< यिर्मयाह 1 >
1 १ हिल्किय्याह का पुत्र यिर्मयाह जो बिन्यामीन क्षेत्र के अनातोत में रहनेवाले याजकों में से था, उसी के ये वचन हैं।
Les paroles de Jérémie, fils de Hilkija, d'entre les Sacrificateurs qui étaient à Hanathoth, au pays de Benjamin;
2 २ यहोवा का वचन उसके पास आमोन के पुत्र यहूदा के राजा योशिय्याह के राज्य के दिनों में उसके राज्य के तेरहवें वर्ष में पहुँचा।
Auquel fut [adressée] la parole de l'Eternel, aux jours de Josias fils d'Amon Roi de Juda, la treizième année de son règne;
3 ३ इसके बाद योशिय्याह के पुत्र यहूदा के राजा यहोयाकीम के राज्य के दिनों में, और योशिय्याह के पुत्र यहूदा के राजा सिदकिय्याह के राज्य के ग्यारहवें वर्ष के अन्त तक भी प्रगट होता रहा जबकि उसी वर्ष के पाँचवें महीने में यरूशलेम के निवासी बँधुआई में न चले गए।
Laquelle lui fut aussi [adressée] aux jours de Jéhojakim, fils de Josias, Roi de Juda, jusqu’à la fin de la onzième année de Sédécias, fils de Josias, Roi de Juda, [savoir] jusqu’au temps que Jérusalem fut transportée, ce qui arriva au cinquième mois.
4 ४ तब यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुँचा,
La parole donc de l'Eternel me fut [adressée], en disant:
5 ५ “गर्भ में रचने से पहले ही मैंने तुझ पर चित्त लगाया, और उत्पन्न होने से पहले ही मैंने तुझे अभिषेक किया; मैंने तुझे जातियों का भविष्यद्वक्ता ठहराया।”
Avant que je te formasse dans le ventre [de ta mère], je t'ai connu; et avant que tu fusses sorti de [son] sein, je t'ai sanctifié, je t'ai établi Prophète pour les nations.
6 ६ तब मैंने कहा, “हाय, प्रभु यहोवा! देख, मैं तो बोलना भी नहीं जानता, क्योंकि मैं कम उम्र का हूँ।”
Et je répondis: Ha! ha! Seigneur Eternel! voici, je ne sais pas parler; car je suis un enfant.
7 ७ परन्तु यहोवा ने मुझसे कहा, “मत कह कि मैं कम उम्र का हूँ; क्योंकि जिस किसी के पास मैं तुझे भेजूँ वहाँ तू जाएगा, और जो कुछ मैं तुझे आज्ञा दूँ वही तू कहेगा।
Et l'Eternel me dit: ne dis point: je suis un enfant; car tu iras partout où je t'enverrai, et tu diras tout ce que je te commanderai.
8 ८ तू उनसे भयभीत न होना, क्योंकि तुझे छुड़ाने के लिये मैं तेरे साथ हूँ, यहोवा की यही वाणी है।”
Ne crains point [de te montrer] devant eux, car je suis avec toi pour te délivrer, dit l'Eternel.
9 ९ तब यहोवा ने हाथ बढ़ाकर मेरे मुँह को छुआ; और यहोवा ने मुझसे कहा, “देख, मैंने अपने वचन तेरे मुँह में डाल दिये हैं।
Et l'Eternel avança sa main, et en toucha ma bouche, puis l'Eternel me dit: voici, j'ai mis mes paroles en ta bouche.
10 १० “सुन, मैंने आज के दिन तुझे जातियों और राज्यों पर ठहराया है; उन्हें गिराने और ढा देने के लिये, नाश करने और काट डालने के लिये, उन्हें बनाने और रोपने के लिये।”
Regarde, je t'ai établi aujourd'hui sur les nations, et sur les Royaumes, afin que tu arraches et que tu démolisses, que tu ruines, et que tu détruises; que tu bâtisses, et que tu plantes.
