< यशायाह 9 >
1 १ तो भी संकट–भरा अंधकार जाता रहेगा। पहले तो उसने जबूलून और नप्ताली के देशों का अपमान किया, परन्तु अन्तिम दिनों में ताल की ओर यरदन के पार की अन्यजातियों के गलील को महिमा देगा।
Doch nimmer kennt Ermüdung, der sich ergießt darüber. Zuerst eilt er ins Land von Zabulon und Naphtali. Zuletzt bedrückt er auch den Meeresweg, am Jordan das Gelände samt dem Heidengau.
2 २ जो लोग अंधियारे में चल रहे थे उन्होंने बड़ा उजियाला देखा; और जो लोग घोर अंधकार से भरे हुए मृत्यु के देश में रहते थे, उन पर ज्योति चमकी।
Das Volk, das da im Dunkel wallt, es sieht ein mächtig Licht, und über den Bewohnern finstern Landes wird es hell. -
3 ३ तूने जाति को बढ़ाया, तूने उसको बहुत आनन्द दिया; वे तेरे सामने कटनी के समय का सा आनन्द करते हैं, और ऐसे मगन हैं जैसे लोग लूट बाँटने के समय मगन रहते हैं।
Viel schaffst Du frohen Jubels, und groß machst Du die Freude; man freut sich unter Deinen Augen wie bei Erntefreuden, wie bei der Beuteteilung jauchzen sie.
4 ४ क्योंकि तूने उसकी गर्दन पर के भारी जूए और उसके बहँगे के बाँस, उस पर अंधेर करनेवाले की लाठी, इन सभी को ऐसा तोड़ दिया है जैसे मिद्यानियों के दिन में किया था।
Die Last des Jochs, das Holz auf seinem Nacken, des Treibers Stock zerbrichst Du wie am Midianstage.
5 ५ क्योंकि युद्ध में लड़नेवाले सिपाहियों के जूते और लहू में लथड़े हुए कपड़े सब आग का कौर हो जाएँगे।
Denn jeder Schuh, der dröhnend stampft, der Mantel, blutbefleckt, verfällt dem Brand, dem Fraß des Feuers.
6 ६ क्योंकि हमारे लिये एक बालक उत्पन्न हुआ, हमें एक पुत्र दिया गया है; और प्रभुता उसके काँधे पर होगी, और उसका नाम अद्भुत युक्ति करनेवाला पराक्रमी परमेश्वर, अनन्तकाल का पिता, और शान्ति का राजकुमार रखा जाएगा।
Ein Kind wird uns geboren; ein Sohn wird uns geschenkt, das Herrscherzeichen auf der Schulter; sein Name lautet: "Wunderbarer Rater, Gott und Held, ein ewiger Vater, Friedensfürst".
7 ७ उसकी प्रभुता सर्वदा बढ़ती रहेगी, और उसकी शान्ति का अन्त न होगा, इसलिए वह उसको दाऊद की राजगद्दी पर इस समय से लेकर सर्वदा के लिये न्याय और धर्म के द्वारा स्थिर किए ओर सम्भाले रहेगा। सेनाओं के और यहोवा की धुन के द्वारा यह हो जाएगा।
Das Reich wird groß, endlos der Friede. Er nimmt Besitz von Davids Thron und Reich, errichtet dies aufs neue, festigt es durch Recht und durch Gerechtigkeit von nun an bis auf ewig. Dies wirkt des Herrn der Heeresscharen Eifer.
8 ८ प्रभु ने याकूब के पास एक सन्देश भेजा है, और वह इस्राएल पर प्रगट हुआ है;
Der Herr entsandte aber gegen Jakob einst ein Wort; es ging auf Israel.
9 ९ और सारी प्रजा को, एप्रैमियों और सामरिया के वासियों को मालूम हो जाएगा जो गर्व और कठोरता से बोलते हैं
Sein ganzes Volk erfuhr's, ganz Ephraim und die Bewohner von Samaria, weil sie in Übermut und stolzem Sinne sprachen:
10 १० “ईंटें तो गिर गई हैं, परन्तु हम गढ़े हुए पत्थरों से घर बनाएँगे; गूलर के वृक्ष तो कट गए हैं परन्तु हम उनके बदले देवदारों से काम लेंगे।”
"Stürzten Ziegelsteine ein, mit Quadern bauen wir es auf. Und hieb man Sykomoren ab, ersetzen wir's mit Zedern."
