< यिर्मयाह 32 >

1 यहूदा के राजा सिदकिय्याह के राज्य के दसवें वर्ष में जो नबूकदनेस्सर के राज्य का अठारहवाँ वर्ष था, यहोवा की ओर से यह वचन यिर्मयाह के पास पहुँचा।
هَذِهِ هِيَ النُّبُوءَةُ الَّتِي أَوْحَى بِها الرَّبُّ إِلَى إِرْمِيَا فِي السَّنَةِ الْعَاشِرَةِ مِنْ حُكْمِ صِدْقِيَّا مَلِكِ يَهُوذَا، الْمُوَافِقَةِ للِسَّنَةِ الثَّامِنَةِ عَشْرَةَ لِمُلْكِ نَبُوخَذْنَصَّرَ.١
2 उस समय बाबेल के राजा की सेना ने यरूशलेम को घेर लिया था और यिर्मयाह भविष्यद्वक्ता यहूदा के राजा के पहरे के भवन के आँगन में कैदी था।
وَكَانَ جَيْشُ مَلِكِ بَابِلَ آنَئِذٍ يُحَاصِرُ أُورُشَلِيمَ، وَإِرْمِيَا النَّبِيُّ مُعْتَقَلاً فِي دَارِ السِّجْنِ فِي قَصْرِ مَلِكِ يَهُوذَا،٢
3 क्योंकि यहूदा के राजा सिदकिय्याह ने यह कहकर उसे कैद किया था, “तू ऐसी भविष्यद्वाणी क्यों करता है, ‘यहोवा यह कहता है: देखो, मैं यह नगर बाबेल के राजा के वश में कर दूँगा, वह इसको ले लेगा;
لأَنَّ صِدْقِيَّا الْمَلِكَ اعْتَقَلَهُ قَائِلاً: «لِمَاذَا تَتَنَبَّأُ مُنَادِياً أَنَّ هَذَا مَا يُعْلِنُهُ الرَّبُّ:’هَا أَنَا أُسْلِمُ هَذِهِ الْمَدِينَةَ إِلَى يَدِ مَلِكِ بَابِلَ فَيَسْتَوْلِي عَلَيْهَا؟٣
4 और यहूदा का राजा सिदकिय्याह कसदियों के हाथ से न बचेगा परन्तु वह बाबेल के राजा के वश में अवश्य ही पड़ेगा, और वह और बाबेल का राजा आपस में आमने-सामने बातें करेंगे; और अपनी-अपनी आँखों से एक दूसरे को देखेंगे।
وَكَذَلِكَ لَنْ يُفْلِتَ صِدْقِيَّا مَلِكُ يَهُوذَا مِنْ يَدِ الْكَلْدَانِيِّينَ، بَلْ يُقْبَضَ عَلَيْهِ وَيَمْثُلَ أَمَامَ مَلِكِ بَابِلَ فَيُخَاطِبَهُ وَجْهاً لِوَجْهٍ وَعَيْنَاهُ تَنْظُرَانِ عَيْنَيْهِ٤
5 और वह सिदकिय्याह को बाबेल में ले जाएगा, और जब तक मैं उसकी सुधि न लूँ, तब तक वह वहीं रहेगा, यहोवा की यह वाणी है। चाहे तुम लोग कसदियों से लड़ो भी, तो भी तुम्हारे लड़ने से कुछ बन न पड़ेगा।’”
وَيُسْبَى صِدْقِيَّا إِلَى بَابِلَ وَيَمْكُثَ هُنَاكَ إِلَى أَنْ يَمُوتَ، يَقُولُ الرَّبُّ. وَإِنْ حَارَبْتُمُ الْكَلْدَانِيِّينَ فَإِنَّكُمْ لَا تَنْجَحُونَ‘».٥
6 यिर्मयाह ने कहा, “यहोवा का वचन मेरे पास पहुँचा,
فَأَجَابَ إِرْمِيَا: «قَدْ أَعْلَنَ لِيَ الرَّبُّ قَضَاءَهُ قَائِلاً:٦
7 देख, शल्लूम का पुत्र हनमेल जो तेरा चचेरा भाई है, वह तेरे पास यह कहने को आने पर है, ‘मेरा खेत जो अनातोत में है उसे मोल ले, क्योंकि उसे मोल लेकर छुड़ाने का अधिकार तेरा ही है।’
