा यह कहता है, मैं बाबेल के और लेबकामै के रहनेवालों के विरुद्ध एक नाश करनेवाली वायु चलाऊँगा;
وَهَذَا مَا يُعْلِنُهُ الرَّبُّ: هَا أَنَا أُثِيرُ عَلَى بَابِلَ وَعَلَى الْمُقِيمِينَ فِي دِيَارِ الْكَلْدَانِيِّينَ رِيحاً مُهْلِكَةً.١
2 और मैं बाबेल के पास ऐसे लोगों को भेजूँगा जो उसको फटक-फटककर उड़ा देंगे, और इस रीति से उसके देश को सुनसान करेंगे; और विपत्ति के दिन चारों ओर से उसके विरुद्ध होंगे।
وَأَبْعَثُ إِلَى بَابِلَ مُذَرِّينَ يُذَرُّونَهَا، وَيَجْعَلُونَ أَرْضَهَا قَفْراً، وَيُهَاجِمُونَهَا مِنْ كُلِّ جَانِبٍ فِي يَوْمِ بَلِيَّتِهَا.٢
3 धनुर्धारी के विरुद्ध और जो अपना झिलम पहने हैं धनुर्धारी धनुष चढ़ाए हुए उठे; उसके जवानों से कुछ कोमलता न करना; उसकी सारी सेना को सत्यानाश करो।
لِيُوَتِّرِ الرَّامِي قَوْسَهُ وَلْيَتَدَجَّجْ بِسِلاحِهِ. لَا تَعْفُوا عَنْ شُبَّانِهَا، بَلْ أَبِيدُوا كُلَّ جَيْشِهَا إِبَادَةً.٣
4 कसदियों के देश में मरे हुए और उसकी सड़कों में छिदे हुए लोग गिरेंगे।
يَتَسَاقَطُ الْقَتْلَى فِي أَرْضِ الْكَلْدَانِيِّينَ، وَالْجَرْحَى فِي شَوَارِعِهَا،٤
5 क्योंकि, यद्यपि इस्राएल और यहूदा के देश, इस्राएल के पवित्र के विरुद्ध किए हुए पापों से भरपूर हो गए हैं, तो भी उनके परमेश्वर, सेनाओं के यहोवा ने उनको त्याग नहीं दिया।
لأَنَّ إِسْرَائِيلَ وَيَهُوذَا لَمْ يُهْمِلْهُمَا الرَّبُّ الْقَدِيرُ وَإِنْ تَكُنْ أَرْضُهُمَا تَفِيضُ بِالإِثْمِ ضِدَّ قُدُّوسِ إِسْرَائِيلَ.٥
6 “बाबेल में से भागो, अपना-अपना प्राण बचाओ! उसके अधर्म में भागी होकर तुम भी न मिट जाओ; क्योंकि यह यहोवा के बदला लेने का समय है, वह उसको बदला देने पर है।
اهْرُبُوا مِنْ وَسَطِ بَابِلَ، وَلْيَنْجُ كُلُّ وَاحِدٍ بِحَيَاتِهِ. لَا تَبِيدُوا مِنْ جَرَّاءِ إِثْمِهَا، لأَنَّ هَذَا هُوَ وَقْتُ انْتِقَامِ الرَّبِّ، وَمَوْعِدُ مُجَازَاتِهَا.٦
7 बाबेल यहोवा के हाथ में सोने का कटोरा था, जिससे सारी पृथ्वी के लोग मतवाले होते थे; जाति-जाति के लोगों ने उसके दाखमधु में से पिया, इस कारण वे भी बावले हो गए।
كَانَتْ بَابِلُ كَأْسَ ذَهَبٍ فِي يَدِ اللهِ، فَسَكِرَتِ الأَرْضُ قَاطِبَةً. تَجَرَّعَتِ الأُمَمُ مِنْ خَمْرِهَا، لِذَلِكَ جُنَّتِ الشُّعُوبُ.٧
8 बाबेल अचानक ले ली गई और नाश की गई है। उसके लिये हाय-हाय करो! उसके घावों के लिये बलसान औषधि लाओ; सम्भव है वह चंगी हो सके।
فَجْأَةً سَقَطَتْ بَابِلُ وَتَحَطَّمَتْ، فَوَلْوِلُوا عَلَيْهَا، خُذُوا بَلَسَاناً لِجُرْحِهَا لَعَلَّهَا تَبْرَأُ.٨
9 हम बाबेल का इलाज करते तो थे, परन्तु वह चंगी नहीं हुई। इसलिए आओ, हम उसको तजकर अपने-अपने देश को चले जाएँ; क्योंकि उस पर किए हुए न्याय का निर्णय आकाश वरन् स्वर्ग तक भी पहुँच गया है।
