< यिर्मयाह 17 >

1 “यहूदा का पाप लोहे की टाँकी और हीरे की नोक से लिखा हुआ है; वह उनके हृदयरूपी पटिया और उनकी वेदियों के सींगों पर भी खुदा हुआ है।
חַטַּ֣את יְהוּדָ֗ה כְּתוּבָ֛ה בְּעֵ֥ט בַּרְזֶ֖ל בְּצִפֹּ֣רֶן שָׁמִ֑יר חֲרוּשָׁה֙ עַל־ל֣וּחַ לִבָּ֔ם וּלְקַרְנֹ֖ות מִזְבְּחֹותֵיכֶֽם׃
2 उनकी वेदियाँ और अशेरा नामक देवियाँ जो हरे पेड़ों के पास और ऊँचे टीलों के ऊपर हैं, वे उनके लड़कों को भी स्मरण रहती हैं।
כִּזְכֹּ֤ר בְּנֵיהֶם֙ מִזְבְּחֹותָ֔ם וַאֲשֵׁרֵיהֶ֖ם עַל־עֵ֣ץ רַֽעֲנָ֑ן עַ֖ל גְּבָעֹ֥ות הַגְּבֹהֹֽות׃
3 हे मेरे पर्वत, तू जो मैदान में है, तेरी धन-सम्पत्ति और भण्डार मैं तेरे पाप के कारण लुट जाने दूँगा, और तेरे पूजा के ऊँचे स्थान भी जो तेरे देश में पाए जाते हैं।
הֲרָרִי֙ בַּשָּׂדֶ֔ה חֵילְךָ֥ כָל־אֹוצְרֹותֶ֖יךָ לָבַ֣ז אֶתֵּ֑ן בָּמֹתֶ֕יךָ בְּחַטָּ֖את בְּכָל־גְּבוּלֶֽיךָ׃
4 तू अपने ही दोष के कारण अपने उस भाग का अधिकारी न रहने पाएगा जो मैंने तुझे दिया है, और मैं ऐसा करूँगा कि तू अनजाने देश में अपने शत्रुओं की सेवा करेगा, क्योंकि तूने मेरे क्रोध की आग ऐसी भड़काई है जो सर्वदा जलती रहेगी।”
וְשָׁמַטְתָּ֗ה וּבְךָ֙ מִנַּחֲלָֽתְךָ֙ אֲשֶׁ֣ר נָתַ֣תִּי לָ֔ךְ וְהַעֲבַדְתִּ֙יךָ֙ אֶת־אֹ֣יְבֶ֔יךָ בָּאָ֖רֶץ אֲשֶׁ֣ר לֹֽא־יָדָ֑עְתָּ כִּֽי־אֵ֛שׁ קְדַחְתֶּ֥ם בְּאַפִּ֖י עַד־עֹולָ֥ם תּוּקָֽד׃ ס
5 यहोवा यह कहता है, “श्रापित है वह पुरुष जो मनुष्य पर भरोसा रखता है, और उसका सहारा लेता है, जिसका मन यहोवा से भटक जाता है।
כֹּ֣ה ׀ אָמַ֣ר יְהוָ֗ה אָר֤וּר הַגֶּ֙בֶר֙ אֲשֶׁ֣ר יִבְטַ֣ח בָּֽאָדָ֔ם וְשָׂ֥ם בָּשָׂ֖ר זְרֹעֹ֑ו וּמִן־יְהוָ֖ה יָס֥וּר לִבֹּֽו׃
6 वह निर्जल देश के अधमरे पेड़ के समान होगा और कभी भलाई न देखेगा। वह निर्जल और निर्जन तथा लोनछाई भूमि पर बसेगा।
וְהָיָה֙ כְּעַרְעָ֣ר בָּֽעֲרָבָ֔ה וְלֹ֥א יִרְאֶ֖ה כִּי־יָבֹ֣וא טֹ֑וב וְשָׁכַ֤ן חֲרֵרִים֙ בַּמִּדְבָּ֔ר אֶ֥רֶץ מְלֵחָ֖ה וְלֹ֥א תֵשֵֽׁב׃ ס
7 “धन्य है वह पुरुष जो यहोवा पर भरोसा रखता है, जिसने परमेश्वर को अपना आधार माना हो।
בָּר֣וּךְ הַגֶּ֔בֶר אֲשֶׁ֥ר יִבְטַ֖ח בַּֽיהוָ֑ה וְהָיָ֥ה יְהוָ֖ה מִבְטַחֹֽו׃
8 वह उस वृक्ष के समान होगा जो नदी के किनारे पर लगा हो और उसकी जड़ जल के पास फैली हो; जब धूप होगी तब उसको न लगेगी, उसके पत्ते हरे रहेंगे, और सूखे वर्ष में भी उनके विषय में कुछ चिन्ता न होगी, क्योंकि वह तब भी फलता रहेगा।”
וְהָיָ֞ה כְּעֵ֣ץ ׀ שָׁת֣וּל עַל־מַ֗יִם וְעַל־יוּבַל֙ יְשַׁלַּ֣ח שָֽׁרָשָׁ֔יו וְלֹ֤א יִרָא (יִרְאֶה֙) כִּֽי־יָבֹ֣א חֹ֔ם וְהָיָ֥ה עָלֵ֖הוּ רַֽעֲנָ֑ן וּבִשְׁנַ֤ת בַּצֹּ֙רֶת֙ לֹ֣א יִדְאָ֔ג וְלֹ֥א יָמִ֖ישׁ מֵעֲשֹׂ֥ות פֶּֽרִי׃
9 मन तो सब वस्तुओं से अधिक धोखा देनेवाला होता है, उसमें असाध्य रोग लगा है; उसका भेद कौन समझ सकता है?