11 ११ यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुँचा, “हे यिर्मयाह, तुझे क्या दिखाई पड़ता है?” मैंने कहा, “मुझे बादाम की एक टहनी दिखाई देती है।”
Puis la parole de l'Eternel me fut [adressée], en disant: que vois-tu, Jérémie? Et je répondis: je vois une branche d'amandier.
12 १२ तब यहोवा ने मुझसे कहा, “तुझे ठीक दिखाई पड़ता है, क्योंकि मैं अपने वचन को पूरा करने के लिये जागृत हूँ।”
Et l'Eternel me dit: tu as bien vu; car je me hâte d'exécuter ma parole.
13 १३ फिर यहोवा का वचन दूसरी बार मेरे पास पहुँचा, और उसने पूछा, “तुझे क्या दिखाई देता है?” मैंने कहा, “मुझे उबलता हुआ एक हण्डा दिखाई देता है जिसका मुँह उत्तर दिशा की ओर से है।”
Alors la parole de l'Eternel me fut [adressée] pour la seconde fois, en disant: que vois-tu? Et je répondis: je vois un pot bouillant, dont le devant est tourné vers l'Aquilon.
14 १४ तब यहोवा ने मुझसे कहा, “इस देश के सब रहनेवालों पर उत्तर दिशा से विपत्ति आ पड़ेगी।
Et l'Eternel me dit: le mal se découvrira du côté de l'Aquilon sur tous les habitants de ce pays-ci.
15 १५ यहोवा की यह वाणी है, मैं उत्तर दिशा के राज्यों और कुलों को बुलाऊँगा; और वे आकर यरूशलेम के फाटकों में और उसके चारों ओर की शहरपनाह, और यहूदा के और सब नगरों के सामने अपना-अपना सिंहासन लगाएँगे।
Car voici, je m'en vais appeler toutes les familles des Royaumes de l'Aquilon, dit l'Eternel; et elles viendront, et mettront chacune son trône à l'entrée des portes de Jérusalem, et près de toutes ses murailles à l'environ, et près de toutes les villes de Juda.
16 १६ उनकी सारी बुराई के कारण मैं उन पर दण्ड की आज्ञा दूँगा; क्योंकि उन्होंने मुझे त्याग कर दूसरे देवताओं के लिये धूप जलाया और अपनी बनाई हुई वस्तुओं को दण्डवत् किया है।
Et je leur prononcerai mes jugements, à cause de toute leur malice, par laquelle ils m'ont délaissé, et ont fait des parfums à d'autres dieux, et se sont prosternés devant l'ouvrage de leurs mains.
17 १७ इसलिए तू अपनी कमर कसकर उठ; और जो कुछ कहने की मैं तुझे आज्ञा दूँ वही उनसे कह। तू उनके मुख को देखकर न घबराना, ऐसा न हो कि मैं तुझे उनके सामने घबरा दूँ।
Toi donc, trousse tes reins, et te lève, et dis-leur toutes les choses que je te commanderai; ne crains point [de te montrer] devant eux, de peur que je ne te fasse mettre en pièces en leur présence.
18 १८ क्योंकि सुन, मैंने आज तुझे इस सारे देश और यहूदा के राजाओं, हाकिमों, और याजकों और साधारण लोगों के विरुद्ध गढ़वाला नगर, और लोहे का खम्भा, और पीतल की शहरपनाह बनाया है।
Car voici, je t'ai aujourd'hui établi comme une ville forte; et comme une colonne de fer, et comme des murailles d'airain, contre tout ce pays-ci, c'est-à-dire, contre les Rois de Juda, contre les principaux du pays, contre ses Sacrificateurs, et contre le peuple du pays.
19 १९ वे तुझ से लड़ेंगे तो सही, परन्तु तुझ पर प्रबल न होंगे, क्योंकि बचाने के लिये मैं तेरे साथ हूँ, यहोवा की यही वाणी है।”
Et ils combattront contre toi, mais ils ne seront pas plus forts que toi; car je suis avec toi, dit l'Eternel, pour te délivrer.