قُمْنَا بِمُدَاوَاةِ بَابِلَ، وَلَكِنْ لَمْ يَنْجَعْ فِيهَا عِلاجٌ. اهْجُرُوهَا وَلْيَمْضِ كُلُّ وَاحِدٍ مِنَّا إِلَى أَرْضِهِ، لأَنَّ قَضَاءَهَا قَدْ بَلَغَ عَنَانَ السَّمَاءِ، وَتَصَاعَدَ حَتَّى ارْتَفَعَ إِلَى الْغُيُومِ.٩
10 १० यहोवा ने हमारे धार्मिकता के काम प्रगट किए हैं; अतः आओ, हम सिय्योन में अपने परमेश्वर यहोवा के काम का वर्णन करें।
قَدْ أَظْهَرَ الرَّبُّ بِرَّنَا، فَتَعَالَوْا لِنُذِيعَ فِي صِهْيَوْنَ مَا صَنَعَهُ الرَّبُّ إِلَهُنَا.١٠
11 ११ “तीरों को पैना करो! ढालें थामे रहो! क्योंकि यहोवा ने मादी राजाओं के मन को उभारा है, उसने बाबेल को नाश करने की कल्पना की है, क्योंकि यहोवा अर्थात् उसके मन्दिर का यही बदला है
سُنُّوا السِّهَامَ، وَتَقَلَّدُوا الأَتْرَاسَ، لأَنَّ الرَّبَّ قَدْ أَثَارَ رُوحَ مُلُوكِ الْمَادِيِّينَ، إِذْ وَطَّدَ الْعَزْمَ عَلَى إِهْلاكِ بَابِلَ، لأَنَّ هَذَا هُوَ انْتِقَامُ الرَّبِّ، وَالثَّأْرُ لِهَيْكَلِهِ.١١
12 १२ बाबेल की शहरपनाह के विरुद्ध झण्डा खड़ा करो; बहुत पहरुए बैठाओ; घात लगाने वालों को बैठाओ; क्योंकि यहोवा ने बाबेल के रहनेवालों के विरुद्ध जो कुछ कहा था, वह अब करने पर है वरन् किया भी है।
انْصِبُوا رَايَةً عَلَى أَسْوَارِ بَابِلَ. شَدِّدُوا الْحِرَاسَةَ. أَقِيمُوا الأَرْصَادَ. أَعِدُّوا الْكَمَائِنَ، لأَنَّ الرَّبَّ قَدْ خَطَّطَ وَأَنْجَزَ مَا قَضَى بِهِ عَلَى أَهْلِ بَابِلَ.١٢
13 १३ हे बहुत जलाशयों के बीच बसी हुई और बहुत भण्डार रखनेवाली, तेरा अन्त आ गया, तेरे लोभ की सीमा पहुँच गई है।
أَيَّتُهَا السَّاكِنَةُ إِلَى جُوَارِ الْمِيَاهِ الْغَزِيرَةِ، ذَاتُ الْكُنُوزِ الْوَفِيرَةِ، إِنَّ نِهَايَتَكِ قَدْ أَزِفَتْ، وَحَانَ مَوْعِدُ اقْتِلاعِكِ.١٣
14 १४ सेनाओं के यहोवा ने अपनी ही शपथ खाई है, कि निश्चय मैं तुझको टिड्डियों के समान अनगिनत मनुष्यों से भर दूँगा, और वे तेरे विरुद्ध ललकारेंगे।
قَدْ أَقْسَمَ الرَّبُّ الْقَدِيرُ بِذَاتِهِ قَائِلاً: لَأَمْلأَنَّكِ أُنَاساً كَالْغَوْغَاءِ فَتَعْلُو جَلَبَتُهُمْ عَلَيْكِ.١٤
15 १५ “उसी ने पृथ्वी को अपने सामर्थ्य से बनाया, और जगत को अपनी बुद्धि से स्थिर किया; और आकाश को अपनी प्रवीणता से तान दिया है।
هُوَ الَّذِي صَنَعَ الأَرْضَ بِقُدْرَتِهِ، وَأَسَّسَ الدُّنْيَا بِحِكْمَتِهِ، وَمَدَّ السَّمَاوَاتِ بِفِطْنَتِهِ.١٥
16 १६ जब वह बोलता है तब आकाश में जल का बड़ा शब्द होता है, वह पृथ्वी की छोर से कुहरा उठाता है। वह वर्षा के लिये बिजली बनाता, और अपने भण्डार में से पवन निकाल ले आता है।
مَا إِنْ يَنْطِقُ بِصَوْتِهِ حَتَّى تَتَجَمَّعَ غِمَارُ الْمِيَاهِ فِي السَّمَاوَاتِ، وَتَصْعَدَ السُّحُبُ مِنْ أَقَاصِي الأَرْضِ، وَيَجْعَلُ لِلْمَطَرِ بُرُوقاً، وَيُطْلِقُ الرِّيحَ مِنْ خَزَائِنِهِ.١٦