עָקֹ֥ב הַלֵּ֛ב מִכֹּ֖ל וְאָנֻ֣שׁ ה֑וּא מִ֖י יֵדָעֶֽנּוּ׃
10 १० “मैं यहोवा मन को खोजता और हृदय को जाँचता हूँ ताकि प्रत्येक जन को उसकी चाल-चलन के अनुसार अर्थात् उसके कामों का फल दूँ।”
אֲנִ֧י יְהוָ֛ה חֹקֵ֥ר לֵ֖ב בֹּחֵ֣ן כְּלָיֹ֑ות וְלָתֵ֤ת לְאִישׁ֙ כְּדַרְכֹּו (כִּדְרָכָ֔יו) כִּפְרִ֖י מַעֲלָלָֽיו׃ ס
11 ११ जो अन्याय से धन बटोरता है वह उस तीतर के समान होता है जो दूसरी चिड़िया के दिए हुए अण्डों को सेती है, उसकी आधी आयु में ही वह उस धन को छोड़ जाता है, और अन्त में वह मूर्ख ही ठहरता है।
קֹרֵ֤א דָגַר֙ וְלֹ֣א יָלָ֔ד עֹ֥שֶׂה עֹ֖שֶׁר וְלֹ֣א בְמִשְׁפָּ֑ט בַּחֲצִ֤י יֹמֹו (יָמָיו֙) יַעַזְבֶ֔נּוּ וּבְאַחֲרִיתֹ֖ו יִהְיֶ֥ה נָבָֽל׃
12 १२ हमारा पवित्र आराधनालय आदि से ऊँचे स्थान पर रखे हुए एक तेजोमय सिंहासन के समान है।
כִּסֵּ֣א כָבֹ֔וד מָרֹ֖ום מֵֽרִאשֹׁ֑ון מְקֹ֖ום מִקְדָּשֵֽׁנוּ׃
13 १३ हे यहोवा, हे इस्राएल के आधार, जितने तुझे छोड़ देते हैं वे सब लज्जित होंगे; जो तुझ से भटक जाते हैं उनके नाम भूमि ही पर लिखे जाएँगे, क्योंकि उन्होंने जीवन के जल के सोते यहोवा को त्याग दिया है।
מִקְוֵ֤ה יִשְׂרָאֵל֙ יְהוָ֔ה כָּל־עֹזְבֶ֖יךָ יֵבֹ֑שׁוּ יִסֹורַי (וְסוּרַי֙) בָּאָ֣רֶץ יִכָּתֵ֔בוּ כִּ֥י עָזְב֛וּ מְקֹ֥ור מַֽיִם־חַיִּ֖ים אֶת־יְהוָֽה׃ ס
14 १४ हे यहोवा मुझे चंगा कर, तब मैं चंगा हो जाऊँगा; मुझे बचा, तब मैं बच जाऊँगा; क्योंकि मैं तेरी ही स्तुति करता हूँ।
רְפָאֵ֤נִי יְהוָה֙ וְאֵ֣רָפֵ֔א הֹושִׁיעֵ֖נִי וְאִוָּשֵׁ֑עָה כִּ֥י תְהִלָּתִ֖י אָֽתָּה׃
15 १५ सुन, वे मुझसे कहते हैं, “यहोवा का वचन कहाँ रहा? वह अभी पूरा हो जाए!”
