< यिर्मयाह 31 >

1 “उन दिनों में मैं सारे इस्राएली कुलों का परमेश्वर ठहरूँगा और वे मेरी प्रजा ठहरेंगे, यहोवा की यही वाणी है।”
«فِي ذَلِكَ ٱلزَّمَانِ، يَقُولُ ٱلرَّبُّ، أَكُونُ إِلَهًا لِكُلِّ عَشَائِرِ إِسْرَائِيلَ، وَهُمْ يَكُونُونَ لِي شَعْبًا.١
2 यहोवा यह कहता है: “जो प्रजा तलवार से बच निकली, उन पर जंगल में अनुग्रह हुआ; मैं इस्राएल को विश्राम देने के लिये तैयार हुआ।”
هَكَذَا قَالَ ٱلرَّبُّ: قَدْ وَجَدَ نِعْمَةً فِي ٱلْبَرِّيَّةِ، ٱلشَّعْبُ ٱلْبَاقِي عَنِ ٱلسَّيْفِ، إِسْرَائِيلُ حِينَ سِرْتُ لِأُرِيحَهُ».٢
3 “यहोवा ने मुझे दूर से दर्शन देकर कहा है। मैं तुझ से सदा प्रेम रखता आया हूँ; इस कारण मैंने तुझ पर अपनी करुणा बनाए रखी है।
تَرَاءَى لِي ٱلرَّبُّ مِنْ بَعِيدٍ: «وَمَحَبَّةً أَبَدِيَّةً أَحْبَبْتُكِ، مِنْ أَجْلِ ذَلِكَ أَدَمْتُ لَكِ ٱلرَّحْمَةَ.٣
4 हे इस्राएली कुमारी कन्या! मैं तुझे फिर बनाऊँगा; वहाँ तू फिर श्रृंगार करके डफ बजाने लगेगी, और आनन्द करनेवालों के बीच में नाचती हुई निकलेगी।
سَأَبْنِيكِ بَعْدُ، فَتُبْنَيْنَ يَا عَذْرَاءَ إِسْرَائِيلَ. تَتَزَيَّنِينَ بَعْدُ بِدُفُوفِكِ، وَتَخْرُجِينَ فِي رَقْصِ ٱللَّاعِبِينَ.٤
5 तू सामरिया के पहाड़ों पर अंगूर की बारियाँ फिर लगाएगी; और जो उन्हें लगाएँगे, वे उनके फल भी खाने पाएँगे।
تَغْرِسِينَ بَعْدُ كُرُومًا فِي جِبَالِ ٱلسَّامِرَةِ. يَغْرِسُ ٱلْغَارِسُونَ وَيَبْتَكِرُونَ.٥
6 क्योंकि ऐसा दिन आएगा, जिसमें एप्रैम के पहाड़ी देश के पहरुए पुकारेंगे: ‘उठो, हम अपने परमेश्वर यहोवा के पास सिय्योन को चलें।’”
لِأَنَّهُ يَكُونُ يَوْمٌ يُنَادِي فِيهِ ٱلنَّوَاطِيرُ فِي جِبَالِ أَفْرَايِمَ: قُومُوا فَنَصْعَدَ إِلَى صِهْيَوْنَ، إِلَى ٱلرَّبِّ إِلَهِنَا.٦
7 क्योंकि यहोवा यह कहता है: “याकूब के कारण आनन्द से जयजयकार करो: जातियों में जो श्रेष्ठ है उसके लिये ऊँचे शब्द से स्तुति करो, और कहो, ‘हे यहोवा, अपनी प्रजा इस्राएल के बचे हुए लोगों का भी उद्धार कर।’
لِأَنَّهُ هَكَذَا قَالَ ٱلرَّبُّ: رَنِّمُوا لِيَعْقُوبَ فَرَحًا، وَٱهْتِفُوا بِرَأْسِ ٱلشُّعُوبِ. سَمِّعُوا، سَبِّحُوا، وَقُولُوا: خَلِّصْ يَارَبُّ شَعْبَكَ بَقِيَّةَ إِسْرَائِيلَ.٧