17 १७ सब मनुष्य पशु सरीखे ज्ञानरहित है; सब सुनारों को अपनी खोदी हुई मूरतों के कारण लज्जित होना पड़ेगा; क्योंकि उनकी ढाली हुई मूरतें धोखा देनेवाली हैं, और उनके कुछ भी साँस नहीं चलती।
كُلُّ امْرِئٍ خَامِلٌ وَعَدِيمُ الْمَعْرِفَةِ، وَكُلُّ صَائِغٍ خَزِيَ مِنْ تِمْثَالِهِ، لأَنَّ صَنَمَهُ الْمَسْبُوكَ كَاذِبٌ وَلا حَيَاةَ فِيهِ.١٧
18 १८ वे तो व्यर्थ और ठट्ठे ही के योग्य है; जब उनके नाश किए जाने का समय आएगा, तब वे नाश ही होंगी।
جَمِيعُ الأَصْنَامِ بَاطِلَةٌ وَصَنْعَةُ ضَلالٍ، وَفِي زَمَنِ عِقَابِهَا تَبِيدُ.١٨
19 १९ परन्तु जो याकूब का निज भाग है, वह उनके समान नहीं, वह तो सब का बनानेवाला है, और इस्राएल उसका निज भाग है; उसका नाम सेनाओं का यहोवा है।
أَمَّا نَصِيبُ يَعْقُوبَ فَلَيْسَ مِثْلَ هَذِهِ الأَوْثَانِ، بَلْ هُوَ جَابِلُ كُلِّ الأَشْيَاءِ. وَشَعْبُ إِسْرَائِيلَ هُوَ سِبْطُ مِيرَاثِهِ، وَاسْمُهُ الرَّبُّ الْقَدِيرُ.١٩
20 २० “तू मेरा फरसा और युद्ध के लिये हथियार ठहराया गया है; तेरे द्वारा मैं जाति-जाति को तितर-बितर करूँगा; और तेरे ही द्वारा राज्य-राज्य को नाश करूँगा।
أَنْتَ فَأْسُ مَعْرَكَتِي وَآلَةُ حَرْبِي. بِكَ أُمَزِّقُ الأُمَمَ إِرْباً وَأُحَطِّمُ مَمَالِكَ.٢٠
21 २१ तेरे ही द्वारा मैं सवार समेत घोड़ों को टुकड़े-टुकड़े करूँगा;
بِكَ أَجْعَلُ الْفَرَسَ وَفَارِسَهَا أَشْلاءَ، وَأُهَشِّمُ الْمَرْكَبَةَ وَرَاكِبَهَا.٢١
22 २२ तेरे ही द्वारा रथी समेत रथ को भी टुकड़े-टुकड़े करूँगा; तेरे ही द्वारा मैं स्त्री पुरुष दोनों को टुकड़े-टुकड़े करूँगा; तेरे ही द्वारा मैं बूढ़े और लड़के दोनों को टुकड़े-टुकड़े करूँगा, और जवान पुरुष और जवान स्त्री दोनों को मैं तेरे ही द्वारा टुकड़े-टुकड़े करूँगा;
بِكَ أُحَطِّمُ الرَّجُلَ وَالْمَرْأَةَ، وَالشَّيْخَ وَالْفَتَى، وَالشَّابَ وَالْعَذْرَاءَ.٢٢
23 २३ तेरे ही द्वारा मैं भेड़-बकरियों समेत चरवाहे को टुकड़े-टुकड़े करूँगा; तेरे ही द्वारा मैं किसान और उसके जोड़े बैलों को भी टुकड़े-टुकड़े करूँगा; अधिपतियों और हाकिमों को भी मैं तेरे ही द्वारा टुकड़े-टुकड़े करूँगा।
بِكَ أَسْحَقُ الرَّاعِي وَقَطِيعَهُ، وَالْحَارِثَ وَفَدَّانَهُ، وَالْحُكَّامَ وَالْوُلاةَ.٢٣
24 २४ “मैं बाबेल को और सारे कसदियों को भी उन सब बुराइयों का बदला दूँगा, जो उन्होंने तुम लोगों के सामने सिय्योन में की है; यहोवा की यही वाणी है।
سَأُجَازِي بَابِلَ وَسَائِرَ الْكَلْدَانِيِّينَ عَلَى كُلِّ شَرِّهِمِ الَّذِي ارْتَكَبُوهُ فِي حَقِّ صِهْيَوْنَ، عَلَى مَرْأَى مِنْكُمْ، يَقُولُ الرَّبُّ.٢٤
25 २५ “हे नाश करनेवाले पहाड़ जिसके द्वारा सारी पृथ्वी नाश हुई है, यहोवा की यह वाणी है कि मैं तेरे विरुद्ध हूँ और हाथ बढ़ाकर तुझे ढाँगों पर से लुढ़का दूँगा और जला हुआ पहाड़ बनाऊँगा।