هَا حَنَمْئِيلُ ابْنُ عَمِّكَ شَلُّومَ قَادِمٌ إِلَيْكَ قَائِلاً:’اشْتَرِ حَقْلِي الَّذِي فِي عَنَاثُوثَ لأَنَّ لَكَ حَقَّ الْفِكَاكِ عَنْ طَرِيقِ الشِّرَاءِ.‘٧
8 अतः यहोवा के वचन के अनुसार मेरा चचेरा भाई हनमेल पहरे के आँगन में मेरे पास आकर कहने लगा, ‘मेरा जो खेत बिन्यामीन क्षेत्र के अनातोत में है उसे मोल ले, क्योंकि उसके स्वामी होने और उसके छुड़ा लेने का अधिकार तेरा ही है; इसलिए तू उसे मोल ले।’ तब मैंने जान लिया कि वह यहोवा का वचन था।
وَمَا لَبِثَ أَنْ جَاءَ حَنَمْئِيلُ ابْنُ عَمِّي إِلَيَّ فِي دَارِ السِّجْنِ بِمُقْتَضَى كَلِمَةِ الرَّبِّ وَقَالَ لِي:’اشْتَرِ حَقْلِي الَّذِي فِي عَنَاثُوثَ فِي أَرْضِ بِنْيَامِينَ، لأَنَّ لَكَ حَقَّ الإِرْثِ وَالْفِكَاكِ.‘حِينَئِذٍ أَدْرَكْتُ أَنَّ تِلْكَ كَانَتْ كَلِمَةَ اللهِ.٨
9 “इसलिए मैंने उस अनातोत के खेत को अपने चचेरे भाई हनमेल से मोल ले लिया, और उसका दाम चाँदी के सत्रह शेकेल तौलकर दे दिए।
فَاشْتَرَيْتُ الْحَقْلَ الَّذِي فِي عَنَاثُوثَ مِنْ حَنَمْئِيلَ ابْنِ عَمِّي، وَوَزَنْتُ لَهُ سَبْعَةَ عَشَرَ شَاقِلاً (حَوَالَيْ مِئَتَيْ جرَامٍ) مِنَ الْفِضَّةِ.٩
10 १० और मैंने दस्तावेज में दस्तखत और मुहर हो जाने पर, गवाहों के सामने वह चाँदी काँटे में तौलकर उसे दे दी।
ثُمَّ سَجَّلْتُ عَقْدَ الْبَيْعِ فِي صَكٍّ وَخَتَمْتُهُ، وَأَشْهَدْتُ شُهُوداً، وَوَزَنْتُ الْفِضَّةَ بِمِيزَانٍ.١٠
11 ११ तब मैंने मोल लेने की दोनों दस्तावेजें जिनमें सब शर्तें लिखी हुई थीं, और जिनमें से एक पर मुहर थी और दूसरी खुली थी,
وَأَخَذْتُ صَكَّ الْبَيْعِ الْمَخْتُومَ الْمُتَضَمِّنَ بُنُودَ الْعَقْدِ مَعَ نُسْخَةٍ غَيْرِ مَخْتُومَةٍ،١١
12 १२ उन्हें लेकर अपने चचेरे भाई हनमेल के और उन गवाहों के सामने जिन्होंने दस्तावेज में दस्तखत किए थे, और उन सब यहूदियों के सामने भी जो पहरे के आँगन में बैठे हुए थे, नेरिय्याह के पुत्र बारूक को जो महसेयाह का पोता था, सौंप दिया।
وَأَوْدَعْتُ صَكَّ الْبَيْعِ عِنْدَ بَارُوخَ بْنِ نِيرِيَّا بْنِ مَحْسِيَا بِمَحْضَرِ حَنَمْئِيلَ ابْنِ عَمِّي وَالشُّهُودِ الَّذِينَ وَقَّعُوا عَلَى صَكِّ الْبَيْعِ، وَأَمَامَ جَمِيعِ الْيَهُودِ الْجَالِسِينَ فِي دَارِ السِّجْنِ.١٢
13 १३ तब मैंने उनके सामने बारूक को यह आज्ञा दी
وَأَوْصَيْتُ بَارُوخَ أَمَامَهُمْ قَائِلاً:١٣
