< यशायाह 9 >

1 तो भी संकट–भरा अंधकार जाता रहेगा। पहले तो उसने जबूलून और नप्ताली के देशों का अपमान किया, परन्तु अन्तिम दिनों में ताल की ओर यरदन के पार की अन्यजातियों के गलील को महिमा देगा।
Toutefois, l’accablement ne persistera pas là où est maintenant la détresse: naguère, la honte atteignit la terre de Zabulon et la terre de Nephtali, mais finalement, l’honneur sera rendu au pays qui s’étend vers la mer, ou au delà du Jourdain, au district des gentils.
2 जो लोग अंधियारे में चल रहे थे उन्होंने बड़ा उजियाला देखा; और जो लोग घोर अंधकार से भरे हुए मृत्यु के देश में रहते थे, उन पर ज्योति चमकी।
Le peuple qui marchait dans l’obscurité voit une grande lueur; ceux qui habitaient une terre ténébreuse, la lumière rayonne sur eux.
3 तूने जाति को बढ़ाया, तूने उसको बहुत आनन्द दिया; वे तेरे सामने कटनी के समय का सा आनन्द करते हैं, और ऐसे मगन हैं जैसे लोग लूट बाँटने के समय मगन रहते हैं।
Tu élèves ce peuple, Seigneur, tu lui accordes de grandes joies: ils se réjouissent en ta présence comme on se réjouit au temps de la moisson, comme on exulte au partage du butin;
4 क्योंकि तूने उसकी गर्दन पर के भारी जूए और उसके बहँगे के बाँस, उस पर अंधेर करनेवाले की लाठी, इन सभी को ऐसा तोड़ दिया है जैसे मिद्यानियों के दिन में किया था।
car le joug qui pesait sur lui, la barre qui courbait son épaule, la verge qui le fustigeait, tu les a brisés comme au jour de Madian.
5 क्योंकि युद्ध में लड़नेवाले सिपाहियों के जूते और लहू में लथड़े हुए कपड़े सब आग का कौर हो जाएँगे।
Tout l’attirail des guerriers bruyants, les vêtements souillés de sang, tout est consumé, devient la proie du feu.
6 क्योंकि हमारे लिये एक बालक उत्पन्न हुआ, हमें एक पुत्र दिया गया है; और प्रभुता उसके काँधे पर होगी, और उसका नाम अद्भुत युक्ति करनेवाला पराक्रमी परमेश्वर, अनन्तकाल का पिता, और शान्ति का राजकुमार रखा जाएगा।
C’Est qu’un enfant nous est né, un fils nous est accordé: la souveraineté repose sur son épaule, et on l’a appelé Conseiller merveilleux, Héros divin, Père de la conquête, Prince de la Paix.
7 उसकी प्रभुता सर्वदा बढ़ती रहेगी, और उसकी शान्ति का अन्त न होगा, इसलिए वह उसको दाऊद की राजगद्दी पर इस समय से लेकर सर्वदा के लिये न्याय और धर्म के द्वारा स्थिर किए ओर सम्भाले रहेगा। सेनाओं के और यहोवा की धुन के द्वारा यह हो जाएगा।
Son rôle est d’agrandir l’empire, d’assurer une paix sans fin au trône de David et à sa dynastie, qui aura pour base et appui le droit et la justice, dès maintenant et à jamais. Le zèle de l’Eternel fera cela.
8 प्रभु ने याकूब के पास एक सन्देश भेजा है, और वह इस्राएल पर प्रगट हुआ है;
Le Seigneur a lancé une parole contre Jacob, elle est tombée en Israël.
9 और सारी प्रजा को, एप्रैमियों और सामरिया के वासियों को मालूम हो जाएगा जो गर्व और कठोरता से बोलते हैं
Le peuple tout entier la connaîtra, Ephraïm et les habitants de Samarie, qui ont dit avec orgueil et d’un cœur arrogant:
10 १० “ईंटें तो गिर गई हैं, परन्तु हम गढ़े हुए पत्थरों से घर बनाएँगे; गूलर के वृक्ष तो कट गए हैं परन्तु हम उनके बदले देवदारों से काम लेंगे।”
"Des briques sont tombées, nous bâtirons en pierres de taille; des sycomores sont coupés, nous les remplacerons par des cèdres."
