< यशायाह 63 >
1 १ यह कौन है जो एदोम देश के बोस्रा नगर से लाल वस्त्र पहने हुए चला आता है, जो अति बलवान और भड़कीला पहरावा पहने हुए झूमता चला आता है? “यह मैं ही हूँ, जो धार्मिकता से बोलता और पूरा उद्धार करने की शक्ति रखता हूँ।”
Qui est celui qui vient d'Edom, avec des vêtements teints de Bozrah? Qui est celui qui est glorieux dans ses vêtements, marchant dans la grandeur de sa force? « C'est moi qui parle en justice, puissant pour sauver. »
2 २ तेरा पहरावा क्यों लाल है? और क्या कारण है कि तेरे वस्त्र हौद में दाख रौंदनेवाले के समान हैं?
Pourquoi vos vêtements sont rouges, et tes vêtements comme celui qui foule dans la cuve à vin?
3 ३ “मैंने तो अकेले ही हौद में दाखें रौंदी हैं, और देश के लोगों में से किसी ने मेरा साथ नहीं दिया; हाँ, मैंने अपने क्रोध में आकर उन्हें रौंदा और जलकर उन्हें लताड़ा; उनके लहू के छींटे मेरे वस्त्रों पर पड़े हैं, इससे मेरा सारा पहरावा धब्बेदार हो गया है।
« J'ai foulé seul le pressoir. Parmi les peuples, personne n'était avec moi. Oui, je les ai piétinés dans ma colère et je les ai piétinés dans ma colère. Leur sang est répandu sur mes vêtements, et j'ai taché tous mes vêtements.
4 ४ क्योंकि बदला लेने का दिन मेरे मन में था, और मेरी छुड़ाई हुई प्रजा का वर्ष आ पहुँचा है।
Car le jour de la vengeance était dans mon cœur, et l'année de mes rachetés est arrivée.
5 ५ मैंने खोजा, पर कोई सहायक न दिखाई पड़ा; मैंने इससे अचम्भा भी किया कि कोई सम्भालनेवाला नहीं था; तब मैंने अपने ही भुजबल से उद्धार किया, और मेरी जलजलाहट ही ने मुझे सम्भाला।
J'ai regardé, et il n'y avait personne pour m'aider; et je m'étonne qu'il n'y ait personne à soutenir. C'est donc mon propre bras qui m'a sauvé. Ma propre colère m'a soutenu.
6 ६ हाँ, मैंने अपने क्रोध में आकर देश-देश के लोगों को लताड़ा, अपनी जलजलाहट से मैंने उन्हें मतवाला कर दिया, और उनके लहू को भूमि पर बहा दिया।”
J'ai foulé les peuples dans ma colère. et je les ai rendus ivres de ma colère. J'ai répandu leur sang sur la terre. »
7 ७ जितना उपकार यहोवा ने हम लोगों का किया अर्थात् इस्राएल के घराने पर दया और अत्यन्त करुणा करके उसने हम से जितनी भलाई कि, उस सब के अनुसार मैं यहोवा के करुणामय कामों का वर्णन और उसका गुणानुवाद करूँगा।
Je raconterai les bontés de l'Éternel. et les louanges de Yahvé, selon tout ce que Yahvé nous a donné, et la grande bonté envers la maison d'Israël, qu'il leur a donné selon sa miséricorde, et selon la multitude de ses bontés.
8 ८ क्योंकि उसने कहा, निःसन्देह ये मेरी प्रजा के लोग हैं, ऐसे लड़के हैं जो धोखा न देंगे; और वह उनका उद्धारकर्ता हो गया।
Car il a dit: « Certainement, ils sont mon peuple, des enfants qui ne commettront pas de fautes; » Il est donc devenu leur Sauveur.
9 ९ उनके सारे संकट में उसने भी कष्ट उठाया, और उसके सम्मुख रहनेवाले दूत ने उनका उद्धार किया; प्रेम और कोमलता से उसने आप ही उनको छुड़ाया; उसने उन्हें उठाया और प्राचीनकाल से सदा उन्हें लिए फिरा।
Dans toute leur affliction, il a été affligé, et l'ange de sa présence les a sauvés. Dans son amour et dans sa pitié, il les a rachetés. Il les a portés, et les a portées tous les jours d'autrefois.