הִנֵּה־הֵ֕מָּה אֹמְרִ֖ים אֵלָ֑י אַיֵּ֥ה דְבַר־יְהוָ֖ה יָ֥בֹוא נָֽא׃
16 १६ परन्तु तू मेरा हाल जानता है, मैंने तेरे पीछे चलते हुए उतावली करके चरवाहे का काम नहीं छोड़ा; न मैंने उस आनेवाली विपत्ति के दिन की लालसा की है; जो कुछ मैं बोला वह तुझ पर प्रगट था।
וַאֲנִ֞י לֹא־אַ֣צְתִּי ׀ מֵרֹעֶ֣ה אַחֲרֶ֗יךָ וְיֹ֥ום אָנ֛וּשׁ לֹ֥א הִתְאַוֵּ֖יתִי אַתָּ֣ה יָדָ֑עְתָּ מֹוצָ֣א שְׂפָתַ֔י נֹ֥כַח פָּנֶ֖יךָ הָיָֽה׃
17 १७ मुझे न घबरा; संकट के दिन तू ही मेरा शरणस्थान है।
אַל־תִּֽהְיֵה־לִ֖י לִמְחִתָּ֑ה מֽ͏ַחֲסִי־אַ֖תָּה בְּיֹ֥ום רָעָֽה׃
18 १८ हे यहोवा, मेरी आशा टूटने न दे, मेरे सतानेवालों ही की आशा टूटे; उन्हीं को विस्मित कर; परन्तु मुझे निराशा से बचा; उन पर विपत्ति डाल और उनको चकनाचूर कर दे!
יֵבֹ֤שׁוּ רֹדְפַי֙ וְאַל־אֵבֹ֣שָׁה אָ֔נִי יֵחַ֣תּוּ הֵ֔מָּה וְאַל־אֵחַ֖תָּה אָ֑נִי הָבִ֤יא עֲלֵיהֶם֙ יֹ֣ום רָעָ֔ה וּמִשְׁנֶ֥ה שִׁבָּרֹ֖ון שָׁבְרֵֽם׃ ס
19 १९ यहोवा ने मुझसे यह कहा, “जाकर सदर फाटक में खड़ा हो जिससे यहूदा के राजा वरन् यरूशलेम के सब रहनेवाले भीतर-बाहर आया-जाया करते हैं;
כֹּה־אָמַ֨ר יְהוָ֜ה אֵלַ֗י הָלֹ֤ךְ וְעָֽמַדְתָּ֙ בְּשַׁ֣עַר בְּנֵֽי־עָם (הָעָ֔ם) אֲשֶׁ֨ר יָבֹ֤אוּ בֹו֙ מַלְכֵ֣י יְהוּדָ֔ה וַאֲשֶׁ֖ר יֵ֣צְאוּ בֹ֑ו וּבְכֹ֖ל שַׁעֲרֵ֥י יְרוּשָׁלָֽ͏ִם׃
20 २० और उनसे कह, ‘हे यहूदा के राजाओं और सब यहूदियों, हे यरूशलेम के सब निवासियों, और सब लोगों जो इन फाटकों में से होकर भीतर जाते हो, यहोवा का वचन सुनो।
וְאָמַרְתָּ֣ אֲ֠לֵיהֶם שִׁמְע֨וּ דְבַר־יְהוָ֜ה מַלְכֵ֤י יְהוּדָה֙ וְכָל־יְהוּדָ֔ה וְכֹ֖ל יֹשְׁבֵ֣י יְרוּשָׁלָ֑͏ִם הַבָּאִ֖ים בַּשְּׁעָרִ֥ים הָאֵֽלֶּה׃ ס
21 २१ यहोवा यह कहता है, सावधान रहो, विश्राम के दिन कोई बोझ मत उठाओ; और न कोई बोझ यरूशलेम के फाटकों के भीतर ले आओ।
כֹּ֚ה אָמַ֣ר יְהוָ֔ה הִשָּׁמְר֖וּ בְּנַפְשֹֽׁותֵיכֶ֑ם וְאַל־תִּשְׂא֤וּ מַשָּׂא֙ בְּיֹ֣ום הַשַּׁבָּ֔ת וַהֲבֵאתֶ֖ם בְּשַׁעֲרֵ֥י יְרוּשָׁלָֽ͏ִם׃
22 २२ विश्राम के दिन अपने-अपने घर से भी कोई बोझ बाहर मत ले जाओ और न किसी रीति का काम-काज करो, वरन् उस आज्ञा के अनुसार जो मैंने तुम्हारे पुरखाओं को दी थी, विश्राम के दिन को पवित्र माना करो।
וְלֹא־תֹוצִ֨יאוּ מַשָּׂ֤א מִבָּֽתֵּיכֶם֙ בְּיֹ֣ום הַשַּׁבָּ֔ת וְכָל־מְלָאכָ֖ה לֹ֣א תַֽעֲשׂ֑וּ וְקִדַּשְׁתֶּם֙ אֶת־יֹ֣ום הַשַּׁבָּ֔ת כַּאֲשֶׁ֥ר צִוִּ֖יתִי אֶת־אֲבֹותֵיכֶֽם׃