هَا أَنَا أَنْقَلِبُ عَلَيْكَ أَيُّهَا الْجَبَلُ الْمُخَرِّبُ، يَقُولُ الرَّبُّ. أَنْتَ تُفْسِدُ كُلَّ الأَرْضِ، لِذَلِكَ أَمُدُّ يَدِي عَلَيْكَ وَأُدَحْرِجُكَ مِنْ بَيْنِ الصُّخُورِ، وَأَجْعَلُكَ جَبَلاً مُحْتَرِقاً.٢٥
26 २६ लोग तुझ से न तो घर के कोने के लिये पत्थर लेंगे, और न नींव के लिये, क्योंकि तू सदा उजाड़ रहेगा, यहोवा की यही वाणी है।
فَلا يُقْطَعُ مِنْكَ حَجَرٌ لِزَاوِيَةٍ، وَلا حَجَرٌ يُوْضَعُ كَأَسَاسٍ، بَلْ تَكُونُ خَرَاباً أَبَدِيًّا، يَقُولُ الرَّبُّ.٢٦
27 २७ “देश में झण्डा खड़ा करो, जाति-जाति में नरसिंगा फूँको; उसके विरुद्ध जाति-जाति को तैयार करो; अरारात, मिन्नी और अश्कनज नामक राज्यों को उसके विरुद्ध बुलाओ, उसके विरुद्ध सेनापति भी ठहराओ; घोड़ों को शिखरवाली टिड्डियों के समान अनगिनत चढ़ा ले आओ।
انْصِبُوا رَايَةً فِي الأَرْضِ. انْفُخُوا فِي الْبُوقِ بَيْنَ الأُمَمِ. أَثِيرُوا عَلَيْهَا الأُمَمَ لِقِتَالِهَا، وَأَعِدُّوا عَلَيْهَا مَمَالِكَ أَرَارَاطَ وَمِنِّي وَأَشْكَنَازَ. أَقِيمُوا عَلَيْهَا قَائِداً. اجْعَلُوا الْخَيْلَ تَزْحَفُ عَلَيْهَا كَجَحَافِلِ الْجَرَادِ الشَّرِسَةِ.٢٧
28 २८ उसके विरुद्ध जातियों को तैयार करो; मादी राजाओं को उनके अधिपतियों सब हाकिमों सहित और उस राज्य के सारे देश को तैयार करो।
أَثِيرُوا عَلَيْهَا الأُمَمَ وَمُلُوكَ المَادِيِّينَ وَكُلَّ حُكَّامِهِمْ وَوُلاتِهِمْ وَسَائِرَ الدِّيَارِ الَّتِي يَحْكُمُونَهَا.٢٨
29 २९ यहोवा ने विचारा है कि वह बाबेल के देश को ऐसा उजाड़ करे कि उसमें कोई भी न रहे; इसलिए पृथ्वी काँपती है और दुःखित होती है
الأَرْضُ تَرْجُفُ وَتَقْشَعِرُّ، لأَنَّ قَضَاءَ الرَّبِّ عَلَى بَابِلَ يَتِمُّ، لِيَجْعَلَ أَرْضَ بَابِلَ خَرَاباً وَقَفْراً.٢٩
30 ३० बाबेल के शूरवीर गढ़ों में रहकर लड़ने से इन्कार करते हैं, उनकी वीरता जाती रही है; और यह देखकर कि उनके वासस्थानों में आग लग गई वे स्त्री बन गए हैं; उसके फाटकों के बेंड़े तोड़े गए हैं।
قَدْ أَحْجَمَ مُحَارِبُو بَابِلَ الْجَبَابِرَةُ عَنِ الْقِتَالِ، وَاعْتَصَمُوا فِي مَعَاقِلِهِمْ. خَارَتْ شَجَاعَتُهُمْ، وَصَارُوا كَالنِّسَاءِ. احْتَرَقَتْ مَسَاكِنُ بَابِلَ وَتَحَطَّمَتْ مَزَالِيجُهَا.٣٠
31 ३१ एक हरकारा दूसरे हरकारे से और एक समाचार देनेवाला दूसरे समाचार देनेवाले से मिलने और बाबेल के राजा को यह समाचार देने के लिये दौड़ेगा कि तेरा नगर चारों ओर से ले लिया गया है;
يَرْكُضُ عَدَّاءٌ لِمُلاقَاةِ عَدَّاءٍ آخَرَ. وَيُسْرِعُ مُخْبِرٌ لِلِقَاءِ مُخْبِرٍ لِيُبَلِّغَ مَلِكَ بَابِلَ أَنَّ مَدِينَتَهُ قَدْ تَمَّ الاسْتِيلاءُ عَلَيْهَا مِنْ كُلِّ جَانِبٍ.٣١
32 ३२ और घाट शत्रुओं के वश में हो गए हैं, ताल भी सुखाए गए, और योद्धा घबरा उठे हैं।
قَدْ سَقَطَتِ الْمَعَابِرُ وَأُحْرِقَتْ أَجَمَاتُ الْقَصَبِ بِالنَّارِ وَاعْتَرَى الذُّعْرُ الْمُحَارِبِينَ،٣٢