8 देखो, मैं उनको उत्तर देश से ले आऊँगा, और पृथ्वी के कोने-कोने से इकट्ठे करूँगा, और उनके बीच अंधे, लँगड़े, गर्भवती, और जच्चा स्त्रियाँ भी आएँगी; एक बड़ी मण्डली यहाँ लौट आएगी।
هَأَنَذَا آتِي بِهِمْ مِنْ أَرْضِ ٱلشِّمَالِ، وَأَجْمَعُهُمْ مِنْ أَطْرَافِ ٱلْأَرْضِ. بَيْنَهُمُ ٱلْأَعْمَى وَٱلْأَعْرَجُ، ٱلْحُبْلَى وَٱلْمَاخِضُ مَعًا. جَمْعٌ عَظِيمٌ يَرْجِعُ إِلَى هُنَا.٨
9 वे आँसू बहाते हुए आएँगे और गिड़गिड़ाते हुए मेरे द्वारा पहुँचाए जाएँगे, मैं उन्हें नदियों के किनारे-किनारे से और ऐसे चौरस मार्ग से ले आऊँगा, जिससे वे ठोकर न खाने पाएँगे; क्योंकि मैं इस्राएल का पिता हूँ, और एप्रैम मेरा जेठा है।
بِٱلْبُكَاءِ يَأْتُونَ، وَبِٱلتَّضَرُّعَاتِ أَقُودُهُمْ. أُسَيِّرُهُمْ إِلَى أَنْهَارِ مَاءٍ فِي طَرِيقٍ مُسْتَقِيمَةٍ لَا يَعْثُرُونَ فِيهَا. لِأَنِّي صِرْتُ لِإِسْرَائِيلَ أَبًا، وَأَفْرَايِمُ هُوَ بِكْرِي.٩
10 १० “हे जाति-जाति के लोगों, यहोवा का वचन सुनो, और दूर-दूर के द्वीपों में भी इसका प्रचार करो; कहो, ‘जिसने इस्राएलियों को तितर- बितर किया था, वही उन्हें इकट्ठे भी करेगा, और उनकी ऐसी रक्षा करेगा जैसी चरवाहा अपने झुण्ड की करता है।’
«اِسْمَعُوا كَلِمَةَ ٱلرَّبِّ أَيُّهَا ٱلْأُمَمُ، وَأَخْبِرُوا فِي ٱلْجَزَائِرِ ٱلْبَعِيدَةِ، وَقُولُوا: مُبَدِّدُ إِسْرَائِيلَ يَجْمَعُهُ وَيَحْرُسُهُ كَرَاعٍ قَطِيعَهُ.١٠
11 ११ क्योंकि यहोवा ने याकूब को छुड़ा लिया, और उस शत्रु के पंजे से जो उससे अधिक बलवन्त है, उसे छुटकारा दिया है।
لِأَنَّ ٱلرَّبَّ فَدَى يَعْقُوبَ وَفَكَّهُ مِنْ يَدِ ٱلَّذِي هُوَ أَقْوَى مِنْهُ.١١
12 १२ इसलिए वे सिय्योन की चोटी पर आकर जयजयकार करेंगे, और यहोवा से अनाज, नया दाखमधु, टटका तेल, भेड़-बकरियाँ और गाय-बैलों के बच्चे आदि उत्तम-उत्तम दान पाने के लिये ताँता बाँधकर चलेंगे; और उनका प्राण सींची हुई बारी के समान होगा, और वे फिर कभी उदास न होंगे।