14 १४ ‘इस्राएल के परमेश्वर सेनाओं का यहोवा यह कहता है, इन मोल लेने की दस्तावेजों को जिन पर मुहर की हुई है और जो खुली हुई है, इन्हें लेकर मिट्टी के बर्तन में रख, ताकि ये बहुत दिन तक रहें।
’هَذَا مَا يُعْلِنُهُ الرَّبُّ الْقَدِيرُ إِلَهُ إِسْرَائِيلَ: خُذْ هَذَيْنِ الصَّكَّيْنِ: صَكَّ الْبَيْعِ الْمَخْتُومَ، وَالصَّكَّ غَيْرَ الْمَخْتُومِ، وَاحْفَظْهُمَا فِي إِنَاءٍ خَزَفِيٍّ لِمُدَّةٍ طَوِيلَةٍ،١٤
15 १५ क्योंकि इस्राएल का परमेश्वर सेनाओं का यहोवा यह कहता है, इस देश में घर और खेत और दाख की बारियाँ फिर बेची और मोल ली जाएँगी।’
لأَنَّ الرَّبَّ الْقَدِيرَ إِلَهَ إِسْرَائِيلَ يَقُولُ: إِنَّ بُيُوتاً وَحُقُولاً وَكُرُوماً سَتُشْتَرَى بَعْدُ فِي هَذِهِ الأَرْضِ‘».١٥
16 १६ “जब मैंने मोल लेने की वह दस्तावेज नेरिय्याह के पुत्र बारूक के हाथ में दी, तब मैंने यहोवा से यह प्रार्थना की,
وَبَعْدَ أَنْ أَوْدَعْتُ الصَّكَّ بَارُوخَ بْنَ نِيرِيَّا صَلَّيْتُ إِلَى الرَّبِّ قَائِلاً:١٦
17 १७ ‘हे प्रभु यहोवा, तूने बड़े सामर्थ्य और बढ़ाई हुई भुजा से आकाश और पृथ्वी को बनाया है! तेरे लिये कोई काम कठिन नहीं है।
«آهِ أَيُّهَا السَّيِّدُ الرَّبُّ، إِنَّكَ أَنْتَ الَّذِي صَنَعْتَ السَّمَاوَاتِ وَالأَرْضَ بِقُوَّتِكَ الْعَظِيمَةِ وَذِرَاعِكَ الْمَمْدُودَةِ وَلا يَتَعَذَّرُ عَلَيْكَ أَمْرٌ.١٧
18 १८ तू हजारों पर करुणा करता रहता परन्तु पूर्वजों के अधर्म का बदला उनके बाद उनके वंश के लोगों को भी देता है, हे महान और पराक्रमी परमेश्वर, जिसका नाम सेनाओं का यहोवा है,
أَنْتَ الَّذِي تُبْدِي إِحْسَانَكَ لأُلُوفٍ، وَتُعَاقِبُ ذَنْبَ الآبَاءِ فِي الأَبْنَاءِ مِنْ بَعْدِهِمْ. أَنْتَ هُوَ الإِلَهُ الْعَظِيمُ الْقَدِيرُ اسْمُهُ.١٨
19 १९ तू बड़ी युक्ति करनेवाला और सामर्थ्य के काम करनेवाला है; तेरी दृष्टि मनुष्यों के सारे चाल चलन पर लगी रहती है, और तू हर एक को उसके चाल चलन और कर्म का फल भुगताता है।
عَظِيمٌ فِي الْمَشُورَةِ وَقَادِرٌ فِي الْعَمَلِ، وَعَيْنَاكَ مَفْتُوحَتَانِ تُرَاقِبَانِ جَمِيعَ طُرُقِ الإِنْسَانِ لِتُجَازِيَ كُلَّ وَاحِدٍ حَسَبَ تَصَرُّفَاتِهِ وَثِمَارِ أَعْمَالِهِ.١٩
20 २० तूने मिस्र देश में चिन्ह और चमत्कार किए, और आज तक इस्राएलियों वरन् सब मनुष्यों के बीच वैसा करता आया है, और इस प्रकार तूने अपना ऐसा नाम किया है जो आज के दिन तक बना है।