10 १० तो भी उन्होंने बलवा किया और उसके पवित्र आत्मा को खेदित किया; इस कारण वह पलटकर उनका शत्रु हो गया, और स्वयं उनसे लड़ने लगा।
Mais ils se sont rebellés et ont attristé son Saint-Esprit. Il s'est donc retourné et est devenu leur ennemi, et il a lui-même combattu contre eux.
11 ११ तब उसके लोगों को उनके प्राचीन दिन अर्थात् मूसा के दिन स्मरण आए, वे कहने लगे कि जो अपनी भेड़ों को उनके चरवाहे समेत समुद्र में से निकाल लाया वह कहाँ है? जिसने उनके बीच अपना पवित्र आत्मा डाला, वह कहाँ है?
Et il se souvint des jours d'autrefois, Moïse et son peuple, en disant, « Où est celui qui les a fait remonter de la mer avec les bergers de son troupeau? ". Où est celui qui a mis son Saint-Esprit au milieu d'eux? »
12 १२ जिसने अपने प्रतापी भुजबल को मूसा के दाहिने हाथ के साथ कर दिया, जिसने उनके सामने जल को दो भाग करके अपना सदा का नाम कर लिया,
Qui a fait en sorte que son bras glorieux soit à la droite de Moïse? Qui a divisé les eaux devant eux, pour se faire un nom éternel?
13 १३ जो उनको गहरे समुद्र में से ले चला; जैसा घोड़े को जंगल में वैसे ही उनको भी ठोकर न लगी, वह कहाँ है?
qui les a conduits à travers les profondeurs, comme un cheval dans le désert, pour qu'ils ne trébuchent pas?
14 १४ जैसे घरेलू पशु तराई में उतर जाता है, वैसे ही यहोवा के आत्मा ने उनको विश्राम दिया। इसी प्रकार से तूने अपनी प्रजा की अगुआई की ताकि अपना नाम महिमायुक्त बनाए।
Comme le bétail qui descend dans la vallée, L'Esprit de Yahvé les a fait se reposer. Vous avez donc conduit votre peuple pour vous faire un nom glorieux.
15 १५ स्वर्ग से, जो तेरा पवित्र और महिमापूर्ण वासस्थान है, दृष्टि कर। तेरी जलन और पराक्रम कहाँ रहे? तेरी दया और करुणा मुझ पर से हट गई हैं।
Regardez du haut du ciel, et voir depuis la demeure de ta sainteté et de ta gloire. Où sont votre zèle et vos actes puissants? Le désir ardent de ton cœur et ta compassion sont retenus envers moi.
16 १६ निश्चय तू हमारा पिता है, यद्यपि अब्राहम हमें नहीं पहचानता, और इस्राएल हमें ग्रहण नहीं करता; तो भी, हे यहोवा, तू हमारा पिता और हमारा छुड़ानेवाला है; प्राचीनकाल से यही तेरा नाम है।
Car tu es notre Père, même si Abraham ne nous connaît pas, et Israël ne nous reconnaît pas. Toi, Yahvé, tu es notre Père. Notre Rédempteur de toujours est ton nom.
17 १७ हे यहोवा, तू क्यों हमको अपने मार्गों से भटका देता, और हमारे मन ऐसे कठोर करता है कि हम तेरा भय नहीं मानते? अपने दास, अपने निज भाग के गोत्रों के निमित्त लौट आ।
O Yahvé, pourquoi nous fais-tu errer loin de tes voies? et endurcir notre cœur face à ta crainte? Reviens pour le bien de tes serviteurs, les tribus de votre héritage.
18 १८ तेरी पवित्र प्रजा तो थोड़े ही समय तक तेरे पवित्रस्थान की अधिकारी रही; हमारे द्रोहियों ने उसे लताड़ दिया है।
Ton peuple saint ne l'a possédé que peu de temps. Nos adversaires ont foulé ton sanctuaire.
19 १९ हम लोग तो ऐसे हो गए हैं, मानो तूने हम पर कभी प्रभुता नहीं की, और उनके समान जो कभी तेरे न कहलाए।
Noussommes devenus comme ceux sur lesquels tu n'as jamais régné, comme ceux qui n'ont pas été appelés par ton nom.