33 ३३ क्योंकि इस्राएल का परमेश्वर, सेनाओं का यहोवा यह कहता है: बाबेल की बेटी दाँवते समय के खलिहान के समान है, थोड़े ही दिनों में उसकी कटनी का समय आएगा।”
لأَنَّ هَذَا مَا يُعْلِنُهُ الرَّبُّ الْقَدِيرُ إِلَهُ إِسْرَائِيلَ: إِنَّ أَهْلَ بَابِلَ كَالْبَيْدَرِ، وَقَدْ حَانَ أَوَانُ دَرْسِ حِنْطَتِهِ. وَبَعْدَ قَلِيلٍ يَأْزَفُ مَوْعِدُ حَصَادِهِمْ.٣٣
34 ३४ “बाबेल के राजा नबूकदनेस्सर ने मुझ को खा लिया, मुझ को पीस डाला; उसने मुझे खाली बर्तन के समान कर दिया, उसने मगरमच्छ के समान मुझ को निगल लिया है; और मुझ को स्वादिष्ट भोजन जानकर अपना पेट मुझसे भर लिया है, उसने मुझ को जबरन निकाल दिया है।”
يَقُولُ الْمَسْبِيُّونَ: «قَدِ افْتَرَسَنَا نَبُوخَذْنَصَّرُ مَلِكُ بَابِلَ وَسَحَقَنَا وَجَعَلَنَا إِنَاءً فَارِغاً. ابْتَلَعَنَا كَتِنِّينٍ، وَمَلأَ جَوْفَهُ مِنْ أَطَايِبِنَا، ثُمَّ لَفَظَنَا مِنْ فَمِهِ.٣٤
35 ३५ सिय्योन की रहनेवाली कहेगी, “जो उपद्रव मुझ पर और मेरे शरीर पर हुआ है, वह बाबेल पर पलट जाए।” और यरूशलेम कहेगी, “मुझ में की हुई हत्याओं का दोष कसदियों के देश के रहनेवालों पर लगे।”
يَقُولُ أَهْلُ أُورُشَلِيمَ: لِيَحُلَّ بِبَابِلَ مَا أَصَابَنَا وَأَصَابَ لُحُومَنَا مِنْ ظُلْمٍ. وَتَقُولُ أُورُشَلِيمُ: دَمِي عَلَى أَهْلِ أَرْضِ الْكَلْدَانِيِّينَ.٣٥
36 ३६ इसलिए यहोवा कहता है, “मैं तेरा मुकद्दमा लड़ूँगा और तेरा बदला लूँगा। मैं उसके ताल को और उसके सोतों को सूखा दूँगा;
لِذَلِكَ هَذَا مَا يُعْلِنُهُ الرَّبُّ: هَا أَنَا أُدَافِعُ عَنْ دَعْوَاكِ وَأَنْتَقِمُ لَكِ، فَأُجَفِّفُ بَحْرَ بَابِلَ وَيَنَابِيعَهَا،٣٦
37 ३७ और बाबेल खण्डहर, और गीदड़ों का वासस्थान होगा; और लोग उसे देखकर चकित होंगे और ताली बजाएँगे, और उसमें कोई न रहेगा।
فَتَصِيرُ بَابِلُ رُكَاماً وَمَأْوَى لِبَنَاتِ آوَى، وَمَثَارَ دَهْشَةٍ وَصَفِيرٍ وَأَرْضاً مُوْحِشَةً.٣٧
38 ३८ “लोग एक संग ऐसे गरजेंगे और गुर्राएँगे, जैसे युवा सिंह व सिंह के बच्चे आहेर पर करते हैं।
إِنَّهُمْ يَزْأَرُونَ كَالأُسُودِ وَيُزَمْجِرُونَ كَالأَشْبَالِ.٣٨
39 ३९ परन्तु जब जब वे उत्तेजित हों, तब मैं भोज तैयार करके उन्हें ऐसा मतवाला करूँगा, कि वे हुलसकर सदा की नींद में पड़ेंगे और कभी न जागेंगे, यहोवा की यही वाणी है।
عِنْدَ شَبَعِهِمْ أُعِدُّ لَهُمْ مَأْدُبَةً وَأُسْكِرُهُمْ حَتَّى تَأْخُذَهُمُ النَّشْوَةُ فَيَنَامُونَ نَوْماً أَبَدِيًّا لَا يَقْظَةَ مِنْهُ، يَقُولُ الرَّبُّ.٣٩
40 ४० मैं उनको, भेड़ों के बच्चों, और मेढ़ों और बकरों के समान घात करा दूँगा।
وَأُحْضِرُهُمْ كَالْحُمْلانِ لِلذَّبْحِ وَكَالْكِبَاشِ وَالتُّيُوسِ.٤٠
41 ४१ “शेशक, जिसकी प्रशंसा सारे पृथ्वी पर होती थी कैसे ले लिया गया? वह कैसे पकड़ा गया? बाबेल जातियों के बीच कैसे सुनसान हो गया है?