11 ११ इस कारण यहोवा उन पर रसीन के बैरियों को प्रबल करेगा,
Da ließ der Herr des Resin Haß dawider lodern: Er stachelt seine Feinde an,
12 १२ और उनके शत्रुओं को अर्थात् पहले अराम को और तब पलिश्तियों को उभारेगा, और वे मुँह खोलकर इस्राएलियों को निगल लेंगे। इतने पर भी उसका क्रोध शान्त नहीं हुआ और उसका हाथ अब तक बढ़ा हुआ है।
die Syrer hier im Osten, im Westen die Philister. Sie fressen Israel an jeder Seite an. Und dennoch konnte sich sein Zorn nicht legen; noch immer blieb sein Arm gereckt.
13 १३ तो भी ये लोग अपने मारनेवाले की ओर नहीं फिरे और न सेनाओं के यहोवा की खोज करते हैं।
Es kehrte sich das Volk nicht um zu ihm, der es geschlagen, und frug nichts nach dem Herrn der Heeresscharen.
14 १४ इस कारण यहोवा इस्राएल में से सिर और पूँछ को, खजूर की डालियों और सरकण्डे को, एक ही दिन में काट डालेगा।
Drum hieb der Herr von Israel den Kopf und Schweif, Palmzweig und Binse ab, an einem Tage. -
15 १५ पुरनिया और प्रतिष्ठित पुरुष तो सिर हैं, और झूठी बातें सिखानेवाला नबी पूँछ है;
Der Alte und der Angesehne sind der Kopf, der lügenlehrende Prophet der Schweif.
16 १६ क्योंकि जो इन लोगों की अगुआई करते हैं वे इनको भटका देते हैं, और जिनकी अगुआई होती है वे नाश हो जाते हैं।
Irrleiter sind die Leiter dieses Volkes, verleitet die Geleiteten.
17 १७ इस कारण प्रभु न तो इनके जवानों से प्रसन्न होगा, और न इनके अनाथ बालकों और विधवाओं पर दया करेगा; क्योंकि हर एक भक्तिहीन और कुकर्मी है, और हर एक के मुख से मूर्खता की बातें निकलती हैं। इतने पर भी उसका क्रोध शान्त नहीं हुआ और उसका हाथ अब तक बढ़ा हुआ है।
Drum freut der Herr sich seiner jungen Männer nicht und ist den Waisen und den Witwen nimmer gnädig. Sie alle waren ruchlos, Bösewichte, und jeder Mund sprach frevelhaft. Und also konnte sich sein Zorn nicht legen; noch immer blieb sein Arm gereckt.
18 १८ क्योंकि दुष्टता आग के समान धधकती है, वह ऊँटकटारों और काँटों को भस्म करती है, वरन् वह घने वन की झाड़ियों में आग लगाती है और वह धुएँ में चकरा-चकराकर ऊपर की ओर उठती है।
Wie Feuer brannte Schlechtigkeit, verzehrte Dorn und Distel und loderte im dicht verwachsenen Wald empor, im Rauche wirbelnd.
19 १९ सेनाओं के यहोवा के रोष के मारे यह देश जलाया गया है, और ये लोग आग की ईंधन के समान हैं; वे आपस में एक दूसरे से दया का व्यवहार नहीं करते।
Verfinstert ward das Land beim Zorn des Herrn der Heeresscharen; das Volk ward wie des Feuers Fraß; der eine schonte nicht des andern.
20 २० वे दाहिनी ओर से भोजनवस्तु छीनकर भी भूखे रहते, और बायीं ओर से खाकर भी तृप्त नहीं होते; उनमें से प्रत्येक मनुष्य अपनी-अपनी बाँहों का माँस खाता है,
Sie fraßen, was zur rechten Seite, verschlangen hungernd, was zur Linken, und wurden doch nicht satt. Ein jeglicher fraß seines Armes Fleisch.
21 २१ मनश्शे एप्रैम के और एप्रैम मनश्शे के विरुद्ध होकर, और वे दोनों मिलकर यहूदा के विरुद्ध हैं इतने पर भी उसका क्रोध शान्त नहीं हुआ, और उसका हाथ अब तक बढ़ा हुआ है।
Manasse Ephraim und Ephraim Manasse, sie miteinander Juda. Und dennoch konnte sich sein Zorn nicht legen; noch immer blieb sein Arm gereckt.