فَيَأْتُونَ وَيُرَنِّمُونَ فِي مُرْتَفَعِ صِهْيَوْنَ، وَيَجْرُونَ إِلَى جُودِ ٱلرَّبِّ عَلَى ٱلْحِنْطَةِ وَعَلَى ٱلْخَمْرِ وَعَلَى ٱلزَّيْتِ وَعَلَى أَبْنَاءِ ٱلْغَنَمِ وَٱلْبَقَرِ. وَتَكُونُ نَفْسُهُمْ كَجَنَّةٍ رَيَّا، وَلَا يَعُودُونَ يَذُوبُونَ بَعْدُ.١٢
13 १३ उस समय उनकी कुमारियाँ नाचती हुई हर्ष करेंगी, और जवान और बूढ़े एक संग आनन्द करेंगे। क्योंकि मैं उनके शोक को दूर करके उन्हें आनन्दित करूँगा, मैं उन्हें शान्ति दूँगा, और दुःख के बदले आनन्द दूँगा।
حِينَئِذٍ تَفْرَحُ ٱلْعَذْرَاءُ بِٱلرَّقْصِ، وَٱلشُّبَّانُ وَٱلشُّيُوخُ مَعًا. وَأُحَوِّلُ نَوْحَهُمْ إِلَى طَرَبٍ، وَأُعَزِّيهِمْ وَأُفَرِّحُهُمْ مِنْ حُزْنِهِمْ.١٣
14 १४ मैं याजकों को चिकनी वस्तुओं से अति तृप्त करूँगा, और मेरी प्रजा मेरे उत्तम दानों से सन्तुष्ट होगी,” यहोवा की यही वाणी है।
وَأُرْوِي نَفْسَ ٱلْكَهَنَةِ مِنَ ٱلدَّسَمِ، وَيَشْبَعُ شَعْبِي مِنْ جُودِي، يَقُولُ ٱلرَّبُّ.١٤
15 १५ यहोवा यह भी कहता है: “सुन, रामाह नगर में विलाप और बिलक-बिलककर रोने का शब्द सुनने में आता है। राहेल अपने बालकों के लिये रो रही है; और अपने बालकों के कारण शान्त नहीं होती, क्योंकि वे नहीं रहे।”
«هَكَذَا قَالَ ٱلرَّبُّ: صَوْتٌ سُمِعَ فِي ٱلرَّامَةِ، نَوْحٌ، بُكَاءٌ مُرٌّ. رَاحِيلُ تَبْكِي عَلَى أَوْلَادِهَا، وَتَأْبَى أَنْ تَتَعَزَّى عَنْ أَوْلَادِهَا لِأَنَّهُمْ لَيْسُوا بِمَوْجُودِينَ.١٥
16 १६ यहोवा यह कहता है: “रोने-पीटने और आँसू बहाने से रुक जा; क्योंकि तेरे परिश्रम का फल मिलनेवाला है, और वे शत्रुओं के देश से लौट आएँगे।
هَكَذَا قَالَ ٱلرَّبُّ: ٱمْنَعِي صَوْتَكِ عَنِ ٱلْبُكَاءِ، وَعَيْنَيْكِ عَنِ ٱلدُّمُوعِ، لِأَنَّهُ يُوجَدُ جَزَاءٌ لِعَمَلِكِ، يَقُولُ ٱلرَّبُّ. فَيَرْجِعُونَ مِنْ أَرْضِ ٱلْعَدُوِّ.١٦
17 १७ अन्त में तेरी आशा पूरी होगी, यहोवा की यह वाणी है, तेरे वंश के लोग अपने देश में लौट आएँगे।
وَيُوجَدُ رَجَاءٌ لِآخِرَتِكِ، يَقُولُ ٱلرَّبُّ. فَيَرْجِعُ ٱلْأَبْنَاءُ إِلَى تُخُمِهِمْ.١٧
18 १८ निश्चय मैंने एप्रैम को ये बातें कहकर विलाप करते सुना है, ‘तूने मेरी ताड़ना की, और मेरी ताड़ना ऐसे बछड़े की सी हुई जो निकाला न गया हो; परन्तु अब तू मुझे फेर, तब मैं फिरूँगा, क्योंकि तू मेरा परमेश्वर है।
