< यिर्मयाह 26 >
1 १ योशिय्याह के पुत्र यहूदा के राजा यहोयाकीम के राज्य के आरम्भ में, यहोवा की ओर से यह वचन पहुँचा,
In the beginning of the reign of king Sedekias, there came this word concerning Aelam.
2 २ “यहोवा यह कहता है: यहोवा के भवन के आँगन में खड़ा होकर, यहूदा के सब नगरों के लोगों के सामने जो यहोवा के भवन में दण्डवत् करने को आएँ, ये वचन जिनके विषय उनसे कहने की आज्ञा मैं तुझे देता हूँ कह दे; उनमें से कोई वचन मत रख छोड़।
FOR EGYPT, AGAINST THE POWER OF PHARAO NECHAO KING OF EGYPT, who was by the river Euphrates in Charmis, whom Nabuchodonosor king of Babylon struck in the fourth year of Joakim king of Juda.
3 ३ सम्भव है कि वे सुनकर अपनी-अपनी बुरी चाल से फिरें और मैं उनकी हानि करने से पछताऊँ जो उनके बुरे कामों के कारण मैंने ठाना था।
Take up arms and spears, and draw near to battle;
4 ४ इसलिए तू उनसे कह, ‘यहोवा यह कहता है: यदि तुम मेरी सुनकर मेरी व्यवस्था के अनुसार जो मैंने तुम को सुनवा दी है न चलो,
and harness the horses: mount, you horsemen, and stand ready in your helmets; advance the spears, and put on your breastplates.
5 ५ और न मेरे दास भविष्यद्वक्ताओं के वचनों पर कान लगाओ, (जिन्हें मैं तुम्हारे पास बड़ा यत्न करके भेजता आया हूँ, परन्तु तुम ने उनकी नहीं सुनी),
Why do they fear, and turn back? even because their mighty men shall be slain: they have utterly fled, and being hemmed in they have not rallied, says the Lord.
6 ६ तो मैं इस भवन को शीलो के समान उजाड़ दूँगा, और इस नगर का ऐसा सत्यानाश कर दूँगा कि पृथ्वी की सारी जातियों के लोग उसकी उपमा दे देकर श्राप दिया करेंगे।’”
Let not the swift flee, and let not the mighty man escape to the north: the [forces] at Euphrates are become feeble, and they have fallen.
7 ७ जब यिर्मयाह ये वचन यहोवा के भवन में कह रहा था, तब याजक और भविष्यद्वक्ता और सब साधारण लोग सुन रहे थे।
Who is this [that] shall come up as a river, and as rivers roll [their] waves?
8 ८ जब यिर्मयाह सब कुछ जिसे सारी प्रजा से कहने की आज्ञा यहोवा ने दी थी कह चुका, तब याजकों और भविष्यद्वक्ताओं और सब साधारण लोगों ने यह कहकर उसको पकड़ लिया, “निश्चय तुझे प्राणदण्ड मिलेगा!
The waters of Egypt shall come up like a river: and he said, I will go up, and will cover the earth, and will destroy the dwellers in it.
9 ९ तूने क्यों यहोवा के नाम से यह भविष्यद्वाणी की ‘यह भवन शीलो के समान उजाड़ हो जाएगा, और यह नगर ऐसा उजड़ेगा कि उसमें कोई न रह जाएगा’?” इतना कहकर सब साधारण लोगों ने यहोवा के भवन में यिर्मयाह के विरुद्ध भीड़ लगाई।
Mount you the horses, prepare the chariots; go forth, you warriors of the Ethiopians, and Libyans armed with shields; and mount, you Lydians, bend the bow.
10 १० यहूदा के हाकिम ये बातें सुनकर, राजा के भवन से यहोवा के भवन में चढ़ आए और उसके नये फाटक में बैठ गए।
And that day [shall be] to the Lord our God a day of vengeance, to take vengeance on his enemies: and the sword of the Lord shall devour, and be glutted, and be drunken with their blood: for the Lord [has] a sacrifice from the land of the north at the river Euphrates.
11 ११ तब याजकों और भविष्यद्वक्ताओं ने हाकिमों और सब लोगों से कहा, “यह मनुष्य प्राणदण्ड के योग्य है, क्योंकि इसने इस नगर के विरुद्ध ऐसी भविष्यद्वाणी की है जिसे तुम भी अपने कानों से सुन चुके हो।”
Go up to Galaad, and take balm for the virgin daughter of Egypt: in vain have you multiplied your medicines; there is no help in you.
12 १२ तब यिर्मयाह ने सब हाकिमों और सब लोगों से कहा, “जो वचन तुम ने सुने हैं, उसे यहोवा ही ने मुझे इस भवन और इस नगर के विरुद्ध भविष्यद्वाणी की रीति पर कहने के लिये भेज दिया है।
The nations have heard your voice, and the land has been filled with your cry: for the warriors have fainted fighting one against another, [and] both are fallen together.
13 १३ इसलिए अब अपना चाल चलन और अपने काम सुधारो, और अपने परमेश्वर यहोवा की बात मानो; तब यहोवा उस विपत्ति के विषय में जिसकी चर्चा उसने तुम से की है, पछताएगा।
THE WORDS WHICH THE LORD SPOKE by Jeremias, concerning the coming of the king of Babylon to strike the land of Egypt.