وَقَدْ أَجْرَيْتَ آيَاتٍ وَمُعْجِزَاتٍ فِي دِيَارِ مِصْرَ، وَمَازِلْتَ تُجْرِيهَا إِلَى هَذَا الْيَوْمِ فِي شَعْبِ إِسْرَائِيلَ وَبَيْنَ سَائِرِ الْبَشَرِ، وَجَعَلْتَ اسْمَكَ يُطْبِقُ الآفَاقَ كَمَا هُوَ جَارٍ فِي هَذَا الْيَوْمِ،٢٠
21 २१ तू अपनी प्रजा इस्राएल को मिस्र देश में से चिन्हों और चमत्कारों और सामर्थी हाथ और बढ़ाई हुई भुजा के द्वारा, और बड़े भयानक कामों के साथ निकाल लाया।
وَأَخْرَجْتَ شَعْبَكَ إِسْرَائِيلَ مِنْ دِيَارِ مِصْرَ بِآيَاتٍ وَمُعْجِزَاتٍ، وَبِيَدٍ قَدِيرَةٍ وَذِرَاعٍ مَمْدُودَةٍ، وَمَا أَلْقَيْتَهُ مِنْ خَوْفٍ شَدِيدٍ فِي قُلُوبِ أَهْلِهَا،٢١
22 २२ फिर तूने यह देश उन्हें दिया जिसके देने की शपथ तूने उनके पूर्वजों से खाई थी; जिसमें दूध और मधु की धाराएँ बहती हैं, और वे आकर इसके अधिकारी हुए।
وَوَهَبْتَ الشَّعْبَ هَذِهِ الأَرْضَ الَّتِي أَقْسَمْتَ لِآبَائِهِمْ أَنْ تَهَبَهَا لَهُمْ، أَرْضاً تَفِيضُ لَبَناً وَعَسَلاً،٢٢
23 २३ तो भी उन्होंने तेरी नहीं मानी, और न तेरी व्यवस्था पर चले; वरन् जो कुछ तूने उनको करने की आज्ञा दी थी, उसमें से उन्होंने कुछ भी नहीं किया। इस कारण तूने उन पर यह सब विपत्ति डाली है।
فَدَخَلُوا وَوَرِثُوهَا. وَلَكِنَّهُمْ لَمْ يُطِيعُوا صَوْتَكَ وَلَمْ يَسْلُكُوا وَفْقَ شَرِيعَتِكَ وَلَمْ يَفْعَلُوا مَا أَمَرْتَهُمْ بِهِ، لِذَلِكَ أَوْقَعْتَ بِهِمْ هَذَا الشَّرَّ كُلَّهُ.٢٣
24 २४ अब इन दमदमों को देख, वे लोग इस नगर को ले लेने के लिये आ गए हैं, और यह नगर तलवार, अकाल और मरी के कारण इन चढ़े हुए कसदियों के वश में किया गया है। जो तूने कहा था वह अब पूरा हुआ है, और तू इसे देखता भी है।
انْظُرْ، هَا الْمَتَارِيسُ قَدْ أُقِيمَتْ حَوْلَ الْمَدِينَةِ لِلاسْتِيلاءِ عَلَيْهَا، وَمِنْ جَرَّاءِ السَّيْفِ وَالْجُوعِ وَالْوَبَاءِ أَصْبَحَتِ الْمَدِينَةُ فِي يَدِ الَّذِينَ يُحَارِبُونَهَا مِنَ الْكَلْدَانِيِّينَ. فَكُلُّ مَا نَطَقْتَ بِهِ قَدْ تَمَّ، وَهَا أَنْتَ عَلَى ذَلِكَ شَاهِدٌ.٢٤
25 २५ तो भी, हे प्रभु यहोवा, तूने मुझसे कहा है कि गवाह बुलाकर उस खेत को मोल ले, यद्यपि कि यह नगर कसदियों के वश में कर दिया गया है।’”
وَقَدْ قُلْتَ لِي أَيُّهَا السَّيِّدُ الرَّبُّ: اشْتَرِ الْحَقْلَ بِفِضَّةٍ، وَأَشْهِدْ شُهُوداً مَعَ أَنَّ الْمَدِينَةَ قَدْ سَقَطَتْ فِي يَدِ الْكَلْدَانِيِّينَ».٢٥
26 २६ तब यहोवा का यह वचन यिर्मयाह के पास पहुँचा,
ثُمَّ كَلَّمَ الرَّبُّ إِرْمِيَا:٢٦
27 २७ “मैं तो सब प्राणियों का परमेश्वर यहोवा हूँ; क्या मेरे लिये कोई भी काम कठिन है?