«سَمْعًا سَمِعْتُ أَفْرَايِمَ يَنْتَحِبُ: أَدَّبْتَنِي فَتَأَدَّبْتُ كَعِجْلٍ غَيْرِ مَرُوضٍ. تَوِّبْنِي فَأَتُوبَ، لِأَنَّكَ أَنْتَ ٱلرَّبُّ إِلَهِي.١٨
19 १९ भटक जाने के बाद मैं पछताया; और सिखाए जाने के बाद मैंने छाती पीटी; पुराने पापों को स्मरण कर मैं लज्जित हुआ और मेरा मुँह काला हो गया।’
لِأَنِّي بَعْدَ رُجُوعِي نَدِمْتُ، وَبَعْدَ تَعَلُّمِي صَفَقْتُ عَلَى فَخْذِي. خَزِيتُ وَخَجِلْتُ لِأَنِّي قَدْ حَمَلْتُ عَارَ صِبَايَ.١٩
20 २० क्या एप्रैम मेरा प्रिय पुत्र नहीं है? क्या वह मेरा दुलारा लड़का नहीं है? जब जब मैं उसके विरुद्ध बातें करता हूँ, तब-तब मुझे उसका स्मरण हो आता है। इसलिए मेरा मन उसके कारण भर आता है; और मैं निश्चय उस पर दया करूँगा, यहोवा की यही वाणी है।
هَلْ أَفْرَايِمُ ٱبْنٌ عَزِيزٌ لَدَيَّ، أَوْ وَلَدٌ مُسِرٌّ؟ لِأَنِّي كُلَّمَا تَكَلَّمْتُ بِهِ أَذْكُرُهُ بَعْدُ ذِكْرًا. مِنْ أَجْلِ ذَلِكَ حَنَّتْ أَحْشَائِي إِلَيْهِ. رَحْمَةً أَرْحَمُهُ، يَقُولُ ٱلرَّبُّ.٢٠
21 २१ “हे इस्राएली कुमारी, जिस राजमार्ग से तू गई थी, उसी में खम्भे और झण्डे खड़े कर; और अपने इन नगरों में लौट आने पर मन लगा।
«اِنْصِبِي لِنَفْسِكِ صُوًى. ٱجْعَلِي لِنَفْسِكِ أَنْصَابًا. ٱجْعَلِي قَلْبَكِ نَحْوَ ٱلسِّكَّةِ، ٱلطَّرِيقِ ٱلَّتِي ذَهَبْتِ فِيهَا. ٱرْجِعِي يَا عَذْرَاءَ إِسْرَائِيلَ. ٱرْجِعِي إِلَى مُدُنِكِ هَذِهِ.٢١
22 २२ हे भटकनेवाली कन्या, तू कब तक इधर-उधर फिरती रहेगी? यहोवा की एक नई सृष्टि पृथ्वी पर प्रगट होगी, अर्थात् नारी पुरुष की सहायता करेगी।”
حَتَّى مَتَى تَطُوفِينَ أَيَّتُهَا ٱلْبِنْتُ ٱلْمُرْتَدَّةُ؟ لِأَنَّ ٱلرَّبَّ قَدْ خَلَقَ شَيْئًا حَدِيثًا فِي ٱلْأَرْضِ. أُنْثَى تُحِيطُ بِرَجُلٍ.٢٢
23 २३ इस्राएल का परमेश्वर सेनाओं का यहोवा यह कहता है “जब मैं यहूदी बन्दियों को उनके देश के नगरों में लौटाऊँगा, तब उनमें यह आशीर्वाद फिर दिया जाएगाः ‘हे धर्मभरे वासस्थान, हे पवित्र पर्वत, यहोवा तुझे आशीष दे!’
