< यिर्मयाह 3 >

1 “वे कहते हैं, ‘यदि कोई अपनी पत्नी को त्याग दे, और वह उसके पास से जाकर दूसरे पुरुष की हो जाए, तो वह पहला क्या उसके पास फिर जाएगा?’ क्या वह देश अति अशुद्ध न हो जाएगा? यहोवा की यह वाणी है कि तूने बहुत से प्रेमियों के साथ व्यभिचार किया है, क्या तू अब मेरी ओर फिरेगी?
vulgo dicitur si dimiserit vir uxorem suam et recedens ab eo duxerit virum alterum numquid revertetur ad eam ultra numquid non polluta et contaminata erit mulier illa tu autem fornicata es cum amatoribus multis tamen revertere ad me dicit Dominus
2 मुँण्ड़े टीलों की ओर आँखें उठाकर देख! ऐसा कौन सा स्थान है जहाँ तूने कुकर्म न किया हो? मार्गों में तू ऐसी बैठी जैसे एक अरबी जंगल में। तूने देश को अपने व्यभिचार और दुष्टता से अशुद्ध कर दिया है।
leva oculos tuos in directum et vide ubi non prostrata sis in viis sedebas expectans eos quasi latro in solitudine et polluisti terram in fornicationibus tuis et in malitiis tuis
3 इसी कारण वर्षा रोक दी गई और पिछली बरसात नहीं होती; तो भी तेरा माथा वेश्या के समान है, तू लज्जित होना ही नहीं चाहती।
quam ob rem prohibitae sunt stillae pluviarum et serotinus imber non fuit frons mulieris meretricis facta est tibi noluisti erubescere
4 क्या तू अब मुझे पुकारकर कहेगी, ‘हे मेरे पिता, तू ही मेरी जवानी का साथी है?
ergo saltim amodo voca me pater meus dux virginitatis meae tu es
5 क्या वह सदा क्रोधित रहेगा? क्या वह उसको सदा बनाए रहेगा?’ तूने ऐसा कहा तो है, परन्तु तूने बुरे काम प्रबलता के साथ किए हैं।”
numquid irasceris in perpetuum aut perseverabis in finem ecce locuta es et fecisti mala et potuisti
6 फिर योशिय्याह राजा के दिनों में यहोवा ने मुझसे यह भी कहा, “क्या तूने देखा कि भटकनेवाली इस्राएल ने क्या किया है? उसने सब ऊँचे पहाड़ों पर और सब हरे पेड़ों के तले जा जाकर व्यभिचार किया है।
et dixit Dominus ad me in diebus Iosiae regis numquid vidisti quae fecerit aversatrix Israhel abiit sibimet super omnem montem excelsum et sub omne lignum frondosum et fornicata est ibi
7 तब मैंने सोचा, जब ये सब काम वह कर चुके तब मेरी ओर फिरेगी; परन्तु वह न फिरी, और उसकी विश्वासघाती बहन यहूदा ने यह देखा।
et dixi cum fecisset haec omnia ad me convertere et non est reversa et vidit praevaricatrix soror eius Iuda
8 फिर मैंने देखा, जब मैंने भटकनेवाली इस्राएल को उसके व्यभिचार करने के कारण त्याग कर उसे त्यागपत्र दे दिया; तो भी उसकी विश्वासघाती बहन यहूदा न डरी, वरन् जाकर वह भी व्यभिचारिणी बन गई।
quia pro eo quod moechata esset aversatrix Israhel dimisissem eam et dedissem ei libellum repudii et non timuit praevaricatrix Iuda soror eius sed abiit et fornicata est etiam ipsa
9 उसके निर्लज्ज-व्यभिचारिणी होने के कारण देश भी अशुद्ध हो गया, उसने पत्थर और काठ के साथ भी व्यभिचार किया।
et facilitate fornicationis suae contaminavit terram et moechata est cum lapide et cum ligno
10 १० इतने पर भी उसकी विश्वासघाती बहन यहूदा पूर्ण मन से मेरी ओर नहीं फिरी, परन्तु कपट से, यहोवा की यही वाणी है।”
et in omnibus his non est reversa ad me praevaricatrix soror eius Iuda in toto corde suo sed in mendacio ait Dominus
11 ११ यहोवा ने मुझसे कहा, “भटकनेवाली इस्राएल, विश्वासघातिन यहूदा से कम दोषी निकली है।
et dixit Dominus ad me iustificavit animam suam aversatrix Israhel conparatione praevaricatricis Iuda
12 १२ तू जाकर उत्तर दिशा में ये बातें प्रचार कर, ‘यहोवा की यह वाणी है, हे भटकनेवाली इस्राएल लौट आ, मैं तुझ पर क्रोध की दृष्टि न करूँगा; क्योंकि यहोवा की यह वाणी है, मैं करुणामय हूँ; मैं सर्वदा क्रोध न रखे रहूँगा।
vade et clama sermones istos contra aquilonem et dices revertere aversatrix Israhel ait Dominus et non avertam faciem meam a vobis quia sanctus ego sum dicit Dominus et non irascar in perpetuum
13 १३ केवल अपना यह अधर्म मान ले कि तू अपने परमेश्वर यहोवा से फिर गई और सब हरे पेड़ों के तले इधर-उधर दूसरों के पास गई, और मेरी बातों को नहीं माना, यहोवा की यह वाणी है।