«انْظُرْ، أَنَا الرَّبُّ إِلَهُ كُلِّ بَشَرٍ. هَلْ يَتَعَذَّرُ عَلَيَّ أَمْرٌ؟٢٧
28 २८ इसलिए यहोवा यह कहता है, देख, मैं यह नगर कसदियों और बाबेल के राजा नबूकदनेस्सर के वश में कर देने पर हूँ, और वह इसको ले लेगा।
لِذَلِكَ هَا أَنَا أُسْلِمُ هَذِهِ الْمَدِينَةَ إِلَى يَدِ الْكَلْدَانِيِّينَ وَإِلَى يَدِ نَبُوخَذْنَصَّرَ مَلِكِ بَابِلَ، فَيَسْتَوْلِي عَلَيْهَا.٢٨
29 २९ जो कसदी इस नगर से युद्ध कर रहे हैं, वे आकर इसमें आग लगाकर फूँक देंगे, और जिन घरों की छतों पर उन्होंने बाल के लिये धूप जलाकर और दूसरे देवताओं को अर्घ चढ़ाकर मुझे रिस दिलाई है, वे घर जला दिए जाएँगे।
وَيَقْتَحِمُهَا الْكَلْدَانِيُّونَ الَّذِينَ يُحَارِبُونَ هَذِهِ الْمَدِينَةَ، وَيُضْرِمُونَ فِيهَا النَّارَ وَيُحْرِقُونَهَا هِيَ وَبُيُوتَهَا الَّتِي أَصْعَدُوا عَلَى سُطُوحِهَا بَخُوراً وَسَكَائِبَ خَمْرٍ لِلْبَعْلِ وَلِآلِهَةِ الأَوْثَانِ، لِيُثِيرُوا سُخْطِي.٢٩
30 ३० क्योंकि इस्राएल और यहूदा, जो काम मुझे बुरा लगता है, वही लड़कपन से करते आए हैं; इस्राएली अपनी बनाई हुई वस्तुओं से मुझ को रिस ही रिस दिलाते आए हैं, यहोवा की यह वाणी है।
إِنَّ أَبْنَاءَ إِسْرَائِيلَ وَأَبْنَاءَ يَهُوذَا جَدُّوا فِي ارْتِكَابِ الشَّرِّ أَمَامِي مُنْذُ حَدَاثَتِهِمْ، فَأَثَارُوا سُخْطِي بِمَا جَنَتْهُ أَيْدِيهِمْ.٣٠
31 ३१ यह नगर जब से बसा है तब से आज के दिन तक मेरे क्रोध और जलजलाहट के भड़कने का कारण हुआ है, इसलिए अब मैं इसको अपने सामने से इस कारण दूर करूँगा
قَدْ أَجَّجَتْ هَذِهِ الْمَدِينَةُ، مُنْذُ بِنَائِهَا إِلَى هَذَا الْيَوْمِ، غَضَبِي وَغَيْظِي، وَدَفَعَتْنِي حَتَّى أَمْحُوَهَا مِنْ أَمَامِ وَجْهِي،٣١
32 ३२ क्योंकि इस्राएल और यहूदा अपने राजाओं हाकिमों, याजकों और भविष्यद्वक्ताओं समेत, क्या यहूदा देश के, क्या यरूशलेम के निवासी, सब के सब बुराई पर बुराई करके मुझ को रिस दिलाते आए हैं।
لِفَرْطِ شَرِّ أَبْنَاءِ إِسْرَائِيلَ وَأَبْنَاءِ يَهُوذَا الَّذِي ارْتَكَبُوهُ، فَأَثَارُوا سُخْطِي هُمْ وَمُلُوكُهُمْ وَرُؤَسَاؤُهُمْ وَكَهَنَتُهُمْ وَأَنْبِيَاؤُهُمُ الْكَذَبَةُ وَرِجَالُ يَهُوذَا وَأَهْلُ أُورُشَلِيمَ.٣٢
33 ३३ उन्होंने मेरी ओर मुँह नहीं वरन् पीठ ही फेर दी है; यद्यपि मैं उन्हें बड़े यत्न से सिखाता आया हूँ, तो भी उन्होंने मेरी शिक्षा को नहीं माना।