هَكَذَا قَالَ رَبُّ ٱلْجُنُودِ إِلَهُ إِسْرَائِيلَ: سَيَقُولُونَ بَعْدُ هَذِهِ ٱلْكَلِمَةَ فِي أَرْضِ يَهُوذَا وَفِي مُدُنِهَا، عِنْدَمَا أَرُدُّ سَبْيَهُمْ: يُبَارِكُكَ ٱلرَّبُّ يَا مَسْكِنَ ٱلْبِرِّ، يَا أَيُّهَا ٱلْجَبَلُ ٱلْمُقَدَّسُ.٢٣
24 २४ यहूदा और उसके सब नगरों के लोग और किसान और चरवाहे भी उसमें इकट्ठे बसेंगे।
فَيَسْكُنُ فِيهِ يَهُوذَا وَكُلُّ مُدُنِهِ مَعًا، ٱلْفَّلَاحُونَ وَٱلَّذِينَ يُسَرِّحُونَ ٱلْقُطْعَانَ.٢٤
25 २५ क्योंकि मैंने थके हुए लोगों का प्राण तृप्त किया, और उदास लोगों के प्राण को भर दिया है।”
لِأَنِّي أَرْوَيْتُ ٱلنَّفْسَ ٱلْمُعْيِيَةَ، وَمَلَأْتُ كُلَّ نَفْسٍ ذَائِبَةٍ.٢٥
26 २६ इस पर मैं जाग उठा, और देखा, और मेरी नींद मुझे मीठी लगी।
عَلَى ذَلِكَ ٱسْتَيْقَظْتُ وَنَظَرْتُ وَلَذَّ لِي نَوْمِي.٢٦
27 २७ “देख, यहोवा की यह वाणी है, कि ऐसे दिन आनेवाले हैं जिनमें मैं इस्राएल और यहूदा के घरानों के बाल-बच्चों और पशु दोनों को बहुत बढ़ाऊँगा।
«هَا أَيَّامٌ تَأْتِي، يَقُولُ ٱلرَّبُّ، وَأَزْرَعُ بَيْتَ إِسْرَائِيلَ وَبَيْتَ يَهُوذَا بِزَرْعِ إِنْسَانٍ وَزَرْعِ حَيَوَانٍ.٢٧
28 २८ जिस प्रकार से मैं सोच-सोचकर उनको गिराता और ढाता, नष्ट करता, काट डालता और सत्यानाश ही करता था, उसी प्रकार से मैं अब सोच-सोचकर उनको रोपूँगा और बढ़ाऊँगा, यहोवा की यही वाणी है।
وَيَكُونُ كَمَا سَهِرْتُ عَلَيْهِمْ لِلِٱقْتِلَاعِ وَٱلْهَدْمِ وَٱلْقَرْضِ وَٱلْإِهْلَاكِ وَٱلْأَذَى، كَذَلِكَ أَسْهَرُ عَلَيْهِمْ لِلْبِنَاءِ وَٱلْغَرْسِ، يَقُولُ ٱلرَّبُّ.٢٨
29 २९ उन दिनों में वे फिर न कहेंगे: ‘पिताओं ने तो खट्टे अंगूर खाए, परन्तु उनके वंश के दाँत खट्टे हो गए हैं।’
فِي تِلْكَ ٱلْأَيَّامِ لَا يَقُولُونَ بَعْدُ: ٱلْآبَاءُ أَكَلُوا حِصْرِمًا، وَأَسْنَانُ ٱلْأَبْنَاءِ ضَرِسَتْ.٢٩
30 ३० क्योंकि जो कोई खट्टे अंगूर खाए उसी के दाँत खट्टे हो जाएँगे, और हर एक मनुष्य अपने ही अधर्म के कारण मारा जाएगा।
بَلْ كُلُّ وَاحِدٍ يَمُوتُ بِذَنْبِهِ. كُلُّ إِنْسَانٍ يَأْكُلُ ٱلْحِصْرِمَ تَضْرَسُ أَسْنَانُهُ.٣٠