كَيْفَ اسْتُوْلِيَ عَلَى بَابِلَ! كَيْفَ سَقَطَتْ فَخْرُ كُلِّ الأَرْضِ! كَيْفَ صَارَتْ بَابِلُ مَثَارَ دَهْشَةٍ بَيْنَ الأُمَمِ!٤١
42 ४२ बाबेल के ऊपर समुद्र चढ़ आया है, वह उसकी बहुत सी लहरों में डूब गया है।
قَدْ طَغَى الْبَحْرُ عَلَى بَابِلَ فَغَمَرَهَا بِأَمْوَاجِهِ الْهَائِجَةِ،٤٢
43 ४३ उसके नगर उजड़ गए, उसका देश निर्जन और निर्जल हो गया है, उसमें कोई मनुष्य नहीं रहता, और उससे होकर कोई आदमी नहीं चलता।
وَأَصْبَحَتْ مُدُنُهَا مُوْحِشَةً وَأَرْضَ قَفْرٍ وَصَحْرَاءَ، أَرْضاً لَا يَأْوِي إِلَيْهَا أَحَدٌ وَلا يَجْتَازُ بِها إِنْسَانٌ.٤٣
44 ४४ मैं बाबेल में बेल को दण्ड दूँगा, और उसने जो कुछ निगल लिया है, वह उसके मुँह से उगलवाऊँगा। जातियों के लोग फिर उसकी ओर ताँता बाँधे हुए न चलेंगे; बाबेल की शहरपनाह गिराई जाएगी।
وَأُعَاقِبُ الصَّنَمَ بِيلَ فِي بَابِلَ، وَأَسْتَخْرِجُ مِنْ فَمِهِ مَا ابْتَلَعَهُ، فَتَكُفُّ الأُمَمُ عَنِ التَّوَافُدِ إِلَيْهِ، وَيَنْهَدِمُ أَيْضاً سُورُ بَابِلَ.٤٤
45 ४५ हे मेरी प्रजा, उसमें से निकल आओ! अपने-अपने प्राण को यहोवा के भड़के हुए कोप से बचाओ!
اخْرُجُوا مِنْ وَسَطِهَا يَا شَعْبِي وَلْيَنْجُ كُلُّ وَاحِدٍ بِحَيَاتِهِ هَرَباً مِنِ احْتِدَامِ غَضَبِ الرَّبِّ.٤٥
46 ४६ जब उड़ती हुई बात उस देश में सुनी जाए, तब तुम्हारा मन न घबराए; और जो उड़ती हुई चर्चा पृथ्वी पर सुनी जाएगी तुम उससे न डरना: उसके एक वर्ष बाद एक और बात उड़ती हुई आएगी, तब उसके बाद दूसरे वर्ष में एक और बात उड़ती हुई आएगी, और उस देश में उपद्रव होगा, और एक हाकिम दूसरे के विरुद्ध होगा।
لَا يَخُرْ قَلْبُكُمْ وَلا تَفْزَعُوا مِمَّا يَشِيعُ فِي الدِّيَارِ مِنْ أَنْبَاءَ، إِذْ تَرُوجُ شَائِعَةٌ فِي هَذِهِ السَّنَةِ وَأُخْرَى فِي السَّنَةِ التَّالِيَةِ، وَيَسُودُ الْعُنْفُ الأَرْضَ، وَيَقُومُ مُتَسَلِّطٌ عَلَى مُتَسَلِّطٍ.٤٦
47 ४७ “इसलिए देख, वे दिन आते हैं जब मैं बाबेल की खुदी हुई मूरतों पर दण्ड की आज्ञा करूँगा; उस सारे देश के लोगों का मुँह काला हो जाएगा, और उसके सब मारे हुए लोग उसी में पड़े रहेंगे।
لِذَلِكَ هَا أَيَّامٌ مُقْبِلَةٌ أُعَاقِبُ فِيهَا أَصْنَامَ بَابِلَ وَيَلْحَقُ الْعَارُ بِأَرْضِهَا كُلِّهَا، وَيَتَسَاقَطُ قَتْلاهَا فِي وَسَطِهَا.٤٧
48 ४८ तब स्वर्ग और पृथ्वी के सारे निवासी बाबेल पर जयजयकार करेंगे; क्योंकि उत्तर दिशा से नाश करनेवाले उस पर चढ़ाई करेंगे, यहोवा की यही वाणी है।
عِنْدَئِذٍ تَتَغَنَّى بِسُقُوطِ بَابِلَ السَّمَاوَاتُ وَالأَرْضُ وَكُلُّ مَا فِيهَا، لأَنَّ الْمُدَمِّرِينَ يَتَقَاطَرُونَ عَلَيْهَا مِنَ الشِّمَالِ، يَقُولُ الرَّبُّ.٤٨
49 ४९ जैसे बाबेल ने इस्राएल के लोगों को मारा, वैसे ही सारे देश के लोग उसी में मार डाले जाएँगे।