tamen scito iniquitatem tuam quia in Dominum Deum tuum praevaricata es et dispersisti vias tuas alienis sub omni ligno frondoso et vocem meam non audisti ait Dominus
14 १४ “हे भटकनेवाले बच्चों, लौट आओ, क्योंकि मैं तुम्हारा स्वामी हूँ; यहोवा की यह वाणी है। तुम्हारे प्रत्येक नगर से एक, और प्रत्येक कुल से दो को लेकर मैं सिय्योन में पहुँचा दूँगा।
convertimini filii revertentes dicit Dominus quia ego vir vester et adsumam vos unum de civitate et duos de cognatione et introducam vos in Sion
15 १५ “मैं तुम्हें अपने मन के अनुकूल चरवाहे दूँगा, जो ज्ञान और बुद्धि से तुम्हें चराएँगे।
et dabo vobis pastores iuxta cor meum et pascent vos scientia et doctrina
16 १६ उन दिनों में जब तुम इस देश में बढ़ो, और फूलो-फलो, तब लोग फिर ऐसा न कहेंगे, यहोवा की वाचा का सन्दूक; यहोवा की यह भी वाणी है। उसका विचार भी उनके मन में न आएगा, न लोग उसके न रहने से चिन्ता करेंगे; और न उसकी मरम्मत होगी।
cumque multiplicati fueritis et creveritis in terra in diebus illis ait Dominus non dicent ultra arca testamenti Domini neque ascendet super cor neque recordabuntur illius nec visitabitur nec fiet ultra
17 १७ उस समय यरूशलेम यहोवा का सिंहासन कहलाएगा, और सब जातियाँ उसी यरूशलेम में मेरे नाम के निमित्त इकट्ठी हुआ करेंगी, और, वे फिर अपने बुरे मन के हठ पर न चलेंगी।
in tempore illo vocabunt Hierusalem solium Domini et congregabuntur ad eam omnes gentes in nomine Domini in Hierusalem et non ambulabunt post pravitatem cordis sui pessimi
18 १८ उन दिनों में यहूदा का घराना इस्राएल के घराने के साथ चलेगा और वे दोनों मिलकर उत्तर के देश से इस देश में आएँगे जिसे मैंने उनके पूर्वजों को निज भाग करके दिया था।
in diebus illis ibit domus Iuda ad domum Israhel et venient simul de terra aquilonis ad terram quam dedi patribus vestris
19 १९ “मैंने सोचा था, मैं कैसे तुझे लड़कों में गिनकर वह मनभावना देश दूँ जो सब जातियों के देशों का शिरोमणि है। मैंने सोचा कि तू मुझे पिता कहेगी, और मुझसे फिर न भटकेगी।
ego autem dixi quomodo ponam te in filiis et tribuam tibi terram desiderabilem hereditatem praeclaram exercituum gentium et dixi patrem vocabis me et post me ingredi non cessabis
20 २० इसमें तो सन्देह नहीं कि जैसे विश्वासघाती स्त्री अपने प्रिय से मन फेर लेती है, वैसे ही हे इस्राएल के घराने, तू मुझसे फिर गया है, यहोवा की यही वाणी है।”
sed quomodo si contemnat mulier amatorem suum sic contempsit me domus Israhel dicit Dominus
21 २१ मुँण्ड़े टीलों पर से इस्राएलियों के रोने और गिड़गिड़ाने का शब्द सुनाई दे रहा है, क्योंकि वे टेढ़ी चाल चलते रहे हैं और अपने परमेश्वर यहोवा को भूल गए हैं।
vox in viis audita est ploratus et ululatus filiorum Israhel quoniam iniquam fecerunt viam suam obliti sunt Domini Dei sui
22 २२ “हे भटकनेवाले बच्चों, लौट आओ, मैं तुम्हारा भटकना सुधार दूँगा। देख, हम तेरे पास आए हैं; क्योंकि तू ही हमारा परमेश्वर यहोवा है।
convertimini filii revertentes et sanabo aversiones vestras ecce nos venimus ad te tu enim es Dominus Deus noster
23 २३ निश्चय पहाड़ों और पहाड़ियों पर का कोलाहल व्यर्थ ही है। इस्राएल का उद्धार निश्चय हमारे परमेश्वर यहोवा ही के द्वारा है।
vere mendaces erant colles multitudo montium vere in Domino Deo nostro salus Israhel
24 २४ परन्तु हमारी जवानी ही से उस बदनामी की वस्तु ने हमारे पुरखाओं की कमाई अर्थात् उनकी भेड़-बकरी और गाय-बैल और उनके बेटे-बेटियों को निगल लिया है।
confusio comedit laborem patrum nostrorum ab adulescentia nostra greges eorum et armenta eorum filios eorum et filias eorum
25 २५ हम लज्जित होकर लेट जाएँ, और हमारा संकोच हमारी ओढ़नी बन जाए; क्योंकि हमारे पुरखा और हम भी युवा अवस्था से लेकर आज के दिन तक अपने परमेश्वर यहोवा के विरुद्ध पाप करते आए हैं; और हमने अपने परमेश्वर यहोवा की बातों को नहीं माना है।”
dormiemus in confusione nostra et operiet nos ignominia nostra quoniam Domino Deo nostro peccavimus nos et patres nostri ab adulescentia nostra usque ad hanc diem et non audivimus vocem Domini Dei nostri

< यिर्मयाह 3 >