11 ११ इस कारण यहोवा उन पर रसीन के बैरियों को प्रबल करेगा,
Mais le Seigneur fera triompher d’eux les adversaires de Recîn et mettra les ennemis à leurs trousses.
12 १२ और उनके शत्रुओं को अर्थात् पहले अराम को और तब पलिश्तियों को उभारेगा, और वे मुँह खोलकर इस्राएलियों को निगल लेंगे। इतने पर भी उसका क्रोध शान्त नहीं हुआ और उसका हाथ अब तक बढ़ा हुआ है।
Le Syrien à l’Orient, le Philistin à l’Occident, ils mangeront Israël à pleine bouche… Malgré tout cela, sa colère ne s’apaise point et sa main reste étendue.
13 १३ तो भी ये लोग अपने मारनेवाले की ओर नहीं फिरे और न सेनाओं के यहोवा की खोज करते हैं।
Or, le peuple ne retourne pas vers Celui qui te frappe, et ne recherche pas l’Eternel-Cebaot.
14 १४ इस कारण यहोवा इस्राएल में से सिर और पूँछ को, खजूर की डालियों और सरकण्डे को, एक ही दिन में काट डालेगा।
Aussi le Seigneur arrache-t-il d’Israël tête et queue, palme et roseau, en un seul jour.
15 १५ पुरनिया और प्रतिष्ठित पुरुष तो सिर हैं, और झूठी बातें सिखानेवाला नबी पूँछ है;
La tête ce sont les anciens et les notables, la queue ce sont les prophètes qui enseignent le mensonge.
16 १६ क्योंकि जो इन लोगों की अगुआई करते हैं वे इनको भटका देते हैं, और जिनकी अगुआई होती है वे नाश हो जाते हैं।
Les guides de ce peuple le fourvoient, et ceux qu’ils guident vont à la ruine.
17 १७ इस कारण प्रभु न तो इनके जवानों से प्रसन्न होगा, और न इनके अनाथ बालकों और विधवाओं पर दया करेगा; क्योंकि हर एक भक्तिहीन और कुकर्मी है, और हर एक के मुख से मूर्खता की बातें निकलती हैं। इतने पर भी उसका क्रोध शान्त नहीं हुआ और उसका हाथ अब तक बढ़ा हुआ है।
C’Est pourquoi le Seigneur n’a aucune satisfaction de ses jeunes gens, ni n’éprouve aucune pitié pour ses veuves et ses orphelins, car tous, ils sont dépravés et malfaisants, toutes les bouches profèrent des propos honteux… Malgré tout cela, sa colère ne s’apaise point et sa main reste étendue.
18 १८ क्योंकि दुष्टता आग के समान धधकती है, वह ऊँटकटारों और काँटों को भस्म करती है, वरन् वह घने वन की झाड़ियों में आग लगाती है और वह धुएँ में चकरा-चकराकर ऊपर की ओर उठती है।
Car la méchanceté brûle comme le feu, qui dévore ronces et épines, embrase les taillis de la forêt, d’où s’élèvent des tourbillons de fumée.
19 १९ सेनाओं के यहोवा के रोष के मारे यह देश जलाया गया है, और ये लोग आग की ईंधन के समान हैं; वे आपस में एक दूसरे से दया का व्यवहार नहीं करते।
Par la colère de l’Eternel-Cebaot le pays est un brasier, et ses habitants deviennent comme un aliment pour le feu: le frère n’a plus pitié de son frère.
20 २० वे दाहिनी ओर से भोजनवस्तु छीनकर भी भूखे रहते, और बायीं ओर से खाकर भी तृप्त नहीं होते; उनमें से प्रत्येक मनुष्य अपनी-अपनी बाँहों का माँस खाता है,
On déchire à droite et on reste affamé; on dévore à gauche et on n’est pas rassasié; ils vont jusqu’à manger chacun la chair de leur propre bras.
21 २१ मनश्शे एप्रैम के और एप्रैम मनश्शे के विरुद्ध होकर, और वे दोनों मिलकर यहूदा के विरुद्ध हैं इतने पर भी उसका क्रोध शान्त नहीं हुआ, और उसका हाथ अब तक बढ़ा हुआ है।
Manassé contre Ephraïm, Ephraïm contre Manassé, et tous deux contre Juda!… Malgré tout cela, sa colère ne s’apaise point et sa main reste étendue.

< यशायाह 9 >