< यिर्मयाह 27 >

1 योशिय्याह के पुत्र, यहूदा के राजा सिदकिय्याह के राज्य के आरम्भ में यहोवा की ओर से यह वचन यिर्मयाह के पास पहुँचा।
In principio regni Joakim filii Josiæ regis Juda, factum est verbum istud ad Jeremiam a Domino, dicens:
2 यहोवा ने मुझसे यह कहा, “बन्धन और जूए बनवाकर अपनी गर्दन पर रख।
Hæc dicit Dominus ad me: Fac tibi vincula et catenas, et pones eas in collo tuo,
3 तब उन्हें एदोम और मोआब और अम्मोन और सोर और सीदोन के राजाओं के पास, उन दूतों के हाथ भेजना जो यहूदा के राजा सिदकिय्याह के पास यरूशलेम में आए हैं।
et mittes eas ad regem Edom, et ad regem Moab, et ad regem filiorum Ammon, et ad regem Tyri, et ad regem Sidonis, in manu nuntiorum qui venerunt Jerusalem ad Sedeciam regem Juda.
4 उनको उनके स्वामियों के लिये यह कहकर आज्ञा देना: ‘इस्राएल का परमेश्वर सेनाओं का यहोवा यह कहता है: अपने-अपने स्वामी से यह कहो कि
Et præcipies eis ut ad dominos suos loquantur: Hæc dicit Dominus exercituum, Deus Israël: Hæc dicetis ad dominos vestros:
5 पृथ्वी को और पृथ्वी पर के मनुष्यों और पशुओं को अपनी बड़ी शक्ति और बढ़ाई हुई भुजा के द्वारा मैंने बनाया, और जिस किसी को मैं चाहता हूँ उसी को मैं उन्हें दिया करता हूँ।
Ego feci terram, et homines, et jumenta quæ sunt super faciem terræ, in fortitudine mea magna, et in brachio meo extento, et dedi eam ei qui placuit in oculis meis.
6 अब मैंने ये सब देश, अपने दास बाबेल के राजा नबूकदनेस्सर को आप ही दे दिए हैं; और मैदान के जीवजन्तुओं को भी मैंने उसे दिया है कि वे उसके अधीन रहें।
Et nunc itaque ego dedi omnes terras istas in manu Nabuchodonosor regis Babylonis servi mei: insuper et bestias agri dedi ei, ut serviant illi:
7 ये सब जातियाँ उसके और उसके बाद उसके बेटे और पोते के अधीन उस समय तक रहेंगी जब तक उसके भी देश का दिन न आए; तब बहुत सी जातियाँ और बड़े-बड़े राजा उससे भी अपनी सेवा करवाएँगे।
et servient ei omnes gentes, et filio ejus, et filio filii ejus, donec veniat tempus terræ ejus et ipsius: et servient ei gentes multæ et reges magni.
8 “‘पर जो जाति या राज्य बाबेल के राजा नबूकदनेस्सर के अधीन न हो और उसका जूआ अपनी गर्दन पर न ले ले, उस जाति को मैं तलवार, अकाल और मरी का दण्ड उस समय तक देता रहूँगा जब तक उसको उसके हाथ के द्वारा मिटा न दूँ, यहोवा की यही वाणी है।
Gens autem et regnum quod non servierit Nabuchodonosor regi Babylonis, et quicumque non curvaverit collum suum sub jugo regis Babylonis, in gladio, et in fame, et in peste visitabo super gentem illam, ait Dominus, donec consumam eos in manu ejus.
9 इसलिए तुम लोग अपने भविष्यद्वक्ताओं और भावी कहनेवालों और टोनहों और तांत्रिकों की ओर चित्त मत लगाओ जो तुम से कहते हैं कि तुम को बाबेल के राजा के अधीन नहीं होना पड़ेगा।
Vos ergo nolite audire prophetas vestros, et divinos, et somniatores, et augures, et maleficos, qui dicunt vobis: Non servietis regi Babylonis:
10 १० क्योंकि वे तुम से झूठी भविष्यद्वाणी करते हैं, जिससे तुम अपने-अपने देश से दूर हो जाओ और मैं आप तुम को दूर करके नष्ट कर दूँ।
quia mendacium prophetant vobis, ut longe vos faciant de terra vestra, et ejiciant vos, et pereatis.
11 ११ परन्तु जो जाति बाबेल के राजा का जूआ अपनी गर्दन पर लेकर उसके अधीन रहेगी उसको मैं उसी के देश में रहने दूँगा; और वह उसमें खेती करती हुई बसी रहेगी, यहोवा की यही वाणी है।’”
Porro gens quæ subjecerit cervicem suam sub jugo regis Babylonis, et servierit ei, dimittam eam in terra sua, dicit Dominus, et colet eam, et habitabit in ea.
12 १२ यहूदा के राजा सिदकिय्याह से भी मैंने ये बातें कहीं: “अपनी प्रजा समेत तू बाबेल के राजा का जूआ अपनी गर्दन पर ले, और उसके और उसकी प्रजा के अधीन रहकर जीवित रह।
Et ad Sedeciam regem Juda locutus sum secundum omnia verba hæc, dicens: Subjicite colla vestra sub jugo regis Babylonis, et servite ei et populo ejus, et vivetis.