31 ३१ “फिर यहोवा की यह भी वाणी है, सुन, ऐसे दिन आनेवाले हैं जब मैं इस्राएल और यहूदा के घरानों से नई वाचा बाँधूँगा।
«هَا أَيَّامٌ تَأْتِي، يَقُولُ ٱلرَّبُّ، وَأَقْطَعُ مَعَ بَيْتِ إِسْرَائِيلَ وَمَعَ بَيْتِ يَهُوذَا عَهْدًا جَدِيدًا.٣١
32 ३२ वह उस वाचा के समान न होगी जो मैंने उनके पुरखाओं से उस समय बाँधी थी जब मैं उनका हाथ पकड़कर उन्हें मिस्र देश से निकाल लाया, क्योंकि यद्यपि मैं उनका पति था, तो भी उन्होंने मेरी वह वाचा तोड़ डाली।
لَيْسَ كَٱلْعَهْدِ ٱلَّذِي قَطَعْتُهُ مَعَ آبَائِهِمْ يَوْمَ أَمْسَكْتُهُمْ بِيَدِهِمْ لِأُخْرِجَهُمْ مِنْ أَرْضِ مِصْرَ، حِينَ نَقَضُوا عَهْدِي فَرَفَضْتُهُمْ، يَقُولُ ٱلرَّبُّ.٣٢
33 ३३ परन्तु जो वाचा मैं उन दिनों के बाद इस्राएल के घराने से बाँधूँगा, वह यह है: मैं अपनी व्यवस्था उनके मन में समवाऊँगा, और उसे उनके हृदय पर लिखूँगा; और मैं उनका परमेश्वर ठहरूँगा, और वे मेरी प्रजा ठहरेंगे, यहोवा की यह वाणी है।
بَلْ هَذَا هُوَ ٱلْعَهْدُ ٱلَّذِي أَقْطَعُهُ مَعَ بَيْتِ إِسْرَائِيلَ بَعْدَ تِلْكَ ٱلْأَيَّامِ، يَقُولُ ٱلرَّبُّ: أَجْعَلُ شَرِيعَتِي فِي دَاخِلِهِمْ وَأَكْتُبُهَا عَلَى قُلُوبِهِمْ، وَأَكُونُ لَهُمْ إِلَهًا وَهُمْ يَكُونُونَ لِي شَعْبًا.٣٣
34 ३४ और तब उन्हें फिर एक दूसरे से यह न कहना पड़ेगा कि यहोवा को जानो, क्योंकि, यहोवा की यह वाणी है कि छोटे से लेकर बड़े तक, सब के सब मेरा ज्ञान रखेंगे; क्योंकि मैं उनका अधर्म क्षमा करूँगा, और उनका पाप फिर स्मरण न करूँगा।”
وَلَا يُعَلِّمُونَ بَعْدُ كُلُّ وَاحِدٍ صَاحِبَهُ، وَكُلُّ وَاحِدٍ أَخَاهُ، قَائِلِينَ: ٱعْرِفُوا ٱلرَّبَّ، لِأَنَّهُمْ كُلَّهُمْ سَيَعْرِفُونَنِي مِنْ صَغِيرِهِمْ إِلَى كَبِيرِهِمْ، يَقُولُ ٱلرَّبُّ، لِأَنِّي أَصْفَحُ عَنْ إِثْمِهِمْ، وَلَا أَذْكُرُ خَطِيَّتَهُمْ بَعْدُ.٣٤
35 ३५ जिसने दिन को प्रकाश देने के लिये सूर्य को और रात को प्रकाश देने के लिये चन्द्रमा और तारागण के नियम ठहराए हैं, जो समुद्र को उछालता और उसकी लहरों को गरजाता है, और जिसका नाम सेनाओं का यहोवा है, वही यहोवा यह कहता है:
«هَكَذَا قَالَ ٱلرَّبُّ ٱلْجَاعِلُ ٱلشَّمْسَ لِلْإِضَاءَةِ نَهَارًا، وَفَرَائِضَ ٱلْقَمَرِ وَٱلنُّجُومِ لِلْإِضَاءَةِ لَيْلًا، ٱلزَّاجِرُ ٱلْبَحْرَ حِينَ تَعِجُّ أَمْوَاجُهُ، رَبُّ ٱلْجُنُودِ ٱسْمُهُ:٣٥
36 ३६ “यदि ये नियम मेरे सामने से टल जाएँ तब ही यह हो सकेगा कि इस्राएल का वंश मेरी दृष्टि में सदा के लिये एक जाति ठहरने की अपेक्षा मिट सकेगा।”
إِنْ كَانَتْ هَذِهِ ٱلْفَرَائِضُ تَزُولُ مِنْ أَمَامِي، يَقُولُ ٱلرَّبُّ، فَإِنَّ نَسْلَ إِسْرَائِيلَ أَيْضًا يَكُفُّ مِنْ أَنْ يَكُونَ أُمَّةً أَمَامِي كُلَّ ٱلْأَيَّامِ.٣٦
37 ३७ यहोवा यह भी कहता है, “यदि ऊपर से आकाश मापा जाए और नीचे से पृथ्वी की नींव खोद खोदकर पता लगाया जाए, तब ही मैं इस्राएल के सारे वंश को उनके सब पापों के कारण उनसे हाथ उठाऊँगा।”
هَكَذَا قَالَ ٱلرَّبُّ: إِنْ كَانَتِ ٱلسَّمَاوَاتُ تُقَاسُ مِنْ فَوْقُ وَتُفْحَصُ أَسَاسَاتُ ٱلْأَرْضِ مِنْ أَسْفَلُ، فَإِنِّي أَنَا أَيْضًا أَرْفُضُ كُلَّ نَسْلِ إِسْرَائِيلَ مِنْ أَجْلِ كُلِّ مَا عَمِلُوا، يَقُولُ ٱلرَّبُّ.٣٧
38 ३८ “देख, यहोवा की यह वाणी है, ऐसे दिन आ रहे हैं जिनमें यह नगर हननेल के गुम्मट से लेकर कोने के फाटक तक यहोवा के लिये बनाया जाएगा।
«هَا أَيَّامٌ تَأْتِي، يَقُولُ ٱلرَّبُّ، وَتُبْنَى ٱلْمَدِينَةُ لِلرَّبِّ مِنْ بُرْجِ حَنَنْئِيلَ إِلَى بَابِ ٱلزَّاوِيَةِ،٣٨
39 ३९ मापने की रस्सी फिर आगे बढ़कर सीधी गारेब पहाड़ी तक, और वहाँ से घूमकर गोआ को पहुँचेगी।
وَيَخْرُجُ بَعْدُ خَيْطُ ٱلْقِيَاسِ مُقَابِلَهُ عَلَى أَكَمَةِ جَارِبَ، وَيَسْتَدِيرُ إِلَى جَوْعَةَ،٣٩
40 ४० शवों और राख की सब तराई और किद्रोन नाले तक जितने खेत हैं, घोड़ों के पूर्वी फाटक के कोने तक जितनी भूमि है, वह सब यहोवा के लिये पवित्र ठहरेगी। सदा तक वह नगर फिर कभी न तो गिराया जाएगा और न ढाया जाएगा।”
وَيَكُونُ كُلُّ وَادِي ٱلْجُثَثِ وَٱلرَّمَادِ، وَكُلُّ ٱلْحُقُولِ إِلَى وَادِي قَدْرُونَ إِلَى زَاوِيَةِ بَابِ ٱلْخَيْلِ شَرْقًا، قُدْسًا لِلرَّبِّ. لَا تُقْلَعُ وَلَا تُهْدَمُ إِلَى ٱلْأَبَدِ».٤٠

< यिर्मयाह 31 >