14 १४ देखो, मैं तुम्हारे वश में हूँ; जो कुछ तुम्हारी दृष्टि में भला और ठीक हो वही मेरे साथ करो।
Proclaim [it] at Magdol, and declare [it] at Memphis: say you, Stand up, and prepare; for the sword has devoured your yew tree.
15 १५ पर यह निश्चय जानो, कि यदि तुम मुझे मार डालोगे, तो अपने को और इस नगर को और इसके निवासियों को निर्दोष के हत्यारे बनाओगे; क्योंकि सचमुच यहोवा ने मुझे तुम्हारे पास यह सब वचन सुनाने के लिये भेजा है।”
Therefore has Apis fled from you? your choice calf has not remained; for the Lord has utterly weakened him.
16 १६ तब हाकिमों और सब लोगों ने याजकों और नबियों से कहा, “यह मनुष्य प्राणदण्ड के योग्य नहीं है क्योंकि उसने हमारे परमेश्वर यहोवा के नाम से हम से कहा है।”
And your multitude has fainted and fallen; and each one said to his neighbor, Let us arise, and return into our country to our people, from the Grecian sword.
17 १७ तब देश के पुरनियों में से कितनों ने उठकर प्रजा की सारी मण्डली से कहा,
Call you the name of Pharao Nechao king of Egypt, Saon esbeie moed.
18 १८ “यहूदा के राजा हिजकिय्याह के दिनों में मोरेशेतवासी मीका भविष्यद्वाणी कहता था, उसने यहूदा के सारे लोगों से कहा: ‘सेनाओं का यहोवा यह कहता है कि सिय्योन जोतकर खेत बनाया जाएगा और यरूशलेम खण्डहर हो जाएगा, और भवनवाला पर्वत जंगली स्थान हो जाएगा।’
[As] I live, says the Lord God, he shall come as Itabyrion among the mountains, and as Carmel that is on the sea.
19 १९ क्या यहूदा के राजा हिजकिय्याह ने या किसी यहूदी ने उसको कहीं मरवा डाला? क्या उस राजा ने यहोवा का भय न माना ओर उससे विनती न की? तब यहोवा ने जो विपत्ति उन पर डालने के लिये कहा था, उसके विषय क्या वह न पछताया? ऐसा करके हम अपने प्राणों की बड़ी हानि करेंगे।”
O daughter of Egypt dwelling [at home], prepare you stuff for removing: for Memphis shall be utterly desolate, and shall be called Woe, because there are no inhabitants in it.
20 २० फिर शमायाह का पुत्र ऊरिय्याह नामक किर्यत्यारीम का एक पुरुष जो यहोवा के नाम से भविष्यद्वाणी कहता था उसने भी इस नगर और इस देश के विरुद्ध ठीक ऐसी ही भविष्यद्वाणी की जैसी यिर्मयाह ने अभी की है।
Egypt is a fair heifer, [but] destruction from the north is come upon her.
21 २१ जब यहोयाकीम राजा और उसके सब वीरों और सब हाकिमों ने उसके वचन सुने, तब राजा ने उसे मरवा डालने का यत्न किया; और ऊरिय्याह यह सुनकर डर के मारे मिस्र को भाग गया।
Also her hired [soldiers] in the midst of her are as fatted calves fed in her; for they also have turned, and fled with one accord: they stood not, for the day of destruction was come upon them, and the time of their retribution.
22 २२ तब यहोयाकीम राजा ने मिस्र को लोग भेजे अर्थात् अकबोर के पुत्र एलनातान को कितने और पुरुषों के साथ मिस्र को भेजा।
Their voice is as [that] of a hissing serpent, for they go upon the sand; they shall come upon Egypt with axes, as men that cut wood.
23 २३ वे ऊरिय्याह को मिस्र से निकालकर यहोयाकीम राजा के पास ले आए; और उसने उसे तलवार से मरवाकर उसकी लोथ को साधारण लोगों की कब्रों में फिंकवा दिया।
They shall cut down her forest, says the Lord, for [their number] can’t at all be conjectured, for it exceeds the locust in multitude, and they are innumerable.
24 २४ परन्तु शापान का पुत्र अहीकाम यिर्मयाह की सहायता करने लगा और वह लोगों के वश में वध होने के लिये नहीं दिया गया।
The daughter of Egypt is confounded; she is delivered into the hands of a people from the north.
Behold, I [will] avenge Ammon her son upon Pharao, and upon them that trust in him.
But fear not you, my servant Jacob, neither be you alarmed, Israel: for, behold, I will save you from afar, and your seed from their captivity; and Jacob shall return, and be at ease, and sleep, and there shall be no one to trouble him.
Fear not you, my servant Jacob, says the Lord; for I am with you: she [that was] without fear and in luxury, has been delivered up: for I will make a full end of every nation among whom I have thrust you forth; but I will not cause you to fail: yet will I chastise you in the way of judgment, and will not hold you entirely guiltless.