13 १३ जब यहोवा ने उस जाति के विषय जो बाबेल के राजा के अधीन न हो, यह कहा है कि वह तलवार, अकाल और मरी से नाश होगी; तो फिर तू क्यों अपनी प्रजा समेत मरना चाहता है?
Quare moriemini, tu et populus tuus, gladio, et fame, et peste, sicut locutus est Dominus ad gentem quæ servire noluerit regi Babylonis?
14 १४ जो भविष्यद्वक्ता तुझ से कहते हैं, ‘तुझको बाबेल के राजा के अधीन न होना पड़ेगा,’ उनकी मत सुन; क्योंकि वे तुझ से झूठी भविष्यद्वाणी करते हैं।
Nolite audire verba prophetarum dicentium vobis: Non servietis regi Babylonis: quia mendacium ipsi loquuntur vobis:
15 १५ यहोवा की यह वाणी है कि मैंने उन्हें नहीं भेजा, वे मेरे नाम से झूठी भविष्यद्वाणी करते हैं; और इसका फल यही होगा कि मैं तुझको देश से निकाल दूँगा, और तू उन नबियों समेत जो तुझ से भविष्यद्वाणी करते हैं नष्ट हो जाएगा।”
quia non misi eos, ait Dominus, et ipsi prophetant in nomine meo mendaciter, ut ejiciant vos, et pereatis, tam vos quam prophetæ qui vaticinantur vobis.
16 १६ तब याजकों और साधारण लोगों से भी मैंने कहा, “यहोवा यह कहता है, तुम्हारे जो भविष्यद्वक्ता तुम से यह भविष्यद्वाणी करते हैं कि ‘यहोवा के भवन के पात्र अब शीघ्र ही बाबेल से लौटा दिए जाएँगे,’ उनके वचनों की ओर कान मत धरो, क्योंकि वे तुम से झूठी भविष्यद्वाणी करते हैं।
Et ad sacerdotes, et ad populum istum, locutus sum, dicens: Hæc dicit Dominus: Nolite audire verba prophetarum vestrorum, qui prophetant vobis, dicentes: Ecce vasa Domini revertentur de Babylone nunc cito: mendacium enim prophetant vobis.
17 १७ उनकी मत सुनो, बाबेल के राजा के अधीन होकर और उसकी सेवा करके जीवित रहो।
Nolite ergo audire eos: sed servite regi Babylonis, ut vivatis: quare datur hæc civitas in solitudinem?
18 १८ यह नगर क्यों उजाड़ हो जाए? यदि वे भविष्यद्वक्ता भी हों, और यदि यहोवा का वचन उनके पास हो, तो वे सेनाओं के यहोवा से विनती करें कि जो पात्र यहोवा के भवन में और यहूदा के राजा के भवन में और यरूशलेम में रह गए हैं, वे बाबेल न जाने पाएँ।
Et si prophetæ sunt, et est verbum Domini in eis, occurrant Domino exercituum, ut non veniant vasa quæ derelicta fuerant in domo Domini, et in domo regis Juda, et in Jerusalem, in Babylonem.
19 १९ क्योंकि सेनाओं का यहोवा यह कहता है कि जो खम्भे और पीतल की नाँद, गंगाल और कुर्सियाँ और अन्य पात्र इस नगर में रह गए हैं,
Quia hæc dicit Dominus exercituum ad columnas, et ad mare, et ad bases, et ad reliqua vasorum quæ remanserunt in civitate hac,
20 २० जिन्हें बाबेल का राजा नबूकदनेस्सर उस समय न ले गया जब वह यहोयाकीम के पुत्र यहूदा के राजा यकोन्याह को और यहूदा और यरूशलेम के सब कुलीनों को बन्दी बनाकर यरूशलेम से बाबेल को ले गया था,
quæ non tulit Nabuchodonosor rex Babylonis cum transferret Jechoniam filium Joakim regem Juda de Jerusalem in Babylonem, et omnes optimates Juda et Jerusalem:
21 २१ जो पात्र यहोवा के भवन में और यहूदा के राजा के भवन में और यरूशलेम में रह गए हैं, उनके विषय में इस्राएल का परमेश्वर सेनाओं का यहोवा यह कहता है कि वे भी बाबेल में पहुँचाए जाएँगे;
quia hæc dicit Dominus exercituum, Deus Israël, ad vasa quæ derelicta sunt in domo Domini, et in domo regis Juda et Jerusalem:
22 २२ और जब तक मैं उनकी सुधि न लूँ तब तक वहीं रहेंगे, और तब मैं उन्हें लाकर इस स्थान में फिर रख दूँगा, यहोवा की यही वाणी है।”
In Babylonem transferentur, et ibi erunt usque ad diem visitationis suæ, dicit Dominus, et afferri faciam ea, et restitui in loco isto.

< यिर्मयाह 27 >