وَأَوْلُونِي ظُهُورَهُمْ وَلَيْسَ وُجُوهَهُمْ. وَمَعَ أَنِّي عَلَّمْتُهُمْ مُنْذُ الْبَدْءِ مَرَّةً تِلْوَ الأُخْرَى، إِلا أَنَّهُمْ لَمْ يَسْمَعُوا لِيَقْبَلُوا تَأْدِيبِي.٣٣
34 ३४ वरन् जो भवन मेरा कहलाता है, उसमें भी उन्होंने अपनी घृणित वस्तुएँ स्थापित करके उसे अशुद्ध किया है।
وَنَصَبُوا أَوْثَانَهُمُ الرِّجْسَةَ فِي الْهَيْكَلِ الَّذِي دُعِيَ اسْمِي عَلَيْهِ لِيُنَجِّسُوهُ.٣٤
35 ३५ उन्होंने हिन्नोमियों की तराई में बाल के ऊँचे-ऊँचे स्थान बनाकर अपने बेटे-बेटियों को मोलेक के लिये होम किया, जिसकी आज्ञा मैंने कभी नहीं दी, और न यह बात कभी मेरे मन में आई कि ऐसा घृणित काम किया जाए और जिससे यहूदी लोग पाप में फँसे।
وَبَنَوْا الْمُرْتَفَعَاتِ لِلْبَعْلِ فِي وَادِي ابْنِ هِنُّومَ لِيُجِيزُوا فِي النَّارِ أَبْنَاءَهُمْ وَبَنَاتِهِمْ لِمُولَكَ، وَهُوَ مَا لَمْ آمُرْهُمْ بِهِ، وَلَمْ يَخْطُرْ لِي بِبَالٍ أَنْ يَرْتَكِبُوا هَذَا الرِّجْسَ وَيَجْعَلُوا شَعْبَ يَهُوذَا يَقْتَرِفُ الإِثْمَ.٣٥
36 ३६ “परन्तु अब इस्राएल का परमेश्वर यहोवा इस नगर के विषय में, जिसके लिये तुम लोग कहते हो, ‘वह तलवार, अकाल और मरी के द्वारा बाबेल के राजा के वश में पड़ा हुआ है’ यह कहता है:
لِذَلِكَ هَذَا مَا يُعْلِنُهُ الرَّبُّ إِلَهُ إِسْرَائِيلَ الآنَ عَنْ هَذِهِ الْمَدِينَةِ الَّتِي تَقُولُونَ عَنْهَا إِنَّهَا سُلِّمَتْ إِلَى يَدِ مَلِكِ بَابِلَ بِالسَّيْفِ وَالْجُوعِ وَالْوَبَاءِ.٣٦
37 ३७ देखो, मैं उनको उन सब देशों से जिनमें मैंने क्रोध और जलजलाहट में आकर उन्हें जबरन निकाल दिया था, लौटा ले आकर इसी नगर में इकट्ठे करूँगा, और निडर करके बसा दूँगा।
هَا أَنَا أَعُودُ فَأَجْمَعُهُمْ مِنْ جَمِيعِ الْبُلْدَانِ الَّتِي شَتَّتُّهُمْ إِلَيْهَا فِي غَضَبِي وَغَيْظِي وَسُخْطِي الشَّدِيدِ، وَأَرُدُّهُمْ إِلَى هَذَا الْمَوْضِعِ وَأُسَكِّنُهُمْ آمِنِينَ،٣٧
38 ३८ और वे मेरी प्रजा ठहरेंगे, और मैं उनका परमेश्वर ठहरूँगा
فَيَكُونُونَ لِي شَعْباً وَأَكُونُ لَهُمْ إِلَهاً.٣٨
39 ३९ मैं उनको एक ही मन और एक ही चाल कर दूँगा कि वे सदा मेरा भय मानते रहें, जिससे उनका और उनके बाद उनके वंश का भी भला हो।