23 २३ परन्तु उन्होंने न सुना और न कान लगाया, परन्तु इसके विपरीत हठ किया कि न सुनें और ताड़ना से भी न मानें।
וְלֹ֣א שָֽׁמְע֔וּ וְלֹ֥א הִטּ֖וּ אֶת־אָזְנָ֑ם וַיַּקְשׁוּ֙ אֶת־עָרְפָּ֔ם לְבִלְתִּ֣י שֹׁומֵעַ (שְׁמֹ֔ועַ) וּלְבִלְתִּ֖י קַ֥חַת מוּסָֽר׃
24 २४ “‘परन्तु यदि तुम सचमुच मेरी सुनो, यहोवा की यह वाणी है, और विश्राम के दिन इस नगर के फाटकों के भीतर कोई बोझ न ले आओ और विश्रामदिन को पवित्र मानो, और उसमें किसी रीति का काम-काज न करो,
וְ֠הָיָה אִם־שָׁמֹ֨עַ תִּשְׁמְע֤וּן אֵלַי֙ נְאֻם־יְהוָ֔ה לְבִלְתִּ֣י ׀ הָבִ֣יא מַשָּׂ֗א בְּשַׁעֲרֵ֛י הָעִ֥יר הַזֹּ֖את בְּיֹ֣ום הַשַּׁבָּ֑ת וּלְקַדֵּשׁ֙ אֶת־יֹ֣ום הַשַּׁבָּ֔ת לְבִלְתִּ֥י עֲשֹֽׂות־בֹּה (בֹּ֖ו) כָּל־מְלָאכָֽה׃
25 २५ तब तो दाऊद की गद्दी पर विराजमान राजा, रथों और घोड़ों पर चढ़े हुए हाकिम और यहूदा के लोग और यरूशलेम के निवासी इस नगर के फाटकों से होकर प्रवेश किया करेंगे और यह नगर सर्वदा बसा रहेगा।
וּבָ֣אוּ בְשַׁעֲרֵ֣י הָעִ֣יר הַזֹּ֡את מְלָכִ֣ים ׀ וְשָׂרִ֡ים יֹשְׁבִים֩ עַל־כִּסֵּ֨א דָוִ֜ד רֹכְבִ֣ים ׀ בָּרֶ֣כֶב וּבַסּוּסִ֗ים הֵ֚מָּה וְשָׂ֣רֵיהֶ֔ם אִ֥ישׁ יְהוּדָ֖ה וְיֹשְׁבֵ֣י יְרוּשָׁלָ֑͏ִם וְיָשְׁבָ֥ה הָֽעִיר־הַזֹּ֖את לְעֹולָֽם׃
26 २६ लोग होमबलि, मेलबलि अन्नबलि, लोबान और धन्यवाद-बलि लिए हुए यहूदा के नगरों से और यरूशलेम के आस-पास से, बिन्यामीन के क्षेत्र और नीचे के देश से, पहाड़ी देश और दक्षिण देश से, यहोवा के भवन में आया करेंगे।
וּבָ֣אוּ מֵעָרֵֽי־יְ֠הוּדָה וּמִסְּבִיבֹ֨ות יְרוּשָׁלַ֜͏ִם וּמֵאֶ֣רֶץ בִּנְיָמִ֗ן וּמִן־הַשְּׁפֵלָ֤ה וּמִן־הָהָר֙ וּמִן־הַנֶּ֔גֶב מְבִאִ֛ים עֹולָ֥ה וְזֶ֖בַח וּמִנְחָ֣ה וּלְבֹונָ֑ה וּמְבִאֵ֥י תֹודָ֖ה בֵּ֥ית יְהוָֽה׃
27 २७ परन्तु यदि तुम मेरी सुनकर विश्राम के दिन को पवित्र न मानो, और उस दिन यरूशलेम के फाटकों से बोझ लिए हुए प्रवेश करते रहो, तो मैं यरूशलेम के फाटकों में आग लगाऊँगा; और उससे यरूशलेम के महल भी भस्म हो जाएँगे और वह आग फिर न बुझेगी।’”
וְאִם־לֹ֨א תִשְׁמְע֜וּ אֵלַ֗י לְקַדֵּשׁ֙ אֶת־יֹ֣ום הַשַּׁבָּ֔ת וּלְבִלְתִּ֣י ׀ שְׂאֵ֣ת מַשָּׂ֗א וּבֹ֛א בְּשַׁעֲרֵ֥י יְרוּשָׁלַ֖͏ִם בְּיֹ֣ום הַשַּׁבָּ֑ת וְהִצַּ֧תִּי אֵ֣שׁ בִּשְׁעָרֶ֗יהָ וְאָֽכְלָ֛ה אַרְמְנֹ֥ות יְרוּשָׁלַ֖͏ִם וְלֹ֥א תִכְבֶּֽה׃ פ

< यिर्मयाह 17 >