كَمَا صَرَعَتْ بَابِلُ قَتْلَى إِسْرَائِيلَ، هَكَذَا يُصْرَعُ قَتْلَى بَابِلَ فِي كُلِّ الأَرْض.٤٩
50 ५० “हे तलवार से बचे हुओं, भागो, खड़े मत रहो! यहोवा को दूर से स्मरण करो, और यरूशलेम की भी सुधि लो:
يَا أَيُّهَا النَّاجُونَ مِنَ السَّيْفِ، اهْرُبُوا وَلا تَقِفُوا، اذْكُرُوا الرَّبَّ فِي مَكَانِكُمُ الْبَعِيدِ، وَلا تَبْرَحْ أُورُشَلِيمُ مِنْ خَوَاطِرِكُمْ.٥٠
51 ५१ ‘हम व्याकुल हैं, क्योंकि हमने अपनी नामधराई सुनी है; यहोवा के पवित्र भवन में विधर्मी घुस आए हैं, इस कारण हम लज्जित हैं।’
قَدْ لَحِقَنَا الْخِزْيُ لأَنَّنَا اسْتَمَعْنَا لِلإِهَانَةِ، فَكَسَا الْخَجَلُ وُجُوهَنَا، إِذِ انْتَهَكَ الْغُرَبَاءُ مَقَادِسَ هَيْكَلِ الرَّبِّ.٥١
52 ५२ “इसलिए देखो, यहोवा की यह वाणी है, ऐसे दिन आनेवाले हैं कि मैं उसकी खुदी हुई मूरतों पर दण्ड भेजूँगा, और उसके सारे देश में लोग घायल होकर कराहते रहेंगे।
لِذَلِكَ هَا أَيَّامٌ مُقْبِلَةٌ، يَقُولُ الرَّبُّ، أُنَفِّذُ فِيهَا قَضَائِي عَلَى أَصْنَامِ بَابِلَ، وَيَئِنُّ جَرْحَاهَا فِي كُلِّ دِيَارِهَا.٥٢
53 ५३ चाहे बाबेल ऐसा ऊँचा बन जाए कि आकाश से बातें करे और उसके ऊँचे गढ़ और भी दृढ़ किए जाएँ, तो भी मैं उसे नाश करने के लिये, लोगों को भेजूँगा, यहोवा की यह वाणी है।
وَحَتَّى لَوِ ارْتَفَعَتْ بَابِلُ فَبَلَغَتِ السَّمَاءَ، وَحَتَّى لَوْ حَصَّنَتْ مَعَاقِلَهَا الشَّامِخَةَ، فَإِنَّ الْمُدَمِّرِينَ يَنْقَضُّونَ عَلَيْهَا مِنْ عِنْدِي، يَقُولُ الرَّبُّ.٥٣
54 ५४ “बाबेल से चिल्लाहट का शब्द सुनाई पड़ता है! कसदियों के देश से सत्यानाश का बड़ा कोलाहल सुनाई देता है।
هَا صَوْتُ صُرَاخٍ يَتَرَدَّدُ فِي بَابِلَ، صَوْتُ جَلَبَةِ دَمَارٍ عَظِيمٍ مِنْ أَرْضِ الْكَلْدَانِيِّينَ،٥٤
55 ५५ क्योंकि यहोवा बाबेल को नाश कर रहा है और उसके बड़े कोलाहल को बन्द कर रहा है। इससे उनका कोलाहल महासागर का सा सुनाई देता है।
لأَنَّ الرَّبَّ قَدْ خَرَّبَ بَابِلَ، وَأَخْرَسَ جَلَبَتَهَا الْعَظِيمَةَ، إِذْ طَغَتْ عَلَيْهَا جَحَافِلُ أَعْدَائِهَا كَمِيَاهٍ عَجَّاجَةٍ، وَعَلا ضَجِيجُ أَصْوَاتِهِمْ.٥٥
56 ५६ बाबेल पर भी नाश करनेवाले चढ़ आए हैं, और उसके शूरवीर पकड़े गए हैं और उनके धनुष तोड़ डाले गए; क्योंकि यहोवा बदला देनेवाला परमेश्वर है, वह अवश्य ही बदला लेगा।
لأَنَّ الْمُدَمِّرَ قَدِ انْقَضَّ عَلَى بَابِلَ وَأَسَرَ مُحَارِبِيهَا، وَتَكَسَّرَتْ كُلُّ قِسِيِّهَا، لأَنَّ الرَّبَّ إِلَهُ مُجَازَاةٍ، وَهُوَ حَتْماً يُحَاسِبُهَا.٥٦
57 ५७ मैं उसके हाकिमों, पंडितों, अधिपतियों, रईसों, और शूरवीरों को ऐसा मतवाला करूँगा कि वे सदा की नींद में पड़ेंगे और फिर न जागेंगे, सेनाओं के यहोवा, जिसका नाम राजाधिराज है, उसकी यही वाणी है।
إِنِّي أُسْكِرُ رُؤَسَاءَهَا وَحُكَمَاءَهَا وَمُحَارِبِيهَا، فَيَنَامُونَ نَوْماً أَبَدِيًّا لَا يَقْظَةَ مِنْهُ، يَقُولُ الْمَلِكُ، الرَّبُّ الْقَدِيرُ اسْمُهُ.٥٧