وَأُعْطِيهِمْ قَلْباً وَاحِداً وَطَرِيقاً وَاحِداً لِيَتَّقُونِي كُلَّ الأَيَّامِ، وَذَلِكَ لِخَيْرِهِمْ وَخَيْرِ أَوْلادِهِمْ مِنْ بَعْدِهِمْ.٣٩
40 ४० मैं उनसे यह वाचा बाँधूँगा, कि मैं कभी उनका संग छोड़कर उनका भला करना न छोड़ूँगा; और अपना भय मैं उनके मन में ऐसा उपजाऊँगा कि वे कभी मुझसे अलग होना न चाहेंगे।
وَأُبْرِمُ مَعَهُمْ عَهْداً أَبَدِيًّا أَنْ لَا أَكُفَّ عَنِ الإِحْسَانِ إِلَيْهِمْ، وَأَضَعُ تَقْوَايَ فِي قُلُوبِهِمْ لِئَلَّا يَرْتَدُّوا عَنِّي،٤٠
41 ४१ मैं बड़ी प्रसन्नता के साथ उनका भला करता रहूँगा, और सचमुच उन्हें इस देश में अपने सारे मन और प्राण से बसा दूँगा।
وَأُسَرُّ بِالإِحْسَانِ إِلَيْهِمْ، وَأَغْرِسُهُمْ فِي هَذِهِ الأَرْضِ بِالْحَقِّ مِنْ كُلِّ قَلْبِي وَنَفْسِي.٤١
42 ४२ “देख, यहोवा यह कहता है कि जैसे मैंने अपनी इस प्रजा पर यह सब बड़ी विपत्ति डाल दी, वैसे ही निश्चय इनसे वह सब भलाई भी करूँगा जिसके करने का वचन मैंने दिया है। इसलिए यह देश जिसके विषय तुम लोग कहते हो
وَكَمَا أَوْقَعْتُ بِهَذَا الشَّعْبِ كُلَّ هَذَا الشَّرِّ الْعَظِيمِ، كَذَلِكَ أُمَتِّعُهُمْ بِجَمِيعِ الْخَيْرَاتِ الَّتِي وَعَدْتُهُمْ بِها.٤٢
43 ४३ कि यह उजाड़ हो गया है, इसमें न तो मनुष्य रह गए हैं और न पशु, यह तो कसदियों के वश में पड़ चुका है, इसी में फिर से खेत मोल लिए जाएँगे,
فَتُشْتَرَى الْحُقُولُ فِي هَذِهِ الأَرْضِ الَّتِي تَدَّعُونَ أَنَّهَا خَرِبَةٌ هَجَرَهَا الإِنْسَانُ وَالْحَيَوَانُ، وَقَدِ اسْتَوْلَى عَلَيْهَا الْكَلْدَانِيُّونَ.٤٣
44 ४४ और बिन्यामीन के क्षेत्र में, यरूशलेम के आस-पास, और यहूदा देश के अर्थात् पहाड़ी देश, नीचे के देश और दक्षिण देश के नगरों में लोग गवाह बुलाकर खेत मोल लेंगे, और दस्तावेज में दस्तखत और मुहर करेंगे; क्योंकि मैं उनके दिनों को लौटा ले आऊँगा; यहोवा की यही वाणी है।”
فَتُشْتَرَى الْحُقُولُ بِفِضَّةٍ، وَتُسَجَّلُ بُنُودُ الْعُقُودِ فِي الصُّكُوكِ وَتُخْتَمُ، وَيُوَقِّعُ الشُّهُودُ فِي أَرْضِ بِنْيَامِينَ وَالْقُرَى الْمُجَاوِرَةِ لأُورُشَلِيمَ، وَفِي مُدُنِ يَهُوذَا وَفِي الْمَنَاطِقِ الْجَبَلِيَّةِ وَفِي مُدُنِ السَّهْلِ، وَمُدُنِ الْجَنُوبِ لأَنِّي أَرُدُّ سَبْيَهُمْ، يَقُولُ الرَّبُّ».٤٤

< यिर्मयाह 32 >