58 ५८ “सेनाओं का यहोवा यह भी कहता है, बाबेल की चौड़ी शहरपनाह नींव से ढाई जाएगी, और उसके ऊँचे फाटक आग लगाकर जलाए जाएँगे। और उसमें राज्य-राज्य के लोगों का परिश्रम व्यर्थ ठहरेगा, और जातियों का परिश्रम आग का कौर हो जाएगा और वे थक जाएँगे।”
وَهَذَا مَا يُعْلِنُهُ الرَّبُّ الْقَدِيرُ: إِنَّ سُورَ بَابِلَ الْعَرِيضَ يُقَوَّضُ وَيُسَوَّى بِالأَرْضِ، وَبَوَّابَاتِهَا الْعَالِيَةَ تَحْتَرِقُ بِالنَّارِ، وَيَذْهَبُ تَعَبُ الشُّعُوبِ بَاطِلاً، وَيَكُونُ مَصِيرُ جَهْدِ الأُمَمِ لِلنَّارِ».٥٨
59 ५९ यहूदा के राजा सिदकिय्याह के राज्य के चौथे वर्ष में जब उसके साथ सरायाह भी बाबेल को गया था, जो नेरिय्याह का पुत्र और महसेयाह का पोता और राजभवन का अधिकारी भी था,
هَذِهِ هِيَ النُّبُوءَةُ الَّتِي أَوْدَعَهَا إِرْمِيَا النَّبِيُّ سَرَايَا بْنَ نِيرِيَّا بْنِ مَحْسِيَّا، عِنْدَمَا رَافَقَ صِدْقِيَّا مَلِكَ يَهُوذَا إِلَى بَابِلَ فِي السَّنَةِ الرَّابِعَةِ لِحُكْمِهِ. وَكَانَ سَرَايَا آنَئِذٍ رَئِيسَ الْمُعَسْكَرِ.٥٩
60 ६० तब यिर्मयाह भविष्यद्वक्ता ने उसको ये बातें बताई अर्थात् वे सब बातें जो बाबेल पर पड़नेवाली विपत्ति के विषय लिखी हुई हैं, उन्हें यिर्मयाह ने पुस्तक में लिख दिया।
وَكَانَ إِرْمِيَا قَدْ دَوَّنَ فِي كِتَابٍ وَاحِدٍ جَمِيعَ الْكَوَارِثِ الَّتِي سَتُبْتَلَى بِها بَابِلُ، أَيْ جَمِيعَ النُّبُوءَاتِ الْمُدَوَّنَةِ عَنْ بَابِلَ.٦٠
61 ६१ यिर्मयाह ने सरायाह से कहा, “जब तू बाबेल में पहुँचे, तब अवश्य ही ये सब वचन पढ़ना,
وَقَالَ إِرْمِيَا لِسَرَايَا: «حَالَمَا تَصِلُ إِلَى بَابِلَ، اعْمَلْ عَلَى تِلاوَةِ جَمِيعِ هَذِهِ النُّبُوءَاتِ.٦١
62 ६२ और यह कहना, ‘हे यहोवा तूने तो इस स्थान के विषय में यह कहा है कि मैं इसे ऐसा मिटा दूँगा कि इसमें क्या मनुष्य, क्या पशु, कोई भी न रहेगा, वरन् यह सदा उजाड़ पड़ा रहेगा।’
وَقُلْ: أَيُّهَا الرَّبُّ قَدْ قَضَيْتَ عَلَى هَذَا الْمَوْضِعِ بِالانْقِرَاضِ، فَلا يَسْكُنُ فِيهِ أَحَدٌ مِنَ النَّاسِ وَالْبَهَائِمِ، بَلْ يُصْبِحُ خَرَاباً أَبَدِيًّا.٦٢
63 ६३ और जब तू इस पुस्तक को पढ़ चुके, तब इसे एक पत्थर के संग बाँधकर फरात महानद के बीच में फेंक देना,
وَمَتَى فَرَغْتَ مِنْ تِلاوَةِ هَذَا الْكِتَابِ، ارْبُطْ بِهِ حَجَراً وَاطْرَحْهُ فِي وَسَطِ الْفُرَاتِ.٦٣
64 ६४ और यह कहना, ‘इस प्रकार बाबेल डूब जाएगा और मैं उस पर ऐसी विपत्ति डालूँगा कि वह फिर कभी न उठेगा और वे थके रहेंगे।’” यहाँ तक यिर्मयाह के वचन हैं।
وَقُلْ: كَذَلِكَ تَغْرَقُ بَابِلُ وَلا تَطْفُو بَعْدُ لِمَا أُوْقِعُهُ عَلَيْهَا مِنْ عِقَابٍ فَيَعْيَا كُلُّ أَهْلِهَا». إِلَى هُنَا تَنْتَهِي نُبُوءَاتُ إِرْمِيَا.٦٤

< यिर्मयाह 51 >